हमारे देश में कुछ चीजें और रिश्ते ऐसे हैं जो आदमी को गाहे-बगाहे कहीं भी, किसी भी समय और किसी भी उम्र में या तो खुद-ब -खुद याद आ जाते हैं या फिर उन्हे याद दिला दिया जाता है. भाऋत में चक्रवर्ती सम्राट बनने का ख्वाब देखने वाले माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी को भी बंगाल की सियासत ने नानी की नहीं तो माँ की याद जरूर दिला दी.
हमारे यहाँ लोकमान्यता है कि जब कोई मर्द संकट मेंहोता है तो उसे या तो नानी याद आती है या फिर माँ. महिलाएं भी ओ माँ ही कहती हैं. पिता या नाना को याद करते बहुत कम लोग देखे गये हैं. हम भूल भी जाएं दो हमारे शुभचिंतक ऐसी चुनौतियां पेश करते हैं कि आदमी को अपनी छठी का दूध याद आ जाता है. ये दूध भी माँ की ही होता है और नवजीवन देने वाला माना जाता है. जब कोई किसी को छठी का दूध याद दिलाता है तो माना जाता है कि उसका जीवन खतरे में है और उसे माँ के दूध की जरूरत है.
माननीय मोदीजी पिछले एक दशक से कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों को या तो छठी का दूध याद करा रहे हैं या फिर नानी की याद करा रहे हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि मोदी जी बंगाल में भगवान राम को भूलकर मां भवानी की जय बोलने पर मजबूर हो गए और यहीं तृण मूल कांग्रेस की वाचाल, हाजिर जबाब सांसद महुआ मोइत्रा ने मोदी जी को घेर लिया. तृणमूल कांग्रेस पार्टी (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में एक रैली को संबोधित करते हुए देवी काली का आह्वान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा प्रहार किया, उन्होंने बंगाली मतदाताओं को लुभाने के उनके प्रयास को "थोड़ा देर से" कहा, और कहा कि देवी "ढोकला नहीं खाती हैं।"
आपको बता दें कि गत शुक्रवार को माननीय प्रधानमंत्री मोदी ने दुर्गापुर रैली में अपने भाषण की शुरुआत बंगाली भाषा में भीड़ का अभिवादन करते हुए की और कहा, “जय मां काली, जय मां दुर्गा।”इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए महुआ मोइत्रा ने एक्स पर पोस्ट किया, "बंगाली वोटों के लिए मां काली का आह्वान करने में प्रधानमंत्री मोदी ने थोड़ी देर कर दी। वह ढोकला नहीं खातीं और कभी नहीं खाएंगी।"
सब जानते हैं कि भाजपा, आर एस एस और मोदी जी एक दशक से बंगाल जीतने के लिए एढी-चोटी का जोर लगा रहे हैं लेकिन अब तक कोई कामयाबी नहीं मिली है. भाजपा नेताओं और संघ कार्यकर्ताओं की एढियां घिस गईं पर नतीजा शून्य ही रहा. ताजा बंगाल रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर तीखा हमला किया था और राज्य सरकार पर राज्य में अराजकता का माहौल पैदा करने का आरोप लगाया था। मोदी ने बंगाल में निवेशकों के कम विश्वास के लिए “दंगों”, “गुंडा टैक्स” और “पुलिस पूर्वाग्रह” का हवाला दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी दावा किया कि क्रूर आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में “टीएमसी ने दोषियों को बचाने की कोशिश की”, जिसने पूरे बंगाल को झकझोर कर रख दिया था। प्रधानमंत्री ने यह भी दावा किया, “जहां भी भाजपा की सरकार है, वहां बंगालियों का सम्मान किया जाता है।”
अब महुआ के तंज का आशय समझ लीजिये. आप जानते हैं कि बंगाल के अधिकांश काली मंदिरों में पारंपरिक रूप से देवी के 'भोग' या 'प्रसाद' के रूप में मांस और अन्य मांसाहारी चीजें चढ़ाई जाती हैं।लेकिन महुआ ने प्रधानमंत्री जी के गृहराज्य गुजरात के नाश्ता को ही एक राजनीतिक रूपक बना दिया. प्रधानमंत्री जी ने शायद इसकी कल्पना भी नहीं की होगी.
टीएमसी पार्टी के सदस्य ने इस साल की शुरुआत में 'ढोकला' का तंज कसा था, जब एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें कुछ लोग दिल्ली के चित्तरंजन पार्क स्थित एक मछली बाज़ार के दुकानदारों को इसलिए धमका रहे थे क्योंकि वह काली मंदिर के बगल में स्थित है। वीडियो शेयर करते हुए मोइत्रा ने दावा किया कि वे लोग भाजपा से जुड़े थे।महुआ का विवादों से पुराना नाता है. सन 2022 में, महुआ मोइत्रा ने उस समय राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था जब उन्होंने देवी काली को “मांस खाने वाली और शराब स्वीकार करने वाली” देवी बताया था – एक ऐसी टिप्पणी जिससे देशव्यापी आक्रोश फैल गया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।कृष्णानगर की सांसद की टिप्पणी की भाजपा नेताओं ने तीखी आलोचना की और उन पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया।बहरहाल अब महुआ फिर सुर्खियों में हैं मोदी जी के साथ,साथ.
@ राकेश अचल
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