बुधवार, 25 नवंबर 2020

जलवायु परिवर्तन की वजह से बेअसर हो रही दवाएं,WHO ने बनाई एंटीबायोटिक पॉलिसी

अजय अहिरवार Ad news 24
टीकमगढ़। एन्टीबायोटिक प्रतिरोध जलवायु परिवर्तन की तरह ही गंभीर समस्या के रूप में तेजी से उभर रहा है । एन्टीबॉयोटिक दवाएं जब रोगाणुओं पर बेअसर हो जाती है उस स्थिति में रोगाणुओं का खत्म करना मुश्किल हो जाता है । यह बात टीकमगढ़ जिले अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ अमित चैधरी ने कहते हुए मीडिया से कहा कि इसका मुख्य कारण यह है कि एन्टीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग किया जाना, एक साथ कई एन्टीबॉयोटिक दवाओं का सेवन, एन्टीबॉयोटिक दवाओं का निर्धारित मात्रा में कम डोज या कम दिन तक सेवन, अनावश्यक एन्टीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाना है। सिविल सर्जन डॉ चैधरी ने कहा कि इसके अतिरिक्त पशुओं व कृषि के क्षेत्र में भी एन्टीबायोटिक दवाओं का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण भी एन्टीबायोटिक दवाएं बेअसर होती जा रही है । इस समस्या से निजात पाने के लिए पूरे विश्व भर में व्यापक प्रयास किये जा रहा है । डब्ल्यू एच.ओ द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में पूरे विश्व में एन्टीमाईक्रोबियल प्रतिरोध के कारण 07 लाख मौते प्रतिवर्ष होती है , यदि इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाएं गए तो यह आंकडा वर्ष 2050 तक 01 करोड़ प्रति वर्ष पहुंच सकता है । भविष्य में परिलक्षित होने वाले गंभीर परिणामों को देखते हुए म.प्र . स्वास्थ्य विभाग द्वारा विगत दो वर्षों से सतत प्रयास किये जा रहे है , जिसके परिणाम स्वरूप विभाग द्वारा वर्ष 2018 में एन्टीबॉयोटिक पॉलिसी का निर्माण किया गया । इस पॉलिसी को स्वास्थ्य विभाग एवं एम्स भोपाल के संयुक्त प्रयासों से विकसित किया गया हैं ।

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