फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और चतुदर्शी की संधि को ही शिवरात्रि कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन शिव की पूजा विशेष फलदायी होती हैं। इस दिन शिवलिंग पर आठों प्रहर जल अपर्ण कर शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष चारों प्रहर की पूजा करने वाले को रोग और भय से मुक्ति व श्री की प्राप्ति होगी। ब्रह्म मुहुर्त में चतुर्दशी का प्रवेश हो रहा है। एक मार्च मंगलवार को प्रात: 4.16 बजे से लेकर अगले दिन दो मार्च के 4.16 बजे तक महादेव की पूजा आराधना की जा सकेगी।
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