भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम के बाद दुनिया बोल रही है लेकिन हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने मौन व्रत धारण कर रखा है इसलिए घबड़ाहट होती है. आखिर क्या वजह है कि महावीर मोदी जी ने न बोलने की शपथ ले रखी है ?
पाकिस्तान के खिलाफ आपरेशन सिंदूर चलाकर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई शुरू करने का फैसला करने वाले लौहपुरुष मोदी जी का पूरा देश मुरीद हो चुका है, लेकिन नाटकीय तौर पर युद्धविराम स्वीकार करने से उनके प्रति संशय भी पैदा हुआ है. ये संशय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बड़े-बडे बयानों ने और बढा दिया है। ट्रंप साहब ने कश्मीर का जिक्र करते हुए यहीं की समस्या का समाधान कराने की बात कही है। आपको याद होगा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तीन दिनों से चल रहे आपरेशन सिंदूर के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ही सबसे पहले कथित सीजफायर की जानकारी दी थी। इसके बाद भारत और पाकिस्तान की तरफ से बयान जारी कर समझौता किए जाने की बात कही गई थी।
ताजा प्रसंग में विस्मय इसलिए भी हो रहा है क्योंकि सीजफायर पर पाकिस्तान बोल चुका, अमेरिका बोल चुका लेकिन भारत नहीं बोल रहा. भारतीय सेना और विदेश मंत्रालय के सचिव ही बोल रहे हैं. आप कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री जी का बोलना जरूरी है ही नहीं. वे सही वक्त आने पर बोलेंगे. अभी जिसे बोलना है बोल ले. मोदीजी की खामोशी के बाद ट्रंप ही नहीं अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और एलन मस्क तक बोल रहे हैं. रूबियो ने कहा कि उन्होंने और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा की। रुबियो ने टकराव के बजाय बातचीत को चुनने के लिए पीएम मोदी और पाकिस्तान की सराहना भी की।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अहम सहयोगी और टेक अरबपति और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने भी भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, "मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत और अडिग नेतृत्व पर बहुत गर्व है, क्योंकि उनके पास यह जानने और समझने की शक्ति, बुद्धि और धैर्य है कि वर्तमान आक्रमण को रोकने का समय आ गया है। यह युद्ध इतने सारे लोगों की मृत्यु और विनाश का कारण बन सकता था। लाखों अच्छे और निर्दोष लोग मारे जा सकते थे! आपकी विरासत आपके बहादुर कार्यों से बहुत बढ़ गई है।"
ट्रंप ने आगे कहा, ", मैं आप दोनों के साथ मिलकर यह देखने के लिए काम करूंगा कि क्या "हजार साल" के बाद कश्मीर के संबंध में कोई समाधान निकाला जा सकता है। भगवान भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को अच्छी तरह से किए गए काम के लिए आशीर्वाद दें.
सवाल ये है कि क्या भारत ने ट्रंप को अपना सरपंच स्वीकार कर लिया है, अगर नहीं तो ट्रंप साहब को जबाब मोदी जी के अलावा कोई और नहीं दे सकता. मौजूदा सरकार से पहले भारत के किसी भी प्रधानमंत्री ने अमेरिका को कश्मीर मामले पर बोलने की छूट नहीं दी. मुझे लगता है कि माननीय मोदी जी या तो ट्रंप के बडबोलेपन की अनदेखी कर रहे हैं या फिर जबाब देने के लिए बिहार के किसी चुनावी मंच की तलाश कर रहे हैं. आप यदि न भूले हों तो जानते ही होंगे कि पहलगाम हत्याकांड के बाद मोदी जी ने मधुबनी में पाकिस्तान को ललकारा था.
इस संवेदनशील मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र न बुलाकर मोदी जी शायद फिजूल खर्ची रोक रहे हैं. सीजफायर स्वीकार करने से आपरेशन सिंदूर पर रोजाना खर्च होने वाले कम से कम 3000 करोड रुपये भी मोदीजी की दूरदृष्टि की वजह से बचे. मै और मेरा देश फिर भी मोदी जी के मन की बात सुनने को आतुर है. हमें ट्रंप, रुबियो या मस्क के मन की बातें सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
@राकेश अचल
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