बुधवार, 18 जून 2025

शीर्षासन करती मप्र की सरकार

 

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव अच्छे मुख्यमंत्री हैं या नहीं इस पर दो क्या दस राय हो सकतीं हैं लेकिन वे एक दक्ष योगी हैं इसमें कोई दो राय नही है. भाजपा के पचमढी शिविर में डॉ यादव ने शीर्षासन और मयूरासन लगाकर ये साबित भी कर दिया. मुख्यमंत्री यादव को सरकार चलाने के लिए भी सिर के बल खडा होना पड रहा है.

भाजपा विधायकों के लिए आयोजित पचमढी शिविर का उदघाटन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया था और समापन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने. इस महत्वपूर्ण शिविर में तमाम गैर विधायक भी थे लेकिन केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का खेमा सरे से गायब था. प्रदेश में सिंधिया खेमे के पहले दो दर्जन विधायक होते थे लेकिन अब शायद 15 ही रह गए हैं. सिंधिया समर्थक विधायक शिविर से जानबूझकर गायब रहे या उन्होने अपने नेता की उपेक्षा से नाराज होकर शिविर का बहिष्कार किया कहना मुश्किल है क्योंकि भाजपा ने इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया.

आपको याद होगा कि सिंधिया 2020 में कांग्रेस छोडकर भाजपा में शामिल हुए थे और उन्ही की वजह से मप्र में 2018 में सत्ताच्युत हुई भाजपा को 2020में बिना चुनाव लडे सत्तारूढ होने का मौका मिला था. सिंधिया हालांकि केंद्र में मंत्री हैं किंतु भाजपा ने उन्हे और उनके समर्थकों को भाव देँना बंद कर दिया है. पिछले दो साल में सिंधिया को प्रदेश सरकार से अपने एक भी समर्थक को लाभ का पद नहीं दिला पाए है. इससे उनके अपने समर्थक भी क्षुब्ध  हैं.खुद सिंधिया को अपने संसदीय क्षेत्र में अपनी पसंद के प्रशासनिक अधिकारी तैनात नहीं करा पा रहे है.

मप्र में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सामने दूसरी बडी वाधा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान बने हुए हैं. चौहान ने अपने गृह क्षेत्र बुदनी में एक बार फिर से पदयात्रा शुरू कर दी है. चौहान के पास सिंधिया से ज्यादा विधायक हैं. सिंधिया और चौहान का दबाव ही मुख्यमंत्री यादव को शीर्षासन लगाने के  लिए मजबूर होना पड रहा है. डॉ यादव के ऊपर तीसरा दबाव विधानसभाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का है.तोमर और चौहान यादव सरकार  पर दबाव बनाकर अपने बेटों को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए  तैयार करना चाहते हैं. सिंधिया भी 2029 के आमचुनाव के लिए अपने बेटे को तैयार करने में लगे हैं

एक अनार सौ बीमार की कहावत का सामना कर रहे मुख्यमंत्री डॉ यादव के सामने पार्टी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के अलावा पूर्व गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा को भी साधना पड रहा है. इन दोनों की पार्टी हाई कमान में भी घुसपैठ है.सरकार के खिलाफ ये दोनों भी कभी भी समस्या खडी कर सकते हैं, हालांकि अभी सब शांत बैठे हैं.

मप्र में अभी नये प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव या कहिये मनोनयन बाकी है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, प्रदेशाध्याक्ष वीडी शर्मा के स्थान पर अपनी पसंद का अध्यक्ष लाना चाहते हैं. प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजय वर्गीय की नजर तो शुरू से मोहन यादव की कुरसी पर है. मोहन यादव को कैलाश विजयवर्गीय का हक मारकर बैठाया गया है.

भाजपा का पचमढी शिविर तब बुलाया गया जब भाजपा सरकार के दो मंत्री विजय शाह और उप मुख्यमंत्री जगदीश देवडा अपने बयानों से सरकार की छवि धूमिल कर चुके हैं. आपरेशन सिंदूर के बाद इन दोनों ने ऐसे बयान दिए जिनसे पूरी भाजपा शर्मसार हो चुकी है. शाह का मामला अदालत की निगरानी में है.बावजूद इसके मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सभी गुटों को साधकर सरकार बचाए हुए है.

@  राकेश अचल

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