प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू हैं और पीछे उनकी बेटी श्रीमती इंदिरा गांधी. मोदी जी ने श्रीमती इंदिरा गाँँधी के शासन का रिकार्ड पार कर लिया लेकिन वे पूरा कस-बल लगाकर भी न नेहरू जितनी कीर्ति अर्जित कर पाए और न नेहरू जितना शासन कर पाए. नेहरू ने सत्ता के साथ देश और दुनिया के दिलों पर भी शासन किया था.मोदी जी को सत्ता में रहते हुए 11 साल और 60 दिन पूरे हो चुके हैं। इस तरह उन्होंने देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के एक और रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। पीएम मोदी अब सिर्फ जवाहरलाल नेहरू से पीछे चल रहे हैं जिन्होंने लगातार 16 साल 286 दिन तक प्रधानमंत्री की कुर्सी अपने पास रखी थी।
वैसे यह जरूर है कि दोनों जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने चार बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, लेकिन इतना फर्क जरूर रहा कि नेहरू लगातार जीतते रहे और सत्ता पर काबिज रहे, वहीं इंदिरा गांधी को आपातकाल के बाद कुछ समय के लिए अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी।लेकिन बात अगर प्रधानमंत्री शपथ लेने की आएगी तो प्रधानमंत्री मोदी अभी भी जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी से पीछे चल रहे हैं क्योंकि नेहरू और इंदिरा ने चार बार पीएम पद की शपथ ली है, ऐसे में अभी पीएम मोदी को एक बार फिर पीएम पद की शपथ लेनी होगी।वैसे इस मामले में मोदी, जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के पीछे चल रहे हैं,
मोदीजी को नेहरू और इंदिरा गांधी से बडा नेता बताने वाले उनके समर्थक रिकार्ड बनाने और कीर्ति अर्जित करने के भेद को समझ नही पा रहे.कई मामलों में उन्होंने उन दोनों को भी पीछे छोड़ दिया है। मोदी जी ने देश की आजादी की लडाई नहीं लडी. वे आपातकाल में भी जेल नहीं गये जबकि नेहरू ने टुकडों में 13साल जेलों में बिताये. उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने भी जेल यात्राएं की.
हाँ मोदीजी पिछले 24 साल से सक्रिय राजनीति का हिस्सा हैं और लगातार चुनाव जीतते हुए आ रहे हैं।वे 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और फिर उसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली।मुमकिन है कि उन्हे जेल यात्रा पद से हटने के बाद करने का योग हो.
ये सही है कि मोदी पहले गैर कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने लगातार दो कार्यकाल अपने पूरे किए हैं। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी भी भाजपा नेता थे लेकिन उनका कार्यकाल सिर्फ 6 साल का रहा लेकिन अटल जी ने तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, इसलिए मोदी जी का ये रिकार्ड भी बेकार गया.
मोदीजी को नेहरू और इंदिरा के बराबर खडा करने की कोशिश करने वाले भूल जाते हैं कि नेहरू और इंदिरा गांधी ने कभी बैशाखियों के सहारे कोई सरकार नहीं चलाई. इन दोनों के कार्यकाल में कभी 80 करोड लोग रोटी के लिए सरकार के मोहताज नहीं बने. इंदिरा गांधी ने 1971 में पाकिस्तान को तोडकर बांग्लादेश बनवाया लेकिन मोदी ने 2019 में इंदिरा गांधी की बराबरी करने की सनक में क्शमीर के ही तीन टुकड़े कर दिए, जो आज भी राज्य बनने के लिए तडप रहे हैं. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.
नेहरू और गांधी ने कभी डबल इंजन लगाकर राज्य सरकारें नहीं चलाईं किंतु मोदी जी को मजबूरन एक के पीछे एक इंजन लगाना पडा. हाँ मोदी जी ने दुनिया के 25 देशों के नागरिक सम्मान जरूर हासिल किए लेकिन नेहरू और इंदिरा गांधी अपने ही देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान लेकर संतुष्ट रहे. मोदीजी को अब इस दिशा में मेहनत करना पडेगी, अन्यथा ब पिता-पुत्री का मुकाबला कैसे कर पाएंगे.
पिता -पुत्री की जोडी की बराबरी करना मोदी जी के लिए कदाचित आसान है भी नही.जैसे नेहरूजी 75 साल के होते ही परलोक चले गये. इंदिरा गांधी ने सत्ता में रहते हुए शहादत दी. इस रिकार्ड की बराबरी मोदी जी को भूलकर भी नहीं करना चाहिए, अन्यथा उनके शुभचिंतक उन्हे पानी पर चढा सकते है.नेहरू और इंदिरा गांधी ने दुश्मन के खिलाफ सीधे लडाई लडी जबकि मोदी जी सर्जीकल स्ट्राइक और आपरेशन सिंदूर से आगे नहीं बढ पाए. नेहरू और इंदिरा गांधी के समय में दुनिया के किसी भी देश ने ये दावा नहीं किया कि कोई युद्ध बंदी या सीजफायर उसने कराई है्.किंतु तीन दिन के आपरेशन सिंदूर के बाद सीजफायर को लेकर अमरीका के राष्ट्रपति दो दर्जन बार दावे कर चुके हैं.
ये सच है कि नेहरू और इंदिरा गांधी भारत को दुनिया की चौथी बडी अर्थव्यवस्था नही बना पाए लेकिन मोदीजी ने बना दिया. इसके लिए उन्हें बधाई दी जा सकती है, किंतु इससे भारत को मिला क्या? भारत के पास जो था, वो अस्मिता, संप्रभुता, समरसता, सब जख्मी हो चुकी है. मोदीजी के नेतृत्व में न देश हिंदू बन सका और न जैसा था वैसा रह सका. मोदीजी द्वारा बनाए गये तमाम रिकार्ड देश के लिए कितने फायदेमंद हैं इसका आकलन मोदीजी के बाद ही होगा. अभी तो जितने भी प्रयास हैं वे 'अहो रूपम, अहो ध्वनि'की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं
.मोदीजी का जो असल रिकॉर्ड है उसका जिक्र किसी ने नहीं किया.मोदीजी के कार्यकाल में आजादी के बाद का सबसे बडा ककिसान आंदोलन हुआ. 750 किसान मरे.मोदी के राज में सबसे ज्यादा सांसद निलंबित हुए, सबसे ज्यादा असंवैधानिक इलेक्टोरल बांड से चुनावी चंदा वसूल किया गया. सबसे ज्यादा उद्योगपति देश का धन लेकर विदेश भागे. सबसे ज्यादा कालाधन मोदीजी के राज में बढा. सबसे ज्यादा समय तक मणिपुर जला लेकिन मोदीजी वहां कभी नहीं गये. मोदीजी का ही रिकॉर्ड है कि संसद के चलते एक उप राष्ट्रपति ने इस्तीफा दिया. लेकिन इन रिकार्ड्स से मोदीजी की कीर्ति नहीं बढी उलटे बदनामी ही हुई. मोदी जी का सबसे बडा रिकॉर्ड ये है कि उन्होने एक भी पत्रकार वार्ता में हिस्सा नहीं लिया.बहरहाल मोदीजी को शासन करने में इंदिरा गांधी से आगे निकलने पर बधाइयाँ. वे नेहरू का भी रिकॉर्ड तोडें, पुतिन का भी तोडें, शी जिन पिंग का भी तोडें, साथ ही देश की कीर्ति भी बढाएं. रिकार्ड तो हमारे खिलाडी खेल, खेल में तोड देते हैं.
@ राकेश अचल
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