दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र मे ही ये संभव है कि जब आधी संसद सडक पर हो और सरकार हंगामें के बीच आधा दर्जन से ज्यादा महत्वपूर्ण विधेयक पारित कराकर अपनी पीठ खुद ठोंक ले. भारत की संसद में ये पहली बार नहीं हुआ बल्कि बार बार हो रहा है. वोट चोरी के मुद्दे पर जब समूचा विपक्ष सडक पर और बाद में पुलिस हिरासत में था तब सरकार ने 8 विधेयक पारित करा लिए.
संसद के दोनों सदनों में सोमवार को विपक्षी सांसद लगातार हंगामा करते रहे. जिससे सदन की कार्यवाही लगातार प्रभावित होती रही. संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने संसद की कार्यवाही में बार-बार हो रहे व्यवधान के लिए कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “सरकार अब लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने की दिशा में आगे बढ़ेगी, जिसके बाद संसद में आठ विधेयक पारित किए गए.”
लोकसभा में राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक, आयकर (संख्यांक 2) विधेयक और कराधान विधि (संशोधन) विधेयक.और राज्यसभा ने गोवा राज्य, सभा निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति प्रतिनिधित्व का पुन: समायोजन विधेयक, वाणिज्य पोत परिवहन विधेयक को पारित कर दिया तथा मणिपुर विनियोग विधेयक और मणिपुर माल एवं सेवा कर (संशोधन) विधेयक को वापस कर दिया, जो पहले ही लोकसभा द्वारा पारित किए जा चुके हैं.
लगातार ऐकला चलो वाली सरकार के संसदीय कार्यमंत्री किरेन रीजीजू ने संकेत दिए हैं कि संसद 1अगस्त से पहले अवसान की जा सकती है क्योंकि अब संसद के सामने कोई विधाई कार्य लंबित नहीं है.किरेन का आरोप है कि विपक्ष संसद की कार्यवाही चलने देने में दिलचस्पी नहीं रखता. विपक्ष को केवल खबरों के प्रबंधन में रुचि है. उन्हें लोकतांत्रिक संस्थाओं में भरोसा नहीं है.’’
विपक्ष को ठेंगा दिखाते हुए किरेन ने कहा, ‘‘हम हर दिन एक मुद्दे पर देश और संसद का समय बर्बाद नहीं होने देंगे. इसलिए, हम महत्वपूर्ण विधेयक पारित कराएंगे.’’उन्होंने कहा कि सरकार महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा के लिए उत्सुक है, लेकिन विपक्ष द्वारा बार-बार व्यवधान के कारण संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित हो रही है. रीजीजू ने कहा कि विपक्षी सदस्य जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाने में रुचि नहीं रखते हैं और हर दिन केवल एक मुद्दे पर विरोध करने के लिए उत्सुक रहते हैं.
आप देख रहे हैं कि संसद में अब तक का अधिकतर समय हंगामे की भेंट चढ़ गया. इस दौरान दो दिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा हुई. विपक्षी दल के सांसद भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर भी सरकार को घेरा और जोरदार हंगामा किया. विपक्षी दल इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले बिहार में मतदाता सूची के एसआईआर को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
भारतीय संसद का ये पहला ऐसा मानसून सत्र है जिसके पहले ही दिन राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था. धनकड़ तभी से लापता हैं. आशंका जताई जा रही है कि उन्हें नजरबंद कर लिया गया है. किसी भी सत्र में ये भी पहली बार हुआ जब समूचे विपक्ष ने संसद में सुनवाई न होने पर सडक का रास्ता चुना, गिरफ्तारी दी और अब विपक्ष सरकार के खिलाफ निर्णायक लडाई पर आमादा है. देश ने पहली बार गांधी परिवार के दो सदस्यों राहुल गांधी और उनकी अनुजा प्रियंका वाड्रा को गिरफ्तारी देते देखा. विरोध की ये आंधी तूफान बनेगी या नहीं कहना कठिन है. किंतु इतना तो कहा ही जा सकता है कि अब भारतीय लोकतंत्र सडक पर है.
@ राकेश अचल
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