संसद के मानसून सत्र की समाप्ति के साथ ही आज से देश में 2014 से शुरू हुआ मोदी युग एक नये दौर में प्रवेश करने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इस नये दौर में घर के भीतर और घर के बाहर इतनी चुनौतियां सीना ताने खडी दिखाई देंगी जिनकी कल्पना कम से कम मोदी जी ने तो नहीं की होगी. जिस देश की जनता ने तमाम प्रतिबद्धताओं को धता दिखाकर मोदी जी को अपनी पलकों पर बैठाया था, आज वही जनता सडकों पर और जनता के प्रतिनिधि संसद में ' वोट चोर-गद्दी छोड'के नारे लगा रहे हैं और मोदी जी स्थितिप्रज्ञ होकर इन नारों को सुन रहे हैं.
मोदी जी का स्वागत करने वालों की भीड में शायद मै भी रहा होऊं, लेकिन आज मेरी पूरी सहानुभूति मोदीजी के प्रति है, क्योंकि जो जनता कल तक मोदीजी पर लट्टू थी आज उसके तेवर बदले हुए हैं. जनता अब 56' के सीने वाले मोदीजी के सामने अपने तीर-कमान हो चुके सीने तानकर उनपर वोट चोरी का आरोप लगा रही है. वोट चोर, गद्दी छोड का नारा यद्यपि कांग्रेस का नारा था लेकिन अब ये लोक व्यापी हो गया है.
मुझे पूरा यकीन है कि मोदीजी इस नारे से न डरेंगे और न गद्दी छोडेंगे. वे अपने हनुमान गृहमंत्री अमित शाह को साथ लेकर पूरी ताकत से विपक्ष से और देश की जनता से लडेंगे. मोदीजी के पीछे लठसंघियों की लाखों की फौज के साथ ही दुनिया की सबसे ज्यादा सदस्यों वाली भाजपा के कार्यकर्त्ता हैं जो सडकों पर उमड रहे जन सैलाब को टिड्डी दल की तरह समाप्त कर देंगे. मोदीजी संसद के मानसून सत्र के समापन से पहले 130 वां संविधान संशोधन विधेयक ले आए हैं. इस विधेयक से इस बात की भनक तो मिल रही है कि विरोधियों को उसी तरह जेलों में ढूंसने का इंतजाम कर चुके हैं जिस तरह पचास साल पहले देश पर 19महीने का आपातकाल लादकर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था
आपको याद होगा कि मोदी जी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो नेहरू को गरियाकर जन समर्थन हासिल करते आए हैं. लेकिन उनका ये अस्त्र- शस्त्र अब मोथरा हो चला है. मोदी जी कहने पर अब जनता ताली और थाली बजाने को तैयार नहीं है. मोदी जी की सत्ता जिन दो बैशाखियों पर टिकी है उनमें से एक में अलोकप्रियता की दीमक लग चुकी है.मोदीजी से अब अकेले लोस और रास में विपक्ष के नेता ही सवाल नहीं कर रहे अपितु माननीय सर्वोच्च न्यायालय भी सवाल कर रहा है कि -'यह अदालत संविधान का ही एक अंग है। यदि एक संवैधानिक संस्था बिना किसी वैध कारण के अपना काम नहीं कर रही है तो फिर क्या अदालत को यह कहना चाहिए कि हम शक्तिहीन हैं और हमारे हाथ बंधे हैं। हमें कुछ तो निर्णय करना होगा। लेकिन केंद्र सरकार में सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हर समस्या का समाधान सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही किया जाए, ये जरूरी नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर हो रही सुनवाई के दौरान ये तर्क दिया।केंद्र ने कहा कि कुछ मुद्दों पर मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के साथ बातचीत होनी चाहिए। सरकार ने कहा कि हर मामले में न्यायिक समाधान के बजाय राजनीतिक समाधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ये सुनवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा अप्रैल में विधेयकों को पारित करने की समयसीमा तय किए जाने के बाद राष्ट्रपति ने रेफरेंस भेजकर कोर्ट से कुछ सवाल पूछे थे.
मोदीजी जिस उग्रता के साथ केंद्रीय राजनीति में आए थे आज वही उग्रता उन्हे विपक्ष की ओर से देखने को मिल रही है. पिछले 11 साल में मोदीजी ने विपक्षी एकता में सेंध लगाकर अपना अश्वमेघ यज्ञ जारी रखा, लेकिन अब बिहार में उनका अश्वमेघ का घोडा वोट चोरी के आरोप में रंगे हाथों पकडा जा चुका है. मोदीजी घोडे पर सवार हैं लेकिन घोडे की रास यानि लगाम लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हाथ में है. ठिठके हुए घोडे को राहुल गांधी के चंगुल से छुडाना बहुत आसान नहीं है.
अब आधे से ज्यादा संसद और आधे से ज्यादा भाजपा मोदीजी के साथ नहीं है. कांस्टीट्यूशनल क्लब के चुनाव में भाजपा की बंद मुठ्ठी खुल गई है. मोदी विरोधी रूढी ने राहुल गांधी से सार्वजनिक रूप से हाथ मिलाकर ये साबित कर दिया है कि वे भाजपा में मोदी द्वारा उपेक्षित लोगों का नेतृत्व रूढी करने जा रहे हैं जैसे मोदीजी ने कांग्रेस के दुर्ग में सेंध लगाने के लिए शशि थरूर को तोडा था उसी तरह कांग्रेस ने भी भाजपा के दुर्ग में रूडी को तोडकर मोदी जी के दुर्ग में सेंध लगाने में कामयाब हो गये.
नये मोदी युग में जो भी होगा वो सब अप्रत्याशित होगा. या तो विपक्ष की कमर टूटेगी या फिर मोदी जी की. फैसला जनता करेगी. जनता अब तक मोदीजी के हर कारनामें पर,, हर फैसले पर मौन थी, किंतु यही मौन अब मुखरता में तब्दील हो गया है. मोदी के साथ आज भी ऐसे समर्थकों की भीड है जो 500₹ लीटर पैट्रोल खरीदने को तैयार है लेकिन उसे मोदी चाहिए. मोदीजी की ब्रांड वेल्यू का पता बिहार में चलेगा. तब तक के लिए मोदीजी और उनके प्रतिद्वंदी राहुल गांधी को शुभकामनायें.
@राकेश अचल
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