श्री कृष्ण जी का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को राजा कंश की जेल में वासुदेव जी की पत्नी देवकी जी के गर्भ से सोलह कलाओं से युक्त श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था।
इस दिन देश के सभी कृष्ण मंदिरों का श्रृंगार किया जाता है।श्री कृष्ण जी का भी श्रृंगार कर झलकियां सजाई जाती हैं।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि इस बार श्री कृष्ण जन्माष्टमी 16 अगस्त शनिवार को उदया तिथि में मनाई जाएगी। सप्तमी युक्त अष्टमी को छोड़कर नवमी युक्त अष्टमी को मनाना श्रेयस्कर होता श्री कृष्ण जी का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इस वार रोहिणी नक्षत्र अष्टमी के दिन न रहकर नवमी के दिन रहेगा इसलिए नवमी युक्त अष्टमी ग्रहण करना चाहिए।
अष्टमी तिथि का आरंभ 15 अगस्त रात्रि 11:49 से है अष्टमी तिथि का समापन 16 अगस्त शनिवार को रात्रि 09:34 बजे होगा।
पूजन का समय 16 अगस्त रात्रि 12:05 बजे से रात्रि 12:47 बजे तक रहेगा।
इस समय शंख एवं घंटों की आवाज से श्री कृष्ण का जन्म की खबर चारों दिशाओं में गूंजने लगेगी।
पूजन कर आरती के बाद प्रसाद वितरण के साथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत खोला जाएगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें