पुणे यूनिवर्सिटी l अंगदान भारतवर्ष की प्राचीन संस्कृति है तथा वर्तमान और भविष्य में इस दानशीलता का महत्व स्पष्ट रूप से समझना आवश्यक है. मानव जीवन में इसका महत्वपूर्ण स्थान है तथा अंग निष्क्रिय होने के कारण किसी की जान बचाने के लिए अंगदान की संस्कृति को पुनर्जीवित करना आवश्यक है. यह राय राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने व्यक्त की, सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी राष्ट्रीय सेवा योजना और छात्र विकास मंडल के संयुक्त तत्वावधान के में आयोजित 'अंगदान प्रोत्साहन करमलकर और जागरूकता अभियान' के उद्घाटन के अवसर पर वे बोल रहे थे. कोश्यारी इस अवसर पर पुणे यूनिवर्सिटी के स्वयंसेविका कुलपति डॉ.नितिन करमलकर,प्र-कुलपति के एल.एस. उमराणी, रजिस्ट्रार डॉ. प्रफुल्ल पा पवार, प्रबंधन परिषद के सदस्य राजेश पांडे, डॉ. संजय चाकगे, प्रसेनजीत फडणवीस, डॉ. महेश अबाले, डॉ. विलास उगले, डीन संकट डॉ. संजीव सोनावणे,डॉ. मनोहर चासकर, सहायता डॉ. पराग कालकर, डॉ. श्रीमती अंजलि से कुरणे, सीनेट सदस्या बागेश्री मंठालकर आदि उपस्थित थे.
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