शनिवार, 9 अगस्त 2025
शाह फिर राहुल के नाना की शरण में
इस बार श्रवण नक्षत्र,शनि के त्रियोग भद्रा रहित सर्वार्थ सिद्धि योग में बंधेगा रक्षासूत्र
बहिनों को श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि का इंतजार लंबे समय से रहता है क्योंकि इस दिन उन्हें अपने मायके जाने का मौका मिलता है अपने परिवार के साथ बैठ कर खुशियां साझा करती हुई अपने भाइयों की कलाई पर उनके दीर्घ आयु की कामना के साथ राखी बांधती है और आजीवन भाई अपनी बहिन की रक्षा के लिए बचन देता है।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद हैं ने बताया कि इस बार का रक्षाबंधन का पर 09 अगस्त शनिवार को उदया तिथि पूर्णिमा में श्रवण नक्षत्र एवं मकर राशि में चंद्रमा के रहने से मकर राशि के स्वामी भी शनि है अर्थात शनि के त्रियोग में मनाया जाएगा।श्रवण नक्षत्र के अधिपति विष्णु इस दिन सौभाग्य योग भी है इसके अधिपति ब्रह्मा जी है अतः यह पर्व ब्रह्मा - विष्णु जी की साक्षी में पूर्ण हाने से और ज्यादा पावन होगा ।
हैं ने कहा इस बार भद्रा का साया भी नहीं है अक्सर रक्षा बंधन के दिन भद्रा हुआ करती थीं तब भद्रा के समय राखी बांधना और होली जलाना शास्त्रीय निषेध है।
इस बार भद्रा शुक्रवार की रात्रि 01:52 बजे समाप्त हो रही है इस लिए शनिवार को रक्षाबंधन का पर्व निर्विघ्न संपन्न होगा।
राखी बांधने का समय :- 09 अगस्त शनिवार उदया पूर्णिमा तिथि में प्रातः 05:47 बजे से दोपहर 13:24 बजे पूर्णिमा तिथि रहते तक पूरे समय बहिनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी।
शुक्रवार, 8 अगस्त 2025
चोरी की सरकारें या चोरों की सरकारें
मुझे पता है कि 'चोर ' और ' चोरी 'असंसदीय शब्द नहीं हैं, इसलिए आज इसी विषय पर लिख रहा हूं वो भी बिना हलफनामे के, बिना गंगाजल उठाए. सच बोलने के लिए किसी हलफनामे की जरुरत नहीं होती और जो लोग हलफनामा देकर सच बोलते हैं वे अक्सर झूठ बोलते हैं. फिल्मों में गीता की कसम खाकर आपने कितने लोगों को झूठ, सफेद झूठ और सच बोलते देखा और सुना होगा, लेकिन झूठ हर हाल में झूठ होता है और सच हर हाल में सच.
लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने देश में केंद्रीय चुनाव आयोग की मिलीभगत से होने वाली वोट चोरी की वारदात को सप्रमाण मीडिया और विपक्ष के सामने रखा है. केंद्रीय और कर्नाटक चुनाव आयोग को राहुल गांधी द्वारा किया गया पर्दाफाश झूठ लगता है और केंचुआ ने राहुल गांधी से ये तमाम सबूत हलफनामे के साथ मांगे हैं. सवाल ये है कि केंचुआ किस अधिकार से हलफनामा मांग रहा है? सीधी सी बात है कि यदि राहुल गांधी झूठे तथ्य देकर देश को भ्रमित कर रहे हैं या उनका इरादा केंचुआ को बदनाम करना है तो केंचुआ को राहुल गांधी से हलफनामे के साथ सबूत मांगने के बजाय उनके खिलाफ सीधे पुलिस या अदालत के पास जाना चाहिए.
राहुल गांधी न हमारी जाति के हैं और न रिश्तेदार इसलिए मेरा कहना है कि पूरा देश यदि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के हर झूठ-सच पर यकीन करता है तो देश को लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल तनय राजीव गांधी के हर झूठ और सच को भी काबिले यकीन मानना चाहिए क्योंकि मोदी और गांधी ने लोकसभा में एक ही संविधान को साक्षी मानकर देश सेवा की शपथ ली है.दोनों जिम्मेदार सांसद हैं, जनप्रतिनिधि हैं. दोनों से हलफनामे नहीं मांगे जाना चाहिए. देश ने कभी मोदी जी से हलफनामा मांगते हुए ये नहीं पूछा कि सीजफायर के बारे में अमेरिका का दावा सही है या गलत?
लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा किए गये रहस्योदघाटन से एक बात प्रमाणित हो गयी है कि देश की सरकार ही नहीं बल्कि देश के तमाम राज्यों में बनीं डबल इंजिन की सरकारें चोरी के वोट से बनीं हैं. आप इन्हें चोरी की सरकारें या चोरों की सरकारें भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं. खिचडी के पकने का पता डेगची के एक चावल से चल जाता है, ऐसे ही देश में हो रही वोट चोरी का पता एक विधानसभा क्षेत्र के मतदान और मतदाता सूचियों की पडताल से चल चुका है. अब केंचुआ बगलें झांके या राहुल गांधी से हलफनामा मांगे, कुछ होने वाला नहीं है. ये मामला हालांकि किसी भी अदालत में चुनौती देने लायक है, लेकिन इसका निराकरण अदालत से शायद ही हो सके क्योंकि अदालत को भी केंचुआ की तरह पहले हलफनामा मांगेगा. वैसे भी अदालत का एक हिस्सा तो राहुल गांधी को सच्चा भारतीय नहीं मानता.
वोट चोरी ठीक वैसा ही अपराध है जैसे कि आपके घर से जेवर, गैस सिलेंडर या किसी दूसरे माल-मशरूके की चोरी होती है. वोट चोरी रोकने के लिए केंचुआ और सत्तारूढ दल तो खुद कुछ करने से रहा क्योंकि इन दोनों पर ही वोट चोरी का आरोप है. अव वोटर को अपना वोट खुद सम्हालना चाहिए. जो राजनीतिक कार्यकर्ता हैं वे मतदान स्तर पर सतर्क रहें. फर्जीवाडा न होने दें. वोट की चोरी रोकना बहुत कठिन नहीं है. आखिर जो होमवर्क राहुल गांधी की टीम ने एक विधानसभा क्षेत्र मे किया है वो सभी चुनाव क्षेत्रों में किया ज सकता है.
मुझे देश के मुख्य केंचुआ के अलावा राज्यों के केंचुआ से भी न्याय की कोई उम्मीद नही है. देश में वोट चोरी से सरकारें न बनें, वोट चोरों की सरकारें न बनें, ये भारतीय लोकतंत्र के लिए मोदी युग की सबसे बडी चुनौती है.
दर असल वोट बेशकीमती चीज है इसलिए उसकी चोरी होना स्वाभाविक है. यदि किसी दल को जनता अपना कीमती वोट नहीं देती तो सत्ता लोलुप दल वोट की चोरी से बाज नहीं आता. कांग्रेस से भाजपा ने बहुत कुछ सीखा है लेकिन अब मौका आ गया है कि कांग्रेस भी भाजपा से कुछ सीखे, वोट चोरी के अलावा.कांग्रेस वोट मांगती है, चोरी नहीं करती इसलिए भुगतती है. चोरी मत करो लेकिन चोरी रोको तो सही.
@ राकेश अचल
गुरुवार, 7 अगस्त 2025
छात्रावास में मुर्गा पार्टी के लिए सहायक आयुक्त दोषी - डॉ अग्र
ग्वालियर । जनजाति कार्य विभाग जिला श्योपुर के प्रभारी सहायक आयुक्त जिनका मूल पद प्राचार्य है राकेश गुप्ता गुप्ता भ्रष्टाचार के लिए चर्चित है इन्होंने एकलव्य आवासीय विद्यालय करहल जिला श्योपुर के प्राचार्य रहते हुए लगभग 3 करोड़ का वित्तीय घोटाला किया एक अपनी खास महिला रिश्तेदार गुप्ता मैडम को सभी नियमों को ताक पर रखकर अतिथि शिक्षक के पद पर नियुक्ति दी। जबकि गुप्ता मैडम ग्वालियर के प्राइवेट कॉलेज से नियमित बी एड कर रही थी इनके अलावा कई अतिथि शिक्षक बनाएं जो सभी नियमों को ताक पर रखकर बनाए गए ग्वालियर सहायक आयुक्त जनजाति कार्य विभाग के अतिरिक्त प्रभार में रहते हुए कॉफी भ्रष्टाचार किया है जिसकी जांच चल रही है।
हॉस्टल में मुर्गा पार्टी के लिए सबसे पहले जिला के सहायक आयुक्त राकेश गुप्ता को निलंबित किया जाए और राकेश गुप्ता की विभागीय जांच संस्थापित की जाए विभागी जांच में सभी शिकायतकर्ताओं को साक्ष्य के लिए गवाह बनाया जाए।
आदिम जाति कल्याण विभाग छात्रावास आश्रम शिक्षक अधीक्षक संघ ( कसस ) के संस्थापक प्रांत अध्यक्ष डॉ जवर सिंह अग्र ने रोष व्यक्त करते हुए कहा है की राकेश गुप्ता को निलंबित कर विभागीय जांच करने के स्थान पर सहायक आयुक्त का प्रभार दे दिया गया जो अनुचित है ग्वालियर में ही दो दो जांच कमेटी 2- 2 सदस्यों की घटित है जो जांच कर रही हैं राकेश गुप्ता को सभी जांचों से पहले निलंबित किया जाये तभी निष्पक्ष जांच हो सकती है।
मंगलवार, 5 अगस्त 2025
भक्त के वश में है भगवान : मुकेश पचौरी महाराज
हिंडोला झुला उत्सव मे श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ, सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बडी शाला में
अबसर पर पूरन बैराठी पीठाधीशुर स्वामी राम सेवक दास जी महाराज के पावन सानिध्य में श्री मद भागवत कथा में श्री मुकेश पचौरी महाराज ने प्रभु हमेसा अपने भक्तो के वश में रहते है प्रभु का एक नाम दीन बंधू की कहाँ गया है प्रभु के दीन बंधू नाम को सिद्ध करने के किय सुदामा जी के सुन्दर चरित का वर्णन किया श्री महाराज जी ने वताया की श्री शुकदेव जी ने जितने सम्मान ओर विश्लेषण के साथ उनका नाम लिया उतना किसी ओर के लिए नहीं लिया
हम यह कहते की प्रभु ने सुदामा जी का बहुत सम्मान किया पर यह सोचना चाहिए की प्रभु में सुदामा जी के त्याग ओर समर्पण का सम्मान किया है आज के जीव के पास सब कुछ होने पर भी उस के अंदर संतुष्टि नहीं है पर सुदामा जी के घर में खाने को अन्न नहीं पहन ने को वस्त्र नहीं रहने को छत नहीं फिर भी उन के भीतर परम सांतोष है पर आज के जीव के भीतर सांतोस नहीं है इस लिए सब कुछ होने पर भी शांति का अनुभब नहीं कर पाता इस लिए हमें कथा से हमें यह सीखना है की जीवन में सांतोष होना जरुरी है तभी प्रभु की कृपा होगी कथा में श्री मन महाराज जी ने कहाँ की हमारा मन बड़ा चंचल है इस चंचल मन को प्रभु के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए मन को प्रभु चरणों में लगाने के तीन साधन बताय विशवास सम्बन्ध ओर समर्पण प्रभु के प्रति हमारा सम्पूर्ण समर्पण होना चाहिए यही सच्ची भक्ति है एवं कथा के विश्राम में गुरु की महिमा का वर्णन किया जीवन में गुरु बहुत ही जरुरी है गुरु ऐसा होना चाहिए की जो हमें संसार चक्र से निकल कर परमात्मा से मिला दे कथा के विश्रम में शुकदेव जी का पूजन किया गाय ओर सुंदर भजनो की प्रस्तुति के भक्तो को झूमने पर विवस कर दिया ओर कथा कृष्ण सुदामा जी की सुन्दर झांकी का दर्सन किया यज्ञ हवन से देवता प्रसन होते है ओर प्रकृति सुद्ध होती है सिद्ध पीठ श्री गंगा दास जी की साला में के अबसर पर पूरन बैराठी पीठधीशुर स्वामी रामसेवक दास जी महारज ने बताया की की किसी भी धार्मिक कार्य की पूर्णता हवन के द्वारा ही सम्पन होती है विगत सात दीन के चल रही भागवत कथा का विश्राम हवन के साथ हुआ महाराज जी ने बताया की हवन करने से देवता तो प्रसन होते ही है उस के साथ प्रकृति भी भी सुद्ध होती हवन की सुगन्धि से अनेक रोगो का नास होता है जल वायु पवित्र हो जाती सिद्ध पीठ में कारिक्रम के आचार्य श्री राम चन्द्र दास जी ने पुरे बिधि बिधान से वेद मंत्रो का उच्चारण करते हुए हवन कराय हवन के की पूर्ण आहुति में पूज्य महंत स्वामी रामसेवक दास जी महाराज इस अवसर पर संत श्री राम दास जी श्री दास जी संत श्री उड़िया बाबा श्री भुवनेश वैण्णव मुरल
श्रीवास्तव राजू कंकर सुनील कंकर अमित शर्मा
हिंडोला झूला उत्सव 27 जुलाई झूला तीज से आरंभ हुआ, हजारों की संख्या मे भक्तों ने नीत्य झूला के दर्शन कर झूला झूलाया व आशिर्वाद प्राप्त कीए हिंडोला झूला उत्सव समापन मे पूरण वैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक रामसेवक दास जी ने बडी शाला के सभी भक्तों को आशिर्वाद देकर कहा की हिंडोला झूला उत्सव हमारे बडी शाला की परंपरा मे शामील है
हम बोलेगा तो बोलोगे के बोलता है?
सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति माननीय दीपांकर दत्ता ने राहुल गांधी पर जोरदार टिप्पणियां की हैं. वे जोरदार इसलिए हैं क्योंकि न्याय की सबसे ऊंची कुरसी पर बैठे अधिकारी ने की हैं, लेकिन सवाल ये है कि क्या देश की माननीय अदालत ऐसी तल्ख और हास्यास्पद टिप्पणियां उन लोगों के बारे में भी कर सकती है जो संसद में रोज झूठ परोसते हैं और इस देश के नवनिर्माण की नींव रखने वाले जननायकों को खलनायक बताने में रत्तीभर संकोच नहीं करते?
हिंदी में एक फिल्म आई थी. नाम था कसौटी. इस फिल्म का एक गीत था-हम बोलेगा तो बोलोगे कि बोलता है . वर्मा मलिक के लिखे इस गीत को राहुल गांधी पर फिल्माया जा सकता है क्योंकि जब राहुल गांधी बोलते हैं तो वो प्रधानमंत्री को भी चुभता है, भाजपा को भी चुभता है और छोटी से लेकर बडी अदालत भी राहुल को गुनाहगार मानकर या तो सजा सुना देती है या लताड लगा देती है.
अगर मेरी याददाश्त सही है तो राहुल गांधी ने पूरे तथ्यों पर चीनी घुसपैठ की बात कही थी. जो राहुल ने कहा उसे उनसे पहले लद्दाख से भाजपा के ही तब के सांसद ने, सेना ने, भाजपाई सुब्रमण्यम स्वामी ने, अमेरिकी सेटेलाइट ने भी की थी। राहुल के बोल लोकसभा की कार्रवाई में भी दर्ज हैं. नेताओं को कोई बात के लिए यदि अदालतें इसी तरह फटकारने लगें तो फिर कोई नेता न संसद में बोलेगा और न सडक पर.
राहुल यदि गलतबयानी के दोषी हैं तो अदालत उन्हें फटकार लगाकर चुप क्यों हो गई. अदालत को राहुल के खिलाफ सजा का ऐलान करना था ताकि ये फैसला गाल बजाने वाले, झूठ परोसने वाले संवैधानिक पदों पर बैठे तमाम नेताओं पर भी नजीर की तरह आयद किया जा सकता.
शायद राहुल गांधी सही थे,इसीलिए चाहकर भी उनके खिलाफ फैसला नहीं दिया गया.केवल फटकार लगाई गई.। आपको बता दें कि देश की विभिन्न अदालतों में तीस से अधिक केस राहुल के खिलाफ किए हुए हैं। सत्तारुढ दल, भाजपा की मातृ संस्था राहुल के सत्य परेशान है और उसे संयोग से अदालतों में बैठे संघप्रिय विधिवेत्ताओं का भी समर्थन मिल रहा है.पर सत्य पराजित नहीं होता.
अदालती फैसले को ढाल बनाकर राहुल को लोकसभा से निकाल दिया गया, सरकारी आवास छीन लिया गया, लेकिन जनता ने उन्हे समर्थन देकर सब कुछ वापस दिला दिया. ये किसी अदालत की कृपा से नहीं हुआ. जनता की अदालत के फैसले के बाद हुआ.
मै ये नहीं कहूंगा कि राहुल उस विरासत से आते हैं जो फौलादी इरादों के लिए जानी जाती है। यदि मै ये कहूंगा तो भक्तमंडल मुझे भी मिथ्यावादी कहने से नहीं हिचकेगा. मुझे ये भी नही लगता है कि राहुल गांधी को फटकार लगाकर माननीय न्यायमूर्ति भी अपने पूर्वज दीपक मिश्रा, रंजन गोगोई, डी वाई चंद्रचूड़ की कतार में लग अपने को न्यायिक इतिहास के उन पन्नों में दर्ज कराने को आतुर हैं जो लोकनिंदा से रंगे पडे हैं.
इस फटकार में और प्रधानमंत्री के भाषण में जो साम्य है उससे फटकारने वालों की वैचारिक प्रतिबद्धता आसानी से समझी जा सकती है। .सावरकर मामले में भी राहुल गांधी पर कमोवेश इसी तरह की टिप्पणी की गई थीं और पिछले 11साल में न्यायपालिका में जो नयी फसल आयी है उसकी मानसिकता एक अलग तरह की है, इसलिए भविष्य में भी राहुल गांधी और उन जैसे तमाम लोग जो सत्ता प्रतिष्ठान के सामने सवालों को लिए खडे होते हैं ऐसी टिपपणियां सुनने की आदत डाल लें.
न्यायपालिका आखिर देवता संचालित नहीं करते. न्यायपालिका किसी भी देश में तंत्र का ही अंग होता है. इसलिए उसकी सुचिता, विश्वसनीयता पर सबको गर्व होता है. मुझे भी है. लेकिन कभी कभी मै भी विचलित होता हूँ. आखिर हूँ तो आम आदमी ही, जज तो हूँ नही. जज और डाक्टर में परमात्मा विराजते हैं ये जजों को भी मानना चाहिए. वरना जब राहुल हो या और कोई यदि कुछ बोलेगा तो बोलोगे कि -बोलता है.
@राकेश अचल
दीवारों के कान हैं गुरू
दीवारों के कान हैं गुरू
दीवारें भगवान हैं गुरु
🙏
बिलकुल हम जैसी लगतीं हैं
दीवारें इनसान हैं गुरु
🙏
भीडभाड में अलग थलग सी
दीवारें पहचान हैं गुरु
🙏
आंगन में भी खडी हो गईं
दीवारें शैतान हैं गुरु
🙏
कभी कभी ऐसा लगता है
दीवारें वरदान हैं गुरु
🙏
घर का पर्दा हैं दीवारें
दीवारें नादान हैं गुरु
🙏
कौन गिराएगा दीवारें
दीवारें ही शान हैं गुरु
🙏
नजरबंद हैं दीवारों में
दीवारें ही डॉन हैं गुरू
🙏
@ राकेश अचल
सोमवार, 4 अगस्त 2025
कसस के प्रांत अध्यक्ष डॉ अग्र ने प्रमुख सचिव से छात्रावास आश्रम में शिष्यावृति राशि भेजने की मांग
कब और कहां नजर आएगी ' सिंदूरी स्पिरिट '?
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने पिछले दिनों सदन में कहा था कि ये देश अब सिंदूरी स्पिरिट से चलेगा, लेकिन ये सिंदूरी स्पिरिट अभी दूर - दूर तक नजर नहीं आ रही है.मोदीजी और उनकी टीम के लिए सबसे बडी चुनौती देश में सिंदूरी स्पिरिट का संचार करने की है.
भारत देश हमेशा एक ही स्पिरिट से आगे बढा है और वो स्पिरिट थी भाईचारे की स्पिरिट. सर्व -धर्म समभाव की स्पिरिट. लेकिन 2014 के बाद मौजूदा सरकार ने नेहरू युग की इस स्पिरिट को तिलांजलि दे दी. देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को योजनाबद्ध तरीके से खलनायक बनाने का अभियान चलाया किंतु कोई कामयाबी नहीं मिली. उलटे नेहरू का भूत प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा के सामान्य कार्यकर्त्ता के सिर चढकर बोलने लगा. भाजपा और संघ ने मिलकर नेहरू की तस्वीर यानि छवि पर सिंदूर पोतने की कोशिश की लेकिन नेहरु की छवि धूमिल होने के बजाय और चमकदार हो गई.
माननीय मोदी जी सिंदूर स्पिरिट के साथ दुनिया के जिस देश में भी गए वहाँ उन्हे नेहरू जी मुस्कराते हुए मिले. मोदीजी को चाहे, अनचाहे नेहरु जी को न सिर्फ माल्यार्पण करना पडा बल्कि शीश भी झुकाना पडा. भाजपा का सिंदूर बेअसर निकला. आपरेशन सिंदूर के बाद भी, मोदीजी द्वारा संसद में नेहरू को जी भरकर कोसा गया किंतु नेहरू जी का कुछ नहीं बिगडा.जो नुक्सान हुआ वो भाजपा का हुआ. मुश्किल ये है कि भाजपा इस हकीकत को समझने के लिए तैयार नहीं है.
भाजपा के नेता दोनों हाथों मे तलवारें हैं लेकिन वे चल नहीं रहीं. भाजपा शासन में नेहरू ही नेहरू छाए हुए है. नेहरु से बचने की कोशिश जितनी तेज हुई है उतने ही आवेग से नेहरू पलटकर आ रहे हैं. बीती रात एक दृष्टिहीन भक्त ने कहा कि ये नेहरू हमें चैन से नहीं जीने दे रहे. हम इनकी प्रतिमा तोड देंगे. मैने उन्हे जब उन्हे नेहरू का प्रतिमा स्थल बताया तो वे पलायन कर गये.
बात सिंदूरी स्पिरिट की है. ये स्पिरिट कैसे पैदा होती है ये मोदी जी के अलावा और कोई नहीं जानता. आपरेशन सिंदूर के बाद घर - घर सिंदूर बांटने की योजना फ्लाप होने के बाद सिंदूरी स्पिरिट का जुमला तो उछाल दिया गया लेकिन इसके लिए करना क्या पडेगा ये किसी को पता नहीं है, इसलिए फिलहाल घर - घर तिरंगा पहुंचाकर सिंदूरी स्पिरिट पैदा करने की कोशिश की जा रही है.
कहते हैं कि एक बार सिंदूरी स्पिरिट पवनसुत हनुमान में पैदा हुई थी. सीतामाता की मांग में सिंदूर देखकर. माँ सीता से हनुमान ने मांग में सिंदूर लगाने की वजह पूछी थी. सीता जी ने बताया कि सिंदूर राम जी के नाम का है और इसे देखकर वे खुश होते हैं. बाद में रामजी को खुश करने के लिए पवनसुत ने अपनी देह पर सिंदूरी चोला चढा लिया था. मोदी जी की सिंदूरी स्पिरिट के पीछे शायद यही अवधारणा है.
हमारा मानना है कि देश आगे बढना चाहिए, फिर चाहे स्पिरिट सिंदूरी हो, बैगनी हो, हरी हो, लाल हो या पीली हो. किंतु मुश्किल ये है कि मोदी जी सिंदूरी रंग पर अटक गये हैं. वे सिंदूर को छोडना ही नही चाहते. प्राण जाएं पर वचन न जाई की तर्ज पर मोदी का संकल्प है कि प्राण जाएं पर सिंदूर न जाई. हमें भी सिंदूर से, आपरेशन सिंदूर से कोई आपत्ति नहीं है. हम तो हर कदम पर मोदी जी के साथ हैं. पूरा देश उनके साथ है. विपक्ष ने भी आपरेशन सिंदूर पर मोदी जी का साथ दिया था किंतु मोदी जी ही इस साथ को स्थायित्व प्रदान नही कर सके.
जिस सिंदूर के कारण देश एक हुआ था उसी सिंदूर के कारण एकता बिखरती दिखाई दे रही है. भाजपा और मोदी जी सत्ता की देवी को अखंड सौभाग्य देने के लिए उसकी मांग में टनों सिंदूर भर देना चाहते हैं. उनका ये प्रयोग सफल होता इससे पहले ही जगदीप धनकड साहब इस्तीफा देकर सुर्खियां बटोर ले गये. अब सुर्खियों में एस आई आर और राहुल गांधी हैं, डोनाल्ड ट्रंप हैं लेकिन सिंदूर और सिंदूरी स्पिरिट को जगह नहीं मिल पा रही है.
@राकेश अचल
रविवार, 3 अगस्त 2025
आरोपः पुनर्घनत्वीकरण योजना के नाम पर पेड़ों का काटना बंद किया जाए : महेश मदुरिया
दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग
ग्वालियर । पुनर्घनत्वीकरण योजना थाटीपुर में ट्रांसप्लांट के नाम पर 15 बर्ष की उम्र से लेकर 100 वर्ष से भी अधिक उम्र के पेड़ों को सुखा दिया नशहत्या कर दी यह आठ पेड़ तो उदाहरण है ऐसे दो-तीन हजार पेड़ों को काट दिया गया ।
इसी तरह ट्रांसप्लांट करने के लिए करोड़ों का ठेका दिया गया है हमारे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पूरे भारत में एक पेड़ मां के नाम योजना चला रहे है पर्यावरण प्रेमी पेड़ लगाते हैं देश की जनता पेड़ लगाती है लेकिन शासन प्रशासन पेडों को कटवा रहा है वृक्षारोपण के नाम पर प्रचार प्रसार में लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन जो पेड़ लगे हुए हैं उनको काटा जा रहा है जबकि पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने का नियम है की 32 सेंटीमीटर से मोटे पेड़ का और 10 फुट से ऊंचे पेड़ का ट्रांसप्लांट नहीं किया जाए फिर भी ठेकेदारों ने और हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने 5 फुट मोटे और 25 से 50 फीट ऊंचे कई पेड़ों को काट दिया है।
वरिष्ठ पर्यावरण प्रेमी समाजसेवी मध्य प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के पूर्व प्रदेश संयोजक शहर जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री महेश मदुरिया ने पेड़ों को काटने और कटाने वाले हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों तथा ठेकेदारों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है । साथ ही अभी भी जो पेड़ बचे हुए हैं उन्हें बचाने की अपील की है ।
एक पेड़ मां के नाम जो यह अपील करते हैं भारत के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री और मंत्रीगण एक पेड़ मां के नाम जो पेड़ बच्चे हैं उन पर ध्यान दें और पेड़ों को बचाया जाए और दोषियों का बिरुद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही की जाए पेड़ बचेंगे तो हम और आप बचेंगे ऑक्सीजन ही नहीं मिलेगी तो हम और आप कैसे बचेंगे और जो पेड़ काटे गए हैं वह नीम पीपल जामुन आम आंवला हरसिंगार सहतूत अमरूद आदि पेड़ शामिल हैं करीब फलदार वृक्ष और औषधि गुणों से भरपूर थे को भी नष्ट किया गया है जबकि माननीय उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश ग्वालियर ब्रांच का स्पष्ट आदेश है केवल 79 पेड़ काटे जाएं और 300 पेड के लगभग ट्रांसप्लांट किए जाएं लेकिन हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने और ठेकेदारों ने भी उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना कर दी है वह हजारों पेड़ों को काट दिया गया और सुखा दिया गया जो फोटो आज प्रेस विज्ञप्ति के साथ दिए गए हैं जो सभी पेड़ सूखे हुए हैं उदाहरण के लिए आठ पेड़ों के फोटो है जो बिल्कुल सूख चुके हैं सुख दिए गए हैं पर्यावरण प्रेमी समाजसेवी महेश मदुरिया ने ग्वालियर के सभी समाजसेवी और पर्यावरण प्रेमियों से आम जनता से अपील की है की अब जो भी थाटीपुर क्षेत्र में बच्चे हैं पेड़ों को बचाने के लिए आगे आए और शासन प्रशासन इन पेड़ों को बचाएं पेड़ काटने वालों के विरुद्ध कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए साथ ही मध्य प्रदेश सरकार और ग्वालियर का प्रशासन इस ओर ध्यान दें बचे हुए पेड़ों को बचाऐं छोटे हो चाहे बड़े हो ग्वालियर के पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवियों को अब जाग जाना चाहिए और पेड़ों को बचाना चाहिए।
धर्म की तरह मित्रता भी सनातन भाव
दुनिया ने मैत्री दिवस कोई डेढ दशक पहले मनाना शुरू किया किंतु मैत्री भाव उतना ही पुराना भाव है जितना धर्म. जैसे धर्म की उत्पत्ति को लेकर दुनिया में मतैक्य नहीं है वैसे ही मैत्री को लेकर हर भूभाग में अपनी अलग परिभाषा है. लेकिन दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं है जिसके भीतर मैत्री भाव न हो. दुनिया में दोस्ती सबसे अनमोल रिश्ता है. रक्त संबंध भी जहाँ काम नहीं आते वहाँ दोस्ती काम आ जाती है.असुर, किन्नर सब मित्रता के भूखे होते हैं यहाँ तक कि जलचर, थलचर और नभचर भी मित्रता के दीवाने होते हैं.
संयुक्त राष्ट्र ने 2011 में 30 जुलाई को आधिकारिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस घोषित किया था, लेकिन कई देश, विशेष रूप से भारत, इसे अगस्त के पहले रविवार को मनाते हैं। इस दिन लोग अपने दोस्तों के साथ समय बिताते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं, और मैत्री सूत्र बांधते हैं। साल 2025 में, यह 3 अगस्त को है. यह दिन दोस्ती के बंधन को सेलिब्रेट करने और आपसी समझ, शांति, और एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
हमारे यहाँ मित्रता की अनंत कहानियाँ हैं. हितोपदेश की कहानियाँ तो सबसे अनूठी हैं हमारे कहानीकारों ने अंधे ंलंगडों की मैत्री की कहानियाँ खूब लिखीं. बंदर, मगर की दोस्ती, चूहे शेर की दोस्ती के कितने किस्से हैं. दर्जनों भारतीय फिल्में और उनके गीत का केंद्र ये मित्रता ही है. संस्कृत में कहावत है कि आदो मित्रोपरिक्षेत् न तो मित्रो समाश्रयेत. अर्थात मित्र बनाने से पहले उसे परखो फिर उस पर आश्रित होना चाहिए. असल मित्र वो है जो सुखमें, दुख में समभाव रखता हो.
हम लोग बचपन से मित्राश्रित रहे हैं. जिसका कोई दुश्मन न हो वो सबका मित्र यानि अजातशत्रु कहलाता है. जो सबका शत्रु होता है उसके पास भी एक न एक मित्र अवश्य होता है. मित्र समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था, कारोबार, संप्रभुता सबमें उपयोगी होता है. हमारी फिल्मों के गीत तो कहते हैं कि कोई जब राह न पाए, मेरे संग आए, पग पग दीप जलाए. तेरी दोस्ती मेरा प्यार.. दोस्ती का रिश्ता ईमान का और जिंदगी भर का रिश्ता है. तभी हम कह पाते हे कि ये दोस्ती, हम नहीं तोडेंगे. यार की शादी हो या कुछ और अलग ही आनंद देता है.
सनातन कहानियाँ आपने पढी ही होँंगी. त्रेता में राम और केवट की मैत्री द्वापर में कृष्ण सुदामा की दोस्ती के उदाहरण आज भी दिए जातें हैं.
कृष्ण और सुदामा बचपन में गुरुकुल में साथ पढ़ते थे और गहरे मित्र बन गए। कृष्ण, जो भगवान विष्णु के अवतार थे, बाद में द्वारका के राजा बने, जबकि सुदामा एक गरीब ब्राह्मण रहे। वर्षों बाद, सुदामा की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई। उनकी पत्नी ने उन्हें कृष्ण से मदद मांगने का सुझाव दिया, लेकिन सुदामा को संकोच था। फिर भी, वह अपने मित्र से मिलने द्वारका गए, अपने साथ केवल एक मुट्ठी चावल लेकर, जो उनकी पत्नी ने प्रेम से बांधा था।
जब सुदामा द्वारका पहुंचे, कृष्ण ने उनका भव्य स्वागत किया। सुदामा की सादगी और उनके द्वारा लाए गए चावल को देखकर कृष्ण भावुक हो गए और उन्होंने वह पोहा बड़े प्रेम से खाया। सुदामा अपनी गरीबी के बारे में कुछ न कह सके, लेकिन कृष्ण, जो अंतर्यामी थे, उनकी स्थिति समझ गए।
जब सुदामा घर लौटे, तो उन्होंने देखा कि उनकी झोपड़ी एक भव्य घर में बदल गई थी, और उनकी सारी आर्थिक समस्याएं दूर हो गई थीं। यह सब कृष्ण की कृपा थी, जिन्होंने अपने मित्र की मदद बिना कहे कर दी।
यह कहानी सच्ची मित्रता की शक्ति को दर्शाती है, जो धन, वैभव, या सामाजिक स्थिति से परे होती है। कृष्ण और सुदामा की मित्रता हमें सिखाती है कि सच्चा मित्र वही है जो बिना स्वार्थ के अपने मित्र की मदद करता है और उसका सम्मान करता है।
दुनिया में किसी का भी शासन रहा हो दोस्ती हर वक्त सराही गई. कोई भी प्रजाति हो दोस्ती सबको अजीज रही. कलियुग में दोस्ती के बिना तो बात बनती ही कहाँ है. व्यक्तियों की दोस्ती दो राष्ट्रों की दोस्ती में बदल जाती है. संस्कृतियों में भी मैत्री भाव रिश्तों को प्रगाढ करता है. भारत रुस की दोस्ती की तो नजीर पेश की जाती है. आजकल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती अग्निपरीक्षा से गुजर रही है.
हकीकत ये है कि दोस्त के बिना कोई भी सुखी नहीं रह सकता. दोस्ती चहे पावक को साक्षी मान की जाए या बिना किसी साक्षी के अपना काम करती है. दोस्ती परस्पर प्रेम, लगाव,, विश्वास, और समर्थन के मजबूत स्तंभों पर खडी होती है. दोस्ती बैशाखी नहीं है, दोस्ती आलंबन है. तीसरा नेत्र है. दोस्ती कंधा भी है और कवच भी.
बहरहाल आज आप भी अपने दोस्त के साथ दिन बिताइए. जिसके पास दोस्त नहीं होता, वो मेरी दृष्टि में सबसे गरीब इनसान है. इसलिए हरदम दोस्ती जिंदाबाद का नारा बुलंद रखिए. क्योंकि जहाँ मिल जाऐ चार यार वही ं जिंदगी गुलजार हो जाती है.
@ राकेश अचल
शनिवार, 2 अगस्त 2025
कान्यकुब्ज सेवा संघ की कार्यकारणी का निर्वाचन : भुवनेश्वर वाजपेई (सोनू), अध्यक्ष संजय दीक्षित सचिव बने
ग्वालियर ।कान्यकुब्ज सेवा संघ की कार्यकारणी का निर्वाचन कान्यकुब्ज सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री कौशल वाजपेई की अध्यक्षता और सचिव संजय दीक्षित सलाहकार शिवाजी राव दीक्षित और अन्य सदस्यों की उपस्थित मैं श्री के के हॉस्टल खेड़ापति कॉलोनी में निर्विरोध सम्पन्न हुआ ।
जिसमें अध्यक्ष श्री भुवनेश्वर वाजपेई (सोनू), सचिव एडवोकेट किशोर दीक्षित, कोषाध्यक्ष श्री शशांक दीक्षित, आय व्यय परीक्षक श्री नरेश शुक्ला, सलाहकार श्री अजय वाजपेई (आर्किटेक्ट), का निर्वाचन हुआ।
उपाध्यक्ष पद पर श्रीमती रंजना दीक्षित, व्यंजना मिश्रा, रानी मिश्रा, शीला दीक्षित एवं श्री अंशुल वाजपेई, आशीष पांडेय, सुरेश चंद्र तिवारी निर्विरोध चुने गए और सहसचिव पद पर श्रीमती वसुंधरा तिवारी, एडवोकेट जितेंद्र दीक्षित, अनुज कांत मिश्रा, अनुराग दीक्षित, सुमित वाजपेई अमित दीक्षित (सोनू) भी सर्व सम्मति से निर्वाचित हुए एवं प्रचार मंत्री के लिए श्री मनीष दीक्षित (मोरार), डॉ सिद्धांत द्विवेदी, आशुतोष मिश्रा, पवन पांडेय, अनीश अवस्थी, श्री अनिल दीक्षित का निर्विरोध निर्वाचन हुआ ।
कार्य करणी के सदस्यों मैं श्रीमती सरोज मिश्रा, चंद्रकांत मिश्रा (बीटू), डॉ कुलदीप चतुर्वेदी, एड दिवाकर दीक्षित, एड समीर पाण्डेय, श्रीमती अलका दीक्षित, एड एम एम त्रिपाठी, विवेक दीक्षित, संजीव दीक्षित, श्रीमती अर्चना मिश्रा, राजीव दीक्षित, मोहित दीक्षित, शैलेन्द्र दुबे, संजय घनश्याम दीक्षित, प्रशांत पाण्डेय, अभिषेक दीक्षित, दिलीप दीक्षित, लक्ष्मीकांत दीक्षित, धूमकेश्वर दीक्षित, एडवोकेट संजय रामनारायण दीक्षित, सुवीर मिश्रा, पुष्कर दीक्षित का निर्विरोध निर्वाचन संपन्न हुआ।
इसी प्रकार समस्त कार्यकारिणी की संपूर्ण सहमति से श्री सनद दीक्षित जी को ट्रस्टी सदस्य निर्वाचित किया गया एवम एक संरक्षक मंडल की भी घोषणा की गई जिसमें कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के वरिष्ठ सदस्यों का मार्ग दर्शक मंडल बनाया गया जिसमें सर्व श्री अनूप मिश्रा (पूर्व मंत्री), दीपक वाजपेई, घनश्याम दीक्षित, राकेश मोहन दीक्षित, राकेश दीक्षित, राजेश दीक्षित, एड शिवाजी राव दीक्षित, एड कौशल वाजपेई, एड संजय दीक्षित, एड अरुण वाजपेई , दुष्यंत दीक्षित, राजेश त्रिपाठी, एड प्रवीण मिश्रा, प्रवीण दुबे, अलकेश त्रिपाठी, आलोक दीक्षित के नामों को प्रस्तावित कर अंतिम निर्णय लिया गया की सभी मिलकर मार्गदर्शक मंडल के निर्देशन मैं आगामी समय मैं समाज हित मैं कार्य संपन्न करते रहेंगे।
धन्यवाद सहित। अध्यक्ष श्री कान्यकुब्ज सेवा संघ श्री कान्यकुब्ज छात्रावास खेड़ापति कॉलोनी ग्वालियर (म. प्र.) दिनांक
बिहार चुनाव से पहले नया धनकड चुनने की मजबूरी
बिहार विधानसभा चुनाव में हार का डर सत्तारूढ दल को इतना ज्यादा सता रहा है कि केंद्र ने नये उपराष्ट्रपति का चुनाव बिहार विधानसभा से पहले कराने का निर्णय ले लिया गया है.चुनाव आयोग ने शुक्रवार को घोषणा की कि उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 9 सितंबर को होंगे। उपराष्ट्रपति चुनाव की अधिसूचना 7 अगस्त को जारी की जाएगी और नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त होगी। नतीजे मतदान के दिन 9 सितंबर को ही घोषित हो जाए. याद होगा कि जगदीप धनखड़ के 22 जुलाई को इस्तीफा देने के बाद यह पद रिक्त है.
मेरी जानकारी के मुताबिक भारत में उपराष्ट्रपति का पद अधिकतम छह महीने तक रिक्त रह सकता है। संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद रिक्त होने की स्थिति में, जैसे कि इस्तीफा, निधन, या अन्य कारणों से, नया उपराष्ट्रपति चुनने के लिए छह महीने के भीतर चुनाव कराना आवश्यक है। इस दौरान, राष्ट्रपति या कोई अन्य निर्धारित व्यक्ति उपराष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन कर सकता है.
सरकार अगर चाहती तो उपराष्ट्रपति का चुनाव नये साल में भी हो सकते थे लेकिन सरकार ये चुनाव बिहार विधानसभा चुनाव से पहले करा लेना चाहती है ताकि चुनाव का गणित न बिगडे. बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जो सूचनाएं सरकार के पास हैं वे चिंता पैदा करने वाली हैं.हालांकि एक राज्य के विधायकों की संख्या में हेर फेर का उपराष्ट्रपति चुनाव पर कोई ज्यादा असर नहीं पडता लेकिन यदि हवा उलटी चल पडे तो उसे रोकना य अनुकूल बनाना कठिन तो हो ही जाता है.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के अंतर्गत निर्वाचन आयोग भारत के उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव कराता है। इसमें संविधान के अनुच्छेद 66(1) के अनुसार, भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य, राज्यसभा के मनोनीत सदस्य और लोकसभा के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। इसमें राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम की बात करें तो 1974 के नियम 40 के अनुपालन में निर्वाचन आयोग को इस निर्वाचक मंडल के सदस्यों की एक अद्यतन सूची, उनके नवीनतम पते सहित, तैयार करने और बनाए रखने का अधिकार है।
इससे पहले चुनाव आयोग ने बताया था कि उसने उप राष्ट्रपति चुनाव, 2025 के लिए निर्वाचक मंडल की सूची को अंतिम रूप दे दिया है। इन सदस्यों को एक सतत क्रम में सूचीबद्ध किया गया है। सभी सदस्यों को वर्णमाला क्रम में उनके संबंधित सदनों के राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के आधार पर व्यवस्थित किया गया है।
इससे पहले धनखड़ ने 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि उनके कार्यकाल की समाप्ति में अभी दो साल से ज्यादा का समय बाकी था। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा दिया था.धनखड़ के इस्तीफे के दो दिन बाद ही चुनाव आयोग ने नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। हालांकि, धनखड़ ने अपने पांच साल के कार्यकाल के केवल दो साल के भीतर इस्तीफा दिया, फिर भी उनके उत्तराधिकारी को पूरा पांच साल का कार्यकाल मिलेगा, न कि शेष बचा है
आगामी चुनाव में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को स्पष्ट बढ़त हासिल है। 543 सदस्यीय लोकसभा में पश्चिम बंगाल के बशीरहाट की एक सीट रिक्त है, जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में पांच रिक्तियां हैं। राज्यसभा की पांच रिक्तियों में से चार जम्मू-कश्मीर से और एक पंजाब से है। पंजाब की यह सीट पिछले महीने हुए उपचुनाव में राज्य विधानसभा के लिए चुने जाने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) के नेता संजीव अरोड़ा के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। दोनों सदनों की प्रभावी सदस्य संख्या 782 है और जीतने वाले उम्मीदवार को 391 मतों की आवश्यकता होगी, बशर्ते सभी पात्र मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करें।
लोकसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग को 542 सदस्यों में से 293 का समर्थन प्राप्त है। सत्तारूढ़ गठबंधन को राज्यसभा में 129 सदस्यों (प्रभावी सदस्य संख्या 240) का समर्थन प्राप्त है, बशर्ते कि मनोनीत सदस्य राजग उम्मीदवार के समर्थन में मतदान करें। सत्तारूढ़ गठबंधन को कुल 422 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। संविधान के अनुच्छेद 66 (1) में प्रावधान है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत के माध्यम से होगा तथा ऐसे चुनाव में मतदान गुप्त मतदान द्वारा होगा। इस प्रणाली में मतदाता को उम्मीदवारों के नाम के सामने अपनी प्राथमिकताएं अंकित करनी होती है.
मजे की बात है कि धनकड का इस्तीफा अभी भी रहस्यपूर्ण बना हुआ है. सरकार आननन फानन में उपराष्ट्रपति के पद पर संघ का कोई नया प्रचारक बैठाकर संगठन और संघ में मोशा की जोडी को लेकर पनप रहे असंतोष को कम करना चाहती है. सितंबर का महीना वैसे भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख डॉ मोहन भागवत को वानप्रस्थी बना रहा है. दोनों सितंबर में ही 75 साल के हो जाएंगे. संघ ने परोक्ष रुप से मोदी पर पद छोडने के लिए दबाब बनाया है लेकिन मुझे नहीं लगता कि ऐसा हो पाएगा. बहरहाल सितंबर का महीना भारतीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण तो बन ही गया है.
@राकेश अचल
शुक्रवार, 1 अगस्त 2025
भोपाल के मछली परिवार का संरक्षक कौन?
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल तालाबों का शहर है लेकिन इसमें जो मछलियांऔर मगरमच्छ पल रहे हैं वे बडे अलग किस्म के हैं. ये मछलियां और मगरमच्छ दर असल नशे के कारोबार में लिप्त हैं. इन्हे 2003 से अब तक पालने वाले लोग अब परेशान हैं क्योंकि पुलिस और जिला प्रशासन ने 'मछली परिवार' के खिलाफ ठोस कार्रवाई शुरु की है. इस परिवार की अवैध संपत्तियों को हताईखेड़ा डैम इलाके सहित 6 स्थानों पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया. इनकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपये बताई जाती है.इन संपत्तियों में सरकारी जमीन पर बिना इजाजत के बनाए गए मदरसा, मैरिज लॉन, रिसॉर्ट, कारखाना, फार्महाउस और गोदाम शामिल हैं.
हकीकत ये है कि ये जो मछली परिवार है भाजपा की कृपा से सरसब्ज हुआ, क्योंकि प्रदेश में 18 महिने के अल्प कालखंड को छोडकर मप्र में भाजपा का अखंड राज है. इस लंबे कार्यकाल में से सुश्री उमा भारती कुल 9 महीने मुख्यमंत्री रहीं इसलिए वे मछली पालन के लिए शायद ही सोच सकीं हों. स्वर्गीय बाबूलाल गौर अब हैं नहीं इसलिए यदि उन्होंने मछली परिवार को संरक्षण दिया भी हो तो कुछ किया नहीं जा सकता.शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कुल मिलाकर लगभग 18 वर्ष और 3 महीने तक कार्यरत रहे।इसलिए ये आसानी से कहा जा सककता है कि अनैतिक कारोबार का मालिक मछली परिवार चौहान की कृपा, या देखी, अनदेखी से पनपा.
चौहान का पहला कार्यकाल 29 नवंबर 2005 से 12 दिसंबर 2008 तक लगभग 3 वर्ष रहा. ऐसे में हो ही नहीं सकता कि मछली परिवार की शोहरत चौहान के कानों तक न पहुंची हो. शिवराज सिंह चौहान का दूसरा कार्यकाल 12 दिसंबर 2008 से 14 दिसंबर 2013 तक 5 वर्ष का रहा. इसमें तो निश्चित ही मछली परिवार उनके संपर्क में आया ही होगा.शिवराज का तीसरा कार्यकाल14 दिसंबर 2013 से 17 दिसंबर 2018 तक फिर 5 वर्ष का था और वे चौथी बार 23 मार्च 2020 से 12 दिसंबर 2023 तक लगभग 3 वर्ष और 9 महीने मप्र के मुख्यमंत्री रहे इसलिए मप्र में मछली परिवार के पनपने की सारी नैतिक, अनैतिक जिम्मेदारी शिवराज सिंह चौहान की है.
शिवराज सिंह चौहान के बाद मछली परिवार को यदि किसी का संरक्षण मिला होगा तो तय है कि वो कोई और नहीं बल्कि इलाके का विधायक होगा. विधायक कौन है, किस दल का है ये पुलिस को भी पता है और जनता को भी, लेकिन मछली परिवार मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की पुलिस के जाल में फंसा तब जब पानी सिर के ऊपर हो गया. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की पुलिस को भी मछली पकडने लंबा समय लग गया. यानि कोई एक साल 8 महीना रहा.डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में 13 दिसंबर 2023 को शपथ ग्रहण की थी।
एसडीएम हुजूर विनोद सोनकिया के मुताबिक यह कार्रवाई शकील अहमद और शारिक (पिता शरीफ), इरशाद (पिता सरफराज), अताउल्लाह (पिता मुफ्ती), शारिक उर्फ मछली, सोहेल अहमद और शफीक अहमद के खिलाफ की गई. ये सभी 'मछली परिवार' के सदस्य हैं, जो ड्रग तस्करी, महिलाओं के यौन शोषण समेत जबरन वसूली जैसे गंभीर अपराधों में शामिल हैं. मजे की बात ये है कि पिछले 18 साल से मछली परिवार को पाल रहा जिला प्रशासन अब कह रहा है कि इन संपत्तियों का निर्माण बिना नगर निगम और टीएनसीपी की अनुमति के सरकारी जमीन पर किया गया था 'मछली परिवार' पर पहले से ही ड्रग तस्करी और अन्य अपराधों के कई मामले दर्ज हैं.
आपको याद होगा कि यासीन अहमद और शाहवर अहमद को भोपाल पुलिस क्राइम ब्रांच ने 3 ग्राम से ज्यादा एमडी के साथ गिरफ्तार किया था. दोनों पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया. आरोपियों के पास से नशीली दवा के अलावा एक पिस्तौल और लड़कियों के आपत्तिजनक वीडियो भी बरामद किए गए हैं. आरोपियों पर लड़कियों को नशे की लत लगाने और उनका शोषण करने का संदेह है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने कुछ पुलिस अधिकारियों के साथ आरोपियों की कथित तस्वीरें एक्स पर पोस्ट कीं. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टियों में लड़कियों को नशे की लत लगाई जा रही थी, उनका शोषण किया जा रहा था और उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित किया जा रहा था.
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि आरोपियों के कुछ भाजपा नेताओं से संबंध हैं. एक बयान में उन्होंने कहा, "भोपाल में ड्रग माफिया के खिलाफ कार्रवाई के दौरान सामने आया मामला न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि राज्य सरकार की नैतिक और प्रशासनिक विफलता का जीता जागता सबूत भी है... यह भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार और अपराधियों के साथ मिलीभगत को उजागर करता है."कांग्रेस नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या आरोपियों का उनके किसी मंत्री से संबंध है.
अब गेंद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के पाले में है. वे छूट दें तो उनकी पुलिस मछली परिवार के संरक्षक मगरमछ को भी पकड सकती है भले ही वो विधायक हो या मंत्री. लेकिन लगता नहीं कि ऐसा हो पाएगा, क्योंकि जो मगरमच्छ है वो भी नया खिलाडी नहीं है. उसकी जडें भी बहुत गहरीं हैं. इस पूरे कांड को देखते हुए मुझे एक पुराना दोहा याद आता है कि-
सारंग लै सारंग चली कर सारंग की ओट
सारंग झीनो पाइकें सारंग कर गई चोट। "
@ राकेश अचल
गुरुवार, 31 जुलाई 2025
हमारा शहर
बिना फुटपाथ-नाली का शहर है
शहर क्या है, रुदाली का शहर है
🙏
नहीं करता है सीधी बात कोई
तमंंचों का दुनाली का शहर है
🙏
यहाँ ऊंचे किले, ऊंचे महल हैं
शहर बेढी प्रणाली का शहर है
🙏
पुलिस असहाय है, असहाय जनता
निलंबन का, बहाली का शहर है
🙏
सभी मदहोश हैं, किससे कहें क्या
यकीनन ये अलाली का शहर है
🙏
यहाँ हर काम की कीमत मुकर्रर
ये रिश्वत का, दलाली का शहर है
🙏
बडे अजगर हैं जननेता हमारे
उन्ही की हर अलाली का शहर है
🙏
यहाँ थी गूजरी रानी सुना है
नहीं ये आम्रपाली का शहर है
🙏
@ राकेश अचल
टैरिफ की मार झेलो, ट्रंप के खिलाफ मत बोलो
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी को कसम है कि जो वे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ एक शब्द भी बोलें. उनके मौन के साथ देश की 140 करोड जनता है जो अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गये 25 फीसदी टैरिफ की मार को झेल सकती है. अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील को लेकर अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एकतरफा ऐलान कर दिया है.भारत पर अमेरिका ने 25 फीसदी टैरिफ लगाया है. अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद इसका ऐलान किया है. ट्रंप ने बताया कि 1 अगस्त से भारत पर ये लागू होगा.
ट्रंप साहब हमारे साहब मोदी जी के पुराने यार हैं उनकी यारी जंजीर फिल्म के नायक अमिताभ बच्चन और शेरखान प्राण की दोस्ती जैसी है.'यारी है ईमान मेरा, यार मेरी जिंदगी ' जैसी दोस्ती. ये दोस्ती दांत- काटी इसलिए नहीं कह सकता क्योंकि इसकी कोई तस्वीर हमारे पास नहीं है. वैसे भी मोदी जी का दिल दोस्तों के अहसान का मारा दिल है.'अहसान मेरे दिल पे तुम्हारा है दोस्तो, ये दिल तुम्हारे प्यार का मारा है दोस्तो'की तरह का.
आपको पता है कि ट्रेड डील को लेकर भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से बातचीत चल रही थी. ट्रंप साहब डील को लेकर भारत को तारीख पर तारीख दे रहे थे. उन्होने आपरेशन सिंदूर के दौरान भी भारत का गला पकडा था लेकिन मोदी जी लगातार डील से बचते रहे. वे उस कहावत को भूल गये कि -'बकरे की अम्मा चाहे जितना खैर मना ले लेकिन एक न एक दिन बकरा हलाल होता ही है.अब जाकर खुद ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर एकतरफा टैरिफ की जानकारी दे दी है.
माननीय डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि भारत हमारा मित्र है, लेकिन हमने भारत के साथ पिछले कई वर्षों में अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके टैरिफ बहुत अधिक हैं, दुनिया में सबसे अधिक हैं. जो कि अमेरिका को व्यापार बढ़ाने में रोकता है. ट्रंप की मानें तो भारत लगातार सैन्य उपकरण रूस से खरीदते आया है, जो कि सही नहीं है. हर कोई चाहता है कि रूस यूक्रेन पर हमला रोके, लेकिन भारत रूस से लगातार व्यापार को बढ़ा रहा है, जो कि सही कदम नहीं है. इसलिए इन सभी मामलों को देखते हुए अमेरिका ने भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने का फैसला किया है, और ये 1 अगस्त से लागू हो जाएगा.
आंकडे बताते है कि इस वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में अमेरिका को भारत का निर्यात 22.8 प्रतिशत बढ़कर 25.51 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 11.68 प्रतिशत बढ़कर 12.86 अरब डॉलर हो गया.
इस मामले में प्रधानमंत्री श्री मोदीजी या उनकी कैबिनेट के किसी मंत्री ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. संसद के मानसून सत्र में भी कोई कुछ बोल दे तो गनीमत समझिये, हालांकि भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि "भारत सरकार निश्चित रूप से इस पर कुछ कदम उठाएगी. भारत सरकार अमेरिकी प्रशासन से भी बातचीत कर सकती है. इस फैसले के बाद, चीजें निश्चित रूप से महंगी हो जाएंगी. हमें यह स्टडी करना होगा कि इसका बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा.प्रवीण सर की भाजपा में क्या हैसियत है ये हमें नहीं पता लेकिन वे इसे दुर्भाग्यपूर्ण मानते हैं और उन्हे उम्मीद है कि ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन को जल्द ही इसका एहसास होगा और वे इस फैसले को वापस ले लेंगे."
जानकार बताते हैं कि अमेरिका द्वारा थोपे गये टैरिफ और जुर्माने की वजह से भारतीय वस्तुओं एवं सेवाओं का अमेरिका में निर्यात करना महंगा होगा। इससे भारतीय वस्तुओं की अमेरिका के अंदर मांग तेजी से घटेगी। हालांकि, वार्ता की शुरुआत में दोनों देश ने सितंबर-अक्टूबर तक पहले चरण के समझौते को पूरा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब समझौता कई स्तर पर फंसा है। इस समझौते का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का है।
आपको याद दिला दूं कि इसी वर्ष फरवरी में अमेरिकी में ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते करने पर सहमति जताई थी।उसके बाद दोनों पक्षों के बीच वार्ता शुरू हुई। अभी तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है। अंतिम दौर की वार्ता वाशिंगटन में हुई लेकिन उसमें कोई नतीजा नहीं निकल सका। अब छठे दौर की वार्ता 25 अगस्त से भारत में होनी है।ये वार्ता परिणाम मूलक होना चाहिए, अन्यथा भारतीय नेतृत्व के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात होगी.
वैसे हमारे मोदीजी ने ट्रंप के लिए क्या कुछ नहीं किया?भारत में 140 करोड पलक पांवडे बिछाए, हाउडी खेली, अमेरिका जाकर चुनाव प्रचार किया और बदले में उन्हे मिला क्या टैरिफ, जुर्माना? अब तो वो फिल्मी गीत याद आ रहा है-'अच्छा सिला दिया तू ने मेरे प्यार का, यार ने ही लूट लिया घर यार का '.
@राकेश अचल
बुधवार, 30 जुलाई 2025
अब सिंदूर स्प्रिट से चलाइए अपना काम
मुझे ज्यादा अंग्रेजी नहीं आती, बस जैसे तैसे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की तरह काम चला लेता हूँ. जब छोटा था तब स्प्रिट का मतलब उस रसायन को मानता था जो डाक्टर मरीज को इंजेक्शन लगाने से पहले बांह या पुठ्ठे पर रगते थे. बडा हुआ तो स्प्रिट को नशे के रूप में पहचाना लेकिन स्प्रिट का सही हिंदी अर्थ पत्रकारिता में आने के बाद जान पाया.
हमारे यहाँ कोई भी क्षेत्र हो सबसे ज्यादा स्पोर्ट्स मैन स्प्रिट के सहारे आगे बढता है. हिंदी वाले स्प्रिट को भावना कहते हैं. बढे बूढे अक्सर कहते थे जो करो खेल भावना से करो. खेल भावना शायद तमाम भावनाओं में सबसे ज्यादा सात्विक होती होगी, तभी तो राजनीति हो, समाज सेवा हो, नौकरी हो, व्यवसाय हो, सब जगह इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. कोई इस भावना का इस्तेमाल करता है तो कोई नहीं करता.
पिछले एक दशक से देश में स्पोर्ट्समैन स्प्रिट की जगह नेशनलिज्म स्प्रिट से काम करने को कहा जा रहा है, लेकिन 22अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम नरसंहार के बाद देश के खून में सिंदूर क्या मिला तमाम स्प्रिट्स हल्की पड गई. संसद के मानसून सत्र में आपरेशन सिंदूर पर हुई लंबी बहस का जबाब देते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने ऐलान किया है कि अब भारत सिंदूर स्प्रिट से चलेगा. चूंकि मोदी जी ने आव्हान किया तो कम से कम देश की आबादी के बीस-पच्चीस फीसदी ंधभक्त तो सिंदूर स्प्रिट से काम करना शशुरु कर देंगे.
सिंदूर स्प्रिटदर असल स्प्रिट का नया ब्रांड है, इसलिए आप चौंकिए नहीं. मुझे एक ही आशंका सता रही है कि मोदी जी के आव्हान के बाद देश में कहीं अचानक से सिंदूर के भाव न बढ जाएं. मोदीजी भूल गये शायद कि बंगाल हो या बिहार युगों से सिंदूर स्प्रिट से काम करते हैं. अब पूरे देश में सिंदूर स्प्रिट क खेला चलेगा. मुमकिन है कि जनता बाद में इस सिंदूर स्प्रिटट को कहीं मोदी ' स्प्रिट न कसने लग जाएं. हमारे यहाँ भेडचाल लोकप्रिय जो है. संस्कृत वाले इसे 'महाजने येन गत:स पंथ'कहते हैं
आपको बता दू कि हमारे यहाँ स्प्रिट यानि भावना के अनेक प्रकार हैं. सबसे ज्यादा कोमल धार्मिक भावना होती है जो मामूली सी बात से आहत यानि हर्ट हो जाती है. हमारे लंकेश पंडित जी बताते थे कि स्प्रिट या भावना (spirit) को दार्शनिक, आध्यात्मिक, या मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझा और समझाया जा सकता है.। भावना के प्रकार को सामान्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है:भारत मेंभक्ति भावना बहुत प्रबल मानी जाती है.ईश्वर या उच्च शक्ति के प्रति समर्पण और श्रद्धा इसका मल तत्व है.प्रचलित भावनाओं में प्रेम और करुणा भावना सभी प्राणियों के प्रति प्रेम और दया के संदर्भ में प्रयोग की जाती है.हमारे यहां एक मानसिक/भावनात्मक भावना (Emotional Spirit)भी होती है.एक रचनात्मक भावना (Creative Spirit) भी होती है.
हिंदू दर्शन में, आत्मा (आत्मन) को अनंत और अजर-अमर माना जाता है, जो विभिन्न भावनाओं का आधार है। भावनाएँ हकीकत में मानव मन की स्थिति हैं, जो सकारात्मक (खुशी, प्रेम) या नकारात्मक (क्रोध, भय) हो सकती हैं। विभिन्न संस्कृतियों में "स्प्रिट" का अर्थ अलग हो सकता है, जैसे उत्सव की भावना.
मै तो अब सिंदूर स्प्रिट का अध्ययन कर रहा हूँ. मुझे तय करना पडेगा कि मै स्पोर्ट्स मैन स्प्रिट से ही चिपका रहूं या फिर सिंदूर स्प्रिट से लिखूं.? आजकल सिंदूर को लेकर महिलाओं में मतैक्य नहीं है. कुछ मांग में चुटकी भर सिंदूर भरती हैं तो कुछ रत्ती भर. कुछ बीच मांग में सिंदूर भरतीं हैं तो कुछ सांकेतिक ढंग से सिंदूर बापरतीं हैं. बिहार में महिलाएं नाक तक सिंदूर लगालेती हैं तो बंगाल में तो सिंदूर खेला ही हो जाता है.
मोदी जी का सिंदूर प्रेम जगजाहिर है. उनकी तो रगों में गर्म सिंदूर प्रवाहित हो रहा है. डाक्टर परेशान हैं क्योंकि अभी तक चिकित्सा विज्ञानं में सिंदूरी खून की जांच की कोई पैथिलोजिकल किट तैयार नही की गई है. बहरहाल सिंदूर स्प्रिट देश की अधिभान्य स्प्रिट हो चुकि है इसलिए इसका सम्मान कीजिये.
@ राकेश अचल
मंगलवार, 29 जुलाई 2025
वर्षा जल निकासी के लिये नालों से हटाया अतिक्रमण
ग्वालियर 29 जुलाई । नगर निगम के मदाखलत अमले द्वारा सुगम यातायात एवं नागरिकों की सुविधा के लिए निरंतर अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है।
ट्रांसपोर्ट नगर, क्षेत्रान्तर्गत वार्ड क्रमांक- 64 ग्वालियर ग्रामीण पर बारिश के पानी के जल भराव की निकासी हेतु नाले, नाली के ऊपर रखी गुमटियों, अस्थाई छ्प्परो, चार पहिया वाहन बॉडियो, रखे सामान इत्यादि एवं अन्य अस्थाई अतिक्रमण को जे.सी.बी मशीन एवं मदाखलत अमले द्वारा हटवाया गया जिससे यातायात व्यवस्था एवं वर्तमान में अधिक वर्षा का जल भराव से नागरिकों एवं आमजन को परेशानी ना हो को देखते हुए स्थाई एवं अस्थाई अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही की गई। उक्त कार्यवाही में नगर निगम के सहायक यंत्री श्री रजनीश गुप्ता, सहायक यंत्री श्री राकेश कुशवाहा, भवन अधिकारी श्री राजीव सोनी, क्षेत्राधिकारी श्रीमती शिल्पा दिनकर, मदाखलत अधिकारी श्री रवि कुमार कोरी, सहायक स्वास्थ्य अधिकारी श्री विवेक त्यागी, मदाखलत निरीक्षक श्री श्रीकांत सेन, मदाखलत निरीक्षक ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र श्री आजाद खान सहित दल (ग्रामीण), दल (ग्वालियर) एवं क्षेत्रीय कार्यालय का सम्बधिंत स्टाफ के साथ सम्बंधित थाना बहोडापुर का पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तथा ट्रांसपोर्ट नगर यूनियन के पदाधिकारी गण मौजूद रहे।
कलेक्ट्रेट में हुई जन-सुनवाई में 111 लोगों की समस्यायें सुनी
ग्वालियर 29 जुलाई । कलेक्ट्रेट में हुई जन-सुनवाई में 111 लोगों की समस्यायें सुनी गईं। कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान एवं अपर कलेक्टर श्री कुमार सत्यम सहित जिला प्रशासन के अन्य अधिकारियों ने एक – एक कर सभी आवेदकों की समस्यायें सुनीं और उनके आवेदनों के निराकरण की रूपरेखा तय की।
जन-सुनवाई में प्राप्त हुए 111 आवेदनों में से 45 दर्ज किए गए। शेष 66 आवेदन संबंधित विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों को सीधे ही निराकरण के लिये दिए गए। सभी अधिकारियों को समय-सीमा में आवेदनों का निराकरण करने के निर्देश दिए गए हैं। जन-सुनवाई में स्कूलों में प्रवेश, राजस्व, नगर निगम, जल भराव, बिजली इत्यादि से संबंधित समस्यायें प्राप्त हुईं। जमीन संबंधी समस्याओं के त्वरित निराकरण के निर्देश सभी एसडीएम व तहसीलदारों को दिए गए। जन-सुनवाई में मदद की आस में पहुँचे जरूरतमंदों के नि:शुल्क इलाज का इंतजाम भी कराया गया।
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