नवरात्रि एक साल में चार बार आती है।इनमें से दो नवरात्रि प्रकट रूप में होती है । एक चैत्र माह में बसंत नवरात्र चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल नवमी तक दूसरी शारदीय नवरात्र आश्वनी शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक।
दो गुप्तरूप में से एक बार आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक और दूसरी माघ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि इस बार की गुप्त नवरात्र आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा गुरुवार 26 जून से प्रारंभ होकर 04 जुलाई शुक्रवार तक रहेगी।इस बार की आषाढी गुप्त नवरात्र पूरी नो दिनों की रहेगी।किसी भी तिथि का क्षय और तिथि वृद्धि नहीं हुई है। कहते हैं गुप्त नवरात्र तंत्र - मंत्र गुप्त साधना के लिए विशेष मानी जाती है।
माता रानी इस बार डोली में बैठकर आएंगी
डोली में बैठकर आने को शास्त्रों में शुभ नहीं माना जाता यह महामारी,अतिवर्षा आर्थिक गिरावट और हिंसा का संकेत माना जाता है।
इस नवरात्रि में देवी के 10 स्वरूपों दश महा विद्याओं की पूजा की जाती है मां काली,तारा देवी,त्रिपुर सुंदरी,भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता,त्रिपुरभैरवी,धूमावती,बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी ।
जैन ने बताया घटस्थापना 26 जून गुरुवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग एवं ध्रुव योग बना हुआ है।
27जून को प्रातः 07:21 बजे से पुष्य नक्षत्र 28 जून को 06:35 बजे तक रहेगा।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 09:09 बजे से 01:24 बजे तक सामान्य शुभ मुहूर्त रहेगा।
विशेष शुभ मुहूर्त प्रातः 05:27 बजे से 06:59 बजे तक फिर अभिजीत मुहूर्त 11:53 बजे से 12:48 बजे तक रहेगा।
प्रतिपदा तिथि का आरंभ 25 जून शाम 16:01 बजे से और प्रतिपदा तिथि का समापन 26 जून दोपहर 13:24 बजे पर होगा इसलिए घट स्थापना 26 जून को प्रतिपदा तिथि उदया तिथि में होगी।
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