डबल इंजन लगाकर चल रहे मप्र में 55 जिलों के कलेक्टर परेशान हैं, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि सूबे में कब, किस जिले के कलेक्टर को सत्तारूढ दल का विधायक पीट दे.भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने बीजेपी विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा को उंगली दिखाई, तो विधायक ने भी कलेक्टर के मुंह पर मुक्का तान दिया. सुरक्षा बल के जवान यदि बीच में न आते तो कलेक्टर का पिटना तय था.
मप्र मे 2003 से 19 महीनों को छोड भाजपा की ही सरकार है. यानि भाजपा मप्र में दो दशक से सत्तारूढ है. 2018 में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बेदखल किया था किंतु भाजपा 19 महिने बाद ही बिना चुनाव लडे फिर सत्ता में आ गई थी क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा से सौदेबाजी कर कांग्रेस का तख्ता पलट करा दिया था.
लंबे समय तक सत्ता में रहने के कारण भाजपा के विधायक, सांसद, जिलाध्यक्ष किसी को कुछ समझतै ही नहीं है. जिलों के कलेक्टर और एसपी भाजपा फदाधिकारियों के आगे हाथ बांधे खडे रहते है. इस लंबे समय ने मुख्यमंत्रियों ने प्रशासन प्रमोटी आईएएस और आईपीएस से चलवाने की परंपरा डाल दी. प्रमोटी अधिकारी खेले- खाए होते हैं और उनमें सीधी भर्ती के नौकरशाहों जैसी अकड भी नहीं होती. वे जी हजूरी करने में भी दक्ष होते हैं.इस समय प्रदेश के आधे से ज्यादा जिलों में प्रमोटी अधिकारी कलेक्टर और एसपी हैं. भिंड में स्थिति उल्टी है. इसीलिए यहाँ विधायक ने कलेक्टर पर मुक्का तानने की हिमाकत की.
इससे पहले ग्वालियर में आईएएस निगमायुक्त के साथ भी सत्तारूढ दल के लोग अभद्रता कर चुके है.भिंड विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह अपने समर्थकों के साथ कलेक्टर के बंगले पर पहुंचे थे. पहले विधायक और उनके समर्थक बाहर नारेबाजी करते रहे. फिर विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने समर्थकों के साथ मिलकर कलेक्टर के बंगले के दरवाजे को जोरदार धक्का देकर खोल दिया.
दरवाजा खुलते ही सामने शॉल ओढ़े हुए कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव खड़े नजर आए. विधायक के इस रवैए को देखकर कलेक्टर ने विधायक को उंगली दिखा दी. कलेक्टर की उंगली देखकर विधायक इतना आग बबूला हो गए कि उन्होंने कलेक्टर को मारने के लिए मुक्का तान दिया.इससे पहले कि कलेक्टर और विधायक आपस में उलझते, वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने बीच बचाव कर दिया. लेकिन बात यही नहीं थमी. इस उंगली और मुक्का के बीच कलेक्टर ने विधायक से कह दिया, ''चोरी नहीं चलने दूंगा.'' तो पलटकर विधायक ने कलेक्टर से कहा , ''सबसे बड़ा चोर तो तू है.'' विधायक के यह कहते ही वहां मौजूद विधायक के समर्थकों ने 'भिंड कलेक्टर चोर' है के नारे लगाना शुरू कर दिए.
कलेक्टर और विधायक के बीच बहस बाजी हुई तो, सुरक्षाकर्मियों ने बीच बचाव किया. कलेक्टर को तो बंगले के अंदर कर दिया गया, लेकिन बाहर विधायक ने हंगामा शुरू कर दिया. विधायक के समर्थक जमकर नारेबाजी करते रहे और खुद विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा जमकर अपनी नाराजगी बड़बड़ाते हुए निकालते रहे.
हंगामे की खबर जैसे ही पुलिस अधिकारियों और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को लगी तो, एडीएम एलके पांडे समेत पुलिस के अन्य अधिकारी कलेक्टर बंगले पर पहुंच गए. यहां विधायक को मनाने की कोशिश की गई, लेकिन वह नहीं माने. इसके बाद बात ऊपर तक पहुंची. प्रभारी मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने खुद विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा से बात की. जिसके बाद विधायक का गुस्सा शांत हुआ और विधायक कलेक्टर बंगले से वापस चले गए.कलेक्टर भी शुरू से विवादास्पद है. अदालत ने इनको फील्ड में तैनात न करने की हिदायत दी थी. पूर्व गृहमंत्री डॉ गोविन्द सिंह भी कलेक्टर की शिकायत कर चुके हैं.
मध्यप्रदेश में नौकरशाही और जन प्रतिनिधियों के बीच ये इकलौता मामला नही है. इससे पहले शिवपुरी जिले के भाजपा विधायक प्रीतम लोधी शिवपुरी एसपी से जूझ चुके हैं. गुना और अशोकनगर में भी टकराव की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं. देवास में भाजपा विधायक के बेटे के सामने पुलिस हाथ जोडे खडी रही, जबकि उसने आधी रात को एक मंदिर के दरवाजे खुलवा दिए थे.
मप्र में दरअसल प्रशासन का पूरी तरह से भगवाकरण हो चुका है. ज्यादातर कलेक्टर भाजपा पदाधिकारी की तरह काम कर रहे हैं क्योंकि वे असुरक्षा भाव से घिरे हैं. सबको पता है कि वक्त पडने पर सरकार नौकरशाही को संरक्षण नहीं देगी,उल्टे उनका तबादला और कर दिया जाएगा.नौकरशाहों को अंधभक्त बनाने का श्रीगणेश तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समय शुरू हुआ था. इस परंपरा को उपयोगी मानकर आज के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी इसे आगे बढा रहे हैं.
आपको बता दूं कि मध्य प्रदेश में आईएएस के कुल स्वीकृत पद 459 हैं।इनमें से 393 अधिकारी वर्तमान में सेवा में हैं, 66 पद रिक्त हैं।
@ राकेश अचल
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