रविवार, 10 मई 2020

लॉकडाउन के बाद कैसे खुलेंगी फैक्ट्रियां, गृह मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइंस

नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार लॉकडाउन के बाद आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देने की की कोशिश में हैं। 17 मई को लॉकडाउन का तीसरा चरण खत्‍म होने के बाद, शायद मैनुफैक्‍चरिंग इंडस्‍ट्रीज को पूरी तरह शुरू कर दिया जाए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस बारे में विस्‍तृत गाइडलाइंस जारी की हैं। MHA ने कहा है कि कई हफ्तों के लॉकडाउन के बाद, हो सकता है कि कई फैक्‍ट्रीज के हालात फौरन काम शुरू करने लायक ना हों। फैक्‍ट्रीज की पाइपलाइंस, वॉल्‍व्‍स में कोई खराबी हो सकती है। केमिकल फैक्‍ट्रीज की स्‍टोरेज फैसिलिटीज में खतरा और बड़ा है। ऐसे में, फैक्ट्रियां शुरू करने से पहले उन्‍हें एक बार चेक जरूर किया जाए। 
ट्रायल की तरह होंगे शुरुआती हफ्ते
लॉकडाउन के बाद, जब इंडस्‍ट्रीज खुलेंगी तो शुरुआती कुछ सप्‍ताह टेस्‍ट रन पीरियड जैसा रहेगा। MHA के मुताबिक, यूनिट रीस्‍टार्ट होने पर सारे सेफ्टी प्रोटोकॉल्‍स फॉलो होने चाहिए। मंत्रालय ने फैक्ट्रियों से प्रोडक्‍शन के हाई टारगेट्स को पाने की कोशिश ना करने को कहा है। विभिन्‍न प्रकार की फैक्‍ट्रीज के लिए जारी गाइडलाइंस में कई पॉइंट्स रखे गए हैं जो सेफ्टी से जुड़े हुए हैं। इनमें से मुख्‍य बातें इस प्रकार हैं। 
    स्‍टोरेज फैसिलिटी का ठीक से मुआयना हो। लॉकडाउन के दौरान कहीं लीकेज ना हुआ हो, यह सुनिश्चित किया जाए।
    किसी तरह की दुर्गंध की जांच की जाए। पूरी बिल्डिंग को चेक किया जाए, कहीं किसी तरह का नुकसान ना हुआ हो।
    काम शुरू करने से पहले पूरी यूनिट का सेफ्टी ऑडिट हो। पाइपलाइंस, इक्विपमेंट्स और डिस्‍चार्ज लाइंस की सफाई की जाए।
    मैनुफैक्‍चरिंग यूनिट्स को टाइटनेस टेस्‍ट, सर्विस टेस्‍ट, वैक्‍यूम होल्‍ड टेस्‍ट से गुजरना होगा।
    फुल-फ्जेल्‍ड प्रोडक्‍शन शुरू करने से पहले ट्रायल रन किया जाए।
इंडस्ट्रियल वर्कर्स के लिए बनी हैं ये गाइडलाइंस


    फैक्‍ट्री में चौबीसों घंटे सैनिटाइजेशन की व्‍यवस्‍था हो। हर दो-तीन घंटे में सैनिटाइजेशन किया जाए। खासतौर पर कॉमन रूम्‍स का, जहां लोग जमा होते हैं।
    काम पर आने वाले हर कर्मचारी का दिन में दो बार टेम्‍प्रेचर चेक किया जाए। जिनमें लक्षण हों, वे कर्मचारी काम पर ना आएं।
    सारी फैक्‍ट्रीज और मैनुफैक्‍चरिंग यूनिट्स में हैंड सैनिटाइजर्स, मास्‍क और ग्‍लव्‍स का इंतजाम हो।
    एंट्री से लेकर एग्जिट तक, वर्कर्स को सारे सेफ्टी स्‍टेप्‍स की जानकारी हो।
    फैक्‍ट्री में लाए जाने वाले बॉक्‍सेज को स्‍टेरिलाइज किया जाए। शिफ्ट्स में माल की डिलीवरी हो।
    वर्क फ्लोर और डाइनिंग एरिया में फिजिकल बैरियर्स लगाए जाएं ताकि फिजिकल डिस्‍टेंसिंग फॉलो हो सके।
    चौबीसों घंटे काम करने वाली फैक्ट्रियां शिफ्ट्स के बीच में एक घंटे का समय दें।
    टूल्‍स और वर्कस्‍टेशंस की शेयरिंग किसी कीमत पर ना हो।
    अगर जरूरत पड़ी तो फैक्‍ट्रीज के पास वर्कर्स को आइसोलेट करने की सुविधा होनी चाहिए।


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