मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल तालाबों का शहर है लेकिन इसमें जो मछलियांऔर मगरमच्छ पल रहे हैं वे बडे अलग किस्म के हैं. ये मछलियां और मगरमच्छ दर असल नशे के कारोबार में लिप्त हैं. इन्हे 2003 से अब तक पालने वाले लोग अब परेशान हैं क्योंकि पुलिस और जिला प्रशासन ने 'मछली परिवार' के खिलाफ ठोस कार्रवाई शुरु की है. इस परिवार की अवैध संपत्तियों को हताईखेड़ा डैम इलाके सहित 6 स्थानों पर बुलडोजर चलाकर ध्वस्त कर दिया गया. इनकी कीमत करीब 100 करोड़ रुपये बताई जाती है.इन संपत्तियों में सरकारी जमीन पर बिना इजाजत के बनाए गए मदरसा, मैरिज लॉन, रिसॉर्ट, कारखाना, फार्महाउस और गोदाम शामिल हैं.
हकीकत ये है कि ये जो मछली परिवार है भाजपा की कृपा से सरसब्ज हुआ, क्योंकि प्रदेश में 18 महिने के अल्प कालखंड को छोडकर मप्र में भाजपा का अखंड राज है. इस लंबे कार्यकाल में से सुश्री उमा भारती कुल 9 महीने मुख्यमंत्री रहीं इसलिए वे मछली पालन के लिए शायद ही सोच सकीं हों. स्वर्गीय बाबूलाल गौर अब हैं नहीं इसलिए यदि उन्होंने मछली परिवार को संरक्षण दिया भी हो तो कुछ किया नहीं जा सकता.शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कुल मिलाकर लगभग 18 वर्ष और 3 महीने तक कार्यरत रहे।इसलिए ये आसानी से कहा जा सककता है कि अनैतिक कारोबार का मालिक मछली परिवार चौहान की कृपा, या देखी, अनदेखी से पनपा.
चौहान का पहला कार्यकाल 29 नवंबर 2005 से 12 दिसंबर 2008 तक लगभग 3 वर्ष रहा. ऐसे में हो ही नहीं सकता कि मछली परिवार की शोहरत चौहान के कानों तक न पहुंची हो. शिवराज सिंह चौहान का दूसरा कार्यकाल 12 दिसंबर 2008 से 14 दिसंबर 2013 तक 5 वर्ष का रहा. इसमें तो निश्चित ही मछली परिवार उनके संपर्क में आया ही होगा.शिवराज का तीसरा कार्यकाल14 दिसंबर 2013 से 17 दिसंबर 2018 तक फिर 5 वर्ष का था और वे चौथी बार 23 मार्च 2020 से 12 दिसंबर 2023 तक लगभग 3 वर्ष और 9 महीने मप्र के मुख्यमंत्री रहे इसलिए मप्र में मछली परिवार के पनपने की सारी नैतिक, अनैतिक जिम्मेदारी शिवराज सिंह चौहान की है.
शिवराज सिंह चौहान के बाद मछली परिवार को यदि किसी का संरक्षण मिला होगा तो तय है कि वो कोई और नहीं बल्कि इलाके का विधायक होगा. विधायक कौन है, किस दल का है ये पुलिस को भी पता है और जनता को भी, लेकिन मछली परिवार मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की पुलिस के जाल में फंसा तब जब पानी सिर के ऊपर हो गया. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की पुलिस को भी मछली पकडने लंबा समय लग गया. यानि कोई एक साल 8 महीना रहा.डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में 13 दिसंबर 2023 को शपथ ग्रहण की थी।
एसडीएम हुजूर विनोद सोनकिया के मुताबिक यह कार्रवाई शकील अहमद और शारिक (पिता शरीफ), इरशाद (पिता सरफराज), अताउल्लाह (पिता मुफ्ती), शारिक उर्फ मछली, सोहेल अहमद और शफीक अहमद के खिलाफ की गई. ये सभी 'मछली परिवार' के सदस्य हैं, जो ड्रग तस्करी, महिलाओं के यौन शोषण समेत जबरन वसूली जैसे गंभीर अपराधों में शामिल हैं. मजे की बात ये है कि पिछले 18 साल से मछली परिवार को पाल रहा जिला प्रशासन अब कह रहा है कि इन संपत्तियों का निर्माण बिना नगर निगम और टीएनसीपी की अनुमति के सरकारी जमीन पर किया गया था 'मछली परिवार' पर पहले से ही ड्रग तस्करी और अन्य अपराधों के कई मामले दर्ज हैं.
आपको याद होगा कि यासीन अहमद और शाहवर अहमद को भोपाल पुलिस क्राइम ब्रांच ने 3 ग्राम से ज्यादा एमडी के साथ गिरफ्तार किया था. दोनों पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया. आरोपियों के पास से नशीली दवा के अलावा एक पिस्तौल और लड़कियों के आपत्तिजनक वीडियो भी बरामद किए गए हैं. आरोपियों पर लड़कियों को नशे की लत लगाने और उनका शोषण करने का संदेह है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियांक कानूनगो ने कुछ पुलिस अधिकारियों के साथ आरोपियों की कथित तस्वीरें एक्स पर पोस्ट कीं. उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टियों में लड़कियों को नशे की लत लगाई जा रही थी, उनका शोषण किया जा रहा था और उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित किया जा रहा था.
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि आरोपियों के कुछ भाजपा नेताओं से संबंध हैं. एक बयान में उन्होंने कहा, "भोपाल में ड्रग माफिया के खिलाफ कार्रवाई के दौरान सामने आया मामला न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि राज्य सरकार की नैतिक और प्रशासनिक विफलता का जीता जागता सबूत भी है... यह भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार और अपराधियों के साथ मिलीभगत को उजागर करता है."कांग्रेस नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या आरोपियों का उनके किसी मंत्री से संबंध है.
अब गेंद मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के पाले में है. वे छूट दें तो उनकी पुलिस मछली परिवार के संरक्षक मगरमछ को भी पकड सकती है भले ही वो विधायक हो या मंत्री. लेकिन लगता नहीं कि ऐसा हो पाएगा, क्योंकि जो मगरमच्छ है वो भी नया खिलाडी नहीं है. उसकी जडें भी बहुत गहरीं हैं. इस पूरे कांड को देखते हुए मुझे एक पुराना दोहा याद आता है कि-
सारंग लै सारंग चली कर सारंग की ओट
सारंग झीनो पाइकें सारंग कर गई चोट। "
@ राकेश अचल
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