
डॉ प्रवीण अग्रवाल ने कहा की नेत्रदान ऐसा दान है जो मृत्यु के बाद किया जा सकता है बाकी अंग मृत हो जाते है लेकिन लोग मिथक की मृतय शरीर का अंग भंग नहीं करना चाहिए इस आशय से करवाने मे कतराते है
डॉ अग्रवाल ने कहा की हमारे देश मे कथा वाचकों धर्म गुरुयों और ज्योतिषीयो की बात का प्रभाव तेजी से पड़ता है तो हमें यह सभी भी नेत्रदान करे इस दिशा मे बढ़ते हुए इसे एक आंदोलन के रूप मे लेना चाहिए वहीं नेत्रदान की सहमति देने वाले व्यक्ति से ज्यादा उसके परिजनों को भी मानसिक रूप से तैयार करना चाहिए तभी हम नेत्रदान कराने मे सफल होंगे
डॉक्टर प्रियम्वदा भसीन ,जो कि डायरेक्टर रतन ज्योति ग्रुप हॉस्पिटल है उन्होंने विस्तार से नेत्रदान प्रक्रिया ,जिसमें कॉर्निया जो कि पारदर्शी झिल्ली होती है उसे निकालते हैं 10 से 15 मिनट में यह प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है इस कॉर्निया से दो से चार लोगों को रोशनी प्रदान की जा सकती है l
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ पुरेंद्र भसीन ने कहा कि विभिन्न संस्थाओं को आगे आकर कोशिश वेलफेयर के नेत्रदान जागरूकता अभियान में शामिल होकर सहयोग करना चाइए एवं मृत्यु उपरांत दुख के क्षणों में परिवार के सदस्यों को नेत्रदान के लिए प्रेरित करना चाइए, तभी समाज में करोड़ों लोगों को रोशनी मिल पाएगी I सेमिनार में अभय गर्ग ,डॉ निधि गर्ग ,अनामिका अग्रवाल अंजू गर्ग ,संतोष दास ,चंदा दास मनीषा श्रीवास्तव ,निधि चुग आदि ने नेत्रदान संकल्प किया I
कोशिश के डॉ अनिल शर्मा ने स्वागत उदबोधन एवं गौरव सिंघल ने आभार प्रकट किया I
कोशिश वेलफेयर से राजीव गुप्ता ,मंजरी गुप्ता ,उमाकांत सिंघल,प्रदीप दीक्षित, डॉ ज्योति प्रियदर्शनी ,महेंद्र शर्मा,सीमा गुप्ता, अल्पना सिंघल, अलका कुशवाह, विजेंद्र कुशवाहा एवं अन्य शहर की कई संस्थाओं के सम्मानीय लोग उपस्थित थे
कार्यक्रम इस निश्चय के साथ समाप्त हुआ कि जीते जीते रक्तदान ,जाते जाते नेत्रदान
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