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गणतंत्र दिवस पर प्रभारी मंत्री ने बालिकाओं के साथ किया भोजन

 ग्वालियर, 26 जनवरी । गणतंत्र दिवस पर आयोजित हुए मुख्य समारोह के मुख्य अतिथि जिले के प्रभारी एवं जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट 26 जनवरी को मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के तहत आयोजित हुए विशेष भोज में शामिल हुए। उन्होंने शासकीय पद्मा कन्या विद्यालय की बालिकाओं के साथ बैठकर सुरूचिपूर्ण भोज का आनंद लिया। 

मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के तहत पद्मा कन्या विद्यालय में आयोजित हुए सुरूचिपूर्ण भोज में जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती दुर्गेश जाटव व उपाध्यक्ष श्रीमती प्रियंका सिंह, कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री धर्मवीर सिंह, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विवेक कुमार, नगर निगम आयुक्त श्री अमन वैष्णव, अपर कलेक्टर श्रीमती अंजू अरुण कुमार व श्री कुमार सत्यम सहित बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे शामिल हुए। 


पद्म पुरस्कारों के पैमाने बदलने का समय

देश के 76  वें गणतंत्र दिवस पर, 7 लोगों को पद्म विभूषण, 19 को पद्म भूषण और 113 को पद्म श्री से नवाजा गया है. इसमें 37  साल के गायक अरिजीत सिंह और 100  साल के साहिय्कार रामदरश मिश्र के अलावा दिवंगत हो चुकी संगीतकार शारदा सिन्हा, तक शामिल है। मै सभी पुरस्कृत सज्जनों को मुबारकबाद देते हुए ये कहना चाहता हूँ कि  अब समय आ गया है जब इन पुरस्कारों के चयन का तरीका बदला जाये,क्योंकि या तो ये पुरस्कार देने में सरकार बहुत जल्दबाजी कर देती है या फिर बहुत देर । इतनी देर कि  पुरस्कार लेने वाला ही धराधाम पर नहीं रहता। 

भारत सरकार ने इस साल जिन लोगों को पदम् विभूषण सम्मान से नवाजा है उनमें ,दुव्वुर नागेश्वर रेड्डी (मेडिसिन) -न्यायमूर्त(सेवानिवृत्त)जगदीश सिंह खेहर (सार्वजनिक मामले) ,कुमुदिनी रजनीकांत लाखिया (कला) लक्ष्मीनारायण सुब्रमण्यम (कला)एम. टी. वासुदेवन नायर (साहित्य और शिक्षा) मरणोपरांत ,ओसामु सुजुकी (व्यापार और उद्योग) मरणोपरांत ,शारदा सिन्हा (कला) मरणोपरांत शामिल हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता एम. टी. वासुदेवन नायरका निधन 91  वर्ष की वी में गत दिस्मबर में हुआ। ओसामु सुजुकी  की उम्र 94  वर्ष थी और शारदा सिन्हा 74  वर्ष की आयु में गत वर्ष नबंवर में दिवंगत  हुईं। यदि इन मनीषियों को उनके जीवनकाल में ही सम्मान दे दिया जाता तो शायद ज्यादा बेहतर होता,लेकिन सरकार फैसले लेने में अक्सर देर करती है।

इस साल पद्मभूषण सम्मान  ए सूर्य प्रकाश (साहित्य और शिक्षा - पत्रकारिता)अनंत नाग (कला), बिबेक देबरॉय (मरणोपरांत) साहित्य और शिक्षा ,जतिन गोस्वामी (कला) ,जोस चाको पेरियाप्पुरम (चिकित्सा) ,कैलाश नाथ दीक्षित (अन्य - पुरातत्व) ,मनोहर जोशी (मरणोपरांत) सार्वजनिक मामले नल्ली कुप्पुस्वामी चेट्टी (व्यापार और उद्योग).नंदमुरी बालकृष्ण (कला) ,पीआर श्रीजेश (खेल) ,पंकज पटेल (व्यापार और उद्योग) ,पंकज उधास (मरणोपरांत) कला ,रामबहादुर राय (साहित्य और शिक्षा पत्रकारिता)साध्वी ऋतंभरा (सामाजिक कार्य ),एस अजित कुमार (कला) ,शेखर कपूर (कला),सुशील कुमार मोदी (परणोपरांत) सार्वजनिक मामले और -विनोद धाम (विज्ञान और अभियांत्रिक.] के लिए दिया गया है।  इसमें से मनोहर जोशी  88 साल के हो गए थे लेकिन उनके नाम पर उनके जीवित रहते हुए विचार नहीं किया गया।पंकज उधास 74  साल के होकर चलते बने तब उन्हें सम्मान देने की सुध आयी। यही सब 74  साल के सुशिल कुमार मोदी के साथ हुआ । वे जीते जी न बिहार के मुख्यमंत्री बन पाए और न पद्म पुरस्कार हासिल कर पाए। यही सब प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष बिबेक देब्राय कि साथ हुआ। उन्हें भी जीते जी सम्मान नहीं दिया जा सका। 

पद्म पुरस्कारों के चयन का कोई मान्य पैमाना है या नहीं ,ये देश नहीं जानता ।  इन पुरस्कारों केलिए आवेदन आमंत्रित किये जाते हैं लेकिन तमाम के नाम खुद सरकार चुनती है ,अन्यथा जो दिवंगत  हो चुके वे तो आवेदन करने से रहे। पुरस्कारों का कोई राज्य कि हिसाब  कोटा है या नहीं ,ये भी किसी को पता नही।  सरकार आखिर  ये पुरस्कार देती किस आधार पर है ? अब देखिये न इसी साल  महाराष्ट्र को  14 ,तमिलनाडु को  उत्तर प्रदेश को  10 ,पश्चिम बंगाल और कर्नाटक 9 -9 ,दिल्ली,बिहार और गुजरात को 8 -8  ,मप्र,आंध्र प्रदेश,केरल  और असम को 5 -5 ,ओडिशा को 4 ,राजस्थान को 3 ,,तेलंगना,जम्मू-कश्मीर,पंजाब और हरियाणा को 2 -2,झारखण्ड,चंडीगढ़,त्रिपुरा,महालय,गोवा,लद्दाक,सिक्किम,हिमाचल को 1 -1  सम्मान मिले  है। 

मेरी स्मृति में पद्म पुरस्कार देने में पक्षपात हर सरकार करती है ।  हर पार्टी की सरकार पुरस्का देने से पहले पाने वाले की पूंछ उठाकर देखती है ।  इस मामले में चाहे कांग्रेस हो या भाजपा सभी एक जैसे है।  मुझे याद है कि  जब नरेंद्र कोहली जी को 2017  में पद्मश्री देने की घोषणा की गयी तब वे 77  साल के थे। उन्होंने गोहाटी में मुझसे कहा था कि गनीमत है कि  भाजपा की सरकार केंद्र में आ गयी ,अन्यथा उन्हें ये पुरस्कार नहीं मिलता। जाहिर है कि  सरकारें पुरस्कार देते समय अपना-पराया देखतीं हैं। मै इन पुरस्कारों को लेकर कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहता,लेकिन मेरा कहना है कि  इन सभी पुरस्कारों को पक्षपात,घृणा या राग -द्वेष से परे रखना चाहिए। 

अव्वल तो पुरस्कार पाने वाले को जीते -जी मिलना चाहिए और वो भी तब, जब उसके पांव या तो कब्र में न लटके हों।मरणोपरांत पुरस्कार देने की क्या तुक है ? मरणोपरांत पुरस्कार देने कि पीछे का मकसद सिवाय राजनीति कि कुछ और हो नहीं सकता। मिसाल कि तौर पर 100   साल कि रामदरश मिश्रा अब इस सम्मान का क्या सुख लेंगे ? या जो दिवंगत आत्माएं हैं वे इस सम्मान का क्या अचार डालेंगी ? यदि आप किसी की प्रतिभा को 37  साल की उम्र होते ही पहचान लेते हैं तो फिर किसी की प्रतिभा को पहचानने कि लिए आपको उसके 100  साल कि होने या  दिवंगत होने का इन्तजार क्यों करना पड़ता है ? बहरहाल मै सभी सम्मानित महानुभावों को बधाई देता हूँ ,और उम्मीद करता हूँ की सरकार भीषय में जिस तरह से सब कुछ बदल रही है उसी तरह पद्म पुरस्कार देने की प्रक्रिया भी बदलेगी। 

@ राकेश अचल

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कलेक्टर रुचिका चौहान को किया सम्मानित

 

ग्वालियर। गत लोकसभा चुनाव में  जिले में  मतदान प्रतिशत में हुई रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी एवं मतदाता सूची में जेंडर रेशियो में उल्लेखनीय सुधार पर ग्वालियर जिले को सम्मान मिला है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी को कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर भोपाल में आयोजित होने जा रहे राज्य स्तरीय समारोह में कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्रीमती रुचिका चौहान को यह सम्मान प्रदान किया।

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्रीमती रुचिका चौहान ने इस सम्मान के लिये जिले के समस्त मतदाताओं के प्रति धन्यवाद व्यक्त किया है। साथ ही यह सम्मान जिले के मतदाताओं को समर्पित किया है। ज्ञात हो गत लोकसभा चुनाव में ग्वालियर जिले का मतदान प्रतिशत 61.25 प्रतिशत रहा था, जो पिछले लोकसभा चुनाव से कहीं अधिक था। साथ ही जेंडर रेशियो में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इस उपलब्धि पर ग्वालियर जिले को यह सम्मान मिला हैं।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर महापौर , निगमायुक्त ने शहरवासियों को दी शुभकामनाएं

 

ग्वालियर 25 जनवरी । महापौर डॉ. शोभा सतीष सिंह सिकरवार ने गणतंत्र दिवस  के अवसर पर शहर के नागरिको को गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि 26 जनवरी देशवासियों के लिये बहुत ही गर्व का दिवस है, इसलिये इस राष्ट्रीय पर्व को सभी लोगों को हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिये तथा देश, प्रदेश एवं शहर विकास के लिये एकजुट होकर आगे आना चाहिये।

सभापति मनोज सिंह तोमर  ने गणतंत्र दिवस  के अवसर पर शहर के नागरिको को गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि सभी नागरिकों से शहर विकास में सहभागिता करने एवं शहर को स्वच्छ बनाने में सहयोग के लिए नागरिकों से अपील की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्र के गौरवपूर्ण अतीत एवं समृद्ध सांस्कृतिक परम्पराओं के अनुरूप निरंतर कर्म-पथ पर चलते हुए ग्वालियर को विकसित एवं आत्म-निर्भर बनाने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे।   

नगर निगम आयुक्त श्री अमन वैष्णव ने सभी शहरवासियों को गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2025 की शुभाकामनाएं दीं तथा उन्होंने अपील की शहर के विकास में सभी शहरवासियों की सहभागिता के लिए आगे आना चाहिए तथा समय पर नगर निगम के सभी करों का भुगतान करें जिससे शहर विकास में तेजी आ सके। इसके साथ ही ग्वालियर शहर को देश का सबसे स्वच्छ शहर बनाने के लिए सभी शहरवासी सक्रिय सहभागिता करें और ग्वालियर को स्वच्छ व व्यवस्थित शहर बनाने में सहयोग करें।

महामंडलेश्वर ममता बाई के हाथों में धर्म -ध्वजा

 हिंदुत्व पर खतरों को लेकर हमेशा फिक्रमंद रहने वाले आरएसएस और भाजपा को अब बेफिक्र हो जाना चाहिए ,क्योंकि अब हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए खूबसूरत फिल्म अभिनेत्री सुश्री ममता कुलकर्णी  ने महामंडलेश्वर बनकर धर्म ध्वजा उठा ली है।  ममता के सन्यासी बनने और सीधे महामंडलेश्वर बनने से मेरी समझ में आ गया है कि हमारे सनातनी हिन्दू धर्म में सब कुछ बनना उतना जटिल नहीं है जितना दुनिया वाले समझते हैं। यहां आप जब चाहे अपना महिमा मंडन करा सकते हैं और महामंडलेश्वर की पदवी हासिल कर सकते हैं।

हिन्दू धर्म में ठेका प्रथा बहुत पुरानी है।  भाजपा केपास तो हिन्दू धर्म का ठेका 1980  में जन्म के साथ आया था। महाकुम्भ में इस समय हिन्दू धर्म की रक्षा करने वाले 14  अखाड़े मौजूद हैं ,जिस्मने से सबसे नए किन्नर अखाड़े को अभी तक अखाडा परिषद ने अधिमान्यता नहीं दी है ,लेकिन इसी अखाड़े ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बना दिया है। हालाँकि महामंडलेशवर बनना इतना आसान काम नहीं है जितना ममता के लिए इसे कर दिया गया। महामंडलेश्वर बनने से पहले सन्यासी की को थानापति ,कोतवाल,कोठरी,भंडारी और कारोबारी बनना पड़ता है ,जो ममता को नहीं बनना पड़ा।

मेरी अल्प जानकारी के मुताबिक नागा परम्परा में साधु-संतों की मंडलियां चलाने वालों को मंडलीश्वर कहा जाता था। 108 और 1008 की उपाधि वाले संत के पास वेदपाठी विद्यार्थी होते थे। अखाड़ों के संतों का कहना है कि ऐसे महापुरुष जिन्हें वेद और गीता का अध्ययन हो, उन्हें बड़े पद के लिए नामित किया जाता था। पूर्व में शंकराचार्य अखाड़ों में अभिषेक पूजन कराते थे, वैचारिक मतभेद के बाद यह काम महामंडलेश्वर के जिम्मे हो गया। अखाड़ों ने अपने महामंडलेश्वर बनाना शुरू कर दिए।

कायदे से महामंडलेश्वर वो ही बन सकता है जो साधु संन्यास परंपरा से हो।वेद का अध्ययन, चरित्र, व्यवहार व ज्ञान अच्छा हो।

और अखाड़ा कमेटी उसके निजी  निजी जीवन की पड़ताल से संतुष्ट हो।सब कुछ सामान्य होने के बाद संन्यासी का विधिवत पट्टकाभिषेक कर महामंडलेश्वर पद पर अलंकृत किया जाता है। फिर महामंडलेश्वर के बीच आपसी सहमति से आचार्य के पद पर अलंकृत किया जाता है। इसके बाद अखाड़े की सारी गतिविधियां आचार्य महामंडलेश्वर के हाथ संपन्न कराई जाती हैं।ममता के लिए ये सब शॉर्टकट से हो गया।

मुझे ममता के महामंडलेश्वर बनने से कोई आपत्ति नहीं है। मै तो चाहता हूँ कि फिल्म जगत की ही नहीं बल्कि राजनीति  की तमाम हस्तियों को इसी तरीके से धर्मध्वजाएं उठाना चाहिए ,लेकिन कहने वाले कहाँ चूकते है।  वे तो कहेंगे  ही कि ममता जी का सन्यास ठीक वैसा ही है, जैसे कोई बिल्ली सौ-सौ चूहे खाकर हज करने चली जाये। 'ममता जी के ऊपर ये कहावत लागू होगी या नहीं ,मुझे नहीं पता, किन्तु मुझे इतना याद है कि ममता जी के फ़िल्मी कैरियर में अभिनेता ही नहीं डॉन भी आये। वे विवादों से घिरी रहीं। लेकिन पिछले दो दशक से उनकी कहीं कोई चर्चा नहीं थी। इसलिए लगता है कि उन्होंने अपने आपको सचमुच बदल लिया है।

देश में 144  साल बाद के इस महाकुम्भ का यदि सबसे बड़ा हासिल कुछ है तो वो ममता कुलकर्णी का सन्यासी बनना है।  मुझे लगता है कि असंख्य नागाओं के प्रमुख जूनापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद जी भी ममता कुलकर्णी की एन्ट्री से गदगद होंगे और आने वाले दिनों में पंच तपोनिधि निरंजनी, पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी, अटल अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, पंच अग्नि अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा भी ममता कुलकर्णी को अपने साधु कुल में समाहित कर लेगा।

महामंडलेश्वर ममता कुलकर्णी बड़ी ही ' छुपी रुस्तम ' निकलीं ।  उन्होंने अपने सन्यास को ;' सेंसर '  करके रखा। उनके सन्यास के बारे में जानेजिगर भी नहीं जान पाए और वे ' चाइना गेट ' से होते हुए ' किला' पर कर ' क्रन्तिकारी ' बन गयीं। उनका  ' जीवन युद्ध ' उनका ' नसीब ' हमेशा ' बेकाबू ' रहा। उन्होंने ' बाजी ' मरी और ' सबसे बड़ा खिलाड़ी ' बन गयीं। उन्होंने कोई ' आंदोलन ' नहीं किया,कोई कारण-अर्जुन ' उनके जीवन में नहीं आया। उनके ' अहंकार ' उनकी ' किस्मत ' ने उन्हें ' गैंग स्टर ' बना दिया। उनके ' वादे-इरादे' ' बेताज बादशाह 'बने रहे। वे ' क्रांतिवीर ' हैं।  उन्होंने ' अनोखा प्रेम युद्ध ' भी किय।  सन्यास लेने से पहले उन्होंने ' तिरंगा ' भी उठाया और वे ' आशिक आवारा भी रहीं। उनके जीवन में अनेक ' भूकंप ' भी आये। वे 'वक्त हमारा है ' समझती रहीं ,लेकिन हमेशा रहीं ' अशांत ' ही।  

मुझे अपने अनुजवत मित्र  गुप्तेश्वर पण्डे की किस्मत को लेकर बड़ी चिंता होती है ।  वे बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक रहे ।  उन्हें बिहार का ' राबिनहुड' कहा जाता रहा ।  वे सियासत की और उन्मुख हुए लेकिन मोहभंग होते ही साधू बन गए। पांडे  जी  कहने को ' जगद्गुरु रामानुजाचार्य आचार्य गुप्तेश्वर जी महराज ', हैं लेकिन उनके जगद्गुरु बनने का वैसा हल्ला नहीं हुआ था जैसा कि ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने का हुआ।

चलते-चलते आपको बता दूँ कि महामंडलेश्वर सुश्री ममता कुलकर्णी  फिल्मों को छोड़ने के साथ-साथ ममता भारत छोड़ केन्या में बस  गई थीं. इसके बाद ममता कुलकर्णी का नाम 2016 में ड्रग्स केस में भी सामने आया था।  हालांकि, इस साल अगस्त में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए मामले में क्लीन चिट दे दी थी।   आरोपों से मुक्त हो चुकी ममता हाल ही में 24 साल बाद भारत लौटी और चुपचाप सन्यासी बन गयी।  उनका गैंगस्टर विक्की गोस्वामी के साथ नाम भी जुड़ा लेकिन वे कहतीं हैं की विक्की उनके पति नहीं है।  जो भी हो महामंडलेश्वर ममता जी का धर्म क्षेत्र में स्वागत कीजिये। उनसे ज्ञान लीजिये।

@ राकेश अचल

संदीप सोलंकी बने दलित आदिवासी महापंचायत जिला ग्वालियर के अध्यक्ष

 

ग्वालियर l दलित आदिवासी महापंचायत (दाम) मध्य प्रदेश के संरक्षक डॉक्टर जबर सिंह अग्र जी एवं प्रदेश अध्यक्ष महेश मदुरिया जी ने ग्वालियर जिले का जिला अध्यक्ष श्री संदीप सोलंकी जी को नियुक्ति करते हुए नियुक्ति पत्र दिया।

  ‌‌‌  दलितआदिवासी महापंचायत (दाम)के वरिष्ठ नेतृत्व समाजसेवियों ने नवनियुक्त जिला अध्यक्ष को शुभकामनाएं एवं बधाई दी तथा शोषित पीड़ितों के हित में निर्देशित  किया कि ग्वालियर संभाग में दलितों -आदिवासीयों के ऊपर हो रहे अन्याय अत्याचार शोषण तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति ,पिछड़े वर्ग को शासन से छात्र-छात्राओं मिल रही छात्रवृत्ति को प्राइवेट कॉलेज विश्वविद्यालय आदिम जाति कल्याण विभाग व बैंकों की सांठगांठ‌ से फर्जी तरीके से एससी एसटीओबीसी छात्रवृत्ति अरवो रूपये की डकार रहे हैं एससी एसटी के छात्रों के साथ धोखाधड़ी कर हक अधिकार छीने जा रहे हैं इनके खिलाफ एवं इन वर्गों को मिलने वाली विकास योजनाओं को निर्भीकता एवं निठरता से आवाज़ उठाएं और समस्याओं का समाधान कराये। 

देश की प्रगति का आधार है संविधान - हिना कांवरे

 


  • संविधान अभियान रैली को लेकर प्रभारी ने ली बैठक

ग्वालियर। जिस देश की बोली, भाषा, खानपान, रीति रिवाज अलग-अलग है और वह देश प्रगति कर रहा है तो उसका आधार संविधान है। इसके बावजूद हमारे देश के संविधान का मजाक बनाया गया, यह चिंतनीय है। यह बात शहर कांग्रेस प्रभारी एवं पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष सुश्री हिना कांवरे ने दक्षिण विधानसभा के हरे शिव मैरिज गार्डन में जय बापू, जय भीम, जय संविधान अभियान रैली की तैयारी को लेकर आयोजित बैठक में कही। कार्यक्रम के आरंभ में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव एवं पूर्व विधायक प्रवीण पाठक ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर व महात्मा गांधी की छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद अशोक सिंह, शहर जिलाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा, विधायक सुरेश राजे, प्रदेश सचिव रश्मि पवार, राहुल शर्मा, भिंड जिलाध्यक्ष मानसिंह कुशवाह, कार्यकारी अध्यक्ष वीर सिंह तोमर मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन ब्लॉक अध्यक्ष राजेश बाबू ने तथा आभार कार्यवाहक अध्यक्ष इब्राहिम पठान ने व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने वर बधू को आशीर्वाद दिया

 

ग्वालियर  22 जनवरी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को ग्वालियर में खजुराहो सांसद एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री वी डी शर्मा के परिवार में आयोजित शुभ विवाह समारोह में भाग लिया एवं वर-वधु को आशीर्वाद प्रदान किया।

क्या अमेरिका के ' मोदी ' साबित होंगे ट्रम्प ?

 

माननीय,सम्माननीय डोनाल्ड ट्रम्प अब अमेरिका के नए राष्ट्रपति है।  ट्रम्प महोदय के शपथ  ग्रहण के बाद ये अटकलें लगना शुरू हो गयीं हैं  कि  वे आज नहीं तो कल अमेरिका के मोदी साबित होंगे,क्योंकि ट्रम्प और भारत के प्रधानमंत्री प्रातस्मरणीय माननीय श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जीकी प्राथमिकताएं लगभग एक जैसी है। उनकी आक्रामकता ,उनकी सियासत में अदावती शैली मोदी जी की राजनीति से बहुत कुछ मेल खाती है। ट्रम्प के लिए अमेरिका के लिए कुछ नया दिखने का ये अंतिम अवसर है। अमेरिकी ट्रम्प को और  मौक़ा नहीं दे सकता।

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में 'कैच एंड रिलीज' नीति को समाप्त करने का वादा करते हुए कहा कि वे दक्षिणी सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करेंगे और लाखों अवैध अप्रवासियों को वापस भेजेंगे। कैच एंड रिलीज शब्द का इस्तेमाल अक्सर अप्रवासियों को अदालत की तारीख तक हिरासत में रखने के बजाय रिहा करने की नीति के लिए किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक विशिष्ट कानून या नीति नहीं है और अब आम प्रथा नहीं है, जिसे ट्रंप खत्म करने की बात कह रहे हैं। उनके आदेश का विवरण भी स्पष्ट नहीं है।
भारत में भी अवैध प्रवासियों को लेकर मोदी सरकार लगातार जूझ रही है लेकिन भारत में अभी किसी भी सीमा पर आपातकाल की घोषणा नहीं की हई है। लेकिन ट्रम्प महोदय से प्रेरणा लेकर भारत में भी ऐसा कदम उठाया आ सकता है। कोई माने या न माने ट्रम्प और मोदी जी एक-दुसरे के ख्यालों  [ आइडियाज ] की या तो नकल करते हैं या  एक-दुसरे को प्रेरित करते हैं। दोनों की बातों में ' हवा -हवाई ' तत्व कॉमन है।
ट्रंप ने पनामा नहर को वापस लेने का भी वादा करते हुए कहा कि इस नहर के निर्माण के दौरान 38,000 अमेरिकियों की मौत हुई और चीन नहर का संचालन कर रहा है। सच्चाई ये है कि अमेरिकी निर्माण में 5,600 लोगों की मौत हुई थी और ये कैरिबियन के मजदूर थे। पनामा नहर के प्रशासक ने ट्रंप के इस दावे का खंडन किया है कि चीन नहर का संचालन कर रहा है। उन्होंने कहा है कि इन बंदरगाहों पर काम कर रही चीनी कंपनियां हांगकांग के एक कंसोर्टियम का हिस्सा थीं, जिसने 1997 में बोली प्रक्रिया जीती थी। अमेरिकी और ताइवान की कंपनियां भी नहर के किनारे अन्य बंदरगाहों का संचालन कर रही हैं।मुमकिन है की भविष्य में भारत के प्रधानमंत्री जी भी चीन को आँखेंदीखते हुए चीन से भारत की हथियाई गयी  जमीन पर अपना हक जताने लगें।
 डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका में मुद्रास्फीति 'रिकॉर्ड स्तर' पर पहुंची और ऐसा अत्यधिक खर्च और बढ़ती ऊर्जा कीमतों से हुआ है। ये बात सही है कि अमेरिका में मुद्रास्फीति 2022 की गर्मियों में 9.1 फीसदी के चार दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी लेकिन देश में सबसे अधिक मुद्रास्फीति दर जून 1920 में 23.7% थी।संयोग से ये सब भारत में भी हुआ है किन्तु मोदी जी को ये सुविधा हासिल नहीं है कि  वे भारत में मुद्रास्फीति के लिए किसी और को जिम्मेदार ठहरा सकें ,क्योंकि पिछले 11  साल से वे खुद ही सत्ता में हैं ,मोदी जी इसके एवज हमेशा नेहरू-गांधी परिवार को लपेटते रहते हैं।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने 'खतरनाक अपराधियों' को शरण और सुरक्षा दी है, जिनमें से कई 'जेलों और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों' से अवैध रूप से अमेरिका में आए हैं। एक्सपर्ट इस दावे को ठीक नहीं मानते हैं। इनका कहना है कि कुछ अमेरिकी शहरों में अप्रवासियों की आमद हुई है लेकिन ज्यादातर कानूनी तौर पर, वर्क परमिट या अदालतों में उनके मामलों पर काम होने तक रहने के प्राधिकरण के साथ आए हैं। ज्यादातर रिसर्च ये बताती हैं कि अप्रवासी, अमेरिका में जन्मे लोगों की तुलना में अपराध करने की कम संभावना रखते हैं। पर कुछ संस्थाएं हैं जो  मानती  है कि अपराध बढ़ने की वजह अप्रवासी नहीं हैं।भारत में भी मोदी जी और उनकी सरकार मानती  है की देश  में बढ़ते  अपरधों  की वजह बांग्लादेशी  प्रवासी  है। मशहूर फिल्म अभिनेता सैफ अली खान पर हमले को इसका उदाहरण बताया जा रहा है।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में स्वास्थ्य सेवा पर अधिक पैसा खर्च करता है। उनका यह दावा सच है। अमेरिका प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य सेवा पर ज्यादातर देशों ज्यादा खर्च करता है। ट्रम्प की ही तरह भारत के प्रधानमंत्री  मोदी जी कहते हैं कि आरोग्य के मामले में उनकी सरकार की 'आयुष्मान योजना ' दुनिया की सबसे बड़ी योजना है। अब कौन सच बोल रहा है ,कौन झूठ केवल ऊपर वाला ही जानता है।
अमेरिका के नए और 47  वे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को ये सुविधा नहीं है कि  वे देश के पहले राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन को देश की मौजूदा हालात के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। ये सुविधा केवल भारतीय प्रधानमंत्री की है ,वे आज भी देश  की बदहाली के लिए अपने 11  साल के कुशासन को जिम्मेदार नहीं मानते,वे इसके लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित  जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार मानते हैं। देखना ये है कि  ट्रम्प साहब के आने के बाद दुनिया  कितनी  बदलती है ।  दुनिया में द्वन्द युद्ध जारी हैं। अमेरिका के सामने इन्हें समाप्त करने की चुनौती है। बहरहाल हमारा देश दूसरी बार ट्रम्प युग का और तीसरी बार मोदी युग का सामना कर रहा है। दोनों कि युग का अवसान एक साथ 2029  में होगा। इस मौके पार चचा ग़ालिब की बहुत याद आती ह।  उन्होंने एक जगह लिखा था  कि -

था बहुत शोर कि ग़ालिब कि उड़ेंगे पुर्जे
देखने हम भी गए ,पै ये तमाशा न हुआ।

@ राकेश अचल


केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल का दीक्षांत समारोह आयोजित

 ग्वालियर । केन्द्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल ग्वालियर में 52 सहायक उप निरीक्षक (स्टेनो) एवं 734 हवलदार (मंत्रालय) कुल 786 नव नियुक्त कार्मिकों द्वारा 18 सप्ताह के बुनियादी प्रशिक्षण पूर्ण करने के पश्चात दीक्षांत एवं शपथ ग्रहण परेड का अयोजन किया गया।

इस समारोह के मुख्य अतिथि गुरशक्ति सिंह सोढ़ी, पुलिस महानिरीक्षक, केन्द्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय, केरिपुबल, ग्वालियर, रहे। उन्होंने परेड का निरीक्षण किया तथा सलामी ली। श्री सरबजीत सिंह तलवार, सहायक कमाण्डेंट, ने इस भव्य तथा शानदार परेड को कमान किया, उपस्थित समस्त अतिथिगण, परिवार-जन एवं बच्चों ने तालियां बजाकर परेड का अभिवादन किया। दीक्षांत एवं शपथ ग्रहण परेड में कुल 06 कन्टीनजेंट शामिल थे, जिसका जोश और टर्न आउट उच्च दर्जे का देखने को मिला।

श्री बी.ए.के. चौरसिया, कमाण्डेन्ट / मुख्य प्रशिक्षण अधिकारी, केन्द्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय, केरिपुबल, ग्वालियर ने 786 सहायक उप निरीक्षक (स्टेनो) एवं हवलदार (मंत्रालय) के नव नियुक्त कार्मिकों को सच्चे मन से देश सेवा में समर्पण हेतु शपथ दिलाई। परेड के पश्चात मुख्य अतिथि ने प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले सहायक उप निरीक्षक (स्टेनो) एवं हवलदार (मंत्रालय) को ट्राफी प्रदान कर उनका उत्साह बढ़ाया। मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में देश सेवा में समर्पित होने जा रहे सहायक उप निरीक्षक (स्टेनो) एवं हवलदार (मंत्रालय) के नव नियुक्त कार्मिकों को अपनी शुभकामनाएं दी एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

इस अवसर पर श्री राज कुमार निगम्, उप महानिरीक्षक, ग्रुप केन्द्र ग्वालियर, कुमुद दिवगैयाँ, उप महानिरीक्षक (चिकित्सा), ग्रुप केन्द्र ग्वालियर, डॉ. श्री प्रेम चन्द्र गुप्ता, कमाण्डेन्ट, ग्रुप केन्द्र ग्वालियर, श्री संदीप चौबे, कमाण्डेन्ट, 244 वी०आई०पी० बटालियन, क्षेत्र के अन्य प्रशासनिक अधिकारीगण, नव नियुक्त कार्मिकों के परिवार-जन एवं केरिपुबल परिसर ग्वालियर के अधिकारीगण, अधिनस्थ अधिकारीगण एवं अन्य रैंक कार्मिक इस कार्यकम के साक्षी बने। अंत में परेड का समापन, धन्यवाद ज्ञापन द्वारा किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 21 जनवरी को ग्वालियर प्रवास पर

 

ग्वालियर  20 जनवरी । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 21 जनवरी को ग्वालियर प्रवास पर आयेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव इस दिन दोपहर 2.15 बजे वायुमार्ग द्वारा राजमाता विजयाराजे सिंधिया एयर टर्मिनल महाराजपुरा पहुँचेंगे। ग्वालियर में स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव अपरान्ह लगभग 4.30 बजे वापस विमानतल पहुँचकर वायु मार्ग से भोपाल के लिये प्रस्थान करेंगे। 

अमेरिका में आज से ट्रम्प युग का आगाज

करीब 250  साल पहले आजाद हुए अमेरिका यानि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में आज से एक बार फिर से ट्रम्प युग का आगाज हो रहा है ।  ट्रम्प यानि डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में सत्तारूढ़ हो गए हैं। 79  वर्ष के डोनाल्ड ट्रम्प दूसरी बार अमेरिका की कमान सम्हाल रहे हैं। लेकिन 67  फीसदी बहुसंख्यक ईसाई आबादी वाले अमेरिका को  इसाईस्तान बनाने की उनकी कोई मुहीम नहीं है ।  वे 47  वे राष्ट्रपति के रूप में अमेरिका को असली विश्व गुरु बनाये रखने के लिए कृतसंकल्प दिखाई देंगे।

भारत लोकतंत्र की जननी कहा और माना जाता है किन्तु आधुनिक युग में दुनिया का मजबूत लोकतंत्र अमेरिका में माना जाता है। अमेरिका में गोरे-काले ही नहीं बल्कि दुनिया बाहर के लोग हिल-मिलकर रहते हैं। यही बहुलता अमेरिका की असली  ताकत है।  98  हजार वर्ग किलोमीटर में फैले अमेरिका की आबादी फिलहाल 34  करोड़ के आसपास है। वहां आबादी बढ़ाने के लिए या ईसाइयत को सुरक्षित करने के लिए कोई नेता चार बच्चे पैदा करने की सलाह नहीं देता। वहां भारत की तरह कोई आरएसएस भी नहीं है इसलिए कोई भी राष्ट्रपति अमेरिका के हितों के लिए बनाई गयी पगडण्डी पर ही चलता है ,उसे बदलता नहीं है। ।  अमेरका में केवल राष्ट्रपति पद पर व्यक्ति बदलते हैं लेकिन उनकी विदेश नीति में कोई खास तब्दीली नहीं होती।

डोनाल्ड सर परा स्नातक [पोस्ट ग्रेजुएट ] हैं ,अपने देश के ए-1 ए-2  यानि धनकुबेर हैं। उनके सम्राज्य का नाम ट्रम्प ऑर्गनाइजेशन है। इसलिए ट्रम्प के पास गरीबी के किस्से नहीं है।  वे  गरीबों के बारे में सोचते जरूर हैं ,लेकिन उतना ही जितना की जरूरी है।  ट्रम्प बाल-बच्चेदार आदमी हैं। वे रणछोड़ भी नहीं हैं ,उन्होंने एक छोड़ तीन शादियां की और अनेक बच्चे भी। इसलिए उन्हें परिवार का भी गहन अनुभव है। ट्रम्प साहब राजनीति में पिछले 24  साल से हैं और 2016  में पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे।

अमेरिका के 45  वे राष्ट्रपति के रूप में दुनिया ने जिस डोनाल्ड ट्रम्प को देखा था, 47  वे राष्ट्रपति के रूप में शायद पुराने डोनाल्ड ट्रम्प न दिखाई दें ।  वे कठोर कदम उठाने के आदी हैं और लगता है कि शपथ ग्रहण के फौरन बाद वे इस बार भी अमेरिका के हित में तमाम कठोर    कदम उठाएंगे। अमेरिका के कठोर कदमों का असर या बुरा असर भारत पर भी पड़ सकता है ,आपको याद हो तो अपने पहले कार्यकाल में डोनाल्ड सर अपनी कड़वी  आव्रजन नीतिके लिए चलाये गए  अभियान के कारण  विवादास्पद रहे थे। । उन्होंने अवैध आप्रवासियों को बाहर रखने के लिए मेक्सिको-संयुक्त राज्य सीमा पर एक और अधिक महत्वपूर्ण दीवार बनाने का वादा किया और उस पर आगे भी बढ़े थे।  उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले अवैध आप्रवासियों को व्यापक रूप से निर्वासित करने का वचन दिया, था  और उस पर अमल  भी किया  था। वे "एंकर बच्चों" बनाने के लिए जन्मजात नागरिकता आलोचक भी रहे हैं। ट्रम्प कि निर्वासन अपराधियों, वीजा ओवरस्टे और सुरक्षा खतरों परभी अपना  ध्यान केन्द्रित करते आये  हैं।

सियासत को लेकर माननीय ट्रम्प साहब का फंडा एकदम साफ़ है ।  उन्होंने कोई 24  साल पहले ही कहा था कि -' "राजनीतिक जीवन निर्दयी होता है, जो काबिल होते हैं वे बिजनेस करते हैं।" ट्रम्प के देश में सत्ता हस्तांतरण न  ब्रिट्रेन की तरह फटाफट होता है और न भारत की तरह दो-चार दिन मे। अमेरिका में चुनाव परिणाम आने के बाद ट्रम्प साहब को सत्ता सम्हालने के लिए दो -ढाई महीना लग जाता है। बहरहाल ट्रम्प महोदय  का दूसरा शपथ ग्रहण समारोह मेहमानों  की फेहरिस्त की वजह से सुर्खिओं में है ।  अमेरिकी प्रशासन ने दुनिया के तमाम वर्तमान और पूर्व राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया लेकिन भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी को छोड़ दिया,जबकि वे ट्रम्प साहब के अजीज मित्र कहे जाते हैं। भारत के राष्ट्रपति को भी तवज्जो नहीं दी गयी।  लेकिन भारत के  प्रमुख उद्योगपति मुकेश अम्बानी को शपथ ग्रहण समारोह में जरूर आमंत्रित किया गया।

कुल मिलाकर अमेरिका में ट्रम्प युग से भारत को नफा  होगा या नुक्सान ये कहना और इसका अनुमान लगना आसान नहीं है ।  ट्रम्प साहब के दूसरे कार्यकाल में दुनिया के हालात पहले जैसे नहीं है ।  पिछले 4  साल में दुनिया में बहुत कुछ बदला है । बहुत कुछ घटा है,इसलिए ये तय है कि ट्रम्प साहब भी अपने आपको बदलेंगे ही। हम उम्मीद कर सकते हैं कि भारत के साथ अमेरिका के जो द्विपक्षीय रिश्ते हैं वे और प्रगाढ़ होंगे और ट्रम्प साहब को भारत के तीसरी बार प्रधानमंत्री बने आदरणीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी साबरमती के तीर पर झूला झूलने में कोई संकोच नहीं करेंगे। विदेशी मेहमानों को झूला झुलाना भारत की विदेश नीति का अघोषित अंग है ।  नेहरू और इंदिरा गाँधी के जमाने में ये सब नहीं होता था। चूंकि मेरे भी दो पौत्र अमेरिकी नागरिक हैं इसलिए  उनकी ओर से और  मेरी ओर से भी अमेरिका के नए राष्ट्रपति को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

@ राकेश अचल  


इमरजेंसी ' की लोकप्रियता के मायने

 

कंगना रनौत की बहुचर्चित फिल्म ' इमरजेंसी ' बॉक्स आफिस पर हिट होती है या फ्लाफ ये कहना अभी कठिन है क्योंकि ; इमरजेंसी ' की ओपननिंग से कोई भी अनुमान लगना कठिन है।  इमरजेंसी ने दर्शकों को फिलहाल दो दिन तो अपनी और आकर्षित कर ये संकेत  दिए हैं कि ' इमरजेंसी ' आज भी कौतूहल का विषय है और किंचित लोकप्रिय भी।

सिनेप्लेक्स में फिल्म देखने वाली आज की पीढ़ी ने सचमुच की ' इमरजेंसी ' नहीं देखी ,इसलिए उसे भाजपा संसद कंगना रनौत '  की इमरजेंसी  ' में स्वाभाविक दिलचस्पी है। देश में आजादी के बाद पहली  और फिलहाल अंतिम बार ' इमरजेंसी  ' यानि आपातकाल 50  साल पहले लगा था। उस समय कांग्रेस का शासन था और प्रधानमंत्री के पद पर श्रीमती इंद्रा गाँधी आसीन थीं। इमरजेंसी  लागू होने के बाद विपक्षी नेताओं को चुन-चुन कर गिरफ्तार किया गया और उन्हें जेल में डाल दिया गया था।आज की ' इमरजेंसी ' रजतपट की ' इमरजेंसी ' है। इसके जरिये तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को एक खलनायिका  के रूप में प्रस्तुत करना और इसके जरिये दिल्ली जीतने की एक अतृप्त अभिलाषा को पूरा करना है। चुनाव जितने के लिए ' इमरजेंसी ' की तर्ज पर पहले भी अनेक फ़िल्में बन चुकीं हैं।

 असली ' इमरजेंसी ' 25 जून, 1975 को घोषित की गयी थी ,  इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल लगाए जाने पर अपनी मुहर लगाई थी। ये इमरजेंसी 21 मार्च, 1977 तक देशभर में लागू रही। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये 21 महीने काफी विवादास्पद रहे। इन 21 महीनों में जो कुछ भी हुआ। सत्ता दल अभी भी कांग्रेस को समय-समय पर कोसते रहते हैं। संयोग से इन पंक्तियों का लेखक यानि मै समझदार हो चुका था ,लेकिन क़ानून की दृष्टि में नाबालिग था इसलिए औरों की तरह जेल नहीं गया।उन  दिनों दूरदर्शन नहीं था केवल रेडियो था इसलिए  देश में इमरजेंसी लगाए जाने की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो के माध्यम से की थी। 26 जून, 1975 की सुबह इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर कहा, 'राष्ट्रपति ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है।

मुझे अच्छी तरह से याद है कि  आपातकाल की घोषणा किए जाने के कुछ ही समय  पहले ही  सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर सशर्त रोक लगा दी, जिसमें लोकसभा के लिए उनके चुनाव को अमान्य घोषित किया गया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को संसदीय कार्यवाही से दूर रहने को भी कहा था । वैसे इमरजेंसी से पहले इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1971 के लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की थी। तत्कालीन 521 सदस्यीय संसद में कांग्रेस ने 352 सीटें जीती थीं। दिसंबर 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान के युद्ध से आजाद कराकर इंदिरा गांधी आयरन लेडी के नाम से जानी जा रही थीं। इसके कुछ सालों बाद ही देश में इमरजेंसी की घोषणा ने आयरन लेडी के कामों पर ही सवाल खड़े कर दिए थे।

जिन परिस्थितियों में देश में पहली बार ' इमरजेंसी ' लगाईं गयी थी  उन दिनों के हालात आज के हालत जैसे ही थे।जैसे आज नरेंद्र मोदी की सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं ठीक वैसे ही आरोप इंदिरा गांधी की सरकार पर लगाए जा रहे थे। । गुजरात में सरकार के खिलाफ छात्रों का नवनिर्माण आंदोलन चल रहा था। बिहार में जयप्रकाश नारायण का आंदोलन चल रहा था। 1974 में जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे हड़ताल चल रही थी। 12 जून, 1975 का इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें रायबरेली से इंदिरा गांधी के लोकसभा के लिए चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया गया था। गुजरात चुनावों में पांच दलों के गठबंधन से कांग्रेस की हार और 26 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में विपक्ष की रैली ने इंदिरा गांधी की सरकार को मुश्किल में डाल दिया था। हलनिक आज का विपक्ष का गठबंधन मोदी जी कि लिए उतना खतरनाक नहीं बन पाया है।  

देश में यदि ' इमरजेंसी न लगती तो देश को भाजपा न मिलती। देश में नफरत की वो आंधी न चलती जो आज चल रही है।  इंदिरा गाँधी की ' इमरजेंसी में तमाम ज्यादतियां भी हुईं , लोगों की जबरन नसबंदी कराई  गयी, अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाये गए । लेकिन इमरजेंसी में नागरिक बोध भी बढ़ा ।  सरकारी दफ्तरों में अधिकारी कर्मचारी ही नहीं बल्कि रेलें ,बसें भी समय से चलने लगीं। लेकिन ' इमरजेंसी ' एक काला अध्याय बनी सो बनी। इस ' इमरजेंसी के लिए बाद में कांग्रेस और इंदिरा गाँधी परिवार के अनेक सदस्य सदन के भीतर और सदन के बाहर देश से माफ़ी भी मांग चुके हैं ,लेकिन भाजपा ने कांग्रेस को कभी माफ़ नहीं किया ,और आज तो ' इमरजेंसी ' पर फिल्म ही बना दी।

देश में ' इमरजेंसी पर पहले भी अनेक फ़िल्में बनी ।  ' किस्सा कुर्सी का' और आंधी जैसी फ़िल्में भी बनीं ,लेकिन वे भी कांग्रेस के खिलाफ वातावरण पैदा नहीं कर पायी।  पीछे वर्षों में कांग्रेस को खलनायक  साबित करने के लिए ' दी कश्मीर फाइल बनी,केरल फाइल बनी। फिल्मों के जरिये राजनेताओं को नायक और खलनायक बनाने की मुहीम जारी है। सरकार खुद इन फिल्मों का प्रमोशन करती है। हाल ही में ' दी साबरमती ' बनी।  खुद प्रधानमंत्री जी ने इनका प्रमोशन किया ।

' इमरजेंसी ' फिल्म के लिए भाजपा की वे संसद कंगना रनौत काम आयीं जो देश की आजादी का दिन 15  अगस्त 1947  नहीं 5  अगस्त 2014  मानतीं हैं। कंगना ने श्रीमती इंदिरा गाँधी की भूमिका में जान डालने की बहुत कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुईं।कंगना से पहले सुचित्रा सेन ने फिल्म ' आंधी ' में इंदिरा गाँधी बनने की कोशीश कीथी  ' इमरजेंसी देखकर लौटे हमरे मित्र बता रहे हैं कि  ' कंगना की ' इमरजेंसी ' इंदिरा गाँधी को खलनायक भी ढंग से नहीं बना पायी ,कोशिश जरूर की।  बेहतर होता की फिल्म के लिए कंगना की जगह प्रियंका वाड्रा को चुना जाता ।  एक तो कंगना के मेकअप का खर्च बचता ,दूसरे अभिनय में जान भी आती। दरअसल इंदिरा गाँधी की नकल करना आसान नहीं है। इंदिरा गाँधी को उनके अपराध के लिए देश की जनता ने असली ' इमरजेंसी के ढाई साल बाद ही माफ़ कर दिया था और प्रचंड बहुमत से जीतकर वापस सत्ता सौंपी थी।

आज की ' इमरजेंसी देखने वालों को ये जानना जरूरी है कि  जिस इंदिरा गाँधी को फिल्म के जरिये खलनायिका दिखाया गया है उसी इंदिरा गाँधी के साथ ही दस साल पहले तक देश ने कांग्रेस के  4  प्रधानमंत्री  चुने हैं। यानि जनता कभी की ' इमरजेंसी ' को भूल चुकी  है ।  भाजपा और भाजपा की सरकार बार-बार इमरजेंसी का जिक्र कर अपना उल्लू सीधा करना चाहती है ,लेकिन  उल्लू सीधा करना और बात है लेकिन हकीकत को झुठलाना और बात। फिर भी चूंकि कंगना की ' इमरजेंसी ' में इंदिरा गाँधी हैं इसलिए उनकी फिल्म की लागत तो निकल ही आएगी ,क्योंकि अंधभक्त दर्शक तो ये फिल्म देखेंगे ही ।  मुमकिन है कि  डबल इंजिन की सरकारें इस फिल्म को कर मुक्त घोषित कर दें ,

खबर है कि  पहले दिन जहां ' इमरजेंसी '  ने 2.5 करोड़ का बिजनेस किया था वहीं दूसरे दिन  ये आंकड़ा 2.74 करोड़ पहुंच गया है। इस हिसाब से फिल्म का कुल कलेक्शन 5.24 करोड़ रुपये पहुंच गया है। फिलहाल ये आंकड़ा अभी और बढ़ेगा और फिल्म को सप्ताहांत का भरपूर फायदा मिलता नजर आ रहा है।लेकिन प्रयागराज में महाकुम्भ के कारण ' इमरजेंसी ' उतना लाभ नहीं दे पा रही है जितना की अनुमान  लगाया गया था। इस फिम के जरिये भाजपा यदि 2025  में दिल्ली विधानसभा जीत जाये तो मै मानूंगा की ' इमरजेंसी ' बंनाने का कुछ हासिल भाजपा को हुआ,कंगना रनौत को हुआ। दिल्ली जीतने के लिए भाजप जूते-चप्पल और साड़ियां तो पहले से बाँट रही  है। 'कंगना की ' इमरजेंसी ' कामयाब हो ,ऐसी मेरी शुभकामनायें हैं ,लेकिन मेरी शुभकामनायें कंगना कि कितने काम आएंगीं ,मै खुद नहीं जानता।

@ राकेश अचल

सिंध नवयुवक सामाजिक सुरक्षा मंडल चुनाव 2025 एवं नववर्ष मिलन समारोह

पूज्य सिंध हिंदू जनरल पंचायत ग्रेटर ग्वालियर द्वारा गठित 


ग्वालियर l सिंध नवयुवक सामाजिक सुरक्षा मंडल के चुनाव 17 जनवरी को पिंटो पार्क स्थित एक निजी होटल में उत्साह और जोश के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुए। मंडल के सभी सदस्य और पंचायत के गणमान्य लोगों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी दिखाई।

चुनाव अधिकारी श्रीचंद पंजाबी और जय जयसिंघानी ने चुनाव प्रक्रिया पूर्ण करवाई l

नवनिर्वाचित पदाधिकारी:

  • संरक्षक संतोष वाधवानी 
  • संरक्षक विजय श्रीचंद वलेचा 
  • अध्यक्ष: [मुकेश वासवानी]
  • संयुक्त अध्यक्ष रमेश रुपानी 
  • उपाध्यक्ष: [आलोक आहूजा] 
  • उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माखीजा 
  • महासचिव: [सुशील कुकरेजा]
  • सचिव महेश कुकरेजा 
  • कोषाध्यक्ष: [मोनू कुकरेजा]
  • मीडिया प्रभारी अमर माखीजा

नवीन नेतृत्व के साथ मंडल समाज सेवा, युवा सशक्तिकरण और सामाजिक विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

संस्था संस्थापक श्रीचंद वलेचा ने नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की शुभकामनाएं दी l 

रूपया गिरा, लेकिन रुपये वाले नहीं

 डालर के मुकाबले भारतश् का रुपया भले ही धूल चाने को मजबूर हो लेकिन जिनके पास अकूत रुपया है उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड रहा. उनकी हैसियत बरकरार है, हिंदुस्तान में भी और अमेरिका में भी. खबर है ककि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भले ही भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को न बुलाया गया हो लेकिन मुकेश अंबानी को जरूर बुलाया गया है.

भारतीयों को समझ लेना चाहिए कि विश्व गुरु बनने के लिये पद नहीं रुपये की जरुरत पडती है, यदि ऐसा न होता तो अंबानी सर मोदीजी पर भारी न पडते.अंबानी 18 जनवरी को वॉशिंगटन डीसी पहुंचेंगे।  शपथ ग्रहण समारोह में अंबानी दंपती को अहम सीट मिलेगी। वे ट्रम्प कैबिनेट के नोमिनेट मेंबर्स और इलेक्टेड ऑफिसर्स के साथ बैठेंगे।

 अमेरिका से खबर आई है कि शपथ ग्रहण के साथ ही कैबिनेट का एक स्वागत समारोह और उपराष्ट्रपति का डिनर भी होगा, जिसमें अंबानी परिवार शामिल होगा। नीता और मुकेश अंबानी 19 नवंबर की रात राष्ट्रपति ट्रम्प और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ कैंडललाइट डिनर में शामिल होंगे।

शपथ ग्रहण के दौरान ट्रम्प अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। इससे पहले वे 2017 से 2021 के बीच 45वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर चुके हैं। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समारोह में शामिल हो रहे हैं.

 ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले, हंगरी से विक्टर ऑर्बन, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली मौजूद रहेंगे.अमेरिकी उद्योगपतियों में इलॉन मस्क के अलावा, जेफ बेजोस, मार्क जुकरबर्ग और सैम ऑल्टमैन मौजूद रह सकते हैं।

ट्रम्प के शपथ ग्रहण में रिकॉर्ड चंदा शपथ ग्रहण समारोह के लिए ट्रम्प की टीम को रिकॉर्ड चंदा मिला है। ट्रम्प से बेहतर रिश्ता बनाने के लिए उद्योगपति जमकर फंडिंग कर रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अभी तक 170 मिलियन डॉलर आ चुके हैं। यह आंकड़ा 200 मिलियन डॉलर तक भी पहुंच सकता है।

पिछली बार बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह में 62 मिलियन डॉलर  का चंदा इकट्ठा हुआ था। वहीं ट्रम्प के 2017 के शपथ ग्रहण समारोह में 107 मिलियन डॉलर  इकट्ठा हुए थे। अब ये पता नहीं है कि चंदा देने वालों मे ं मुकेश अंबानी भी शामिल हैं या नहीं. वैसे अमेरिका सरकार चंदा देने वालों को भी फ्री  वीआईपी पास नही दे रही है.

अंबानी को आमंत्रण मिलने से भारत का मान बढा है. काश कि अडानी भी वहां होते, लेकिन वे अमेरिका पुलिस के लिए एक अपराधी हैं इसलिए उन्हे ये सम्मान नहीं मिला. मुकेश अंबानी की जगह यदि मै होता तो अमेरिका का आमंत्रण विनम्रतापूर्वक ठुकरा देता. कहता कि मै तभी आऊंगा जब मेरे प्रधानमंत्री को ससम्मान आमंत्रित किया जाए.लेकिन मुकेश अंबानी राकेश अचल नहीं हैं. उनकी और ट्रंप साहब की बिरादरी और गोत्र एक है. दोनों धन कुबेर है. कारोबारी हैं. वे किसी और की परवाह क्यों करने लगे?

माननीय मोदी जी की उपेक्षा से मै आम भारतीय होने के नाते  मै भी दुखी हूं. मै यदि मोदी जी का अंधभक्त होता तो अभीतक  अमेरकी दूतावास पर प्रदर्शन कर चुकका होता. वार्ड स्तर पर  अमेरिका प्रशासन के पुतले जलवा चुका होता. लेकिन कमाल है कि मोदीजी और उनके अंधभक्त अपमान का कडवा घूंट पीकर बैठे हैं. हे राम! 

@  राकेश अचल

सिंध नवयुवक सामाजिक सुरक्षा मंडल के चुनाव 2025 संपन्न

 

ग्वालियर l पूज्य सिंध हिंदू जनरल पंचायत ग्रेटर ग्वालियर द्वारा गठित सिंध नवयुवक सामाजिक सुरक्षा मंडल के चुनाव 17 जनवरी को पिंटो पार्क स्थित एक निजी होटल में उत्साह और जोश के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुए। मंडल के सभी सदस्य और पंचायत के गणमान्य लोगों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी दिखाई।

चुनाव अधिकारी श्रीचंद पंजाबी और जय जयसिंघानी ने चुनाव प्रक्रिया पूर्ण करवाई l

नवनिर्वाचित पदाधिकारी:

  • संरक्षक संतोष वाधवानी 
  •  संरक्षक विजय श्रीचंद वलेचा 
  • अध्यक्ष: [मुकेश वासवानी]
  • उपाध्यक्ष: [आलोक आहूजा]
  • उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माखीजा 
  • महासचिव: [सुशील कुकरेजा]
  • सचिव [ महेश कुकरेजा ]
  • कोषाध्यक्ष: [मोनू कुकरेजा]
  • मीडिया प्रभारी अमर माखीजा

नवीन नेतृत्व के साथ मंडल समाज सेवा, युवा सशक्तिकरण और सामाजिक विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

संस्था संस्थापक श्रीचंद वलेचा ने नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की शुभकामनाएं दी l

मतदाताओं को जूते-साड़ी का प्रसाद

 

चुनावों में मतदाता को यदि कुछ मिलता है तो उसे प्रलोभन कहना पाप है ,क्योंकि चुनावी मौसम में मतदाता के हिस्से में या तो प्रसाद आता है या फिर आंधी के आम। दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री  अरविंद केजरीवाल के खिलाफ  चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा  के खिलाफ   पुलिस ने मतदाताओं को जूते और साड़ियां बांटने का मामला  दर्ज किया है ,मेरे हिसाब से ये अनुचित है। प्यार और जंग में ही नहीं बल्कि चुनावों में सब कुछ जायज है। मतदाता सूचियों में कटर-ब्योंत तक।

प्रवेश वर्मा कोई फकीर नहीं बल्कि अमीर नेता हैं ।  उनके पिता साहब सिंह  वर्मा भी नेता थे लेकिन प्रवेश वर्मा अपने पिता से इतर अग्निमुखी हिन्दू नेता की छवि रखते है।  वे अरवविंद केजरीवाल के खिलाफ ही नहीं कांग्रेस के सुशील के खिलाफ भी चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पास इतना पैसा है कि वे मतदाताओं को जूते और साड़ियां बाँट सकते है।  माघ मास में जबकि प्रयागराज में महाकुम्भ चल रहा है तब मतदाताओं के बीच दान-पुण्य करना कोई बुरी बात नहीं है,लेकिन उनके प्रतिद्व्न्दी दिल जले हैं। चुनाव आयोग के पास पहुँच गए शिकायत लेकर और दायर करा दिया मुकदमा।

केजरीवाल के राज में ही प्रवेश वर्मा की आय चार साल में कई गुना बढ़ गई है। 2019 से लेकर 2020 में आयकर रिटर्न के मामले में प्रवेश वर्मा ने 92 लाख 94 हजार 980 रुपये आय बताई थी। जोकि अब 19 करोड़ 68 लाख 34 हजार 100 रुपये दर्ज की गई है। वहीं,प्रवेश वर्मा की पत्नी की भी आय बढ़ी है। पहले 5 लाख 35 हजार 570 रुपये थी, जोकि 2023-2024 में बढ़कर 91 लाख 99 हजार 560 रुपये दर्ज की गई है। इसलिए प्रवेश को ये हक बनता है कि  वे अपने मतदाताओं को जो चाहें सो दें ,उनका  हाथ  पकड़ना पाप है। केजरीवाल और संदीप दीक्षित जी को किसने रोका है दान-पुण्य करने से ? प्रवेश वर्मा ने चुनाव से पहले जूते, साड़ी, कंबल और पैसे बांटने के आरोपों को खारिज कर दिया। वर्मा ने कहा कि ये आरोप अरविंद केजरीवाल ने हार के डर से लगाए हैं।

प्रवेश वर्मा हालांकि दिल्ली को अपनी माँ कहते हैं लेकिन आम आदमी पार्टी उन्हें भाजपा की और से दिल्ली  का दूल्हा कहती है।  भाजपा पिछले दस साल से दिल्ली के लिए दूल्हे सजाकर लाती है किन्तु दिल्ली की जनता भाजपा की बारात बैरंग लौटा देती है ,लेकिन इस बार भाजपा मप्र,राजस्थान,छग,हरियाणा और महाराष्ट्र जीतने के बाद हर सूरत में दिल्ली को अपना दूल्हा देने पर आमादा है ,और इसीलिए भाजपा जूतों और साड़ियों पर उत्तर आई है। भाजपा अभी और नीचे भी जा सकती है क्योंकि भाजपा को गहरे पानी में उतर कर मोती बीनने की आदत पड़ चुकी है । प्रधानमंत्री मोदी जी के ताज में यही एक मोती लगना बाक़ी है।  

कांग्रेस ने इस चुनाव में अपना दूल्हा पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित को बनाया है। वे अपनी  माँ की पराजय का बदला लेना चाहते हैं। कोई उन्हें रोक नहीं सकता सिवाय दिल्ली की जनता के।  मुमकिन है कि  दीक्षित जी के पास मतदाताओं को देने के लिए जूतों और साड़ियों का प्रसाद न हो इसलिए वे निराश नजर आ रहे हों ,क्योंकि आम आदमी पार्टी के पास चूंकि सत्ता है इसलिए  वो यदि मतदाताओं को केवल वादे ही बाँट दे तो उसका काम चल   जाएगा ,लेकिन प्रवेश वर्मा और संदीप दीक्षित को तो जूते,साड़ी,और शराब  ही नहीं बल्कि पैसा भी बांटना पड़ेगा। मै तो अक्सर सोचता हूँ कि  जन प्रतिनिधित्व क़ानून में संशोधन  कर जूते-चप्पल,साडी,शराब और पैसा बाँटने को विधिक मान्यता मिलना चाहिए, क्योंकि इनके बिना चुनाव होता ही नहीं है।

बहरहाल दिल्ली विधानसभा के चुनाव पर पूरे देश-दुनिया की नजर लगी है क्योंकि ये तीसरा और अंतिम अवसर है भाजपा और कांग्रेस के लिये भी ।  ये चुनाव भी यदि कांग्रेस और भाजपा नहीं जीत पायी तो जहाँ भाजपा का विश्वगुरु बनने का सपना टूट जाएगा वहीं कांग्रेस के लिए भी दिल्ली अभेद्य हो जाएगी। दिल्ली जीते बिना न कांग्रेस का माथा ऊंचा हो सकता है और न भाजपा का।  अब देखते हैं कि  दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान से पहले कौन-कौन जूतों में दाल बांटता है ,और चुनाव आयोग कितनों के खिलाफ मामले दर्ज करने की औपचारिकता पूरी करता है । क्योंकि चुनाव आयोग  औरदिल्ली  पुलिस में इतना साहस तो है नहीं कि  वो मतदान से पहले प्रवेश वर्मा के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल कराकर उन्हें चुनाव लड़ने से रोक सके।

@ राकेश अचल

कोचिंग क्लासेस की निगरानी करेगी तीसरी आंख

  •  लगाए जाएंगे सीसीटीवी केमरे
  •  कैमरों का एक्सेज संबंधित पुलिस थानों को उपलब्ध कराया जायेगा
  • कलेक्टर श्रीमती चौहान ने दलों का किया गठन

ग्वालियर 16 जनवरी । ग्वालियर शहर की सीमा में संचालित कोचिंग एवं अन्य प्रशिक्षण संस्थानों में सुरक्षा को ध्यान में रखकर अनिवार्यत: सीसीटीव्ही कैमरे लगवाए जायेंगे। साथ ही कैमरों का एक्सेज संबंधित पुलिस थानों को उपलब्ध कराया जायेगा, जिससे कोचिंग संस्थानों की सतत निगरानी हो सके। यह काम कराने के लिये कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने संबंधित एसडीएम के नेतृत्व में चार दल गठित किए हैं। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि सभी दल अपने-अपने क्षेत्र के कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण करें और एक हफ्ते के भीतर कोचिंग संचालकों की संयुक्त बैठक लेकर यह काम कराएं।

गत 8 जनवरी को अपर मुख्य सचिव वन श्री अशोक वर्णवाल की अध्यक्षता में आयोजित हुई संभागीय बैठक में कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर दिए गए निर्देशों के पालन में कलेक्टर श्रीमती चौहान द्वारा दलों का गठन किया गया है। एसडीएम लश्कर, मुरार, झांसी रोड़ व एसडीएम ग्वालियर सिटी के नेतृत्व में गठित किए गए इन दलों में संबंधित नगर पुलिस अधीक्षक और नगर निगम के उपायुक्त को शामिल किया गया है। एक माह के भीतर सभी एसडीएम से की गई कार्रवाई का प्रतिवेदन कलेक्टर ने मांगा है। 

कलेक्टर श्रीमती चौहान ने सभी एसडीएम को निर्देश दिए हैं कि जिन कोचिंग संस्थानों में ऐसे स्थानों पर सीसीटीव्ही कैमरे अवश्य लगवाएं, जहाँ से बाहरी क्षेत्र, पार्किंग, छात्र-छात्राओं के अध्ययन व प्रशिक्षण कक्ष तथा कॉरीडोर कैमरों की निगरानी के दायरे में रहे। कैमरों का एक्सेज संबंधित पुलिस थानों को दिया जाए। साथ ही कोचिंग संस्थान में भी माहवार फोल्डर बनाकर सीसीटीव्ही कैमरों का डाटा सुरक्षित रखा जाए, जिससे जरूरत पड़ने पर जाँच एजेंसियां इस डाटा का उपयोग कर सकें। 

उन्होंने सभी दल प्रभारी एसडीएम को निर्देश दिए हैं कि कोचिंग संचालकों की बैठक के माध्यम से कोचिंग में उपलब्ध स्थान, कोचिंग का नक्शा, पूर्व में स्थापित सीसीटीव्ही कैमरों की स्थिति व अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या की वास्तवित जानकारी संकलित करें। ऐसे संस्थान जहां सीसीटीव्ही कैमरे नहीं लगे हैं वहाँ कैमरे लगवाए जाएं। समय-सीमा निर्धारित कर कैमरा लगवाए जाएं। सीसीटीव्ही कैमरों लगवाने के साथ-साथ सुरक्षा संबंधी अन्य निर्देशों का पालन कराने के निर्देश भी कलेक्टर ने सभी एसडीएम को दिए। 

कलेक्टर ने सभी एसडीएम को कोचिंग संस्थानों की सूची व कार्रवाई की जानकारी का फोल्डर अपने-अपने कार्यालय में संधारित करने के निर्देश दिए हैं। 

सच्ची आजादी और झूठी आजादी का द्वन्द

 हम अजीब देश में जन्मे हैं ,जहां आजादी को भी झूठा और सच्चा कहा जा रहा है। मुझे फक्र है कि मै एक आजाद और धर्मनिरपेक्ष हिंदुस्तान में जन्मा हूँ। लेकिन मुझसे 9  साल पहले जन्मे आरएसएस के प्रमुख डॉ मोहन भागवत को ये गर्व नहीं है। उन्हें शायद मलाल है कि  वे 2014  के बाद क्यों नहीं जन्मे ।  उन्हें कायदे से 2014  के बाद जन्म लेना था ,क्योंकि उनके हिसाब से 15  अगस्त 1947  को मिली आजादी झूठी आजादी थी ,डॉ भागवत कहते हैं  कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठा द्वादशी के तौर पर मनाया जाना चाहिए , इसे ही भारत का 'सच्चा स्वतंत्रता' दिवस मानना चाहिए।

आजादी को लेकर कौन -क्या सोचता है इसका आधार राम मंदिर बनने के बाद की आजादी से हासिल नहीं हुआ बल्कि ये अभिव्यक्ति की आजादी डॉ भागवत समेत देश के असंख्य भारतीयों को 15  अगस्त 1947  को मिली आजादी के बाद  मिली है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सही कहते हैं कि  डॉ भागवत किसी और दूसरे मुल्क में देश की आजादी को सच्चा-झूठा कहते तो देशद्रोह के आरोप में जेल के सींखचों के पीछे होते। लेकिन दूसरे देश में डॉ भागवत जैसों को जन्म मिलता ही क्यो।  

दरअसल गलती डॉ मोहन भागवत की नहीं है ।  गलती साबरमती के उस संत की है जिसने डॉ मोहन भागवत और देश के तमाम संघियों को आजादी बिना खड्ग ,बिना ढाल उठाये दे दी।दुनिया इस आजादी को कमाल मानती है लेकिन डॉ मोहन भागवत और उनके संगी-साथी अपने आपको राम मंदिर बनने के बाद आजाद मानते हैं। डॉ भागवत को संविधान ऐसी छूट नहीं देता  लेकिन संघ देता है जिसका भारत के संविधान से की लेना-देना नहीं है। चंद्रपुर महाराष्ट्र के इस संत को कौन समझाये  कि   साबरमती के संत के नेतृत्व में मिली आजादी का ही सुफल है कि  डॉ मोहन भागवत को न जेल जाना पड़ा, न अंग्रेजों की लाठियां खाना पड़ीं और घर बैठे आजादी मिल गयी।

राजनीति में उठा-पटक चलती है। उंच-नीच चलती है। हास -परिहास चलता है।  बडबुकता चलती है, लेकिन मूर्खता का कोई स्थान नहीं होता,किन्तु माननीय डॉ मोहन भगवत में सच्ची आजादी को झूठी आजादी बताकर राजनीति में मूर्खता को भी स्थापित कर दिया है।  मुझे डॉ भागवत की समझ पर कोई हैरानी नहीं है । वे पशु चिकित्स्क  हैं,उन्होंने इतिहास,भूगोल पढ़ा ही नहीं है । उन्हें क्या पता कि  आजादी कब मिली और कब नहीं ? मै राहुल गाँधी की तरह डॉ भागवत से ख़फ़ा भी नहीं हूँ ,क्योंकि मै जानता हूँ कि  डॉ भागवत ने वही कहा है जो उनके संस्कारों में शामिल है।  जो डॉ भागवत ने कहा है वो ही देश के प्रधानमंत्री कहेंगे और वो ही गृह मंत्री।  देश की सच्ची आजादी को झूठी आजादी कहना संघमित्रों की विवशता है। इसलिए उन्हें क्षमा कर दिया जाना चाहिए।

कांग्रेस की राजनीति से आपकी या मेरी सहमति  और असहमति हो सकती है लेकिन 15  अगस्त 1947  को मिली आजादी से हमारी-आपकी कोई असहमति नहीं हो सकती ,क्योंकि उस दिन हमें जो आजादी मिली उसका मोल लगाना आज के संघमित्रों के बूते की बात नहीं है ।  उनकी विरासत में एक दो सावरकरों ,नाथूरामों को छोड़कर कोई भगत सिंह, कोई सुभासचन्द्र  बोस, कोई गाँधी,कोई पटेल ,कोई नेहरू है ही नहीं। जो हैं वे ज़्यदातर माफीवीर हैं। वे आजादी की कीमत देने की स्थिति में कभी रहे ही नहीं। हमारे दादा कहा करते थे कि  ' बंदर को अदरक का स्वाद ' पता नहीं होता। शाखामृगों के साथ भी यही विडंबना है,वे आजादी का स्वाद नहीं जानते। देश में एक बार लागू किया गया आपातकाल   भी इन शाखामृगों को आजादी का अर्थ नहीं समझा सका ,हालाँकि आपातकाल एक अधिनायकवादी कदम था। मै क्या कोई भी उसका समर्थन नहीं करता।

आजादी को नकारने वाले और द्वादशी को सच्ची आजादी का दिन मानने वाले डॉ मोहन भागवत को चाहिए कि  वे देश से समय रहते माफ़ी मांग लें ।  न मांगे तो उनकी मर्जी ,लेकिन मै चूंकि  उनका भी शुभचिंतक हूँ  इसलिए उन्हें नेक सलाह दे रहा हूँ,क्योंकि उनके शाखामृगों में से किसी एक भी हिम्मत नहीं है जो उन्हें ऐसी नेक सलाह दे सके।  वे तो उसी रास्ते पर चलकर ' नमस्ते सदा वतस्ले ' करेंगे जिस रास्ते पर उन्हें हांका जाएगा। ये मौक़ा है जब संघ की शखाओं में बंधक वे तमाम शाखामृग  बाहर निकल सकते है।  जो आजादी का सही  अर्थ समझते है।  जो शहीदों का सम्मान करते हैं। जो अंधे नहीं हैं।

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को शाबासी दी जाना चाहिए कि  उन्होंने डॉ भागवत के बयान का संज्ञान लिया और देश को बताया कि  आजादी पर टीका करने वाला नासमझ व्यक्ति कौन है ।  भाजपा और संघ  के तमाम नेताओं ने डॉ भागवत की गलती पर बोलने के बजाय राहुल गांधी पर सामूहिक हमला बोला है ये कहते हुए कि  वे भारत से ही लड़ रहे है। राहुल गाँधी ने कहा है कि  वे संघ,भाजपा और इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं। निसंदेह राहुल गाँधी के कथन में स्पष्टता नहीं है।   वे किस इंडियन स्टेट की बात कर रहे हैं ,ये उन्हें स्पष्ट करना चाहिए । हालाँकि जहाँ तक मेरी समझ में आया है वे डबल इंजिन की सरकारों वाले राज्यों  की बात कर रहे होंगे। राहुल गाँधी , डॉ भागवत की तरह देश की आजादी को सच्चा-झूठा नहीं कह सकते,क्योंकि उनके पूर्वजों ने आजादी से पहले भी कुर्बानियां दिन और आजादी के बाद भी।

बहरहाल डॉ मोहन भागवत ने देश में महाकुम्भ के चलते एक मूर्खतापूर्ण बयान देकर देशवासियों का मजा किरकिरा कर दिया है। उन्होंने किसानों के आंदोलन की खबर को भी दबा दिया है ।  वे दिल्ली विधानसभा चुनावों में बिधूड़ी की मौजूदगी पर भी पर्दा डालने में कामयाब रहे हैं। डॉ मोहन भागवत की भागवत में ऐसे प्रसंग आते रहेंगे, इसके लिए देशवासियों को तैयार  रहना चाहिए । संघ का काम ही सच को झूठ और झूठ को सच बताने का है। ये काम करने में संघमित्र सिद्धहस्त हैं,पारंगत हैं। दुनिया के तमाम झूठे लोग संघ के समाने बौने हैं। मुझे यकीन है कि  देशवासी डॉ मोहन भागवत के कहने के बाद भी 15  अगस्त को सवतंतता दिवस मनाना नहीं भूलेंगे। ये भूल डॉ भागवत भले  ही कर दें किन्तु प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दस मोदी भी ये गलती करने वाले नहीं है कि  वे भारत का स्वतांत्रता दिवस  15  अगस्त से बदलकर 05  अगस्त द्वादसी कर दें। शहरों,स्टेशनों,सरायों के नाम बदलना आसान है लेकिन किसी देश का स्वतंत्रता दिसवस बदलना असम्भव है।

@ राकेश अचल

कड़ाके की ठंड , 16 जनवरी स्कूलों की छुट्टी

आंगनबाड़ी के बच्चों के लिये भी इस दिन छुट्टी रहेगी


ग्वालियर 15 जनवरी। शीत लहर की वजह से सर्दी बढ़ने और बारिश की संभावना को ध्यान में रखकर जिले में केजी-नर्सरी से लेकर आठवी कक्षा तक के स्कूली बच्चों के लिए 16 जनवरी को अवकाश घोषित किया गया है। साथ ही आंगनबाड़ी के बच्चों के लिये भी इस दिन छुट्टी रहेगी। 

बच्चों को ठंड से बचाने के उद्देश्य से कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी श्री अजय कटियार एवं सहायक संचालक महिला बाल विकास श्री राहुल पाठक द्वारा अलग-अलग आदेश जारी किए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी किया गया आदेश स्कूल शिक्षा विभाग, आईसीएससी व सीबीएसई के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों पर लागू होगा। आदेश में यह भी उल्लेख है कि परीक्षाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यथावत चलती रहेंगी। 

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