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सलमान उर्फ़ सल्लू उर्फ़ बजरंगी भाई जान

भारतीय रजतपट के सर्वाधिक लोकप्रिय सितारों में से एक अभिनेता सलमान खान के ऊपर मौत मंडरा रही है ,लेकिन सलमान का जिगरा है की वो बेख़ौफ़ [खौफ में होकर भी ] अपने काम में लगे हुए है ।  सलमान की जान का दुश्मन हिंदूवादी डॉनलारेंस विश्नोई। लारेंस चाहता है कि सलमान न सिर्फ उससे माफ़ी मांगे बल्कि पांच करोड़ की चौथ भी दे। सलमान को मिल रही धमकियों से उनके असंख्य प्रशंसकों में चिंता व्याप्त है। सलमान को लोग प्यार से यदि घर में सल्लू कहते हैं तो बाहर उन्हें बजरंगी भाईजान भी कहा जाता है

फ़िल्मी दुनिया में अकूत कमाई और कीर्ति हासिल करने वाले सलमान खान पहले नहीं हैं, जिन्हें इस तरह की धमकियां मिली हों ।  सलमान से पहले भी तमाम अभिनेता भय और आतंक के साये में जीने को मजबूर किये जा चुके हैं।  लारेंस से पहले डॉन की एक पूरी जमात सिने अभिनेताओं से चौथ वसूली का धंधा खुले आम करते  रहे हैं । कुछ चौथ देकर अपना पिंड इन डॉन से छुड़ा लेते हैं और कुछ सलमान की तरह न टूटते हैं और न झुकते हैं।  सलमान को भयभीत करने के लिए लारेंस के गुर्गों ने सलमान के पारिवारिक मित्र रहे पूर्व मंत्री और एनसीपी के नेता बाबा सिद्दीकी को सरे आम गोलियों से भून दिया है ।

महाराष्ट्र में ये मुद्दा सिर्फ क़ानून और व्यवस्था का ही नहीं बल्कि राजनीति का भी है।  महाराष्ट्र में अगले महीने विधानसभा के चुनाव होने जा रहे है ।  इन चुनावों में लारेंस भी एक राजनीतिक मुद्दा होगा ,लेकिन इससे सलमान को सुरक्षा की गारंटी तो नहीं मिल जाती ।  अभी तक सरकार ने सलमान की सुरक्षा की गारंटी ली भी नहीं है हालाँकि सलमान को सरकार की और से सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराई गयी है ।  सलमान का अपना सुरक्षा कुछ है सो अलग।

फ़िल्मी दुनिया में आये सलमान खान को कोई 36  साल हो गए है।  उन्होंने 1988  में फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा था और आज वे रजतपट के सबसे चाहते और सबसे ज्यादा मंहगे अभिनेता है।  हाल में ही उनकी अनेक फिल्मों ने सबसे ज्यादा कमाई की है ,शायद इसीलिए सलमान अंदर वर्ल्ड की नजर में चढ़े हुए है।  डॉन लारेंस विश्नोई से सलमान की अदावत की एक वजह काले हिरण के शिकार का वो मामला है जिसमें सलमान खान पर आरोप लगाए गए थे। राजस्थान का विश्नोई समाज काले हिरण को अपनी जान से ज्यादा चाहता है ,शायद लारेंस आपने समाज की और से स्वयंभू ठेकेदार बनकर सलमान से बदला लेना चाहता है।

लारेंस की धमकी के बाद सलमान खान 'बिग बॉस ' की शूटिंग के लिए घर से निकले। लेकिन उनके पिता सलीम खान की आँखों में मैंने अपने बेटे के लिए डर को तैरते हुए देखा ।  एक टीवी चैनल  को दिए इंटरव्यू में सलीम साहब की आँखे पनीली हो गयीं। सलीम खान साहब अपने जमाने के मशहूर पटकथालेखक हे है।  उनकी और जावेद खान की जोड़ी ने फ़िल्मी दुनिया को हिलाकर रख दिया था ।  बाद में ये जोड़ी टूट गयी और सलीम साहब भी ,लेकिन उनके बेटे सलमान खान ने जो यश-कीर्ति कमाई उससे उन्हें सम्हलने का मौक़ा जरूर मिला। एक पिता के रूप में सलीम साहब को डरते हुए मैंने पहली बार देखा।

अजीब बात ये है कि  लारेंस विश्नोई और सत्तारूढ़ दल के लक्ष्य अल्पसंख्यक ही हैं। कभी-कभी लगता है कि  दोनों मिलकर इस देश से मुसलमानों का सफाया करना चाहते हैं। लेकिन ये जान लेना जरूरी है कि  सलमान खान के डीएनए में इसी देश का नमक और खून बह रहा  है।  वे यहीं जन्में हैं और तीन पीढ़ियों से भारतीय है।  अलवत्ता  सलमान ख़ान के दादा अफगानिस्तान से आकर भारत में मध्य प्रदेश में बस गए थे। उनकी माँ मराठी हिंदू है। सलमान  ख़ान ने एक दफ़ा खुद भी कहा है कि वे आधे हिंदू व आधे मुस्लिम है।उनकी सौतेली माँ हेलेन, अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री  हैं।  सलमान  पटकथा लेखक  सलीम ख़ान और उनकी पहली पत्नी  सुशीला चरक  उर्फ़ सलमा के ज्येष्ठ पुत्र है। उन उनके दो भाई अरबाज़ ख़ान और सुहेल ख़ान व बहनें अलवीरा और अर्पिता है। अलवीरा की शादी अभिनेता/निर्देशक अतुल अग्निहोत्री से हो चुकी है। ख़ान ने अपने भाईयों अरबाज़ व सुहेल की ही तरह बांद्रा स्थित सेंट स्टेनिस्लॉस हाई स्कूल के माध्यम से अपनी स्कूली शिक्षा समाप्त की। इससे पहले उन्होंने ग्वालियर स्थित सिंधिया स्कूल में अपने छोटे भाई अरबाज़ से साथ कुछ वर्ष पढ़ाई की।

तमाम विवादों में घिरे सलमान खान का एक प्रशंसक मै भी हूँ । उनकी फ़िल्में देखने वालों में तमाम अंधभक्त भी हैं  लेकिन अब उन्हें सलमान खान में नायक नहीं बल्कि खलनायक नजर आता है। सलमान  ने अतीत में जो भी अपराध किये हों उनकी सजा उन्हें मिली है या मिलेगी लेकिन उन्हें सिर्फ इस वजह से जान से मारने की धमकी नहीं दी जा सकती क्योंकि वे एक मुसलमान हैं। काले हिरण के शिकार के मामले में उन्होंने बाकायदा जेल यात्रा की और न्यायालय की और से ही उन्हें  जो राहत मिलना थी सो मिली।  अब इस मामले में लारेंस जज क्यों बनना चाहता है ? सलमान से पहले कितने   ही अभिनेताओं को  जान से मरने की धमकियां मिल चुकी हैं। बदमाशों ने शाहरुख़ खान,राकेश रोशन महेश भट्ट,आमिर खान और अक्षय कुमार को भी क्या कम धमकाया है ? गुलशन कुमार और सिद्धू मूसावाला की तो इन बदमाशों ने जान ही ले ली है।

सलमान खान भारतीय फिल्म जगत के राहुल गांधी हैं।  अविवाहित लेकिन सबसे ज्यादा लोकप्रिय ।  दोनों की जान लगातार खतरे में रहती है लेकिन दोनों की लोकप्रियता दिनों -दिन बढ़ती ही जा रही है।  राहुल और सलमान खान की तुलना करने पर मुझे तमाम आक्रमणों का सामना करना पड़ेगा,लेकिन एक लेखक के रूप में मुझे जो ठीक लग रहा है ,वो मै लिख रहा हूँ ।  मुमकिन है कि  मेरा लिखा सही न भी हो। मै करूँ तो करूँ भी क्या ? मुझे दिलीप कुमार साहब भी पसंद है। मुझे वहीदा रहमान पसंद है।  ये सभी  मुसलमान है।  अब सिर्फ इसी वजह से न मैं अपनी पसंद बदल सकता हूँ और न दूसरे लोग भी ऐसा कर सकते है। कुल जमा बात ये है कि  इस समय देश में सत्ता और डॉन के बीच एक अघोषित गठबंधन बनता नजर आ रहा है ।  महाराष्ट्र और राष्ट्र के मतदाताओं की ये जिम्मेदारी है की वो इस गठजोड़ को हर सूरत में तोड़े।

@ राकेश अचल


डाकुओं और डॉन में जमीन -आसमान का फर्क


मै एक जमाने में दुर्दांत डकैतों के लिए बदनाम चंबल इलाके से आता हूँ ।  मैंने  अपने  पत्रकारिता के कार्यकाल में डाकुओं की जितनी कहानियां बनाई और बेचीं उतनी शायद मुंबई के डॉन की कहानियां भी नहीं बिकी होंगीं। चंबल के डाकू दो दशक पहले हमेशा -हमेशा के लिए समाप्त हो गये।  लेकिन मुंबई के डॉन आज भी ज़िंदा हैं । मुंबई के डॉन और चंबल  के डाकुओं में बहुत फर्क है ।  डाकू कभी किसी की हत्या के लिए सुपारी नहीं लेते थे,लेकिन डॉन सुपारी लेते भी हैं और देते भी हैं।

डाकू हों या डॉन मीडिया के लिए हमेशा ' हाट केक ' की तरह बिकने वाले कथानक रहे है।  आजकल मुंबई में ही नहीं पूरे देश में डाकुओं से ज्यादा डॉन की चर्चा हैं ।  डॉन लारेंस विश्नोई   द्वारा हाल ही में दिल्ली और मुंबई में सुपारी देकर कराई गयी हत्याओं के बाद सुर्ख़ियों में  हैं। भ्रष्ट नेताओं से ज्यादा खूखार डॉन सुर्ख़ियों में है।  विश्नोईयों के बारे में धारणा  है कि वे न केवल पर्यावरण प्रेमी होते हैं बल्कि काले हिरणों के सबसे बड़े संरक्षक भी होते हैं ,लेकिन इस विश्नोई समाज से यदि लारेंस डॉन बनकर निकला है तो हैरानी होती है ।  पता नहीं लारेंस का राजस्थान के विश्नोई समाज से कोई वास्ता है भी या नहीं।

मैंने अपने पत्रकारिता के जीवन में देश के इस सदी के सबसे कुख्यात और ' रॉबिनहुड ' रहे डकैत देखे है।  उनसे मिला हूँ ।  माधौ  सिंह ,मोहर सिंह ,तहसीलदार सिंह, पान सिंह,निर्भय गूजर  से लेकर फूलन देवी तक को मै खूब जानता था,लेकिन कोई इतना नृशंस नहीं था, जितना कि  आजकल के डॉन हैं।  डाकुओं ने हत्याएं   कीं,अपहरण किये, गांव के गांव जलाये लेकिन उनकी करतूतों के पीछे की कहानियां कुछ और हुआ करतीं थीं। उनके मन में हिंसा के साथ  दया-माया भी थी ।  वे रॉबिन हुड की तरह गरीबों की मदद भी करते थे और आततायियों को सबक भी सिखाते थे ।  डाकुओं ने कभी प्रदेश में बैठकर अपने गिरोह  नहीं चलाये लेकिन मोदीकाल के डाकू अमेरिका में बैठकर अपने गिरोह चला रहे है।  बीहड़ों के बजाय वातानुकूलित जेलों में रहकर गिरोह चला रहे है।

बात नए -नए डॉन लारेंस विश्नोई की हो रही थी ।  लारेंस विश्नोई हाल ही में एनसीपी [ अजित गुट ] के नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद सुर्ख़ियों में है।  उसके निशाने पर एक लोकप्रिय अभिनेता सलमान खान के अलावा अनेक खान हैं।  ये महज संयोग है या कोई नियोजित अभियान की लारेंस और सत्तारूढ़ दल के लक्ष्य एक जैसे ही है।  कभी -कभी लगता  है कि  लारेंस ने या तो संघ और भाजपा का एजेंडा चुरा लिया है या वो इन संगठनों और दलों का अंधभक्त बन गया है।  दोनों के निशाने पर अल्पसंख्यक ज्यादा हैं ,दुसरे  लोग भी हैं लेकिन अल्पसंख्यक  सबसे ऊपर है।  कहने को तो बाबा सिद्दीकी जैसे लोग संजय दत्त के भी खैरख्वाह थे।

दरअसल मै अपने नयी पीढ़ी के पाठकों को डॉन और डाकुओं में फर्क बताने की कोशिश कर रहा था ।  डाकू विषम परिस्थितियों में बीहड़ का रास्ता पकड़ते थे और डॉन सुनियोजित तरीके से मुंबई का रुख  करते हैं। डॉन और डाकू पहले छोटी  वारदात  करते  हैं ,बाद में किसी स्थापित  गिरोह में शामिल होते हैं लेकिन बाद में अनुभव हासिल होते ही डॉन अपने स्वतंत्र गिरोह बना लेते हैं। जाति डॉन की भी होती है और डाकू की भी। हाजी मस्तान से लारेंस तक और मान सिंह से लेकर  जगजीवन परिहार तक कहानियां एक जैसी हैं।दोनों कि जीवन पर फ़िल्में भी खूब बनतीं और चलतीं हैं।  लेकिन डाकू दिलेर  होते हैं और डॉन कायर।  डाकू पुलिस  से सीधे मुठभेड़ करते हुए मारे जाते हैं ,लेकिन डॉन कभी पुलिस से सीधे मोर्चा नहीं लेते ।  डाकुओं के गुर्गे नहीं होते लेकिन डॉन के होते हैं। डॉन विलासता का जीवन जीते हैं ,बड़े शहरों और बड़े देशों में रहते हैं किन्तु डाकू बीहड़ों में विषम परिस्थितयों में रहते हैं और उनके जीवन में विलासता भी बड़े ही निम्न स्तर को होती थी।

डॉन और डाकूओं  में महिलाओं  का प्रतिशत  बहुत कम  रहा है।  गुजरात  की लेडी डॉन की तरह एक जमाने में चंबल की महिला डाकू पुतली बाई एक किवदंती बन गयी थी।  फूलन तो डाकू जीवन से मुक्त होकर संसद तक पहुंची।  एक डाकू सरगना  मलखान सिंह भी फूलन  का अनुशरण   करते हुए विधानसभा में पहुँचने के लिए बार-बार चुनाव लड़ा लेकिन कामयाब नहीं हुआ।  डॉन भी किवदंती बने हैं ,लेकिन शायद ही कोई डॉन हो जो संसद तक पहुंचा हो,हालाँकि हाजी मस्तान ने डॉन बनने के बाद गाँधी  टोपी पहनकर नेतागीरी की थी लारेंस को भविष्य में कोई हिंदूवादी पार्टी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में टिकिट दे दे तो मै जानता नहीं। हाँ डाकुओं कि मंदिर हैं लेकिन डॉन कि नहीं।

लोकतंत्र के लिए डाकू और डॉन समान  रुप से उपयोगी रहे है।  मै ऐसे तमाम नेताओं को जानता हूँ जो एक जमाने में चुनावों के वक्त  चंबल में डाकुओं के प्रभाव का ,आतंक का इस्तेमाल खुलेआम करते थे।  चंबल की ये कहानी  मै महाराष्ट्र ,गुजरात और देश के हर हिस्से में दुहराते हुए देख रहा हू।  अब हर राज्य में कोई न कोई डॉन किसी न किसी नेता को चुनाव जितने के लिए अपने प्रभाव    और आतंक   का इस्तेमाल करता  है। डॉन और डाकू आतंक के कारण  ही समाज में ज़िंदा हैं। अब डॉन और डाकुओं ने अपनी   वर्दी बदल ली है।  वे खादी से लेकर 'हुडी'  तक पहनने लगे हैं।

डाकुओं के समर्पण के लिए विनोबा भावे  और जयप्रकाश नारायण से लेकर अर्जुन सिंह तक ने अथक प्रयास किये थे लेकिन डॉन को समाज की मुख्यधारा में लाने का काम किसी नेता ने किये हो तो मुझे मालूम नहीं।  डॉन आज भी सुपारी ले और दे रहा है।  हत्याएं करा रहा है। चौथ वसूली कर रहा है। डाकू ये सब छोड़ चुके हैं। वे या तो खेती कर रहे हैं  या राजनीति या समाजसेवा।  दुर्भाग्य कहूँ या सौभाग्य कि  मुझे आजतक किसी डॉन से मिलने का सौभाग्य नहीं मिला,हालाँकि  हमारे पूर्वज कहें या अग्रज स्वर्गीय वेद प्रताप वैदिक सीमा पर जाकर पाकिस्तान के डॉन हाफिज सईद से मिल आये थे। उनका और हाफिज जी का इंटरव्यू ठीक उसी तरह से सुर्खियां  बना था जैसा की एक जमाने में फूलन  और निर्भय के इंटरव्यू ।

बहरहाल डाकुओं की कहानी तो लगभग समाप्त हो चुकीहै किन्तु डॉन की फिल्म खत्म होने का नाम नहीं ले रही ।  डॉन की कहानी ने ' सीक्वल ' का रुप ले लिया है।  एक जाता है तो दूसरा आ जाता है।  ये तब तक चलेगा जब तक सियासत चाहेगी ।  जिस दिन सियासत और डॉन का रिश्ता दरकेगा डॉन की कहानी भी उसी तरह समाप्त हो जाएगी जैसे की डाकुओं की हुई है। डॉन ,डाकू और डाकिया तंत्र लोकतंत्र के लिए अभिशाप है।  इनका खात्मा जितनी जल्द हो उतना अच्छा है। अन्यथा न मुंबई चैन से रह पायेगी और न दिल्ली।

@ राकेश अचल

 


यूनिकोड न्याय की गांन्धारी की आँखों से पट्टी का हटना सुखद


कहते हैं की जो होता है सो अच्छा ही होता है।  भारत में न्यायपालिका का प्रतीक चिन्ह आँखों पर पट्टी बंधे हाथ में तलवार लिए एक स्त्री का चित्र था ।  इसे न्याय की देवी कहा और माना जाता है ,क्योंकि न्याय देने का काम शायद देवता नहीं कर पाते हैं। न्याय की देवी की आँखों पर पट्टी शायद इसलिए बंधी गयी होगी ताकि वो नीर-क्षीर विवेक से न्याय कर सके,हाथ में तलवार शायद इसीलिए दी गयी होगी ताकि वो निर्ममता से दंड दे सके,लेकिन अब उसकी आँखों से पट्टी भी हटा दी गयी है और हाथ से तलवार भी छीन ली गयी है ।  न्याय की देवी के हाथों में उस संविधान की प्रति पकड़ा दी गयी है जो हाल के आम चुनाव में कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी और बाकी का विपक्ष लेकर घूम रहा था।

कहते हैं कि न्याय के प्रतीक को बदलने की सारी कवायद के पीछे देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ हैं।   उनके निर्देशों पर न्याय की देवी में बदलाव कर दिया गया है।  न्याय कि देवी कि नयी प्रतिमा  सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है।   पहले जो  न्याय की देवी की मूर्ति होती थी. उसमें उनकी दोनों आंखों पर पट्टी बंधी होती थी. साथ ही एक हाथ में तराजू जबकि दूसरे में सजा देने की प्रतीक तलवार होती थी। ये बदलाव हालाँकि सांकेतिक ही है लेकिन है अच्छा।  इस फैसले पर मौजूदा सरकार की सोच भी परिलक्षित होती है। आपको याद होगा कि हमारी मौजूदा सरकार को आजकल सब कुछ बदलने का भूत सवार है ।  शहरों,स्टेशनों के नाम ही नहीं बल्कि अंग्रेजों के जमाने के तमाम क़ानून भी बदले गए हैं। ऐसे में न्यायपालिका क्यों पीछे रहे ? इसीलिए  अब भारतीय न्यायपालिका  ने भी ब्रिटिश काल  को पीछे छोड़ते हुए नया रंगरूप अपनाना शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का ना केवल प्रतीक बदला है बल्कि सालों से न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी भी हट गई है।  जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश को संदेश दिया है कि अब ' कानून अंधा' नहीं ह।  क़ानून को अंधा होना भी नहीं चाहिए ।दुर्भाग्य से देश में आज भी तमाम क़ानून अंधे हैं।  

मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य नयायधीश को ये विचार या प्रेरणा पिछले दिनों गणेशोत्स्व पर प्रधानमंत्री जी के साथ गणेश पूजन के बाद मिली।  शुरुआत अच्छी है। हम सब इसका स्वागत करते है ।  इस समय जिस भी  व्यवस्स्था की आँखों पर पट्टी बंधी हो उसे हटाने की जरूरत है। आँखों पर पट्टी का बंधा होना जहाँ नीर-क्षीर विवेक का प्रतीक माना जाता रहा है वहीं इसे जानबूझकर आखें बंद करने का प्रतीक भी माना जाता है।  द्वापर में गांधारी ने अपनी आँखों पर पट्टी अपने पति प्रेम के चलते बाँधी थी ,लेकिन उसका क्या परिणाम हुआ ,पूरी दुनिया जानती है ।  दुनिया न भी जानती हो , लेकिन भारत का बच्चा -बच्चा  जानता  है। सुप्रीम कोर्ट के इस नवाचार का हम दिल खोलकर स्वागत करते हैं और चाहते हैं कि अब देश में न्यायप्रणाली की ऑंखें न सिर्फ खुलीं हों बल्कि गंगाजल से धुली भी हो।  अभी तक भारतीय न्यायपालिका में देश का भरोसा कायम है यद्द्पि न्यायपालिका तमाम आधे-अधूरे  फैसलों की वजह से संदिग्ध हुई है तथापि उसे अनेक फैसलों की वजह से पूरा सम्मान भी हासिल है।

दुर्भाग्य ये है कि इस समय देश में कार्यपालिका हो या विधायिका,सभी की आँखों पर पट्टी और हाथों में तलवार है ।  पक्षपात की तलवार । अदावत की तलवार।  हमारी सरकार के नियंत्रण में सब कुछ है ।  न्यायपालिका भी ,क्योंकि इस अंग की नियुक्ति,वेतन-भत्तों तक की व्यवस्था सरकार करती है। सरकार भी अपनी आँखों पर पट्टी बांधकर काम करती है ।  वो जिस मंजर   को नहीं देखना चाहती उसे नहीं देखती ।  वो जहाँ तलवार चलाने की जरूरत होती है वहां तलवार को हाथ भी नहीं लगाती और जहाँ तलवार नहीं चलना होती वहां तलवार भी चलाती है और आँखों पर बंधी पट्टी भी हटा लेती है।  इस बात के उदाहरण नहीं दूंगा,इसका विश्लेषण आपको  भी करना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश माननीय चंद्रचूड़ का मानना है  कि अंग्रेजी विरासत से अब आगे निकलना चाहिए।  कानून कभी अंधा नहीं होता।  वो सबको समान रूप से देखता है।  इसलिए  न्याय की देवी का स्वरूप बदला जाना चाहिए।  साथ ही देवी के एक हाथ में तलवार नहीं, बल्कि संविधान होना चाहिए; जिससे समाज में ये संदेश जाए कि वो संविधान के अनुसार न्याय करती हैं।  न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ साहब  का मानना है कि तलवार हिंसा का प्रतीक है।  जबकि, अदालतें हिंसा नहीं, बल्कि संवैधानिक कानूनों के तहत इंसाफ करती हैं।  दूसरे हाथ में तराजू सही है कि जो समान रूप से सबको न्याय देती है।

हमें उम्मीद करना चाहिए की जिस तरह से माननीय मुख्य न्यायाधीश ने अपनी सेवा निवृत्ति से कुछ दिन पहले न्यायपालिका के प्रतीक को बदला है उसी तरह वे जाते-जाते उन सभी संवैधानिक संस्थाओं की आँखों पर बंधी पट्टी और हाथों   में ली गयी दृश्य और अदृश्य तलवारों को हटवाने का भी इंतजाम कर जायेंगे।   ईडी हो,सीबीआई हो या केंद्रीय चुनाव आयोग हो सबकी आँखों पर पट्टी और हाथों में तलवार है । आज का युग आँखों पर पट्टी बांधकर काम करने का है भी नही।  आज के युग में तलवार हाथ में लेकर दुनिया को नहीं चलाया जाता ।  आज कीदुनिया के हाथों में तलवार की जगह विनाशकारी बम आ गए हैं, मिसाइलें आ गयीं हैं  ,जो सामूहिक नरसंहार कर रहे हैं।

हमारे क़ानून के शिक्षक स्वर्गीय गोविंद अग्रवाल साहब हमें पढ़ते वक्त बताया करते थे कि -न्याय की देवी की वास्तव में यूनान की प्राचीन देवी हैं, जिन्हें न्याय का प्रतीक कहा जाता है. इनका नाम जस्टिया है. इनके नाम से जस्टिस शब्द बना था।  इनके आंखों पर जो पट्टी बंधी रहती है, उसका मतलब है कि   न्याय की देवी हमेशा निष्पक्ष होकर न्याय करेंगी।  किसी को देखकर न्याय करना एक पक्ष में जा सकता है।  इसलिए इन्होंने आंखों पर पट्टी बांधी थी। वैसे आपको भी पता है और मुझे भी पता है कि आँखों पर पट्टी बांधकर मोटर साइकल चलाना और चित्र बनाना जादूगरों का काम है,न्यायधीश ये नहीं कर सकते । नेता जरूर कर सकते हैं,कर भी रहे हैं। । बहरहाल मुख्य न्यायाधीश को इस तब्दीली के लिए तहेदिल से बधाई। कम से कम सेवनिवृर्ति से पहले वे भी एक नया इतिहास लिखकर जो जाने वाले हैं। अब पुरानी हिंदी फिल्मों में दिखाए जाने वाले अदालतों के इस प्रतीक चिन्ह का क्या होग। राम जाने ?

@ राकेश अचल


 

अब प्रियंका की संसद से होगी कुड़माई

पूर्व प्रधानमंत्री  श्रीमती इंदिरा गाँधी की पौत्री और राजीव गाँधी की बेटी श्रीमती प्रियंका वाड्रा ने आखिर ना ना करते हुए भी चुनावी राजनीति में कदम रख ही दिया ।  अब अगले माह उनकी संसद से कुड़माई होगी ।  दो बच्चों की माँ और परिपक़्व राजनेता बन चुकी प्रियंका वायनाड से लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बनाई गयीं हैं। कांग्रेसजनों के लिए ये खुशखबरी और सत्तारूढ़ दल के लिए ये एक और मुद्दा होगा

हम  प्रियंका  के संसदीय राजनीति में आने का स्वागत करते हैं।  वर्तमान में वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं।प्रियंका न राजनीति के लिए नई हैं और न देशवासियों के लिए। उनके पास राजनीति की एक लम्बी विरासत भी है और अनुभव भी। कांग्रेसी ही नहीं अपितु आम भारतीय प्रियंका में स्वर्गीय इंदिरा गांधी का अक्श देखता है। अक्श और वस्तविक्ता में फर्क होता है ,लेकिन हम और आप अपने पूर्वजों के अक्श के अलावा और हैं भी क्या ?प्रियंका को कांग्रेस ने वायनाड की एक ऐसी सीट से चुनाव मैदान में उतारा है जो शायद कांग्रेस के लिए बेहद सुरक्षित और आसान है ,लेकिन बेहतर होता कि वे पांच महीने पहले हुए आम चुनाव के वक्त अमेठी की अपनी अघोषित रूप से पुश्तैनी संसदीय सीट से लड़तीं।

प्रियंका के लिए सक्रिय और संसदीय राजनीति  में प्रवेश करना पार्टी की जरूरत है या उनकी अपनी विवशता ? इस विषय पर बहस हो सकती है ,लेकिन इस बात में कोई विवाद नहीं हो सकता कि वे एक धीर-गंभीर राजनेता के रूप में देश और पार्टी के लिए नयी नहीं हैं। उन्होंने चुनाव लड़ने में जानबूझकर देर की ,ये सब जानते है।  वे चाहतीं तो 20  साल पहले 2004  में ही संसदीय यात्रा शुरू कर सकतीं थीं ,लेकिन उन्होंने आम भारतीय परिवारों की तरह अपने परिवार की सियासी विरासत सम्हालने के लिए अपने से उम्र में दो साल छोटे भाई राहुल को ही आगे किया। ये प्रियंका का भाई के प्रति स्नेह है या त्याग कहना कठिन है ।  क्योंकि दोनों के बीच जो रिश्ता है वो सभी आशंकाओं,कुशंकाओं से परे खून का रिश्ता है।

कांग्रेस में प्रियंका को कमान देने की मांग समय -समय पर उठती रही हैं ।  राहुल गांधी से असहमत और नाउम्मीद कांग्रेसी ये मांग करते रहे हैं ,किन्तु प्रियंका  ने कभी इसमें कोई रूचि नहीं दिखा।  वे पिछले दो दशक से अपने भाई को राजनीति  में प्रतिष्ठित करने के लिए साये की तरह सक्रिय हैं आलोचनाओं की परवाह किये बिना। राहुल गांधी जब भी अकेले पड़े,लड़खड़ाए तो प्रियंका उन्हें सम्हालने में सबसे आगे रहीं। राहुल के ऊपर जितने सियासी हमले हुए ,उन सबके जबाब में प्रियंका ने जबाबी हमले भी किये और ढाल भी बनकर खड़ी दिखाई दीं। उनके और राहुल के बीच एक ही फर्क है कि वे राजनीयति का शालीन चेहरा मानी जाती हैं जबकि राहुल आक्रामक चेहरा।

मुझे वर्ष 1999  में प्रियंका का बीबीसी को दिया वो साक्षात्कार याद है जिसमें उन्होंने कहा था कि -मेरे दिमाग में यह बात बिलकुल स्पष्ट है कि राजनीति शक्तिशाली नहीं है, बल्कि जनता अधिक महत्वपूर्ण है और मैं उनकी सेवा राजनीति से बाहर रहकर भी कर सकती हूँ। तथापि उनके औपचारिक राजनीति में जाने का प्रश्न परेशानीयुक्त लगता है: "मैं यह बात हजारों बार दोहरा चुकी हूँ, कि मैं राजनीति में जाने की इच्छुक नहीं हूँ।'यानि आप कह सकते हैं कि प्रियंका बेमन से राजनीति में आयन थीं लेकिन अब उनका मन राजनीति में रम गया है।  प्रियंका किसी रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते हुए राजनीति   में नहीं आयीं ।  उनके पिता राजीव गाँधी, माँ श्रीमती सोनिया गाँधी ,दादी श्रीमती इंदिरा गाँधी, दादा फिरोज गाँधी ,और उनसे भी पहले पंडित जवाहर लाल नेहरू देश की राजनीति के महत्वपूर्ण अंग रहे हैं।  उनके लिए राजनीति न अपरिचित क्षेत्र है और न जरूरी।

मुझे लगता है कि प्रियंका के लिए राजनीति के जरिये देश सेवा करने का ये उचित समय है ।  उनके बच्चे भी बड़े हो गए हैं ,वे तमाम पारिवारिक जिम्मेदारियों से भी लगभग फारिग हो चुकीं है।  उनके पास अपनी माँ और भाई के चुनाव प्रबंधन का लंबा अनुभव भी है ।  2007  के उप्र विधानसभा चुनावों में उन्होंने जमकर मेहनत भी की थी। बहुत से लोग नहीं जानते होंगे कि प्रियंका मनोविज्ञान में स्नातक भी हैं इसलिए वे देश की जनता के मन को भी भलीभांति समझती हैं। संसदीय राजनीयति में उनके प्रवेश से कांग्रेस को लाभ मिलेगा या नुक्सान होगा ये कांग्रेस आकलन कर चुकी है।  प्रियंका की मौजूदगी से अब कांग्रेस में एक नए अध्याय का आगाज होग।  संसद के भीतर भी और संसद के बाहर सड़क पर भी। जो लोग राहुल से असहमत हैं वे प्रियंका से सहमत हो सकते हैं। उनके साथ  खड़े होकर काम कर सकते है।  प्रियंका राहुल के लिए चुनौती  नहीं बल्कि एक मजबूती साबित होंगी।

पिछले दो दशक में राहुल गांधी प्रधानमंत्री तो नहीं बन पाए लेकिन उन्होंने लोकसभा में विपक्ष के नेता का स्थान तो हासिल कर ही  लिया है।  संसद में अब वे अकेले नहीं होंगे।  उनकी मदद के लिए उनकी बहन भी साथ होंंगी बाशर्त कि वे वायनाड से चुनाव जीतकर आ जाएँ। भाजपा प्रियंका को शायद ही संसद में आने से रोक पाये ।  भाज पा के लिए संसद में प्रियंका का प्रवेश रोकने से ज्यादा महत्वपुर्ण महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव हैं।  झारखण्ड के चुनाव है।  इन दो राज्यों को बचाने में उलझी भाजपा शायद ही प्रियंका के सामने कोई चुनौती खड़ी कर पाए।  बेहतर तो ये हो कि भाजपा वायनाड से चुनाव लड़े ही न और एक नई नजीर पेश कर नारी शक्ति वंदन की ,लेकिन ऐसा होगा नहीं। भाजपा का दिल इतना बड़ा नहीं है। भाजपा कोशिश करेगी  कि प्रियंका  को संसद में आने से रोका जाये ,क्योंकि प्रियंका का संसद में आना उसके लिए समस्याएं ही पैदा करने वाला होगा।  

आपको याद होगा कि प्रियंका गांधी ने 1999 में राजनीति में प्रवेश किया था  , जब वो अपनी मां सोनिया गांधी के लिए चुनाव प्रचार करने उतरी थीं। इस दौरान उन्होंने पहली बार राजनीतिक मंच से भाजपा  उम्मीदवार अरुण नेहरू के खिलाफ प्रचार था। प्रियंका और प्रियंका जैसे  और भी युवा यदि राजनीति में अपनी जगह बनाते हैं तो मुमकिन  है कि राजनीति का चेहरा-मोहरा कुछ बदले ।  राजनीति अदावत के विष से मुक्त हो।

@ राकेश अचल



 

कैट का महिला उद्यमी सम्मेलन 15 अक्टूबर को



ग्वालियर। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ग्वालियर महिला विंग द्वारा 15 अक्टूबर को महिला उद्यमी सम्मेलन का आयोजन किया गया है। यह सम्मेलन होटल विवेक कॉन्टीनेन्टल टोपी बाजार लश्कर ग्वालियर पर दोपहर 3.00 बजे से होगा। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि कलेक्टर ग्वालियर श्रीमती रूचिका सिंह चौहान होंगी जबकि मुख्य वक्ता के रूप में कैट की कन्वेनर श्रीमती पूनम गुप्ता नई दिल्ली, सदस्य राष्ट्रीय कार्यकारिणी श्रीमती रूचि प्रभाकर जयपुर एवं डायरेक्टर बीएचएम एग्रीजेन्टिक प्रा.लि. श्रीमती प्रीती शुक्ला अहमदाबाद अतिथिवक्ता के रूप में उपस्थित रहेंगी। 
कैट महिला विंग की जिला अध्यक्ष डॉ.गरिमा वैश्य,महामंत्री सीए शुभांगी चतुर्वेदी, कोषाध्यक्ष मीनाक्षी गोयल ने बताया कि ग्वालियर की महिला उद्यमी इस सम्मेलन में भाग ले सकती है साथ ही कैट की सदस्य ऐसी महिलायें जो व्यवसाय में है अथवा व्यवसाय करना चाहती है, से भी इस सम्मेलन में शामिल होने हेतु आग्रह किया है। कैट की वरिष्ठ पदाधिकारी कविता जैन, रीनागांधी, साधना शाडिल्य, निधि अग्रवाल, निरूपमा मालपानी, बबिता डाबर, रानी गुप्ता, रानी बंसल, राखी गुप्ता, रश्मि अग्रवाल ने महिला उद्यमियों से अधिक से अधिक संख्या में सम्मेलन में भाग लेने का आग्रह किया है।

प्रभुजी आहार फाउंडेशन ने सेवा के 5 वर्ष किये पूर्ण

ग्वालियर| प्रभुजी आहार फाउंडेशन ने अपनी स्थापना के 5 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। 11 अक्टूबर 2019 को आदित्य शर्मा (सागर पंडित) द्वारा शुरू की गई यह पहल आज एक बड़े काफिले का रूप ले चुकी है, जो निरंतर समाज की सेवा में तत्पर है।
आदित्य शर्मा ने इस अवसर पर सभी का तहे दिल से आभार व्यक्त करते हुए कहा, “जो शुरुआत अकेले की गई थी, वह आज गुरु महाराज जी के आशीर्वाद और सभी के सहयोग से एक व्यापक अभियान बन चुकी है।” उन्होंने यह भी बताया कि प्रभुजी आहार फाउंडेशन का उद्देश्य समाज के ज़रूरतमंद लोगों की सेवा करना और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करना है। इस 5 साल के सफर में फाउंडेशन ने कई ज़रूरतमंद लोगों को भोजन और अन्य सहायता प्रदान की है। फाउंडेशन के आदित्य शर्मा ने इस यात्रा को समर्पण और निष्ठा के साथ आगे बढ़ाया है, और आज यह समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुका है।
फाउंडेशन की इस उपलब्धि पर स्थानीय समुदाय के लोग भी प्रसन्नता व्यक्त कर रहे हैं और सभी ने आदित्य शर्मा और उनके सहयोगियों को भविष्य में भी इसी प्रकार सेवा कार्यों के लिए शुभकामनाएं दी हैं। प्रभुजी आहार फाउंडेशन के आदित्य शर्मा सभी की सेवा में सदैव तत्पर रहते हैं और भविष्य में भी समाज की भलाई के लिए और बड़े पैमाने पर कार्य करने की योजना बना रहे हैं।

कांग्रेस सदभावना ने माता से बेटियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रार्थना की

 

 ग्वालियर  9 अक्टूबर / कांग्रेस सदभावना के अध्यक्ष विष्णु कान्त शर्मा ने  शहर जिला कांग्रेस कमेटी के नेतृत्व में शहर में माता रानी की 200 से अधिक नवरात्रि पंडालो में बेटियों ,बच्चो और महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर माता के चरणों में पत्र रखा और वैष्णो देवी माता ,कैला देवी माँ ,काली कलकत्तेवाली माँ ,माँ कामाख्या देवी ,माँ ज्वाला देवी ,शीतला मय्या समस्त माताओं को प्रार्थना पत्र ईमेल एवं आत्मा से प्रार्थना पत्र भेजा I

माता रानी से प्रार्थना कर कंहा कि ग्वालियर और प्रदेश में बेटियों/महिलाओं पर आए दिन ज्यादतियां हो रही हैं प्रदेश में बेटियों और महिलाओं के लापता होने के मामले देश नंबर वन हैं ग्वालियर के पिछले पांच साल में    5 हज़ार 240 बेटियां ,महिलाऐं और बच्चे गायब/चोरी हुए I म.प्र.देश में बच्चे चोरी/बेटियाँ/महिलाएं लापता की मामलों में नंबर 1 बना I

इस संबंध में बच्चे बचाओ टीम और अन्य ने संबंधित संस्थाओं को शिकायत की लेकिन सरकार बेटियों ,महिलाओं पर हो रहे अन्याय अत्याचार के ख़िलाफ़ सुरक्षा नहीं दे सकी I वंही बच्चों की चोरी लगातार ग्वालियर सहित प्रदेश में जारी हैं यह बहुत ही दुखद चिंताजनक बात हैं I

कांग्रेस सदभावना की टीम जो शहर में नवरात्रि पंडालों में बेटियों ,बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर कर रहे हैं उनमें श्रीमति संगीता शर्मा , श्रीमति साधना जादौन ,श्रीमति संगीता त्रिपाठी ,मन्नू तिवारी घनश्याम राजपूत ,मीतू सिंह राठौर ,अभी आर्य ,रवि चौहान ,राम दयाल सिंह तोमर ,शिव प्रसाद शर्मा  ,सागर रैकवार ,इजी . आर .आर गुप्ता अंकित वर्मा ,रविन्द्र सिंह जादौन,रुपेश वर्मा योगेन्द्र सिंह कुशवाह ,लाल सिंह परसा ,अशोक झा ,अनिल खटीक ,मोहित कुमार ,गौरव लक्ष्यकार इत्यादि शामिल हुए I

अग्रवाल नवयुवक संघ ने अग्रसेन पार्क के बाहर की सफाई

 ग्वालियर। महाराजा अग्रसेन जयंती के उपलक्ष्य में अग्रवाल नवयुवक संघ लश्कर द्वारा मंगलवार सुबह दौलतगंज अग्रसेन पार्क के बाहर स्वच्छता अभियान चलाकर सड़क की धूल मिट्टी को हटाया। स्वच्छता अभियान में प्रवीण अग्रवाल (अध्यक्ष, म.प्र. चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री), संजय सिंघल (पार्षद वार्ड क्र. 43), अध्यक्ष सुनील गर्ग बबलू, महामंत्री मनोज सरावगी, कोषाध्यक्ष पवन गर्ग, मनोज गोयल, गोकुल बंसल, राजकुमार बिंदल, मनोज अग्रवाल, श्याम बंसल, योगेश अग्रवाल, रविंद्र चैबे, नंदकिशोर अग्रवाल आदि ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

माधवराव सिंधिया की 23 वीं पुण्यतिथि पर भजन संध्या और श्रद्धांजलि कार्यक्रम 30 सितंबर को

ग्वालियर। पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं ग्वालियर राजघराने के महाराज माधवराव सिंधिया की 23वीं पुण्यतिथि पर सोमवार 30 सितंबर को विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों की शुरूआत प्रातः 09 बजे अम्मा महाराज की छत्री पर पुष्पांजलि के बाद भजन संध्या का आयोजन होगा, जिसमें अशोक कुमार मोहिते और आत्मानंद शर्मा द्वारा भजन प्रस्तुत किये जायेंगे। इसके अलावा, नदी गेट पर स्थित महाराज की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी। 
उक्त जानकारी  रविवार को कार्यक्रम संयोजक बालखांडे एवं पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल ने पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर चारों धर्म के ग्रुरु संत कृपाल सिंह ,शहर काजी अब्दुल अजीत कादरी ,रमेश लाल, क्रिश्चियन समाज के मुख्य पादरी एवं सिख समाज के गुरु जी को शॉल एवं श्रीफल देकर सम्मानित किया जाएगा।
उन्होने बताया कि माधवराव सिंधिया सेवा समिति द्वारा विभिन्न सामाजिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें अस्पताल में भोजन वितरण,माधव अंध आश्रम में पुष्पांजलि और भोजन वितरण, गौ सेवा चारे से करना आदि शामिल हैं।
पत्रकार वार्ता में पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल, बालखाण्डे, सुरेन्द्र शर्मा, रामनारायण मिश्रा, गुड्डू वारसी, राम सुन्दर सिंह रामू, उमाशंकर सोनी, राजकुमार गुप्ता, पुरूषोत्तम भार्गव, डॉ. नरेश देव, धमेन्द्र शर्मा, गुडडू वारसी , श्रीमती रूचिका श्रीवास्तव, प्रियंका गर्ग, संगीता पाल, सपना पाल, आनंद सावंत, विशाल जैन आदि उपस्थित थे।

राम से बड़ा राम का नाम : दीदी श्री सरस्वती पूर्णिमा जी

 


रविकांत दुबे       

सिद्ध पीठ श्री गंगा दास जी की शाला में पूरन बैराठी पीठाधीश्वर स्वामी राम सेवक दास जी महाराज जी के पावन सानिध्य में श्राद्ध पक्ष के पावन अवसर पर श्री मद भागवत कथा में  पूज्या सरस्वती पूर्णिमा जी ने बताया की राम से बड़ा राम का नाम है प्रभु के नाम श्रवण से जीवन की हर व्यथा मिट जाती है प्रभु की कथा सुनना ही पवित्र श्राद्ध पक्ष माह की बास्तविक सफलता है । श्राद्ध पक्ष में श्रीमद भागवत कथा सुनने और कराने से हमारे पित्रों को तृप्ति प्राप्त होती है और वो प्रसन्न होते हैं जिस कारण हमारे जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि निरंतर बनीं रहती है।

पूज्या सरस्वती पूर्णिमा जी ने कथा में बताया की नाम के सहारे से केवल 5बर्ष की आयु में ध्रुव जी ने भगवान के परम पद को प्राप्त कर लिया ओर मात्र नाम के प्रभाब से अजामिल जेसे पापी का भी उधार होगया इसीलिए बड़ी शाला में कलयुग के मानव मात्र उद्धार के लिए विगत चार वर्षों से अखंड श्री राम नाम संकीर्तन चल रहा हैआज भगवान का नाम  जीव के सभी पापो को नस्ट कर देता है इसलिए हमें हमेसा राम नाम का सहारा लेना चाहिए ओर कथा में राम नाम संकीर्तन कराया गया । कथा की आरती मुख्य यजमान  श्रीमती ममता सुशील कटारे ,श्रीमती प्रीति राधा रमण कटारे, श्रीमती सीमा समाधिया, श्री दीपेन्द्र गोले, आदि ने की । कथा से पूर्व आचार्य डॉ विकाश त्रिपाठी एवं कान्हा शास्त्री द्वारा सभी पीठों का पूजन पूर्ण विधि विधान से  तन्मय  कटारे के हाथों से संपन्न कराया गया। कल की कथा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म बड़ी धूम धाम से मनाया जाएगा सभी भक्तों से अपील है कि वे कथा में अवश्य पधारें।

बड़ी शाला बद्रीनारायण और गया बनी

 रविकांत दुबे       

 ग्वालियर /  सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में पूरन बैराठी पीठाधीश्वर स्वामी श्री राम सेवक दास जी महाराज के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा एवं तर्पण प्रारम्भ हुआ।

भागवत सुनने एवं कराने से मानव सद्गति प्राप्त करता है।

कथा व्यास दीदी सरस्वती पूर्णिमा जी वृंदावन धाम से पधारी हुई ने कहा कि श्रीमद् भागवत में वो बल है जो समस्त ज्ञात अज्ञात पापी दुरात्मा योनि में पड़े हुए पितरों को मोक्ष प्रदान करती है। अजामिल एवं धुंधकारी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।

भागवत जी में कहा गया है कि यह प्रेत पीड़ा विनाशनी है।

कहा जाता है कि सिद्ध स्थान पर किया गया कोई भी कार्य हज़ारों गुना फल देता है, चूंकि यह सिद्धपीठ श्री गंगा दास जी की बड़ी शाला में ७०० वर्षों से अखंड भजन पूजन सेवा चल रही है जिस कारण प्रत्येक तीर्थ के समान फल प्राप्त होता है।

पितृ पक्ष में तर्पण न केवल पितरों के लिए होता है बल्कि देवताओं, ऋषियों, सिद्ध पुरुषों के लिए किया जाता है जो समस्त पुण्यों को देने वाला होता है।

पूर्णिमा से अमावस्या तक आचार्य डॉ विकाश त्रिपाठी द्वारा वैदिक परम्परा से नित्य तर्पण कराया जा रहा है।

विधि विधान से कान्हा शास्त्री जी ने गणपति इत्यादि पीठों का पूजन कराया जो तन्मय कटारे द्वारा हुआ।

प्रथम दिन की आरती में श्रीमती ममता सुशील कटारे, श्रीमती सीमा समाधियां, श्रीमती कृष्णा नागर, श्रीमती प्रीति राधा रमण कटारे, प्रशांत कटारे, शिवम् तिवारी आदि समस्त भक्त आरती में शामिल हुए।।

स्पीति मैराथन 2024 के लिए पंजीकरण देश भर के प्रतिभागियों के लिए शुरू

 रविकांत दुबे          

भारतीय सेना, आईटीबीपी और नागरिक प्रशासन के साथ हिमाचल में स्पीति मैराथन का आयोजन करेगी 

ग्वालियर / स्पीति मैराथन 2024, भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन सद्भावना पहल के अंतर्गत 28-29 सितंबर 2024 को हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले के काजा सब-डिवीजन में सुमदो के हिम योद्धा मिलिट्री स्टेशन में आयोजित हो रहा है। यह एक विशेष हाई एटलिट्यूड मैराथन है। उद्घाटन समारोह स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश भर के धावकों के लिए खुला है। कार्यक्रम का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के दूरदराज के इलाकों में भारतीय सेना द्वारा की गई पहल को उजागर करना, स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा देना, सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन, स्पीति घाटी में गांवों को प्रदर्शित करना है। इस से भारत सरकार के वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम को बढ़ावा देने के साथ साथ, शारीरिक फिटनेस और मानसिक मजबूती को भी भी प्रोत्साहित किया जाएगा। 

यह आयोजन स्पीति घाटी के लोगों के साथ मजबूत संबंधों को सक्षम बनाएगा। आई टी बी पी, हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग, हिमाचल प्रदेश पुलिस और काजा उपमंडल के नागरिक प्रशासन की भागीदारी और समर्थन के साथ, मैराथन बेहतर नागरिक-सैन्य समन्वय के माध्यम के रूप में भी काम करेगा।

*प्रतिभागियों के लिए www.spitimarachon.in पर ऑनलाइन पंजीकरण खुला है*। अब तक कई पंजीकरण किए जा चुके हैं जिसमें कई प्रशंसित अल्ट्रा-मैराथनर्स ने इस आयोजन में भाग लिया है।

इस आयोजन में विभिन्न श्रेणियों में चार दौड़ो में 36 से अधिक पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। 

(ए) 77 किलोमीटर स्पीति एवेंजर चैलेंज एक विशिष्ट रूप से निर्मित दौड़ है जिसे 28 सितंबर 2024 को सुबह 5:00 बजे काजा से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया जाएगा।

(बी) 42 किमी स्पीति फुल मैराथन को 28 सितंबर 2024 को सुबह 7:00 बजे हिम योद्धा मिलिट्री स्टेशन, सुमदो से हरी झंडी दिखाई जाएगी।

(सी) 21 किलोमीटर स्पीति हाफ मैराथन हिम योद्धा मिलिट्री स्टेशन, सुमदो से शुरू होगी।

(डी) 29 सितंबर 2024 को सुबह 7:00 बजे सुमदो से 10 किमी रन फॉर फन को हरी झंडी दिखाई जाएगी।

स्पीति मैराथन धैर्य, रोमांच और लुभावनी हिमालयी सुंदरता का एक अनूठा मिश्रण प्रदान करता है, जो प्रतिभागियों के लिए जीवन में एक अनोखा अनुभव साबित होगा।

श्राद्ध पक्ष में नफरत के तर्पण की जरूरत


दिशाहीन,कसैली,विषैली सियासत पर लिखते-लिखते अब ऊब होने लगी है। इसलिए आज श्राद्ध पक्ष पर लिख रहा हूँ ।  भारत में श्राद्ध पक्ष का बहुत महत्व है ।  मान्यताएं हैं ,अस्थायें हैं। हमारे पूर्वजों ने पूर्वजों की आत्मशांति और उनके प्रति शृद्धा व्यक्त करने के लिए पूरे पन्द्रह दिन मुकर्रर किये हैं। पंचभूत में विलीन हमारे पूर्वजों की देह हम नदियों में प्रवाहित कर देते हैं किन्तु उनकी आत्माओं के बारे में हमारे पास कोई प्रबंध नहीं है ।  हमें लगता है कि  पूर्वजों की आत्माएं भटकतीं है।  उन्हें भूख-प्यास भी लगती है इसलिए ब्राम्हणों के जरिये ,कौवों के जरिये, पशु- पक्षियों के जरिये हम उन्हें भोजन, वस्त्र और न जाने क्या-क्या पहुँचाने की कोशिश करते हैं। और जब थक  जाते हैं,पक जाते हैं , तो पिंडदान कर देते हैं।
स्थापित मान्यताओं के बारे में मुझे कुछ नहीं कहना,क्योंकि ये आज का विषय नहीं है ।  मेरा तो आग्रह ये है कि हम इस श्राद्ध पक्ष में यदि कुछ तर्पण करना ही चाहते हैं ,पिंडदान करना ही चाहते हैं तो हमें नफरत का ,ईर्ष्या का ,घृणा का पिंडदान  करना चाहिए ताकि समाज ,देश ,आसपड़ोस सुख  से रह सके। सुख अब दिनों-दिन अलभ्य होता जा रहा है। लोग सुख देने के बजाय उसे छीनने की स्पर्द्धा में जुटे हुए हैं। भारत में ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में ये छीना-झपटी चल रही है। छीना-झपटी  का चरम युद्ध में तब्दील होजाता है। दुनिया में कहाँ-कहाँ ये नफरत युद्ध में तब्दील हो चुकी है ,ये आप सभी जानते हैं।
बात नफरत की चली तो मुझे भारतीय राजनीति की कुछ महिलाओं की याद आ गयी ।  दिल्ली की नयी-नवेली मुख्यमंत्री आतिशी भाजपा की नफरत से परेशान हैं।  उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कुर्सी खाली रखकर कामकाज करने का फैसला किया तो भाजपा को उदरशूल होने लगा। भाजपा के तमाम भद्र नेता मुख्यमंत्री   आतिशी पर राशन-पानी लेकर चढ़ बैठे ।  उनका कहना है कि ये चमचत्व की पराकाष्ठा है जबकि आतिशी कहतीं हैं कि  वे दिल्ली में भरत राज का अनुकरण कर रहीं हैं। कलियुग में भरत राज का अनुकरण अविश्वनीय है,क्योंकि यहां तो भरत के रूप में चम्पाई सोरेन का  उदाहरण हैं जो सत्ता कि लालच में अपने ही दल को लात मार चुके हैं। आतिशी चम्पाई सोरेन  नहीं हैं,आतिशी है।  उनका सम्मान किया जाना चाहिए।
नफरत की आग भाजपा की कलाकार संसद सुश्री कंगना रावत कि दिल में भी धधक रही है। वे भी सन्निपात की शिकार दिखाई देतीं है।  वे कब   ,क्या बोलेंगीं ये उनका दल भाजपा भी नहीं जानता और इसीलिए कुछ दिन पहले ही कंगना कि एक बयान से भाजपा ने अपने आप को लग कर लिया था ।  अब वही कंगना रनौत  फिर सुर्ख़ियों में है।  उन्होंने कहा है कि -'हिमाचल प्रदेश सरकार कर्ज लेती है और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की गोद में डाल देती है। इस तरह वह कांग्रेस की झोली भर रही है। सोनिया गांधी ने राज्य के खजाने को 'खोखला' कर दिया है और हिमाचल की ये दुर्दशा हुई है। हिमाचल के बच्चों के भविष्य पर कुल्हाड़ी मारी जा रही है। यह देखकर उन्हें बहुत दुख होता है।उनका दुःख कब सुख में बदलेगा हम और आप नहीं जानते।
हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा भी इस समय अपनी पार्टी और भाजपा की नफरत का शिकार है।  नाराज हैं। चुनाव प्रचार में नजर नहीं  आ रही।  भाजपा ने उन्हें कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने का न्यौता दिया है लेकिन सैलजा ने बिभीषण बनने से इंकार कर दिया है ।  उनका कहना है कि उनकी देह कांग्रेस कि झंडे में ही लिपटकर विदा होगी ।  ऐसा समर्पण अब कहाँ देखने को मिलता है।
नफरत की राजनीति कि शिकार देश कि अल्पसंख्यक भी हैं और वे लोग भी जो तिरुपति तिरुमला देवस्थान में लड्डुओं के लिए देशी घी के नाम पर कुछ और सप्लाई करते आये हैं। लेकिन इस नफरत से किसका नुक्सान है और किसका फायदा ये समझना बहुत कठिन है। इसलिए मै बार-बार कहता हूँ कि श्राद्ध पक्ष में पितरों कि साथ उन लोगों कि लिए भी दान-पुण्य करना चाहिए जो नफरत की गिरफ्त में है।  नफरत से मोक्ष दिलाने कि लिए कोई नया विधि-विधान आवश्यक हो तो उसका भी इस्तेमाल किया जा सकता है। क्योंकि मेरी मान्यता है कि  जब तक समाज में देश में,दुनिया  में नफरत है कोई सुख से नहीं रह सकता ।  न गरीब और न अमीर। सुख की जरूरत सभी को है ,नफरत से मुहब्बत करने वाले लोग बहुत कम हैं और अब दुनिया में हर जगह उनकी शिनाख्त हो चुकी है । नफरत से मुहब्बत करने वाले अल्पसंख्या में हैं ,इसलिए उनसे डरने की नहीं सावधान रहने की जरूरत है।
देश के अल्पसंख्यकों से नफरत करने वाली इकलौती राजनितिक पार्टी भाजपा कुर्सी कि लालच में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में अल्पसंख्यकों कि प्रति उदारता दिखती नजर आ रही है ।  भाजपा   के बड़े नेता और इस दशक के सरदार पटेल हमारे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह साहब ने घाटी कि मुसलमानों को ईद और मोहर्रम पर रसोई गैस कि दो सिलेंडर मुफ्त देने का वादा कर अपने कांग्रेसी होने का एक और प्रमाण दे दिया है ।  कांग्रेस पर यही भाजपा अल्पसंख़्यकों के तुष्टिअकरण की नीति अपनाने का आरोप   लगाती आयी है ,लेकिन अब खुद अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण करने कि लिए विवश है। लेकिन ये अच्छी खबर  है श्राद्ध पक्ष में भाजपा का दिल कुछ तो बदला।
@ राकेश अचल  

भाजपा का संकल्प हर वर्ग का कल्याण होंः प्रद्युम्न सिंह तोमर

 

भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ का सदस्यता अभियान हुआ
ग्वालियर। भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता अभियान संगठन पर्व है। भाजपा का संकल्प हर वर्ग का कल्याण हो। आज अधिक से अधिक से अधिक लोग भाजपा के सदस्य बनना चाहते हैं। हमें घर-घर पहुंचकर उन्हें पार्टी से जोड़ने का कार्य करना है। आपके जिले को जो लक्ष्य दिया गया है, उसको पूरा करने का प्रयास करें। बूथों को जो लक्ष्य दिए गए हैं वह जल्द से जल्द पूरा हो जाए, इसकी चिंता सबको करनी होगी। यह बात ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सोमवार को सदस्यता अभियान के तहत अशोक टॉकीज के पास भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री श्री तोमर ने आमजनों से विश्व की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने का आव्हान किया। इस दौरान आमजनों ने  मिसकॉल देकर एवं लिंक का उपयोग कर सदस्यता ग्रहण की। कार्यक्रम में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अशोक शर्मा, मोहन विट्वेकर, विधासभा सदस्यता अभियान प्रभारी दारा सिंह सेंगर, बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के जिला संयोजक गिरीश इंदापुरकर, मंडल अध्यक्ष बृजमोहन शर्मा,योगेन्द्र तोमर, राजेन्द्र उपाध्याय, सोनल अरोरा, मुकेश शर्मा, सुधीर भदौरिया, नितिन राव शिंदे, शशिकांत राजौरिया, आरएस यादव, विनोद अष्टैया, आजाद त्रिपाठी, शिव गुप्ता, शैलेंद्र सिकरवार, अखिलेश शर्मा आदि उपस्थित थे।

शासकीय कार्य में यदि कोई बाधा उत्पन्न करें तो उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज करायेंः निगम आयुक्त

 

ग्वालियर। शासकीय कार्य में यदि कोई बाधा उत्पन्न कर रहा है तो उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज करायें। यह बात सोमवार को निरीक्षण पर निकले निगम आयुक्त अमन वैष्णव ने संबंधित अधिकारियों से कहीं और आवश्यक कार्य शीघ्र पूर्ण कराने के निर्देश भी दिये। इसके साथ ही उन्होंने गंदगी पाये जाने पर स्वास्थ्य अधिकारी, सहायक स्वास्थ्य अधिकारी एवं डब्ल्यूएचओ के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश दिए। 
सोमवार को निगमायुक्त श्री वैष्णव ने वार्ड 65 में शासकीय माध्यमिक विद्यालय अजयपुर का निरीक्षण करने पहुंचे। निरीक्षण के दौरान उन्होंने बाउंड्रीवॉल कार्य की जानकारी ली। जिसको लेकर संबंधित अधिकारियों एंव क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि द्वारा बताया गया कि यह कार्य क्षेत्र के कुछ लोग नहीं होने दे रहे। जिसको लेकर निगमायुक्त श्री वैष्णव ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न कर रहा तो उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज करायें। इसके साथ ही निगमायुक्त श्री वैष्णव ने वीरपुर बांध के पास स्थित मुक्तिधाम का निरीक्षण किया तथा जो भी आवश्यक कार्य मुक्तिधाम में किए जाने हैं तत्काल उन्हें प्रारंभ करायें। निरीक्षण के दौरान गंदगी मिलने और गोबर की शिकायत मिलने पर उन्होंने तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। यहां से निगमायुक्त शिंदे की छावनी पहुंचे और गत दिवस जहां गणेश प्रतिमा खंडित हुई थी उस स्थान का भ्रमण किया तथा संबंधित अधिकारियों को आवश्यक कार्यवाही के निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान अपर आयुक्त विजय राज, उपायुक्त अमरसत्य गुप्ता, डॉ. अतिबल सिंह यादव, कार्यपालन यंत्री प्रदीप जादौन, संजीव गुप्ता,एपीएस जादौन, सहायक यंत्री अमित गुप्ता सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। 

स्टेमलेटिक्स फैस्ट- समापन समारोह : बेस्ट स्कूल इन स्टेमलेटिक्स - सिंधिया कन्या विद्यालय

 


रवि कांत दुबे सिटी रिपोर्टर

ग्वालियर /  सिंधिया कन्या विद्यालय में दो दिवसीय समारोह *स्टेमलेटिक्स फैस्ट का भव्य समापन हुआ।* बेस्ट स्कूल इन स्टेमलेटिक्स - *सिंधिया कन्या विद्यालय विजयी रहा। इस फैस्ट में प्रसिद्ध मेजबान टीम सिंधिया कन्या विद्यालय सहित 10 अन्य विद्यालय क्रमशः एकेडमिक वर्ल्ड स्कूल, छत्तीसगढ़; के.सी पब्लिक स्कूल, जम्मू; लॉरेंस स्कूल, लवडेल; द मान स्कूल, दिल्ली; पाइनग्रोव स्कूल, धरमपुर; वेल्हम बॉयज़ स्कूल, देहरादून; महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल, जयपुर; विद्या देवी जिंदल स्कूल, हिसार; द सिंधिया स्कूल, ग्वालियर और ए.एम.आई शिशुमंदिर, ग्वालियर ने भाग लिया।* यह समारोह सिंधिया कन्या *विद्यालय की प्राचार्या श्रीमती निशी मिश्रा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।* इस कार्यक्रम में गणमान्य अतिथि के रूप में डॉ. सचिन गुप्ता तथा डॉ. भूमि गुप्ता उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में रेंचो लैब्स-आई.एच.एफ.सी, आई.आई.टी दिल्ली के पांच सदस्य क्रमशः अनुराग सिंह, धनंजय रावत, कृतिक भाटिया, कुणाल शर्मा, प्रणव आनंद उपस्थित थे।

समापन समारोह में सिंधिया कन्या विद्यालय की 6 छात्राओं क्रमशः आस्था सिंह, अनन्या गुर्जर, अंशमिता छेत्री, सताक्षी अग्रवाल, सिद्धि बडोनिया, जिग्मित घूने ने वेस्टर्न डांस ‘बीट्स ऑफ चेंज’ की भव्य प्रस्तुति दी। ' *बीट्स ऑफ चेंज'* नृत्य में पश्चिमी संस्कृति को दर्शाया। इसमें छात्राओं ने शानदार नृत्यकला, वेशभूषा, आकर्षक मेकअप और तकनीकी कौशल में अपनी विशेषज्ञता का परिचय दिया।

 *गणमान्य अतिथि डॉ. सचिन गुप्ता ने अपने उद्बोधन में “विद्यालय प्राचार्या श्रीमती निशी मिश्रा को बधाई दी और उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्राचार्या के परिश्रम से ही यह स्कूल ऊंचाइयों तक पहुँच पाया है। मैं सिंधिया कन्या विद्यालय को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ कि उन्होनें स्टेमलेटिक्स फैस्ट का आयोजन करके छात्र-छात्राओं में विज्ञान विषय के प्रति जागरूकता उत्पन्न की और रोबोट जैसी कला को आसान बना दिया, प्रतिभागियों को उनकी रचनात्मकता, वैज्ञानिक सोच, प्रतिभा, तकनीकी लगन, टीम स्पिरिट के लिए बधाइयाँ दी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किसी भी प्रकार से मानव को रिप्लेस नहीं कर सकता । जिन लोगो को आर्टिफिकल इंटेलिजेंस आता है वो अवश्य हमें रिप्लेस कर सकते हैं। “* 

सभी छात्र-छात्राओं ने अपने अनुभवों को शेयर किया। विद्यालय प्राचार्या श्रीमती निशी मिश्रा, गणमान्य अतिथि गण डॉ. सचिन गुप्ता, डॉ. भूमि गुप्ता के द्वारा पुरूस्कार वितरित किये गए। इस कार्यक्रम में कोऑर्डिनेटर के रूप में श्रीमती मेधा गुप्ता तथा गीतांजलि राजपूत उपस्थित थीं।

विद्यालय *हैड गर्ल मनस्वी मुद्गल* द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।

सर्वप्रथम 9 बजे *मैथलेटिक्स क्विज प्रतियोगिता संपन्न हुई।* इस प्रतियोगिता में प्रत्येक विद्यालय से 4 प्रतिभागियों ने भाग लिया क्रमशः सिंधिया कन्या विद्यालय से दिविजा, हिमांशी, जायनी, संजुक्ता, लॉरेंस स्कूल से रौनक लैशराम, मेहर भागरी, आन्या अग्रवाल, बिमल देव, मान स्कूल से अनेया कौशल, अक्ता, एंजल जैन, अर्णव गुप्ता, पाइनग्रोव स्कूल, धरमपुर से विशेष, शौर्य सिंगला, ओजस गर्ग, सूर्यांश गर्ग, द सिंधिया स्कूल से रुद्रांश अग्रवाल, अयान अग्रवाल, शिव शाह, विद्या देवी जिंदल स्कूल से हंशिका, सिद्धि, प्रियानी, दिव्या, वेल्हम बॉयज़ स्कूल से केशव अग्रवाल, प्रणय अग्रवाल, क्षितिज अग्रवाल, नमन अग्रवाल, महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल से सिया शर्मा, सोहल चोरारिया, नव्या चोरारिया, अपूर्वा रावत। यह प्रतियोगिता 4 राउंड तक चली। राउंड 1 कम्प्यूटेशनल विजुअल था जिसमें प्रतिभागियों ने मैचस्टिक पहेली को 30 सेकंड में हल किया, राउंड 2 पैटर्न राउंड (विजुअल) था जिसमें छात्र-छात्राओं को विजुअल पैटर्न प्रश्नों का उत्तर 45 सेकंड में  देना था। राउंड 3: गणितीय ट्रिविया था जिसमें प्रत्येक प्रति टीम से एक प्रश्न पूछा गया। इसमें तीन क्लू दिए गए, और टीमों को  जवाब देने के लिए 15 सेकंड मिले थे। राउंड 4: बज़र राउंड इसमें सबसे पहले बज़र बजाने वाली टीम को उत्तर देने का मौका मिला था।

तत्पश्चात *ऑब्स्टेकल रोबोट प्रतियोगिता का 11:30 बजे आरम्भ हुई।* इस प्रतियोगिता में प्रत्येक विद्यालय से 2 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों को अपना खुद का रोबोट बनाना था। प्रतियोगिता में कई राउंड शामिल थे। टीमों को प्रत्येक राउंड में अपने रोबोट के प्रदर्शन के आधार पर अंक प्राप्त हुए। इस प्रतियोगिता में एक ऐसा रोबोट बनाना था जो आगे, पीछे, बाएं, दाएं, और तिरछे में स्वतंत्र रूप से घूम सके। टीमें किसी भी रोबोटिक भागों और निर्माण सामग्री का उपयोग कर सकती थीं। इस प्रतियोगिता में विभिन्न विद्यालयों से क्रमशः एकेडेमिक वर्ल्ड स्कूल से श्रद्धा शानू, शिवानी पटेल, केसी पब्लिक स्कूल से आर्यन महाजन, दिव्यांश शर्मा, लॉरेंस स्कूल, लवडेल से जे. सुकिर्थन, राघव, मान स्कूल से अमृति वत्स, राजवीर, पाइनग्रोव स्कूल, सोलन से सूर्यांश गर्ग, आरुष राठी, विद्या देवी जिंदल स्कूल से मणि कुमारी, कृष्णा पेरीवाल, वेल्हम बॉयज़ स्कूल से क्षितिज अग्रवाल, मो. अब्दुल्ला बेगमर्जा, सिंधिया कन्या विद्यालय से संजुक्ता चक्रबोर्ती, अनुष्का शिवहरे, महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल से अवनि काबरा, कुंजल गुप्ता ने भाग लिया।

 *तत्पश्चात कैसल रन रोबोट प्रतियोगिता आयोजित की गयी,* जिसमें प्रत्येक विद्यालय से 2 प्रतिभागियों क्रमशः सिंधिया कन्या विद्यालय से संजुक्ता चक्रबोर्ती, अनुष्का शिवहरे, एकेडेमिक वर्ल्ड स्कूल से अक्षत तिवारी, स्नेही अग्रवाल, केसी पब्लिक स्कूल से मृगांका भट्ट, मेधावी अरोड़ा, लॉरेंस स्कूल, लवडेल से जे. सुकिर्थन, राघव, मान स्कूल से अमेय कौशल, अर्णव गुप्ता, पाइनग्रोव स्कूल, सोलन से ओजस गर्ग, शुभ अग्रवाल, द सिंधिया स्कूल से आदी देव गोयल, शिव शाह, विद्या देवी जिंदल स्कूल से मणि कुमारी, कृष्णा पेरीवाल, वेल्हम बॉयज़ स्कूल से केशव अग्रवाल, मो. अब्दुल्ला बेगमर्जा, महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल से अवनी काबरा, कुंजल गुप्ता ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता में रोबोटिक्स में छात्र-छात्राओं द्वारा रचनात्मकता और इंजीनियरिंग का प्रदर्शन किया गया।

इस कार्यक्रम में विद्यालय प्राचार्या- श्रीमती निशी मिश्रा, बरसर- श्री सेल्विन माईकेल, उप प्राचार्या- श्रीमती गरिमा सांधु, इवेंट कोऑर्डिनेटर- श्रीमती शिवांगी सहाय, मीडिया प्रभारी -श्रीमती वैशाली श्रीवास्तव, श्रीमती सुनीता सक्सेना, श्रीमती नेहा तोमर, श्रीमती रंजना पाठक, श्रीमती कविता पिल्लई, श्रीमती किरन देवाल, श्रीमती गीता कोहली, मोहसिन खान, गणेश ओछेवार, भुजिंग राव तथा समस्त स्टाफ उपस्थित था।

 *मीडिया प्रभारी,* 

 *श्रीमती वैशाली श्रीवास्तव* 


नोट-: परिणामों की सूचि संलग्न है। 

 *बेस्ट स्कूल इन स्टेमलेटिक्स - सिंधिया कन्या विद्यालय* 

 *रनर अप – वेल्हम बॉयज़ स्कूल, देहरादून* 

 *1.एल्गोरिदम अनोमली प्रतियोगिता* 

प्रथम -लॉरेंस स्कूल, लवडेल

रनर अप – वेल्हम बॉयज़ स्कूल, देहरादून

सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिशिएशन-महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल, जयपुर


 *2. टेक्नोवेट प्रतियोगिता* 

प्रथम - सिंधिया कन्या विद्यालय

रनर अप – वेल्हम बॉयज़ स्कूल, देहरादून

सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिशिएशन-विद्या देवी जिंदल स्कूल, हिसार 


3. *मैथलेटिक्स क्विज* 

 प्रथम -सिंधिया कन्या विद्यालय

रनर अप – विद्या देवी जिंदल स्कूल, हिसार 

सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिशिएशन-महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल, जयपुर


4. *ऑब्स्टेकल रोबोट* प्रतियोगिता

प्रथम -सिंधिया कन्या विद्यालय

रनर अप – पाइनग्रोव स्कूल, सोलन

सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिशिएशन- के.सी पब्लिक स्कूल, जम्मू और ए.एम.आई शिशुमंदिर, ग्वालियर


5. *कैसल रन प्रतियोगिता* 

प्रथम -एकेडमिक वर्ल्ड स्कूल, छत्तीसगढ़ 

रनर अप – द मान स्कूल, दिल्ली 

सर्टिफिकेट ऑफ एप्रिशिएशन- सिंधिया कन्या विद्यालय, ग्वालियर

सिंधिया कन्या विद्यालय में दो दिवसीय समारोह *स्टेमलेटिक्स फैस्ट 28 अगस्त से

रवि कांत दुबे सिटी रिपोर्टर

 ग्वालियर /   सिंधिया कन्या विद्यालय में दो दिवसीय समारोह *स्टेमलेटिक्स फैस्ट 28 अगस्त से 29 अगस्त तक आयोजित किया जा रहा है।* *स्टेमलेटिक्स फैस्ट रेंचो लैब्स-आई.एच.एफ.सी, आई.आई.टी दिल्ली के सहयोग से संपन्न हो रहा है ।* जिसमें देश के विभिन्न प्रसिद्ध 11 विद्यालय भाग ले रहे हैं। *मेजबान टीम सिंधिया कन्* या विद्यालय सहित 10 अन्य विद्यालय क्रमशः *एकेडमिक वर्ल्ड स्कूल, छत्तीसगढ़; के.सी पब्लिक स्कूल, जम्मू; लॉरेंस स्कूल, सनार; द मान स्कूल, दिल्ली; पाइनग्रोव स्कूल, धरमपुर; वेल्हम बॉयज़ स्कूल, देहरादून; महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल, जयपुर; विद्या देवी जिंदल स्कूल, हिसार; द सिंधिया स्कूल, ग्वालियर और ए.एम.आई शिशुमंदिर, ग्वालियर* उपस्थित होंगे।

 इस दो दिवसीय कार्यक्रम में लगभग 5 प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है* *क्रमशः एल्गोरिदम अनोमली, टेक्नोवेट, ऑब्स्टेकल रोबोट, कैसल रन रोबोट प्रतियोगिता, मैथलेटिक्स क्विज* । जिसका उद्देश्य छात्र -छात्राओं में कंप्यूटर विज्ञान, नवाचार, रोबोटिक्स और गणित के प्रति उत्कट उत्साह जगाना है। यह उत्सव स्टेम शिक्षा को , अभूतपूर्व नवाचार को और युवा तकनीक उत्साही लोगों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए रखा गया है । यह उत्सव छात्र -छात्राओं में रचनात्मकता , टीम स्पिरिट तथा दूरदर्शी सोच के लिए उन्हें मंच प्रदान करेगा।

इस कार्यक्रम में समस्त विद्यालयों से लगभग 100 छात्र-छात्राएँ एवं अध्यापक गण सिंधिया कन्या विद्यालय में आ रहे हैं। यह समारोह सिंधिया कन्या विद्यालय की प्राचार्या *श्रीमती निशी मिश्रा की अध्यक्षता में संपन्न होगा* । इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में *ग्वालियर उत्कृष्ट वैज्ञानिक और निदेशक डॉ. मनमोहन परिदा उपस्थित रहेंगे। अन्य गणमान्य अतिथियों के रूप में डॉ मनीशा साठे, डॉ. सचिन गुप्ता तथा डॉ. भूमि गुप्ता उपस्थित रहेंगी।* कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ विद्यालय सभागार में 28 अगस्त अपराह्न 2:30 बजे होगा। इस कार्यक्रम में रेंचो लैब्स-आई.एच.एफ.सी, आई.आई.टी दिल्ली के पांच सदस्यों क्रमशः अनुराग सिंह,धनंजय रावत, कृतिक भाटिया, कुणाल शर्मा, प्रणव आनंद उपस्थित रहेंगे। समस्त कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर विद्यालय आई. टी हैड श्रीमती मेधा गुप्ता तथा गीतांजलि राजपूत हैं ।

 *मुख्य अतिथि 

 *डॉ. मनमोहन परिदा, उत्कृष्ट वैज्ञानिक और निदेशक DRDE, ग्वालियर एक प्रख्यात* वायरोलॉजिस्ट हैं, जिन्हें मेडिकल वायरोलॉजी के क्षेत्र में तीन दशकों का वैज्ञानिक और तकनीकी प्रबंधकीय अनुभव है। आपने संक्रामक रोग निगरानी कार्यक्रम के तहत डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ़्लू, COVID19 के लिए राष्ट्रीय शीर्ष रेफरल प्रयोगशाला की स्थापना की। आपने बायोसूट और बायोमास्क के परीक्षण के लिए परीक्षण और मूल्यांकन सुविधा भी स्थापित की। इसके अतिरिक्त , डी.एस.टी-एल्सेवियर बिबिलोमेट्रिक विश्लेषण (2009-14) के अनुसार आपको इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के क्षेत्र में शीर्ष 10 शोधकर्ताओं में स्थान दिया गया है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यू.एस.ए द्वारा तैयार 2021 के डेटा बेस के अनुसार, आपको बायोमेडिकल रिसर्च (वायरोलॉजी) के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में स्थान दिया गया है। *आपको विभिन्न पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया क्रमशः डी.आर.डी.ओ साइंटिस्ट ऑफ द ईयर अवार्ड, डी.आर.डी.ओ टेक्नोलॉजी ग्रुप अवार्ड, आई.सी.एम.आर (बसंती देवी अमीरचंद पुरस्कार), डी.बी.टी (राष्ट्रीय बायोसाइंस अवार्ड), डी.एस.टी (प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण पुरस्कार), एन.ए.एस.आई-रिलायंस प्लेटिनम जुबली अवार्ड और ओड़िसा बिग्यान अकादमी द्वारा सामंत चंद्रशेखर अवार्ड आदि।* 

 *अतिथि डॉ मनीशा साठे

डॉ मनीषा साठे वैज्ञानिक एफ, और संयुक्त निदेशक तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान ग्वालियर में परीक्षण एवं मूल्यांकन प्रभाग की प्रमुख हैं।  आपने यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी के एक्सो-मार्स प्रोजेक्ट पर बायोकॉन्जुगेट केमिस्ट्री पर क्रैनफील्ड विश्वविद्यालय, यूके में डेढ़ साल तक काम किया है। वर्तमान में वे जीवित रासायनिक युद्ध एजेंटों के खिलाफ एनबीसी उपकरणों के क्यूए/क्यूसी में शामिल हैं। उन्हें डीआरडीओ द्वारा विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कारों क्रमशः: 

 *डीआरडीओ और एमपी यंग साइंटिस्ट ऑफ द अवार्ड, 2005 और 2008, प्रयोगशाला वैज्ञानिक ऑफ द ईयर अवार्ड, 2011, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस सर्वश्रेष्ठ भाषण पुरस्कार 2018, अग्नि पुरस्कार ऑफ एक्सीलेंस 2017, सीआईआई औद्योगिक नवाचार पुरस्कार 2023, डीआरडीओ प्रौद्योगिकी समूह पुरस्कार 2023, एनबीसी प्रोटेक्टिव सूट एमके वी के स्वदेशीकरण के लिए कार्बन सोसाइटी ऑफ इंडिया से एलएनजे पुरस्कार 2023, आत्मनिर्भर भारत में उत्कृष्ट योगदान के लिए 2023 में नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।* 


 *कार्यक्रम की रूपरेखा* -: (उद्घाटन समारोह 28/08/2024)

मुख्य अतिथि का विद्यालय सभागार में अपराह्न 2:30 बजे आगमन ।

विद्यालय प्राचार्या श्रीमती *निशी मिश्रा द्वारा पुष्पगुच्छों से मुख्य अतिथि तथा अन्य गणमान्य अतिथियों का स्वागत* ।

द्वीप प्रज्ज्वलन ।

विभिन्न विद्यालयों द्वारा फ्लैग मार्च।

*प्राचार्या श्रीमती निशी मिश्रा* द्वारा उदबोधन ।

मुख्य अतिथि, अन्य गणमान्य अतिथियों तथा निर्णायक मंडल को *स्मृति चिन्ह* प्रदान किया जाएगा । 

सांस्कृतिक कार्यक्रम की श्रंखला में सिंधिया कन्या विद्यालय की 10 छात्राओं द्वारा *वेस्टर्न बैंड* की भव्य प्रस्तुति ।

ग्रुप फोटोग्राफ ।

प्रथम प्रतियोगिता एल्गोरिदम अनोमली प्रतियोगिता सांय 4 बजे ।

कैसल रन रोबोट वर्कशॉप सांय 4 बजे ।

टेक्नोवेट प्रतियोगिता सांय 5 बजे ।

 

आदिम जाति कल्याण विभाग छात्रावास आश्रम शिक्षक अधीक्षक संघ (कसस) मैं ब्लॉक जिला प्रदेश स्तर की नियुक्तिया

मध्य प्रदेश ग्वालियर 19 अगस्त / आदिम जाति कल्याण विभाग छात्रावास आश्रम शिक्षक अधीक्षक संघ (कसस)के संस्थापक प्रांत अध्यक्ष डॉ जवर सिंह अग्र ने आज लखन लाल राठौर सेवानिवृत शिक्षक अधीक्षक करेरा जिला शिवपुरी को जिला अध्यक्ष शिवपुरी नियुक्त किया गया है इसी प्रकार श्रीमती पूजा कुमारी को प्रदेश सचिव नियुक्त किया गया है l 


 इसके साथ ही बालकृष्ण मेहोरिया को जिला शिवपुरी महासचिव नियुक्त करते हुए विकासखंड पिछोर और विकासखंड खनियाधाना का प्रभारी बनाया गया है नवनियुक्त जिला अध्यक्ष ,एवं ब्लाक अध्यक्ष को अपनी कार्यकारिणी शीघ्र गठित कर प्रांत से अनुमोदन के उपरांत घोषित करने के निर्देश संघ के बायोलॉज के मुताबिक दिए गए हैं I 



पेरंबदूर से चलकर राजीव गांधी ज्योति यात्रा ग्वालियर आई


कांग्रेसजनों ने स्वागत कर अगवानी की, नई दिल्ली के लिए रवाना किया


ग्वालियर 18 अगस्त। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी तमिलनाडु के पेरंबदूर से राजीव गांधी ज्योति यात्रा प्रारंभ हुई, जो देश प्रदेश के विभिन्न शहरों से होती हुई ग्वालियर पहुंची जहां पर शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा के नेतृत्व एवं ग्रामीण जिला  कांग्रेस   अध्यक्ष प्रभूदयाल जौहरे, 16 ग्वालियर पूर्व विधायक डॉ. सतीश सिंह सिकरवार, 14 ग्वालियर ग्रामीण विधायक साहब सिंह गुर्जर की उपस्थिति में कांग्रेसजनो ने यात्रा का स्वागत कर अगवानी की, यात्रा में आए यात्रियों ने रात्रि विश्राम ग्वालियर में किया, कांग्रेसजनो ने प्रातः राजीव गांधी ज्योति यात्रा को दिल्ली के लिए रवाना किया, यात्रा का समापन दिनांक 20 अगस्त श्री राजीव जी की जयंती के अवसर पर दिल्ली पहुंचकर पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न श्री राजीव गांधी जी को नमन कर होगा।
 
राजीव ज्योति यात्रा की अगवानी करने वालो में कार्यवाहक अध्यक्ष महाराज सिंह पटेल, यूवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हेवरन सिंह कंसाना, सेवादल अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह गुर्जर, ब्लॉक अध्यक्ष विनोद कुमार जैन, सौरभ जेन, नीरज यादव, संजीव दीक्षित सहित अनेक कांग्रेसजन सम्मिलित थे।

रक्षाबंधन दोपहर भद्रा के बाद मुहूर्त 07 घंटे 33 मिनिट रहेगा

रक्षा बंधन का त्यौहार बड़े त्योहार में से एक है इस दिन के लिए भाई अपनी कलाई पर अपनी बहन से राखी बधाने के लिए पूरे वर्ष भर इंतजार करते हैं और बहने भी बड़ी उत्सुकता के साथ अपने भाई की कलाई पर राखी बांधने के लिए इंतजार  करती हैं।

वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया यह त्यौहार मुख्यतः तो भाई बहन  का त्योहार है। इस दिन  बहन भाई के हाथ पर राखी बांधती है और माथे पर तिलक लगाती है भाई बहन की रक्षा का संकल्प लेता है ऐसा कहा जाता है एक बार भगवान कृष्ण के हाथ में चोट लगने से रक्त बहने लगा था तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनके हाथ में बांध दी थी इसी बंधन से ऋणी होकर श्री कृष्ण ने दुशासन द्वारा चीर हरण के समय द्रोपदी की लाज बचाई थी। मध्यकालीन इतिहास में एक घटना ऐसी और मिलती है जिसमें की चित्तौड़ की रानी कर्मवती ने दिल्ली के मुगल बादशाह हुमायूं के पास राखी भेज कर अपना भाई बनाया था हुमायूं ने राखी की इज्जत की और उसके सम्मान की रक्षा के लिए गुजरात के बादशाह से युद्ध किया था।


जैन धर्म में भी इस दिन का विशेष महत्व के रूप में देखा जाता है। कहते हैं विष्णु कुमार मुनिराज ने 700 जैन मुनियों का उपसर्ग दूर किया था।

*रक्षाबंधन का मुहूर्त* रक्षा बंधन सोमवार 19 अगस्त को ।

जैन ने कहा भद्रा तिथि रहने तक राखी नही बांधना चाहिए।

राखी बांधने का सही  समय भद्रा समाप्ति के बाद  दोपहर 01:30 बजे से रात 09:08 बजे तक 

अवधि - 07 घंटे 38 मिनट 

विशेष मुहूर्त  दोपहर 01:43 बजे से 04: 20 बजे तक

अवधि - 02 घंटे 37 मिनट

 प्रदोष समय रक्षा बंधन मुहूर्त - शाम 06:56 बजे से रात 09:08 बजे तक अवधि - 02 घंटे 11 मिनट 

रक्षा बंधन भद्रा समाप्ति समय - दोपहर 01:30 बजे ।

पूर्णिमा तिथि आरंभ - 19 अगस्त रात्रि 03:55 बजे से अर्ध रात्रि 11:55  बजे  तक रहेगी।

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