दिशाहीन,कसैली,विषैली सियासत पर लिखते-लिखते अब ऊब होने लगी है। इसलिए आज श्राद्ध पक्ष पर लिख रहा हूँ । भारत में श्राद्ध पक्ष का बहुत महत्व है । मान्यताएं हैं ,अस्थायें हैं। हमारे पूर्वजों ने पूर्वजों की आत्मशांति और उनके प्रति शृद्धा व्यक्त करने के लिए पूरे पन्द्रह दिन मुकर्रर किये हैं। पंचभूत में विलीन हमारे पूर्वजों की देह हम नदियों में प्रवाहित कर देते हैं किन्तु उनकी आत्माओं के बारे में हमारे पास कोई प्रबंध नहीं है । हमें लगता है कि पूर्वजों की आत्माएं भटकतीं है। उन्हें भूख-प्यास भी लगती है इसलिए ब्राम्हणों के जरिये ,कौवों के जरिये, पशु- पक्षियों के जरिये हम उन्हें भोजन, वस्त्र और न जाने क्या-क्या पहुँचाने की कोशिश करते हैं। और जब थक जाते हैं,पक जाते हैं , तो पिंडदान कर देते हैं।
स्थापित मान्यताओं के बारे में मुझे कुछ नहीं कहना,क्योंकि ये आज का विषय नहीं है । मेरा तो आग्रह ये है कि हम इस श्राद्ध पक्ष में यदि कुछ तर्पण करना ही चाहते हैं ,पिंडदान करना ही चाहते हैं तो हमें नफरत का ,ईर्ष्या का ,घृणा का पिंडदान करना चाहिए ताकि समाज ,देश ,आसपड़ोस सुख से रह सके। सुख अब दिनों-दिन अलभ्य होता जा रहा है। लोग सुख देने के बजाय उसे छीनने की स्पर्द्धा में जुटे हुए हैं। भारत में ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में ये छीना-झपटी चल रही है। छीना-झपटी का चरम युद्ध में तब्दील होजाता है। दुनिया में कहाँ-कहाँ ये नफरत युद्ध में तब्दील हो चुकी है ,ये आप सभी जानते हैं।
बात नफरत की चली तो मुझे भारतीय राजनीति की कुछ महिलाओं की याद आ गयी । दिल्ली की नयी-नवेली मुख्यमंत्री आतिशी भाजपा की नफरत से परेशान हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कुर्सी खाली रखकर कामकाज करने का फैसला किया तो भाजपा को उदरशूल होने लगा। भाजपा के तमाम भद्र नेता मुख्यमंत्री आतिशी पर राशन-पानी लेकर चढ़ बैठे । उनका कहना है कि ये चमचत्व की पराकाष्ठा है जबकि आतिशी कहतीं हैं कि वे दिल्ली में भरत राज का अनुकरण कर रहीं हैं। कलियुग में भरत राज का अनुकरण अविश्वनीय है,क्योंकि यहां तो भरत के रूप में चम्पाई सोरेन का उदाहरण हैं जो सत्ता कि लालच में अपने ही दल को लात मार चुके हैं। आतिशी चम्पाई सोरेन नहीं हैं,आतिशी है। उनका सम्मान किया जाना चाहिए।
नफरत की आग भाजपा की कलाकार संसद सुश्री कंगना रावत कि दिल में भी धधक रही है। वे भी सन्निपात की शिकार दिखाई देतीं है। वे कब ,क्या बोलेंगीं ये उनका दल भाजपा भी नहीं जानता और इसीलिए कुछ दिन पहले ही कंगना कि एक बयान से भाजपा ने अपने आप को लग कर लिया था । अब वही कंगना रनौत फिर सुर्ख़ियों में है। उन्होंने कहा है कि -'हिमाचल प्रदेश सरकार कर्ज लेती है और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की गोद में डाल देती है। इस तरह वह कांग्रेस की झोली भर रही है। सोनिया गांधी ने राज्य के खजाने को 'खोखला' कर दिया है और हिमाचल की ये दुर्दशा हुई है। हिमाचल के बच्चों के भविष्य पर कुल्हाड़ी मारी जा रही है। यह देखकर उन्हें बहुत दुख होता है।उनका दुःख कब सुख में बदलेगा हम और आप नहीं जानते।
हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा भी इस समय अपनी पार्टी और भाजपा की नफरत का शिकार है। नाराज हैं। चुनाव प्रचार में नजर नहीं आ रही। भाजपा ने उन्हें कांग्रेस छोड़ भाजपा में आने का न्यौता दिया है लेकिन सैलजा ने बिभीषण बनने से इंकार कर दिया है । उनका कहना है कि उनकी देह कांग्रेस कि झंडे में ही लिपटकर विदा होगी । ऐसा समर्पण अब कहाँ देखने को मिलता है।
नफरत की राजनीति कि शिकार देश कि अल्पसंख्यक भी हैं और वे लोग भी जो तिरुपति तिरुमला देवस्थान में लड्डुओं के लिए देशी घी के नाम पर कुछ और सप्लाई करते आये हैं। लेकिन इस नफरत से किसका नुक्सान है और किसका फायदा ये समझना बहुत कठिन है। इसलिए मै बार-बार कहता हूँ कि श्राद्ध पक्ष में पितरों कि साथ उन लोगों कि लिए भी दान-पुण्य करना चाहिए जो नफरत की गिरफ्त में है। नफरत से मोक्ष दिलाने कि लिए कोई नया विधि-विधान आवश्यक हो तो उसका भी इस्तेमाल किया जा सकता है। क्योंकि मेरी मान्यता है कि जब तक समाज में देश में,दुनिया में नफरत है कोई सुख से नहीं रह सकता । न गरीब और न अमीर। सुख की जरूरत सभी को है ,नफरत से मुहब्बत करने वाले लोग बहुत कम हैं और अब दुनिया में हर जगह उनकी शिनाख्त हो चुकी है । नफरत से मुहब्बत करने वाले अल्पसंख्या में हैं ,इसलिए उनसे डरने की नहीं सावधान रहने की जरूरत है।
देश के अल्पसंख्यकों से नफरत करने वाली इकलौती राजनितिक पार्टी भाजपा कुर्सी कि लालच में जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में अल्पसंख्यकों कि प्रति उदारता दिखती नजर आ रही है । भाजपा के बड़े नेता और इस दशक के सरदार पटेल हमारे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह साहब ने घाटी कि मुसलमानों को ईद और मोहर्रम पर रसोई गैस कि दो सिलेंडर मुफ्त देने का वादा कर अपने कांग्रेसी होने का एक और प्रमाण दे दिया है । कांग्रेस पर यही भाजपा अल्पसंख़्यकों के तुष्टिअकरण की नीति अपनाने का आरोप लगाती आयी है ,लेकिन अब खुद अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण करने कि लिए विवश है। लेकिन ये अच्छी खबर है श्राद्ध पक्ष में भाजपा का दिल कुछ तो बदला।
@ राकेश अचल
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