इंदौर में मध्य प्रदेश सरकार की शाही कैबिनेट मीटिंग में प्रदेश के जनजाति मंत्री विजय शाह शामिल नहीं हो पाए. ऐसा क्यों हुआ इसे लेकर अब केवल कयास लगाए जा रहे हैं. शाह के खिलाफ कर्नल सौफिया कुरेशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकिन हाईकोर्ट के निर्देश पर मुकदमा दर्ज है और सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर मामले की जांच एसआईटी को करना है, इसमें 3आईपीएस अधिकारी शामिल हैं.
माता अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर इंदौर के राजवाड़ा में मोहन कैबिनेट की बैठक शाही अंदाज में हुई.। कैबिनेट की मीटिंग से पहले राजवाड़ा में सीएम मोहन यादव ने मंत्रियों के साथ ग्रुप फोटो खींचवाई लेकिन विजय शाह इसमें खोजने पर भी नहीं आए.
कैबिनेट मीटिंग में शामिल होने के लिए तमाम मंत्री और खुद मुख्यमंत्री मोहन यादव एक दिन पहले ही इंदौर पहुंच गए लेकिन मालवा क्षेत्र से आने वाले विजय शाह कैबिनेट की मीटिंग में नहीं पहुंचे. अब ये तय करना मुश्किल है कि मंत्री विजय शाह खुद ही कैबिनेट की मीटिंग में नहीं आए या फिर सरकार ने उनसे खुद ही दूरी बना ली।मुमकिन है कि सरकार ने शाह को बचाने के लिए ही शाह को बैठक से दूर रखा हो क्योंकि इंदौर में अगर कैबिनेट की मीटिंग में पहुंचते तो सारा ध्यान उन्हीं की ओर चला जाता. मुझे लगता है कि सरकार और पार्टी ने विजय शाह को अकेला नहीं छोडा है उलटे दोनों शाह को बचा रहे हैं और उन्हें कर्नल सोफिया कुरैशी का मामला गर्म होते ही भूमिगत कर दिया गया. शाह सोशल मीडिया से भी गायब हैं और मीडिया में भी उनका कोई बयान आया.
आपको याद दिला दूं कि सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर गठित एसआईटी अपनी पहली रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को 28 मई को सौंपेगी। इसके बाद कोर्ट आगे का फैसला लेगी। ऐसे में आने वाले दिनों में विजय शाह की मुश्किलें और बढ़ सकती है।शाह को गिरफ्तारी से बचाने के लिए सरकार और पार्टी पूरा कस बल लगा रही है. अगर शाह को अकेला छोडा गया होता तो शाह कबके गिरफ्तार हो चुके होते. उनका पता लगाना कोई कठिन काम नहीं है. आज जब तकनीक सीमा पार पाकिस्तानी आतंकियों के अड्डे चिन्हित कर लिए जाते हैं तब विजय शाह किस खेत की मूली हैं.
अनुमान है कि सुप्रीमकोर्ट से शाह को अब शायद ही कोई रहत मिले. राहत मिलना होती तो पहले ही मिल जाती. अब लगता है कि शाह को न्यायिक प्रक्रिया से गुजरना ही पडेगा. अब दो ही रास्ते हैं, पहला ये कि शाह खुद आत्म समर्पण करें या एसआईटी उनके पक्ष में रपट दे. सारा कुछ एसआईटी की रिपोर्ट पर निर्भर है. एसआईटी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी के चलते शाह को बचाने की कोशिश करेगी इसकी उम्मीद कम ही है. लेकिन जिस तरीके से भाजपा और भाजपा शासित राज्यों ने अदालतों के प्रति जो रवैया अअपना रखा है उसके चलते सब मुमकिन है. महाराष्ट्र में देश के मुख्य न्यायाधीश का अपमान करने के बारे में किसी ने कल्पना की थी क्या?फिर भी शाह की गत राम ही जानें.
@ राकेश अचल
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