शुक्रवार, 6 जून 2025

संसद का मानसून सत्र ही कहीं विशेष न बन जाए

 

आपरेशन सिंदूर पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग को ठुकराने वाली मोदी सरकार ने अचानक संसद के मानसून सत्र की तारीखें घोषित कर विषयांतर कर दिया है. अभी तक के ज्ञात संसदीय इतिहास में किसी भी सत्र की घोषणा 47  दिन पहले नहीं की गई, लेकिन मोदी है तो सब मुमकिन है.संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को नई दिल्ली में इसकी जानकारी दी। रिजिजू ने बताया कि यह सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा।

आपको याद दिला दूं कि मोदी की पिछली सरकार में भी मणिपुर के मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी किंतु तब भी सरकार ने विपक्ष की मांग को ठुकरा दिया था और संसद का विशेष सत्र बुलाया भी था तो एक ऐसा कानून बनाने के लिए जिसका इस्तेमाल तत्काल नहीं किया जाना है. ये कानून था महिला आरक्षण का. कानून का नाम था नारी शक्ति वंदन कानून. ये कानून अगले आम चुनाव से साल भर पहले एक तुरुप के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा.

पिछले  एक महीने से आपरेशन सिंदूर और रहस्मय सीजफायर पर उठे सवालों से आतंकित मोदी सरकार ने विपक्ष और देश का सामना करने के लिए पूरे चार महीने ले लिए. इन चार मही में मोदी जी की रगों में गर्म सिंदूर भी बहने लगा और 33देशों में मोदी जी का डंका बजाकर 7 सर्वदलीय संसदीय दल भी सकुशल स्वदेश लौट आए हैं. अब माननीय  प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के पास विपक्ष के सवालों का सामना करने के लिए छाते ही छाते हैं.

आपरेशन सिंदूर के समानांतर सरकार ने और सरकारी पार्टी भाजपा ने विपक्षी गठबंधन में सेंध लगाने का भी एक आपरेशन चलाया, जो लगभग कामयाब रहा. अब संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस सहित अनेक दलों के सांसद मोदी सरकार को भीगने से बचाने के लिए छाता ताने नजर आएंगे. मुमकिन है कि ये विपक्षी सांसद छाता तानने के साथ अपने ही दलों के खिलाफ सीना भी तानकर खडे हो जाएं.

इन चार महीने में सरकार इतना आत्मविश्वास जुटा लेगी कि संसदीय कार्यमंत्री 

किरेन रिजिजू कह पा रहे हैं कि - सरकार नियमों के तहत सत्र में किसी भी विषय पर चर्चा को तैयार हैं।  सत्र के दौरान जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश हो सकता है।

सरकार ने मानसूत्र सत्र का ऐलान विपक्ष के 'स्पेशल सेशन' की मांग के बीच की है। विपक्ष पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और CDS अनिल चौहान के भारतीय जेट गिरने पर सिंगापुर में दिए बयान पर चर्चा की मांग कर रहा है।

इंडिया गठबंधन के 17 दलों ने 3 जून को नई दिल्ली में बैठक की। इसमें स्पेशल सेशन बुलाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा था.मोदी सरकार 3.0 और ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह संसद का पहला सत्र होगा।

प्रधानमंत्री माननीय नरेंदर मोदी को सरेंडर मोदी कहने वाली कांग्रेस के सांसद जयराम रमेश ने कहा- सरकार ने विशेष सत्र की मांग से ध्यान भटकाने के लिए अचानक मानसून सत्र की घोषणा की। भारत के इतिहास में कभी भी 47 दिन पहले सत्र की घोषणा नहीं हुई है। आमतौर पर सत्र की जानकारी एक हफ्ता या 10 दिन पहले दी जाती है।

जयराम ने कहा कि प्रधानमंत्री विशेष सत्र से तो भाग सकते हैं, लेकिन मानसून सत्र से नहीं। हम विशेष सत्र की मांग कर रहे हैं ताकि पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा हो सके। आतंकियों को अब तक सज़ा क्यों नहीं मिली? बहरहाल अब देश की जनता को माननीय प्रधानमंत्री जी का सिंदूरी भाषण सुनने के लिए दो महीने की प्रतीक्षा करना पडेगी. जनता के हिस्से में प्रतीक्षा के अलावा कुछ बचा ही नही है.

संसद के विशेष सत्रों की मांग से हर सरकार कन्नी काटती है और विशेष सत्र बुलाती भी है तो अपनी सुविधा से.उपलब्ध जानकारी के मुताबिक पहला विशेष सत्र1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान विपक्ष की मांग पर तत्कालीन प्रधानमंत्री  जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने 8 नवंबर1962  को संसद का विशेष सत्र आयोजित किया गया था. दूसरा विशेष सत्र15 अगस्त की मध्य रात्रि को औपनिवेशिक शासन से भारत की स्वतंत्रता की पच्चीसवीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक विशेष सत्र बुलाया गया था.. तीसरा विशेष सत्र 1977में नागालैंड और तमिलनाडु राज्यों में राष्ट्रपति शासन के विस्तार पर चर्चा के लिए 28 फरवरी को दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था । 

1991 में भी एक विशेष सत्र हुआ. बाद में भारत छोड़ो आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 9 अगस्त को मध्य रात्रि में एक सत्र बुलाया गया था । 

1997 में भारत की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 15 अगस्त को मध्य रात्रि सत्र बुलाया गया था। विपक्षी दल के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय लोकतंत्र और इसकी लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्थिति, आर्थिक स्थिति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे और क्षमता की स्थिति और देश में मानव विकास की स्थिति पर विचार करने के लिए प्रस्ताव पेश किया । एजेंडे पर चर्चा करने के लिए 26 अगस्त से 1 सितंबर तक छह दिवसीय विशेष सत्र आयोजित किया गया था। कांग्रेस सरकार ने 2008 में जुलाई में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान लोकसभा का एक विशेष सत्र बुलाया गया था। यह सत्र तब बुलाया गया था जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने वामपंथी दलों का गठबंधन समर्थन खो दिया था जिसके कारण अविश्वास प्रस्ताव आया था। 201213 मई को, लोकसभा ने भारतीय संसद की उद्घाटन बैठक की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए रविवार को एक विशेष सत्र बुलाया। [

2015 में 26 नवंबर को भारतीय संविधान की मसौदा समिति के नेता और देश के पहले कानून मंत्री बीआर अंबेडकर की 125वीं जयंती मनाने के लिए दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था। 

2017में 30 जून को, नरेंद्र मोदी प्रशासन ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को पेश करने के लिए संसद के दोनों सदनों का संयुक्त मध्यरात्रि सत्र बुलाया , जो एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है। यह किसी विधेयक पर विचार-विमर्श करने के लिए संसद के विशेष सत्र के बुलाए जाने का पहला उदाहरण था। 

मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर 2023 तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। नए बने संसद भवन में विशेष सत्र के दूसरे दिन सदन की कार्यवाही शुरू होनी थी। सत्र की शुरुआत पुरानी इमारत में हुई, और कार्यवाही 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी के दिन नई संसद इमारत में स्थानांतरित की जानी थी । 

इस सत्र में संविधान में 106वां संशोधन पारित किया गया , जिसने लोकसभा में महिला सांसदों के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण स्थापित किया । मुझे लगता है कि संसद का मानसून सत्र ही कहीं विशेष सत्र से ज्यादा विशेष न बन जाए.

@ राकेश अचल

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