भक्ति और आस्था में सराबोर, कांवड़ यात्रा शुरु तो हो गई है लेकिन इस बार ये यात्रा और यात्री पहले से ज्यादा उग्र, तथा अराजक हैं. दिल्ली से हरिद्वार जाने वाले इन भक्तों में कुछ, एक बार फिर हिंसा और उपद्रव के ज़रिए इस धार्मिक यात्रा को हिंदू उग्रवाद की पहचान देने की कोशिश कर रहे हैं. पूरे कांवड़ पथ पर कांवड़ियों द्वारा हिंसा, उपद्रव और मारपीट की घटनाएं चर्चा में हैं.लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को कांवडिये मासूम लगते हैं, उनकी नजर में उपद्रवी कोई दूसरे लोग हैं, दूसरे लोगों से उनका आशय आप समझ सकते हैं.
कांवड यात्रा को एक राजकीय आयोजन बनाने वालों को नजर नहीं आता कि उपद्रवी कोई कांग्रेसी, सपाई या बसपाई नहीं बल्कि वे हिंदुत्ववादी संगठन हैं जो हिंदुत्व के ठेकेदार बन बैठे हैं.जिन्होंने कांवड़ पथ पर एक अलग हंगामा खड़ा कर दिया है. कांवड़ियों के रास्ते में पड़ने वाले ढाबों और ठेलों पर लगी नेम प्लेट और उनके मालिकों की धार्मिक पहचान उजागर करने को लेकर विवाद पैदा किया जा रहा है.28 जून की है जब मुजफ्फरनगर के ‘पंडित जी’ ढाबे पर कथित तौर पर एक कर्मचारी की पैंट उतरवाकर धर्म जानने की कोशिश की गई. वहीं 8 जुलाई को मुजफ्फरनगर के ही बाबा बालकनाथ ढाबे पर कावड़ियों ने तोड़फोड़ की. बाबा बालकनाथ ढाबे में एक कांवड़िये के खाने में गलती से प्याज का टुकड़ा निकल आया था. जिसके बाद आक्रोशित कांवड़ियों ने ढाबे में पड़ी कुर्सिया़, मेज़, फ्रिज, पंखे और ग्लास पैनल इत्यादि तोड़ डाले. ढाबा संचालक साधना देवी ने बताया कि तोड़फोड़ के दौरान हमलावर बोल रहे थे कि “यह मुसलमानों का ढाबा है जिसे हिंदू नाम से चलाया जा रहा है.” नशे में धुत कावड़ियों ने ढाबे में बर्तन धोने वाले 40 वर्षीय पिंटू का हॉकी से पीट-पीट कर पैर तोड़ दिया.
पागलपन का आलम ये है कि मुजफ्फरनगर में ही बाबा स्वामी यशवीर महाराज अपने समर्थकों के साथ दुकानों के क्यूआर कोड चेक कर रहे हैं. ऐसा करके वह दुकान मालिकों के धर्म का पता लगा रहे हैं. यशवीर महाराज ने मुजफ्फरनगर से लेकर गाजियाबाद तक कांवड़ पथ पर हिंदू दुकानदारों को भगवान वराह का एक चित्र और झंडा वितरित किया है. उन्होंने कहा है कि दुकानदार इसे अपनी दुकान पर लगाएं ताकि हिंदू दुकानों की पहचान स्पष्ट हो सके. 50 वर्षिय स्वामी यशवीर महाराज पहली बार में 2015 में चर्चा में आए जब उन्होंने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की और उत्तर प्रदेश सरकार ने उन पर रासुका लगा दिया था. गत वर्ष भी कांवड़ यात्रा के दौरान उन्होंने ढाबों पर नेम प्लेट लगाने को लेकर काफी विवाद किया था.कांवड़ यात्रा के मद्देनज़र मेरठ में भी मुसलमानों द्वारा संचालित नॉन वेज ढाबे पूरी तरह से बंद करा दिए गए हैं.
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर कुछ कांवड़िओं ने एक वर्दीधारी सीआरपीएफ जवान की बेरहमी से पिटाई कर दी.जिस जवान को पीटा गया, वह मिर्जापुर से मणिपुर जाने के लिए ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ने स्टेशन पहुंचा था. उसी समय कांवड़ियों के एक समूह से किसी बात पर बहस हो गई, जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गई. घटना के दौरान स्टेशन पर मौजूद लोगों ने इस पूरी घटना का वीडियो बना लिया, लेकिन अफसोस की बात यह रही कि किसी ने जवान को बचाने या बीच-बचाव की कोशिश नहीं की.
दूसरी तरफ कांवड़ यात्रा में तोड़फोड़ और उपद्रव करने वालों के योगी सरकार पोस्टर चस्पा करने जा रही है. कांवड़ यात्रा सम्पन्न के बाद उनके खिलाफ सख्त एक्शन होगा. ये बातें खुद सीएम योगी ने कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा के बाद हुई प्रेस ब्रीफिंग में कही. सीएम योगी इन घटनाओं को लेकर बेहद तल्ख तेवरों में नजर आए और बोले कि सबके सीसीटीवी हैं, जिन्होंने कांवड़ यात्रा को बदनाम करने का प्रयास किया है. जो भी उपद्रवियों के भेष में छिपे हैं बेनकाब होंगे.
सवाल ये है कि उत्तर प्रदेश सरकार कांवडियों पर इतनी मेहरबान क्यों है? क्या सरकार को ये अहसास नहीं है कि कांवड यात्रा के दौरान हो रहे उत्पात की वारदातों से न केवल यूपी की बल्कि पूरे देश की छवि खराब हो रही है? दुर्भाग्य ये है कि यपी के मुख्यमंत्री इन वारदातों को रोकने के बजाय न सिर्फ पर्दा डाल रहे हैं बल्कि उपद्रवियों को निर्दोष होने का तमगा भी बांट रहे हैं. योगी भूल गये हैं कि वे किसी हिंदू राष्ट्र के अधिपति नहीं हैं, वे एक ऐसे राज्य के मुख्यमंत्री हैं जो बहुभाषी, बहु धर्मी राज्य है. मेरी गर्भनाल उत्तर प्रदेश में है, मैं अपने उत्तर प्रदेश को मोदी के पैदा होने के बारह साल पहले से देख रहा हूँ. आज का उत्तर प्रदेश पहले वाला उत्तर प्रदेश नहीं है. भाजपा ने, योगी ने इसे अनुत्तरदायी प्रदेश बना दिया है. कांवड यात्रा के शुभचिंतक एक बार खुद कांवड लेकर चलें तो उन्हे हकीकत का पता चले.
@ राकेश अचल
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