शुक्रवार, 25 जुलाई 2025

बौद्ध देशों के बीच जंग क्योंकि धर्म से बडी है संप्रभुता

दुनिया के प्रमुख बौद्ध धर्मावलंबी देश थाइलेंड और कंबोडिया के बीच जंग की खबरों से मै हतप्रभ हूँ और ये  जानने में लगा हूँ कि मजहब और संप्रभुता में महत्वपूर्ण मजहब है या जंग? उत्तर मिलता है संप्रभुता, मजहब से बडी चीज है. यदि आप संप्रभु नहीं हैं तो भी समानधर्मी होने का कोई मोल नहीं है.थाईलैंड और कंबोडिया के बीच तनाव चरम पर हैं। अब थाईलैंड ने कंबोडिया पर F-16 फाइटर जेट के जरिए बमबारी की है।  रॉयटर्स ने थाईलैंड आर्मी के हवाले से बताया कि थाईलैंड – कंबोडिया की सीमा पर थाईलैंड द्वारा तैनात किए गए छह F-16 फायटर जेट्स में से एक ने गुरुवार को कंबोडिया पर बम गिराए और एक मिलिट्री टारगेट को नष्ट कर दिया।

संयोग से मै अपनी यायावरी प्रवृति के चलते थाईलेंड भी गया हूं और कंबोडिया भी. दोनों देशों में बुद्ध विराजमान हैं लेकिन एक देश भुखमरी का शिकार है तो एक देश में जिस्मफरोशी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है. फिर भी दोनों देश अपने -अपने देश की संप्रभुता के लिए जंग से नहीं हिचके.

गुरुवार सुबह इन दोनों ही बौद्ध देशों ने एक-दूसरे पर हमला करने के आरोप लगाए। थाईलैंड आर्मी की डिप्टी स्पोक्स पर्सन ऋचा सुक्सुवानोन ने बताया कि उन्होंने योजना के मुताबिक मिलिट्री टारगेट्स के खिलाफ हवाई ताकत का इस्तेमाल किया है।जबकि कंबोडिया की डिफेंस मिनिस्ट्री ने बताया कि थाईलैंड के विमानों ने सड़क पर बम गिराए। उन्होंने कहा कि वे “कंबोडिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के विरुद्ध थाईलैंड के लापरवाह और क्रूर सैन्य आक्रमण की कड़ी निंदा करते हैं।”

आपको बता दें कि कंबोडिया की अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है, जो मुख्य रूप से कृषि, विनिर्माण (विशेषकर कपड़ा), पर्यटन और निर्माण जैसे क्षेत्रों पर निर्भर है। 2023 के आंकड़ों के आधार पर, कंबोडिया की जीडीपी लगभग 31.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, और यह निम्न-मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था के रूप में वर्गीकृत है। 

गरीबी और असमानता: हालांकि गरीबी दर में कमी आई है, ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी गरीबी और बुनियादी ढांचे की कमी एक चुनौती है।

 यहां की अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजारों (विशेषकर कपड़ा निर्यात) और विदेशी निवेश पर बहुत अधिक निर्भर है। भ्रष्टाचार, सीमित कानूनी सुधार और कुशल श्रम की कमी विकास में बाधा डालती है.वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे कृषि और पर्यटन को प्रभावित कर सकते हैं।यहाँ आज भी लोगों के पास भरपेट अन्न नहीं है. लोग कीडे मकोडों को खाने पर मजबूर हैं किंतु देश की संप्रभुता पर हमला किसी को बर्दास्त नहीं है.

थाईलैंड और कंबोडिया अपनी 817 किलोमीटर लंबी बॉर्डर साझा करते हैं. एक शताब्दी  से भी अधिक समय से दोनों देश अपनी सीमा पर अचिन्हित क्षेत्र पर नियंत्रण को लेकर संघर्षरत हैं। इस वजह से कई वर्षों से झड़पें हो रही हैं और इन झड़पों में कम से कम एक दर्जन मौतें हो चुकी हैं। इनमें साल 2011 में एक हफ्ते तक चली आर्टिलरी फायरिंग भी शामिल है। इस साल मई में विवाद तब फिर से बढ़ गया, जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच फायरिंग हुई और कंबोडिया के एक सैनिक की मौत हो गई। इस वजह से राजनयिक संकट भी पैदा हो गया।लेकिन भगवान बुद्ध का दर्शन यहाँ काम नहीं आ रहा.

ताजा स्थिति ये है कि दोनों बौद्ध देशों के बीच तनाव तब और ज्यादा गहरा गया, जब थाईलैंड ने कंंबोडिया से अपना राजदूत वापस बुला लिया और कहा कि वो कंबोडिया के राजदूत को वापस भेज देंगे। इससे पहले थाईलैंड ने कंबोडिया पर आरोप लगाया कि उसने विवाद वाले इलाके में लैंड माइन बिछाई हुई हैं, जिससे एक हफ्ते के भीतर दूसरे थाई सैनिक ने अपने अंंग खो दिए। थाईलैंड का कहना है कि कंबोडिया से टकराव में उसके नौ नागरिकों मारे जा चुके हैं। कंबोडिया का कहना है कि जिन लैंड माइन्स की बात थाईलैंड कर रहा है, वो दशकों पर सिविल वार के समय की हैं। हालांकि थाईलैंड मानता है कि सीमावर्ती एरिया में ये लैंडमाइन हाल में बिछाए गए हैं।

अब आपको बता दें कि थाईलेंड  में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच आय में बड़ा अंतर है।हाल के दशकों में राजनीतिक उथल-पुथल ने निवेश और विकास को प्रभावित किया है।थाईलैंड की जनसंख्या तेजी से वृद्ध हो रही है, जिससे श्रम बल और सामाजिक कल्याण पर दबाव बढ़ रहा है।

हालांकि थाईलैंड दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातकों में से एक है। रबर, गन्ना, और कैसावा भी महत्वपूर्ण हैं। कृषि में लगभग 30  प्रतिशत कार्यबल  है, लेकिन यह जीडीपी में केवल 8-10प्रतिशत योगदान देता है।थाईलैंड "एशिया का डेट्रॉयट" के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह टोयोटा, होंडा जैसे ब्रांडों के लिए प्रमुख ऑटोमोबाइल उत्पादन केंद्र है।पर्यटन थाईलैंड की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख हिस्सा है, जो जीडीपी में 12-15 प्रतिशत योगदान देता है। बैंकॉक, फुकेत,  चियांग माई जैसे पर्यटन स्थल  पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

ये एक कडवी हकीकत है कि चाहे इस्लामिक देश हों चाहे ईसाइयत को मानने वाले देश. चाहे बौद्ध धर्म को मानने वाले देश हों चाहे हिंदू धर्म को मानने वाले देश. संप्रभुता पर संकट आते ही एक-दूसरे के दुश्मन हो जाते हैं. मुझे उम्मीद है कि अंकोरवाट में विराजे भगवान विष्णु तथा और कंबोडिया में विराजे भगवान बुद्ध इस युद्ध को लंबा नहीं चलने देंगे. दोनों को बुद्ध की शरण में ही शांति मिलेगी अन्यथा हथियारों के सौदागर तो दुनिया में कहीं भी शांति चाहते ही कहाँ हैं.

@ राकेश अचल 


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