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शुक्रवार, 9 मई 2025

भरोसे का दूसरा नाम है सोफिया कुरेशी

 

मै भूलकर भी सोफिया कुरैशी के बारे में न लिखता. मै जब लिखता हूँ तब लोगों की भावनाएं आहत हो जातीं हैं. ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि मै सच लिखता हूं, बेखौफ और बिना लाग लपेट के लिखता हूं. सोफिया कुरेशी के बारे में भी मै ससम्मान और निर्लिप्त भाव से लिख रहा हूं क्योंकि सोफिया कुरेशी भरोसे का दूसरा नाम बन चुकी है.

कर्नल सोफिया कुरेशी हमारी सेना में कल भर्ती नहीं हुई. उसे सेना में काम करने का लंबा तजुर्बा है. सोफिया खानदानी सैनिक है. सोफिया कुरेशी के पिता, दादाभी सैनिक रहे हैं.और पति भी सैनिक  हैं.सोफिया कल भी सेना में थी, आज भी है और सेवानिवृत होने तक रहेगी. मुमकिन है कि सोफिया  कुरेशी के बच्चे भी सेना को ही अपने कैरियर के लिए चुनें.

दर असल सोनिया को पाकिस्तान के खिलाफ आपरेशन सिंदूर के लिए उसकी योग्यता की वजह से तो चुना ही गया, लेकिन उसकी विशेष योग्यता उसका मुसलमान होना भी है. सरकार ने एक तीर दो निशाने साधे. कर्नल सोफिया की देशभक्ति की भी परीक्षा ले ली और अपने ऊपर लगे मुस्लिम विरोधी होने के धब्बे भी धोने की नाकाम कोशिश कर ली.नये वक्फ कानून के बाद देशभर में अल्पसंख्यकों का जो गुस्सा फूटा था, उससे सरकार घबडा गई थी. दुर्भाग्य से पाक प्रशिक्षित आतंकियों ने पहलगाम नरसंहार कर डाला. इस हादसे को भी मुसलमानो के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोशिश की गई किंतु सोफिया की बिरादरी ने आतंकी घटना की एक सुर से मुखालफत कर इस कोशिश को भी नाकाम कर दिया. 

जनाक्रोश को देखते हुए  जब पाकिस्तान के खिलाफ आपरेशन शुरू करने की नौबत आई तो सबसे पहले आपरेशन के नामकरण में वही दृष्टि अपनाई गई जो अमूमन सरकार के हर फैसले के समय अपनाई जाती है. यानि आपरेशन का नाम रखा गया सिंदूर. आपरेशन की कमान दी गई कर्नल सोफिया कुरेशी और व्योमिका  सिंह को. ताकि समरसता का विश्वव्यापी संदेश जाए.एक अल्पसंख्यक, दूसरी बहुसंख्यक समाज का प्रतिनिधित्व करती है. हमारे देश और सेना का असल चेहरा यही है. हम अलग अलग हैं ही नहीं. थे ही नहीं.

खुशी की बात है कि कर्नल सोफिया कुरेशी ने आपरेशन सिंदूर को एक सिद्धहस्त सैनिक की तरह अंजाम दिया. आतंकियों के ठिकाने नेस्तनाबूत किए और अपनी महिला तथा मुस्लिम बिरादरी के साथ ही देश का मान बढाया. मजे की बात ये है कि आपरेशन सिंदूर की कामयाबी का श्रेय सरकार से इतर भाजपा जिस ढंग से लूटना चाहती थी, लूट नहीं सकी.श्रेय सेना, सोफिया और व्योमिका को ही मिला. आरती भी इन्ही दोनों की उतारी जा रही है. अभिनंदन भी इन्ही दोनों का हो रहा है. अब मुसलमानों को मंगलसूत्र लुटेरा या पंचर जोडने वालों की कौम बताने वालों की बोलती बंद है. इसके लिए पूरा देश कर्नल सोफिया कुरेशी का शुक्रगुजार है.

आइये एक नजर कर्नल सोफिया कुरैशी की जन्मकुंडली पर भी डाल लेते हैं. सोफिया कुरैशी मूल रूप से गुजरात की रहने वाली हैं. उनका जन्म 1981 में वडोदरा, गुजरात में हुआ. उन्होंने बायोकेमिस्ट्री में पोस्‍ट ग्रेजुएशन किया है.कई रिपोर्टस में बताया गया कि सोफ‍िया के दादा भी सेना में थे और उनके पिता ने भी कुछ वर्षों तक सेना में धार्मिक शिक्षक के रूप में सेवाएं दीं. एक अन्‍य रिपोर्ट में बताया गया है कि सोफ‍िया की शादी मैकेनाइज़्ड इन्फेंट्री के एक सेना अधिकारी मेजर ताजुद्दीन कुरैशी से हुआ है और उनका एक बेटा समीर कुरैशी है.

भारतीय सेना में सोफिया की एंट्री 1999 में हुई.उन्‍होंने 1999 में चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त किया.इसके बाद सोफ‍िया ने सेना में लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त किया.वर्ष 2006 में सोफ‍िया ने कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में सेवा दी. वह 2010 से शांति स्थापना अभियानों से जुड़ी रही हैं.पंजाब सीमा पर ऑपरेशन पराक्रम के दौरान उनकी सेवा के लिए उन्हें जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ का प्रशंसा पत्र भी मिल चुका है.उत्तर-पूर्व भारत में बाढ़ राहत कार्यों के दौरान उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें सिग्नल ऑफिसर इन चीफ का प्रशंसा पत्र भी मिला था.उन्हें फोर्स कमांडर की सराहना भी मिली.

लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी उस समय भी सुर्खियों में आईं थीं.जब उन्‍होंने एक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में भारतीय दल की अगुवाई की थी.तब वह ऐसा करने वाली भारतीय सेना की पहली महिला अधिकारी बन गई थीं. इस अभ्यास का नाम ‘एक्सरसाइज फोर्स 18’दिया गया था,जो भारत की ओर से आयोजित उस समय का सबसे बड़ा विदेशी सैन्य अभ्यास था.लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी इस अभ्‍यास में भाग लेने वाले 18 दलों में एकमात्र महिला अधिकारी थीं. भारतीय दल में कुल 40 सदस्य थे.उस समय वह भारतीय सेना की सिग्नल कोर की अधिकारी थीं.

भारत के मुसलमान पाकिस्तान के मुसलमान नहीं हैं. उनमें शहीद अब्दुल हमीद भी होते हैं, अब्दुल कलाम भी और सोफिया कुरेशी भी. भारत के मुसलमानों को औरंगजेब की औलाद कहकर लांछित नहीं किया जा सकता. उन्हे परेशान करने के लिए बुलडोजर संहिता का इस्तेमाल संकीर्णता है. आपरेशन सिंदूर से सबक सीखिए. स्वीकार कीजिये कि हिंदू हो या मुसलमान, सिख हो या ईसाई, सब के सब देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता के लिए बलिदान, कर्तवयनिष्ठा् में सबसे आगे हैं, क्योंकि हम सब हिंदुस्तानी हैं.

हमारे लिए अतिरिक्त खुशी की बात ये है कि सोफिया भले ही गुजरात में बस गई हो किंतु उसकी गर्भनाल बुंदेलखंड में है. बुंदेलखंड की धरती यूं भी सूरमाओं की धरती है. रानी लक्ष्मी बाई की धरती है. आल्हा, ऊदल की धरती है. हरदौल की धरती है. छत्रसाल की धरती है. सोफिया कुरेशी जिंदाबाद, व्योमिका जिंदाबाद, भारत की सेना जिंदाबाद.आज मुझे राष्ट्र कवि दद्दा मैथिलीशरण गुप्त की पंक्तियाँ याद आ रहीं हैं. दद्दा लिख गए -

मानस भवन में आर्यजन जिसकी उतारें आरती,

भगवान् ! भारतवर्ष में गूँजे हमारी भारती।"

एक महत्वपूर्ण बात और जो साथी रमाशंकर सिंह ने याद दिलाई है वो ये कि  युद्ध बाजार के अंतर्राष्ट्रीय पिशाच गिद्ध व्यापारी भारत पाकिस्तान की  उत्तरी पश्चिमी सीमा पर मँडराने लगे हैं । खरबों का धंधा दिख रहा है ! शुरु में उधार, बाद में यूक्रेन की तरह वसूली !  भारत को इस खूनी साज़िश से बचना चाहिये!

@राकेश अचल

गुरुवार, 8 मई 2025

लोहिया बाजार में हाथ ठेलों को हटाया

ग्वालियर 8 मई ।  नगर निगम के मदाखलत अमले द्वारा सुगम यातायात एवं नागरिकों की सुविधा के लिए निरंतर अभियान चलाकर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है।

मदाखलत अधिकारी श्री केशव सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि निगमायुक्त श्री सिंघप्रिय के निर्देशानुसार उपायुक्त सत्यपाल सिंह चौहान के निर्देशन में शहर में सुगम यातायात हो इसके लिए प्रतिदिन यातायात में बाधक अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही की जा रही है। जिसके तहत पूर्व विधानसभा अंतर्गत लोहिया बाजार में बीच सड़क पर लगे हाथ ठेले एवं फुटपाथियों को हटाया गया। इसके साथ ही दुकानों के बाहर रखा सामान हटवाया जाकर सामान जप्ती की कार्यवाही की गई। साथ ही दुकान संचालकों को सख्त हिदायत दी गई, कि निर्धारित सीमा के बाहर सामान रख कर किसी भी प्रकार का अतिक्रमण न किया जावे अन्यथा जुर्माने की कार्यवाही की जावेगी। उक्त कार्यवाही मदाखलत निरीक्षक श्री विशाल जाटव एवं मदाखलत मौजूद रहा।

आचार्य सुबलसागर जी ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने की भेंट

 

ग्वालियर । आचार्य सुबलसागर जी महाराज ससंघ को चम्पाबाग नई सड़क ग्वालियर 7 मई को *समय समीक्षा पॉकेट पंचांग* भेट कर ज्योतिष पर चर्चा करते हुए  ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ।

क्या जस्टिस वर्मा पिछले दरवाजे से बच निकलेंगे ?

 

दिल्ली में 14 मार्च को हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर लगी आग के दौरान बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की ओर से गठित तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में इन आरोपों को विश्वसनीय माना है.अब सवाल ये है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी या उन्हे पतली गली से बाहर निकलने दिया जाएगा.

 सत्ता प्रतिष्ठान के सामने दशकों से तनकर खडे रहने वाले अखबार इंडियन एक्सप्रेस की  मानें तो सीजेआई खन्ना ने 4 मई को जस्टिस वर्मा को रिपोर्ट की एक कॉपी भेजी है और इसके साथ उन्हें स्वैच्छिक इस्तीफा देने का विकल्प भी दिया गया है. बताया जा रहा है कि सीजेआई ने इस रिपोर्ट पर 5 मई को सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही शुरू होने से पहले अपने सहयोगी न्यायाधीशों से अनौपचारिक चर्चा भी की.

सीजेआई की तरफ से 22 मार्च को गठित इस जांच समिति में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थे. रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने इस मामले में कई महत्वपूर्ण गवाहों के बयान दर्ज किए, जिनमें दिल्ली फायर सर्विस प्रमुख अतुल गर्ग, तीन अग्निशमन कर्मी, न्यायाधीश के सुरक्षा गार्ड, सीआरपीएफ जवान, दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा, डीसीपी देवेश महला और एडिशनल डीसीपी सुमित झा शामिल थे।

गौरतलब है कि इस मामले के सामने आने के कुछ ही दिन बाद, 20 मार्च को जस्टिस वर्मा का तबादला इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया गया था, जहां उन्होंने 5 अप्रैल को शपथ ग्रहण की थी. हालांकि जस्टिस वर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डी. के. उपाध्याय को भेजे गए जवाब में अपने आवास से नकदी मिलने से इनकार किया था. यह रिपोर्ट 22 मार्च को सीजेआई को भेजा गई, जिसें बाद में सार्वजनिक भी किया गया.

रिपोर्ट मिलने के बाद अब जस्टिस वर्मा के पास सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम से व्यक्तिगत मुलाकात का विकल्प भी खुला है. वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की अध्यक्षता सीजेआई खन्ना कर रहे हैं, जिनके साथ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल हैं.

 अब जबकि सीजेआई संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, ऐसे में जस्टिस वर्मा के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए सीमित समय रह गया है.सवाल ये भी है कि सीजेआई खन्ना जस्टिस वर्मा के मामले में कोई फैसला देकर जाएंगे या गेंद नये सीजेआई के पाले में डालकर निकल जाएंगे?

आपको याद दिला दूं कि जस्टिस वर्मा का यह मामला 2008 में कोलकाता हाई कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश सौमित्र सेन से मिलता-जुलता है, जिनके खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति ने भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की थी. उस समय भी रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन सीजेआई के जी बालकृष्णन ने जस्टिस सेन को इस्तीफा देने या वीआरएस लेने की सलाह दी थी. हालांकि जस्टिस सेन ने इन विकल्पों को ठुकरा दिया था लेकिन जब लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया तो आखिरकार उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

जस्टिस वर्मा का यह मामला सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा और न्यायपालिका की निष्पक्षता के लिए अत्यंत संवेदनशील बन चुका है. ऐसे में अब देखना होगा कि जस्टिस वर्मा आगे क्या कदम उठाते हैं. क्या वह इस्तीफा देते हैं, स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेते हैं या फिर कोलेजियम के सामने सुनवाई की मांग करते हैं.मेरे ख्याल से इस मामले में माननीय अदालत को नरमी बरतने के बजाय आम नागरिक के साथ किए जाने वाले बर्ताव को ही अमल में लाना चाहिए. वर्मा को यदि पिछले दरवाजों से निकलने की छूट दी गयी तो न्यायपालिका की विश्वसनीयता प्रभावित होगी. आखिर एक देश, एक कानून का फार्मूला जस्टिस वर्मा पर लागू क्यों नहीं हो सकता? इसीलिए कहता हूँ कि जागते रहो. मामला चाहे पाकिस्तान से संभावित हमले का हो या जस्टिस वर्मा जैसे दागी न्यायाधीश का.

@राकेश अचल

जागते रहो खतरा अभी टला नहीं है

 


बुधवार, 7 मई 2025

अंतत: आपरेशन सिंदूर शुरु, प्रहार का स्वागत

 

कहते हैं 'देर आयद, दुरुस्त आयद'.आधी रात के बाद, जब आतंकवादी चैन की नींद सो रहे, भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया. जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए गए. यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम हमलों के जवाब में की गई, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हो गई थी.हम युद्ध के समर्थक नहीं हैं किंतु भारत की संप्रभुता पर हुए दुस्साहसिक हमले के प्रतिकार के लिए जबाबी कार्रावाई आवश्यक मानते हैं

हमने बहुत पहले ही कह दिया था कि मुल्क युद्द के मुहाने पर है.भारतीय सेना ने रात 1.44 बजे जारी किए गए एक बयान में कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सैन्य हमले किए गए. जिसमें आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. इसमें पीओके और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आतंकवादियों के लॉन्चिंग पैड को टारगेट कर हमला किया, जिसमें 70 से ज्यादा आतंकवादियों के मारे जाने की खबर है.

भारत की ओर से लक्ष्यवेधी प्रहार किया गया है.भारत ने पाकिस्तान और पीओके में उन ठिकानों पर हमला किया है जहां से आतंकवादी हमलों की योजना बनाई जा रही थी और उन्हें निर्देशित  किया जा रहा था. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत रातभर चले सटीक हमलों में कुल नौ ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें लश्कर के 3 और जैश के 4 लॉन्चिंग पैड भी हैं.

इस युद्ध की नौबत ही न आती यदि पाकिस्तान आतंकवाद को पालता, पोषता नहीं.अच्छी बात ये है कि पाकिस्तान को हर समय इमदाद देने वाले अमेरिका ने भी भारतीय सेना की कार्रवाई का समर्थन किया है.अमेरिकी के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है कि-  ‘मैं भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिति पर करीबी नज़र रख रहा हूं. मैं आज पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियों से सहमत हूं. उम्मीद है कि यह जल्द ही समाप्त हो जाएगा. शांतिपूर्ण समाधान के लिए भारतीय और पाकिस्तानी नेतृत्व दोनों के साथ बातचीत जारी रहेगी.

आधी रात को पाकिस्तान पर हमले के बाद भारतीय विमानन प्राधिकरण ने पाकिस्तान सीमा से लगे एयरपोर्ट को बंद कर दिया है. श्रीनगर, जम्‍मू, अमृतसर, लेह, चंडीगढ़, बीकानेर और धर्मशाला से ऑपरेट होने वाली सारी फ्लाइट्स रद्द कर दी गई हैं. विमान कंपनियों ने यात्रियों से स्टेट्स चेक करके ही घर से निकलने को कहा है.

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की सोची-समझी सैन्य प्रतिक्रिया माना जा रहा है. पाकिस्तान के पंजाब के मुरीदके पर हमला शामिल था. यह लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय का घर है. इसे पाकिस्तान की “आतंक नर्सरी” के रूप में जाना जाता है. मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा और उसके प्रमुख संगठन जमात-उद-दावा का मुख्यालय लगभग 200 एकड़ में फैला हुआ है. यहां मस्जिदें, स्कूल, अस्पताल, खेत और एक आतंकी प्रशिक्षण शिविर शामिल हैं.

पाकिस्तानी सेना ने बयान जारी किया है. उन्होंने माना है कि भारत ने उनके 6 जगहों पर हमला किया है. 24 मिसाइल दागे गए हैं. बता दें कि पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया गया है. इसमें ज्यादातर मस्जिद हैं, जहां से जैश-ए-मोहम्मद आतंकी पैदा करता था.

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के चलते, बुधवार को श्रीनगर हवाई अड्डे से सभी उड़ानें रद्द रहेंगी. इसके अलावा, जम्मू, धर्मशाला लेह और अमृतसर के एयरपोर्ट्स भी बंद किए गए हैं जिसके चलते फ़्लाइट ऑपरेशंस पर असर पडेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरी रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर नजर बनाए रखी. देर रात करीब 1 बजकर 44 मिनट पर भारत की तीनों सेनाओं ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादियों के 9 ठिकाने तबाह कर दिए. सेना के ऑपरेशन के दौरान रक्षा मंत्रालय में सारी रात अफसर मौजूद रहे. शायद इसी वजह से पिछले दो दिन से आर्मी का स्ट्रेट कॉम मीडिया के लिए बंद रखा गया था.

जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में एक पाकिस्तानी फाइटर जेट जेएफ-17 गिरा है. जिसका वीडियो स्थानीय युवक ने बनाया. हालांकि फाइटर में पायलट नहीं हैं. स्थानीय लोग उस फाइटर जेट को देखने के लिए वहां पहुंच रहे है.

 सूत्रों ने बताया कि वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने कई देशों के अपने समकक्षों से बात की है और पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी कैम्पस पर भारत के मिसाइल हमलों के बारे में जानकारी दी है. इनमें अमेरिका, यूके, सऊदी अरब, यूएई और रूस शामिल हैं. अभी तक जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक भारत के हमले में 12 आतंकवादी मारे गए.

भारत के मिसाइल हमलों पर पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने कहा, “भारत ने पाकिस्तान के पांच स्थानों पर हमला किया है. पाकिस्तान को इस युद्ध जैसे कृत्य का जोरदार जवाब देने का पूरा अधिकार है, और एक मजबूत प्रतिक्रिया दी जा रही है. पूरा देश पाकिस्तान सशस्त्र बलों के साथ खड़ा है, और पूरे पाकिस्तानी राष्ट्र का मनोबल और उत्साह ऊंचा है. पाकिस्तानी राष्ट्र और पाकिस्तान सशस्त्र बल अच्छी तरह जानते हैं कि दुश्मन से कैसे निपटना है. हम कभी भी दुश्मन को अपने नापाक इरादों में सफल नहीं देंगे.

भारत द्वारा आतंकवादी ठिकानों पर हमले के बाद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में आपातकाल घोषित कर दिया गया है. इतना ही नहीं, सभी स्कूल-कॉलेज भी अगले आदेश तक बंद रहेंगे. 

पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादियों के ठिकाने पर भारत की तरफ से बरसाए गए मिसाइल हमलों के बाद पड़ोसी देश में डर का माहौल है. इसी के मद्देनजर उन्होंने लाहौर और सियालकोट एयरपोर्ट को अगले 48 घंटे के लिए बंद कर दिया है.

भारत इस मुद्दे पर एकजुट है, लेकिन जरुरत इस बात की है कि ये युद्ध लंबा न खिंचे. सरकारी पार्टी इस युद्ध का लाभ बिहार विधानसभा चुनाव में लेने की कोशिश न करे. युद्धकाल में एकता, समरसता सबसे महत्वपूर्ण कारक है. आपरेशन सिंदूर के जबाब में हताश पाकिस्तान आपरेशन लोवान चालू कर सकता है. इसलिए सतर्क रहिये क्योंकि हमारे पास युद्धकाल में सुरक्षा के समुचित इंतजाम नहीं हैं. खासतौर पर बंकर. हमें उम्मीद है कि पाकिस्तान बहुत जल्द भारत के सामने घुटने टेक देगा. क्योंकि पाकिस्तान के पास भारत का लंबे समय तक मुकाबला करने की कूबत नहीं है.याद रखिये युद्ध छोटा हो या बडा होता रक्ररंजित ही है.

@ राकेश अचल

मध्यप्रदेश के 5 जिलों में होगा माकड्रिल

ग्वालियर, भोपाल, इंदौर, जबलपुर और कटनी में होगा हवाई हमले से बचाव का अभ्यास

भोपाल  6 मई । अपर मुख्य सचिव गृह श्री जे.एन. कंसोटिया ने कहा है कि नागरिक सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन राष्ट्र का महत्वपूर्ण विषय एवं जिम्मेदारी है, फलस्वरुप नागरिकों की सुरक्षा के लिये सिविल डिफेंस अधिनियम 1968 एवं अन्य नियमों में नागरिक सुरक्षा करने के प्रावधान किये गये हैं। नागरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत सरकार के गृह मंत्रालय की है, जो समय-समय पर राज्यों को आवश्यक निर्देश देती है कि राज्य सरकारें नागरिक सुरक्षा योजनाएं बनायें, योजनाओं की समय-समय पर समीक्षा करें और आवश्यकता पड़ने पर संशोधन करें।

नागरिक सुरक्षा योजनाएं नागरिकों की सुरक्षा, विभिन्न महत्वपूर्ण उद्योगों एवं नागरिक सुविधाओं की सुरक्षा जिनमें रासायनिक, परमाणु एवं अन्य उद्योग प्रतिष्ठान, जल विद्युत योजनाएं एवं अन्य नागरिक संस्थाएं हैं। इन योजनाओं में स्पष्ट रुप से प्रावधान किये जाते हैं कि जब आपदा की स्थिति उत्पन्न होती है या किसी भी प्रकार का संकट आता है तो योजना के अनुसार सरकार के विभिन्न विभागों जैसे पुलिस, सेना, रेल्वे, स्वास्थ्य एवं एयरपोर्ट इत्यादि द्वारा आवश्यक कार्रवाई की जाती हैं। नागरिक सुरक्षा योजनाएं बनाने एवं समीक्षा करना एवं संशोधन करना, अभ्यास करना, इत्यादि सामान्य प्रक्रियाएं हैं, जो समय-समय पर की जाती हैं। इन गतिविधियों का उद्देश्य नागरिक सुरक्षा करना, व्यवस्था एवं नागरिकों को जागरुक करना, प्रशिक्षण देना एवं सभी तैयारियों को अपडेट रखना है।

नागरिक सुरक्षा योजनाओं का अभ्यास (Mock drill) करने के लिये केन्द्र सरकार ने निर्देश दिये हैं कि प्रदेश के 5 जिलों ग्वालियर, भोपाल, इन्दौर, जबलपुर एवं कटनी में यह अभ्यास बुधवार 7 मई 2025 को शाम 4 बजे से 8 बजे के मध्य किया जाये। यह अभ्यास किया जावेगा कि हवाई हमला होने की स्थिति में किस तरीके से बचाव करना है। इस अभ्यास के अन्तर्गत एक हवाई हमला होने का काल्पनिक संकट आने का संकेत इन जिलों को प्राप्त होगा। जिलें के नागरिकों की सुरक्षा की दृष्टि से नागरिकों को काल्पनिक संभावित हमले की सूचना सायरन के माध्यम से देंगे, जिससे नागरिक एवं अन्य संस्थाएं ब्लैक ऑउट का अभ्यास करेंगे। प्रदेश में इस के लिए बुधवार शाम 7:40 बजे का समय निर्धारित किया गया है। इस ब्लैक आउट के साथ ही किसी निश्चित भवन में आग लगने पर खोज एवं बचाव के अभ्यास, आकस्मिक रुप से निर्धारित भवन से लोगों का बचाव करने, अस्थाई रुप से अस्पताल बनाने और खतरे वाले स्थान से नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर भेजने इत्यादि का अभ्यास किया जावेगा। इस अभ्यास की सूचना राज्य के कन्ट्रोल रुम को दी जावेगी एवं कंट्रोल रुम से केन्द्र सरकार के कंट्रोल रुम को सूचना दी जावेगी। यह अभ्यास रक्षा मंत्रालय, रेल्वे, विमानन एवं विभिन्न विभागों के सहयोग से जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है।

नागरिकों से अपील

इस अभ्यास से किसी भी नागरिक को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। इसलिये सभी नागरिकों से अपील की जाती है कि वे अभ्यास में सम्मिलित होकर अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करें तथा प्रशासन द्वारा सायरन के माध्यम से सूचना उपरान्त उन्हें स्वयं एवं परिजनों को सुरक्षित स्थान पर रखने का अभ्यास करना है। हवाई हमले का लाल सिग्नल दो मिनिट तक ऊंची-नीची आवाज में सायरन का बजना होता है तथा खतरा टलने के बाद दो मिनिट तक सायरन बजाकर सूचना दी जाती है। ब्लैक आउट के संबंध में सामान्यजन से अपेक्षा है कि घर/कार्यालय के पर्दों एवं लाईट को बंद करें तथा पुनः सायरन बजने पर लाईट जला लें। भीड़-भाड़ न बढायें, अफवाह न फैलायें एवं यातायात / पुलिस / एम्बुलेंस सुविधाओं को सुचारु रुप से चलते रहने में सहयोग करें एवं अभ्यास के दौरान प्रशासन के निर्देशों का पालन कर अभ्यास को सफल बनायें।

मंगलवार, 6 मई 2025

कलेक्टर से जन सुनवाई में की आदिम जाति कल्याण विभाग के अतिरिक्त प्रभार में प्रभारी सहायक आयुक्त मूल पद प्राचार्य राकेश गुप्ता को निलंबित करने की मांग

  

ग्वालियर 6 मई  । दलित आदिवासी महापंचायत (दाम) के प्रतिनिधि मंडल ने आज ग्वालियर कलेक्टर की जनसुनवाई में पहुंचकर कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान से आदिम जाति कल्याण विभाग जिला ग्वालियर में सहायक आयुक्त के अतिरिक्त प्रभार में जिनका मूल पद प्राचार्य है राकेश शुक्ला को 19 बिंदुओं मैं भ्रष्टाचार का उल्लेख करते हुए  ज्ञापन सोपा गया जिस पर कलेक्टर ने ग्वालियर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विवेक कुमार IAS को आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।

 प्रतिनिधि मंडल में शामिल दलित आदिवासी महापंचायत के संस्थापक संरक्षक डॉ जवर सिंह अग्र , प्रांत अध्यक्ष महेश मदुरिया , ग्वालियर चंबल संभाग के प्रभारी दारा सिंह कटारे शामिल थे उक्त नेताओं ने कलेक्टर महोदय से निवेदन किया की राकेश गुप्ता द्वारा विभाग में खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है इनके द्वारा जिला श्योपुर के एकलव्य विद्यालय कराहल में  लगभग तीन करोड़ का भ्रष्टाचार किया है जांच में दोषी है लेकिन संभागीय उपायुक्त कार्यालय अनुसूचित जाति जनजाति कार्य विभाग संभाग ग्वालियर द्वारा जांच रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई उल्टा उनको बचाया गया है इसी प्रकार राकेश गुप्ता द्वारा अपनी एक रिश्तेदार को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने और व्यक्तिगत लाभ प्राप्त करने के लिए जो ग्वालियर से नियमित बीएड कर रही थी  कोई गुप्ता उनको अतिथि शिक्षक बनाया गया है और उनको प्रतिमाह 42000 रुपए मानदेय का भुगतान नियमित किया जा रहा था जबकि नियमित बीएड करने वाले किसी भी व्यक्ति को विद्यालय में अतिथि शिक्षक नहीं बनाया जा सकता तथा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम में मिलने वाली राहत राशि पीड़ितों को नहीं दी गई है 28 फरवरी 2025 तक ग्वालियर जिले में अकेले 1038 प्रकरण लंबित है इस बिंदु पर भी राकेश गुप्ता को निलंबित करने की मांग की गई है इसके अतिरिक्त 17 अन्य बिंदु है जो गंभीर है जनसुनवाई में अधिकारीयों ने कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है ।

ज्ञात रहे की श्री राकेश गुप्ता की मूल पद स्थापना आज भी एकलव्य विद्यालय कराहल जिला श्योपुर में है प्राचार्य के पद पर और वेतन भी कराहल से ही मिल रहा है ग्वालियर का तो अतिरिक्त प्रभार है ज्ञापन में यह भी मांग की गई है की जो ज्ञापन में बिंदु है उनकी निष्पक्ष जांच हेतु पहले राकेश गुप्ता को निलंबित किया जाए यदि निलंबित नहीं किया जा सकता तो इन्हें कार्यालय से हटाकर किसी वरिष्ठ डिप्टी कलेक्टर को विभाग का प्रभार दिया जाए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।

माकटेल से माकड्रिल तक की नौबत

 

आज की पीढी के लिए 'माकटेल' तो जाना पहचाना शब्द है किन्तु माकड्रिल और नौबत के बारे में शायद ही उसे पता हो. हम उस पीढी के लोग हैं जिन्होने माकड्रिल भी देखी है. हमने नौबत बजते भी देखी है और नौबत को आते जाते भी देखा है. 7मयी को माकड्रिल की नौबत पूरे 54 साल बाद आई है.
माकड्रिल का मतलब होता है छद्म अभ्यास. युद्ध के समय हवाई हमलों की पूर्व सूचना देने के लिए तेज आवाज में सायरन बजाकर जनता से सुरक्षित स्थानों में छिपने, ब्लैक आउट करने का अभ्यास कराया जाता है. पुराने जमाने में जब कल कारखाने बहुत थे तब हर शहर में कर्मचारियों को उनकी पाली शिफ्ट)की सूचना देने के लिए सायरन बजाए जाते थे. श्रमिक क्षेत्रों के अलावा मुख्य शहर के केंद्र में ऐसे सायरन बजाए जाते थे. युद्ध के सय भी इनका इस्तेमाल खतरे की सूचना देने के लिए किया जाता था.
हमने युद्ध के समय आखरी बार सायरन54साल पहले 1974में सुना था, लेकिन हमारे शहर में श्रमिकों के लिए सायरन 1992तक बजता रहा. ग्वालियर के हृदय स्थल महाराज बाडा पर वर्षों तक 10.30 बजे सायरन बजता था. इस सायरन का इस्तेमाल 30जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर 11बजे दो मिनिट का मौन धारण करने के लिए बजाया जाता था.
अब अगर 7 मई 2025 को आपके शहर में अचानक कोई तेज और डरावनी सायरन की आवाज सुनाई दे तो घबराएं नहीं, यह कोई आपात स्थिति नहीं, बल्कि एक मॉक ड्रिल यानी युद्ध जैसी स्थिति की तैयारी का अभ्यास है. इस दौरान एक ‘जंग वाला सायरन’ बजेगा, ताकि लोगों को बताया जा सके कि युद्ध या हवाई हमले जैसी स्थिति में क्या करना होता है? 
जैसा कि मैने पहले ही बताया कि 1971 की जंग के बाद यह पहली बार है क‍ि भारत सरकार ने ऐसा मॉक ड्रिल करने का आदेश द‍िया है.22अप्रैल को पहलगाम में 26लोगों की नृशंस हत्या के बाद एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आहटें सुनाई दे रहीं हैं.ऐसे में आपके ल‍िए यह जानना जरूरी है क‍ि ये सायरन आखिर होता क्या है? कहां लगाए जाते हैं? इनकी आवाज कैसी होती है? कितनी दूरी तक सुनाई देती है? और जब ये बजता है तो लोगों को क्या करना चाहिए? 
जंग वाला सायरन आमतौर पर प्रशासनिक भवनों, पुलिस मुख्यालय, फायर स्टेशन, सैन्य ठिकानों और शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों में ऊंचाई पर लगाए जाते हैं. इनका मकसद कि सायरन की आवाज ज्‍यादा से ज्‍यादा दूर तक पहुचाना है

’जंग वाला सायरन’ दरअसल एक तेज आवाज वाला वॉर्निंग सिस्टम होता है. यह युद्ध, एयर स्‍ट्राइक या आपदा जैसी आपात स्थिति की सूचना देता है. इसकी आवाज में एक लगातार ऊंचा-नीचा होता हुआ कंपन होता है, जिससे यह आम हॉर्न या एंबुलेंस की आवाज से बिल्कुल अलग पहचाना जा सके.
देश में 1971के बाद पैदा हुई पीढी के लिए माकड्रिल और सायरन की आवाज एक अनूठा अनुभव होगा. ऐसे अनुभव यूक्रेन, फिलिस्तीन, रुस और इजराइल के लोगों को बहुत हैंक्योंकि ये देश युद्धरत देश हैं किंतु शांतिप्रिय देशों की जनता के लिए ये अनुभव भयावह और चौंकाने वाले भी हो सकते हैं.
भारत ने 2019 में पुलवामा के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए सबसे भीषण हमले को लेकर भारत किसी को बख्‍शने वाला नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह से मुलाकात की. अटकलें लगाई जा रही हैं कि नई दिल्लीअब पाकिस्तान को पहलगाम हत्याकांड का जबाब देने की तैयारी कर चुकी है इसीलिए नौबत माकड्रिल तक आई है.
अब आप नौबत के बारे में जान ही लीजिये. नौबत का एक अर्थ पारी, समय, बेला होता है तो एक अर्थ मंगल ध्वनि भी होता है. एक जमाने में राजा महाराजाओं के आवास महल, किले की ड्योढी यानि दरवाजे के बाहर सुबह सुब  ढोल, नगाडे और शहनाई बजती थी, इसे भी नौबत बजाना कहा जाता था.
@राकेश अचल

सोमवार, 5 मई 2025

जातिगत जनगणना राहुल गांधी की अडिग लडाई और सामाजिक न्याय की जीत: रवि सक्सैना

ग्वालियर। मध्यप्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता रवि सक्सैना ने कहा है कि देश में होने जा रही जातिगत जनगणना कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की अडिग लडाई और सामाजिक न्याय की जीत है। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की है कि वह स्पष्ट करे कि देश में जातिगत जनगणना कब से होगी इसकी समय सीमा तय करे। 

मप्र के वरिष्ठ प्रवक्ता रवि सक्सैना ने सोमवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुये कहा कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के अडिग रवैये के चलते जातिगत जनगणना सें लेकर नीतिगत सुधारों को लेकर भाजपा को झुकना पडा। उन्होंने कहा कि राुहल गांधी ने भाजपा के वंचित विरोधी नीतियों की पोल खोली और 2023-2024 में संसद से लेकर अपनी रैलियों , प्रेस वार्ताओं सोशल मीडिया पर इस मुददे को सजगता से उठाया। वहीं तेलंगाना में जातिगत सर्वेक्षण को एक पारदर्शी समावेशी माडल के रूप में प्रस्तुत करते हुये आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से हटाने की मांग उठाई। और भाजपा को वंचित और पिछडा वर्ग विरोधी मानसिकता को उजागर किया। इसी प्रकार से किसानों से लेकर करोना , नोटबंदी जीएसटी आदि मुददे को भी सजगता से उठाया। 

उन्होंने कहा कि मप्र कांग्रेस कमेटी राहुल गांधी के नेतृत्व में एक समावेशी , न्यायपूर्ण और प्रगतिशील मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए कटिबद्ध है। हम मप्र की जनता को विश्वास दिलाते हैं कि हम जनता की लडाई को और मजबूत करेंगे और भाजपा की हर जनविरोधी नीति का डटकर मुकाबला करेंगे। पत्रकार वार्ता में प्रदेश महासचिव सुनील शर्मा, शहर जिलाध्यक्ष डा देवेन्द्र शर्मा, प्रदेश प्रवक्ता आरपी सिंह, राम पांडे आदि मौजूद थे।q

पाकिस्तान से लडो, हिमांशी से नहीं

  

मुझे कभी कभी राष्ट्र के अंधभक्तों पर तरस आता है. वे पहलगाम हमले के लिए जिम्मेदार आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई न करने वाली अपनी सरकार से लडने के बजाय उस शहीद की पत्नी के खिलाफ लड रहे हैं जो अपने पति की शहादत का इस्तेमाल हिंदू मुसलमान के बीच खाई पैदा करने के खिलाफ है.गनीमत है कि शहीद विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी नरवाल के बयान पर ट्रोलिंग को महिला आयोग ने गलत बताया। आयोग ने कहा कि किसी महिला को उसकी राय या निजी जीवन के आधार पर निशाना बनाना उचित नहीं। हर महिला की गरिमा और सम्मान जरूरी है।

आपको बता दें कि 22अप्रैल 2025 को पहलगाम हमले के बाद हिमांशी नरवाल ने अपील की थी कि लोग मुसलमानों और कश्मीरियों को निशाना न बनाएं। उन्होंने कहा था कि हम नहीं चाहते कि लोग मुसलमानों और कश्मीरियों के पीछे पड़ें। हिमांशी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जाने लगा।क्योंकि हिमांशी को पछियाने वाले पहलगाम हमले का इस्तेमाल ध्रुवीकरण के लिए करना चाहते हैं.

हिमांशी नरवाल के समर्थन में न प्रधानमंत्री जी आए न गृहमंत्री जी लेकिन महिला आयोग ने हिम्मत दिखाई हिमांशी के समर्थन की.महिला आयोग ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बयान जारी कर कहा  है कि शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत के बाद उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल की सोशल मीडिया पर आलोचना दुर्भाग्यपूर्ण है। आयोग ने माना कि हिमांशी के बयान से हर कोई सहमत नहीं हो सकता, लेकिन असहमति जताने का तरीका संविधान के दायरे में और सभ्य होना चाह आयोग ने यह भी याद दिलाया कि हिमांशी के पति को धर्म पूछकर गोली मारी गई, जिससे देश में गुस्सा है। लेकिन ऐसे समय में भी किसी महिला को ट्रोल करना उचित नहीं है। इसको लेकर आयोग ने कहा कि हर महिला की गरिमा और सम्मान मूल्यवान है, और ऐसे राष्ट्रीय दुख के समय में भी अभिव्यक्ति का तरीका मर्यादित होना चाहिए।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बीते मंगलवार 22 अप्रैल को आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसा कर 26 लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी। सेना की वर्दी में आए दहशतगर्दों ने पहलगाम की बायसरन घाटी में पर्यटकों से पहले उनका धर्म पूछा, परिचय पत्र देखे और गोली मार दी. पिछले एक पखवाडे से देश इस घटना के खिलाफ भारत  सरकार की ओर से की जाने वाली कार्रवाई का इंतजार कर रहा है किंतु अंधभक्त हिमांशी के पीछे पडे हैं. अंधभक्त हर उस कोशिश के खिलाफ हैं जो सरका से सवाल करती है. फिर चाहे वो नेहा राठौर हो चाहे हिमांशी नरवाल.

हिमांशी इस देश की समरसता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले असंख्य लोगों की प्रतिनिधि है. उसे सुरक्षा और संरक्षण की जरूरत है. उसका विरोध, उसकी निंदा राष्ट्रद्रोह है. हम सब हिमांशी के साथ हैं. हिमांशी ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है. ऐसा बलिदान किसी अंधभक्त ने नहीं किया. अंधभक्तों के आराध्य तो पीडितों से मिलने  काश्मीर जाने के बजाय मधुबनी पहुंच गए थे.

@राकेश अचल

रविवार, 4 मई 2025

भूल जाइए पहलगाम, आइए बद्रीधाम

 

घटनाएं, दुर्घटनाएं भूलने के लिए ज्यादा याद रखने के लिए कम होती हैं. आपको भी सरकार की तरह 22अप्रैल को हुए पहलगाम हत्याकांड को भूलकर अपने काम धंधे पर लग जाना चाहिए. किसी हादसे से दुनिया रुक नहीं जाती. हिरोशिमा नागासाकी से पहलगाम हत्याकाके बीच दुर्दिनों की लंबी फेहरिश्त है. किस किस को याद कीजिए, किस किस को रोइए,,,,

अब देखिए न चारधाम में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। पूरा मंदिर फूलों से सजाया गया है। इस मौके पर मंदिर पर फूलों की वर्षा की गई। कपाट खुलने के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की और भगवान बद्रीविशाल का आशीर्वाद प्राप्त किया। बद्रीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। बता दें कि गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट पहले ही खुल चुके हैं। चार धाम की यात्रा शुरू हो चुकी है।किसी को फुर्सत नहीं सरकार से सवाल करने की? 

राजनीतिक दल अपना काम कर रहे हैं, कारोबारी अपना कारोबार कर रहे हैं. रो सिर्फ वे लोग रहे हैं जिनके परिजन मारे गए हैं. हमारे बुंदेलखंड में कहावत हैकि जिसका मरता है वही रोता है. दूसरा तो रोने का दिखावा करता है. ध्रुवीकरण चालू आहे. महाराष्ट्र देश का सबसे महत्वपूर्ण सूबा है. यहाँ भी ध्रुवीकरण जारी है.उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने शनिवार को राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना  से गठबंधन के संकेत दिए है। पार्टी ने एक्स पर लिखा- मुंबई और महाराष्ट्र के हित के लिए एकजुट होने का समय आ गया है। पार्टी कार्यकर्ता मराठी गौरव की रक्षा के लिए तैयार हैं।

इससे पहले 19 अप्रैल को राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई उद्धव से गठबंधन पर कहा था कि, 'उद्धव से राजनीतिक मतभेद हैं, विवाद हैं, झगड़े हैं, लेकिन यह सब महाराष्ट्र के आगे बहुत छोटी चीज हैं। महाराष्ट्र और मराठी लोगों के हित के लिए साथ आना कोई बहुत बड़ी मुश्किल नहीं है।'

राज ठाकरे ने अभिनेता और निर्देशक महेश मांजरेकर के यू-ट्यूब चैनल पर यह बात कही थी। इस पर उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयां छोड़कर आगे बढ़ने को तैयार हैं। बशर्ते महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को बर्दाश्त न किया जाए।

मैने कहा देश, दुनिया किसी के लिए रुकती नहीं है. कहाँ रुकती है? मप्र में सरकार नहीं रूक रही. एक बार फिर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव सरकार 5 हजार  करोड का ऋण लेने जा रही है. कर्ज का घी, कंबल ओढकर पी. कर्ज हर सरकार की मजबूरी है. केंद्र सरकार भी जनता के लिए बार बार कर्जदार बनती है और राज्य सरकार भी. दैनों जनता की साख पर कर्ज लेती है. हमारे यहाँ तो ऋण कहा जाता है. हम पितृ ऋण अदा करते हैं. सरकार का कोई पिता नही होता, जनता जनार्दन होती है.उसी के लिए सरकार को कर्जदार होना पडता है.

पहलगाम हत्याकांड का मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे की शादी पर कोई असर नहीं पडा. उनके अंगने में जैकलिन को नाचना था सो नाची. असली और खानदानी ज्योतिरादित्य सिंधिया के  पापा भी ये सब इंतजाम नहीं कर पाए थे. तोमर ने कुछ वर्ष पहले अपने पिता के मृत्युभोज में मात्र एक बोरी शक्कर गलवाकर आदर्श प्रस्तुत किया था. तब मैने संपादकीय लिखकर उसे सराहा था. लेकिन आज मै मेला मैदान में शाही शादी की दावत पर गूंगा हूँ. कुछ नहीं लिख पा रहा. किसी की खुशियों पर टिप्पणी करना पत्रकारिता नहीं है. हालांकि मैने स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की बेटी चित्रांगदा और बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया की शाही शादी में फिजूलखर्ची और सरका संसाधनों के दुरुपयोग पर खूब लिखा था.दुरुपयोग आज भी हो रहा है, बल्कि ज्यादा हो रहा है. पूरा शहर हलकान है युवराज के लिए आयोजित दावत ए वलीमा में उमडने वाली आम और खास भीड की वजह से.

सब जानते हैं कि मै बिना राग, द्वेष के लिखता रहा हूं. आगे भी लिखता रहूँगा, क्योंकि मुझे अपने सिवा किसी और से डर नहीं लगता. डरने वाली जमात अलग है. ये जमात भी पहलगाम को भूलकर  नाच रही है, अभिनंदन कर रही है. पुलिस कप्तान से पिट रही है.पिट तो जनता भी रही है, लेकिन बचाने वाला कोई नहीं है.जागते रहो!

@राकेश अचल

शनिवार, 3 मई 2025

शहर लोगों को नियमित रूप से शुद्ध पानी मिले : नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय

पेयजल वितरण व्यवस्था एवं सीवर संधारण के कार्यों की समीक्षा बैठक

ग्वालियर 3 मई ।  शहरवासियों को नियमित रूप से शुद्ध और पर्याप्त पेयजल मिले, यह सुनिश्चित किया जाए। पेयजल वितरण में किसी भी प्रकार की समस्या आने पर तत्काल निराकरण भी सुनिश्चित किया जाए। इसके साथ ही सीवर से संबंधित समस्याओं का निराकरण भी 24 घंटे में हो, यह सुनिश्चित किया जाए। संबंधित अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में पेयजल वितरण की नियमित समीक्षा करें। नगर निगम आयुक्त श्री संघ प्रिय ने शनिवार को पेयजल वितरण व्यवस्था एवं सीवर संधारण के कार्यों की समीक्षा के दौरान यह निर्देश दिए हैं। 

नगर निगम के बाल भवन में आयोजित विभागीय समीक्षा बैठक में विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ सीवर एवं पेयजल वितरण के लिये कार्य कर रहे ठेकेदारों को भी बैठक में बुलाकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। बैठक में अपर आयुक्त श्री विजय राज सहित पीएचई विभाग के कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री, उपयंत्री एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। 





उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 4 मई रविवार को ग्वालियर आएगें


ग्वालियर 3 मई ।  उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ 4 मई को ग्वालियर पधारेंगे। ग्वालियर में आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होंगे। उप राष्ट्रपति 4 मई को दिल्ली से विशेष विमान द्वारा रवाना होकर शाम 5.45 बजे वायुसेना के विमानतल पर पधारेंगे। 
उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ शाम 5.55 बजे राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में प्राध्यापक एवं विद्यार्थियों से परस्पर संवाद कार्यक्रम में शामिल होंगे। इसके पश्चात विधानसभा अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर के यहाँ आयोजित मांगलिक कार्यक्रम में शामिल होकर रात्रि लगभग 8.05 बजे ग्वालियर विमानतल से नई-दिल्ली के लिये प्रस्थान करेंगे। 

मप्र की सचल कैबिनेट या तुष्टिकरण ?


मप्र में शायद सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है. यानि अमन है, चैन है. तभी तो मप्र सरकार की कैबिनेट बैठक इस बार भोपाल के बजाय इंदौर में आयोजित की गई है.सरकार रानी अहिल्या बाई के प्रति अपने सम्मान का मुजाहिरा करना चाहती है. रानी की 300वीं जयंती 20 मई को है.

भोपाल से बाहर मंत्रिमंडल की बैठकों की रिवायत नयी नहीं है. राजा, महाराजा, ननबाब और अंग्रेज ये शौक फरमाते रहे हैं. चुनी हुई लोकतान्त्रिक सरकारों ने भी इस रिवायत को छोडा नहीं है. ग्वालियर रियासत में राजधानी गर्मियों में ग्वालियर से हटकर शिवपुरी ले जाई जाती थी. भोपाल वाले पचमढी की शरण लेते थे. इस तरह सचल कैबिनेट के तमाम किस्से हैं. लेकिन मोहन यादव सरकार की कैबिनेट बैठक इंंदौर में होना अलग बात है.

बैठकें राजधानी भोपाल में हों या बाहर कोई खास फर्क नहीं पडता. थोडा बहुत वित्तीय बोझ पडता है तो सुशासन के नाम पर उसे झेलना जनता की जिम्मेदारी है. सवाल ये है कि रानी अहिल्या बाई के सम्मान की फिक्र अचानक क्यों करने लगी सरकार. कल को ग्वालियर वाले महाराज कहेंगे कि बैजाबाई के सम्मान में बैठक ग्वालियर करो तो जाना पडेगा. परसों रानी दुर्गावती  के सम्मान का मुद्दा खडा हो सकता है. लेकिन भविष्य की फिक्र कौन करता है. सबको आज की फिक्र है. आज रानी अहिल्या बाई होल्कर की 300 वीं जयंती  का मामला है.

कैबिनेट का सथान, समय बदलने से कैबिनेट का चरित्र नहीं बदल सकता. कैबिनेट सामंतों के सम्मान में जो करे सो कम है क्योंकि आज भी सत्ता प्रतिषकी मानसिकता पर होल्करों और सिंधियाओं का असर है. सामंतवाद का नशा उतरने में बहुत वक्त लेता है. फिर यदि सामंत सत्ता प्रतिष्ठान का अभिन्न अंग हों तो इस विषय पर बहस ही बेमानी है.

मै किसी का दिल नहीं दुखाना चाहता. किसी के सम्मान में गुस्ताखी नहीं करना चाहता किंतु जानना चाहता हूँ कि सूबे के वजीरेआला खुद 31दिन में से कितने दिन सचिवालय में अपने कार्यालय में बैठे? माननीय डॉ मोहन यादव का पांव भोपाल में टिकता ही कहां है. वे सबसे ज्यादा सचल मुख्यमंत्री हैं. उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान से भी ज्यादा सचल मुख्यमंत्री हैं.उनका एक पांव हैलीकाप्टर में तो दूसरा हवाई जहाज में रहता है.

खबर है कि यह बैठक इंदौर के ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के राजबाड़ा परिसर में होगी। सुशासन और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की प्रतीक देवी अहिल्याबाई के सम्मान में यह बैठक मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की मंशा के अनुरूप आयोजित की जा रही है। बैठक की प्रशासनिक तैयारियाँ प्रारंभ हो गयी हैं. कलेक्टर आशीष सिंह सब काम छोडकर कैबिनेट बैठक की तैयरियों में लगे है.कलेक्टर सिंह ने बैठक के दौरान आयोजन से जुड़ी सभी व्यवस्थाओं-मंत्रीगणों एवं वरिष्ठ अधिकारियों के आवास, परिवहन, यातायात, बैठक स्थल की तैयारी और भोजन आदि की बिंदुवार समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी व्यवस्थाएं समय पर और आयोजन की गरिमा के अनुरूप पूरी की जाएं ताकि किसी भी अतिथि को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े।

प्रशासन ने राजबाड़ा को भव्य रूप से सजाने, सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखने और शहर में यातायात को सुचारू बनाए रखने के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं। यह आयोजन न केवल देवी अहिल्याबाई के योगदान को श्रद्धांजलि है, बल्कि इंदौर के सांस्कृतिक गौरव को भी रेखांकित करेगा।

मै इस बैठक के रत्तीभर खिलाफ नहीं हूं, क्योंकि मुझे पता है कि बीन कहाँ बजाना चाहिए और कहां नहीं.इस बैठक से इंदौर का, अहिल्या बाई का कुछ भला हो तो जरूर हो लेकिन सूबे के दूसरे अंचलों की उपेक्षा भी नहीं की जाना चाहिए. विकास समेकित हो,, बैठक भले ही आप श्रीनगर में कर लीजिये, कोई फर्क नहीं पडने वाला.पिछले 16महीने में प्रशासन के कामकाज पर अभी तक डॉ मोहन यादव की छाप नजर नहीं आ रही. उनकी पुलिस का इकबाल खत्म हो रहा है. पुलिस थाने में पिट रही है. पुलिस कमिश्नर प्रणाली से चल रहे भोपाल और इंदौर में लव जिहाद चल रहा है, किंतु कहीं, कोई हलचल नहीं.

विकास की दौड मेहर मुख्यमंत्री इंदौर पर दांव लगाता आया है. कांग्रेस के राज में भी यही दशा थी, भाजपा के राज में भी यही सब चल रहा है. ग्वालियर और  जबलपुर की चिंता किसी को नहीं है. भोपाल राजधानी होने की वजह से विकसित हो ही रहा है. इंदौर में कैबिनेट की बैठक का खर्च इंदौर से थोडे ही वसूल किया जाएग. ये तो हमारी, आपकी जेब से ही वसूल किया जाएगा. 20 मई के बाद देखते हैं कि क्या गुल खिलता है? हमारी शुभकामनाएं.

@ राकेश अचल

शुक्रवार, 2 मई 2025

स्मृति शेष : कांग्रेस का एक विनम्र चेहरा थीं डा. गिरिजा व्यास

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर गिरिजा व्यास का निधन हो गया है। वो 78 साल की थीं।उनका निधन एक हादसा है.

31 मार्च, 2025 को उदयपुर के दैत्य मगरी स्थित अपने घर पर वह गणगौर पूजा कर रही थीं तभी एक दीपक की लौ से उनके कपड़ों में आग लग गई।इस हादसे में वे 90 प्रतिशत तक झुलस गई थीं.

डॉ. गिरिजा व्यास भारतीय राजनीति की एक ऐसा सौम्य चेहरा थीं जिन्हे भरपूर सम्मान और अवसर मिला. वे विदुषी थीं और राजनीति में रहकर उन्होने अपनी बुद्धमत्ता का मुजाहिरा भी खूब किया. लोकप्रियता का प्रमाण ये है कि डॉ गिरिजा व्यास एक, दो मर्तबा नहीं बल्कि पूरे  चार बार सांसद चुनी गई.

डॉ व्यास उन खुशनसीब राजनेताओं में शुमार की जाती हैं जिन्हे मात्र पच्चीस वर्ष की आयु में ही विधायक या सांसद बनने का मौका मिलता है. डॉ गिरिजा व्यास भी 25 साल की उम्र में  राजस्थान विधानसभा की सदस्य बनी. केंद्र में डॉ व्यास को अनेक मंत्रालयों का दायित्व सम्भालने का मौक़ा मिला। नरसिम्हा राव सरकार में आप सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और विगत मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार में आपने केन्द्रीय कैबिनेट में शहरी आवास एवं ग़रीबी उन्मूलन मंत्रालय की ज़िम्मेवारी को बख़ूबी निभाया।एक मंत्री के रूप में मेरी उनसे दो मुलाकातें हुई.

डॉ. व्यास राष्ट्रीय महिला आयोग की दो कार्यकाल तक राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रही है। डॉ व्यास राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद के अलावें लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक पद एवं बतौर एआईसीसी मीडिया प्रभारी भी रहीं है। फ़िलहाल अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के केंद्रीय चुनाव समिति के साथ-साथ विचार विभाग की चेयरपर्सन एवं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुखपत्र कांग्रेस संदेश पत्रिका की मुख्य सम्पादक थीं. उनके कवि होने का पता मुझे बाद में चला. मेरी नजर में वे एक ऐसी कवयित्री थीं जिन्होंने राजस्थान से निकल कर देश के साहित्य और राजनीतिक जगत में अपनी अलग पहचान बनाई.

गिरिजा व्यास का जन्म 8 जुलाई, 1946 को नाथद्वारा के श्रीकृष्ण शर्मा और जमुना देवी के घर हुआ था.उन्होंने उदयपुर के मीरा कॉलेज से स्नातक और एमबी कॉलेज से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की.इसी कॉलेज ने बाद में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय का रूप लिया. व्यास ने यहीं से दर्शन शास्त्र में पीएचडी भी की. उनकी एक महत्वपूर्ण थीसिस गीता और बाइबिल के तुलनात्मक अध्ययन पर है.

उन्होंने एमए दर्शन शास्त्र में उदयपुर के सुखाड़िया विश्वविद्यालय में गोल्ड मेडल जीता और वे सभी संकायों में टॉप रहीं.

एक बार अनौपचारिक बातचीत में उन्होने बताया था कि वे नेता नहीं  नृत्यांगना बनना चाहती थीं.उनकी माँ उन्हे हमेशा

बुलबुल कहा करती थीं. माँ चाहती थीं कि उनकी बेटी एक दिन डॉक्टर बनेगी. वे डॉक्टर तो बनीं, लेकिन दर्शनशास्त्र में पीएचडी के बाद उनको यह उपाधि मिली.गिरिजा व्यास जब छोटी थीं तभी उनके पिता का निधन हो गया था. उन्होंने अपने परिवार को संभाला और उन्होंने शादी नहीं की.उन्होने पूरे 15 साल शास्त्रीय संगीत और कथक सीखा लेकिन इसके छूटने का कभी अफसोस भी नहीं किया.गिरिजा व्यास यूनिवर्सिटी ऑफ़ डेलावेयर (अमेरिका) में 1979-80 में पढ़ाने भी गईं थीं.

कांग्रेस की इस विदुषी नेत्री का प्रस्थान ऐसे समय में हुआ जब देशश पहलगाम हत्याकांड के शोक में डूबा था. वे स्मृतियों में सदैव रहेंगी. विनम्र श्रद्धांजलि.

@राकेश अचल

गुरुवार, 1 मई 2025

आदिम जाति कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार का आरोप , जांच की मांग

ग्वालियर  ।  ग्वालियर के  आदिमजाति कल्याण विभाग में  अधिकारियों द्वारा खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है शासन प्रशासन पता नहीं क्यों मौन है । दर्जनों सैकड़ो नहीं है हजारों शिकायत है शासन प्रशासन के पास लंबित है वर्तमान सहायक आयुक्त जिन पर अतिरिक्त प्रभार है मूल पद प्राचार्य है राकेश गुप्ता को आज तक निलंबित नहीं किया जा रहा उन्हें शीघ्र निलंबित किया जाए ।

दलित आदिवासी महापंचायत अवाक्स और कसस द्वारा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कलेक्टर कमिश्नर से मांग करते हैं कि राकेश गुप्ता को तत्काल निलंबित कर लोक कार्यकाल की संपूर्ण जांच विभाग का किसी डिप्टी कलेक्टर को प्रभार देकर उच्च स्तरीय विभागीय जांच कर सेवा से पृथक किया जाए यदि यह अनुसूचित जाति या जनजाति के होते हैं तो कभी के निलंबित कर दिए गए होते उदाहरण के लिए आदिमजाति कल्याण विभाग  जिला श्योपुर के सहायक आयुक्त जो आदिवासी वर्ग से थे उन्हें निलंबित किया जा चुका इसी प्रकार दतिया के सीएमएचओ डॉक्टर हेमंत मंडेलिया को निलंबित कर दिया लेकिन सामान वर्क के अधिकारियों को बचाया जा रहा है।

यह सब भ्रष्टाचार विभाग के जिला प्रमुख की सहमति से होते है और हो रहे हैं कई शिकायत है शासन प्रशासन के यहां लंबित है कई जांच चल रही हैं नोटिस पर नोटिस दिए जा रहे हैं लेकिन निलंबित नहीं किया जा रहा पता नहीं शासन प्रशासन कब जागेगा और राकेश गुप्ता प्रभारी सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग ग्वालियर को कब निलंबित किया जाएगा।

 

पाकिस्तान का हुक्का-पानी बंद

 

पहलगाम हत्याकांड के बाद भारत ने पाकिस्तान का हुक्का पानी बंद कर दिया, अच्छा किया. पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से खदेड दिया, लेकिन क्या इससे काश्मीर में आतंकी हमले स्थाई रूप से रुक जाएंगे या ये लुक्का छिपी का खेल  पहले की तरह जारी रहेगा?

अगर आप गौर से देखें तो भारत ने पहलगाम हत्याकांड के बाद पाकिस्तान के खिलाफ अनेक प्रतिबंधात्मक कदम आनन फानन में उठाए किंतु सीधे हमला नहीं किया. पहले बार्डर सील किए, वीजा बंद किए, सिंधुजल रोका और अब हवाई मार्ग भी बंद कर दिया.

सरकार की इन तमाम कार्रवाइयों से अमन पसंद जनता मुतमईन है. लेकिन वीर, अधीर देवतुल्य कार्यकर्त्ता अधीर हैं. पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामण को उतावले उनके मन विचलित हैं. विचलित वे हिंदू भी हैं जिनके परिजन केवल हिंदू होने की वजह से मारे गये. लेकिन बाकी देश अपने अपने काम में लगा है. देश का काम केवल युद्ध करना ही नहीं उसे टालना भी होता है. युद्ध टलना ही चाहिए. लेकिन सवाल ये है कि असल मुद्दों को भी नहीं टालना चाहिए. हमारी या किसी भी देश की सरकार आपदा में, अवसर तलाश लेती है. चीन और अमेरिका की सरकारों ने पाकिस्तान के डर का फायदा अपने ढंग से उठाया है. ये दोनों महाशक्तियां भारत का आतंकवाद के खिलाफ समर्न कर रहीं हैं लेकिन पाकिस्तान को भी युद्धक सामान देने के लिए  तैयार बैठे हैं. दोनों को भारत से आतंकित पाकिस्तान पसंद है. आतंकित, भयभीत पाकिस्तान ही दोनों को मुफीद पडता है.

आने वाले दिनों में भारत  और पाकिस्तान की सरकारें युद्धराग मारू गाकर अपनी जनता को असल मुद्दों से भटकाए रख सकती है. सीमा पर और देश के भीतर तनाव सरकारों को हमेशा फायदा पहुंचाता है, सरकार किस दल की है ये महत्वपूर्ण नहीं होता.कांग्रेस ने अतीत में इस तनाव का लाभ उठाया, आज भाजपा की बारी है. इस माहौल में भी सियासत दबे पांव आगे बढ रही है. जातीय जनगणना का मुद्दा अब आम सहमति की ओर बढता नजर आ रहा है. लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पहली बार मोदी सरकार का इस मुद्दे पर सशर्त समर्धन किया है. उन्होने सरकार से जातीय जनगणना की टाइम लाइन  बताने को कहा है.

राजनीति और प्रेम में यही फर्क है. राजनीति बिना शर्त नहीं चलती और प्रेम शर्तें मंजूर नहीं करता. दोनों की अपनी तबीयत है. राहुल देश में प्रेम की दूकान खोले बैठे हैं क्योंकि नफरत की तो असंख्य दूकानें पहले से मौजूद हैं. बहरहाल असल  मुद्दा पाकिस्तान  और आतंकवाद है. इस मुद्दे पर सरकार ने हमेशा की तरह चुप्पी साध रखी है. चुप्पी सरकार का बिना फल का बाण है. चलता भी है और जान भी नहीं लेता. रामजी ने मारीच को बिना बाण का बाण मारा थाऔर सात योजन पीछे धकेल दिया था.सरकार बिना युद्ध लडे पाकिस्तान को सात योजन पीछे करना चाहती है. युद्ध से पाकिस्तान तो बर्बाद हो जाएगा लेकिन भारत की भी कमर टूटेगी ही. भारत पहले से ही अमरीकी टेरिफ वार की मार झेल रहा है.

देश के मौजूदा हालात को देखकर प्रधानमंत्री जी ने 9 मई का अपना रूस दौरा टाल दिया. विक्ट्री डे पर आयोजन समारोह में मोदी जी को शामिल होना था. अब उनके स्थान पर रक्षामंत्री राजनाथ  सिंह रूस जाएंगे.विश्व भ्रमण प्रेमी किसी भी आदमी के लिए अपनी यात्रा स्थगित करना आसान बात नहीं है. देश को मोदीजी का आभारी होना चाहिए.

इस संक्रमणकाल में अब सब मौन हैं. न ममता की चर्चा है न मायावती की. न अखिलेश यादव सुर्खियों में हैं न नीतीशकुमार. भाजपा को भी नया अध्यक्ष चुनने से राहत मिली. हालांकि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का भारत पाक तनाव से कोई सरोकार नहीं है. वैसे भी अब भाजपा के लिए अध्यक्ष का चुनाव अब महत्वपूर्ण कार्य नहीं क्योंकि अब ये तदर्थ पद है. पहले पार्टी अध्यक्ष प्रधान होता था, अब प्रधानमंत्री पद महत्वपूर्ण हो गया है.

@ राकेश अचल

बुधवार, 30 अप्रैल 2025

प्रशनाकुल बिरादरी, बनाम देशद्रोह

 

राजा जंगल का हो या हमारी बस्ती का डरता है तो केवल मचान से डरता है. ये बात मै अपनेतजुर्बे से कह रहा हूँ. मुमकिन है कि आपका तजुर्बा मेरे तजुर्बे से अलग हो. जंगल हो या कोई मुल्क चलता कानून से ही है. हां कभी-कभी उलट-पलट हो जाती है. कभी देश जंगल और कभी जंगल देश हो जाता है.

राजा कहीं का भी हो, प्रजा और राज्य की रक्षा का दायित्व उसी के ऊपर होता है. सुरक्षा चाहे आंतरिक हो या बाह्य जिम्मेदारी राजा की ही बनती है, लेकभी कभी हालात ऐसे बनते हैं कि राजा को असुरक्षा का अनुभव होने लगता है.. असुरक्षा के संकेत मिलने लगते हैं घटनाक्रम से. ऐसे में राजा धीरे धीरे सक्रिय होता है. अपनी पुलिस, फौज, कानून सबको तैयार करता है.

राजा बाहर घूमने जाता है तब भी उसको देश की, जंगल की फिक्र बनी ही रहती है. कुछ घटनाएं राजा की नींद उडा देती हैं. मिसाल के तौर पर हमारे यहाँ पिछले दिनों देश के भीतर वक्फ बोर्ड कानून के खिलाफ वगावत, या देश में पहलगाम जैसा कोई  अप्रत्याशित हत्याकांड.तब राजा को सक्रिय होना पडता है.ऐसे में यदि पत्ता भी खडकता है तो राजा के कान कडे हो जाते हैं. राजा किसी भी तरह की प्रश्नाकुलता, प्रतिकार, असहमति बर्दाश्त नहीं करता. जिससे तकलीफ होती है उसका निषेध करता है.

आजकल जंगल हो मुल्क दोनों जगह यूट्यूब वाले सबसे बडा खतरा बन गये हैं आंतरिक सुरक्षा के लिए. अनेक यूट्यूब चैनल बंद करा दिए गये. अनेक कतार में हैं. कभी गिरजेश वशिष्ठ पर गाज गिरी तो कभी संजय शर्मा पर. यूट्यूब का इस्तेमाल करने वाला कोई भी नर नारी हो यदि सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ जबान खोलता है या सवाल करता है तो उससे आंतरिक सुरक्षा को खतरा हो जाता है. ऐसे तत्वों को आप शहरी नक्सली कह सकते हैं. उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया जाता है. किया जाना चाहिए या नहीं ये बाद में अदालतें तय करतीं हैं.

जंगल हो या मुल्क केवल डराता है धमकाता है. लोग जब नहीं डरते तो फिर राजा हो रानी उसे देश में इमरजेंसी लगाना पडती है. इमरजेंसी भी दो तरह की होती है. एक श्रीमती इंदिरा गांधी वाली घोषित इमरजेंसी और दूसरी होती है अघोषित इमरजेंसी.

मै  उन खुशनसीब देशवासियों जैसा हूँ जिन्होने दोनों तरह की इमरजेंसियां देखी और उनका सामना किया है. कोई भी इमरजेंसी अच्छी नहीं होती और कोई भी इमरजेंसी सौ फीसदी खराब नहीं होती. दरअसल इमरजेंसी में नुकसान जनता का ही होता है. कल भी हो चुका है, आज भी हो रहा है. इसके बाद भी इमरजेंसी और मुगलिया सल्तनत में भेद है. इतिहास से मुगलकाल विलोपित किया जा सकता है, इमरजेंसी का शासनकाल नहीं. क्योंकि एक सनातन देशी है एक मुगलिया.

हमने वो इमरजेंसी भी देखी जिसमें 19महीने जेलें विपक्षी नेताओं, कार्यकर्ताओ से ठसाठस भरी रहीं. तब यूट्यूब नहीं थी लेकिन चार संवाद एजेंसियां थीं, उनहें एक कर दिया गया थ. अखबारों पर पहरे थे, कुछ लोग सुकून से थे तो कुछ डरे हुए थे. आज भी बहुत से लोग सुकून से हैं, बहुत से लोग डरे हुए हैं. कहीं बुलडोजर का डर है. कहीं देशद्रोही घोषित होने का डर है. कहीं अकारण जेल जाने का डर है. लेकिन तब भी निडर लोग डरे नहीं. आज भी निडर लोगों की संख्या कम नहीं हैं. राजा भले पहलगाम न पहुचे हों लेकिन तमाम यूट्यूबर वहां पहुंच चुके हैं. कोई राहुल गांधी भी वहाँ लोगों को नजर आए.

आज के माहौल में आप कौन सी इमरजेंसी महसूस कर रहे हैं, ये आप जानें किंतु मुझे तो अपनी कलम और जबान की चिंता है. चिंता है अपनी सनातन प्रश्नाकुलता की जिसके चलते महाभारत और गीता जैसे कालजयी ग्रंथ हमें विरासत में मिले. क्योंकि तब के राजा घोर इमरजेंसी में यानि युद्धभूमि में भी प्रशन करने की आजादी दिए हुए थे. अर्जुन अपने सारथी से प्रश्न कर सकता था, दृष्टिहीन राजा अपने मंत्री संजय से प्रश्न कर सकता था.जिस देश में या जंगल में प्रश्न करने से आंतरिक सुरक्षा खतरे में पडती हो उस देश का, जंगल का भगवान ही रक्षक हो सकता है. आप मान लीजिये कि हम सब यानि हमारा देश, हमारा जंगल सब भगवान के भरोसे है. हमारे भगवान हमारे मन मंदिर में भी हैं और अयोध्या के नये मंदिर में भी. जय सीताराम.

@ राकेश अचल

मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

'ध्रुवयंत्र'का त्याग किए बिना हमारी लड़ाई अधूरी

 पहलगाम हत्याकांड  करने वालों का मकसद आतंक  फैलाना था, देश में दस साल से चल रहा हिन्दू ध्रुवीकरण था या पाकिस्तान की कोई आंतरिक मजबूरी ये जान पाना न एन आई ए के लिए आसान है और न हमारे आपके लिए. हकीकत तो केवल ऊपर वाला जानता है, और ऊपर हमारे रामजी भी हैं और आतंकियों के अल्लाह भी. इन दोनों से कौन पूछे. जब हम अपने प्रधानमंत्री से सवाल - जबाब करने के अधिकारी नहीं हैं तो ऊपर वाला तो ऊपरवाला है.सबसे ऊपरवाला.

आतंकियों का पाकिस्तान सरकार का, पाकिस्तान की सेना का मकसद अलग-अलग नहीं हैं. हो भी नहीं सकते क्योंकि तीनों एक दूसरे के पर्याय हैं, पूरक हैं. उनकी कोशिश कामयाब न हो ये हम सबकी जिम्मेदारी है. ये बात मै इसलिए कह रहा हूं कि पहलगाम हत्याकांड का असर अब भोपाल में भी नजर आने लगा है. भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन परिसर में शनिवार देर रात नशे में धुत युवकों ने रेलवे पुलिस (जीआरपी) के हेड कांस्टेबल दौलत खान पर हमला कर दिया. आरोपियों ने जवान की वर्दी फाड़ दी, गाली-गलौज की और धार्मिक आधार पर आपत्तिजनक टिप्पणियां भी कीं. घटना के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी जितेंद्र यादव को गिरफ्तार कर लिया है. दो अन्य आरोपी फरार हैं. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वीडियो के सामने आने के बाद राजनीतिक पार्टियां भी भोपाल में प्रशासन और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठा रहे है. ऐसी छुटपुट वारदातें ऐहतियात से ही रोकी जा सकती हैं किसी 'ध्रुवयंत्र' से नहीं.('ध्रुवयंत्र' यानि हिंदू बनाम मुसलमान करने की तकनीक). यह आर एस एस और भाजपा का प्रिय यंत्र है.

पहलगाम हत्याकांड से बहुत पहले मुगल सम्राट औरंगजेब की तारीफ कर अपनी आफत बुला चुके महाराष्ट्र के सपा विधायक अबू आजमी ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पहलगाम हमले के बाद भारत के मुसलामनों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? उन्होंने कहा कि कश्मीर के पहलगाम में जो हुआ उसका खुलकर तमाम देश के लोगों ने, हर जात-धर्म के लोगों ने निंदा की. खासकर तौर पर भारत का मुसलमान चिल्ला-चिल्लाकर ये कह रहा है कि हम भारत सरकार के साथ हैं, आतंकवाद के खिलाफ सरकार को कड़े से कड़ा एक्शन लेना चाहिए.

अबू आजमी ने कहा, "आतंकवादियों ने वहां पर जात (धर्म) पूछकर मारा. भारतवर्ष में आज क्या हो रहा है? जब से ये सरकार आई है, हिंदू-मुस्लिम किया जा रहा है. लगता है आतंकवादियों को मालूम था कि ये बात करेंगे तो देश के अंदर अशांति फैलेगी...यहां के लोग हिंदू-मुस्लिम को आपस में लड़ा रहे हैं. जबकि वहां के आदिल और नजाकत ने किस तरह से काम किया, जितने लोग गए थे वो चिल्ला-चिल्लाकर कह रहे हैं कि वहां के मुसलमानों ने हमें बहुत मदद किया.

अबू आजमी एक विधायक भर हैं, किसी पार्टी के सद्र या किसी सूबे के वजीरेआला नहीं हैं इसलिए उनकी बातों को कोई तवज्जो नहीं दी जा रही, जबकि वे एक बेहद जरूरी बात कर रहे हैं. दुर्भाग्य ये है कि हम बात करना और सुनना ही नहीं चाहते.खासकर मुसलमानों से चाहे वे विधायक हों, सांसद हों या मुख्यमंत्री हों. पहलगाम हत्याकांड के बाद हुई उच्चस्तरीय बैठक से जब वहाँ के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को बाहर कर दिया गया तब अबू आजमी की क्या हैसियत  है आखिर ? 

जब सरकार इस नृशंस हत्याकांड के बाद एक मुसलमान मुख्यमंत्री तक का सम्मान नहीं कर रही तो देश के उन आम मुसलमान के सम्मान की बात कौन करे जो कि आतंकी वारदात के खिलाफ सडकों पर हैं. खतरनाक बात ये है कि हिंदू-मुसलमान हमारी कार्यपालिका, विधायका, न्यायपालिका और खबरपालिका पर भी एक ग्रहण की तरह लग चुका है.

भगवान के लिए, अल्लाह के लिए, वाहे गुरु के लिए, जीसस के लिए मुल्क को बचाइए. भारत की पुण्य भूमि आज की तारीख में हम सबकी है. हम सब उसके अन्न जल पर निर्भर हे. हम सब यानि हम सब, केवल हिंदू नहीं. हिंदू उस समय भी बहुसंख्यक थे जब मुगलों और अंग्रेजों के गुलाम रहे. हिंदू आज भी बहुसंख्यक हैं जब हम 78 साल से आजाद हैं. हिन्दू आगे भी बहुसंख्यक ही रहेंगे. अल्पसंख्यक कभी बहुसंख्यक नहीं हो सकते. बहरहाल एक ही गुजारिश है कि आतंकियों, पाकिस्तानी सरकार के मकसद पूरे मत होने दीजिये. हथियारों से हम पाकिस्तान को बार बार हरा चुके है. हम जीत के बाद पाकिस्तान को उसकी पराजित सेना भी वापस कर चुके है. लेकिन जो नहीं कर सके वो है 'ध्रुवयंत्र ' का परित्याग. एक बार करके तो देखिए.

@राकेश अचल

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