शनिवार, 28 जून 2025

उत्तम जखैनिया को प्रभारी उपायुक्त राजस्व का दायित्व

 ग्वालियर । कार्य सुविधा की दृष्टि से नगर निगम आयुक्त के जारी आदेशानुसार उत्तम जखैनिया प्रभारी उपायुक्त सम्पत्तिकर ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र को आगामी अन्य आदेश होने तक अपने वर्तमान कार्य के साथ ही  प्रभारी उपायुक्त राजस्व का दायित्व सौंपा गया ।

स्मृति शेष : ग्वालियर की बहू थी शैफाली जरीवाला

कांटा लगा फेम शैफाली जरीवाला के असामय निधन की खबर से मैं दुखी हूं. शैफाली गुजरात की बेटी लेकिन ग्वालियर की बहू थी. अपने जमाने के चर्चित शराब कारोबारी स्वर्गीय गुलजार सिंह के बेटे हरमीत की पत्नी थी शैफाली. ये रिश्ता हालांकि कुल पांच साल चला, किंतु रिश्ता तो रिश्ता होता है. शैफाली के ससुर सरदार गुलजार सिंह का अच्छा खासा रसूख था. लेकिन उनके बेटों ने शराब कारोबार को अपनाने के बजाय संगीत को कैरियर बनाया और यहीं इनको शैफाली मिली. सरदार गुलजार सिंह इस शादी से खुश नहीं थे लेकिन बेटे की खुशी के सामने वे झुके. गुलजार को पता था कि ये शादी चलेगी नही, और हुआ भी वही. पांच साल में ही ये शादी टूट गई.

मुझे सरदार गुलजार सिंह ने ही शैफाली से मिलाया था. सोणी लडकी थी, लेकिन वो गुलजार के परिवार को गुलजार नहीं कर पायी. शैफाली ग्लेमर की दुनियां में ध्रुव तारे की तरह चमकी और पुच्छल तारे की तरह लुप्त भी हो गई. शैफाली ने म्यूजिक वीडियो भी बनाए और कुछ फिल्मों में भी काम किया था. शैफाली के हिस्से में छोटा आकाश आया. मेरी बेटी की उम्र की थी शैफाली. उसमें प्रतिभा, संघर्ष और काम के प्रति समर्पण की कोई कमी नहीं थी. लेकिन उतावलापन उसे ले डूबा.

शेफाली जरीवाला को 2002 में म्यूजिक वीडियो "कांटा लगा" से व्यापक प्रसिद्धि मिली, जिसके बाद उन्हें "कांटा लगा गर्ल" के नाम से बने एक म्यूजिक एलबम से.शेफाली का जन्म अहमदाबाद,  में एक गुजराती परिवार में हुआ था। उन्होंने जमनाबाई नरसी स्कूल, गुजरात से स्कूली शिक्षा पूरी की और सरदार पटेल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, आनंद, गुजरात से इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में बी.ई. की डिग्री हासिल की।शैफाली इंजीनियर बनने के बजाय कांटा गर्ल बन गई.2002 में "कांटा लगा" म्यूजिक वीडियो में उनकी बोल्ड परफॉर्मेंस ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया। इसके बाद उन्होंने "कभी आर कभी पार रीमिक्स" (2002), "माल भरी आहे – डीजे हॉट रीमिक्स" (2004), और "प्यार हमें किस मोड़ पे ले आया" (2006) जैसे अन्य म्यूजिक वीडियो में काम किया।फिल्म और टीवी: उन्होंने बॉलीवुड फिल्म "मुझसे शादी करोगी" (2004) में एक छोटी भूमिका निभाई और कन्नड़ फिल्म "हुडुगारु" (2011) में भी नजर आईं। 2018 में उन्होंने ALT बालाजी की वेब सीरीज "बेबी कम ना" में  मुख्य भूमिका निभाई और "बू सबकी फटेगी" में भी दिखाई दीं। इसके अलावा, उन्होंने रियलिटी शो "बूगी वूगी" (2008), "नच बलिए 5" और "नच बलिए 7" में अपने पति पराग त्यागी के साथ हिस्सा लिया। 2019 में वह "बिग बॉस 13" में वाइल्ड कार्ड प्रतियोगी के रूप में शामिल हुईं। 2024 में वह टीवी शो "शैतानी रस्में" में भी दिखाई दीं।

शेफाली इंस्टाग्राम (@shefalijariwala) पर सक्रिय थीं, जहां उनके 3.2 मिलियन फॉलोअर्स थे, और ट्विटर (@shefalijariwala) पर उनके करीब 125.9k फॉलोअर्स थे।उनके पिता का नाम सतीश जरीवाला और मां का नाम सुनीता जरीवाला है, जो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में कार्यरत थीं। उनकी एक बहन, शिवानी जरीवाला, दुबई में रहती हैं। शेफाली ने 2004 में मीट ब्रदर्स के संगीतकार हरमीत सिंह से शादी की, लेकिन 2009 में तलाक हो गया। उन्होंने हरमीत पर दुर्व्यवहार और मारपीट का आरोप लगाया था। बाद में, 12 अगस्त 2014 को उन्होंने टीवी अभिनेता पराग त्यागी से शादी की

शेफाली ने एक साक्षात्कार में बताया था कि 15 साल की उम्र में उन्हें पहली बार मिर्गी का दौरा पड़ा था। तनाव और चिंता के कारण ये दौरे बढ़ते थे, लेकिन व्यायाम और जीवनशैली में बदलाव से वह दौरे से मुक्त रही थीं और अवसाद से भी जूझती थीं। 

एक बार शेफाली ने मुझे बताया था कि इन्सान के बाद  उसे कुत्तों से बहुत प्यार  है.उनके पास एक पग था। उनके पास पीठ पर एक दिल के आकार का टैटू और बाएं हाथ पर पक्षियों का टैटू था।2016 में उन्होंने अपनी बहन के साथ दुबई में एक प्रोफेशनल ट्रेनिंग और कोचिंग कंपनी, WYN, शुरू की थी।"कांटा लगा" के लिए उन्हें मात्र 7000 रुपये मिले थे, और इस गाने के लिए उन्हें अपने पिता को मनाना पड़ा था, क्योंकि वह एक शैक्षणिक परिवार से थीं।शेफाली जरीवाला की अचानक मृत्यु ने उनके प्रशंसकों और मनोरंजन उद्योग में शोक की लहर पैदा कर दी। उनकी विरासत एक पॉप कल्चर आइकन के रूप में हमेशा याद की जाएगी।ग्वालियर की बहू शैफाली को विनम्र श्रद्धांजलि.

@राकेश अचल

28 जून 2025,शनिवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 05:26 बजे  

*सूर्यास्त :-* 19:21 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य दक्षिणायन, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : वर्षा ऋतु  

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *आषाढ़* माह शुक्ल पक्ष *तृतीया तिथि* 09:53 बजे तक फिर चतुर्थी तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* पुष्य नक्षत्र 06:35 बजे तक फिर आश्लेषा नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज  *हर्षण* है।

*करण*  :-आज  *गंड* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा 21:28 बजे से ,गंडमूल 06:33 बजे से  है ।

*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज                                    पूर्व दिशा में है।

*🌚राहूकाल* :आज  08:56 बजे से 10:40

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:55 बजे से 12:51 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहा* :- विनायक चतुर्थी

*मुहूर्त* :- जीर्ण गृहप्रवेश है अन्य कोई  नहीं है। 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मिथुन, चन्द्र-कर्क मंगल-सिंह, बुध-कर्क, गुरु-मिथुन, शुक्र-मेष, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

*🌞चोघडिया, दिन*

काल 05:27 - 07:11 अशुभ

शुभ 07:11 - 08:56 शुभ

रोग 08:56 - 10:40 अशुभ

उद्वेग 10:40 - 12:24 अशुभ

चर 12:24 - 14:09 शुभ

लाभ 14:09 - 15:53 शुभ

अमृत 15:53 - 17:37 शुभ

काल 17:37 - 19:22 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

लाभ 19:22 - 20:37 शुभ

उद्वेग 20:37 - 21:53 अशुभ

शुभ 21:53 - 23:09 शुभ

अमृत 23:09 - 24:25*शुभ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

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अब तक होती है धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद की चुभन !

भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद शब्द 42वें संशोधन के द्वारा 1976 में जोड़े गए। यह संशोधन 25 नवंबर 1976 को लागू हुआ।इन शब्दों को संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया गया, जिससे भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया।लेकिन ये दोनों ही शब्द भाजपा और आर एस एस को कांटे की तरह आज भी चुभते हैं. संघ का बस चले तो वो ये दोनों शब्द रातों -रात हटवा दे, किंतु ऐसा करना फिलहाल असंभव है.

गत दिवस इन दोनों शब्दों की वजह से होने वाली चुभन को  आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले  दबा नहीं पाए. होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना से 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को हटाने की बात कही। उन्होंने कांग्रेस पर 50 साल पहले इमरजेंसी लगाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इमरजेंसी के दौरान कांग्रेस सरकार ने प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द जोड़े थे। अब इस पर विचार करना चाहिए कि ये शब्द रहने चाहिए या नहीं। उन्होंने कांग्रेस से इमरजेंसी के लिए माफी मांगने की मांग की। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन्होंने इमरजेंसी किया, वे आज संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं। उन्हें इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।

 आपको याद होगा कि भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद दो मूलभूत सिद्धांत हैं, जिन्हें 1976 में 42वें संशोधन के माध्यम से संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से जोड़ा गया था.तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने ये सब किया था.भारतीय संदर्भ में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य का कोई आधिकारिक धर्म नहीं होगा और सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और निष्पक्षता बरती जाएगी। यह पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता (राज्य और धर्म का पूर्ण अलगाव) से भिन्न है, क्योंकि भारत में राज्य धर्मों के प्रति तटस्थ रहता है और सभी धर्मों के अनुयायियों को समान अधिकार देता है।संवैधानिक प्रावधान:प्रस्तावना: भारत को "धर्मनिरपेक्ष" गणराज्य घोषित करता है।अनुच्छेद 25-28: धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करते हैं, जिसमें व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, प्रचार करने और अभ्यास करने की स्वतंत्रता शामिल है।अनुच्छेद 14, 15, 16: समानता और गैर-भेदभाव का अधिकार सुनिश्चित करते हैं, जिसमें धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।

भारत में धर्मनिरपेक्षता का मतलब "सर्वधर्म समभाव" है, यानी सभी धर्मों का समान सम्मान। राज्य धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता, लेकिन धार्मिक सुधारों या सामाजिक कल्याण के लिए आवश्यक कदम उठा सकता है (उदाहरण: मंदिरों का प्रशासन, सामाजिक कुरितियों के खिलाफ कानून). यह सिद्धांत भारत की विविध धार्मिक और सांस्कृतिक संरचना को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण है।जबकि संघ और भाजपा संविधान की प्रस्तावना में हिंदू राष्ट्र शब्द जोडने का सपना पाले हुए है.

भारतीय संदर्भ में समाजवाद का मतलब आर्थिक और सामाजिक समानता को बढ़ावा देना है, जिसमें धन और संसाधनों का असमान वितरण कम करना और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना शामिल है। यह पूर्ण समाजवाद (जैसे साम्यवाद) नहीं, बल्कि "लोकतांत्रिक समाजवाद" है, जो निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच संतुलन बनाता है।संवैधानिक प्रस्तावना में ये शब्द आने के बाद भारत को "समाजवादी" गणराज्य घोषित कर दिया गया था.।अनुच्छेद 38, 39, 41, 42, 43 आदि सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा देने के लिए राज्य को निर्देश देते हैं। जैसे:अनुच्छेद 39: संसाधनों का समान वितरण और धन का केंद्रीकरण रोकना।अनुच्छेद 43: श्रमिकों के लिए उचित मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा।मौलिक अधिकार: अनुच्छेद 14 (समानता) और अनुच्छेद 15 (भेदभाव का निषेध) सामाजिक-आर्थिक न्याय को बढ़ावा देते हैं।

 भारत का समाजवाद मिश्रित अर्थव्यवस्था पर आधारित है, जिसमें निजी उद्यम और सरकारी नियंत्रण दोनों शामिल हैं। यह सामाजिक कल्याण, गरीबी उन्मूलन और वंचित वर्गों के उत्थान पर केंद्रित है।महत्व: समाजवाद का लक्ष्य सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम करना और सभी नागरिकों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना है

भाजपा धर्मनिरपेक्षता को भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को एकजुट रखने का आधार नहीं मानती.है, जो सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार सुनिश्चित करता है।समाजवाद सामाजिक-आर्थिक न्याय और समानता को बढ़ावा देता है, जो भारत जैसे असमानताओं से भरे समाज में महत्वपूर्ण है।दोनों सिद्धांत संविधान की प्रस्तावना में निहित हैं और भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करते हैं।

भाजपा पिछले 11साल से सत्ता में है.भाजपा ने संविधान के तहत जम्मू काश्मीर को मिला विशेष दर्जा धारा 370 हटा दी लेकिन संविधान की प्रस्तावना से धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद शब्द हटा पाना भाजपा की लंगडी सरकार के लिए नामुमकिन लग रहा  है. इन शब्दों की बिना लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं रह जाता. अब दैखना  है कि भाजपा इन कांटों को कब तक हटा पाती है.

@ राकेश अचल.

शुक्रवार, 27 जून 2025

अब बोलिए जस्टिस गवई के खिलाफ शाखामृगो !

भारत के संविधान को लेकर 25  जून को देश में गजब के नाटक हुए. भाजपा ने संविधान हत्यादिवस मनाया तो कांग्रेस ने संविधान बचाओ दिवस. लेकिन कोई ये तय नहीं कर पाया कि संविधान सर्वोपरि है या संसद? लेकिन भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि देश में संविधान सर्वोच्च है। संसद संविधान को संशोधित कर सकता है, लेकिन उसके मूल में कोई बदलाव नहीं ला सकता है.मुमकिन है कि अब निशिकांत दुबे जैसे लोग जस्टिस गवई पर उसी तरह हमले कर उठें जैसे पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना पर किए गए थे.

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई निडर व्यक्ति हैं. वे सिर्फ कानून से डरते हैं. कोई बडे से बडा नेता उनसे गणपति वंदना शायद नहीं करा सकता, जैसे कि पूर्व के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वाय वी चंद्रचूड से करा ली गई थी.

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि भारत का संविधान  सबसे ऊपर है। हमारे लोकतंत्र के तीनों अंग न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका संविधान के अधीन काम करते हैं। सीजेआई गवई ने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि संसद  सर्वोच्च है, लेकिन मेरी राय में संविधान सर्वोपरि है. देश की मौजूदा राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति और निशिकांत दुबे जैसे बहुत से लोग संसद को ही सर्वोच्च मानते हैं और माननीय सर्वोच्च न्यायालय की  बार - बार अवमानना कर चुके हैं.

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गवई ने अमरावती ने कहा कि संसद के पास संविधान संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती है। उन्होंने कहा कि एक जज को हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारा एक कर्तव्य है। हम नागरिकों के अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास केवल शक्ति नहीं है, हम पर एक कर्तव्य भी सौंपा गया है। उन्होंने कहा कि किसी भी जज को यह नहीं सोचना चाहिए कि लोग उनके फैसलों को लेकर लोगों की राय क्या होगी। हमें स्वतंत्र रूप से सोचना होगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोग क्या कहेंगे, यह हमारी फैसले लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बन सकता है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैंने हमेशा अपने निर्णयों और काम को बोलने दिया है। मैं हमेशा हमारे संविधान में निहित मौलिक अधिकारों के साथ खड़ा रहा। बुलडोजर न्याय के खिलाफ अपने फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आश्रय का अधिकार सर्वोच्च है।जस्टिस गवई के पास तमाम गुत्थियों को सुलझाने, संवेदनशील मामलों में फैसले सुनाने के लिए कुल तीन महीने बचे हैं. वे 23नवंबर 2025 को सेवानिवृत होंगे. इससे पहले वे क्या कुछ नया कर सकते हैं, इसके संकेत मिलने शुरू हो गए हैं.वक्फ बोर्ड कानून पर अभी जस्टिस गवई ने फैसला नहीं सुनाया है. ऐसे और भी अनेक मामले अभी भी लंवित हैं जिनके ऊपर देश की भावी राजनीति टिकी है.

आपको बता दूं कि जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ। साल 1985 में उन्होंने अपना कानूनी करियर शुरू किया। 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। इससे पहले उन्होंने पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट के न्यायाधीश राजा एस भोंसले के साथ काम किया। गवई ने 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की। अगस्त 1992 से 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के रूप में नियुक्त हुए।14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में प्रमोट हुए। 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे हाईकोर्ट के परमानेंट जज बने। 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बने। 14 मई को शपथ लेकर देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश बनाए गए.अब फैसला 56'और 52वें मुख्य न्यायाधीश के बीच है.

@  राकेश अचल

27 जून 2025, शुक्रवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 05:26 बजे  

*सूर्यास्त :-* 19:21 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य दक्षिणायन, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : वर्षा ऋतु  

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *आषाढ़* माह शुक्ल पक्ष *द्वितीया तिथि* 11:19 बजे तक फिर तृतीया तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* पुनर्वसु नक्षत्र 07:21 बजे तक फिर पुष्य नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज  *व्याघात* है।

*करण*  :-आज  *कौलव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा,गंडमूल नहीं है ।

*🔥अग्निवास*: आज आकाश में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज                                   पश्चिम दिशा में है।

*🌚राहूकाल* :आज  10:40 बजे से 12:24

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:55 बजे से 12:51 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहा* :- श्री जगन्नाथ रथ यात्रा पुरी 

*मुहूर्त* :- नाम करण, अन्न प्रशासन, जीर्ण गृहप्रवेश है अन्य कोई  नहीं है। 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मिथुन, चन्द्र-कर्क मंगल-सिंह, बुध-कर्क, गुरु-मिथुन, शुक्र-मेष, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

चर 05:27 - 07:11 शुभ

लाभ 07:11 - 08:56 शुभ

अमृत 08:56 - 10:40 शुभ

काल 10:40 - 12:24 अशुभ

शुभ 12:24 - 14:09 शुभ

रोग 14:09 - 15:53 अशुभ

उद्वेग 15:53 - 17:37 अशुभ

चर 17:37 - 19:22 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

रोग 19:22 - 20:37 अशुभ

काल 20:37 - 21:53 अशुभ

लाभ 21:53 - 23:09 शुभ

उद्वेग 23:09 - 24:24*अशुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

गुरुवार, 26 जून 2025

उम्मीदों के शुभांकर बने शुभांशु

 

ये एक अराजनीतिक खबर है. भारत पूरे 40 साल बाद फिर से अंतरिक्ष में है. भारत के शुभांशु शुक्ला तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ आईएस एस  अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना हुए हैं. लखनऊ के 40वर्षीय शुभांशु इस जगह पहुने वाले पहले और अंतरिक्ष में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय नागरिक हैं.

 आपको याद होगा कि 1984  में भारतीय वायुसेना के पायलट राकेश शर्मा पहले भारतीय थे, जिन्होंने सोवियत संघ के सोयुज टी-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष में यात्रा की थी. तब श्रीमती इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं.। वे 7 अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष में गए और भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक मील का पत्थर स्थापित किया। राकेश शर्मा के बाद भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने नासा के साथ कई मिशनों में हिस्सा लिया। वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन  पर लंबे समय तक रहीं और 2024 में बोइंग स्टारलाइनर मिशन के तहत आई एस एस पर गईं। उनकी वापसी तकनीकी कारणों से मार्च 2025 तक टल गई थी। भारत ने उस समय भी  जमकर जश्न मनाया था 

ये दूसरा मौका है जब भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्जाम -4 मिशन के तहत आई एस एस पर गए। यह मिशन 25 जून 2025 को शुरु हुआ, जिसमें शुभांशु पायलट की भूमिका में थे।यह मिशन इसरो और नासा के बीच सहयोग का हिस्सा है, जिसमें शुभांशु 7 भारतीय वैज्ञानिक प्रयोग कर रहे हैं, जो माइक्रोग्रैविटी, जैविक, और कृषि अनुसंधान से संबंधित हैं।मिशन की लागत 550 करोड़ रुपये है और यह भारत के गगनयान मिशन की तैयारी में महत्वपूर्ण है। खास बात ये कि 7 बार स्थगन के कारण जैविक नमूनों की सुरक्षा पर सवाल उठे, लेकिन इसरो और नासा ने इसे सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएआपको बता दूं कि इसरो का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान, 2027 में शुरु होने की उम्मीद है। यह भारत का पहला स्वदेशी मानव अंतरिक्ष मिशन होगा।

लखनऊ के शुभांशु शुक्ला और ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर ने एक्सजोम -4 के लिए प्रशिक्षण पूरा किया, जो गगनयान की तैयारी में मदद करेगा।गगनयान का लक्ष्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करना है।लद्दाख में एनालॉग में इसरो ने नवंबर 2024 में लेह, लद्दाख में भारत का पहला मंगल और चंद्रमा एनालॉग मिशन शुरू किया। यह मिशन चंद्रमा और मंगल जैसे वातावरण में जीवन की चुनौतियों का अनुकरण करता है।मिशन में हब-1 (हाइड्रोपोनिक्स फार्म, रसोई, स्वच्छता सुविधाएँ) का परीक्षण किया गया, जो भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है। दुनिया एक तरफ बारूद का खेल खेल रही है वहीँ दूसरी तरफ 2040 तक लागत प्रभावी अंतरिक्ष पर्यटन की संभावना पर काम हो रहा है।

 अंतरिक्ष के क्षेत्र मे भारत के खाते में भी साल दर साल नयी उपलब्धियाँ जुड रहीं हैं.चंद्रयान-3 (2023) ने चंद्रमा की सतह पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग,कर भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में अग्रणी बनाया।2013 में भारत का पहला अंतरग्रहीय मिशन मंगलयान ने , भारत को मंगल की कक्षा में पहुंचने वाला पहला एशियाई देश बनाया।आदित्य-एल1: सूर्य-पृथ्वी L1 बिंदु पर भारत का पहला सौर मिशन, जो 2023 में पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकला।

कोई माने न माने लेकिन भारत 140  करोड लोगों की उम्मीद शुभांशु शुक्ला की इस यात्रा की कामयाबी से जुडी है. अब विघ्ध संतोषी सवाल कर सकते हैं कि कोई यादव, कोई खान, कोई गांधी, कोई मोदी इस काम के लिए क्यों नहीं चुना गया? तो उत्तर साफ है कि इस विज्ञानं में राजनीति और आरक्षण नहीं चलता, अन्यथा शुभांशु का नंबर कभी नहीं आता. शुभांशु को हम सब की ओर से कोटि कोटि शुभकामनायें.

@  राकेश अचल

26 जून 2025,गुरुवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 05:26 बजे  

*सूर्यास्त :-* 19:21 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य दक्षिणायन, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : वर्षा ऋतु  

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *आषाढ़* माह शुक्ल पक्ष *प्रतिपदा तिथि* 13:24 बजे तक फिर द्वितीया तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* आद्रा नक्षत्र 08:46 बजे तक फिर पुनर्वसु नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज  *ध्रुव* है।

*करण*  :-आज  *बव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा,गंडमूल नहीं है ।

*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज                                  दक्षिण दिशा में है।

*🌚राहूकाल* :आज  14:08 बजे से 15:53

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:55 बजे से 12:51 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहा* :- गुप्त  नवरात्र प्रारंभ

*मुहूर्त* :- नाम करण, अन्न प्रशासन है अन्य कोई  नहीं है। 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मिथुन, चन्द्र-मिथुन मंगल-सिंह, बुध-कर्क, गुरु-मिथुन, शुक्र-मेष, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

शुभ 05:26 - 07:11 शुभ

रोग 07:11 - 08:55 अशुभ

उद्वेग 08:55 - 10:40 अशुभ

चर 10:40 - 12:24 शुभ

लाभ 12:24 - 14:08 शुभ

अमृत 14:08 - 15:53 शुभ

काल 15:53 - 17:37 अशुभ

शुभ 17:37 - 19:22 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

अमृत 19:22 - 20:37 शुभ

चर 20:37 - 21:53 शुभ

रोग 21:53 - 23:09 अशुभ

काल 23:09 - 24:24*अशुभ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

बुधवार, 25 जून 2025

सर्वार्थ सिद्धि एवं ध्रुव योग में गुप्त नवरात्र प्रारंभ डोली में बैठकर आएंगी माता रानी

 

नवरात्रि एक साल में चार बार आती है।इनमें से दो नवरात्रि प्रकट रूप में होती है । एक  चैत्र माह में बसंत नवरात्र चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल नवमी तक दूसरी शारदीय नवरात्र आश्वनी शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक।

दो गुप्तरूप में से एक बार आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक और दूसरी माघ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक 

वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया  कि इस बार की गुप्त नवरात्र  आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा गुरुवार 26 जून से प्रारंभ होकर 04 जुलाई शुक्रवार तक रहेगी।इस बार  की आषाढी गुप्त नवरात्र पूरी नो दिनों की रहेगी।किसी भी तिथि का क्षय और तिथि वृद्धि नहीं हुई है। कहते हैं गुप्त नवरात्र तंत्र - मंत्र गुप्त साधना के लिए विशेष मानी जाती है।

माता रानी  इस बार डोली में बैठकर आएंगी

डोली में बैठकर आने को शास्त्रों में शुभ नहीं माना जाता यह महामारी,अतिवर्षा आर्थिक गिरावट और हिंसा का संकेत माना जाता है।

इस नवरात्रि में  देवी के 10 स्वरूपों दश महा विद्याओं की पूजा की जाती है मां काली,तारा देवी,त्रिपुर सुंदरी,भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता,त्रिपुरभैरवी,धूमावती,बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी ।

जैन ने बताया घटस्थापना 26 जून गुरुवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग एवं ध्रुव योग बना हुआ है।

27जून को प्रातः 07:21 बजे से पुष्य नक्षत्र 28 जून को 06:35 बजे तक रहेगा।

घट स्थापना का शुभ मुहूर्त प्रातः 09:09 बजे से 01:24 बजे तक सामान्य  शुभ मुहूर्त रहेगा।

विशेष शुभ मुहूर्त प्रातः  05:27 बजे से 06:59 बजे तक फिर अभिजीत मुहूर्त 11:53 बजे से 12:48 बजे तक रहेगा।

प्रतिपदा तिथि का आरंभ 25 जून शाम 16:01 बजे से  और प्रतिपदा तिथि का समापन 26 जून दोपहर 13:24 बजे पर होगा इसलिए घट स्थापना 26 जून को प्रतिपदा तिथि उदया तिथि में होगी।

भव्य सम्मान समारोह: ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन सम्मानित हुए

वैश्य महासम्मेलन युवा इकाई महानगर द्वारा श्री उमाशंकर गुप्ता के जन्म दिन पर अलग अलग क्षेत्रों में विशेष सामाजिक कार्यों में अपनी विद्या द्वारा सफल   प्रतिभाओं और छात्र / छात्राओं का  भव्य सम्मान दिवस समारोह जैन छात्रावास ग्वालियर में किया गया इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रदेश युवा इकाई के प्रदेश अध्यक्ष श्री विकाश डागा इंदौर,प्रदेश उपाध्यक्ष श्री मुकेश अग्रवाल प्रदेश महामंत्री श्री अनिल जैन प्रदेश महामंत्री श्रीमती नीलम जैन संभागीय अध्यक्ष डॉ रजनीश नीखरा युवा इकाई अध्यक्ष श्री विवेक गुप्ता जी आदि विशेष रूप से उपस्थित थे हाल दर्शकों से खचाखच भरा हुआ था 

इस अवसर पर अलग अलग क्षेत्रों में विशेष सफल सामाजिक कार्यों के लिए सम्मानित किया जा रहा था इस अवसर पर ज्योतिष के क्षेत्र में सफल और उत्कृष्ट कार्य करने वाले जाने माने ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन को उनकी तीन दशक से अधिक समय से अनेक जटिल मुद्दों पर सत्य हो रही राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय भविष्यवाणियों के लिए सम्मानित किया गया।

ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन को इस विशेष सामाजिक सम्मान के लिए उनके इष्ट मित्रो ने उन्हें बधाई और शुभ कामनाएं दी।

जाने कब भरेंगे आपातकाल में हुए जख्म ?

मै आपातकाल के पचास साल पूरे होने पर न भी लिखता तो कोई पहाड टूटने वाला नहीं था, क्योंकि आपातकाल में प्रतिरोध करने वालों को मिले जख्म न जाने कब के भर चुके है. लेकिन राजनीति की फितरत है कि वो हर जख्म को हरा रखती है ताकि सत्ता बनी रहे. देश में सरकारी पार्टी भाजपा 25  जून 2025  को आपातकाल की पचासवीं सालगिरह को संविधान सुरक्षा दिवस के रुप में मनाकर  आपातकाल के हौवे को बनाये रखना चाहती है.

देश में एक पीढी है, जिसने आपातकाल नहीं देखा और एक पीढी आपातकाल की साक्षी भी है. आपातकाल में जो लोग जेल गए थे भाजपा उन्हे लोकतंत्र सेनानी मानती है और ऐसे लोगों को राजकोष से बाकायदा पेंशन भी दे रही है. आपातकाल के इस प्रतिसाद से पल रहे लोग आपातकाल को जिंदा रखना चाहते हैं, बल्कि मै तो कहूं तो ऐसे दल और लोग आपातकाल से प्रेरणा लेकर बिना आपातकाल की घोषणा के ही संविधान के, नागरिक अधिकरों के शत्रु बने हुए हैं.

जिस दिन आपातकाल लगा मै सिनेमाघर से बाहर निकला था, आपातकाल का विरोध करते हुए गिरफ्तारी देने वालों के साथ मै भी पुलिस वेन में सवार हुआ लेकिन नफरी के बाद मुझे नाबालिग होने की वजह से बैरंग लौटा दिया गया. उस समय मैं कक्षा 11का छात्र था. आपातकाल का मतलब नहीं समझता था. मेरे सामने ही आपातकाल हटा भी, चुनाव भी हुआ. कांग्रेस हारी भी. विपक्ष की सरकार भी बनी और ढाई साल में ये सरकार गिर भी गई.

आज मै एक अघोषित आपातकाल को देख रहा हूँ. आज भी सत्ता प्रतिष्ठान के विरोध में बोलने वालों को जेलों में ढूंसा जा रहा है. यातनाये दी जा रहीं हैं और संविधान का चीरहरण किया जा रहा है, लेकिन सब कुछ संविधान बचाने के नाम पर. आज संविधान बचाने का नारा और जिम्मेदारी कांग्रेस और शेष विपक्ष के पास है. संविधान तब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ और आज भी सब कुछ संविधान के नाम पर, संविधान की आड में हो रहा है.

पिछले ग्यारह साल के अघोषित आपातकाल में संवैधानिक संस्थाएं क्षीण हुई हैं., विधायिका,न्यायपालिका अपमानित हुई है लेकिन सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ न पचास साल पहले जैसी विपक्षी एकता है और न आक्रामकता. दुर्भाग्य से कोई जयप्रकाश नारायण भी नहीं है. यही वजह है कि आपातकाल की घोषणा किए बिना काम कर रहे दल लगातार  तीसरा चुनाव जीत गये. जनता उन्हें उस तरह से सजा नहीं दे सकी जैसी कांग्रेस को मिली थी. जनता के पास  आपातकाल के खिलाफ अकुलाहट तो है लेकिन तीव्रता नही  है. लोग चुपचाप मार सह रहे हैं. क्योंकि उनके सामने 25  जून 1975  वाले आपातकाल का हौवा है. रुदालियां हैं जो घूंघट डालकर विलाप करती हैं. 

जनता के पास प्रतिकार की जो क्षमता पचास साल पहले थी, अब नहीं है. खमियाजा पूरा देश भुगत रहा है. एक दिव्यांग सरकार स्वेच्छाचारिता की सभी हदें तोडकर भी महात्मा बनी हुई है. देश के भीतर- बाहर भारत की छवि धूमिल हो रही है. भारत का अपमान हो रहा है किंतु एक छद्म राष्ट्रवाद का मुलम्मा इस सब पर चढाया जा रहा है. पुराने आपातकाल ने लोकतंत्र की मात्र 19  महीने की अवमानना की थी, लेकिन आज ऐसा होते 11 साल पूरे होने वाले हैं. प्रार्थना कीजिये कि देश में लोकतंत्र बना रहे. अधिनायकवाद की जडें मजबूत न हों.जनतांत्रिक अधिकार न कुचले जाएं.

मजे की बात ये है कि आपातकाल का हौवा खडे करने वाले लोग तब जेल भी नहीं गये थे. वे मेरी तरह नाबालिक भी नहीं थे. वे भूमिगत हो गये थे. गिरफ्तारी से डर  गये थे. यही लोग आपातकाल का हवाला देकर देश को गुमराह कर रहे हैं. ये लोग चूंकि लोकतंत्र के छदम सेनानी हैं. बहरहाल मै आश्वस्त हूं कि देश जब घोषित आपातकाल से बाहर  आ गया था तो इस अघोषित आपातकाल से भी यथाशीघ्र बाहर आ जाएगा.

राकेश अचल

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