आंवला नवमी कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी में विख्यात है।ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि इस दिन आँवले के वृक्ष की पूजा प्रातः स्नान के बाद वृक्ष के नीचे बैठकर पूर्व दिशा की तरफ मुख करके पूजा की जाती है और आंवला वृक्ष की जड़ में दूध डालकर चारो तरफ कच्चा सूत लपेट कर दीपक व कपूर से आरती की जाती है।पश्चात दान देकर ब्राह्मण भोजन कराकर फिर भोजन ग्रहण करना चाहिए।ऐसा करने से नोकरी, रोजगार से धन वृद्धि होकर घर मे सुख, शांति बढ़ती है।
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*सूर्योदय :-* 05:25 बजे *सूर्यास्त :-* 19:21 बजे श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* *श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* *सूर्य*:- -सूर्य द...
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*सूर्योदय :-* 05:25 बजे *सूर्यास्त :-* 19:21 बजे श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* *श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* *सूर्य*:- -सूर्य द...
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*सूर्योदय :-* 05:25 बजे *सूर्यास्त :-* 19:21 बजे श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* *श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* *सूर्य*:- -सूर्य द...
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*सूर्योदय :-* 05:24 बजे *सूर्यास्त :-* 19:20 बजे श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* *श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* *सूर्य*:- -सूर्य उ...
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