प्रतिपदा तिथि का क्षय होने से एक दिन पहले चतुर्दशी को पूर्णिमा का श्राद्ध

 पितरों की आत्माशांति और परिवार में सुख, शांति,समृद्धि प्राप्ति के लिए पितृ पक्ष का समय बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। 

धार्मिक मान्यता है कि इस महीने में श्राद्ध,तर्पण और पिंडदान से पितरों को मोक्ष मिलता है। कहा जाता है कि हर साल पितृ पक्ष में पूर्वज पितृ लोक से धरती लोक पर आते हैं और श्राद्ध मिलने पर प्रसन्न होते हैं। इसलिए पितरों की पूजा,तर्पण के कार्य श्राद्ध पक्ष में बेहद उत्तम माने जाते हैं।

वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन के अनुसार, इस साल 17 सितंबर चतुर्दशी मंगलवार  से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है और 2 अक्टूबर को तक चलेगा। 

कारण  इस बार पूर्णिमा और आश्विन कृष्ण प्रतिपदा एक ही दिन18 सितंबर बुधवार को है।

पूर्णिमा प्रारंभ 17 सितंबर मंगलवार 11:44 बजे से 18 सितंबर बुधवार प्रातः 08:04 बजे तक इसी दिन प्रतिपदा रात्रि 04:19 बजे तक चलेगी यानी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जायेगी इसलिए पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर मंगलवार को और प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर बुधवार  पूर्णिमा के दिन होगा।

जैन ने कहा  इस दौरान पूर्वज और पितरों के लिए आश्विन कृष्ण पक्ष में पितृ तर्पण और श्राद्ध कर्म अति आवश्यक माने जाते हैं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

 किस दिन कोनसा श्राद्ध करे

 17 सितंबर मंगलवार पूर्णिमा श्राद्ध

18 सितंबर बुधवार प्रतिपदा श्राद्ध

19 सितंबर गुरुवार द्वितीया श्राद्ध

 20 सितंबर शुक्रवार तृतीया श्राद्ध

21 सितंबर  शनिवार चतुर्थी श्राद्ध

 22 सितंबर, रविवार  पंचमी  श्राद्ध

 23 सितंबर, सोमवार षष्ठी/सप्तमी श्राद्ध

24 सितंबर, मंगलवार अष्टमी श्राद्ध

 25 सितंबर, बुधवार  नवमी श्राद्ध मातृ नवमी सौभाग्यवती श्राद्ध

26 सितंबर,  गुरुवार  दशमी श्राद्ध

27 सितंबर, शुक्रवार एकादशी श्राद्ध

 29 सितंबर, रविवार द्वादशी श्राद्ध,प्रदोष व्रत,सन्यासियो का श्राद्ध

30 सितंबर सोमवार  त्रयोदशी श्राद्ध

01 अक्टूबर, मंगलवार चतुर्दशी श्राद्ध

 2 अक्टूबर,बुधवार सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध

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