प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस, में “विलुप्तप्राय बुंदेली लोक आख्यान में संस्कृति दर्शन” विषयक परिचर्चा का हुआ आयोजन

टीकमगढ़ जिला ब्यूरो प्रमोद अहिरवार

   टीकमगढ़ / दत्तोपंत ठेंगड़ी शोध संस्थान के अन्तर्गत भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित परियोजना “विलुप्त प्राय बुंदेली लोक आख्यान : कारसदेव, धर्मासाँवरी, हरदौल, सुरहन गऊ, राजा जगदेव, राजा मोरध्वज में संस्कृति दर्शन” विषयक परिचर्चा का आयोजन ज़िले के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस शा. स्नातकोत्तर महाविद्यालय के विवेकानंद सभागार में किया गया। परिचर्चा में टीकमगढ़ से बुंदेली लोक संस्कृति, इतिहास, लेखन में रुचि रखने वाले विद्वानों और बुंदेली गाथाओं को गाने वाले गाथाकारों ने अपनी महत्वपूर्ण सहभागिता दी।

परिचर्चा में महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. के सी. जैन ने अपना स्वागत भाषण दिया। परिचर्चा की भूमिका रखते हुए परियोजना के समन्वयक डॉ. धर्मेंद्र पारे ने बताया कि पुराने जमाने में कथाएँ, गाथाएँ लोगों को कंठस्थ रहती थीं, लेकिन आधुनिक होते समाज में अब यह प्रवृति विलुप्त होती जा रही है। इसीलिए इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।

इसी क्रम में नव-मधुकर ई पत्रिका के संपादक श्री रामगोपाल रैकवार ने सुरहन गऊ गाथा पर अपने विचार रखते हुए गाथा गायन भी किया। शा. ज़िला पुस्तकालय, टीकमगढ़ के अध्यक्ष श्री विजय मेहरा और सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. एम. एल. प्रभाकर ने कारसदेव गाथा के अनछुए पहलुओं पर विस्तार से अपने विचार रखे। कवि श्री गुलाब यादव ने लोकदेवता कारसदेव की गोटों के संदर्भ में अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए। आकाशवाणी के लोक कलाकार श्री जयहिन्द सिंह ने राजा जगदेव की भगतें गाकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। आकांक्षा और अनुभूति बुंदेली साहित्यिक पत्रिका के संपादक श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने लाला हरदौल के अज्ञात तथ्यों पर प्रकाश डाला। प्रसिद्ध बुंदेली साहित्यकार श्री उमाशंकर खरे ने लाला हरदौल के ऐतिहासिक पक्षों पर विस्तार से चर्चा की। वरिष्ठ बुंदेली साहित्यकार श्री अजीत श्रीवास्तव, लेखक श्री ओ. पी. तिवारी ‘कक्का’ ने समग्रता में बुंदेली गाथाओं की प्रासंगिकता और उनको संरक्षित किए जाने के महत्व पर अपने विचार रखे। ज़िले के वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार श्री राजेंद्र अध्वर्यु ने बुंदेली लोक संस्कृति को संरक्षित करने के संस्था के प्रयास की भूरि-भूरि प्रसंशा की और गाथाओं से संबंधित अनेक संदर्भों, प्रकाशनों के बारे में बहुमूल्य जानकारी साझा की। बाल साहित्य विद् श्री ओमप्रकाश तिवारी ने राजा जगदेव आख्यान पर अपने विचार रखे, वहीं बुंदेली लोक कलाकार श्री हेमेंद्र तिवारी ने लाला हरदौल चरित पर अपना संक्षिप्त वक्तव्य दिया। कार्यक्रम के अंत में श्री रामगोपाल रैकवार द्वारा संपादित ई पत्रिका “नव-मधुकर” का विमोचन किया गया।

परिचर्चा में दत्तोपंत ठेंगड़ी संस्था की ओर से डॉ. धर्मेंद्र पारे, श्री शिवम शर्मा व सुश्री माधुरी कौशल उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन श्री शिवम शर्मा ने किया।



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