भारत में राजनीति मुद्दों पर हो ही नहीं सकती क्योंकि हर दल जाति, मजहब औऔर भाषा की बिना पर सियासत करने की आदत छोडने के लिए राजी नहीं है. आप इस प्रवृत्ति की तुलना अपनी पसंद के प्रतीक से कर सकते हैं मुद्दों पर राजनीति करने से कहीं ज्यादा आसान बेसिर- पैर के मुद्दों पर राजनीति करना है.
पश्चिम बंगाल के भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक शुभेंदु अधिकारी हों या मनसे के राज ठाकरे, दोनों में कोई अंतर नहीं है.
पिछले दिनों शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि हमारे प्रदेश से कोई भी बंगाली मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में घूमने नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में हिंदू पर्यटक सुरक्षित नहीं है। जब पश्चिम बंगाल में ही हिंदू सुरक्षित नहीं है तो मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में सुरक्षित कैसे हो सकते हैं? शुभेंदु अधिकारी ने ऐसा बयान तब दिया है, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार भी देशवासियों से कश्मीर आने की अपील कर रही है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने भी लोगों से कश्मीर में पर्यटन करने की अपील की है।
आपको याद होगा कि गत 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में जो 28 हिंदुओं की हत्या आतंकवादियों ने की, उसके बाद पर्यटकों का कश्मीर जाना बंद हो गया था। लेकिन अब धीरे धीरे पूरे जम्मू कश्मीर के हालात सुधर रहे हैं। पर्यटकों की संख्या भी बढ़ी है। शुभेंदु अधिकारी ने जो बयान दिया, वह केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों के विरुद्ध भले हो लेकिन भाजपा हाई कमान ने इस बयान पर मौन साथ कर परोक्ष रुप से उनका समर्थन किया.
बंगाल की ही तरह महाराष्ट्र में मुंबई के स्थानीय निकाय चुनावों से पहले मराठी बोलने को लेकर विवाद बड़ा सियासी मुद्दा बनता जा रहा है। हिंदीभाषी लोगों के खिलाफ हिंसा के बीच महाराष्ट्र के मंत्री आशीष शेलार ने पहलगाम आतंकी हमले और मुंबई में ‘हिंदुओं’ की पिटाई को एकसमान बताया है। शेलार ने उद्धव-राज ठाकरे का नाम न लेते हुए रविवार को कहा कि राज्य देख रहा है कि कैसे कुछ नेता ‘अन्य हिंदुओं की पिटाई का आनंद ले रहे हैं।’ उनकी यह टिप्पणी उस घटना के बाद आई है, जिसमें मनसे कार्यकर्ताओं ने मुंबई में मिठाई की दुकान के मालिक की मराठी न बोलने पर पिटाई कर दी थी।
मनसे कार्यकर्ताओं ने शेयर बाजार निवेशक सुशील केडिया के वर्ली स्थित दफ्तर के कांच के दरवाजे तोड़ दिए थे। केडिया ने राज ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा था कि वे मराठी नहीं बोलेंगे। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे की हालिया टिप्पणियों की आलोचना की है और उन्हें ‘दादागिरी’ को बढ़ावा देने वाला बताया और मनसे कार्यकर्ताओं पर सख्त कार्रवाई की मांग की
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि लोगों को मराठी बोलने के लिए मजबूर करना गलत है। हिंसा में शामिल मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। अठावले ने राज के रुख पर पूछा कि ऐसी घटनाओं के कारण उद्योग बंद हो जाते हैं तो क्या वे सभी को रोजगार देंगे।
आपको बता दें कि गत 5 जुलाई को मशहूर इन्वेस्टर सुशील केडिया के वर्ली स्थित ऑफिस में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ की थी।
और मनसे सुप्रीमो राज ठाकरे के समर्थन में नारे लगाए थे। पुलिस ने इस मामले में 5 लोगों को हिरासत में लिया है। ये हमला उद्धव और राज ठाकरे की संयुक्त रैली के कुछ घंटे पहले किया गया। ये हमला केडिया के 3 जुलाई की उनकी X पोस्ट के बाद हुआ। उन्होंने मनसे चीफ राज ठाकरे को टैग करते हुए लिखा था-कि -'मुंबई में 30 साल रहने के बाद भी मैं मराठी ठीक से नहीं जानता और आपके घोर दुर्व्यवहार के कारण मैंने यह संकल्प लिया है कि जब तक आप जैसे लोगों को मराठी मानुष की देखभाल करने का दिखावा करने की परमिशन नहीं दी जाती, मैं प्रतिज्ञा लेता हूं कि मैं मराठी नहीं सीखूंगा।
महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने कहा कि तीन भाषा का फॉर्मूला केंद्र से आया। हिंदी से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसे थोपा नहीं जाना चाहिए। अगर मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी है तो हम गुंडे हैं.
मुझे लगत है कि मजहब, जाति और भाषा विवाद जारी रखकर ये तमाम नेता अपने क्षेत्रों का विकास अवरुद्ध कर रहे है. भाषा को लेकर तमिलनाडु में दशकों से राजनीति हो रही है, लेकिन केरल सरकार ने हिंदी को लेकर जो सकारात्मक रुख अपनाया है, वो काबिले तारीफ है. अब जनता खुद फैसला करे कि उसे कैसे मुद्दे और कैसे नेता चाहिए.
@ राकेश अचल
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