बुधवार, 30 जुलाई 2025

अब सिंदूर स्प्रिट से चलाइए अपना काम

मुझे ज्यादा अंग्रेजी नहीं आती, बस जैसे तैसे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की तरह काम चला लेता हूँ. जब छोटा था तब स्प्रिट का मतलब उस रसायन को मानता था जो डाक्टर मरीज को इंजेक्शन लगाने से पहले बांह या पुठ्ठे पर रगते थे. बडा हुआ तो स्प्रिट को नशे के रूप में पहचाना लेकिन स्प्रिट का सही हिंदी अर्थ पत्रकारिता में आने के बाद जान पाया.

हमारे यहाँ कोई भी क्षेत्र हो सबसे ज्यादा स्पोर्ट्स मैन स्प्रिट के सहारे आगे बढता है. हिंदी वाले स्प्रिट को भावना कहते हैं. बढे बूढे अक्सर कहते थे जो करो खेल भावना से करो. खेल भावना शायद तमाम भावनाओं में सबसे ज्यादा सात्विक होती होगी, तभी तो राजनीति हो, समाज सेवा हो, नौकरी हो, व्यवसाय हो, सब जगह इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है. कोई इस भावना का इस्तेमाल करता है तो कोई नहीं करता.

पिछले एक दशक से देश में स्पोर्ट्समैन स्प्रिट की जगह नेशनलिज्म स्प्रिट से काम करने को कहा जा रहा है, लेकिन 22अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम नरसंहार के बाद देश के खून में सिंदूर क्या मिला तमाम स्प्रिट्स हल्की पड गई. संसद के मानसून सत्र में आपरेशन सिंदूर पर हुई लंबी बहस का जबाब देते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने ऐलान किया है कि अब भारत सिंदूर स्प्रिट से चलेगा. चूंकि मोदी जी ने आव्हान किया तो कम से कम देश की आबादी के बीस-पच्चीस फीसदी ंधभक्त तो सिंदूर स्प्रिट से काम करना शशुरु कर देंगे.

सिंदूर स्प्रिटदर असल स्प्रिट का नया ब्रांड है, इसलिए आप चौंकिए नहीं. मुझे एक ही आशंका सता रही है कि मोदी जी के आव्हान के बाद देश में कहीं अचानक से सिंदूर के भाव न बढ जाएं. मोदीजी भूल गये शायद कि बंगाल हो या बिहार युगों से सिंदूर स्प्रिट से काम करते हैं. अब पूरे देश में सिंदूर स्प्रिट क खेला चलेगा. मुमकिन है कि जनता बाद में इस सिंदूर स्प्रिटट को कहीं मोदी ' स्प्रिट न कसने लग जाएं. हमारे यहाँ भेडचाल लोकप्रिय जो है. संस्कृत वाले इसे 'महाजने येन गत:स पंथ'कहते हैं

आपको बता दू कि हमारे यहाँ स्प्रिट यानि भावना के अनेक प्रकार हैं. सबसे ज्यादा कोमल धार्मिक भावना होती है जो मामूली सी बात से आहत यानि हर्ट हो जाती है. हमारे लंकेश पंडित जी बताते थे कि  स्प्रिट या भावना (spirit) को दार्शनिक, आध्यात्मिक, या मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझा और समझाया जा सकता है.। भावना के प्रकार को सामान्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जा सकता है:भारत मेंभक्ति भावना बहुत प्रबल मानी जाती है.ईश्वर या उच्च शक्ति के प्रति समर्पण और श्रद्धा इसका मल तत्व है.प्रचलित भावनाओं में प्रेम और करुणा  भावना सभी प्राणियों के प्रति प्रेम और दया के संदर्भ में प्रयोग की जाती है.हमारे यहां एक मानसिक/भावनात्मक भावना (Emotional Spirit)भी होती है.एक रचनात्मक भावना (Creative Spirit) भी होती है.

हिंदू दर्शन में, आत्मा (आत्मन) को अनंत और अजर-अमर माना जाता है, जो विभिन्न भावनाओं का आधार है। भावनाएँ  हकीकत में मानव मन की स्थिति हैं, जो सकारात्मक (खुशी, प्रेम) या नकारात्मक (क्रोध, भय) हो सकती हैं। विभिन्न संस्कृतियों में "स्प्रिट" का अर्थ अलग हो सकता है, जैसे उत्सव की भावना.

मै तो अब सिंदूर स्प्रिट का अध्ययन कर रहा हूँ. मुझे तय करना पडेगा कि मै  स्पोर्ट्स मैन स्प्रिट से ही चिपका रहूं या फिर सिंदूर स्प्रिट से लिखूं.? आजकल सिंदूर को लेकर महिलाओं में मतैक्य नहीं है. कुछ मांग में चुटकी भर सिंदूर भरती हैं तो कुछ रत्ती भर. कुछ बीच मांग में सिंदूर भरतीं हैं तो कुछ सांकेतिक ढंग से सिंदूर बापरतीं हैं. बिहार में महिलाएं नाक तक सिंदूर लगालेती हैं तो बंगाल में तो सिंदूर खेला ही हो जाता है.

मोदी जी का सिंदूर प्रेम जगजाहिर है. उनकी तो रगों में गर्म सिंदूर प्रवाहित हो रहा है. डाक्टर परेशान हैं क्योंकि अभी तक चिकित्सा विज्ञानं में सिंदूरी खून की जांच की कोई पैथिलोजिकल किट तैयार नही की गई है. बहरहाल सिंदूर स्प्रिट देश की अधिभान्य स्प्रिट हो चुकि है इसलिए इसका  सम्मान कीजिये.

@  राकेश अचल

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