गुरुवार, 24 जुलाई 2025

धनकड की गति, धनकड जानें, और न जाने कोय

 

पू्र्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड जब तक खुद नहीं बोलेंगे तब तक किसी को भी ' धनकड गति ' की हकीकत का पता नहीं चलेगा, और मेरा पक्का यकीन है कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड साहब तब तक अपना मुँह नहीं खोलेंगे जब तक  कि माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी पद पर मौजूद हैं.

देश के इतिहास में ' धनकड गति ' कोई नयी घटना नहीं है. हर राजनीतक दल में ' धनकड गति ' प्राप्त माननीयों की एक लंबी फेहरिस्त है लेकिन भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद पर बैठे अपने कार्यकर्त्ता को ' धनकड गति ' प्रदान कर नया कीर्तिमान बनाया है. इससे पहले  कि भाजपा में ' धनकड गति ' प्राप्त नेताओं की शिनाख्त की जाए  हमें जनसंघ को भी देखना होगा. जनसंघ के संस्थापक बलराज मधोक का नाम आता है. वे अतीत में ' धनकड गति ' को पाने वाले शायद पहले नेता थे. 1980 में भाजपा के गठन के बाद तमाम नेता और संघ प्रचारक ' धनकड गति ' को प्राप्त हुए. इनमें मप्र की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केसूभाई पटेल का नाम सबसे पहले आता है. 

सत्तारूढ भाजपा में राज्य स्तर पर ' धनकड गति ' पाने वालों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. इसलिए राष्ट्रीय स्तर की बात करते हैं.

भाजपा में 2014 के बाद ' धनकड गति ' पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और प्रोफेसर मुरली मनोहर जोशी प्रमुख है्.उनके बाद जिसने भी प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी के खिलाफ मुँह खोला वो ' धनकड गति'  को प्राप्त हुआ. पू्र्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा, सुब्रहमणियम स्वामी, सतपाल मलिक, बसुंधरा राजे सिंधिया भी ' धनकड गति'  को प्राप्त हो चुकी हैं. नेता ही नही आईएएस और आईपीएस अधिकारी और न्यायाधीश भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं. एक जमाने में भाजपा के अल्पसंख्यक चेहरे मुख्तार अब्बास नकबी, और शाहनवाज़ खां का कोई अता पता नहीं है. विहिप के प्रवीण तोगडिया, साध्वी ऋतंभरा, साध्वी प्रज्ञा तक ' धनकड गति ' को प्राप्त हो चुकी हैं.

' धनकड गति ' पाने वालों में धुर संघी भी शामिल हैं. गोविंदाचार्य हों या पूर्व राज्यपाल प्रो कप्तान सिंह सोलंकी का नाम आप इस फेहरिस्त में शामिल कर सकते हैं. लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा ताई भी ' धनकड गति ' को प्राप्त हो चुकी है संघ के संजय कहाँ हैं आजकल?  वे भी ' धनकड गति'  को प्राप्त हो चुके हैं.

दर असल जो नेता ' धनकड गति ' को प्राप्त हुए वे मोदी के खिलाफ मुखर होने का दुस्सास कर बैठे. कुछ ने ' धनकड गति'  से बचने के लिए या तो मौन साध लिया या फिर चारण -भाट बन गये. रक्षा मंत्री हों या भूतल परिवहन मंत्री सबके सब मौन साधकर बैठे हैं. इस समय सभी मोदी जी की निर्ममता से आतंकित हैं. मोदी पार्टी के भीतर हो या बाहर अपनी मुखालफत बर्दास्त नहीं करते. जो उनके खिलाफ खडा होता है उसे ' लोया गति'  या ' धनकड गति'  प्रदान कर दी जाती है. ये सिलसिला थमा नहीं है. कल किस नेता को ' धनकड ' बना दिया जाए, ये कोई नहीं जानता.

धनकड गति पहले भी दी जाती थी लेकिन कांग्रेस शासन में इसका नाम कुछ और रहा होगा. भाजपा में जितने भी बिभीषण शामिल किए गये उनमे से अपवादों को छोड अधिकांश को ' धनकड गति' दे दी गई है.जो ' धनकड गति' को प्राप्त नहीं हुए हैं  उनकी सूची भाजपा के धनकडों से बडी हो सकती है. लेकिन कांग्रेस के पास माननीय जगदीप धनकड जैसा कोई सर्वविदित नाम नहीं है जो राजनीतिक कारणों से 'धनकड गति ' को प्राप्त हुआ हो.

राजनीति में धनकड गति पाने वाले लोगों की आत्मा भटकती रहती है. धनकड गति को आप राजनीतिक मोक्ष भी कह सकते हैं. जिन्हें मोक्ष नहीं मिला उनकी आत्माएं सौरमंडल में भटक रहीं हैं. राजनीति में भटकती आत्माओं का अलग महत्व  है. जो बरसों तक मोक्ष को प्राप्त नहीं होते.. राजनीतिक दलों में रणछोड लोगो की  कीमत दो कौडी की है जाती है. हम ऐसे तमाम ' धनकड गति'  प्राप्त नेताओं को जानते हैं जो आजकल महफिलें सजाने  के लिए  तरसते हैं. ' धनकड गति 'में किसी को भी, कभी भी, किसी समय शामिल किया जा सकता हैँ. 'धनकड गति ' में शामिल होने के बाद कौन, कहां, किस हाल में रहेगा ये हकीकत कोई नहीं जानता.

राजनीति में जिसे धनकड नहीं बनाना होता उसके लिए ढोल नहीं पीटे जाते. जो व्यक्ति धनकड व्यक्ति बनाया जाता है वो खुद ही गाल बजाकर धनकड गति के लिए खुद को होम कर देता है.कांग्रेस में अर्जुन सिंह से लेकर कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे नेताओं की लंबी फेहरिस्त है जो अपने समय में ' धनकड गति,' को प्राप्त हुए. माधवराव सिंधिया को भी कुछ समय के लिए ' धनकड गति' से गुजरना पडा.इसलिए आप कह सकते हैं कि-' धनकड की गति धनकड जानें, और न जाने कोय '. आप अपनी याददाश्त के बल पर देश में समय- समय पर

 ' धनकड गति' पाने वालों की फेहरिस्त को छोटा, बडा कर सकते हैं.मुझसे इसमें भूल-चूक हो सकती है.हमारे बुंदेलखंड में 'धनकड गति 'को ' बर्फ में लगाना ' भी कहते हैं. अंग्रेजी में इसे शायद 'फ्रीज़ करना 'कहा जाता है. 🤣

@ राकेश अचल

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