खग्रास चन्द्र ग्रहण के साथ पितृ पक्ष की शुरुवात 7 सितम्बर पूर्णिमा रविवार से है । पितृ पक्ष पितरों से आशीर्वाद लेने का विशेष समय रहता हैं।
यह समय हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा एवं आश्विन मास कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष कहलाता है।
इस पूरे पक्ष में मृत पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि पितृ पक्ष में पितरों की मरण तिथि जिस दिन इस पक्ष के दौरान आती हैं उसी तिथि को पूर्वजों का श्राद्ध करना चाहिए ।
पुरुष के मरण की तिथि को किसी ब्राह्मण को और महिला की मरण तिथि के दिन ब्राह्मणी को भोजन कराकर यथा शक्ति दान दक्षिणा देना चाहिए।
श्राद्ध ज्येष्ठ पुत्र या नाती के द्वारा करना चाहिए।
ज्योतिषाचार्य ने कहा इस साल श्राद्ध पक्ष 7 सितंबर रविवार पूर्णिमा से शुरू होकर 21 सितंबर रविवार तक चलेगा। इस दौरान पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाएगा।
इस बार भाद्रपद पूर्णिमा तिथि को खग्रास चन्द्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा ग्रहण के दिन सूतक में पूर्णिमा का श्राद्ध किया जा सकेगा किंतु अपक्वान्न का ही दान करना चाहिए। श्राद्ध की तिथियां इस प्रकार है -
*पूर्णिमा श्राद्ध*
7 सितंबर रविवार पूर्णिमा का श्राद्ध
*प्रतिपदा श्राद्ध*
8 सितंबर , सोमवार
*द्वितीया श्राद्ध*
9 सितंबर, मंगलवा
*तृतीया और चतुर्थी श्राद्ध* 10 सितंबर, बुधवार
*पंचमी और महा भरणी श्राद्ध*
11 सितंबर , गुरुवार *षष्ठी श्राद्ध*
12 सितंबर, शुक्रवार
*सप्तमी श्राद्ध*
13 सितंबर ,शनिवार *अष्टमी श्राद्ध*
14 सितंबर , रविवार
*नवमी श्राद्ध*
15 सितंबर, सोमवार
*दशमी श्राद्ध*
16 सितंबर , मंगलवार
*एकादशी श्राद्ध*
17 सितंबर , बुधवार *द्वादशी श्राद्ध*
18 सितंबर , गुरुवार
*त्रयोदशी और मघा श्राद्ध*
19 सितंबर , शुक्रवार *चतुर्दशी श्राद्ध*
20 सितंबर , शनिवार
*सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध*
21 सितंबर 2025, रविवार
श्राद्ध पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं ताकि पूर्वजों को शांति मिले ।
जैन ने कहा जिनकी कुंडली में पितृ दोष,कालसर्प दोष से घर में अशांति हो व्यापार नौकरी में रुकावट आती रह रही हो उन्हें सर्व कार्य सिद्धि प्राप्त होती हैं।
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