ग्वालियर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
ग्वालियर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

संदीप सोलंकी बने दलित आदिवासी महापंचायत जिला ग्वालियर के अध्यक्ष

 

ग्वालियर l दलित आदिवासी महापंचायत (दाम) मध्य प्रदेश के संरक्षक डॉक्टर जबर सिंह अग्र जी एवं प्रदेश अध्यक्ष महेश मदुरिया जी ने ग्वालियर जिले का जिला अध्यक्ष श्री संदीप सोलंकी जी को नियुक्ति करते हुए नियुक्ति पत्र दिया।

  ‌‌‌  दलितआदिवासी महापंचायत (दाम)के वरिष्ठ नेतृत्व समाजसेवियों ने नवनियुक्त जिला अध्यक्ष को शुभकामनाएं एवं बधाई दी तथा शोषित पीड़ितों के हित में निर्देशित  किया कि ग्वालियर संभाग में दलितों -आदिवासीयों के ऊपर हो रहे अन्याय अत्याचार शोषण तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति ,पिछड़े वर्ग को शासन से छात्र-छात्राओं मिल रही छात्रवृत्ति को प्राइवेट कॉलेज विश्वविद्यालय आदिम जाति कल्याण विभाग व बैंकों की सांठगांठ‌ से फर्जी तरीके से एससी एसटीओबीसी छात्रवृत्ति अरवो रूपये की डकार रहे हैं एससी एसटी के छात्रों के साथ धोखाधड़ी कर हक अधिकार छीने जा रहे हैं इनके खिलाफ एवं इन वर्गों को मिलने वाली विकास योजनाओं को निर्भीकता एवं निठरता से आवाज़ उठाएं और समस्याओं का समाधान कराये। 

देश की प्रगति का आधार है संविधान - हिना कांवरे

 


  • संविधान अभियान रैली को लेकर प्रभारी ने ली बैठक

ग्वालियर। जिस देश की बोली, भाषा, खानपान, रीति रिवाज अलग-अलग है और वह देश प्रगति कर रहा है तो उसका आधार संविधान है। इसके बावजूद हमारे देश के संविधान का मजाक बनाया गया, यह चिंतनीय है। यह बात शहर कांग्रेस प्रभारी एवं पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष सुश्री हिना कांवरे ने दक्षिण विधानसभा के हरे शिव मैरिज गार्डन में जय बापू, जय भीम, जय संविधान अभियान रैली की तैयारी को लेकर आयोजित बैठक में कही। कार्यक्रम के आरंभ में प्रदेश कांग्रेस के महासचिव एवं पूर्व विधायक प्रवीण पाठक ने पार्टी पदाधिकारियों के साथ संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर व महात्मा गांधी की छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर राज्यसभा सांसद अशोक सिंह, शहर जिलाध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा, विधायक सुरेश राजे, प्रदेश सचिव रश्मि पवार, राहुल शर्मा, भिंड जिलाध्यक्ष मानसिंह कुशवाह, कार्यकारी अध्यक्ष वीर सिंह तोमर मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन ब्लॉक अध्यक्ष राजेश बाबू ने तथा आभार कार्यवाहक अध्यक्ष इब्राहिम पठान ने व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने वर बधू को आशीर्वाद दिया

 

ग्वालियर  22 जनवरी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंगलवार को ग्वालियर में खजुराहो सांसद एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री वी डी शर्मा के परिवार में आयोजित शुभ विवाह समारोह में भाग लिया एवं वर-वधु को आशीर्वाद प्रदान किया।

क्या अमेरिका के ' मोदी ' साबित होंगे ट्रम्प ?

 

माननीय,सम्माननीय डोनाल्ड ट्रम्प अब अमेरिका के नए राष्ट्रपति है।  ट्रम्प महोदय के शपथ  ग्रहण के बाद ये अटकलें लगना शुरू हो गयीं हैं  कि  वे आज नहीं तो कल अमेरिका के मोदी साबित होंगे,क्योंकि ट्रम्प और भारत के प्रधानमंत्री प्रातस्मरणीय माननीय श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जीकी प्राथमिकताएं लगभग एक जैसी है। उनकी आक्रामकता ,उनकी सियासत में अदावती शैली मोदी जी की राजनीति से बहुत कुछ मेल खाती है। ट्रम्प के लिए अमेरिका के लिए कुछ नया दिखने का ये अंतिम अवसर है। अमेरिकी ट्रम्प को और  मौक़ा नहीं दे सकता।

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण में 'कैच एंड रिलीज' नीति को समाप्त करने का वादा करते हुए कहा कि वे दक्षिणी सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करेंगे और लाखों अवैध अप्रवासियों को वापस भेजेंगे। कैच एंड रिलीज शब्द का इस्तेमाल अक्सर अप्रवासियों को अदालत की तारीख तक हिरासत में रखने के बजाय रिहा करने की नीति के लिए किया जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक विशिष्ट कानून या नीति नहीं है और अब आम प्रथा नहीं है, जिसे ट्रंप खत्म करने की बात कह रहे हैं। उनके आदेश का विवरण भी स्पष्ट नहीं है।
भारत में भी अवैध प्रवासियों को लेकर मोदी सरकार लगातार जूझ रही है लेकिन भारत में अभी किसी भी सीमा पर आपातकाल की घोषणा नहीं की हई है। लेकिन ट्रम्प महोदय से प्रेरणा लेकर भारत में भी ऐसा कदम उठाया आ सकता है। कोई माने या न माने ट्रम्प और मोदी जी एक-दुसरे के ख्यालों  [ आइडियाज ] की या तो नकल करते हैं या  एक-दुसरे को प्रेरित करते हैं। दोनों की बातों में ' हवा -हवाई ' तत्व कॉमन है।
ट्रंप ने पनामा नहर को वापस लेने का भी वादा करते हुए कहा कि इस नहर के निर्माण के दौरान 38,000 अमेरिकियों की मौत हुई और चीन नहर का संचालन कर रहा है। सच्चाई ये है कि अमेरिकी निर्माण में 5,600 लोगों की मौत हुई थी और ये कैरिबियन के मजदूर थे। पनामा नहर के प्रशासक ने ट्रंप के इस दावे का खंडन किया है कि चीन नहर का संचालन कर रहा है। उन्होंने कहा है कि इन बंदरगाहों पर काम कर रही चीनी कंपनियां हांगकांग के एक कंसोर्टियम का हिस्सा थीं, जिसने 1997 में बोली प्रक्रिया जीती थी। अमेरिकी और ताइवान की कंपनियां भी नहर के किनारे अन्य बंदरगाहों का संचालन कर रही हैं।मुमकिन है की भविष्य में भारत के प्रधानमंत्री जी भी चीन को आँखेंदीखते हुए चीन से भारत की हथियाई गयी  जमीन पर अपना हक जताने लगें।
 डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका में मुद्रास्फीति 'रिकॉर्ड स्तर' पर पहुंची और ऐसा अत्यधिक खर्च और बढ़ती ऊर्जा कीमतों से हुआ है। ये बात सही है कि अमेरिका में मुद्रास्फीति 2022 की गर्मियों में 9.1 फीसदी के चार दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी लेकिन देश में सबसे अधिक मुद्रास्फीति दर जून 1920 में 23.7% थी।संयोग से ये सब भारत में भी हुआ है किन्तु मोदी जी को ये सुविधा हासिल नहीं है कि  वे भारत में मुद्रास्फीति के लिए किसी और को जिम्मेदार ठहरा सकें ,क्योंकि पिछले 11  साल से वे खुद ही सत्ता में हैं ,मोदी जी इसके एवज हमेशा नेहरू-गांधी परिवार को लपेटते रहते हैं।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने 'खतरनाक अपराधियों' को शरण और सुरक्षा दी है, जिनमें से कई 'जेलों और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों' से अवैध रूप से अमेरिका में आए हैं। एक्सपर्ट इस दावे को ठीक नहीं मानते हैं। इनका कहना है कि कुछ अमेरिकी शहरों में अप्रवासियों की आमद हुई है लेकिन ज्यादातर कानूनी तौर पर, वर्क परमिट या अदालतों में उनके मामलों पर काम होने तक रहने के प्राधिकरण के साथ आए हैं। ज्यादातर रिसर्च ये बताती हैं कि अप्रवासी, अमेरिका में जन्मे लोगों की तुलना में अपराध करने की कम संभावना रखते हैं। पर कुछ संस्थाएं हैं जो  मानती  है कि अपराध बढ़ने की वजह अप्रवासी नहीं हैं।भारत में भी मोदी जी और उनकी सरकार मानती  है की देश  में बढ़ते  अपरधों  की वजह बांग्लादेशी  प्रवासी  है। मशहूर फिल्म अभिनेता सैफ अली खान पर हमले को इसका उदाहरण बताया जा रहा है।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका दुनिया के किसी भी अन्य देश की तुलना में स्वास्थ्य सेवा पर अधिक पैसा खर्च करता है। उनका यह दावा सच है। अमेरिका प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य सेवा पर ज्यादातर देशों ज्यादा खर्च करता है। ट्रम्प की ही तरह भारत के प्रधानमंत्री  मोदी जी कहते हैं कि आरोग्य के मामले में उनकी सरकार की 'आयुष्मान योजना ' दुनिया की सबसे बड़ी योजना है। अब कौन सच बोल रहा है ,कौन झूठ केवल ऊपर वाला ही जानता है।
अमेरिका के नए और 47  वे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को ये सुविधा नहीं है कि  वे देश के पहले राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन को देश की मौजूदा हालात के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। ये सुविधा केवल भारतीय प्रधानमंत्री की है ,वे आज भी देश  की बदहाली के लिए अपने 11  साल के कुशासन को जिम्मेदार नहीं मानते,वे इसके लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित  जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार मानते हैं। देखना ये है कि  ट्रम्प साहब के आने के बाद दुनिया  कितनी  बदलती है ।  दुनिया में द्वन्द युद्ध जारी हैं। अमेरिका के सामने इन्हें समाप्त करने की चुनौती है। बहरहाल हमारा देश दूसरी बार ट्रम्प युग का और तीसरी बार मोदी युग का सामना कर रहा है। दोनों कि युग का अवसान एक साथ 2029  में होगा। इस मौके पार चचा ग़ालिब की बहुत याद आती ह।  उन्होंने एक जगह लिखा था  कि -

था बहुत शोर कि ग़ालिब कि उड़ेंगे पुर्जे
देखने हम भी गए ,पै ये तमाशा न हुआ।

@ राकेश अचल


केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल का दीक्षांत समारोह आयोजित

 ग्वालियर । केन्द्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल ग्वालियर में 52 सहायक उप निरीक्षक (स्टेनो) एवं 734 हवलदार (मंत्रालय) कुल 786 नव नियुक्त कार्मिकों द्वारा 18 सप्ताह के बुनियादी प्रशिक्षण पूर्ण करने के पश्चात दीक्षांत एवं शपथ ग्रहण परेड का अयोजन किया गया।

इस समारोह के मुख्य अतिथि गुरशक्ति सिंह सोढ़ी, पुलिस महानिरीक्षक, केन्द्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय, केरिपुबल, ग्वालियर, रहे। उन्होंने परेड का निरीक्षण किया तथा सलामी ली। श्री सरबजीत सिंह तलवार, सहायक कमाण्डेंट, ने इस भव्य तथा शानदार परेड को कमान किया, उपस्थित समस्त अतिथिगण, परिवार-जन एवं बच्चों ने तालियां बजाकर परेड का अभिवादन किया। दीक्षांत एवं शपथ ग्रहण परेड में कुल 06 कन्टीनजेंट शामिल थे, जिसका जोश और टर्न आउट उच्च दर्जे का देखने को मिला।

श्री बी.ए.के. चौरसिया, कमाण्डेन्ट / मुख्य प्रशिक्षण अधिकारी, केन्द्रीय प्रशिक्षण महाविद्यालय, केरिपुबल, ग्वालियर ने 786 सहायक उप निरीक्षक (स्टेनो) एवं हवलदार (मंत्रालय) के नव नियुक्त कार्मिकों को सच्चे मन से देश सेवा में समर्पण हेतु शपथ दिलाई। परेड के पश्चात मुख्य अतिथि ने प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले सहायक उप निरीक्षक (स्टेनो) एवं हवलदार (मंत्रालय) को ट्राफी प्रदान कर उनका उत्साह बढ़ाया। मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में देश सेवा में समर्पित होने जा रहे सहायक उप निरीक्षक (स्टेनो) एवं हवलदार (मंत्रालय) के नव नियुक्त कार्मिकों को अपनी शुभकामनाएं दी एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

इस अवसर पर श्री राज कुमार निगम्, उप महानिरीक्षक, ग्रुप केन्द्र ग्वालियर, कुमुद दिवगैयाँ, उप महानिरीक्षक (चिकित्सा), ग्रुप केन्द्र ग्वालियर, डॉ. श्री प्रेम चन्द्र गुप्ता, कमाण्डेन्ट, ग्रुप केन्द्र ग्वालियर, श्री संदीप चौबे, कमाण्डेन्ट, 244 वी०आई०पी० बटालियन, क्षेत्र के अन्य प्रशासनिक अधिकारीगण, नव नियुक्त कार्मिकों के परिवार-जन एवं केरिपुबल परिसर ग्वालियर के अधिकारीगण, अधिनस्थ अधिकारीगण एवं अन्य रैंक कार्मिक इस कार्यकम के साक्षी बने। अंत में परेड का समापन, धन्यवाद ज्ञापन द्वारा किया गया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 21 जनवरी को ग्वालियर प्रवास पर

 

ग्वालियर  20 जनवरी । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 21 जनवरी को ग्वालियर प्रवास पर आयेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव इस दिन दोपहर 2.15 बजे वायुमार्ग द्वारा राजमाता विजयाराजे सिंधिया एयर टर्मिनल महाराजपुरा पहुँचेंगे। ग्वालियर में स्थानीय कार्यक्रम में भाग लेने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. यादव अपरान्ह लगभग 4.30 बजे वापस विमानतल पहुँचकर वायु मार्ग से भोपाल के लिये प्रस्थान करेंगे। 

अमेरिका में आज से ट्रम्प युग का आगाज

करीब 250  साल पहले आजाद हुए अमेरिका यानि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में आज से एक बार फिर से ट्रम्प युग का आगाज हो रहा है ।  ट्रम्प यानि डोनाल्ड ट्रम्प एक बार फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में सत्तारूढ़ हो गए हैं। 79  वर्ष के डोनाल्ड ट्रम्प दूसरी बार अमेरिका की कमान सम्हाल रहे हैं। लेकिन 67  फीसदी बहुसंख्यक ईसाई आबादी वाले अमेरिका को  इसाईस्तान बनाने की उनकी कोई मुहीम नहीं है ।  वे 47  वे राष्ट्रपति के रूप में अमेरिका को असली विश्व गुरु बनाये रखने के लिए कृतसंकल्प दिखाई देंगे।

भारत लोकतंत्र की जननी कहा और माना जाता है किन्तु आधुनिक युग में दुनिया का मजबूत लोकतंत्र अमेरिका में माना जाता है। अमेरिका में गोरे-काले ही नहीं बल्कि दुनिया बाहर के लोग हिल-मिलकर रहते हैं। यही बहुलता अमेरिका की असली  ताकत है।  98  हजार वर्ग किलोमीटर में फैले अमेरिका की आबादी फिलहाल 34  करोड़ के आसपास है। वहां आबादी बढ़ाने के लिए या ईसाइयत को सुरक्षित करने के लिए कोई नेता चार बच्चे पैदा करने की सलाह नहीं देता। वहां भारत की तरह कोई आरएसएस भी नहीं है इसलिए कोई भी राष्ट्रपति अमेरिका के हितों के लिए बनाई गयी पगडण्डी पर ही चलता है ,उसे बदलता नहीं है। ।  अमेरका में केवल राष्ट्रपति पद पर व्यक्ति बदलते हैं लेकिन उनकी विदेश नीति में कोई खास तब्दीली नहीं होती।

डोनाल्ड सर परा स्नातक [पोस्ट ग्रेजुएट ] हैं ,अपने देश के ए-1 ए-2  यानि धनकुबेर हैं। उनके सम्राज्य का नाम ट्रम्प ऑर्गनाइजेशन है। इसलिए ट्रम्प के पास गरीबी के किस्से नहीं है।  वे  गरीबों के बारे में सोचते जरूर हैं ,लेकिन उतना ही जितना की जरूरी है।  ट्रम्प बाल-बच्चेदार आदमी हैं। वे रणछोड़ भी नहीं हैं ,उन्होंने एक छोड़ तीन शादियां की और अनेक बच्चे भी। इसलिए उन्हें परिवार का भी गहन अनुभव है। ट्रम्प साहब राजनीति में पिछले 24  साल से हैं और 2016  में पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे।

अमेरिका के 45  वे राष्ट्रपति के रूप में दुनिया ने जिस डोनाल्ड ट्रम्प को देखा था, 47  वे राष्ट्रपति के रूप में शायद पुराने डोनाल्ड ट्रम्प न दिखाई दें ।  वे कठोर कदम उठाने के आदी हैं और लगता है कि शपथ ग्रहण के फौरन बाद वे इस बार भी अमेरिका के हित में तमाम कठोर    कदम उठाएंगे। अमेरिका के कठोर कदमों का असर या बुरा असर भारत पर भी पड़ सकता है ,आपको याद हो तो अपने पहले कार्यकाल में डोनाल्ड सर अपनी कड़वी  आव्रजन नीतिके लिए चलाये गए  अभियान के कारण  विवादास्पद रहे थे। । उन्होंने अवैध आप्रवासियों को बाहर रखने के लिए मेक्सिको-संयुक्त राज्य सीमा पर एक और अधिक महत्वपूर्ण दीवार बनाने का वादा किया और उस पर आगे भी बढ़े थे।  उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले अवैध आप्रवासियों को व्यापक रूप से निर्वासित करने का वचन दिया, था  और उस पर अमल  भी किया  था। वे "एंकर बच्चों" बनाने के लिए जन्मजात नागरिकता आलोचक भी रहे हैं। ट्रम्प कि निर्वासन अपराधियों, वीजा ओवरस्टे और सुरक्षा खतरों परभी अपना  ध्यान केन्द्रित करते आये  हैं।

सियासत को लेकर माननीय ट्रम्प साहब का फंडा एकदम साफ़ है ।  उन्होंने कोई 24  साल पहले ही कहा था कि -' "राजनीतिक जीवन निर्दयी होता है, जो काबिल होते हैं वे बिजनेस करते हैं।" ट्रम्प के देश में सत्ता हस्तांतरण न  ब्रिट्रेन की तरह फटाफट होता है और न भारत की तरह दो-चार दिन मे। अमेरिका में चुनाव परिणाम आने के बाद ट्रम्प साहब को सत्ता सम्हालने के लिए दो -ढाई महीना लग जाता है। बहरहाल ट्रम्प महोदय  का दूसरा शपथ ग्रहण समारोह मेहमानों  की फेहरिस्त की वजह से सुर्खिओं में है ।  अमेरिकी प्रशासन ने दुनिया के तमाम वर्तमान और पूर्व राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया लेकिन भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी को छोड़ दिया,जबकि वे ट्रम्प साहब के अजीज मित्र कहे जाते हैं। भारत के राष्ट्रपति को भी तवज्जो नहीं दी गयी।  लेकिन भारत के  प्रमुख उद्योगपति मुकेश अम्बानी को शपथ ग्रहण समारोह में जरूर आमंत्रित किया गया।

कुल मिलाकर अमेरिका में ट्रम्प युग से भारत को नफा  होगा या नुक्सान ये कहना और इसका अनुमान लगना आसान नहीं है ।  ट्रम्प साहब के दूसरे कार्यकाल में दुनिया के हालात पहले जैसे नहीं है ।  पिछले 4  साल में दुनिया में बहुत कुछ बदला है । बहुत कुछ घटा है,इसलिए ये तय है कि ट्रम्प साहब भी अपने आपको बदलेंगे ही। हम उम्मीद कर सकते हैं कि भारत के साथ अमेरिका के जो द्विपक्षीय रिश्ते हैं वे और प्रगाढ़ होंगे और ट्रम्प साहब को भारत के तीसरी बार प्रधानमंत्री बने आदरणीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी साबरमती के तीर पर झूला झूलने में कोई संकोच नहीं करेंगे। विदेशी मेहमानों को झूला झुलाना भारत की विदेश नीति का अघोषित अंग है ।  नेहरू और इंदिरा गाँधी के जमाने में ये सब नहीं होता था। चूंकि मेरे भी दो पौत्र अमेरिकी नागरिक हैं इसलिए  उनकी ओर से और  मेरी ओर से भी अमेरिका के नए राष्ट्रपति को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

@ राकेश अचल  


इमरजेंसी ' की लोकप्रियता के मायने

 

कंगना रनौत की बहुचर्चित फिल्म ' इमरजेंसी ' बॉक्स आफिस पर हिट होती है या फ्लाफ ये कहना अभी कठिन है क्योंकि ; इमरजेंसी ' की ओपननिंग से कोई भी अनुमान लगना कठिन है।  इमरजेंसी ने दर्शकों को फिलहाल दो दिन तो अपनी और आकर्षित कर ये संकेत  दिए हैं कि ' इमरजेंसी ' आज भी कौतूहल का विषय है और किंचित लोकप्रिय भी।

सिनेप्लेक्स में फिल्म देखने वाली आज की पीढ़ी ने सचमुच की ' इमरजेंसी ' नहीं देखी ,इसलिए उसे भाजपा संसद कंगना रनौत '  की इमरजेंसी  ' में स्वाभाविक दिलचस्पी है। देश में आजादी के बाद पहली  और फिलहाल अंतिम बार ' इमरजेंसी  ' यानि आपातकाल 50  साल पहले लगा था। उस समय कांग्रेस का शासन था और प्रधानमंत्री के पद पर श्रीमती इंद्रा गाँधी आसीन थीं। इमरजेंसी  लागू होने के बाद विपक्षी नेताओं को चुन-चुन कर गिरफ्तार किया गया और उन्हें जेल में डाल दिया गया था।आज की ' इमरजेंसी ' रजतपट की ' इमरजेंसी ' है। इसके जरिये तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को एक खलनायिका  के रूप में प्रस्तुत करना और इसके जरिये दिल्ली जीतने की एक अतृप्त अभिलाषा को पूरा करना है। चुनाव जितने के लिए ' इमरजेंसी ' की तर्ज पर पहले भी अनेक फ़िल्में बन चुकीं हैं।

 असली ' इमरजेंसी ' 25 जून, 1975 को घोषित की गयी थी ,  इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल लगाए जाने पर अपनी मुहर लगाई थी। ये इमरजेंसी 21 मार्च, 1977 तक देशभर में लागू रही। स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये 21 महीने काफी विवादास्पद रहे। इन 21 महीनों में जो कुछ भी हुआ। सत्ता दल अभी भी कांग्रेस को समय-समय पर कोसते रहते हैं। संयोग से इन पंक्तियों का लेखक यानि मै समझदार हो चुका था ,लेकिन क़ानून की दृष्टि में नाबालिग था इसलिए औरों की तरह जेल नहीं गया।उन  दिनों दूरदर्शन नहीं था केवल रेडियो था इसलिए  देश में इमरजेंसी लगाए जाने की घोषणा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो के माध्यम से की थी। 26 जून, 1975 की सुबह इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर कहा, 'राष्ट्रपति ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है।

मुझे अच्छी तरह से याद है कि  आपातकाल की घोषणा किए जाने के कुछ ही समय  पहले ही  सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर सशर्त रोक लगा दी, जिसमें लोकसभा के लिए उनके चुनाव को अमान्य घोषित किया गया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को संसदीय कार्यवाही से दूर रहने को भी कहा था । वैसे इमरजेंसी से पहले इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1971 के लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल की थी। तत्कालीन 521 सदस्यीय संसद में कांग्रेस ने 352 सीटें जीती थीं। दिसंबर 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान के युद्ध से आजाद कराकर इंदिरा गांधी आयरन लेडी के नाम से जानी जा रही थीं। इसके कुछ सालों बाद ही देश में इमरजेंसी की घोषणा ने आयरन लेडी के कामों पर ही सवाल खड़े कर दिए थे।

जिन परिस्थितियों में देश में पहली बार ' इमरजेंसी ' लगाईं गयी थी  उन दिनों के हालात आज के हालत जैसे ही थे।जैसे आज नरेंद्र मोदी की सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं ठीक वैसे ही आरोप इंदिरा गांधी की सरकार पर लगाए जा रहे थे। । गुजरात में सरकार के खिलाफ छात्रों का नवनिर्माण आंदोलन चल रहा था। बिहार में जयप्रकाश नारायण का आंदोलन चल रहा था। 1974 में जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेलवे हड़ताल चल रही थी। 12 जून, 1975 का इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें रायबरेली से इंदिरा गांधी के लोकसभा के लिए चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया गया था। गुजरात चुनावों में पांच दलों के गठबंधन से कांग्रेस की हार और 26 जून 1975 को दिल्ली के रामलीला मैदान में विपक्ष की रैली ने इंदिरा गांधी की सरकार को मुश्किल में डाल दिया था। हलनिक आज का विपक्ष का गठबंधन मोदी जी कि लिए उतना खतरनाक नहीं बन पाया है।  

देश में यदि ' इमरजेंसी न लगती तो देश को भाजपा न मिलती। देश में नफरत की वो आंधी न चलती जो आज चल रही है।  इंदिरा गाँधी की ' इमरजेंसी में तमाम ज्यादतियां भी हुईं , लोगों की जबरन नसबंदी कराई  गयी, अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाये गए । लेकिन इमरजेंसी में नागरिक बोध भी बढ़ा ।  सरकारी दफ्तरों में अधिकारी कर्मचारी ही नहीं बल्कि रेलें ,बसें भी समय से चलने लगीं। लेकिन ' इमरजेंसी ' एक काला अध्याय बनी सो बनी। इस ' इमरजेंसी के लिए बाद में कांग्रेस और इंदिरा गाँधी परिवार के अनेक सदस्य सदन के भीतर और सदन के बाहर देश से माफ़ी भी मांग चुके हैं ,लेकिन भाजपा ने कांग्रेस को कभी माफ़ नहीं किया ,और आज तो ' इमरजेंसी ' पर फिल्म ही बना दी।

देश में ' इमरजेंसी पर पहले भी अनेक फ़िल्में बनी ।  ' किस्सा कुर्सी का' और आंधी जैसी फ़िल्में भी बनीं ,लेकिन वे भी कांग्रेस के खिलाफ वातावरण पैदा नहीं कर पायी।  पीछे वर्षों में कांग्रेस को खलनायक  साबित करने के लिए ' दी कश्मीर फाइल बनी,केरल फाइल बनी। फिल्मों के जरिये राजनेताओं को नायक और खलनायक बनाने की मुहीम जारी है। सरकार खुद इन फिल्मों का प्रमोशन करती है। हाल ही में ' दी साबरमती ' बनी।  खुद प्रधानमंत्री जी ने इनका प्रमोशन किया ।

' इमरजेंसी ' फिल्म के लिए भाजपा की वे संसद कंगना रनौत काम आयीं जो देश की आजादी का दिन 15  अगस्त 1947  नहीं 5  अगस्त 2014  मानतीं हैं। कंगना ने श्रीमती इंदिरा गाँधी की भूमिका में जान डालने की बहुत कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुईं।कंगना से पहले सुचित्रा सेन ने फिल्म ' आंधी ' में इंदिरा गाँधी बनने की कोशीश कीथी  ' इमरजेंसी देखकर लौटे हमरे मित्र बता रहे हैं कि  ' कंगना की ' इमरजेंसी ' इंदिरा गाँधी को खलनायक भी ढंग से नहीं बना पायी ,कोशिश जरूर की।  बेहतर होता की फिल्म के लिए कंगना की जगह प्रियंका वाड्रा को चुना जाता ।  एक तो कंगना के मेकअप का खर्च बचता ,दूसरे अभिनय में जान भी आती। दरअसल इंदिरा गाँधी की नकल करना आसान नहीं है। इंदिरा गाँधी को उनके अपराध के लिए देश की जनता ने असली ' इमरजेंसी के ढाई साल बाद ही माफ़ कर दिया था और प्रचंड बहुमत से जीतकर वापस सत्ता सौंपी थी।

आज की ' इमरजेंसी देखने वालों को ये जानना जरूरी है कि  जिस इंदिरा गाँधी को फिल्म के जरिये खलनायिका दिखाया गया है उसी इंदिरा गाँधी के साथ ही दस साल पहले तक देश ने कांग्रेस के  4  प्रधानमंत्री  चुने हैं। यानि जनता कभी की ' इमरजेंसी ' को भूल चुकी  है ।  भाजपा और भाजपा की सरकार बार-बार इमरजेंसी का जिक्र कर अपना उल्लू सीधा करना चाहती है ,लेकिन  उल्लू सीधा करना और बात है लेकिन हकीकत को झुठलाना और बात। फिर भी चूंकि कंगना की ' इमरजेंसी ' में इंदिरा गाँधी हैं इसलिए उनकी फिल्म की लागत तो निकल ही आएगी ,क्योंकि अंधभक्त दर्शक तो ये फिल्म देखेंगे ही ।  मुमकिन है कि  डबल इंजिन की सरकारें इस फिल्म को कर मुक्त घोषित कर दें ,

खबर है कि  पहले दिन जहां ' इमरजेंसी '  ने 2.5 करोड़ का बिजनेस किया था वहीं दूसरे दिन  ये आंकड़ा 2.74 करोड़ पहुंच गया है। इस हिसाब से फिल्म का कुल कलेक्शन 5.24 करोड़ रुपये पहुंच गया है। फिलहाल ये आंकड़ा अभी और बढ़ेगा और फिल्म को सप्ताहांत का भरपूर फायदा मिलता नजर आ रहा है।लेकिन प्रयागराज में महाकुम्भ के कारण ' इमरजेंसी ' उतना लाभ नहीं दे पा रही है जितना की अनुमान  लगाया गया था। इस फिम के जरिये भाजपा यदि 2025  में दिल्ली विधानसभा जीत जाये तो मै मानूंगा की ' इमरजेंसी ' बंनाने का कुछ हासिल भाजपा को हुआ,कंगना रनौत को हुआ। दिल्ली जीतने के लिए भाजप जूते-चप्पल और साड़ियां तो पहले से बाँट रही  है। 'कंगना की ' इमरजेंसी ' कामयाब हो ,ऐसी मेरी शुभकामनायें हैं ,लेकिन मेरी शुभकामनायें कंगना कि कितने काम आएंगीं ,मै खुद नहीं जानता।

@ राकेश अचल

सिंध नवयुवक सामाजिक सुरक्षा मंडल चुनाव 2025 एवं नववर्ष मिलन समारोह

पूज्य सिंध हिंदू जनरल पंचायत ग्रेटर ग्वालियर द्वारा गठित 


ग्वालियर l सिंध नवयुवक सामाजिक सुरक्षा मंडल के चुनाव 17 जनवरी को पिंटो पार्क स्थित एक निजी होटल में उत्साह और जोश के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुए। मंडल के सभी सदस्य और पंचायत के गणमान्य लोगों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी दिखाई।

चुनाव अधिकारी श्रीचंद पंजाबी और जय जयसिंघानी ने चुनाव प्रक्रिया पूर्ण करवाई l

नवनिर्वाचित पदाधिकारी:

  • संरक्षक संतोष वाधवानी 
  • संरक्षक विजय श्रीचंद वलेचा 
  • अध्यक्ष: [मुकेश वासवानी]
  • संयुक्त अध्यक्ष रमेश रुपानी 
  • उपाध्यक्ष: [आलोक आहूजा] 
  • उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माखीजा 
  • महासचिव: [सुशील कुकरेजा]
  • सचिव महेश कुकरेजा 
  • कोषाध्यक्ष: [मोनू कुकरेजा]
  • मीडिया प्रभारी अमर माखीजा

नवीन नेतृत्व के साथ मंडल समाज सेवा, युवा सशक्तिकरण और सामाजिक विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

संस्था संस्थापक श्रीचंद वलेचा ने नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की शुभकामनाएं दी l 

रूपया गिरा, लेकिन रुपये वाले नहीं

 डालर के मुकाबले भारतश् का रुपया भले ही धूल चाने को मजबूर हो लेकिन जिनके पास अकूत रुपया है उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड रहा. उनकी हैसियत बरकरार है, हिंदुस्तान में भी और अमेरिका में भी. खबर है ककि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भले ही भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र दामोदर दास मोदी को न बुलाया गया हो लेकिन मुकेश अंबानी को जरूर बुलाया गया है.

भारतीयों को समझ लेना चाहिए कि विश्व गुरु बनने के लिये पद नहीं रुपये की जरुरत पडती है, यदि ऐसा न होता तो अंबानी सर मोदीजी पर भारी न पडते.अंबानी 18 जनवरी को वॉशिंगटन डीसी पहुंचेंगे।  शपथ ग्रहण समारोह में अंबानी दंपती को अहम सीट मिलेगी। वे ट्रम्प कैबिनेट के नोमिनेट मेंबर्स और इलेक्टेड ऑफिसर्स के साथ बैठेंगे।

 अमेरिका से खबर आई है कि शपथ ग्रहण के साथ ही कैबिनेट का एक स्वागत समारोह और उपराष्ट्रपति का डिनर भी होगा, जिसमें अंबानी परिवार शामिल होगा। नीता और मुकेश अंबानी 19 नवंबर की रात राष्ट्रपति ट्रम्प और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के साथ कैंडललाइट डिनर में शामिल होंगे।

शपथ ग्रहण के दौरान ट्रम्प अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। इससे पहले वे 2017 से 2021 के बीच 45वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर चुके हैं। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समारोह में शामिल हो रहे हैं.

 ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, अल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले, हंगरी से विक्टर ऑर्बन, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली मौजूद रहेंगे.अमेरिकी उद्योगपतियों में इलॉन मस्क के अलावा, जेफ बेजोस, मार्क जुकरबर्ग और सैम ऑल्टमैन मौजूद रह सकते हैं।

ट्रम्प के शपथ ग्रहण में रिकॉर्ड चंदा शपथ ग्रहण समारोह के लिए ट्रम्प की टीम को रिकॉर्ड चंदा मिला है। ट्रम्प से बेहतर रिश्ता बनाने के लिए उद्योगपति जमकर फंडिंग कर रहे हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अभी तक 170 मिलियन डॉलर आ चुके हैं। यह आंकड़ा 200 मिलियन डॉलर तक भी पहुंच सकता है।

पिछली बार बाइडेन के शपथ ग्रहण समारोह में 62 मिलियन डॉलर  का चंदा इकट्ठा हुआ था। वहीं ट्रम्प के 2017 के शपथ ग्रहण समारोह में 107 मिलियन डॉलर  इकट्ठा हुए थे। अब ये पता नहीं है कि चंदा देने वालों मे ं मुकेश अंबानी भी शामिल हैं या नहीं. वैसे अमेरिका सरकार चंदा देने वालों को भी फ्री  वीआईपी पास नही दे रही है.

अंबानी को आमंत्रण मिलने से भारत का मान बढा है. काश कि अडानी भी वहां होते, लेकिन वे अमेरिका पुलिस के लिए एक अपराधी हैं इसलिए उन्हे ये सम्मान नहीं मिला. मुकेश अंबानी की जगह यदि मै होता तो अमेरिका का आमंत्रण विनम्रतापूर्वक ठुकरा देता. कहता कि मै तभी आऊंगा जब मेरे प्रधानमंत्री को ससम्मान आमंत्रित किया जाए.लेकिन मुकेश अंबानी राकेश अचल नहीं हैं. उनकी और ट्रंप साहब की बिरादरी और गोत्र एक है. दोनों धन कुबेर है. कारोबारी हैं. वे किसी और की परवाह क्यों करने लगे?

माननीय मोदी जी की उपेक्षा से मै आम भारतीय होने के नाते  मै भी दुखी हूं. मै यदि मोदी जी का अंधभक्त होता तो अभीतक  अमेरकी दूतावास पर प्रदर्शन कर चुकका होता. वार्ड स्तर पर  अमेरिका प्रशासन के पुतले जलवा चुका होता. लेकिन कमाल है कि मोदीजी और उनके अंधभक्त अपमान का कडवा घूंट पीकर बैठे हैं. हे राम! 

@  राकेश अचल

सिंध नवयुवक सामाजिक सुरक्षा मंडल के चुनाव 2025 संपन्न

 

ग्वालियर l पूज्य सिंध हिंदू जनरल पंचायत ग्रेटर ग्वालियर द्वारा गठित सिंध नवयुवक सामाजिक सुरक्षा मंडल के चुनाव 17 जनवरी को पिंटो पार्क स्थित एक निजी होटल में उत्साह और जोश के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुए। मंडल के सभी सदस्य और पंचायत के गणमान्य लोगों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी दिखाई।

चुनाव अधिकारी श्रीचंद पंजाबी और जय जयसिंघानी ने चुनाव प्रक्रिया पूर्ण करवाई l

नवनिर्वाचित पदाधिकारी:

  • संरक्षक संतोष वाधवानी 
  •  संरक्षक विजय श्रीचंद वलेचा 
  • अध्यक्ष: [मुकेश वासवानी]
  • उपाध्यक्ष: [आलोक आहूजा]
  • उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माखीजा 
  • महासचिव: [सुशील कुकरेजा]
  • सचिव [ महेश कुकरेजा ]
  • कोषाध्यक्ष: [मोनू कुकरेजा]
  • मीडिया प्रभारी अमर माखीजा

नवीन नेतृत्व के साथ मंडल समाज सेवा, युवा सशक्तिकरण और सामाजिक विकास के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

संस्था संस्थापक श्रीचंद वलेचा ने नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की शुभकामनाएं दी l

मतदाताओं को जूते-साड़ी का प्रसाद

 

चुनावों में मतदाता को यदि कुछ मिलता है तो उसे प्रलोभन कहना पाप है ,क्योंकि चुनावी मौसम में मतदाता के हिस्से में या तो प्रसाद आता है या फिर आंधी के आम। दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री  अरविंद केजरीवाल के खिलाफ  चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा  के खिलाफ   पुलिस ने मतदाताओं को जूते और साड़ियां बांटने का मामला  दर्ज किया है ,मेरे हिसाब से ये अनुचित है। प्यार और जंग में ही नहीं बल्कि चुनावों में सब कुछ जायज है। मतदाता सूचियों में कटर-ब्योंत तक।

प्रवेश वर्मा कोई फकीर नहीं बल्कि अमीर नेता हैं ।  उनके पिता साहब सिंह  वर्मा भी नेता थे लेकिन प्रवेश वर्मा अपने पिता से इतर अग्निमुखी हिन्दू नेता की छवि रखते है।  वे अरवविंद केजरीवाल के खिलाफ ही नहीं कांग्रेस के सुशील के खिलाफ भी चुनाव लड़ रहे हैं। उनके पास इतना पैसा है कि वे मतदाताओं को जूते और साड़ियां बाँट सकते है।  माघ मास में जबकि प्रयागराज में महाकुम्भ चल रहा है तब मतदाताओं के बीच दान-पुण्य करना कोई बुरी बात नहीं है,लेकिन उनके प्रतिद्व्न्दी दिल जले हैं। चुनाव आयोग के पास पहुँच गए शिकायत लेकर और दायर करा दिया मुकदमा।

केजरीवाल के राज में ही प्रवेश वर्मा की आय चार साल में कई गुना बढ़ गई है। 2019 से लेकर 2020 में आयकर रिटर्न के मामले में प्रवेश वर्मा ने 92 लाख 94 हजार 980 रुपये आय बताई थी। जोकि अब 19 करोड़ 68 लाख 34 हजार 100 रुपये दर्ज की गई है। वहीं,प्रवेश वर्मा की पत्नी की भी आय बढ़ी है। पहले 5 लाख 35 हजार 570 रुपये थी, जोकि 2023-2024 में बढ़कर 91 लाख 99 हजार 560 रुपये दर्ज की गई है। इसलिए प्रवेश को ये हक बनता है कि  वे अपने मतदाताओं को जो चाहें सो दें ,उनका  हाथ  पकड़ना पाप है। केजरीवाल और संदीप दीक्षित जी को किसने रोका है दान-पुण्य करने से ? प्रवेश वर्मा ने चुनाव से पहले जूते, साड़ी, कंबल और पैसे बांटने के आरोपों को खारिज कर दिया। वर्मा ने कहा कि ये आरोप अरविंद केजरीवाल ने हार के डर से लगाए हैं।

प्रवेश वर्मा हालांकि दिल्ली को अपनी माँ कहते हैं लेकिन आम आदमी पार्टी उन्हें भाजपा की और से दिल्ली  का दूल्हा कहती है।  भाजपा पिछले दस साल से दिल्ली के लिए दूल्हे सजाकर लाती है किन्तु दिल्ली की जनता भाजपा की बारात बैरंग लौटा देती है ,लेकिन इस बार भाजपा मप्र,राजस्थान,छग,हरियाणा और महाराष्ट्र जीतने के बाद हर सूरत में दिल्ली को अपना दूल्हा देने पर आमादा है ,और इसीलिए भाजपा जूतों और साड़ियों पर उत्तर आई है। भाजपा अभी और नीचे भी जा सकती है क्योंकि भाजपा को गहरे पानी में उतर कर मोती बीनने की आदत पड़ चुकी है । प्रधानमंत्री मोदी जी के ताज में यही एक मोती लगना बाक़ी है।  

कांग्रेस ने इस चुनाव में अपना दूल्हा पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप दीक्षित को बनाया है। वे अपनी  माँ की पराजय का बदला लेना चाहते हैं। कोई उन्हें रोक नहीं सकता सिवाय दिल्ली की जनता के।  मुमकिन है कि  दीक्षित जी के पास मतदाताओं को देने के लिए जूतों और साड़ियों का प्रसाद न हो इसलिए वे निराश नजर आ रहे हों ,क्योंकि आम आदमी पार्टी के पास चूंकि सत्ता है इसलिए  वो यदि मतदाताओं को केवल वादे ही बाँट दे तो उसका काम चल   जाएगा ,लेकिन प्रवेश वर्मा और संदीप दीक्षित को तो जूते,साड़ी,और शराब  ही नहीं बल्कि पैसा भी बांटना पड़ेगा। मै तो अक्सर सोचता हूँ कि  जन प्रतिनिधित्व क़ानून में संशोधन  कर जूते-चप्पल,साडी,शराब और पैसा बाँटने को विधिक मान्यता मिलना चाहिए, क्योंकि इनके बिना चुनाव होता ही नहीं है।

बहरहाल दिल्ली विधानसभा के चुनाव पर पूरे देश-दुनिया की नजर लगी है क्योंकि ये तीसरा और अंतिम अवसर है भाजपा और कांग्रेस के लिये भी ।  ये चुनाव भी यदि कांग्रेस और भाजपा नहीं जीत पायी तो जहाँ भाजपा का विश्वगुरु बनने का सपना टूट जाएगा वहीं कांग्रेस के लिए भी दिल्ली अभेद्य हो जाएगी। दिल्ली जीते बिना न कांग्रेस का माथा ऊंचा हो सकता है और न भाजपा का।  अब देखते हैं कि  दिल्ली विधानसभा चुनाव में मतदान से पहले कौन-कौन जूतों में दाल बांटता है ,और चुनाव आयोग कितनों के खिलाफ मामले दर्ज करने की औपचारिकता पूरी करता है । क्योंकि चुनाव आयोग  औरदिल्ली  पुलिस में इतना साहस तो है नहीं कि  वो मतदान से पहले प्रवेश वर्मा के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल कराकर उन्हें चुनाव लड़ने से रोक सके।

@ राकेश अचल

कोचिंग क्लासेस की निगरानी करेगी तीसरी आंख

  •  लगाए जाएंगे सीसीटीवी केमरे
  •  कैमरों का एक्सेज संबंधित पुलिस थानों को उपलब्ध कराया जायेगा
  • कलेक्टर श्रीमती चौहान ने दलों का किया गठन

ग्वालियर 16 जनवरी । ग्वालियर शहर की सीमा में संचालित कोचिंग एवं अन्य प्रशिक्षण संस्थानों में सुरक्षा को ध्यान में रखकर अनिवार्यत: सीसीटीव्ही कैमरे लगवाए जायेंगे। साथ ही कैमरों का एक्सेज संबंधित पुलिस थानों को उपलब्ध कराया जायेगा, जिससे कोचिंग संस्थानों की सतत निगरानी हो सके। यह काम कराने के लिये कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने संबंधित एसडीएम के नेतृत्व में चार दल गठित किए हैं। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि सभी दल अपने-अपने क्षेत्र के कोचिंग संस्थानों का निरीक्षण करें और एक हफ्ते के भीतर कोचिंग संचालकों की संयुक्त बैठक लेकर यह काम कराएं।

गत 8 जनवरी को अपर मुख्य सचिव वन श्री अशोक वर्णवाल की अध्यक्षता में आयोजित हुई संभागीय बैठक में कोचिंग संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर दिए गए निर्देशों के पालन में कलेक्टर श्रीमती चौहान द्वारा दलों का गठन किया गया है। एसडीएम लश्कर, मुरार, झांसी रोड़ व एसडीएम ग्वालियर सिटी के नेतृत्व में गठित किए गए इन दलों में संबंधित नगर पुलिस अधीक्षक और नगर निगम के उपायुक्त को शामिल किया गया है। एक माह के भीतर सभी एसडीएम से की गई कार्रवाई का प्रतिवेदन कलेक्टर ने मांगा है। 

कलेक्टर श्रीमती चौहान ने सभी एसडीएम को निर्देश दिए हैं कि जिन कोचिंग संस्थानों में ऐसे स्थानों पर सीसीटीव्ही कैमरे अवश्य लगवाएं, जहाँ से बाहरी क्षेत्र, पार्किंग, छात्र-छात्राओं के अध्ययन व प्रशिक्षण कक्ष तथा कॉरीडोर कैमरों की निगरानी के दायरे में रहे। कैमरों का एक्सेज संबंधित पुलिस थानों को दिया जाए। साथ ही कोचिंग संस्थान में भी माहवार फोल्डर बनाकर सीसीटीव्ही कैमरों का डाटा सुरक्षित रखा जाए, जिससे जरूरत पड़ने पर जाँच एजेंसियां इस डाटा का उपयोग कर सकें। 

उन्होंने सभी दल प्रभारी एसडीएम को निर्देश दिए हैं कि कोचिंग संचालकों की बैठक के माध्यम से कोचिंग में उपलब्ध स्थान, कोचिंग का नक्शा, पूर्व में स्थापित सीसीटीव्ही कैमरों की स्थिति व अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या की वास्तवित जानकारी संकलित करें। ऐसे संस्थान जहां सीसीटीव्ही कैमरे नहीं लगे हैं वहाँ कैमरे लगवाए जाएं। समय-सीमा निर्धारित कर कैमरा लगवाए जाएं। सीसीटीव्ही कैमरों लगवाने के साथ-साथ सुरक्षा संबंधी अन्य निर्देशों का पालन कराने के निर्देश भी कलेक्टर ने सभी एसडीएम को दिए। 

कलेक्टर ने सभी एसडीएम को कोचिंग संस्थानों की सूची व कार्रवाई की जानकारी का फोल्डर अपने-अपने कार्यालय में संधारित करने के निर्देश दिए हैं। 

सच्ची आजादी और झूठी आजादी का द्वन्द

 हम अजीब देश में जन्मे हैं ,जहां आजादी को भी झूठा और सच्चा कहा जा रहा है। मुझे फक्र है कि मै एक आजाद और धर्मनिरपेक्ष हिंदुस्तान में जन्मा हूँ। लेकिन मुझसे 9  साल पहले जन्मे आरएसएस के प्रमुख डॉ मोहन भागवत को ये गर्व नहीं है। उन्हें शायद मलाल है कि  वे 2014  के बाद क्यों नहीं जन्मे ।  उन्हें कायदे से 2014  के बाद जन्म लेना था ,क्योंकि उनके हिसाब से 15  अगस्त 1947  को मिली आजादी झूठी आजादी थी ,डॉ भागवत कहते हैं  कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को प्रतिष्ठा द्वादशी के तौर पर मनाया जाना चाहिए , इसे ही भारत का 'सच्चा स्वतंत्रता' दिवस मानना चाहिए।

आजादी को लेकर कौन -क्या सोचता है इसका आधार राम मंदिर बनने के बाद की आजादी से हासिल नहीं हुआ बल्कि ये अभिव्यक्ति की आजादी डॉ भागवत समेत देश के असंख्य भारतीयों को 15  अगस्त 1947  को मिली आजादी के बाद  मिली है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सही कहते हैं कि  डॉ भागवत किसी और दूसरे मुल्क में देश की आजादी को सच्चा-झूठा कहते तो देशद्रोह के आरोप में जेल के सींखचों के पीछे होते। लेकिन दूसरे देश में डॉ भागवत जैसों को जन्म मिलता ही क्यो।  

दरअसल गलती डॉ मोहन भागवत की नहीं है ।  गलती साबरमती के उस संत की है जिसने डॉ मोहन भागवत और देश के तमाम संघियों को आजादी बिना खड्ग ,बिना ढाल उठाये दे दी।दुनिया इस आजादी को कमाल मानती है लेकिन डॉ मोहन भागवत और उनके संगी-साथी अपने आपको राम मंदिर बनने के बाद आजाद मानते हैं। डॉ भागवत को संविधान ऐसी छूट नहीं देता  लेकिन संघ देता है जिसका भारत के संविधान से की लेना-देना नहीं है। चंद्रपुर महाराष्ट्र के इस संत को कौन समझाये  कि   साबरमती के संत के नेतृत्व में मिली आजादी का ही सुफल है कि  डॉ मोहन भागवत को न जेल जाना पड़ा, न अंग्रेजों की लाठियां खाना पड़ीं और घर बैठे आजादी मिल गयी।

राजनीति में उठा-पटक चलती है। उंच-नीच चलती है। हास -परिहास चलता है।  बडबुकता चलती है, लेकिन मूर्खता का कोई स्थान नहीं होता,किन्तु माननीय डॉ मोहन भगवत में सच्ची आजादी को झूठी आजादी बताकर राजनीति में मूर्खता को भी स्थापित कर दिया है।  मुझे डॉ भागवत की समझ पर कोई हैरानी नहीं है । वे पशु चिकित्स्क  हैं,उन्होंने इतिहास,भूगोल पढ़ा ही नहीं है । उन्हें क्या पता कि  आजादी कब मिली और कब नहीं ? मै राहुल गाँधी की तरह डॉ भागवत से ख़फ़ा भी नहीं हूँ ,क्योंकि मै जानता हूँ कि  डॉ भागवत ने वही कहा है जो उनके संस्कारों में शामिल है।  जो डॉ भागवत ने कहा है वो ही देश के प्रधानमंत्री कहेंगे और वो ही गृह मंत्री।  देश की सच्ची आजादी को झूठी आजादी कहना संघमित्रों की विवशता है। इसलिए उन्हें क्षमा कर दिया जाना चाहिए।

कांग्रेस की राजनीति से आपकी या मेरी सहमति  और असहमति हो सकती है लेकिन 15  अगस्त 1947  को मिली आजादी से हमारी-आपकी कोई असहमति नहीं हो सकती ,क्योंकि उस दिन हमें जो आजादी मिली उसका मोल लगाना आज के संघमित्रों के बूते की बात नहीं है ।  उनकी विरासत में एक दो सावरकरों ,नाथूरामों को छोड़कर कोई भगत सिंह, कोई सुभासचन्द्र  बोस, कोई गाँधी,कोई पटेल ,कोई नेहरू है ही नहीं। जो हैं वे ज़्यदातर माफीवीर हैं। वे आजादी की कीमत देने की स्थिति में कभी रहे ही नहीं। हमारे दादा कहा करते थे कि  ' बंदर को अदरक का स्वाद ' पता नहीं होता। शाखामृगों के साथ भी यही विडंबना है,वे आजादी का स्वाद नहीं जानते। देश में एक बार लागू किया गया आपातकाल   भी इन शाखामृगों को आजादी का अर्थ नहीं समझा सका ,हालाँकि आपातकाल एक अधिनायकवादी कदम था। मै क्या कोई भी उसका समर्थन नहीं करता।

आजादी को नकारने वाले और द्वादशी को सच्ची आजादी का दिन मानने वाले डॉ मोहन भागवत को चाहिए कि  वे देश से समय रहते माफ़ी मांग लें ।  न मांगे तो उनकी मर्जी ,लेकिन मै चूंकि  उनका भी शुभचिंतक हूँ  इसलिए उन्हें नेक सलाह दे रहा हूँ,क्योंकि उनके शाखामृगों में से किसी एक भी हिम्मत नहीं है जो उन्हें ऐसी नेक सलाह दे सके।  वे तो उसी रास्ते पर चलकर ' नमस्ते सदा वतस्ले ' करेंगे जिस रास्ते पर उन्हें हांका जाएगा। ये मौक़ा है जब संघ की शखाओं में बंधक वे तमाम शाखामृग  बाहर निकल सकते है।  जो आजादी का सही  अर्थ समझते है।  जो शहीदों का सम्मान करते हैं। जो अंधे नहीं हैं।

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को शाबासी दी जाना चाहिए कि  उन्होंने डॉ भागवत के बयान का संज्ञान लिया और देश को बताया कि  आजादी पर टीका करने वाला नासमझ व्यक्ति कौन है ।  भाजपा और संघ  के तमाम नेताओं ने डॉ भागवत की गलती पर बोलने के बजाय राहुल गांधी पर सामूहिक हमला बोला है ये कहते हुए कि  वे भारत से ही लड़ रहे है। राहुल गाँधी ने कहा है कि  वे संघ,भाजपा और इंडियन स्टेट से लड़ रहे हैं। निसंदेह राहुल गाँधी के कथन में स्पष्टता नहीं है।   वे किस इंडियन स्टेट की बात कर रहे हैं ,ये उन्हें स्पष्ट करना चाहिए । हालाँकि जहाँ तक मेरी समझ में आया है वे डबल इंजिन की सरकारों वाले राज्यों  की बात कर रहे होंगे। राहुल गाँधी , डॉ भागवत की तरह देश की आजादी को सच्चा-झूठा नहीं कह सकते,क्योंकि उनके पूर्वजों ने आजादी से पहले भी कुर्बानियां दिन और आजादी के बाद भी।

बहरहाल डॉ मोहन भागवत ने देश में महाकुम्भ के चलते एक मूर्खतापूर्ण बयान देकर देशवासियों का मजा किरकिरा कर दिया है। उन्होंने किसानों के आंदोलन की खबर को भी दबा दिया है ।  वे दिल्ली विधानसभा चुनावों में बिधूड़ी की मौजूदगी पर भी पर्दा डालने में कामयाब रहे हैं। डॉ मोहन भागवत की भागवत में ऐसे प्रसंग आते रहेंगे, इसके लिए देशवासियों को तैयार  रहना चाहिए । संघ का काम ही सच को झूठ और झूठ को सच बताने का है। ये काम करने में संघमित्र सिद्धहस्त हैं,पारंगत हैं। दुनिया के तमाम झूठे लोग संघ के समाने बौने हैं। मुझे यकीन है कि  देशवासी डॉ मोहन भागवत के कहने के बाद भी 15  अगस्त को सवतंतता दिवस मनाना नहीं भूलेंगे। ये भूल डॉ भागवत भले  ही कर दें किन्तु प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दस मोदी भी ये गलती करने वाले नहीं है कि  वे भारत का स्वतांत्रता दिवस  15  अगस्त से बदलकर 05  अगस्त द्वादसी कर दें। शहरों,स्टेशनों,सरायों के नाम बदलना आसान है लेकिन किसी देश का स्वतंत्रता दिसवस बदलना असम्भव है।

@ राकेश अचल

कड़ाके की ठंड , 16 जनवरी स्कूलों की छुट्टी

आंगनबाड़ी के बच्चों के लिये भी इस दिन छुट्टी रहेगी


ग्वालियर 15 जनवरी। शीत लहर की वजह से सर्दी बढ़ने और बारिश की संभावना को ध्यान में रखकर जिले में केजी-नर्सरी से लेकर आठवी कक्षा तक के स्कूली बच्चों के लिए 16 जनवरी को अवकाश घोषित किया गया है। साथ ही आंगनबाड़ी के बच्चों के लिये भी इस दिन छुट्टी रहेगी। 

बच्चों को ठंड से बचाने के उद्देश्य से कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी श्री अजय कटियार एवं सहायक संचालक महिला बाल विकास श्री राहुल पाठक द्वारा अलग-अलग आदेश जारी किए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी किया गया आदेश स्कूल शिक्षा विभाग, आईसीएससी व सीबीएसई के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों पर लागू होगा। आदेश में यह भी उल्लेख है कि परीक्षाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यथावत चलती रहेंगी। 

कांग्रेस का नया ठिकाना क्या अब भविष्य भी बदलेगा ​?



देश की 140  साल पुरानी कांग्रेस पार्टी का पता 46 साल बाद बदला है. अब कांग्रेस 24 अकबर रोड पर नहीं, बल्कि 9A कोटला रोड पर मिलेगी. सवाल ये है कि क्या ठिकाना बदलने से कांग्रेस की तकदीर भी बदल सकती है या नहीं l

कुम्भ से पूछिए ,हिन्दू धर्म को खतरा कहाँ है ?

 

प्रयागराज में चल रहे महाकुम्भ को देखकर मन में आता है कि जब देश में धर्म की रक्षा के लिए इतने साधू-संत,अखाड़े और शृद्धालु मौजूद हैं तो इस देश में हिन्दू धर्म को खतरा कहाँ है ? क्यों भारतीय जनता पार्टी और उस जैसे तमाम राजनीतिक और गैर राजनीतिक संगठनों ने धर्म की रक्षा के लिए अपने घोड़े खोल रखे हैं ?। जैसा कुम्भ भारत में उपलब्ध है, वैसा तो दुनिया में कहीं और है नहीं।

दरअसल धर्म के खतरे में होने की बात कभी हिन्दू धर्म के लिए जीवन समर्पित करने वाले साधू-संतों की और से की ही नहीं गयी। ये नारा तो नेताओं का नारा है और कुछ धर्माचार्य इस नारे का निनाद करने लगे ,क्योंकि उन्हें इसी में अपना भविष्य नजर आने लगा। हिन्दुस्तान में अघोषित रूप से हिन्दुओं की संख्या सबसे ज्यादा  है ,फिर भी आजादी के बाद हिंदुत्व की उदारता की वजह से भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित नहीं किया गया,जबकि 1947  में भी हिन्दू धर्म की ध्वजा उठाने वाले चारों शंकराचार्य और 13  अखाड़े मौजूद थे। इन सभी ने देश की आजादी के लिए उतनी लड़ाई नहीं लड़ी जितनी सार्वजनिक जीवन में काम करने वाले दूसरे नेताओं ने लड़ी ।  महात्मा गाँधी ने लड़ी ,नेताजी सुभास चंद्र बोस ने लड़ी,भगत सिंह ने लड़ी। असंख्य भारतियों ने लड़ी। लेकिन किसी ने ' धर्म खतरे में है ' का नारा न आजादी के पहले दिया और न आजादी के बाद दिया।

महाकुम्भ का नजारा देखकर मुझे कभी लगता ही नहीं कि  भारत में हिन्दू धर्म को किसी से भी कोई खतरा है। हिन्दू धर्म की रक्षा करने के लिए अभी तक तो केवल शैव,वैष्णव और उदासीन अखाड़े ही थे लेकिन अब इनमें किन्नरों का अखाड़ा भी शामिल हो गया है भले ही अभी इस नए अखाड़े को अखाड़ा परिषद ने मान्यता नहीं दी है। इन अखाड़े  से जुड़े असंख्य साधू-सन्यासी धर्म की रक्षा के लिए ही सांस ले रहे हैं।  इनकी संख्या भारत की सशस्त्र सेना से ज्यादा है। लेकिन ये साधू समाज भी कभी किसी दूसरे धर्म के पूजाघर गिराने के लिए सामने नहीं आये ।  अयोध्या में बाबरी मस्जिद इन धूतों-अवधूतों ने नहीं बल्कि भाजपा कार्यकर्ताओं और बजरंगियों ने गिराई थी।

हिन्दू धर्म के खतरे में होने की बात कम से कम मेरे तो गले नहीं उतरती ,हिन्दू धर्म यदि इतने बड़े फ़ौज-फांटे के रहते हुए यदि खतरे में है तो इस धर्म के होने या न होने का कोई मतलब नहीं है। इस समय मै प्रयागराज में नहीं होकर भी ,वहीं हूँ ।  लगभग सभी टीवी चैनलों के जरिये बाबाओं के उद्घोष सुन रहा हू।  पढ़े-लिखे और अनपढ़ सभी किस्म के बाबा कहते हैं कि  वे तो विश्व कल्याण के लिए साधनारत हैं ,लेकिन उनकी कठोर साधना का प्रतिफल विश्व को तो छोड़िये भारत को ही नहीं मिल पा रहा है।  इतने प्राचीन और विशाल धर्म के होते हुए भी इस देश में नफरत की आंधियां चल रहीं है।  भय का वातावरण है।

हैरानी तो इस बात की होती है कि  देश का ये विशाल साधक समुदाय हिन्दू धर्म के अपहृत्त होने के खिलाफ अपनी धर्म ध्वजाएं नहीं उठाता ।  कोई अखाड़ा किसी रजनीतिक दल से नहीं पूछता कि उनके रहते  हिन्दू धर्म को खतरे में क्यों बताये जा रहा है ? क्यों हिंदुओं के नाम पर वोट मांगा जा रहा है ।  क्यों किसी ने अपने आपको हिन्दू धर्म का स्वयंभू ठेकदार घोषित कर रखा है ? महाकुम्भ में आम आदमी भी आ रहा है और ख़ास आदमी भी ।  आम आदमी के लिए यहां जितने इंतजाम हैं उससे कहीं ज्यादा और बेहतर इंतजाम ख़ास आदमी के लिए हैं।  अखाड़ों में भी देशी भक्तों की वजाय विदेशी भक्तों की पूछ-परख है। कोई यहाँ केवल पुण्य प्राप्ति के लिए आ रहा है तो कोई अपने घोषित और अघोषित पाप धोने के लिए। गंगा को मैला सभी कर रहे हैं। दुनिया में कौन सी ऐसी पुण्य सलिला है जो एक दिन में दो से ढाई करोड़ से ज्यादा आबादी का पाप धो दे ?

महाकुम्भ को लेकर जितने सवाल मेरे मन में पैदा हो रहे हैं उतने सवाल आपके मन में शायद पैदा न हों क्योंकि आप इस महा आयोजन के प्रति केवल शृद्धा से भरे हैं।  शृद्धा से मै भी भरा हू।  किन्तु मै प्रश्नाकुल हूँ।  हमारा मीडिया प्रश्नाकुल नहीं है ।हमारा मीडिया,हमारी सरकार,हमारी जनता इस समय भाव-विभोर है । आल्हादित है ।  उसे महाकुम्भ के सामने इस समय न दिल्ली के षणयंत्र दिख रहे हैं और न किसानों का आंदोलन। उसे न डालर के मुकाबले भारतीय रूपये की कुगति दिख रही है और न भारत की सम्प्रभुता पर मंडराते खतरे। पूरा देश इस समय धर्म की हिलोरें ले रहा है ।  केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि अब तो बंगाल की सरकार भी धर्म का धंधा करने पर उत्तर आयी है।  बंगाल की सरकार ने महाकुम्भ के जबाब में गंगासागर स्नान के लिए दो-दो पेज के विज्ञापनों से देश के सभी भाषाओँ के अखबार पाट दिए हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी को लगता है कि  एक अकेले उत्तर प्रदेश के मुख्य्मंत्री योगी आदित्यनाथ धर्म के ठेकेदार क्यों बने रहें ?

बहरहाल यदि आपको मेरी बात पर भरोसा है तो निश्चिन्त हो जाइये हिन्दू धर्म को लेकर। हिन्दू धर्म को देश में कोई खतरा नहीं है

है ।  खतरे में हैं तो केवल राजनीतिक दल और उनके नेता और ये ही देश के लिए सबसे  बड़े खतरा हैं। लेकिन मुश्किल ये है कि  न आप नेताओं से बच सकते हैं और न नाग-धड़ंग बाबाओं से। बाबा जहाँ त्याग की प्रतिमूर्ति हैं,वहीं उनके महंत और महा-मांडलेश्वर तथा   नेता लूट-खसोट और भ्र्ष्टाचार की प्रतिमूर्ति।कुल मिलाकर  हर-हर महादेव बोलिये और अपने ज्ञानचक्षु खोलिये।

@ राकेश अचल

छात्रवृत्ति में फर्जीवाडा करने वालों पर हो कार्यवाही : महेश मदुरिया

दलित आदिवासी महापंचायत के प्रांतीय अध्यक्ष ने लगाया आरोप 

ग्वालियर/दो कुलपति सहित 18 प्रोफेसर पर ईडब्ल्यूएस में प्रकरण दर्ज हुआ है तो फिर सबलगढ़ जिला मुरैना में शिव शक्ति के नाम से संचालित कॉलेज द्वारा करोड़ों रुपए की फर्जी छात्रवृत्ति भी प्राप्त की है इस फर्जी छात्रवृत्ति घोटाले में भी आदमी जाति कल्याण विभाग के जिला संयोजक बैंक मैनेजर और नोडल संस्था और कॉलेज के मालिक भी शामिल हैं इसलिए फर्जी छात्रवृत्ति घोटाले के आरोप में इनको निलंबित कर एफ आई आर दर्ज की जाए क्योंकि जब फर्जी कल संचालित था तो आदिम जाति कल्याण विभाग ने छात्रवृत्ति की राशि क्यों भेजी गई इस छात्रवृत्ति घोटाले में कॉलेज द्वारा फॉर्म मांगे जाते हैं नोडल अधिकारी छात्रवृत्ति स्वीकृत करता है उसके बाद आदिम जाति कल्याण विभाग का जिला संयोजक छात्रवृत्ति की स्वीकृत राशि को संबंधित बैंक शाखा में भेजा जाता है इस प्रकार फर्जी छात्रवृत्ति में यह सभी दोषी है जब से कॉलेज फर्जी संचालित हो रहा था तब से लेकर आज तक की जांच करते हुए कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए

ग्वालियर से प्रकाशित दैनिक भास्कर 14 जनवरी 2025 के अंक में प्रकाशित खबर ईओडब्ल्यू मुरैना के झुंडपुरा में 2012 से कागजों में शिव शक्ति कॉलेज दीक्षा लेते रहे स्कॉलरशिप जो  कॉलेज था नहीं उसके निरीक्षण व सबंद्धता के मामले में के मामले में दो कुलपति समेत 17 प्रोफेसर पर F I R

इसलिए अब आवश्यक है की कॉलेज को फर्जी मानता देने के आरोप में तो कुलपति और प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है और इन्हे निलंबित भी किया जाए विभागीय जांच भी संस्थापित की जाए  l

दलित आदिवासी महापंचायत (Dam-दाम) के प्रांतीय अध्यक्ष महेश मंददुरिया ने तीव्र रोज व्यक्त करते हुए मांग की है कि जिन्होंने छात्रवृत्ति के लिए फार्म भरवाऐ गए उन कॉलेज के प्राचार्यों के जो छात्रवृत्ति स्वीकृत करते हैं प्राचार्यों आदिम जाति कल्याण विभाग जिला मुरैना के जिला संयोजक तथा जीन बैंक शाखों में छात्रवृत्ति की राशि भेजी गई उसके कर्मचारी और बैंक प्रबंधक के खिलाफ खिलाफ निलंबन की कार्रवाई कर विभागीय जांच संस्थापित की जाए  l साथी कहा की दलित आदिवासी वर्ग के विधायक सांसद तथा दलित और आदिवासी वर्ग के सामाजिक संगठन अधिकारी कर्मचारी संगठनों को भी इसमें आगे आए और फर्जी छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई कराने  की  पहल करे I क्योंकि यह दलित आदिवासियों के बजट का ही पैसा है l

मप्र में शराबबंदी की सुगबुगाहट

मप्र में शराबबंदी को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गयी है ,हालांकि ये शराबबंदी अभी केवल प्रदेश के धार्मिक महत्व के गिने-चुने शहरों में ही करने की बात की जा रही है। मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्य सरकार नीति में सुधार कर, धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू करने पर विचार कर रही है। इस संबंध में साधु-संतों द्वारा दिए गए सुझावों पर राज्य सरकार गंभीर है। धार्मिक नगरों का वातावरण प्रभावित होने संबंधी शिकायतें प्राप्त होती रहती हैं। हमारा प्रयास है कि इन नगरों की पवित्रता अक्षुण्ण रहे। अत: राज्य सरकार जल्द ही निर्णय लेकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी। 

मप्र में पूर्ण शराबबंदी एक पुराना मुद्दा है।  प्रदेश में दो दशक से ज्यादा से सत्तारूढ़ भाजपा की सरकार इस मामले में कोई ठोस फैसला नहीं कर पायी । इस असमंजस   के पीछे आबकारी से मिलने वाला राजस्व है जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है।  प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री  उमा भर्ती जब खुद 9  माह मुख्यमंत्री रहीं तब प्रदेश में शराबबंदी लागू नहीं कर पायीं थीं ,लेकिन पद से हटने के बाद उन्हें शराबबंदी की याद आयी तो वे इस मुद्दे को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ आक्रामक हो गयीं थी।  उन्होंने आंदोलन भी किये और भोपाल में शराब की दूकान पर  पथराव भी किया। लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने न शराबबंदी की और न ही शराब की नीति को कडा बनाया उलटे उन्होंने शराब की बिक्री के नए रास्ते और खोल दिए वो भी शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाये बिना। 

आपको बता दूँ कि मध्य प्रदेश में इस साल आबकारी राजस्व में रिकॉर्ड बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. राज्य की 3600 कंपोजिट शराब की दुकानों का निष्पादन 931 समूहों में किया गया, जिससे 13,914 करोड़ रुपये का राजस्व मिला जोकि पिछले वित्त साल 2023-24 के मुकाबले 12,353 करोड़ रुपये से 12.63 फीसदी ज्यादा है। यानि आबकारी कारोबार प्रदेश की सरकार के लिए कल्पवृक्ष की तरह है ,जिसे कोई त्यागना नहीं चाहता। मौजूदा मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के लिए भी ये आसान नहीं है ,लेकिन उन्होंने लोकप्रियता हासिल करने के लिए प्रदेश के गिने चुने शहरों में शराबबंदी लागू करने का मन बनाया है ।  वे सिंघस्थ से पहले उज्जैन और ओंमकारेश्वर में शराबबंदी लागू करना चाहते हैं ।  मुमकिन है कि  बाद में इस फेहरिस्त और भी शहरों के नाम जोड़ दिए जाएँ। 

मप्र सरकार पिछले दिनों राजस्व के एक बड़े स्रोत परिवहन विभाग से छेड़छाड़ कर पछता रही है ।  केंद्रीय भूतल -परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के दबाब के बाद मप्र सरकार ने प्रदेश से परिवहन  चौकियों को हटा दिया था ,लेकिन कुछ ही महीनों बाद अवैध रूप से अघोषित चौकियां शुरू कर दी गयी ।  ये वो ही परिवहन विभाग है इसके एक पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा के घर से ईडी और सीबीआई ने पिछले दिनों 54  किलो सोना और करोड़ों की नगदी बरामद की थी। इस अवैध वसूली में प्रदेश के अनेक मंत्रियों,विधायकों और नौकरशाहों के नाम लिए जा रहे हैं लेकिन सरकार की बदनामी के कारण जांच की रफ्तार धीमी कर दी गयी है।वैसे प्रदेश में भाजपा कि पूर्व विधायक   के घर से भी 14  किलो सोना मिल चुका है।  

जग -जाहिर है के  परिवहन की तरह ही आबकारी विभाग भी अवैध  और वैध कमाई का एक बड़ा स्रोत है। यहां सब काम खराम-खरामा चलता है ।  नीचे से ऊपर तक पैसा आता-जाता है। प्रदेश की आबकारी नीति हमेशा ठेकेदारों के हिसाब से तय की जाती है ,रुपयों का लेन-देन होता है किन्तु प्रदेश के किसी मुख्यमंत्री के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके अरविंद केजरीवाल की तरह कोई मुकदमा दर्ज नहीं होता । कोई गिरफ्तारी नहीं होती ,कोई छापा नहीं डाला जाता। 

प्रदेश में हर जिले में वृन्दावन बसाने का सपना   देखने वाले मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सत्ता में आने के बाद शराब से आमदनी कम नहीं हुई बल्कि बढ़ी  है। एमपी में शराब की दुकानों के निष्पादन से साल 2023-24 में केवल 3.7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी, यह वृद्धि साल 2022-23 में 11.5 प्रतिशत और साल 2021-22 में 9.06 प्रतिशत थी. इससे जाहिर होता है कि साल 2024-25 की प्राप्त 12.6 प्रतिशत की वृद्धि पिछले सालों के मुकाबले ज्यादा है।  ऐसे में यदि मप्र सरकार शराबबंदी की और कदम उठाती है तो उसे कोई नुक्सान होने वाला नहीं है क्योंकि देश में जहाँ भी शराबबंदी है वहां शराब का समानांतर कारोबार वैध कारोबार से ज्यादा राजस्व दे रहा है। ये राजस्व सरकारी खजाने में न जाकर नेताओं और नौकरशाही के पास जाता है। 

जानकार बताते हैं के  सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए इस वर्ष की आबकारी नीति में आंशिक परिवर्तन किये जा सकते हैं ताकि उज्जैन और ओमकारेश्र को पवित्र नगरी बताकर वहां शराबबंदी की जा सके ,लेकिन इन दोनों ही शहरों में शराब की आवक रोकने के लिए सरकार कुछ कर पाएगी ,ये कहना कठिन है। शराबबंदी भारत जैसे देश की जरूरत हो सकती है किन्तु किसी सरकार की जरूरत नहीं है ।  बिहार और गुजरात जैसे प्रदेशों में शराबबंदी के बावजूद पियक्क्ड़ों के लिए कोई संकट नहीं है। शराब दूसरे रास्तों से आसानी से मिल ही जाती है। पूर्ण शराबबंदी महात्मा गांधी के पदचिन्हों पर चलने वाली कांग्रेस भी नहीं करा पायी थी ,तब कांग्रेस के पदचिन्हों पर चलने वाली भाजपा शराबबंदी कैसे कर पायेगी ,विचारणीय प्रश्न है। वैसे यदि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव प्रदेश में आंशिक शराबबंदी  करा  पाएं तो ये उनकी एक बड़ी उपलब्धि हो सकती है। इस मुद्दे पर उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती समेत बहुत से संत-महंतों का और लाड़ली बहनों का भी समर्थन मिल सकता है।वैसे मै दुनिया के जितने भी देशों में गया हूँ वहां मुझे भले ही दवा न मिली हो लेकिन शराब जरूर मिली है। 

@ राकेश अचल

लोहड़ी आज, मकर संक्रांति मनेगी कल

 


 इस बार पौष पूर्णिमा के दिन मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर 13 जनवरी सोमवार को लोहड़ी पर्व बड़े धूम धाम से मनाया जाएगा।इसी के साथ माघ स्नान प्रारंभ हो जाएगा।

वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया लोहड़ी और मकर संक्रांति के बाद से  ही रातें छोटी होने लगती है और दिन बड़े होने लगते हैं दिन तिल तिल कर बड़े होते हैं। सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण गति प्रारंभ कर देता है। और छः माह तक उत्तरायण रहता है । 

लोहड़ी का  त्यौहार  अधिकतर मकर संक्रांति से एक दिन पहले उसकी पूर्वसंध्या पर हर्षोउल्लास के साथ मनाते है।

पंजाब प्रांत से लोहड़ी पर्व विशेष रूप से महत्व रखता है।

पारंपरिक तौर से ये त्यौहार फसल की बुआई और कटाई से जुड़ा हुआ है और इसे लोग संध्या के समय अग्नि के चारों तरफ नाचते-गाते मनाते हैं। लोहड़ी की अग्नि में गुड़, तिल, रेवड़ी, गजक आदि डालने के बाद इन्हे अपने परिवार एवं रिश्तेदारों के साथ बांटने की परंपरा है, साथ ही तिल के लड्डू भी बांटे जाते हैं। 

पंजाब में फसल की कटाई के दौरान लोहड़ी को मनाने का विधान रहा है और यह मूल रूप से फसलों की कटाई का उत्सव है। इस दिन रबी की फसल को आग में समर्पित कर सूर्य देव और अग्नि का आभार प्रकट  करने की परंपरा  है  किसान फसल की उन्नति की कामना करते हैं।

लोहड़ी का पर्व मनाने के पीछे मान्यता है कि आने वाली पीढियां अपने रीति-रिवाजों एवं परम्पराओं को आगे ले जा सकें। जनवरी माह में काफ़ी ठंड होती है ऐसे में आग जलाने से शरीर को गर्मी मिलती है वहीं गुड़, तिल, गजक, मूंगफली आदि के खाने से शरीर को कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं।

 जैन ने बताया सूर्य 14 जनवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे इसी मकर में प्रवेश  को यानी संक्रमण को मकर संक्रांति कहा जाता है।ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2025 मंगलवार के दिन मनाया जाएगा।तिथि को लेकर कोई झमेला नहीं है 

14 जनवरी  मंगलवार के दिन संक्रांति का पुण्य काल सुबह 09:03 बजे से शाम 05:47 बजे तक चलता रहेगा इस का कुल समय 08 घंटे 43 मिनट रहेगा।

और महा पुण्य काल सुबह 09:03 बजे से 10:50 बजे तक श्रेष्ठ  समय रहेगा । इस की कुल अवधि 01 घंटा 47 मिनट होगी।

दान पुण्य पूरे दिन भर चलेगा

जैन ने कहा ज्योतिष शास्त्र व अन्य शास्त्रों में मकर संक्रांति का महत्व काफी ज्यादा है। महाभारत काल में भीष्म पितामह जब बाणों की शैय्या पर लेटे हुए थे तब उन्होंने मकर संक्रांति तक अपने प्राणों को बचाकर रखा था। उन्होंने अपना देह त्यागने के लिए उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा की थी। मकर संक्रांति पर उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए थे। ऐसा मान्यता है कि जो कोई भी मकर संक्रांति यानी उत्तरायण के दिन देह त्यागता है। दरअसल, गीता में बताया गया है कि उत्तरायण के छह महीने में जो शुक्ल पक्ष की तिथि में जो व्यक्ति देह का त्याग करता है वह जन्म मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है और मोक्ष का प्राप्त करता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन सूर्य अपने पुत्र शनिदेव की राशि यानी मकर में पूरे एक महीने के लिए रहते हैं। दरअसल, सूर्य और शनि के बीच शत्रुता के संबंध है। ऐसे में इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि, इस दिन पिता और पुत्र का मिलन हुआ था I 

Featured Post

धर्म का धंधा सबसे चोखा धंधा

  यदि आप निवेश करने की सोच रहे हैं तो एसआईपी,एफडी ,शेयर बाजार के फेर में न पड़े।  निवेश के लिए कलियुग में धर्म का क्षेत्र सबसे ज्यादा सुरक्षि...