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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

बिहार की सत्ता किसका आहार बनेगी ?

 

शीर्षक चौंकाने वाला जरूर है लेकिन है हकीकत के ठीक  करीब। दरअसल अगली छमाही में होने वाले विधानसभा चुनाव के जरिये सत्ता हथियाने के लिए सबसे ज्यादा भाजपा लालायित है। भाजपा अब गबरू जवान पार्टी है। पूरे 45  में चल रही है और बिहार की सत्ता का स्वाद उसे अभी तक नहीं मिला है ,मिला भी है तो पूरा नहीं मिला। बिहार   से कांग्रेस को भी सत्ता से हटे कोई 34  साल हो चले हैं ,लेकिन कांग्रेस ने भाजपा की तरह बिहार की सत्ता के अपहरण की कोई कोशिश अब तक नहीं की है। बिहार में चुनाव से ठीक पहले जेडीयू-भाजपा गठबंधन की सरकार के अंतिम मंत्रिमडलीय फेरबदल ने साफ़ कर दिया है कि आगे क्या होने वाला है ?

नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के अंतिम फेरबदल में 7  नए मंत्री शामिल किये गए,लेकिन इनमें  नीतीश बाबू की अपनी पार्टी का एक भी सदस्य नहीं है।  जाहिर है कि  नीतीश बाबू एक असहाय मुख्यमंत्री हैं और उन्हें भाजपा के इशारों पर कठपुतली नृत्य करना पड़ रहा है। इस समय नीतीश बाबू की स्थिति ' सांप-छछूंदर जैसी हो गयी है।  वे न भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं और न साथ रह सकते हैं ,क्योंकि साथ रहने में जेडीयू के हर सदस्य का दम घुट रहा है।साफ़ दिखाई दे रहा है कि  भाजपा नीतीश बाबू को बिहार का एकनाथ शिंदे बनाने जा रही है ,लेकिन क्या नीतीश बाबू इतनी आसानी से अपनी कुर्बानी दे देंगे ,इसमें मुझे और मेरे जैसे तमाम लोगों को संदेह है। 

आपको याद होगा कि  नितीश बाबू जेपी आंदोलन की पैदाइश हैं।  वे पहली बार 3  मार्च 2000  को मुख्यमंत्री बने थे किन्तु केवल 7  दिन के लिए। उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनने के लिए 3  साल 360  दिन की लम्बी प्रतीक्षा करना पड़ी थी। दूसरी बार नीतीश बाबू 8  साल 177  दिन तक मुख्य मंत्री रह पाए लेकिन उनकी बैशखियाँ   बदलती रहीं।  उन्हें 20  मई 2014  को 278  दिन के लिए अपना सिंघासन जीतन राम माझी को सौंपना पड़ा ,लेकिन सत्ता के बिना एक पल न रह पाने वाले नीयतीश बाबू शांत नहीं बैठे और 22  फरवरी 2015  को दोबारा मुख्यमंत्री बन गए। तब से अब तक दस साल तो निकल चुके हैं ,लेकिन अब उनका सत्ता में बने रहना संदिग्ध दिखाई दे रहा है। 

बिहार  के लिए नीतीश बाबू एक जरूरत हैं या एक मजबूरी, ये तय कर पाना मुश्किल है ,क्योंकि वे इतनी करवटें बदलते हैं कि  उन्हें कोई पल्टूराम कहता है तो कोई गिरगिट। 2025  में प्रस्तावित बिहार विधानसभा के चुनाव से ठीक पहले नीतीश बाबू एक और करवट नहीं लेंगे ,इसकी कोई गारंटी नहीं है ।  फिलहाल वे भाजपा के साथ हैं और नतमस्तक भी हैं ,लेकिन भाजपा नितीश  बाबू को भविष्य में मुख्यमंत्री बनते नहीं देखना चाहती। भाजपा की कोशिश है कि  इस बार बिहार उसका हो। हरियाणा,महाराष्ट्र और दिल्ली जीतने के बाद भाजपा का हौसला बढ़ा हुआ है। इस बार सनातन के नव-जागरण का सेहरा भी भाजपा ने महाकुम्भ की कथित कामयाबी के साथ ही अपने सर पर बांध लिया है। इसलिए भाजपा नीतीश बाबू को अपनी शर्तों पर नचा रही है।

राजनीति में भविष्यवाणी से ज्यादा अटकलें काम करती हैं और सही भी साबित होतीं है।  मेरा अनुमान ये है कि  बिहार विधानसभा चुनाव से पहले या तो जेडीयू टूट जाएगी या फिर नीतीश बाबो खुद भाजपा छोड़ एक बार फिर राजद के साथ खड़े नजर आएंगे ,क्योंकि उन्हें अब अपने  नहीं ,बल्कि अपने बेटे निशांत के भविष्य की चिंता है। निशांत पहली बार राज्य की राजनीति में सक्रिय हुए हैं और उन्होंने आते ही अपने पिता को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने के लिए लॉबिंग करना शुरू कर दिया है। हालाँकि भाजपा संसद संजय जायसवाल ने कहा है कि  नीतीश बाबू ही मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे लेकिन कोई संजय की बात पर यकीन करने को तैयार नहीं है। 

बार की राजनीति कुछ-कुछ झारखण्ड की राजनीति से मिलती जुलती है। झारखण्ड में हाल ही के विधानसभा चुनाव में भाजपा पराजित होकर निकली है। वहां  आईएनडीआईए गठबंधन की जीत हुई है ,लेकिन भाजपा बिहार को झारखंड   नहीं बनने देना चाहती। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और  अमित शाह कीपूरी कोशिश है की इस बार हर हाल में बिहार में भाजपा की सरकार  बनना चाहिए अन्यथा भाजपा का चक्रवर्ती बनने का सपना यहीं टूट जाएगा। बिहार में आईएनडीआईए गठबंधन फिलहाल मजबूत स्थिति में है। कांग्रेस को बिहार की सत्ता नहीं चाहिए। कांग्रेस केवल और केवल भाजपा को बिहार  की सत्ता से दूर रखने के लिए गठबंधन में कोई भी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार दिखाई दे रही है। उसे राजद से कोई शिकायत है नहीं और सीट बंटवारे को लेकर भी कांग्रेस राजद से मोलभाव करने की स्थिति में नहीं है।  

भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल जीतनराम माझी और चिराग पासवान अभी मौन है।  दोनों सत्ता सुख लेना चाहते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा इन दलित नेताओं के साथ कैसा बर्ताव करती है ये अभी तय नहीं है। भाजपा के लिए ये दोनों भरोसेमंद सहयगी नहीं  हैं। ये दोनों  हवा का रुख देखकर अपनी भूमिका का चयन करने वाले लोग हैं। यदि चिराग को  राजद सत्ता में आती दिखी तो वे राजद के साथ खड़े होने में कोई संकोच नहीं करेंगे और यदि उन्हें भाजपा का पलड़ा भारी होता दिखा तो वे भाजपा में ही बिना किसी ना-नुकर के बने रहेंंगे । चिराग के पास दलदबदल की एक बड़ी थाती है। उनके पिता राम विलास पासवान अपने समयके सबसे बड़े दलबदलू  माने जाते थे। अब देखते हैं 

कि   भगवान बुद्ध की साधना स्थली बिहार में भाजपा बिहार होता है या नहीं।?

@ राकेश अचल

बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

अब चाय वाले सज्जन को उम्रकैद की सजा

भारत में सभी चाय बेचने वालों का नसीब एक जैसा नहीं होता ।  यदि एक चाय वाला देश का प्रधानमंत्री बन सकता है तो दूसरा चायवाला सिख दंगों   के आरोप में 80  साल की उम्र में आजीवन   सजा भी पा सकता है। सवाल ये है कि एक बूढ़े आदमी को 41  साल सजा सुनाने वाली अदालत क्या सचमुच इसे एक सही फैसला मानती है। इस फैसले से न पीड़ितों को न्याय मिला और न आरोपी को सजा। 

आज की अनुजवान पीढ़ी सज्जन कुमार को नहीं जानती होगी,इसलिए मैं पहले आपको सज्जन कुमार के बारे में बता देना जरूरी समझता हूँ। सज्जन कुमार एक गरीब परिवार में .80  साल पहले यानि दिल्ली में 23 सितंबर, 1945 को जन्मे थे ,उनका बचपन भी आज के प्रधानमंत्री की तरह  चाय बेचकर गुजारा करने में कब बीत गया ,कोईनहीं जानता।कुमार ने सज्जन ने धीरे-धीरे कांग्रेस में अपनी घुसपैठ करनी शुरू की।  1970 के दशक में इमरजेंसी के दौर में सज्जन कुमार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के करीब आ गए, जिन्हें उस समय 'सुपर पीएम ' कहा जाता था. संजय गांधी के समर्थन से सज्जन कुमार ने दिल्ली नगरपालिका का चुनाव जीता. इसके बाद 1980 में लोकसभा चुनाव में सज्जन कुमार को दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे ब्रह्माप्रकाश के खिलाफ कांग्रेस ने टिकट दिया. इस चुनाव में जीतकर सांसद बनने के साथ सज्जन कुमार को रुतबा पूरे देश में जम गया था। 

 संजय गांधी ने अपने पांच सूत्रीय कार्यक्रम में सज्जन कुमार को अहम जिम्मेदारी दी थी. हालांकि संजय गांधी के असमय हवाई जहाज क्रैश में हुए निधन से सज्जन कुमार को झटका लगा, लेकिन इससे वे प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीब आ गए थे। सज्जन कुमार को ही श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों का  सिख विरोधी दंगों को अंजाम देने वाला मास्टरमाइंड माना जाता है।  सज्जन कुमार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान हुई हिंसा से जुड़े केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है. दंगों के दौरान सरस्वती विहार में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह को जिंदा जला दिया गया था।  सरस्वती विहार में 1 नवंबर 1984 को हुई इस हत्या में दिल्ली पुलिस  ने भादंस  की धारा 147, 148, 149, 302, 308, 323, 395, 397, 427, 436 और 440 के तहत सज्जन कुमार को मास्टरमाइंड बनाते हुए केस दर्ज किया था। 

हत्या के इस मामले में अभियोजन की कार्रवाई बेहद लचर ढंग से हुई ।  पुलिस ने जिस व्यक्ति को चश्मदीद गवाह बनाया वो पूरे 16  साल पुलिस को चराता रहा ।  उसने 16 साल बाद सज्जन कुमार के इस हिंसा में शामिल होने की पुष्टि की थी. हालांकि सज्जन कुमार के वकील ने इसका ही आधार बनाते हुए अपने मुवक्किल को निर्दोष बताया था।  सज्जन कुमार ने भी 1 नवंबर 2023 को कोर्ट में इस मामले में गवाही में खुद को निर्दोष बताया था. 

 इस मामले में अभियोजन की तरफ से कोर्ट में दी गई दलीलों में इसे निर्भया केस से भी ज्यादा संगीन मामला बताया गया था, जिसमें समुदाय विशेष के लोगों को टारगेट करके किलिंग की गई थी. सिख विरोधी हिंसा को मानवता के खिलाफ अपराध बताते हुए अभियोजन ने इस मामले में सज्जन कुमार को फांसी की सजा सुनाए जाने की मांग की थी.। सवाल ये है कि  हमारे देश की न्याय-व्यवस्था हत्या जैसे मामले में यदि आरोपी को सजा सुनाने में 41 साल लग जाते हैं तो हम अपनी न्याय व्यवस्था के प्रति आस्था कैसे रख सकते हैं। 80  साल की उम्र में यदि सज्जन कुमार जेल वापस लौटते भी हैं तो मृतक में परिजनों को कैसे संतोष मिलेगा ?

सज्जन कुमार के संगी-साथी अब उनके साथ नहीं है।  वे कांग्रेस के साथ नहीं है और वे कांग्रेस के साथ नहीं है। सज्जन कुमार के प्रति  मेरी सहानुभूति है। वे हत्यारे   थे या नहीं देश  की जनता जानती है। इस फैसले के बढ़ आप कह सकते हाँ की -हमारे यहां देर हैं लेकिन अंधेर नहीं है। हकीकत क्या है इसे दोनों चाय वाले समझते हैं ,सवाल ये भी है की ये चाय वाले ही दंगों के आरोपी क्यों होते हैं ,की काफी शाप वला क्यों नहीं होता ? याद रखिये की सिख दंगों की जाँच ले लिए बने नानावटी आयोग के मुताबिक, 1984 के दंगों के संबंध में दिल्ली में कुल 587 fir दर्ज की गई थीं, जिसमें 2,733 लोग मारे गए थे।  

@ राकेश अचल

मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025

जनसुनवाई में दलित आदिवासी महापंचायत ने कई मांगों को लेकर कलेक्टर को सौंपे पत्र

 कार्रवाई करने मांग की

ग्वालियर 25 फरवरी । दलित आदिवासी महापंचायत के संस्थापक संरक्षक डॉ जवर सिंह अग्र प्रांत अध्यक्ष महेश मदुरिया , कार्यवाहक प्रांत अध्यक्ष महाराज सिंह राजोरिया , ग्वालियर चंबल संभाग के प्रभारी दारा सिंह कटारे , संभाग अध्यक्ष हाकिम सिंह चोकोटिया , जिला अध्यक्ष संदीप सोलंकी कलेक्टर रुचिका चौहान से मिलकर दलित आदिवासियों के मुद्दों को लेकर अलग-अलग पत्र देकर कार्रवाई की मांग की गई ।

एक पत्र में मांग की गई है की मध्य प्रदेश शासन द्वारा दलित आदिवासियों के बजट से डॉक्टर अंबेडकर भवन और मंगल भवन नगर निगम सीमा में बनाए गए हैं इनमें शासकीय कार्यालय संचालित हैं इसलिए दलित आदिवासी अपने सांस्कृत कार्यक्रम नहीं कर पाते यह मंगल भवन डॉ अंबेडकर भवन इसलिए बनाए गए थे कि इन वर्गों के कार्यक्रम शादी विवाह इन में होते रहे लेकिन प्रशासन ने शासकीय कार्यालय संचालित कर दिए हैं जिस उद्देश्य बनाए गए हैं उसे उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो पा रही है इनको तत्काल खाली कराया जाए जबकि पूरा पैसा आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा इनके निर्माण के लिए जारी किया गया है ।

 दूसरे पत्र में आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास आश्रमों की जमीनों पर भूमाफिया द्वारा अतिक्रमण कर लिया गया है इनका सीमांकन कराकर जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए तीसरी पत्र में डबरा तहसील की अंतर्गत प्लूटो के नामांतरण नहीं हो रहे हैं नहीं नगर पालिका क्षेत्र में हो रहा है और नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहा है नामांकन कराई जाए जो रोक लगी है उसे तत्काल हटाया जाए चौथे पत्र में भू माफिया द्वारा शासकीय भूमियों को बेचकर रजिस्ट्री कराई जा रही है  इस पर रोक लगाई जाए और भू माफिया के खिलाफ कार्रवाई की जाए साथ ही जो रजिस्ट्री हो चुकी है उन राशियों को निरस्त किया जाए ।

पांचवें पत्र में भी मंगल भावनाओं को अनुसूचित जाति जनजाति के कार्यक्रमों के लिए दिए जाएं और जो शासकीय कार्यालय और अस्पताल संचालित है उनसे खाली कराया जाए श्रीमती रुचि का चौहान कलेक्टर ने सभी ज्ञापनों को संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के लिए अग्रेषित किया है सभी पत्रों को जनसुनवाई में दर्ज किया गया और प्रतिनिधिमंडल को कार्यवाही का आश्वासन दिया ।


कृपा करो भोले भंडारी जनता पर

 

26  फरवरी को भगवान शिव के विवाह की सालगिरह है। भारत में एक बड़ी आबादी इसे शिवरात्रि के रूप में मनाती है।  हमारे यहां भी इस दिन व्रत रखा जाता है ,पूजा अर्चना की जाती है बावजूद इसके की हम ' अस्नानी 'सनातनी हैं। अर्थात हमने 144  साल बाद पड़े महाकुम्भ में डुबकी  नहीं लगाईं। अब नहीं लगाईं ,तो नहीं लगाईं ,इससे भोले बाबा नाराज होने वाले नहीं हैं। वे कौन से महाकुम्भ में डुबकी लगाने आये ? महाकुम्भ में तो पापियों और मोक्ष की कामना करने वालों ने और सियासी दलों की धमकियों और भबकियों से डरने वाले सनातनियों ने डुबकियां लगाई हैं। 

बात भोले   बाबा की हो रही है।  मुझे भोले बाब सचमुच प्रभावित करते हैं।  मैं उनका अनन्य भक्त हूँ। मेरी भक्ति किसी राजनीतिक दल या उसके नेता के प्रति नहीं है। मैं अंधभक्त भी नहीं हूँ। अंधभक्त किसी को भी नहीं होना चाहिये।  भक्ति हमेशा ऑंखें खोलकर करना चाहिए ,फिर चाहे भक्ति किसी भगवान की हो या इंसान की। आजकल लोग भगवान से ज्यादा इंसानों की भक्ति में लीन है, भले ही भगवान नाराज हो जाये। आजकल के अवतारी इंसान भगवान को भी अडानी की तरह घूस देने में नहीं हिचकते। आजकल के इंसान तो भगवान के भक्तों को बाजार समझते है।  1500  करोड़ निवेश करते हैं और 3  लाख करोड़ की कमाई कर लेते हैं। 

बहरहाल भवन शिव और माता पार्वती को उनके विवाह की वर्षगांठ पर  मैं हार्दिक बधाई देता हूँ ।  बधाई उन्हें भी और उनके उन भक्तों को भी जो इस समय प्रयागराज,बनारस और अयोध्या में फंसे हुए हैं और घंटों की प्रतीक्षा के बाद अपने-अपने आराध्य के दर्शन कर पा रहे हैं। भगवान भोले नाथ भी हैरान हैं कि इस बार भक्तगण उनके ऊपर इतनी कृपा क्यों  बरसा रहे हैं ? इससे पहले तो इतनी अपार भीड़ कभी उनके मंदिर में नहीं आयी। बनारस में विश्व गुरु तो अभी आये हैं, लेकिन भोले बाबा यानि भगवान विश्वनाथ तो बनारस में अनंत काल  से रमे हैं,जमे हैं।भोले बाबा बोलते नहीं हैं लेकिन सोचते तो होंगे कि इस अपार भीड़ के पीछे कोई न कोई खर दिमाग जरूर है। 

भोले बाबा त्रिनेत्र कहे जाते हैं। उनका तीसरा नेत्र जब-तब खुलता है। यदि खुलता है तो कामदेव मारा जाता है। भस्म हो जाता है ,क्षार -क्षार हो जाता है ,लेकिन भगवान भोले उसके ऊपर भी कृपा करते हैं और उसे अनंग   बना देते   हैं जो बिना शरीर के भी सभी में व्याप्त हो जाता है। लगता है कि कलिकाल में बहुत से लोग हैं जो कामदेव की गति  हासिल करना चाहते हैं। उन्हें ' अनंग' होने की चाह है।  वे लोकतंत्र के भुजंग तो बन गए हैं लेकिन अनंग नहीं बन पा रहे। भोले बाबा को खुश करने के लिए उनके भुजंग भक्तों ने बनारस हो या उज्जैन दोनों ठिकानों पर कॉरिडोर और भव्यदिव्य लोक बना दिए हैं ,लेकिन भोले बाबा खुश नहीं हो   रहे ।  बेचारों को बैशाखियाँ लगाकर अपनी सरकार चलना पड़ रही है। 

 मुझे याद है कि भोले बाबा ने कभी किसी को वैष्णव या शैव्य होने के लिए अपनी और से नहीं कहा ।  उन्हें सभी प्रिय हैं। हाँ उन्हें सपने में वे लोग बिलकुल पसंद नहीं जो उनके आराध्य कौशलेश के नाम पर सियासत करने से भी बाज नहीं आये। भोले बाबा उनसे भी खफा हैं जिन्होंने अयोध्या,बनारस और संगम को टकसाल में बदल दिया ह।  आज की पीढ़ी टकसाल के बारे में नहीं जानती। टकसाल का मतलब नोट छापने का कारखाना होता है। आजकल भारत में नोट छापने के कारखाने धर्मस्थलों पर ही कामयाब हैं। भोले बाबा हिमाचल के दामाद हैं ,इसलिए हिमाचल वालों पार ज्यादा खुश रहते हैं। वहां उन्होंने नकली भक्तों की सरकार तक नहीं बनने दी ।  बन गयी तो गिरने नहीं दी। भले ही हिमाचल में कंगना खूब सक्रिय रहीं। 

 भगवान भोले नाथ को उनकी शादी की सालगिरह पर हालांकि भक्तों को उपहार देना चाहिए लेकिन मैं भगवान भोलेनाथ से एक वर माँगता हूँ कि  वे एक तो महाकुम्भ में जाम से आहत लोगों पार अपनी कृपा बरसायें और जितनी जल्दी हो अपना तीसरा नेत्र खोलकर इतना उजास कर दें ताकि भक्तों की आँखों की रौशनी वापस लौट आय।  वे देख  सकें कि उन्हें ठगने वाले लोग कौन हैं ? उनके वोट लूटने वाले लोग कौन हैं ? ट्रम्प साहब से 182  करोड़ रूपये लेने वाले कौन हैं ? विश्वनाथ के होते विश्वनाथ बनने की कोशिश करने वाले कौन हैं ? वे कौन हैं जो भारतभूमि पर इंसानों के बीच जाती-धर्म की विभाजक रेखा खींच रहे हैं।

आपको बता दूँ कि  मैं जब पहली बार अमेरिका गया था तब मैंने अटलांटा में डनवुडी में भोले बाबा के एक मंदिर का नाम डनवुडेश्वर रखने की सलाह दी थी। क्योंकि भोले बाबा के भक्त उन्हें किसी भी स्वरूप में स्वीकार करने में हर्षित होते हैं। पहली बार जिन सरकारी ज्योतिषियों ने कुम्भ को महाकुम्भ   बनाने की साजिश रची थी उनका ही कहना है कि महाशिवरात्रि का त्योहार तीन मूलांक के जातकों के लिए बेहद शुभ साबित होने वाला है. कहते हैं कि मूलांक 1 ,3 ,और 8 वालों   पर महादेव की कृपा बरसेगी। बकौल ज्योतिषियों के मूलांक 8 के स्वामी ग्रह शनि हैं और यह किसी से छिपा नहीं कि शनिदेव शिवजी के कितने बड़े भक्त हैं. ऐसे में मूलांक 8 के जातकों को इस महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ की खूब कृपा बरसेगी. जातक को मानसिक शांति मिलेगी साथ ही सेहत में भी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं. महाशिवरात्रि के बाद का समय जातक के लिए अति सुख में बीतने वाला है। 

मूलांक 1 के जातकों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व अच्छे दिन लेकर आ रहा है. सूर्य ग्रह के मूलांक 1 के जातकों पर भगवान शिव विशेष कृपा करेंगे. जातक के कार्यों की तारीफ हो सकती है. पुरानी योजना पर काम शुरू कर सकते हैं. महाशिवरात्रि के बाद पारिवारिक जीवन भी अच्छा होने वाला है।मूलांक 2 का स्वामी चंद्रमा है, ऐसे में इस मूलांक के लोगों पर शिव जी की कृपा हमेशा बनी रहती है. दरअसल चंद्रमा भी महादेव के परम भक्त माने गए हैं. किसी भी महीने में 2, 11, 20 और 29 तारीख को जन्में लोगों का मूलांक 2 होता है. ये लोग महाशिवरात्रि की पूजा के बाद से ही अपने लक्ष्य को पाने में सफल रहेंगे । हमारे प्रधानमंत्री जीका मूलांक 8  हैउनके लिए ये शिवरात्रि शुभ है ,लेकिन राहुल गाँधी का मूलांक 10 और मेरा मेरा मूलांक तो 7  है इसलिए मुझे तो कुछ मिलने वाला नहीं है किन्तु जिन्हें कुछ मिलने वाला है उन्हें और बाकि सभी को शिवरात्रि की हार्दिक बधाइयाँ। 

@ राकेश अचल

सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

भारतीय सियासत का ' छावा ' कौन

 


इन दिनों रजतपट पर विक्की कौशल और 'छावा' दोनों ही धमाल मचा रहे हैं।   ऐतिहासिक फिल्म ' छावा ' बॉक्स ऑफिस पर पूरे जोश में आगे बढ़ रही है और इसकी रफ़्तार धीमी होने का नाम ही नहीं ले रही है। सिनेमाघरों में नौ दिनों तक चलने के बाद, अब यह फि ल्म 300 करोड़ रुपये की बड़ी कमाई करने की ओर बढ़ गई है। खचाखच भरे सिनेमाघरों, जोरदार तालियों और रिकॉर्ड तोड़ कमाई के साथ, 'छावा' ने खुद को साल की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में से एक बना दिया है।लेकिन सवाल ये है की भारतीय राजनीति का ' छावा ' कौन है ?

भारतीय राजनीति में भी इतिहास   बदलने की होड़ में लगे अनेक किरदार हैं लेकिन ' असली ' छावा ' का पता नहीं चल पा रहा है। कभी छावा की भूमिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नजर आते हैं तो कभी अमित शाह ।  कभी योगी आदित्यनाथ तो कभी राहुल गाँधी ।  कभी एकनाथ शिंदे तो कभी शरद पंवार। सियासत में हर कोई छावा बनकर छा जाना चाहता है। लेकिन देश की फ़िक्र किसी सियासी छावा को नहीं है। सबको अपनी-अपनी पड़ी है। 

 कहते हैं कि 'छावा' में औरंगजेब बने अक्षय खन्ना की 27 साल में 22 फ्लॉप फिल्में, दी हैं। उनकी फ़ीस भी 2.5 करोड़  रूपये है अक्षय की  नेटवर्थ विक्की कौशल से अधिक है।  अक्षय खन्ना 'छावा' में औरंगजेब का रोल करके हर किसी की नजर में एक बार फिर से आ गए हैं। अक्षय के काम की खूब तारीफ हो रही है। औरंगजेब के किरदार में उनकी कलाकारी को देखकर हर कोई दंग रह गया है और उन्हें बेस्ट एक्टर्स में से एक के तौर पर काउंट किया जा रहा है।लक्ष्मण उटेकर के निर्देशन  में बनी 'छावा' महान मराठा शासक छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित एक पीरियड ड्रामा है। विक्की मराठा साम्राज्य के संस्थापक के सबसे बड़े बेटे छत्रपति संभाजी महाराज के रोल में हैं। रश्मिका मंदाना उनकी पत्नी येसुबाई भोंसले का किरदार निभा रही हैं। अक्षय खन्ना, आशुतोष राणा और दिव्या दत्ता भी लीड रोल में हैं। 

आइये अब बात करते हैं भारतीय सियासत के छावा और औरंगजेब की ।  भारतीय राजनीति में भाजपा ने प्रधामनंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी को छावा और लोकसभामें विपक्ष के नेता राहुल गांधी को औरंगजेब बना दिया है। दोनों अपने-अपने किरदार में जान फूंकने की कोशिश कर रहे है।  दुर्भाग्य से सियासी छावा में कोई येशुबाई  भैंसले नहीं है। मोदी रणछोड़दास हैं और राहुल ने अभी तक घर नहीं बसाया है। पिछले एक दशक से सियासी छावा और औरंगजेब में ठनी हुई है। मोदी खुद चक्रवर्ती सम्राट बनना चाहते हैं लेकिन राहुल गाँधी बीच-बीच में उनका रथ रोक लेते हैं। लेकिन मैदान किसी ने भी नहीं छोड़ा है। 

भारतीय सियासत की फिल्म छावा में मोदी और गाँधी के अलावा  दूसरे किरदार भी  हैं। आप इन्हें ए-1  और ए-2 भी कह सकते हैं और अडानी तथा अम्बानी भी कह सकते हैं इन किरदारों की धूम भारत की सीमाओं के बाहर भी है ।  एक को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया जाता है तो दूसरे के खिलाफ अमेरिका की अदालत से वारंट जारी किये जाते हैं। भारतीय सियासत के छावा की नींद 21  करोड़ अमेरिकी डालर की कथित अमेरिकी मदद की खबर भी उड़ा देती है। पहले इस मदद को लेकर कांग्रेस निशाने पर थी अब ये निशाना बदल गया है। निशाने पर मोदी थे किन्तु वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जी ने ट्रम्प की तोप का मुंह दूसरी और मोड़ दिया। 

बैशाखियों और तांगों के सहारे दिल्ली और महाराष्ट्र में सरकार चलाने वाली भाजपा के लिए  औरंगजेब केवल राहुल गाँधी ही नहीं बल्कि दुसरे भी हैं।  बिहार  में डिप्टी चीफ मिनिस्टर एकनाथ शिंदे ने मोदी -शाह की जोड़ी को साफ़ ढका दिया है की उन्हें हल्के में न लिया जाये।मोदी जी को तांगेवाले से बचने के लिए महाराष्ट्र की राजनीती के बूढ़े छावा शरद पाँवर के समाने विनम्रता का स्वांग करना पड़ रहा है ।  वे कभी शाह की कुर्सी पीछे खिसकाते दिखाई देते हैं तो कभी उनका गिलास भरते नजर आ रहे हैं। कोशिश ये है की बिहार विधानसभा चुनाव तक कोई औरंजेब सर न उठा पाए ,फिर चाहे वो राहुल गाँधी हो या एकनाथ शिंदे। 

सत्ता में बने रहने के लिए सभी को साधना आज के सियासत के  छावा की मजबूरी है। उसे मसखरा शास्त्री भी साधना पड़ रहा है ,और अपनी ताकत बढ़ाने के लिए कांग्रेस के असंतोष पर नजरें रखना पड़ रही हैं। सीएसी छावा को शास्त्री भी चाहिए और थरूर भी। सिहायसि फिल्म में बिदूषक न हो तो मुष्किल होती है।  एक अकेला हीरो और खलनायक तो बन सकता है किन्तु उसे बिदूषक की जरूरत क्यों पड़ती है। बिना बिदूषक के कोई सियासी फील या ड्रामा कामयाब नहीं हो सकता। 

भाजपा की मैं इस बात के लिए हमेशा तारीफ करता हूँ की -भाजपा  भ्रम फैलाकर सियासत करती है। इस भ्रमजाल में जो फंस   गया उसका लोप हो जाता है। उमा भारती ,शतुघ्न सिन्हा ,यशवंत सिन्हा इस बात के ज्वलंत उदाहरण हैं।फ़िलहाल भाजपा की सियासी फिम छावा में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम सबसे ऊपर है उन्होंने कुम्भ को महाकुम्भ बनाकर फ़िल्मी  कारोबार  को भी पीछे छोड़ दिया है। उन्हें इस समय न राम से काम है और न राम की गंगा के मैलेपन से। उन्हें डुबकियों से मतलब है। वे देश की आधी आबादी को वे कुम्भ में डुबकियां लगवा चुके हैं। इसमें वे लोग शामिल हैं की नहीं जो पांच किलो मुफ्त के राशन पर पल रहे हैं। रजतपट की छावा सियासी छावा को गति देने का ाएक उपक्रम मात्र है। पहले भी भाजपा फिल्मों के माध्यम से ये कोशिश कर चुकी है। 

@ राकेश अचल

रविवार, 23 फ़रवरी 2025

सभी त्यौहार शांति एवं सदभाव के साथ मनाए : कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान

    शांति समिति की बैठक में जिलेवासियों से की अपील 

ग्वालियर 23 फरवरी । जिले में आपसी भाईचारा, शांति एवं सदभाव के साथ पारंपरिक ढंग से होली के साथ सभी त्यौहार मनाए जाएं। कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने जिला शांति समिति की बैठक में जिलेवासियों से यह अपील की है। बैठक में महाशिवरात्रि, रमजान, होली, ईद-उल-फितर, रामनवमी एवं चैती चाँद त्यौहारों को ध्यान में रखकर चर्चा की गई। 

रविवार को कलेक्ट्रेट के सभागार में आयोजित जिला शांति समिति की बैठक में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री धर्मवीर सिंह, नगर निगम आयुक्त श्री संघ प्रिय, अपर कलेक्टर श्री टी एन सिंह, शहर के सभी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, विभागीय अधिकारी सहित शांति समिति के सदस्य सर्वश्री संत कृपाल सिंह, काजी तनवीर, बसंत गोडयाले, एमएल अरोरा, डॉ. राज कुमार दत्ता, राजू फ्रांसिस, अख्तर हुसैन कुर्रेशी, विनायक गुप्ता सहित समिति के सदस्य एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। 

कलेक्टर श्रीमती चौहान एवं पुलिस अधीक्षक श्री सिंह ने कहा कि ग्वालियर जिले में सभी त्यौहार शांति और सदभाव के साथ मनाए जाते हैं। त्यौहारों के दृष्टिगत जिला शांति समिति की बैठक के साथ ही थाना स्तर पर भी बैठकों का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि त्यौहारों के दौरान ही बच्चों की परीक्षायें संचालित रहेंगीं। इसको ध्यान में रखकर ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग निर्धारित समय में धीमी गति के साथ किया जाए। 

बैठक में कलेक्टर ने कहा कि सभी त्यौहारों पर मंदिर, मज्जिद, गिरिजाघर व गुरुद्वारों सहित अन्य पूजा घरों के आसपास साफ-सफाई आदि के पुख्ता प्रबंध किए जायेंगे। इसके साथ ही त्यौहारों के दौरान विद्युत कटौती न हो, इस पर भी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जायेगा। होली के त्यौहार पर पर्याप्त जल प्रदाय हो यह भी सुनिश्चित किया जायेगा। सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त पुलिस बल भी तैनात रहेगा। 

बैठक में शांति समिति के सदस्यों ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। जिनको गंभीरता से सुनकर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। 

अपने ' रोल ' की तलाश करते शशि थरूर

पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वाचाल लेकिन विद्वान नेता शशि थरूर को मै एक नेता से ज्यादा एक लेखक के रूप में जानता हूँ और उनका सम्मान करता हूँ ।  आजकल शशि थरूर अपनी ही पार्टी में अपना ही ' रोल ; [भूमिका ] तलाश रहे हैं ।  उन्होंने अपनी ही पार्टी   से अपनी भूमिका को लेकर सवाल किये तो बवाल होना स्वाभाविक था।  बवाल शुरू भी हो गया है और अब मुझे लगता है कि यदि कांग्रेस ने शशि  थरूर के सवालों का जबाब न दिया तो शशि थरूर भी आने वाले दिनों में भाजपा के मंच पर शोभायमान हो सकते हैं। 

केरल के सनातनी ब्राम्हण शशि थरूर हमेशा सुर्ख़ियों में रहने वाले नेता हैं।  वे संसद में रहें या संसद के बाहर ,सुर्ख़ियों में रहते है।  कभी अपने लेखों की वजह से तो कभी अपने भाषणों की वजह से तो कभी अपनी निजी जिंदगी की वजह से।  उनकी प्रेमिका को लेकर प्रधानमंत्री  तक जुमलेबाजी कर चुके हैं, लेकिन शशि थरूर की सेहत पर इन सबका कोई असर नहीं होता। शशि थरूर भारतीय राजनीतिज्ञ और पूर्व राजनयिक हैं ।  शशि ने कांग्रेस के मंच से राजनीति शुरू की ,वे  2009   से केरल के तिरुवनन्तपुरम से लोक सभा सांसद हैं। इस समय भी शशि  विदेशी मामलों में संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में सेवारत हैं।

कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व से शशि थरूर की अनबन नयी नहीं है ,लेकिन अब लगता है कि  कांग्रेस का नेतृत्व  शशि का हिसाब करके मानेगा ।  दरअसल शशि को पार्टी हाई कमान ने उनकी प्रतिभा और क्षमता के अनुरूप न कोई काम दिया और न उनका ठीक तरह से इस्तेमाल किया है ,इसीलिए शशि कांग्रेस में अपने आपको अलग-थलग और उपेक्षित अनुभव कर रहे हैं। शशि थरूर और पार्टी नेतृत्व के बीच तनातनी जारी है. हाल ही में दिल्ली में राहुल गांधी से उनकी मुलाकात हुई, लेकिन उनकी शिकायतों का समाधान नहीं हुआ।  लगता है कि   अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी थरूर को लेकर कोई नरमी बरतने के मूड में नहीं है.

आपको बता दें कि  थरूर ने राहुल गांधी से अपनी भूमिका स्पष्ट करने की मांग की थी। उन्होंने ये भी जताया कि पार्टी में उन्हें दरकिनार किया जा रहा है, लेकिन इस बैठक में राहुल गांधी ने कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया जिससे थरूर और ज्यादा असंतुष्ट नजर आए। जहाँ तक मुझे लगता है कि   शशि थरूरअपने  बयानों और लेखों  की वजह से ही कांग्रेस नेतृत्व के निशाने पर हैं। . प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा और डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात को लेकर थरूर के विचार पार्टी की आधिकारिक लाइन से अलग थे।  शशि सफेद  को सफेद और काले को काला कहने के आदी है।  उन्होंने  केरल की एलडीएफ सरकार की औद्योगिक नीति की प्रशंसा करने वाला लेख लिखकर  केरल राज्य कांग्रेस से भी पंगा ले लिया है। 

शशि थरूर की अपनी महत्वाकांक्षाएं हो सकतीं है।  मुमकिन है कि  वे केरल की राजनीति में ही अपने आपको समेटना चाहते हों ,हो सकता है की वे केंद्रीय राजनीति में अपने लिए युक्तिययुक्त भूमिका चाहते हों ,लेकिन पार्टी है कमान को शशि का खुलापन शायद रास नहीं आरहा है। 68  साल के शशि के पास अब इन्तजार करने का वक्त नहीं है। वे जल्द से जल्द अपनी भूमिका चाहते हैं। कांग्रेस शशि का इस्तेमाल न कर शायद गलती कर रही है।  कांग्रेस को ऐसी गलतियां करने की पुरानी आदत है। और कांग्रेस इसका खमियाजा भी भुगतती आ रही है ।  कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता इस समय भाजपा के मंच की शोभा बढ़ा रहे हैं।  मुझे आशंका है कि  यदि कांग्रेस ने समय रहते शशि थरूर के प्रश्नों  का समाधानकारक उत्तर न दिया तो किसी भी दिन शशि थरूर भी भाजपा के मंच पर खड़े नजर आ सकते हैं। 

कांग्रेस शशि के खुलेपन की सजा पहले ही प्रवक्ता पद से हटाकर दे चुकी है। अब उन्हें और कितना दण्डित किया जा सकता है ? शशि कोई जन्मजात राजनीतिज्ञ नहीं हैं लेकिन उन्होंने स्वदेश आने के बाद जब राजनीति करने का मन बनाया तो वे कांग्रेस में शामिल हुए ।  उनके लिए दूसरे दलों में जाने के भी विकल्प थे किन्तु उन्होंने देश सेवा केलिए कांग्रेस को ही सर्वथा उचित मंच समझा। आज कांग्रेस ही उन्हें मूषक बना देना चाहती है। कांग्रेस में दूसरे दलों की तरह आंतरिक लोकतंत्र अब दिखावे का रह गया है। कांग्रेस में भी अब मन की बात करने की आजादी किसी को नहीं है। 

शशि थरूर को समझना कांग्रेस के लिए आसान नहीं है अन्यथा शशि कांग्रेस के पास एकमात्र ऐसा नेता है जो हिंदी,अंग्रेजी और मलयाली में न सिर्फ लिख-पढ़ और बोल सकता है बल्कि कांग्रेस के किसी भी दिग्गज से ज्यादा हाजिर जबाब है।  शशि सनातन का मुद्दा हो ,धर्मनिरपेक्षता का मुद्दा हो या अर्थव्यवस्था का मुद्दा हो सभी पार पार्टी के दूसरे नेताओं से कहीं ज्यादा मजबूती के साथ बोलने की स्थिति में है। शायद उनकी यही प्रतिभा अब पार्टी में उनकी दुश्मन बन रही है।  मै ईश्वर से प्रार्थना करूंगा कि  शशि जहाँ हैं वहीं रहें।  शशि  का कांग्रेस से जाना देश की धर्मनिरपेक्ष राजनीति के लिए एक बड़ा नुकसान होगा । शशि को भगवा दुपट्टा बदलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। भाजपा को उनके जैसे विद्वान नेताओं की जरूरत हर समय रही है ,क्योंकि भाजपा के पास शाखामृग तो इफरात में हैं लेकिन शशि थरूर कम ही हैं। 

शशि थरूर का निजी जीवन काफी उथल-पुथल वाला रहा है।  उन्होंने तीन विवाह किये । उनकी आखरी पत्नी सुनंदा पुष्कर का संदिग्ध परिस्थितियों में निधन हो गया था। शशि के दो बेटे हैं,दोनों पत्रकार हैं। शशि को जानने के लिए आपको शशि थरूर के उपन्यास पढ़ना चाहिए। शशि की एक दर्जन से ज्यादा किताबें हैं।  उनका उपन्यास ' शो बिजनेस ' और ' मै हिन्दू क्यों हूँ ' विशेष तौर पर पठनीय है।  मै शशि थरूर के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ । एक नेता के नाते नहीं बल्कि एक लेखक के नाते भी ।  वे किसीभी दल में रहें ,मेरे प्रिय लेखक और राजनेता रहेंगे। 

@ राकेश अचल

शनिवार, 22 फ़रवरी 2025

पाल, बघेल, धनगर समाज को राजनैतिक दिशा देने के लिये में सदैव ही तत्पर रहूंगा : सिंधिया



 ग्वालियर 22 फरवरी । लोकमाता अहिल्याबाई समाज कल्याण बोर्ड तथा पाल, बघेल, धनगर समाज द्वारा शनिवार को राजनंदम गार्डन, बड़ागांव में लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रिशताब्दी जयंती समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय मंत्री  श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर सहित अन्य अतिथि सहभागी रहे। समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. डॉ. एस पी सिंह बघेल ने की।

कार्यक्रम को संबोधिया करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि पाल, बघेल, धनगर, मराठा समाज का सिंधिया परिवार के रिश्ते को बहुत ही दृढ़ता से बताया। इस समाज से हमारा दिल का रिश्ता है न कि दिमाग का इस समाज को बहुत ही कोमल समाज बताया गया है। इस समाज को राजनैतिक दिशा देने के लिये में सदैव ही तत्पर रहूंगा ।

पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की त्रिशताब्दी जयंती वर्ष मनाये जाने पर हृदय से बधाई दी। विश्व में पाल, बघेल समाज ही एक ऐसा समाज है, जिसकी विश्वसनीयता पर कभी कोई संदेह नहीं है ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करे रहे प्रो. डॉ.एस. पी. सिंह बघेल ने समाज  से जमींदार न बनने के बजाय बच्चों की शिक्षा पर अपना मुख्य फोकस रखें एवं बच्चों को IAS, IPS, IFS, ITI, IIM में भेजने की अपील की। राजनीति में यदि आपको सफल होना है तो आपको मतभेद भुलाकर एवं अन्य समाज से तालमेल बनाते हुये आगे बढ़े। सर्व सम्मति से सभी समाज को सलाह दी कि वे भी आगे बढ़ने के लिये अपना सतत् मूल्यांकन करते रहे 

    कार्यक्रम में  विधायक श्री लाखन सिंह बघेल, पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल, पूर्व विधायक रामवरन सिंह गुर्जर, बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष महेन्द्र सिंह यादव, नेता प्रतिपक्ष नगर निगम श्री हरि पाल, पूर्व सभापति श्री गंगाराम बघेल, जनपद अध्यक्ष भिण्ड श्रीमती सरोज बघेल, पूर्व जनपद पंचायत अध्यक्ष संगीता बघेल, श्री विनोद बघेल आंतरी, मराठा समाज के बालखण्डे मिथलेश बघेल, सरोज बघेल, भिंड, वरिष्ठ पत्रकार  ममता बघेल, भाजयुमो जिला मंत्री  पूनम पाल और संगीता बघेल सम्मानित हुई ।

कुम्भ कुम्भ ,कुम्भ और सिर्फ कुम्भ का उन्माद

 


कोई माने या न माने लेकिन मैंने मान लिया है कि अब प्रयागराज में आस्था का महाकुम्भ नहीं बल्कि प्रतिस्पर्द्धा का कुम्भ  चल रहा है। राज्य पोषित इस कुम्भ पर बच्चों का भविष्य कुर्बान किया जा रहा है ,यहां तक कि  वाह-वाही लूटने के लिए कैदियों तक को पुण्य लाभ दिलाने के लिए उन्हें कुम्भ स्नान कराया जा रहा है। ताजा खबर ये है कि  महाकुम्भ के चलते प्रयागराज में कक्षा 10  और 12  की अनेक परीक्षाएं रद्द कर दी गयीं हैं। 

दुनिया के किसी देश में तो छोड़िये, भारत में भी किसी धार्मिक  आयोजन के लिए बच्चों का भविष्य दांव पर नहीं लगाया जाता ,लेकिन भारत में खासकर उत्तर प्रदेश में धर्मभीरु सरकार ने ये भी कर दिखाया है।  कुम्भ में आने के लिए आतुर भीड़ को देखते हुए 24 फरवरी को 10वीं की हिंदी प्रारंभिक व हेल्थकेयर की परीक्षा और 12वीं की सैन्य विज्ञान व हिंदी, सामान्य हिंदी की परीक्षा होनी थी. इन्हें अब प्रयागराज के परीक्षा केंद्रों पर बाद में आयोजित किया जाएगा। 

मै दुनिया के तमाम देशों की यात्रायें कर चुका हूँ। मैंने देखा है कि  एक अकेला भारत है जो धर्म के नाम पर बच्चों की परीक्षाएं रद्द करता है ,क्योंकि भारत में सरकार के लिए राजधर्म से बड़ा सनातन धर्म है ।  बच्चों के भविष्य से बड़ा, धर्म का भविष्य है।  धर्मभीरु नेताओं और सरकारों के लिए बच्चे देश का भविष्य नहीं बल्कि धर्म देश का भविष्य है।  आप मेरी इस धारणा के लिए मुझे यदि धर्म विरोधी कहना चाहते हैं तो शौक से कह सकते हैं किन्तु मै उत्तर प्रदेश के इस फैसले के खिलाफ हूँ जो सरकार ने बच्चों के भविष्य के खिलाफ किया है। आपको बता दूँ कि  24 फरवरी को दो शिफ्ट (सुबह 8:30 बजे से दोपहर 11:45 बजे और दोपहर 2 बजे से शाम 5:15 बजे तक) में परीक्षाएं आयोजित होनी थी. 10वीं की हिंदी प्रारंभिक  व हेल्थकेयर की परीक्षा और 12वीं की सैन्य विज्ञान व हिंदी, सामान्य हिंदी की परीक्षा होनी थी. इन्हें अब स्थगित कर दिया गया है । माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने नोटिस जारी कर इसकी जानकारी दी है. साथ ही नई एग्जाम डेट की भी घोषणा की है।  ये परीक्षाएं  ये परीक्षाएं अब 9 मार्च 2025 को आयोजित की जाएंगी. परीक्षाओं के समय में कोई बदलाव नहीं हुआ. परीक्षाएं उसी शिफ्ट में होंगी जिसमें पहले निर्धारित थीं। 

उत्तर प्रदेश की धर्मनिष्ठ सरकार खुश है कि  प्रयागराज महाकुंभ में 59 करोड़ से ज्यादा लोग संगम स्नान कर चुके हैं।इन धर्मांध लोगों की जेबों से अकेले उत्तरप्रदेश की सरकार 3  लाख हजार करोड़ रूपये निकाल चुकी है।  कुम्भ की वजह से शहरी लोगों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लोग अपने ही घरों में एक तरह से ‘नजरबंद ' होकर रह गए हैं। शहर में एक चौराहे से दूसरे चौराहे तक जाने में लोगों को 4 से 5 घंटे लग रहे हैं। साथ ही रोजमर्रा के सामान जैसे दूध, ब्रेड मिलने में भी बहुत दिक्कत हो रही है।पूरा उत्तर प्रदेश दो महीने से पंगु होगया है। सड़कें जाम हैं ,स्कूल-कालेज बंद है।  

सरकार के धर्मभीरु होने का सबसे  बड़ा उदाहरण ये है कि  उत्तर प्रदेश की सभी जेलों में महाकुंभ के पवित्र संगम जल से कैदियों का स्नान कराया  जा रहा है।  वाराणसी सेंट्रल जेल में 2200 से अधिक कैदियों ने मंत्रोच्चार और  शंखनाद के बीच इस अनोखे आयोजन में भाग लिया. कैदियों ने इसे सौभाग्य मानते हुए योगी सरकार का आभार जताया और अपनी जल्द रिहाई की प्रार्थना की। उत्तर प्रदेश की सरकार ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में महाकुंभ से लाए गए पवित्र जल से कैदियों के स्नान का इंतजाम किया और मजे की बात इसे ऐतिहासिक बताया जा रहा है।  इसी कड़ी में वाराणसी के केंद्रीय कारगर में भी  हजारों कैदियों ने श्रद्धापूर्वक स्नान किया. सेंट्रल जेल के 2200 से अधिक बंदियों ने जब महाकुंभ के पावन जल से स्नान किया, तो जेल परिसर 'हर हर महादेव' और 'जय गंगे मैया' के उद्घोष से गूंज उठा. कैदियों ने इस ऐतिहासिक आयोजन को सौभाग्यशाली बताया और सरकार का आभार व्यक्त करते हुए जल्द रिहाई की प्रार्थना की.

आपको जानकार हैरानी होगी कि  जेल मैन्युअल को ताक पर रखकर स्नान से पहले जेल प्रशासन ने जेल के हनुमान मंदिर में विधिवत मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापना की. महाकुंभ से लाए गए जल को अभिमंत्रित किया गया, जिसके बाद शंखनाद की गूंज के साथ जेल परिसर में कलश यात्रा निकाली गई।  कैदियों ने अपने सिर पर संगम त्रिवेणी के पवित्र जल का कलश रखकर परिक्रमा की और जेल के चार -अलग हिस्सों में स्थापित टैंकों में इसे अर्पित किया.।   इसके बाद महाकुंभ संगम के जल को उन टैंकों में भर दिया गया, ताकि सभी कैदी इस पुण्य लाभ में शामिल हो। सत्ता प्रतिष्ठान के धर्मांध होने का ये पहला उदाहरण है। लेकिन आप इन हरकतों का विरोध नहीं कर सकते । करेंगे तो हिंदुत्व और सनातन विरोधी ठहरा दिए जायेंगे। 

इस देश में कुम्भ  पहली बार नहीं हो रहा ,हाँ पहली बार कुम्भ को योगी सरकार ने हस्तगत कर लिया है। कुम्भ को हस्तगत करने के पीछे केवल और केवल राजनीति है। सुनियोजित ढंग से देश में धार्मिक उन्माद पैदा कर जनता को असल मुद्दों से भटकाया जा रहा है ।  कुम्भ किसानों के आंदोलन को निगल गया । कुम्भ अमेरिका से आने वाले अवैध प्रवासियों के साथ अमेरिका सरकार की अमानवीयता को निगल गया ।  कुम्भ ने उत्तर प्रदेश के बच्चों के भविष्य की परवाह नहीं की ।  कुम्भ गंगाजल के प्रदूषण  को लेकर केंद्रीय प्रदूषण   नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट को पी गया। उलटे  विज्ञान को गलत साबित करने के लिए सत्ता पोषित वैज्ञानिक ही मोर्चे पर खड़े कार दिए गए हैं। भगवान जाने ये कुम्भ इस देश को कहाँ ले जाकर छोड़ेगा ? हे ईश्वर अब तू ही इस देश की रक्षा कर। आकाशवाणी कर की गंगा पाप धोने के लिए ,मोक्ष प्रदान करने के लिए हमेशा धरती पर रहने वाली है ,इसलिए उन्माद से बाहर  निकलो ! 

@ राकेश अचल


शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2025

मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल हायर सेकेण्ड्री की परीक्षा 25 फरवरी और हाईस्कूल की परीक्षा 27 फरवरी होंगी शुरू

मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल के तहत हायर सेकेण्ड्री (12वी) की परीक्षायें 25 फरवरी से शुरू होकर 25 मार्च तक आयोजित होंगीं। इसी तरह हाई स्कूल (10वी) की परीक्षा 27 फरवरी से शुरू होकर 21 मार्च तक चलेंगीं। 

जिला पंचायत सीईओ श्री विवेक कुमार ने स्ट्रांग रूम, प्रश्न-पत्र व उत्तर पुस्तिका वितरण स्टॉल पार्किंग व्यवस्था इत्यादि का निरीक्षण किया। साथ ही सुव्यवस्थित ढंग से परीक्षा सामग्री वितरित करने के लिये की गई बैरीकेटिंग देखी। उन्होंने इस अवसर पर निर्देश दिए कि सभी केन्द्राध्यक्ष निर्धारित समय पर परीक्षा सामग्री प्राप्त करने के लिये वितरण केन्द्र पहुँचें। साथ ही वे खुद वाहन लेकर न आएं, क्योंकि उन्हें परीक्षा सामग्री लेकर विशेष बस से परीक्षा केन्द्र तक पहुँचना होगा। साथ ही निर्देश दिए कि परीक्षा सामग्री पहुँचाने के लिये लगाई गई बसें भी समय पर पहुँच जाएं। 

जिला शिक्षा अधिकारी श्री अजय कटियार ने बताया कि जिले के ग्रामीण क्षेत्र में स्थापित सभी 34 परीक्षा केन्द्रों के लिये परीक्षा सामग्री का वितरण 21 फरवरी को प्रात: 10 बजे किया जायेगा। शहरी क्षेत्र के 58 परीक्षा केन्द्रों को सामग्री वितरण का काम 22 फरवरी को होगा। प्रश्न-पत्र सहित सभी प्रकार की परीक्षा सामग्री पुलिस अभिरक्षा में विशेष वाहनों अर्थात बसों द्वारा भेजी जायेगी। प्रश्न-पत्र संबंधित पुलिस थाने में कड़ी सुरक्षा के बीच रखे जायेंगे। उत्तर पुस्तिकायें व अन्य परीक्षा सामग्री संबंधित परीक्षा केन्द्र पर पहुँचाई जायेगी। 

जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विवेक कुमार द्वारा किए गए वितरण केन्द्र के निरीक्षण के दौरान जिला शिक्षा अधिकारी श्री अजय कटियार व एसडीएम लश्कर श्री नरेन्द्र बाबू यादव सहित अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद थे। 

जिले में कुल 92 परीक्षा केन्द्र, कुल 49 हजार 932 परीक्षार्थी देंगे बोर्ड परीक्षाएँ 

मध्यप्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा आयोजित होने जा रहीं बोर्ड परीक्षाओं के लिये जिले में कुल 92 परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं। इनमें से विकासखंड भितरवार में 10, डबरा में 14, घाटीगाँव में 6, मुरार ग्रामीण में 5 व मुरार शहर के कार्य क्षेत्र में अर्थात ग्वालियर शहर में कुल 57 परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं। इन परीक्षा केन्द्रों पर कुल 49 हजार 932 विद्यार्थी परीक्षायें देंगे। इनमें हाईस्कूल के 27 हजार 609 व हायर सेकेण्ड्री के 22 हजार 323 विद्यार्थी शामिल हैं। कुल विद्यार्थियों में 46 हजार 573 नियमित व 3 हजार 359 विद्यार्थी स्वाध्यायी परीक्षार्थी के रूप में परीक्षायें देंगे। 

प्रयागराज में अस्मिता की नीलामी

 आस्था के  महाकुम्भ   को  एक ' ईवेंट'  में बदलते  वक्त  उत्तरप्रदेश  सरकार  ने  सोचा  भी  नहीं  होगा  कि  उनका  लालच  हिन्दुस्तान  की अस्मिता को  नीलाम  करने  की  मंडी  में तब्दील  हो  जाएगा। महाकुम्भ को ईवेंट बनाकर जहां यूपी सरकार ने अपनी तिजोरियां भर लीं वहीं अब संगम में स्नान करती निर्दोष सनातनी महिलाओं की अर्धनग्न तस्वीरें भी लोगों की कमाई का जरिया बन गयीं हैं। इस सबके लिए जिम्मेदार लोगों को क्या माफ़ किया जा सकता है ?

प्रयागराज में ही नहीं बल्कि हरिद्वार,नासिक और उज्जैन में न जाने कब से कुम्भ लगता आ रहा है ,आगे भी लगता रहेगा ,लेकिन इस धार्मिक आस्था के आयोजन में ' महा '  शब्द जोड़ा उत्तर प्रदेश की धर्मभीरु किन्तु लालची सरकार ने। सरकार ने कुम्भ में लोगों को आमंत्रित करने के लिए सारे स्वांग किया ।  ज्योतिषियों की मदद ली ,तकनीक की मदद ली और   नतीजा ये है कि  देश के सनातनियों में ऐसा धर्मिक उन्माद पैदा हुआ की आधा देश प्रयागराज की और कूच कर गया।। लोगों को लगा कि  - अभी नहीं तो कभी नहीं '। फिर ऐसा कुम्भ न जाने फिर कभी आएगा, जिसमें स्नान करने से मोक्ष और पापमुक्ति की सौ फीसदी गारंटी मिल रही है।
किस्सा ये है कि  प्रयागराज  के कुम्भ में आस्था की डुबकी लगाने गयी युवतियों और महिलाओं की अधनंगी   तस्वीरें  अब इंटरनेट पर नीलाम हो रहीं है।  बाकायदा इनकी रेटलिस्ट जारी हो चुकी है। आप अपनी जेब खाली कर 'राम तेरी गंगा मैली हो गयी की अभिनेत्री मन्दाकिनी के जैसे उत्तेजक और अर्धनग्न दृश्य खरीद सकते हैं अपने मनोरंजन के लिये। धंधक धोरियों ने इसके लिए ' ओपन बाथ ' और 'हिडन बाथ ' ग्रुप बनाये हैं। इन समूहों की सदस्य्ता 1999 रूपये से लेकर 3000 हजार रूपये तक है। जिन महिलाओं और युवतियों की अस्मिता नीलाम हो रही हैं उन्हें इसका पता ही नहीं है।
महाकुम्भ से यूपी की सरकार तो पहले ही 3  लाख हजार करोड़ कमा चुकी है।  आसपास अयोध्या और बनारस के मंदिरों ने भी धर्मभीरु जनता की जेबें खाली करने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।  अकेले अयोध्या में साल बाहर पहले प्रतिष्ठित  हुए  रामलला मंदिर ने कमाई के नए कीर्तिमान   बना डाले। कुम्भ के महाकुम्भ बनाये जाने से अकेले सरकार ने ही नहीं बल्कि पर्यटन, होटल , आवास सेवाएं, फूड, पेय पदार्थ उद्योग, परिवहन , लॉजिस्टिक्स पूजा सामग्री, धार्मिक वस्त्र ,हस्तशिल्, पहेल्थकेयर , वेलनेस सेवाएं, मीडिया, विज्ञापन , मनोरंजन उद्योग, स्मार्ट टेक्नोलॉजी, सीसीटीवी-टेलीकॉम और एआई  आधारित सेवाओं से भी अकूत कमाई की गयी। श्रृद्धालुओं   को भनक ही नहीं लगी कि  किस तरह उनकी आस्था के बहाने प्रयागराज और आसपास एक बड़ा धर्म का कारोबार खड़ा कर दिया गया है।
खबर है कि  है कि 'डार्क वेब' की मदद लेकर बदमाश संगम में स्नान करती युवतियों और महिलाओं के  वीडियो बेच रहे हैं।  इस माले में जब तक पुलिस की नींद खुली तब तक असंख्य वीडियो  बेचे जा चुके थे ।  अब पुलिस हालांकि पुलिस मामले को लेकर कार्रवाई कर रही है. महिला तीर्थयात्रियों के अनुचित वीडियो  पोस्ट करने के आरोप में एक इंस्टाग्राम अकाउंट के खिलाफ 17 फरवरी को मामला भी दर्ज होने का दावा किया गया है। कुम्भ से सरकार को कमाई करते देख डार्क वेब ने भी हाथ आजमा  लिये ।  आपको बता दें कि  ' डार्क वेब '  को इंटरनेट की दुनिया का 'काला पन्ना' माना जाता है ।  ज्यादातर मामलों में साइबर अपराधी अपराध के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं।  डार्क वेब एक ऐसा हिस्सा है जो इंटरनेट पर मौजूद है, लेकिन ये समान्य सर्च इंजन जैसे कि गूगल, बिंग के द्वारा एक्सेस नहीं किया जा सकता।  यह एक प्रकार का एन्क्रिप्टेड नेटवर्क है जो विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग करके एक्सेस किया जा सकता ह। डार्क वेब का उपयोग अक्सर अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है।  इसके अलावा, डार्क वेब पर साइबर अपराधी भी सक्रिय होते हैं जो व्यक्तिगत जानकारी चोरी करने और अन्य अवैध गतिविधियों में शामिल होते हैं।
 कुंभ में स्नान करती हमारी बहू -बेटियों, बहनों के स्नान वीडियो ऑनलाइन बाज़ार में बिकने लगे हैं और दुनिया का सबसे बड़ा शक्तिशाली आई टी सैल ,और 100  करोड़ श्रद्धालुओं की भीड़ व्यवस्थित कर सकने वाला परम प्रतापी मुख्यमंत्री  कहॉं बैठा थे ? पूरी यूपी की पुलिस उन बदमाशों के इरादे और कारनामे नहीं भाँप पायी , देख कर भी पकड़ नहीं पायी ! योगी सरकार  अब उन सारे वीडियो को हटवाने के लिये क्या कर पायेगी ,क्योंकि ये वीडियो तो अब हवा में तैर चुके हैं। इन्हें आसानी से विलोपित करा पाना सम्भव नहीं है। अच्छा हुआ कि मुसलमानों को संगम में नहीं आने दिया गया , वरना सबसे आसान था उन पर  टेंटों में बार बार आग लगाने   प्रयागराज में भगदड़ मचाने  का ठीकरा उन्ही के सर फोड़ दिया जाता। अब कम से कम प्रयागराज में अस्मिता की मंडी लगाकर हो रही नीलामी और  संगम जल  को प्रदूषित करने का आरोप उन मुसलमानों पर नहीं लगाया जा सकेगा जिन्होंने भगदड़ के बाद प्रयागराज में फांसी बेबस सनातनियों को अपने मदरसों और मस्जिदों में पनाह दी थी।
हिंदुस्तान के इतिहास में धार्मिक आस्थाओं के साथ खिलवाड़ की ये पहली शर्मनाक घटना है।  इसके लिए मुख्यमंत्री योगी केो देश से क्षमा मांगना चाहिए। और भविष्य में ऐसे धार्मिक आयोजनों को इवेंट बनाने की गलती दोहराई नहीं जाना चाहिए। हमें याद है कि  एक जमाने में कुम्भ स्नान के लिए गृहस्थ आश्रम से मुक्त बड़े-बूढ़े ही जाया करते थे लेकिन इस कुम्भ को ईवेंट बनाकर सरकार ने अबाल--बृद्ध सभी को कुम्भ स्नान के लिए मजबूर कर दिया। लोग धक्के खाकर ,जान हथेली पर रखकर पुण्य लाभ के लिए आज भी दौड़े चले जा रहे हैं। जय हो ,जय हो। कुम्भ को पर्यटन उद्योग में तब्दील करने वालों की जय हो।
@ राकेश अचल 

गुरुवार, 20 फ़रवरी 2025

महापौर डॉ शोभा सतीश सिंह सिकरवार ने नगर निगम ग्वालियर का वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट प्रस्तुत किया

ग्वालियर 20 फरवरी । महापौर डॉ. शोभा सतीश सिंह सिकरवार ने आज वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिये निगमायुक्त द्वारा प्रेषित आय-व्यय पत्रक में आय रूपये 23,44,78,36,000/- (तेईस अरब, चवालीस करोड़, अठत्तर लाख, छत्तीस हजार) में समुचित कमी/वृद्धि कर रूपये 25,13,32,55,000/- (पच्चीस अरब, तेरह करोड़, बत्तीस लाख, पचपन हजार) की आय तथा आयुक्त द्वारा प्रस्तावित व्यय रूपये 23,20,17,69,000/- (तेईस अरब, बीस करोड़, सत्रह लाख, उन्हत्तर हजार) में समुचित कमी/वृद्धि कर रूपये 24,88,67,60,000/- (चौबीस अरब, अठासी करोड़, सढ़सठ लाख, साठ हजार) का व्यय तथा रक्षित निधि आय का 5 प्रतिशत रूपये 24,54,46,700/- (चौबीस करोड़, चौवन लाख, छियालीस हजार, सात सौ) सम्मिलित करते हुए कुल आय रूपये 25,13,32,55,000/- (पच्चीस अरब, तेरह करोड़, बत्तीस लाख, पचपन हजार) दर्शाते हुए शुद्ध आधिक्य रूपये 10,48,300/- (दस लाख, अढ़तालीस हजार, तीन सौ) का बजट प्रस्तुत किया। बजट प्रस्तुतिकरण उपरांत सभापति श्री मनोज सिंह तोमर ने बजट पर संशोधन प्रस्ताव लगाने हेतु दिनांक 28 फरवरी 2025 को शाम 5 बजे तक का समय निर्धारित किया तथा संशोधन प्रस्तावों पर चर्चा हेतु बैठक 7 मार्च 2025 दोपहर 3 बजे तक के लिए स्थगित की गई।  

दिल्ली में भाजपा की जीवन रेखा

जादूगर सरकार की तरह अब भाजपा भी जादू करके अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ देश को भी अचरज में डालने लगी है।  भाजपा ने लगभग तीसरी बार दिल्ली में विधायक दल के नेता के रूप में एक ऐसा  नाम नवनिर्वाचित विधायकों के सामने रख दिया जिसके बारे में दूर-दूर तक क्या, ख्वाब में भी किसी ने नहीं सोचा था ।  दिल्ली की नई-नवेली भाजपा सरकार की कमान, पार्टी हाईकमान ने श्रीमती  रेखा गुप्ता को सौंपी है।  रेखा को किस कोटर से निकाला गया  है, कोई नहीं जानता।  हालाँकि रेखा जी छात्र राजनीति से प्रशिक्षित होकर चुनाव की राजनीति में आयीं हैं। रेखा का अवतरण उसी तरह हुआ है जैसा कि  पहले राजस्थान ,मप्र और छग में अपने मुख्यमंत्रियों का किया था। 

दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री पद का स्वाभाविक उम्मीदवार समझा जा रहा था ,लेकिन हुआ उल्टा ।  भाजपा ने आतिशी का उत्तराधिकारी रेखा को बनाया। रेखा महिला भी हैं और वैश्य समाज का चेहरा भी ।  भाजपा की विवशता थी कि  वो दिल्ली की जनता को महिला की जगह महिला और केजरीवाल की जगह वैश्य को ही मुख्यमंत्री बनाये ,सो बना दिया हालाँकि ये निर्णय करने में भाजपा को पूरे 12  दिन लग गए। रेखा दिल्ली की चौथी महिला मुख्यमंत्री होंगी ।  चार में से दो महिलाएं भाजपा की और से दी गयी ।  पूर्व में श्रीमती सुषमा स्वराज भाजपा की सरकार की मुख्यमंत्री रह चुकीं हैं। कांग्रेस ने श्रीमती शीला दीक्षित को और आम आदमी पार्टी ने आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया था। 

आपको याद होगा की 1996 में रेखा गुप्ता  दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डुसू) की अध्यक्ष  चुनी गयीं थीं। 2007 में वो दिल्ली के पीतमपुरा (उत्तर) की काउंसिलर बनीं। रेखा ने पहला  विधानसभा चुनाव  शालीमार बाग सीट से ही लड़ा था लेकिन जीत नहीं पायीं   थीं ,किन्तु हाल  के विधानसभा चुनाव में रेखा गुप्ता ने आम आदमी पार्टी की बंदना कुमारी को क़रीब 30 हज़ार वोट से हराया।। रेखा ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि  पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री बना देगी। भाजपा ने इससे पहले राजस्थान में श्रीमती वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाकर महिला विरोधी होने के आक्षेप झेले थे ,लेकिन दिल्ली में महिला  को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा महिलाओं में एक बार फिर अपनी जगह बनाने की  नाकाम कोशिश कर रही है। 

मेरी अपनी धारणा है कि  भाजपा हाई कमान ने रेखा को मुख्यमंत्री बनाकर एक तरह  से जुआ खेला है।  तीर निशाने पर लगा तो ठीक  अन्यथा तुरुप बदलने में देर कितनी लगती है ? भाजपा अब पार्टी में पीढ़ी परिवर्तन कर रही है।  मध्यप्रदेश में डॉ मोहन यादव और राजस्थान में भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने ये प्रयोग करके देख लिया कि  पार्टी में कोई इस प्रयोग की खुलकर मुखालफत नहीं कर पाया ,दिल्ली में भी मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब पलने वाले तमाम नेता अपमान का घूँट पीकर रह गए हैं।  वरना दावा तो पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल या पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया  को हारने वाले विधायकों का बनता था। 

जानकारों का कहना है कि  भाजपा हाईकमान ने अब महिलाओं को ही अपना रक्षा कवच बना लिया है।  दिल्ली विधानसभा की 29  सीटें महिलाओं की वजह से ही भाजपा जीती है। महिलाएं यदि भाजपा के पक्ष में खुलकर मतदान न करतीं तो मुमकिन था की भाजपा की सरकार बन ही न पाती। भाजपा ने मप्र की तर्ज पर दिल्ली में भी महिलाओं को प्रतिमाह 2500रूपये सम्मान निधि देने की घोषणा की थी।  महिलाओं को ललचाकर भाजपा महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव भी जीत चुकी है ,केवल झारखण्ड की महिलाएं भाजपा के झांसे में नहीं आयीं। भाजपा ने 70 सीटों में से 9  पर महिला उम्मीदवार उतारे थे। 

आपको याद होगा कि  दिल्ली में जब aek  लम्बे आरसे बाद 1993 में विधानसभा के चुनाव हुए थे तब भाजपा की सरकार बनी थी ,लेकिन तबकी भाजपा  ने मात्र 5 साल में तीन मुख्यमंत्री बनाये थे ।  पहले मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना केवल 3  साल ही अपने पद पर रह पाए । खुराना हटे तो साहिब सिंह वर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया थे,वे कोई डेढ़ साल ही पद पर रह पाए की उन्हें भी हटा दिया गय।  साहिब सिंह के बाद श्रीमती सुषमा स्वराज मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री बनाई गयीं थीं 1998  में कांग्रेस की श्रीमती शीला दीक्षित के नेतृत्व में हुए चुनाव में भाजपा सत्ता से बेदखल कर दी गयी थी। उम्मीद की जाना चाहिए कि  भाजपा इस बार 27  साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापस लौटने पर पहले जैसी गलती नहींकरेगी ,यानि पांच साल में तीन मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। अब देखना ये है कि  रेखा गुप्ता क्या दिल्ली की नयी शीला दीक्षित बन पाएंगीं या नहीं ?फ़िलहाल रेखा जी भाजपा की जीवन रेखा तो बन ही गयीं हैं। 

@ राकेश अचल

बुधवार, 19 फ़रवरी 2025

आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास आश्रमों की जमीन पर किए अतिक्रमण को हटाया जाए - डॉ जबरसिंह अग्र

 कर्मचारियों को लंबित वेतन दिलाने के साथ ही छात्रावास आश्रमों की जमीन का सीमांकन कराकर अतिक्रमण हटाकर बाउंड्री वॉल कराने तथा व्यवस्था के नाम पर किए गए स्थानांतरण को निरस्त करने की मांग को लेकर कलेक्टर की जनसुनवाई में कार्यवाही का निवेदन किया 

ग्वालियर 19 फरवरी । आदिम जाति कल्याण विभाग छात्रावास आश्रम शिक्षक अधीक्षक संघ(CASAS-कसस) के संस्थापक अध्यक्ष डॉ जवर सिंह अग्र ने कलेक्टर ग्वालियर की जनसुनवाई में आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास आश्रमों की जमीन पर भू माफियों द्वारा आक्रमण किया गया है इस अतिक्रमण को हटाने के लिए छात्रावास आश्रमों की जमीनों का सीमांकन कराकर बाउंड्री वॉल करने तथा जिन अधिकारी कर्मचारियों की मिली भगत से आक्रमण किए गए हैं उनके विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की गई है।

दूसरे पत्र में सहरिया विकास अभिकरण के तीन कर्मचारी सोवरेन सिंह जाटव भगवान सिंह कुशवाहा और विद्या भाई यादव को विगत 9 माह से वेतन नहीं मिला है लंबित वेतन भुगतान करने के साथ की प्रतिमाह नियमित वेतन देने की मांग की गई है तीसरे पत्र में जिला ग्वालियर के छात्रावास आश्रम में स्वीकृत पदों के मानसिक शिक्षक अधीक्षक सदस्य करने के साथ ही जिला कार्यालय में अटैच शिक्षकों को छात्रावास आश्रम में अगस्त करने के साथ ही छात्रावास आश्रमों के अधीक्षकों से छात्रावास में ही कार्य कराया जाए ना कि जिला कार्यालय में ।

वहीं  शासन से प्रतिबंध के बावजूद भी व्यवस्था के नाम पर बगैर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के स्थानांतरण किए गए हैं उन स्थानांतरण को निरस्त करने तथा नगर निगम सीमा के अधीक्षकों को अतिरिक्त प्रभार नगर निगम सीमा में ही दिया जाए मुख्यालय से 8 किलोमीटर की दूरी के अधीक्षकों को नजदीक के छात्रावास अधीक्षक को अतिरिक्त प्रभार दिया जाए यह भी मांग की गई है और जो नियमों के विरुद्ध परिवार दिए गए हैं अपने चहेतों को किसी किसी को तो 3-3 , 4-4  छात्रावास का प्राभर दिया है उनको हटा हटाने की मांग की गई ।तीनों पत्रों को जनसुनवाई में लेकर सहायक जनजाति कार्य विभाग को कार्यवाही के निर्देश दिए तीनों ही पत्रों को जनसुनवाई में लेकर दर्ज किया गया है तीनों ज्ञापनों पर शीघ्र कार्रवाई करने का आश्वासन अधिकारियों ने दिया है ।

मंगलवार, 18 फ़रवरी 2025

नगर निगम कमिश्नर ने शहर में सफाई व्यवस्था का निरीक्षण किया

ग्वालियर । नगर निगम आयुक्त श्री संघ प्रिय ने महाराज बाड़ा क्षेत्र में सफाई व्यवस्था का निरीक्षण किया । निरीक्षण के दौरान विद्युत ट्रांसफार्मर के नीचे कचरा मिला नगर निगम आयुक्त ने अधिकारियों से कचरा साफ नहीं करने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया गया कि करंट आने के डर से यहां पर सफाई नहीं की जाती है । नगर निगम आयुक्त श्री संघ प्रिय ने अपने हाथों से कचरे को साफ किया और सफाई मित्रों को हिदायत दी की वह झाड़ू की मदद से सफाई करें। जिससे करंट का खतरा भी नहीं रहे और सफाई भी हो जाए। इसके बाद सराफा बाजार में निरीक्षण के दौरान कुछ स्थानों पर थोड़ा कचरा मिला इसे लेकर नगर निगम आयुक्त ने कर्मचारियों को फटकार लगाई।

निरीक्षण के दौरान अपर आयुक्त श्री मुनीश सिंह सिकरवार, उपायुक्त श्री अमर सत्य गुप्ता सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।


सोमवार, 17 फ़रवरी 2025

हाकिम सिंह चोकोटिया बने दलित आदिवासी महापंचायत के संभागीय अध्यक्ष

 

ग्वालियर । दलित आदिवासी महापंचायत के संस्थापक संरक्षक डॉ जवर सिंह अग्र ने के निर्देश अनुसार महापंचायत के प्रांतीय अध्यक्ष महेश मदुरिया ने हाकिम सिंह चोकोटिया को संभाग ग्वालियर का संभागीय अध्यक्ष नियुक्त किया है ।

साथ ही संभाग ग्वालियर की संभागीय कार्यकारिणी का गठन प्रांत अध्यक्ष से अनुमोदित कराकर घोषित करने के निर्देश दिए हैं । नियुक्ति पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है की महापंचायत एक सामाजिक संगठन है जो गैर राजनीतिक है इसलिए दलित आदिवासियों के हक अधिकार के लिए कार्य करें उन्हें न्याय दिलाने के लिए संघर्षशील रहे ।

 हाकिम सिंह चोकोटिया को ग्वालियर संभाग का अध्यक्ष नियुक्त होने पर संस्थापक संरक्षक डॉ जवर सिंह अग्र प्रांत अध्यक्ष महेश मदुरिया डॉ राजेश पिप्पल केशव माहोर जिला अध्यक्ष ग्वालियर संदीप सोलंकी ने बधाई दी है महापंचायत के बरिष्ठ नेताओं ने आज हाकिम सिंह चोकोटिया को नियुक्ति पत्र सोपा ।

सबको बताओ कि-' अमेरिका में क्या किया ?'

 

गोदी मीडिया हो या मोदी मीडिया प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी की अमेरिका यात्रा की कामयाबी के यशोगान में लगा है। लेकिन ये देश तभी इस कीर्ति गाथा का हिस्सा बन सकता है जब माननीय मोदी जी खुद प्रेस के सामने विस्तार से अपनी अमेरिका यात्रा का विवरण देश को दें।  ये इसलिए जरूरी है क्योंकि अमेरिका ने अवैध प्रवास के आरोपी भारतीयों को भारत वापस भेजते समय अमानवीयता का रवैया छोड़ा नहीं है।  मोदी जी क्या अमेरिका को मानवीयता का पाठ भी नहीं पढ़ा पाए ?

मोदी जी की अमेरिका यात्रा से पूरे देश को तमाम उम्मीदें थीं लेकिन मोदी जी अमेरिका से केवल खरीद-फरोख्त के मसौदों पर दस्तखत कर वापस लौट रहे हैं। और उनके आगे-पीछे डंकी रुट से अमेरिका गए भारतियों के दल भी भारत भेजे जा रहे हैं।डंकी रूट से अमेरिका गए 116 भारतीयों को लेकर एक विशेष विमान शनिवार 15 फरवरी, 2025 की देर रात अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा।  इनमें सबसे ज्यादा पुरुष थे, जिन्हें यात्रा के दौरान हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़ा गया था. निर्वासितों में पंजाब के 67 लोग हैं, जबकि 33 लोग हरियाणा के रहने वाले हैं। हमवतनों को मनुष्यों की तरह विमान से उतरते न देख हर भारतीय का मन उदिग्न है सिवाय सत्तारूढ़ दल के और सत्ता के। 

बड़ा शोर किया जा रहा है कि  मोदी-ट्रम्प भेंट के बाद चीन कोई पिंडलियाँ   काँप रहीं हैं, बांग्लादेश की नींद हराम हो गयी है और रूस सकते में है । लेकिन हमें क्या किसी को ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा। हमें तो भारत-अमेरिका के बीच इस भेंट -वार्ता से अनिष्ट ही अनिष्ट दिखाई दे रहा है।  अमेरिका ने हमारे ऊपर जो टैरिफ लगाया है वो वापस नहीं हुआ । अमेरिका को हम फूटी कौंड़ी का अपना माल नहीं बेच पाए और अमेरिका ने हमें खटारा लड़ाकू   विमानों से लेकर तेल-वेल सब बेच दिखाया। चतुर   कौन निकला अमेरिका या भारत ? कहाँ गया माल बेचने का  गुजराती कौशल ?

भारत के प्रधानमंत्री का कद शायद पंडित जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गाँधी से भी बड़ा है लेकिन हमें इससे हासिल क्या हो रहा है सिवाय जिल्ल्त के। अभी मोदी जी ने अमेरिका से रवानगी भी नहीं डाली थी की भारत को चुनाव में मिलने  'विदेशी फंडिग' पर हथौड़ा चल गया । एलन मस्क की अगुवाई वाले अमेरिकी सरकारी कार्यदक्षता विभाग [डी ओ जी ई ] ने कई खर्चों में कटौती की है। इसमें भारत के चुनावों में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए दिए जाने वाले 2.1 करोड़ डॉलर भी शामिल हैं। बांग्‍लादेश और नेपाल से जुड़े प्रोजेक्‍टों की फंडिंग को भी रोकने का ऐलान हुआ है। राष्ट्रपति ट्रंप ने पिछले महीने मस्क को इस विभाग का प्रमुख बनाया था। विभाग ने 'एक्स' पर पोस्ट करके इस कटौती की जानकारी दी। अमेरिका ने जो व्यवहार नेपाल और बांग्लादेश कि साथ किया ,वो ही भारत कि साथ किया है। 

मोदी जी की अमेरिका यात्रा का सुफल ये है कि  भारतीय दस्तकारी उत्पादों पर अमेरिका ने 29  फीसदी टैरिफ  ठोंक दिया है ,इससे भारतीय कारीगरों की तो जैसे कमर ही टूटने वाली है ,लेकिन मोदी जी अमेरिका का हाथ नहीं रोक पाये । ट्रंप ने भारत पर जवाबी टैरिफ (रेसिप्रोकल टैरिफ) लगना शुरू कर दिया  है। इससे ट्रेड वॉर की टेंशन बढ़ गई है। ट्रंप बार-बार कह रहे हैं कि भारत बहुत ज्‍यादा टैरिफ लगाता है। अमेरिका में स्‍टील और एल्‍युनीनियम के आयात पर टैरिफ बढ़ाकर ट्रंप पहले ही भारतीय स्‍टील निर्यातकों को झटका दे चुके हैं। अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप का रुख बहुत सख्त दिख रहा है। वह किसी को बख्‍शने के मूड में नहीं हैं। दोस्‍तों और प्रतिद्वंद्वियों दोनों के साथ टैरिफ के मामले में उनका सलूक एक जैसा है।आपको बता दें कि  अमेरिका का जिस देश के साथ भी व्‍यापार घाटा है, उसे नुकसान उठाना करीब-करीब तय है।

चलिए मान लेते हैं कि  भारत अमेरिका की जमीन पर अकड़ कर नहीं बोल पाया,लेकिन क्या मोदी जी भारत लौटकर ट्रम्प चालों का जबाब देने का ऐलान कर सकेंगे ? क्या वे ट्रम्प और ब्रिक्स में से ब्रिक्स को प्राथमिकता देने की घोषणा कर पाएंगे ? क्या वे उसी तरह से ट्रम्प से पेश आ सकते हैं जैसे वे देश में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर चड्डी गांठते हैं ? अमेरिका में ट्रम्प के सामने उन्हें सांप क्यों सूंघ जाता है।  क्यों नहीं उन्होंने भारतियों को ससम्मान भारत भेजने की शर्त रखी ? क्यों विश्वगुरु के रहते भारतीय मनुष्यों की तरह नहीं बल्कि डंकियों की तरह स्वदेश भेजे जा रहे हैं ? क्यों भारत की जमीन पर अमेरिका के सैन्य विमानों को उतरने की इजाजत दी जा रही है ? क्या भारत के पास अपने नागरिकों को अमेरिका से लाने के लिए विमानों का टोटा है ?

भारत के लिए सबसे ज्यादा लज्जा की बात तो ये है कि  अमेरिका में साझा पत्रकार वार्ता में भारत के प्रधानमंत्री से पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल पर भारत के प्रधानमंत्री बगलें झांकते रहे और जबाब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दे दिया। भारत का इतना अपमान तो पूर्व के किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं कराया  ,स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी ने भी नहीं। भाजपा के होते हुए भी अटल जी ने तोअमेरिका के प्रतिबंधों के बावजूद  परमाणु परीक्षण  कर दिखाया था और भारत के मान-अभिमान को बढ़ाया था। मोदी जी से नेहरू -इंदिरा को तो छोड़िये अटल जी से भी नहीं सीखा गया कि विदेश में देश का मान-सम्मान कैसे अक्षुण रखा जाता है ? 

बेहतर हो कि  भारत के प्रधानमंत्री प्रात: स्मरणीय, वंदनीय ,माननीय श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी अपनी अमेरिका यात्रा के बारे में देश के राष्ट्रपति को ,देश की सांसद को और देश के नागरिकों को खुलकर बताएं। यदि वे मौन रहते हैं तो समझ लीजिये कि  आपके साथ छल किया जा रहा है। भारतीय अस्मिता के साथ खिलवाड़ को मौन होकर सहा जा रहा है।उल्लेखनीय है कि  भारत में सभी मोदी जी के विरोधी नहीं है।  कांग्रेस के शशि थरूर तक ने मोदी जी की सराहना की है। हमने भी की है, लेकिन अब हमें निंदा का भी अधिकार है। मोदी जी ने कुम्भ नहाकर भी अपने आपको देश के अपमान का अपराधी बना लिया है। उन्हें इससे विमोचित होना है  तो वे कुम्भ भले न नहाएं लेकिन जनता से सच जरूर बताएं तो मुमकिन है कि  उन्हें मोक्ष मिल जाये। 

@ राकेश अचल

रविवार, 16 फ़रवरी 2025

केन्द्रीय बजट जन हितैषी= तावड़े

पत्रकारों से चर्चा करते हुये।भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने रविवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुये कही। बताया कि बजट में कृषि योजना में किसान क्रेडिट कार्ड को तीन लाख से बढाकर पांच लाख किया गया 

ग्वालियर। केन्द्रीय बजट जन हितैषी, किसान हितैषी और मजदूर वर्ग सहित सभी मध्यम वर्गीय के लिए लाभदायक है। यह बजट विकास के साथ गरीबी को घटाकर शून्य तक ले जाने का कार्य करेगा। यह बजट देश को विश्वस्तरीय प्रतिस्पर्धा के लिये योग्य बनायेगा। इस बजट में सौ प्रतिशत गुणवत्तपूर्ण शिक्षा शक्ति का स्क्लिड बनाने का प्रावधान है। बजट में पांच लाख महिलाओं व अनुसूचित जाति जनजाति को उद्यमी बनाने के लिये ऋण प्रदान किया जायेगा। बजट में पांच लक्ष्य निर्धारित कर उन पर अमल किया गया है। इस बजट में वरिष्ठ नागरिकों को जहां टीडीएस में बढ़ोत्तरी कर एक लाख किया गया है। वहीं अन्य सुविधाएं भी बजट में दी गई है। यह बात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री विनोद तावड़े ने रविवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुये कही।
पत्रकारों से चर्चा करते हुये श्री तावड़े ने बताया कि बजट में कृषि योजना में किसान क्रेडिट कार्ड को तीन लाख से बढाकर पांच लाख किया गया है। साथ ही बजट से एमएसएमई से भी निवेश बढेगा। इसके लिए केन्द्रीय बजट में दस हजार करोड का प्रावधान किया गया है। इतना ही नहीं एमएसएमई में पांच लाख अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं को दो करोड का ऋण देकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया जायेगा। बजट से स्वदेशी न्यूक्लियर रिएक्टर को 20 हजार करोड उपलब्ध कराए गए है। वहीं देश में 120 नये एयरपोर्ट के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि टैक्स स्लैब में दी गई छूट से मध्यम वर्ग को बहुत फायदा मिलेगा। टैक्स स्लैब को बढ़ाकर 12 लाख से अधिक करने के साथ वरिष्ठ नागरिकों को भी छूट मिली है। केंद्रीय बजट में वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज पर या किराये पर टीडीएस के लिए निर्धारित वार्षिक सीमा दो लाख 40 हजार के बढ़ाकर छह लाख किया गया है। इस प्रावधान से देश के करोड़ों वरिष्ठ नागरिकों को फायदा होगा। किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना की शुरूआत की गई है। इस योजना का देश के कई लाख किसानों को सीधा फायदा मिलेगा।  
श्री तावडे ने बताष कि केंद्रीय बजट में 50 हजार अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाएं स्थापित करने का प्रावधान किया गया है। बजट में किए गए इस प्रावधान से छात्रों के इनोवेशन को बढ़ावा देगी। जिस तरह से वर्तमान में कम उम्र में छात्र टेक्नालॉजी को अपना रहे हैं, उसके लिए यह अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाएं बहुत कारगर साबित होंगी। छात्रों को कम उम्र में ही इनोवेशन को बहुत अधिक विस्तार मिलेगा। उन्होंने बताया कि केंद्रीय बजट में हर क्षेत्र के लिए बजट में प्रावधान किया गया है, उन सभी प्रावधानों का लाभ मध्यप्रदेश की जनता को मिलेगा। मध्यप्रदेश में मेडिकल शिक्षा की 75 हजार नई सीटें बढ़ने का फायदा प्रदेश को मिलेगा। एमपी में 12 नए मेडिकल कॉलेज खुलने के साथ दो हजार मेडिकल सीटें बढ़ेंगी। कैंसर के इलाज के लिए देशभर में 200 डे केयर सेंटर खोले जाएंगे, जिसमें मध्यप्रदेश को भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलेगा।

राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावडे से पूछे एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि 2014 से दस साल में राहुल गांधी से लेकर अन्य विपक्षी नेताओं ने तानाशाह से लेकर कई आरोप तो लगाए लेकिन घोटाले का कोई आरोप नहीं लगाया। बिहार प्रभारी होने के बारे में पूछे प्रश्न में तावडे ने बताया कि बिहार में एनडीए के साथ सरकार बनायेंगे। वहां पर लालू, तेजस्वी यादव के गुंडाराज को खत्म करेंगे। देश में पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि समय के साथ वह जीएसटी में पेट्रोल डीजल को ले आयेंगे। 

 पत्रकारवार्ता में मंत्री नारायण सिंह कुशवाह, मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, सांसद भारत सिंह कुशवाह, पूर्व सांसद विवेक नारायण शेजवलकर, प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल, विधायक मोहन सिंह राठौड़, भाजपा जिला अध्यक्ष जयप्रकाश राजौरिया, ग्रामीण जिला अध्यक्ष प्रेम सिंह राजपूत, प्रदेश प्रवक्ता सुश्री नेहा बग्गा, संभागीय मीडिया प्रभारी राजलखन सिंह, जिला मीडिया प्रभारी नवीन प्रजापति उपस्थित थे। 

भारत बनाम भगदड़,भगदड़ बनाम मौत

 

पुण्य कमाने के लिए प्रयागराज में  संगम नोज पर हुई भगदड़ में मारे गए निर्दोष लोगों का खून अभी सूखा भी नहीं है कि  दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 18  लोगों की मौत हो गयी। मरने वालों की शायद आ गयी थी ।  उनकी किस्मत में ही शायद भगदड़ में कुचलकर मरना लिखा था,अन्यथा रेलवे स्टेशन पर तो न कोई मेला था और न कोई मजार। फिर भी भगदड़ हुई और हमेशा की तरह निर्दोष लोग मारे गए लेकिन संगदिल सरकार में से इस बार भी कोई इस भगदड़ की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेकर अपने  पद से इस्तीफा नहीं देगा।

अभी पिछले हफ्ते ही मैं विश्व पुस्तक मेला में शामिल होने के लिए नई दिल्ली गया था। उस वक्त भी स्टेशनों पर अराजकता थी ।  दिल्ली का कोई भी स्टेशन हो इसी तरह की अराजकता का शिकार होता है जैसा कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन था। स्टेशन पर हुई भगदड़  की वजह जाहिर है कि स्थितियों का सही आकलन न होने के साथ ही रेलों की आवाजाही की घोषणाओं में कोई तालमेल न होना भी रहा होगा। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ की शिकार भीड़ भी धर्मांध भीड़ रही होगी,क्योंकि जायदातर लोग कुंभारथी थे। इस बार के कुम्भ को महाकुम्भ बनाकर यूपी  की सरकार ने जो पाप किया है उसीका फल है की जैसी भगदड़ संगम नोज पर हुई वैसी ही भगदड़  नयी दिल्ली रेल स्टेशन पर हुई।

भगदड़ में अभी 18  रेल यात्रियों की मौत का आधिकारिक आंकड़ा आया है ,ये आगे बढ़ भी सकता है ,लेकिन अभी तक किसी ने इस भगदड़ के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं ली है।    सरकार मानती है कि भगदड़ के लिए तंत्र जिम्मेदार होता ही नहीं है ,जिम्मेदार होती है खुद भीड़। इसलिए कोई कुछ नहीं   कर   सकता। प्रधानमंत्री जी का काम है कि मरने वालों के प्रति शोक जतायें सो उन्होंने जता दिया। गनीमत है कि दिल्ली  में अब आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं है अन्यथा इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे के लिए केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया जा सकता था।

रेलवे स्टेशन पर आखिर इतनी भीड़ आयी कहाँ से ?क्या रेलवे प्रशासन को स्टेशन पर भीड़ बढ़ने की कोई खबर नहीं थी ?क्या स्टेशनों पर भीड़ नियंत्रण का कोई मैकेनिज्म  रेल  मंत्रालय के पास  मौजूद नहीं है।

भगदड़ प्लेटफार्म नंबर  13  पर बताई जा रही है ,लेकिन ये भगदड़ किसी एक प्लेटफार्म की नहीं बल्कि पूरे स्टेशन की बदइन्तजामियत का नतीजा है। मैंने चीन की राजधानी बीजिंग में देखा है की स्टेशन के भीतर और बाहर भीड़ नियन्तण की  दोहरी व्यवस्था होती ह।  पहले भीड़ को प्लेटफार्म के बाहर प्रतीक्षालय में रोका जाता है। बाद में प्लेटफार्म पार उन्हीं टिकटार्थियों को जाने दिया जाता है जिनकी रेल का समय आने का होता है। रेल के एते ही सवारियां कतार लगाकर कोच में प्रवेश करतीं है और जैसे ही सभी यात्री कोच के अंदर पहुँच जाते हैं ,रेल को रवाना कर दिया जाता है।  यानि प्लेटफार्म एकदम खाली हो जाता है। हमारे यहां प्लेटफार्म विश्रामगृह भी है और प्रतीक्षालय भी। प्लेटफार्म  पर रेल यात्री ,उनके परिजन भी होते हैं। और बैंडर भी  हैं और यहीं भिखारी भीख भी मांगते-मांगते सो सकते हैं।

 रेल मंत्रालय के प्रवक्ता दिलीप कुमार ने बताया है, "रात में प्रयागराज एक्सप्रेस और मगध एक्सप्रेस ट्रेंनो के लिए बहुत पैसेंजर आ गए और सबको लगा कि ये आखिरी ट्रेन है इसी से चले जायेंगे.। प्रयागराज एक्सप्रेस उसी में ये धक्के जैसी स्थिति हुई है, बाकी पूरी जानकारी सीसीटीवी देखने के बाद पता चलेगी. डीजी आरपीएफ और चेयरमैन रेलवे बोर्ड स्टेशन पर हैं, वो देखेंगे क्या हुआ है. हमने हाई पावर कमेटी बनाई है, मामले की जांच के लिए.। हमारी  पूरी सरकार दिल्ली में बैठी है लेकिन कोई स्टेशन की और नहीं दौड़ता ।  सबके सब सोशल मीडिया के जरिये मातम मनाकर अपनी जिम्मेदारी से निवृत्त हो जाते हैं। गनीमत है की  घटनास्थल पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सतीश कुमार, आरपीएफ के महानिदेशक समेत कई अधिकारी पहुंचे।  

भारत में भगदड़ संगम के तट पर हो या किसी मंदिर में या किसी रेल स्टेशन पर ,सभी के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं होत। जनता ही होती है। इस हादसे के बाद मृतकों के परिजनों और घायलों को मुआवजा देकर मामले की इतिश्री कर दी जाएगी। क्योंकि इस देश में नागरिकों की हैसियत कीड़े-मकोड़ों जैसी है। इसलिए हे भारतीयों सरकार के भरोसे मत रहो।  अपने जान-माल की रक्षा खुद  किया करो।रेल मंत्रालय को चाहिए की वो अपनी व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन करे।  केवल धर्म का धंधा करने से  से काम नहीं  चलने वाला नहीं है। आने वाले दिनों में भगदड़ें भारत की सबसे बड़ी समस्या बनने वाली हैं। मोदी जी को इसके लिए पृथक से मंत्रालय बनाना होगा।

@ राकेश अचल  

शनिवार, 15 फ़रवरी 2025

धर्म का धंधा सबसे चोखा धंधा

 

यदि आप निवेश करने की सोच रहे हैं तो एसआईपी,एफडी ,शेयर बाजार के फेर में न पड़े।  निवेश के लिए कलियुग में धर्म का क्षेत्र सबसे ज्यादा सुरक्षित है।  मुमकिन है कि आपको मेरी बात पर यकीन न आये,या आप मेरी बात को धर्म विरोधी अथवा सनातन विरोधी कह उठें ,लेकिन मै जो कह रहा हूँ ,वो सोलह आने सच है।  यदि आपको मेरी बात पर भरोसा नहीं है तो आप उत्तर प्रदेश के उत्तरदायी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बूझ लीजिये। धर्म क्षेत्र में निवेश करने भर से उत्तर प्रदेश सरकार की बल्ले-बल्ले हो गयी है। वो भी एक महीने में। 

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 12  जनवरी 2025  से शुरू हुया कुम्भ अब समापन की और  है ।  एक महीने के कुम्भ में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जहाँ भगदड़ में कुल 30  लोग मरे वहीं देश के 50  करोड़ लोगों ने कुम्भ में डुबकी लगाकर उत्तर प्रदेश सरकार को डूबने से बचा लिया। सरकार ने मात्र 15000 करोड़ रूपये का निवेश कर कुम्भ से करीब 3  लाख करोड़ रूपये की कमाई कर दिखाई। आपको याद होगा की इस समय उत्तर प्रदेश के  हर आदमी के ऊपर 31  हजार रूपये का कर्ज है। सरकार पर तो ये कर्ज लाखों करोड़ का है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथने ये रहस्योद्घाटन एक सरकारी समारोह में किया। 

भारतीय परंपरा और इतिहास में  धर्म में निवेश का जरिया अब तक केवल मंदिर थे । मंदिरों हमारी आस्था के साथ-साथ देश की समृद्ध धार्मिक विरासत के भी प्रतीक हैं। एक अनुमान के मुताबिक देशभर में 5 लाख से अधिक मंदिर हैं। देश में कई ऐसे मंदिर हैं जहां हर साल करोड़ों का चढ़ावा आता है। लोग मंदिरों में जाकर मन्नत मांगते हैं और इसके पूरी होने पर अपनी हैसियत के मुताबिक मंदिरों में रुपये, सोना और चांदी आदि दान करते हैं।उत्तर परेश सरकार ने पहली बार धर्म के जरिये खजाना भरने की तकनीक का इस्तेमाल किया ,अन्यथा कुम्भ तो  सदियों से आयोजित होता रहा है ,लेकिन कुम्भ को इवेंट बनाकर कमाई पहली बार की गयी है।पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी धर्म क्षेत्र में निवेश की अक्ल नहीं आई थी।  

आपको बता दें कि  केरल में स्थित पद्मनाभ स्वामी मंदिर भारत का सबसे अमीर मंदिर है। ये मंदिर केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में है। इस मंदिर की देखभाल त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार द्वारा की जाती है। इस मंदिर को खजाने में हीरे, सोने के गहने और सोने की मूर्तियां शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर की 6 तिजोरियों में कुल 20 अरब डॉलर की संपत्ति है। यही नहीं, मंदिर के गर्भग्रह में भगवान विष्णु की बहुत बड़ी सोने की मूर्ति विराजमान है, जिसकी कीमत 500 करोड़ रुपये है।तिरुपति मंदि। में हर साल लगभग 650 करोड़ रुपये दान के रूप में देते हैं। लड्डू का प्रसाद बेचने से ही मंदिर को लाखों रुपये की कमाई होती है। तिरूपति मंदिर भगवान वेंकटश्वर को समर्पित है, जिन्हें विष्णुजी का अवतार माना जाता है। माना जाता है कि मंदिर के पास नौ टन सोने का भंडार है और विभिन्न बैंकों में फिक्स डिपॉजिट में 14,000 करोड़ रुपये जमा हैं।

जाहिर है कि  हमारे देश में युद्धक विमान बनाने,परमाणु ऊर्जाक्षेत्र में निवेश करने से जितना मुनाफ़ा नहीं   हो सकता जितना कि  धर्म के क्षेत्र में निवेश करने से हो सकता है।  कुम्भ में कमाई को देखते हुए मुमकिन है कि  आगामी आम बजट में हमारी केंद्रीय वित्तमंत्री अपने सीतारामी   बजट में धार्मिक क्षेत्र  में निवेश के लिए एफडीआई शुरू कर दें। ताकि विदेशी भी इस क्षेत्र में निवेश कर कुछ कमाई कर सकें  और भारत की अर्थ व्यवस्था को 5  ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान कर सकें।  इस्कॉन तो पहले से ही इस क्षेत्र में निवेश कर माल पीट रहा है। इस्कान के मंदिर ही नहीं बल्कि भोजनालय और रिसोर्ट भी अकूत कमाई कर रहे हैं। 

हाल की अमरीका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से धर्म के क्षेत्र में अमरीकी निवेश की बात करना थी ।  भारत अमेरिका को तो कुछ और तो बेचने से रहा इसलिए कम से कम धर्म का क्षेत्र निवेश के लिए खोलकर अमेरिका से तेल,फाइटर  विमान और न्यूक्लियर  इनर्जी खरीदने से होने  वाले घाटे की भरपाई तो कर ले।  वैसे भी भारत के पास खरीदने के अवसर तो हैं लेकिन बेचने के नहीं।  भारत ज्यादा से ज्यादा अपना आत्म सम्मान बेच सकता है ,सम्प्रभुता गिरवी रख सकता है। हमारी मौजूदा सरकार ने ये काम किया है।भारत की धरती पर अवैध प्रवासियों को लेकर ए अमेरिका कि सैन्य विमानों को उतरने की अनुमति देकर।  काश  ! मोदी जी धर्म के जरिये योगी की तरह कुछ कमाने के लिए अमरीका,चीन या रूस के साथ कोई संधि कर पाते।

मुझे उम्मीद है कि  योगी जी के सफल प्रयोग के बाद अब भविष्य में उत्तराखंड,महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की सरकारें धर्म क्षेत्र में निवेश के लिए नयी योजनाएं बनाकर कमाई का नया स्रोत विकसित करने का साहस जुटा पाएंगी। मुमकिन है की योगी जी अखिलेश यादव जैसे अपने आलोचकों का मुंह भी कुम्भ से हुई कमाई दिखाकर बंद करने की कोशिश करें। अब सम्भवामि युगे-युगे की जगह धर्मक्षेत्रे युगे-युगे कहा जाएगा 

@ राकेश अचल

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