शुक्रवार, 21 मार्च 2025

ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन दिल्ली में सम्मानित हुए

अखिल भारतीय जैन ज्योतिषाचार्य परिषद द्वारा भारत की राजधानी दिल्ली में दो दिवसीय ज्योतिष महाकुंभ का आयोजन संस्था के संस्थापक रवि जैन गुरु जी की अध्यक्षता एवं  बालयोगी  आचार्य सौभाग्य सागर जी आचार्य श्रुत सागर जी महाराज जी के मंगल आशीर्वाद एवं सानिध्य  में 18,19 मार्च 2025 को ग्रीन पार्क एवं कुंद कुंद भारती में  संपन्न हुआ।

इस अधिवेशन में देश से दिल्ली प्रांत के अलावा,उत्तरप्रदेश,हरियाणा,महाराष्ट्र,कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान आदि प्रांतों के सैकड़ों ज्योतिष विद्वानों ने भाग लिया।

मध्य प्रदेश ग्वालियर  से ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने भी इस अवसर पर  अपने विचार रखे।

ग्रीन पार्क समिति एवं कुंद कुंद भारती ट्रस्ट ने उन्हें सम्मानित किया।

ज्ञात रहे जैन  ज्योतिषाचार्य विगत 26 वर्षों से लगातार ज्योतिष के क्षेत्र में कार्य करते हुए ज्योतिष के माध्यम से अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी करते रहे हैं जो अक्सर कर समय समय पर सत्य सिद्ध हुई है।


21 मार्च 2025, शुक्रवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:25 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:31 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2081* शाके-1946 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण,दक्षिणगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज चैत्र माह कृष्ण पक्ष *सप्तमी तिथि*  28:23 बजे  तक फिर अष्टमी चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज* ज्येष्ठा नक्षत्र 25:45 बजे  तक फिर मूल नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *सिद्धि*  है। 

 *करण*  :-आज  *विष्टि* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक नहीं गंडमूल दिन रात है भद्रा 15:39 बजे तक  है।

*🔥अग्निवास*: आज आकाश  में है।

☄️ *दिशाशूल* : आजपश्चिम दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 10:58 से 12:28 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:04 बजे से 12:53 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा* :शीतला सप्तमी 

*मुहूर्त* :कोई नहीं 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मीन, चन्द्र-वृश्चिक मंगल-मिथुन, बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

*🌞चोघडिया, दिन*

चर 06:25 - 07:56 शुभ

लाभ 07:56 - 09:27 शुभ

अमृत 09:27 - 10:58 शुभ

काल 10:58 - 12:28 अशुभ

शुभ 12:28 - 13:59 शुभ

रोग 13:59 - 15:30 अशुभ

उद्वेग 15:30 - 17:01 अशुभ

चर 17:01 - 18:32 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

रोग 18:32 - 20:01 अशुभ

काल 20:01 - 21:30 अशुभ

लाभ 21:30 - 22:59 शुभ

उद्वेग 22:59 - 24:28*अशुभ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

गुरुवार, 20 मार्च 2025

मिशन से कमीशन तक पहुंची पत्रकारिता:अनिल तिवारी

 “एआई के दौर में बदलती पत्रकारिता और उसकी चुनौतियां“ विषय पर आयोजित व्याखान

ग्वालियर 20 मार्च । आजादी से पूर्व पत्रकारिता एक मिशन हुआ करती थी। स्वतंत्रता के बाद फैशन बनी और  मौजूदा परिवेश में कमीशन तक पहुंच गई है पत्रकारिता। यह कहना था मुंबई के प्रतिष्ठित हिंदी समाचार-पत्र “सामना“ के कार्यकारी संपादक अनिल तिवारी का। 

इंटरनेशनल सेंटर ऑफ मीडिया एक्सीलेंस (आईकॉम) पर “एआई के दौर में बदलती पत्रकारिता और उसकी चुनौतियां“ विषय पर आयोजित व्याखान में मुख्यवक्ता के तौर बोलते हुए यह बात कही। 

सेंटर डायरेक्टर डॉ. केशव पाण्डेय ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि सामना जैसे समाचार-पत्र पत्रकारिता को नई दिशा प्रदान करते हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम बढ़ाने वाले युवाओं को समझना और जानना होगा कि आधुनिक परिवेश की पत्रकारिता में आने वाली चुनौतियां क्या हैं और उनसे कैसे पार पाया जा सकता है? कार्यक्रम का संचालन प्रतिभा दुबे ने तथा आभार व्यक्त संपादक विजय पाण्डेय ने किया। 

एआई का करें बेहतर इस्तेमाल 

मुख्य वक्ता तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता में आज कई बड़ी चुनौतिया हैं। तकनीक के बढ़ते प्रभाव से काम आसान हुआ है। जिस स्टोरी को बनाने में तीन घंटे लगते थे उसे एआई तीन मिनट में बना कर देता है, तो सोचिए हमारा स्थान कहां हैं? ऐसे में जरूरी हो जाता है कि एआई को टूल के रूप में इस्तेमाल करें न कि उससे प्रतिस्पर्धा। जिससे कि समय के साथ होने वाले बदलाव को अवसरों में बदला जा सके। हमें तकनीक को अपने से आगे नहीं होने देना है। तभी हम टिक पाएंगे। 

डिजिटल युग में आज कट और पेस्ट का जमाना है। सबकुछ एक क्लिक पर मौजूद है लेकिन आज का युवा आज में जी रहा है न वह भविष्य को देख रहा है और न हीं भूत को। पत्रकार एक आम आदमी होता है लेकिन उसके देखने, सोचने और लिखने का नजरिया ही उसे खास बनाता है। इसलिए समय के साथ अपने को बदलें और अपडेट होते रहें, नहीं तो वक्त के साथ पिछड़ जाएंगे। 

पत्रकारों ने किया सम्मानित 

व्याख्यान के बाद सर्व प्रथम सांध्य समाचार के प्रधान संपादक डॉ. केशव पाण्डेय ने शॉल, श्रीफल और स्मृति चिंह भेंट कर तिवारी का नागरिक अभिनंदन किया। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार रामबाबू कटारे, सुरेश शर्मा, राजेश शर्मा, देव श्रीमाली, प्रमोद भार्गव, प्रवीण दुबे, विजय पाराशर, जावेद खा, जितेंद्र जादौन, आशीष मिश्रा, एवं विनोद शर्मा सहित अनेक पत्रकारों ने भी उनका सम्मान किया।


कलेक्ट्रेट परिसर में अग्नि दुर्घटना

कलेक्टर तत्काल मौके पर पहुंची,जांच के दिये आदेश 

ग्वालियर 20 मार्च ।  कलेक्ट्रेट परिसर में गुरुवार की सुबह शॉर्ट सर्किट के कारण अग्नि दुर्घटना की सूचना मिलते ही कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान तत्काल मौके पर पहुँची। उन्होंने  अग्नि दुर्घटना से प्रभावित कोषालय , महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ अन्य विभागों के कार्यालयों का निरीक्षण किया। अग्नि दुर्घटना के कारण कोई क्षति नहीं हुई है। कलेक्टर ने इस घटना के कारणों की जांच के आदेश  दिए हैं। अग्नि दुर्घटना शॉर्ट सर्किट के कारण होना बताई गई है ।

बुधवार, 19 मार्च 2025

वन विभाग ने अवैध रेत उत्खनन एवं परिवहन में जप्त किया मय ट्रॉली रेत भरा ट्रैक्टर

नवागत डीएफओ राजाराम परमार के सख्त प्रशासन एवं मार्गदर्शन में  जतारा वन विभाग लगातार कर रहा जप्ती की कार्यवाही

Aapkedwar news – अजय अहिरवार 

जतारा–विदित हो कि वन विभाग अंतर्गत खासतौर पर जतारा में वन अमला वन परिक्षेत्र अधिकारी जतारा शिशुपाल अहिरवार के  कुशल नेतृत्व में हर एक दो दिन में कोई न कोई कार्यवाही वन परिक्षेत्र जतारा का वन अमला मजबूरी या कड़क प्रशासन के कारण करता ही रहता है, चाहे वो अतिक्रमण  बेदखली की कार्यवाही हो या फिर निरीह वन्य प्राणियों के शिकार की या फिर अवैध आरा मशीनों की या फिर अवैध वनोपज की कटाई या परिवहन की कार्यवाही हो।

हर समय वन परिक्षेत्र जतारा में ऐसी कार्यवाही देखने और सुनने को मिलती रहती है।

लेकिन जब से टीकमगढ़ के नवागत डीएफओ राजाराम परमार ने टीकमगढ़ की कमान संभाली है तब से पूरे वन मंडल टीकमगढ़ का वन अमला सकते में है, और टीकमगढ़ वन मंडल के कई कर्मचारी जो अपने घरों में सोते रहते थे आज वो रात भर जागकर वन भ्रमण कर रहे हैं। जिसके तहत विगत सोमवार की रात में टीकमगढ़ वन परिक्षेत्र में एक ट्रक लकड़ी भरा हुआ ट्रक डीएफओ राजाराम परमार और एसडीओ मनीषा बघाड़े की तत्परता से जप्त किया गया।

इसी के तारतम्य में वन परिक्षेत्र अधिकारी जतारा शिशुपाल अहिरवार के द्वारा भी वन संरक्षक छतरपुर और वन मंडल अधिकारी टीकमगढ़ के दिशा निर्देशन और मार्गदर्शन में दिनांक 19/03/2025 की सुबह को विशेष गस्ती दल के गठन उपरांत अवैध वनोपज की धड़-पकड़ के तहत वन परिक्षेत्र जतारा की बीट चंदेरा के कक्ष क्रमांक पी-239 के वन क्षेत्र में एक वाहन ट्रेक्टर क्रमांक यू.पी. 93 सी.बी. 1558  मय ट्रॉली में लोड रेत के साथ वन क्षेत्र से अवैध रेत उत्खनन और परिवहन में जप्त किया गया। और मौके से वाहन चालक रामदास सौर निवासी बारी एवं वाहन मालिक जितेंद्र नायक निवासी लिधौरा के विरुद्ध नामजद वन अपराध प्रकरण क्रमांक 245/23 दिनांक 19/03/2025 दर्ज करते हुए जप्त वाहन को सुरक्षित वन परिक्षेत्र कार्यालय परिसर जतारा में सुरक्षित खड़ा कराया गया।

उक्त कार्यवाही वन परिक्षेत्र अधिकारी जतारा शिशुपाल अहिरवार के कुशल नेतृत्व में की गई जिसमे वन परिक्षेत्र जतारा के वन अमले के रूप में रियाजउद्दीन काजी  वनपाल, शुभम पटेल, विवेक वंशकार, प्रमोद अहिरवार, प्रेम नारायण अहिरवार, शिवशंकर अहिरवार समस्त वनरक्षक एवं वाहन चालक शहीद खान मौजूद रहे।

कलियुग का बीरबल है मस्क का ग्रोक


आजकल भारत में ' ग्रोक ' का हल्ला है। ग्रोक एक ऐसा चैटबॉक्स है जो आपके हर सवाल का जबाब देता है। बेझिझक देता है। लाजबाब है। हाजिर जबाब है। इन दिनों भारत में लोग ग्रोक को अपना गुरू मानने लगे है । ग्रोक एक ऐसा गुरु है जो जाति,धर्म और लिंग भेद से बहुत ऊपर है।  ग्रोक ठेठ समाजवादी है। सबके लिए उपलब्ध है। ग्रोक दुनिया में किसी की नहीं सुनता सिवाय अपने मालिक एलन मस्क के। भारत के लोग जब राम मंदिर बना रहे थे, कुम्भ में डुबकियां लगा रहे थे। तब एलन मास्क ग्रोक को अमली जामा पहना रहे थे। 
आपने भी शायद मेरी तरह बचपन में अकबर-बीरबल के किस्से सुने होंगे ।  मुल्ला नसरुद्दीन की कहानियां सुनी होंगीं। जो हर सवाल का जबाब देने में माहिर  थे।  बीरबल की बुद्धिमत्ता के सामने मुग़ले  आजम अकबर भी नतमस्तक हो जाते थे। कृत्रिम  बुद्धिमत्ता की तकनीक के जमाने में आम जनता अकबर है और ग्रोक बीरबल। बस आप सवाल कीजिये और ग्रोक गुरु पलक झपकते आपके सवाल का जबाब पेश कर देंगे। अभी तक ये काम गूगल गुरु के जिम्मे था लेकिन अब ग्रोक ने गूगल गुरु को भी पछाड़   दिया है।ग्रोक 3 "पृथ्वी का सबसे स्मार्ट एआई"  है। 
दरअसल आज दुनिया के तमाम मुल्कों में फांसीवादी और तानाशाही प्रवृत्तियां तेजी से सिर उठा रही है। दुनिया के तमाम सत्ताप्रतिष्ठान अपनी जनता के सवालों के जबाब देने के लिए राजी नहीं हैं ,ऐसे में ग्रोक-3  के अवतरण ने लोगों को चौंका दिया है ।  लोग ग्रोक के दीवाने हो गए हैं। ग्रोक वे सब जानकारियां दे रहा है जो सत्ता प्रतिष्ठान छुपाने की कोशिश करता है।
ग्रोक अभी भारत,ऑस्ट्रेलिया ,फिलीपींस और दो अन्य देशों के लिए ही उपलब्ध है। अमेरिका को ग्रोक की जरूरत नहीं है।चीन की और ग्रोक देख नहीं सकता।  भारत के नेता ग्रोक से आतंकित हैं क्योंकि ग्रोक दूध का दूध ,पानी  का पानी करता दिखाई दे रहा है।  भारत की सरकार ने बीबीसी द्वारा मोदी जी को लेकर बनाई गयी फिल्म प्रतिबंधित कर दी थी लेकिन ग्रोक 3  को प्रतिबंधित नहीं किया गया है। किया भी नहीं जा सकता क्योंकि ग्रोक उस एलन मस्क का दास है जिसके घर आदरणीय मोदी जी बच्चे खिलाने  गए थे। 
आपको सरल भाषा में बताऊँ तो अब ग्रोक कलिकाल का  सबसे बड़ा और प्रामाणिक गुरु है।  आज की पीढ़ी  को यदि गुरु के बारे में बताया जाएगा तो कहा जाएगा 
ग्रोक ब्रम्हा,ग्रोक विष्णु,ग्रोक देवो महेश्वरा 
ग्रोक साक्षात् परमब्रम्ह तस्मै ,श्री ग्रोको नमो नम:
ग्रोक कृत्रिम बुद्धि का ऐसा अनूठा उदाहरण है जो आभासी दुनिया के किसी भी मंचपर उयलब्ध किसी भी सूचना का विश्लेषण कर आपके सामने उपस्थित हो जाता है ,वो भी पलक झपकते हुए। ग्रोक त्रिनेत्र है। ग्रोक आभासी दुनिया पर मौजूद तस्वीरों,वेब सूचनाओं और पीडीएफ फाइलों को पढ़ने में समर्थ है ग्रोक की तीक्ष्ण बुद्धि का आधार उसका विशाल डाटा संग्रह है। इस समय दुनिया में 400  से अधिक सोशल मीडया मंच उपलब्ध हैं लेकिन इनमें   20  ही ज्यादा प्रचलन में हैं। ग्रोक-3  इन सबसे ऊपर है। सबसे आगे है। ग्रोक के रहते आपको कोई पप्पू नहीं बना सकता ,जैसे कि भारत में भाजपा और संघ ने राहुल गांधी को पप्पू बना दिया था। ग्रोक जनता को पप्पू के बारे में असली और प्रामाणिक सूचनाएं देने में समर्थ है ,
प्रश्नाकुल  भारतीय समाज के लिए ग्रोक एक अजूबा है। लोग ग्रोक से वे सब सवाल कर रहे हैं जिनका उत्तर उसे सत्ता प्रतिष्ठान  की और से नहीं मिल रहा। जनता जितना राहुल गाँधी के बारे में सवाल कर रही है, उससे ज्यादा प्रधानमंत्री मोदीजी के बारे में सवाल कर रही है।  ग्रोक जनता को दोनों की हकीकत बता रहा है।  ग्रोक के मुंहफट होने से सत्ता प्रतिष्ठान भयभीत है। सत्ता प्रतिष्ठान कोआशंका है कि  ग्रोक भाजपा और संघ  का तिलस्म तोड़ सकता है। अब भारत की सरकार के सामने दो ही विकल्प हैं । पहला ये कि  ग्रोक को प्रतिबनाधित किया जाये और दूसरा ग्रोक से समझौता कर लिया जाये। ग्रोक को प्रतिबंधित करना भारत सरकार के लिए आसान नहीं है ,क्योंकि ग्रोक उन एलोन मस्क का उत्पाद है जो दुनिया के महाबली अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का दायां हाथ है। 
ग्रोक के प्रहार से बचने का दूसरा रास्ता मस्क से समझौता करना है। भारत की सरकार यदि मस्क के लिए भारत में कारोबार   का दरवाजा खोल दे तो मुमकिन है कि  मस्क ग्रोक की चाबी ऐंठ दें।  उसकी प्रोग्रामिंग को इस तरह बदल दें कि  वो मोदी जी की तरह सफेद सच के साथ सफेद झूठ भी बोलने लगे। ग्रोक कठपुतली नहीं है। ग्रोक मस्क के इशारों पर नर्तन करने वाली तकनीक है ,जो निर्बाध रूप से सभी को उपलब्ध है। आने वाले दिनों में ग्रोक भारतीय राजनीति की दशा और दिशा को कितना प्रभावित कर पाएगा कहना कठिन है। लेकिन जिस देश में मुद्दों के बजाय मुर्दों पर सियासत हो रही हो उस देश के लिए ग्रोक एक बड़ी समस्या बनने जा रहे हैं। ग्रोक न औरंगजेब के साथ है और न मोदी जी के साथ ।  ग्रोक न कांग्रेस  के साथ है और न समाजवादियों के साथ। ग्रोक अभी सच के साथ है। सत्यम,शिवम,सुंदरम जैसा है। 
आप सोच रहे होंगे कि  भूलोक के इस नए गुरु का नाम ग्रोक क्यों रखा गया ? तो आपको बता दूँ ग्रोक  शब्द रॉबर्ट हेनलेन के नोवल ' स्ट्रेंजर  इन  ए स्ट्रेंज  लैंड ' से आया है। इसका उपयोग मंगल ग्रह पर पले-बढ़े एक किरदार  द्वारा किया जाता है और इसका मतलब किसी चीज को पूरी तरह और गहराई से समझना है। कुल मिलाकर लोग ग्रोक के आगमन से खुश हैं। आप केवल मोदी जी या राहुल जी के बारे में ही नहीं बल्कि अपने बारे में भी सवाल कर सकते हैं। ग्रोक शायद ही आपको निराश करे ! भगवान ग्रोक को लम्बी उम्र दे ताकि ग्रोक प्रश्नाकुल समाज की जिज्ञासाओं को लगातार शांत करता रहे। 
@ राकेश अचल

मंगलवार, 18 मार्च 2025

समस्याओं को लेकर दलित आदिवासी महापंचायत ने जनसुनवाई में पत्र दिए

 जनजाति कार्य विभाग के प्राचार्य प्रभारी सहायक राकेश गुप्ता को निलंबित करने शासकीय जमीनों को विक्रय पर प्रतिबंध लगाने नगर पालिका डबरा की समस्याओं को लेकर दलित आदिवासी महापंचायत ने जनसुनवाई में पत्र दिए

ग्वालियर 18 मार्च  । दलित आदिवासी महापंचायत ( दाम ) के पदाधिकारी आज अलग-अलग समस्याओं को लेकर कलेक्टर ग्वालियर की जनसुनवाई में पूर्व आईएएस स्वर्गीय टी धर्माराव जो कलेक्ट्रेट में पहुंचे जनसुनवाई में पहुंचने वाले गलत आदिवासी महापंचायत के संस्थापक संरक्षक डॉक्टर जबर सिंह अग्र प्रांतीय अध्यक्ष महेश मधुरिया कार्यवाहक प्रांत अध्यक्ष महाराज सिंह राजोरिया जिला अध्यक्ष संदीप सोलंकी डबरा नगर पालिका परिषद की पार्षद सुनीता राजोरिया आदि शामिल थे।

 डॉक्टर जबर सिंह अग्र और महेश मधुरिया ने आदिम जाति कल्याण विभाग की समस्याओं को लेकर जनसुनवाई में समस्याओं के निराकरण करने की मांग की गई साथ ही आदिम जाति कल्याण विभाग के प्राचार्य प्रभारी सहायक आयुक्त राकेश गुप्ता को निलंबित करने की मांग की गई राकेश गुप्ता वरिष्ठ कार्यालय अधिकारियों को तत्वों को छुपा कर प्रतिवेदन भेजने हैं और भ्रष्टाचार के माध्यम से शासन के नियम कानून को ताकपर रखकर कार्य कर रहे हैं पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया है की राकेश गुप्ता द्वारा एक लव्य विद्यालय कराहल में 40 लाख का भ्रष्टाचार किया गया है लेनदेन करके जांच को दबा दिया है जांच में दोषी है सीएम हेल्पलाइन में झूठा अपडेट करते हैं और सीएम हेल्पलाइन का समय सीमा में निराकरण नहीं करते हैं कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे रहे हैं कई कर्मचारियों के लंबित देयकों का भुगतान नहीं कर रहे है तथा छात्रवृत्ति और आर्थिक सहायता में भ्रष्टाचार अपना कर कार्य कर रहे हैं ऐसे प्रभारी सहायक आयुक्त राकेश गुप्ता को निलंबित किया जाए और निष्पक्ष जांच हेतु किसी डिप्टी कलेक्टर को प्रभारी सहायक बनाये जाने की मांग की गई है दलित आदिवासी महापंचायत के कार्यवाहक प्रांत अध्यक्ष महाराज सिंह राजोरिया ने शासकीय भूमि को विक्रय से रोक लगाने की मांग की गई है और सही जमीनों के नामांतरण करने की मांग की गई है आम जनता परेशान हो रही है डबरा में साथ ही पार्षद सुनीता राजोरिया ने नगर पालिका परिषद डबरा की जनता की समस्याओं से जनसुनवाई में अवगत कराया और समस्या का निराकरण करने की मांग की गई चारों समस्याओं के आवेदनों को जनसुनवाई में दर्ज किया गया और सभी समस्याओं पर शीघ्र ही कार्रवाही करने के संबंध मे अधिकारियों को निर्देश दिए दलित आदिवासी महापंचायत ( दाम ) के नेताओं को बरिष्ठ अधिकारियों ने आस्वसत किया है कि समस्याओं का शीघ्र निराकरण किया जाएगा ।

मप्र नौकरशाही के भगवाकरण का श्रीगणेश

मध्य्प्रदेश में जो अब तक नहीं हुआ था,वो अब हो रहा है।  मध्य्प्रदेश में 2003  से अभी तक भाजपा की सरकार है। 19  महीने की कांग्रेस सरकार एक अपवाद थी। इस लंबे कार्यकाल में भाजपा ने प्रदेश में बहुत से नवाचार किये लेकिन पहली बार प्रदेश की नौकरशाही का भगवाकरण शुरू हुआ है वो भी सामंतों के शहर ग्वालियर से। ग्वालियर कलेक्टर श्रीमती रुचिका सिंह और निगमायुक्त संघप्रिय ने भाजपा द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह में न सिर्फ भाग लिया बल्कि भाजपा नेताओं के साथ तस्वीरें खिंचवाईं और गले में भगवा दुपट्टे डलवाये। 

मेरे पांच दशक की  पत्रकारिता के अनुभव में ऐसे दृश्य पहले कभी देखने को नहीं मिले ,इसलिए मै चौंका भी और मुझे कुछ अटपटा भी लगा।सवाल ये है कि क्या भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों को किसी राजनीतिक दल के कार्यक्रम में शामिल होने का संवैधानिक अधिकार है ? या लोकसेवकों की कोई आचार संहिता भी है जो उन्हें राजनीतिक दलों की गतिविधियों में शामिल होने से रोकती भी है।  सवाल ये नहीं है कि  प्रशासनिक अधिकारी सत्तारूढ़ दल के कार्यक्रम में शामिल हुए,सवाल ये है कि  क्या ऐसा कर उन्होंने कोई नजीर पैदा की है ? सवाल ये भी है कि  लोकसेवकों के इस आचारण का आम जनता पर,और प्रशासनिक कामकाज पर भी कोई असर पडेगा या नहीं ? 

जहाँ तक मेरा ज्ञान है कि  लोक सेवा अधिनियम, 2007 (संशोधन, 2009) में जिन नैतिक मूल्यों पर बल दिया गया है, उन्हें नीति संहिता माना जा सकता है।इस नीति संहिता के मुताबिक लोकसेवक को संविधान की प्रस्तावना में आदर्शों के प्रति निष्ठा रखना।तटस्थता, निष्पक्षता बनाए रखना।

किसी राजनीतिक दल के प्रति सार्वजनिक निष्ठा न रखना। यदि किसी दल से लगाव हो तो भी अपने कार्यों पर प्रभाव न पड़ने देना।देश की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता के प्रति सम्मान का भाव रखते हुए वंचित समूहों (लिंग, जाति, वर्ग या अन्य कारणों से) के प्रति करुणा का भाव रखते हुए  निर्णयन प्रक्रिया में उत्तरदायित्व एवं पारदर्शिता के साथ-साथ उच्चतम सत्यनिष्ठा को बनाए रखना चाहिए। 

मेरे सम्पर्क में ऐसे बहुत से लोकसेवक रहे हैं जिनकी अपनी राजनीतिक निष्ठाएं थीं लेकिन वे कभी खुलकर किसी राजनीतिक दल के किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। एक आईपीएस थे अयोध्यानाथ पाठक ,वे तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के अंधभक्त थे ।  उन्होंने 1983  में महाराज बाड़ा पर एक संगठन की आमसभा में आरएसएस के खिलाफ खुलकर भाषण दिए थे। उनकी इस कार्रवाई पर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ था और पाठक जी को सफाई देना पड़ी थी।पाठक जी प्रदेश कि पुलिस महानिदेशक बनर सेवनिवृर्त  हुए लेकिन किसी दल में शामिल नहीं हो पाए।  एक आईएएस अफसर थे एसके मिश्रा वे बुधनी उपचुनाव के समय  भाजपा की एक चुनाव सभा में कलेक्टर की हैसियत से तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने घुटनों के बल बैठे देखे गए तो उनके खिलाफ फौरन कार्रवाई की गयी। एक थीं शशि कर्णावत वे तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आगे-पीछे घूमती ही नहीं थीं बल्कि शासकीय कार्यक्रमों में भी कांग्रेस की बात करतीं थीं,आज उनका आता-पता नहीं है। 

ग्वालियर कलेक्टर श्रीमती रुचिका सिंह और संघप्रिय भी इसी तरह राजनीतिक निष्ठाओं से बंधे लोकसेवक के रूप में चिन्हित किये गए हैं। इन दोनों के समाने विकल्प था कि  ये दोनों भाजपा के होली मिलन समारोह में शामिल होने से इंकार कर सकते थे ,लेकिन इन दोनों ने ऐसानहीं किया। क्योंकि इन्हें लगा कि  वे कुछ गलत नहीं कर रहे है।  एक तरह से ये गलत है भी नहीं।  किन्तु एक लोकसेवक के नाते इन दोनों का आचरण सवालों के घेरे में तो आता ही है।  मुमकिन है कि  इन दोनों ने सोचा हो की जब केंद्र सरकार ने शासकीय कर्मचारियों को आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल होने की छूट दे दी है तो फिर भाजपा के कार्यकक्रमों में शामिल होने से क्या हर्ज है ? 

मुझे लगता है कि  भाजपा की प्रदेश सरकार ग्वालियर के इन दोनों दुस्साहसी लिकसेवकों के आचरण के लिए इन्हें दण्डित करने के बजाय पुरस्कृत करेगी। इन दोनों ने पूरे प्रदेश की नौकरशाही के लिए एक नजीर पेश की है। अब मुमकिन है कि  हर जिले में आपको प्रशासनिक अफसर सत्तारूढ़ दल के कार्यक्रमों में भगवा दुपट्टा डाले नजर आने लगें। शैक्षणिक संस्थानों में तो भवकरण अब पुरानी बात हो गयी है ,केवल एक प्रशासन इससे बचा था जो इस होली पर खुद भगवा हो गया। 

वर्तमान समय में सिविल सेवकों के लिए आचार मानकों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद-309 के तह्ठत सिविल सर्विस (कंडक्ट) रूल्स में उल्लिख़ित आचरण नियमों के आधार पर किया जाता है। इस पर एक कानून की आवश्यकता को समझकर ही भारत सरकार द्वारा सिविल सर्विस स्टैंडर्ड्स, परफॉरमेन्स एंड अकाउंटिबिलिटी बिल,2010 को लाया गया, जिसमें सिविल सेवकों को बहुआयामी ढंग से कार्यकुशल बनाने के लिए प्रावधान किए गए हैं।लेकिन अब ये तमाम प्रावधान मुझे निरर्थक होते दिखाई दे रहे हैं। मै ग्वालियर जिले  की कलेक्टर और ग्वालियर नगर निगम के आयुक्त को बधाई तो नहीं दूंगा किन्तु उनके दुस्साहस को सलाम जरूर करूंगा ।  मुझे प्रतीक्षा रहेगी प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन के भावी व्यवहार और निर्णय की किए  वे अपने मातहतों के भगवाकरण को लेकर संज्ञान लेते हैं या इसकी अनदेखी करते हैं ? वैसे मुख्य सचिव को अभी तक तो किसी ने मैदान में विचरते देखा नहीं है। 

मेरा अनुभव है कि  तमाम लोकसेवकों के मन में एक अतृप्त कामना होती है नेतागिरी करने की ।  वे अनपढ़ नेताओं के सामने जब अपने  आपको निरीह अवस्था में पाते हैं ,तब उन्हें लगता है कि  क्या ही अच्छा होकि वे खुद राजनीती में आ जाएँ।  जो दुस्साहसी हैं वे नौकरी छोड़कर राजनीती में आ ही जाते हैं और जो संकोची हैं वे सेवानिवृत्ति का इंतजार करते हैं।  मप्र के एक पूर्व मंत्री पटवारी थे,नौकरी छोड़कर राजनीति में आये थे ।  डॉ भगीरथ प्रसाद ,सरदार सिंह डंगस   जैसे अनेक आईएएस अफसरों ने बाद में राजनीति की ही शरण ली ही और विधानसभाओं तथा संसद तक में पहुंचे। श्रीमती रुचिका सिंह और संघप्रिय ने भी सरकार के सामने अपनी रूचि का प्रदर्शन कर दिया है। अब आपको ,सबको इंतजार करना पड़ेगा इन दोनों को राजनेता के रूप में ढलते देखने का।  हमारी शुभकामनायें। 

@ राकेश अचल

सोमवार, 17 मार्च 2025

देश की राजधानी दिल्ली में ज्योतिष महाकुंभ में ग्वालियर से डॉ हुकुमचंद जैन शामिल होंगे

अखिल भारतीय जैन ज्योतिषाचार्य परिषद के द्वारा राष्ट्रीय अधिवेशन 18 मार्च 19 मार्च को ग्रीनपार्क दिल्ली में बालयोगी आचार्य सौभाग्य सागर जी महाराज के परम सानिध्य में  आयोजित किया जाएगा।

 इस आयोजन में ज्योतिष विषय पर और उसकी उपयोगिता के बढ़ते चरण आधुनिक जीवन शैली के लिए कितने कारगर है इस विषय  पर चिंतन, मंथन होगा। इस अष्टम ज्योतिष महाकुंभ में दिल्ली क्षेत्र के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र ,हरियाणा सहित देश के अनेक प्रांतो से चुने हुए जाने-माने विद्वान ही भाग लेंगे।

ग्वालियर चंबल संभाग से और मध्य प्रदेश से एकमात्र ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन भी इस ज्योतिष महाकुंभ में भाग लेंगे और आधुनिक जीवन शैली पर ज्योतिष का प्रभाव और उसकी उपयोगिता सिद्ध करते हुए अपने विचार रखेंगे 19 मार्च को कुंद  कुंद कुंड भारतीय में आचार्य श्री श्रुत सागर जी महाराज जी  के सानिध्य में भी यह आयोजन होगा इसमें आम श्रद्धालु की जिज्ञासाओं का खुले मंच से  ज्योतिष विद्वान समाधान करेंगे।

जो विद्वान ज्योतिष विषय में अग्रणी भूमिका रखते हैं उनका विशेष सम्मान भी होगा।

स्मृति शेष : मनीष शंकर भारतीय मनीषा से अभिभूत थे

भारतीय पुलिस सेवा के बहुचर्चित   अधिकारी मनीष शांकर शर्मा के निधन की खबर आज सुबह जब साथी प्रवीण खारीवाल ने दी तो यकायक भरोसा नहीं हुआ ,लेकिन जब अन्यान्य सूत्रों से इस खबर की पुष्टि हो गयी तो दिल बैठ गया। मनीष को इतनी जल्दी जाना नहीं चाहिए था। वे पुलिस में रहते हुए भी भारतीय मनीषा के अघोषित प्रतिनिधि थे।

कोई तीन दशक पुरानी बात है ।  मनीष ग्वालियर में हमारे पड़ौस में रहने आये थे ।  उन्हें ग्वालियर के थाटीपुर में हमारे घर के पीछे ही एक एफ टाइप बँगला आवंटित हुआ था ।  मिश्र डबरा में एसडीओ रह चुके थे और पदोन्नत होकर एडिशनल एसपी के रूप में ग्वालियर आये थे।  अविवाहित थे, दिलखुश थे और मुझे सदैव भाई साहब कहकर सम्बोधित किया करते थे। मै अक्सर मनीष से कहा करता था कि- आप गलत नौकरी में आ गए हैं। आपका व्यक्तित्व पुलिस के चाल,चात्रित्र और चेहरे से मेल नहीं खाता। वे हंसकर टाल जाते और कभी-कभी कहते पुलिस के इसी चेहरे को तो बदलना है भाई साहब !

मनीष के पिता  श्री केएस शर्मा मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव रहे। लेकिन उन्हें इसका कोई दम्भ न था।  वे बेहद सहज और मितभाषी थे। मनीष के विवाह में मै ग्वालियर से भोपाल गया था। तत्कालीन पुलिस महानिदेशक अयोध्या नाथ पाठक और मनीष के पिता जी की जोड़ी का जलवा था ।  पाठक जी मेरे पुराने मित्र थे ।  उनके साथ ही हम  पुलिस के मेहमान थे ।  लौटते में हमने मनीष की शादी के उपलक्ष्य में चांदी का एक सिक्का मिला था जो आज भी हमारे संग्रह  में है और मनीष की हमेशा याद दिलाता रहता है ।  आज भी जब मनीष के जाने की दुखद खबर पढ़ी तो वो सिक्का हमारे हाथ में था।

मनीष में असाधारण प्रतिभा थी ।  मनीष शंकर शर्मा को एक उम्दा रणनीतिकार माना जाता था । अपने तीन दशक  की नौकरी में वे प्रदेश में कम विदेश में ज्यादा सक्रिय रहे। मनीष ने दुनिया के चार महाद्वीपों में सेवाएं दीं ।वे वैश्विक आतंकवाद के विरुद्ध सक्रिय  बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी  मनीष शंकर शर्मा को अनेक  राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया । मनीष ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से इंटरनेशनल सिक्युरिटी, काउंटर टेरेरिज्म एंड पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स डिग्री हासिल की थी । मुझसे उम्र में कोई आठ साल छोटे  मनीष शंकर शर्मा ने इंदौर के डेली कॉलेज से स्कूलिंग और भोपाल स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज से ग्रेजुएशन किया  था । मनीष ने बिड़ला इंस्टीट्यूट, पिलानी से मार्केटिंग में एमबीए भी किया। 1992 बैच में उनका आईपीएस में चयन हुआ।

मनीष वर्ष 1997 में करीब एक साल के लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत बोस्निया और हर्जेगोविना में प्रतिनियुक्ति पर चले  गये।  उन्होंने  संयुक्त राष्ट्र मिशन से लौटने के पश्चात वे रायसेन, सतना, छिंदवाड़ा और खंडवा आदि जिलों में एसपी रहे। इस दौरान मनीष   ने अपनी जवाबदेह कार्यशैली, दूरदर्शिता, क्राइम कंट्रोल, लॉ एंड ऑर्डर में सुधार और व्यवहार कुशलता से अलग  पहचान कायम की, खासकर कमजोर तबके को न्याय दिलाने की इनकी प्रतिबद्धता जग-जाहिर थी।  फरवरी 2005 में मनीष शंकर शर्मा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली आ गए, जहां मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविएशन के अंतर्गत उन्हें करीब तीन वर्षों के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी का सिक्योरिटी डायरेक्टर बनाया गया। यहां देशभर के 114 एयरपोर्ट की सुरक्षा की जिम्मेदारी इनके ऊपर थी।अगस्त 2008 में भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने उन्हें टी बोर्ड इंडिया के लिये वेस्ट एशिया एंड नॉर्थ अफ्रीका का डायरेक्टर बनाया गया। अपने करीब तीन साल की पोस्टिंग के दौरान इन्होंने टी बोर्ड के वैश्विक व्यापार को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सितंबर 2011 में मनीष मध्यप्रदेश कैडर लौट आये।

मुझे याद  आता है कि  मनीष ने  आईजी, भोपाल के तौर पर  पुलिस सर्विस रिफॉर्म पर जोर दिया और पुलिस सर्विस में समय से प्रमोशन, पुलिसकर्मियों की समस्या के समाधान और पुलिसकर्मियों को सुविधा पर विशेष ध्यान दिया। जिससे वे जनता के साथ पुलिसकर्मियों में भी लोकप्रिय हुए।‌ मई 2017 में उनकी पदोन्नति एडीजीपी के पद कर हुई।  मनीष शंकर शर्मा ने आईएसआईएस की स्थापना, उसके मकसद, कार्यप्रणाली, वित्तीय संसाधनों पर वृहद अध्ययन किया, साथ ही इसपर काबू पाने के लिए एक वैश्विक रणनीति का तरीका भी बनाया। मनीष एक बेहतरीन वक्ता और लेखक भी हैं। विश्व भर में आतंकवाद प्रबंधन आदि विषयों पर उन्होंने उम्द संबोधन किया है। वैश्विक आतंकवाद की प्रसिद्ध पुस्तक ‘ग्लोबल टेररिज्म-चैलेंजेस एंड पॉलिसी ऑप्शंस’ में योगदान देने वाले वे एकमात्र भारतीय लेखक हैं।

 मनीष शंकर शर्मा को कई अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय सम्मान, पदक और पुरस्कार मिले । वे यूनाइटेड नेशंस पीस मेडल, नेशनल लॉ डे अवॉर्ड, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस अवॉर्ड, भारत के दस चुनिंदा आईपीएस अधिकारियों को मिलने वाला रोल ऑफ ऑनर और पद्मश्री "आरएन जुत्शी मेडल" से सम्मानित हुए । वर्ष 2015 में सैन डिएगो की सिटी काउंसिल ने मनीष शंकर शर्मा का विशेष रूप से अभिनंदन कर और 20 जुलाई का दिन शहर में 'मनीष शंकर शर्मा डे'  के तौर पर मनाया गया ,उन दिनों मै खुद अमेरिका में था ,मैंने अटलांटा से उन्हें बधाई दी थी। । इन्हें अमेरिकी संसद के 'हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव' ने भी सम्मानित किया है।

इतनी उपलब्धियों के बावजूद मनीष का मन स्थिर नहीं हो पाया। पिछले कुछ वर्षों से मनीष कुछ उखड़े-उखड़े से नजर आने लगे थे। पता नहीं कौन सा कौना था जो उन्हें उदासीनता की और धकेल रहा था। हाल ही में मनीष को एडीजे रेल के पद पर पदस्थ किया गया था। एक लम्बे समय बाअद उन्हें कोई जिम्मेदारी सौंपी गयी थी। एडीजी रेल बनने के बाद भी उनके जीवन की रेल बेपटरी  ही बनी रही। वे मानसिक अवसाद से बाहर नहीं आये।  उनका खूब इलाज भी कराया गया ,लेकिन बीती रात उन्होंने इस फानी दुनिया को अलविदा कह दिया।  मेरे प्रिय पुलिस अधिकारीयों में से मनीष दूसरे ऐसे पुलिस अधिकारी रहे हैं जो असमय चले गए ।  इससे पहले मेरे एक और पड़ौसी मोहम्मद अफजल भी इसी तरह असाध्य बीमारी की वजह से कालकवलित हो गए थे। मनीष के परिजनों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं और मनीष के प्रति विनम्र श्रृद्धांजलि।

@ राकेश अचल

आखिर क्यों पिटती है पुलिस हर सूबे में ?

 

एक छोटा सा सवाल है  कि आखिर देश  के हर हिस्से में पुलिस क्यों पिटती है ? क्या देश में जनता को खाकी वर्दी से अब डर नहीं लगता जबकि पुलिस की वर्दी का दूसरा नाम ही खौफ है। मध्यप्रदेश के मऊगंज से लेकर भागलपुर तक  और भागलपुर से लेकर जहानाबाद तक पुलिस को पिटते देख ये सोचने पर विवश होना पड़ रहा है कि  हिंदुस्तान में आखिर क्या वजह है जो  पुलिस का इकबाल मिटटी में मिल गया है ?

सबसे पहले मध्यप्रदेश के मऊगंज की बात करते हैं। मऊगंज में न कोई अबू आजमी है और न किसी औरंगजेब की कब्र ,लेकिन यहां जो बवाल हुआ उसमें एक पुलिस कर्मी की मौत हो गयी और अनेक घायल हो गए। मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले के  गड़रा गांव में दो गुटों के बीच झगड़े की कीमत पुलिस को चुकानी पड़ी। पुलिसकर्मियों के झड़प ने ऐसा स्वरूप लिया कि एक एएसआई रामचरण गौतम की जान चली गई। वहीं तहसीलदार समेत कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हुए हैं।यहां न कोई हिन्दू था और न कोई मुसलमान। पक्षकार आदिवासी थे ,लेकिन वे पुलिस पर भारी पड़े।  मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं।

मध्यप्रदेश में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुए चार साल हो गए हैं ,हालाँकि पुलिस कमीश्नर प्रणाली केवल भोपाल और इंदौर शहर में लागू है लेकिन प्रदेश में पुलिस का इक़बाल बुलंद नहीं हो पाया। कारण ये है कि  प्रदेश की पुलिस भ्र्ष्ट होने के साथ ही साम्प्रदायिक और नेताओं की कठपुतली बन गयी है। पुलिस में सिपाही से लेकर पुलिस अधीक्षक तक की पदस्थापना में सियासत का दखल है और नतीजा ये है  कि  लोग अब पुलिस की वर्दी का न सम्मान करते हैं और न पुलिस से खौफ कहते हैं। 

अब बात बिहार की कर लेते है।  यहां तो पुलिस न सिर्फ पिटती है बल्कि नेताओं के इशारे पर नाचने के लिए भी मजबूर  की जाती है ,और आखिर में महकमें की प्रताड़ना का शिकार भी पुलिस वाले ही होते हैं। लालू प्रसाद के बेटे तेजप्रताप के इशारे पार होली के दिन नाचने वाले एक सिपाही को आखिर निलंबित कर दिया गया। बिहार में बेखौफ बदमाश पुलिस पर हमला करने से भी बाज नहीं आ रहे। तीन दिनों पहले अररिया जिला के फुलकाहा थाना में तैनात एएसआई (जमादार) राजीव रंजन मल्ल की धक्का-मुक्की में मौत के बाद फिर मुंगेर में मुफस्सिल थाना के एएसआई संतोष कुमार सिंह की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई।वे 14 मार्च की रात आपसी विवाद की सूचना पर उसे सुलझाने नंदलालपुर गांव गए थे। जहां बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया। इसमें एएसआई संतोष गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उनके सिर पर चोट लगी थी।

पंजाब में तो हालत और भी ज्यादा खराब हैं।  सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने कहा कि पूरा पुलिस महकमा केजरीवाल की सेवा में लगा हुआ है। पंजाब में कानून व्यवस्था बेहद खराब है।पुलिस के साथ जो व्यवहार मध्यप्रदेश के मऊगंज में हुआ वैसा ही व्यवहार उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में भी हुआ।  जिले के अजगैन कोतवाली के छेड़ा गांव में 14 मार्च को शराब के नशे में दो भाइयों में विवाद के बाद पथराव हुआ था। पहले आरोपियों के पिता रामस्वरूप की हृदयगति रुकने से मौत हो गई थी। वहीं, पड़ोसी धीरेंद्र की नाक में पत्थर लगने से उसकी मौत हो गई थी। पुलिस आरोपी भाइयों को हिरासत में लेकर जा रही थी तभी कुछ ग्रामीणों ने रास्ता रोक लिया और दोनों आरोपियों को जीप से खींचने का प्रयास किया था।

भारत में पुलिस व्यवस्था बहुत पुरानी है। मुगलों और अंग्रेजों से भी पुरानी।  लेकिन मुगलों और अंग्रेजों ने पुलिस व्यवस्था को और मजबूत किया और इसका इकबाल भी बुलंद किया। कोटवार से लेकर कोतवाल तक और आज सिपाही से लेकर   महानिदेशक तक का इकबाल होता है ,किन्तु आजादी के बाद देशभक्ति -जन सेवा का ध्येय  लेकर बनाई गयी पुलिस या तो जुल्म का पर्याय बन गयी या फिर कालांतर में सत्ता प्रतिष्ठान की कठपुतली। पुलिस बल में समय के साथ सुधार भी हुए लेकिन पुलिस आज भी जनता की जरूरतों से ज्यादा सत्ता प्रतिष्ठान की जरूरतों का ख्याल रखती है।  जनता के मन में पुलिस के लिए कोई आदरभाव नहीं है क्योंकि पुलिस अपराधियों,नेताओं और सत्ता रपतिष्ठं के गठजोड़ का एक हिस्सा बनकर रह गयी है। 

आपको बता दूँ कि  संविधान के तहत, पुलिस राज्यों द्वारा शासित एक विषय है। इसलिए, 29 राज्यों में से प्रत्येक के पास अपने स्वयं के पुलिस बल हैं। केंद्र को कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करने में राज्यों की सहायता के लिए अपने स्वयं के पुलिस बलों को बनाए रखने की भी अनुमति है। केवल केंद्र शासित क्षेत्रों में पुलिस केंद्र के अधीन होती है ,पुलिस के आधुनिकीकरण पर बेहिसाब खर्च के बावजूद न पुलिस की मानसिकता बदली और न व्यवहार ।  आज भी आम आदमी  पुलिस से डरता है।   आम इंसान यही समझता है कि  पुलिस मतलब समस्या को आमंत्रण देना है। पुलिस के प्रति समाज में घृणा है /पुलिस न खुद क़ानून का पालन करती है और न क़ानून का पालन करा पाती है। 

मैंने दुनिया के अनेक देशों में पुलिसिंग देखी है ।  कहीं भारत की पुलिस कुछ आगे है तो कहीं बहुत पीछे ।  हमारी पुलिस न इंग्लैण्ड की पुलिस बन पायी और न अमेरिका की पुलिस। भारत की पुलिस में राजनीति का दखल इतना बढ़ गया है कि  पुलिस अपने विवेक से कोई काम कर ही नहीं सकती। पुलिस नेताओं के हुक्म की गुलाम बनकर रह गयी है और इसका नतीजा है कि  पुलिस पर पूरे देश में हमले हो रहे हैं ,पुलिस कर्मी मारे जा रहे हैं ,लेकिन कोई इसकी जड़ तक नहीं जाना चाहता। सब क्रिया की प्रतिक्रिया तक ही सीमित हैं। पुलिस का इकबाल बुलंद किये बिना पुलिस कर्मियों पर होने वाले हमले रुकने वाले नहीं हैं। पुलिस का व्यवहार बदलना बेहद जरूरी है। 

इस समय दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत में करीब 21.41 लाख पुलिसकर्मी हैं, लेकिन कुल पुलिस फोर्स में महिलाओं का औसत महज 12 प्रतिशत से कुछ ही ज्यादा है। भारत में औसत करीब 646 लोगों पर एक पुलिसकर्मी का बैठता है. हालांकि, इसमें राज्यों के विशेष सशस्त्र पुलिस बल और रिजर्व बटालियन के पुलिसकर्मियों की संख्या भी  शामिल है।  कुछ राज्यों में पुलिस के पास अपना वाहन या स्पीडगन नहीं है तो कुछ पुलिस स्टेशनों में वायरलेस या मोबाइल फोन तक नहीं है। 

पुलिस अनुसन्धान एवं विकास ब्यूरो के आंकड़ें बताते हैं कि  राज्यों में मिलाकर 27.23 लाख पदों में से कुल 5.82 लाख से ज्यादा पुलिसकर्मियों के पद खाली हैं।  इनमें सबसे ज्यादा सिविल पुलिस के 18.34 लाख में से 4 लाख पद खाली हैं।  सिविल पुलिस ही थाना क्षेत्रों में गश्त करने, मौका-ए-वारदात पर पहुंचने, किसी केस की छानबीन करने और कानून-व्यवस्था संभालने का का काम करती है।  इसके अलावा, देश में जिला सशस्त्र रिजर्व पुलिस बल के 3.26 लाख पदों में करीब 87 हजार पद खाली हैं. वहीं, राज्य विशेष सशस्त्र बल के 3.95.लाख पदों में से 63 हजार और रिजर्व बटालियन के 1.69 लाख पदों में से 28.5 हजार पद भरे नहीं जा सके। सरकारों का बस चले तो वो पुलिस में भी संविदा पर भर्तियां कर दे। 

@ राकेश अचल

Featured Post

भरोसे का दूसरा नाम है सोफिया कुरेशी

  मै भूलकर भी सोफिया कुरैशी के बारे में न लिखता. मै जब लिखता हूँ तब लोगों की भावनाएं आहत हो जातीं हैं. ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि मै सच ...