सोमवार, 7 अप्रैल 2025

PM मोदी की प्रस्तावित यात्रा : कलेक्टर ने की अधिकारियों के साथ बैठक

 

ग्वालियर 7 अप्रैल ।  प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी की 11 अप्रैल को प्रस्तावित यात्रा की तैयारियों के सिलसिले में कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान ने विभागीय अधिकारियों की बैठक लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। 

कलेक्टर श्रीमती चौहान ने सोमवार को कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रस्तावित यात्रा की तैयारियों के संबंध में अधिकारियों को विभिन्न जिम्मेदारियां सौंपी और निर्देश दिए कि समय रहते सभी व्यवस्थायें पूर्ण करना सुनिश्चित करें। 

प्रस्तावित यात्रा कार्यक्रम के अनुसार 11 अप्रैल को विमान द्वारा वायु सेना के विमानतल पर प्रधानमंत्री श्री मोदी का आगमन होगा। यहाँ पर कुछ देर रुकने के पश्चात प्रधानमंत्री श्री मोदी अशोकनगर जिले में आनंदपुर ट्रस्ट में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिये रवाना होंगे। 

कलेक्टर श्रीमती चौहान ने प्रधानमंत्री की प्रस्तावित यात्रा के दृष्टिगत सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं के संबंध में अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। 

मुख्य सचिव ने भी व्हीसी के जरिए की चर्चा 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रस्तावित यात्रा के संबंध में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन द्वारा भी सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों से विस्तार से चर्चा की गई। उन्होंने सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के साथ सभी व्यवस्थाएं पूर्ण करने के निर्देश दिए। व्हीसी व्हीसी में संभागीय आयुक्त कार्यालय से संभागीय आयुक्त श्री मनोज खत्री व आईजी श्री अरविंद सक्सेना शामिल हुए। इसके साथ ही कलेक्ट्रेट के एनआईसी कक्ष से कलेक्टर श्रीमती रुचिका चौहान व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री धर्मवीर सिंह सहित विभागीय अधिकारी शामिल हुए।

अयोध्या के राम एक बार फिर निशाने पर

 

अयोध्या के राम एक बार फिर निशाने पर है ।पूरे   45  साल पहले राम नाम को चुनावी बाजार में उतारने वाली भाजपा देश के शेष 10  राज्यों पर सत्तारूढ़ होने के लिए एक बार फिर रामायुध लेकर निकल पड़ी है। इस बार भाजपा का लक्ष्य दक्षिण के साथ पूरब का बंगाल जीतने का भी है। भाजपा ने अपने वानर-भालू इन दोनों ही दिशाओं में तैनात कर दिए हैं। रामनवमी से ये अभियान शुरू हो गया है। 

सत्तारूढ़ होने के लिए राम को साधन और साध्य बनाने वाली भाजपा का दुस्साहस देखिये कि वो एक और बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से मोर्चा ले रही है तो दक्षिण में तमिलनाडु में मुख्यमंत्री स्टालिन से भाषा के मुद्दे पर मोर्चा खोल चुकी है। सबसे पहले बंगाल की बात करते है।  बंगाल में रामनवमी जो कुछ दिखा, वह ममता की धड़कनें बढ़ाने वाला है। भाजपा  नेता अब खुलेआम ‘70  फीसदी  ह‍िन्‍दू राम की सेना’ की बातें करने लगे हैं।  उधर, आरएसएस और विश्व‍ ह‍िन्‍दू पर‍िषद  भी अब सिर्फ बंगाल ही बंगाल का जाप कर रही है है. भाजपा चौतरफा जोर लगाकर बंगाल में सत्ता का खेल बदलने की तैयारी में है।

भाजपा हमेशा से ध्रुवीकरण को जीत   का अमोघ अस्त्र मानती है।  रामनवमी पर भाजपा ने , आरएसएस और वीएचपी के साथ मिलकर  पूरे बंगाल में 2000 से ज्यादा शोभायात्राएं निकालीं।  भाजपा का दावा है कि इस बार एक करोड़ से ज्यादा लोग सड़कों पर उतरे. यह हिंदू ध्रुवीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, आपको ज्ञात ही होगा कि  पश्चिम बंगाल की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी करीब 70  प्रतिशत  है, जबकि मुस्लिम आबादी लगभग 27  प्रतिशत  है। वर्ष  2021 के विधानसभा चुनाव में भाजपा  को 38.15  प्रतिशत  वोट मिले थे और उसने 77 सीटें जीती थीं. वहीं टीएमसी ने 48  फीसदी  वोटों के साथ 215 सीटों पर कब्जा किया था।  वोट शेयर में दोनों पार्टियों के बीच करीब 10 प्रतिशत   का अंतर है। . भाजपा का मानना है कि अगर वह हिंदू वोटरों के अतिरिक्त 5-7 प्रतिशत  को अपने पक्ष में कर ले, तो खेल बदल सकता है,यानि खेला हो सकता है। 

इसी एजेंडे के तहत पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने रविवार को रामनवमी के अवसर पर पूर्वी मेदिनीपुर के सोनचूरा में राम मंदिर की आधारशिला रखी। यह मंदिर नंदीग्राम में बनाया जाएगा। सुवेंदु अधिकारी नंदीग्राम से ही भाजपा विधायक हैं। 2007 में तृणमूल कांग्रेस ने ममता बनर्जी के नेतृत्व में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ नंदीग्राम में ही बड़ा आंदोलन किया था।.6 जनवरी 2007 को भूमि अधिग्रहण आंदोलन के दौरान सोनाचुरा गांव में गोली लगने से सात लोगों की जान गई थी। 

आइये अब आपको तमिलनाडु ले चलते है।  रामनवमी को ही तमिलनाडु में प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी ने रामेश्वरम में नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन किया और 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली अन्य विकास योजनाओं का शुभारंभ किया।लेकिन मुख्यमंत्री स्टालिन मोदी जी के इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। आपको बता दें कि  भाजपा और स्टालिन में परिसीमन के मुद्दे पर ठनी हुई  है।तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया को लेकर राज्य के लोगों की आशंकाओं को दूर करना चाहिए।स्टालिन ने  कहा कि मोदी को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि संसद में एक प्रस्ताव पारित किया जाए ताकि तमिलनाडु के अधिकारों पर अंकुश नहीं लगे।

प्रधानमंत्री मोदी जी रामेश्वरम (तमिलनाडु)तमिलनाडु के रामेश्वरम में 700 करोड़ की लागत से बने एशिया के पहले वर्टिकल सी ब्रिज का  उद्घाटन करने गए थे,उन्होंने और रामेश्वरम-तांबरम (चेन्नई) नई ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखाई।लेकिन मोदी यहां भी राजनीति करने से बाज नहीं आये ।  उन्होंने  त्रिभाषा फार्मूले से जुड़े विवाद पर तमिलनाडु की स्टालिन सरकार पर तंज कसा और कहा कि केंद्र सरकार के पास चेन्नई से रोज कई चिट्ठियां आती हैं, लेकिन हैरत होती है कि उनपर तमिलनाडु के नेता तमिल में हस्ताक्षर भी नहीं करते। पीएम ने स्टालिन सरकार से आग्रह किया कि तमिलनाडु में भी मेडिकल की पढ़ाई स्थानीय तमिल भाषा में कराने का प्रबंध होना चाहिए, ताकि अंग्रेजी नहीं जानने वाले गरीब बच्चों को भी डाक्टर बनने में सहूलियत हो । मोदी जी ने तमिलनाडु में भी राम नाम का जाप किया और कहा कि कुछ घंटे पहले ही अयोध्या के भव्य मंदिर में सूर्य की किरणों ने श्रीराम को तिलक किया है। उपस्थित जनसमूह से उन्होंने जय श्रीराम के नारे भी लगवाए। मोदी जी जय हिन्द नहीं कहते वे जय श्रीराम कि नारे लगवाते हैं ,क्योंकि वे नहीं मानते की भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। उनकी नजर में भारत हिन्दू राष्ट्र था और हिन्दू राष्ट्र है। 

भाजपा कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि सभी नेता भी आजकल जमुहाई भी लेते हैं तो राम का नाम लेते हुए लेते हैं। भाजपाइयों  ने पढ़ लिया है कि  -

राम-राम कह जे जमुहाई

तिन्ह न पाप-पुंज  समुहाई। 

भाजपा राजसत्ता हासिल कर जन कल्याण करने से पहले देश में राम राज का लेबल लगाकर संघराज  लाना चाहती है। उसकी कोशिश की  जिसे सराहना करना है वो सराहना करे,जिसे विरोध करना है वो विरोध करे। हमारा काम तो सियासत में राम नाम के दुरूपयोग के प्रति आपको आगाह करना है ।  राम हमारे भी आराध्य हैं ,लेकिन सियासत के लिए नहीं। अपने राम को सियासी दलदल से बाहर निकालिये। क्योंकि राम कभी सत्ता के पीछे नहीं भागे जबकि भाजपा की हर कोशिश सत्ता हासिल करने के लिए है। 

@ राकेश अचल

7 अप्रैल 2025, सोमवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:05 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:41 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2082* शाके-1947 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज चैत्र माह शुक्ल पक्ष *दशमी तिथि*  20:22 बजे  तक फिर एकादशी तिथि चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज* आश्लेषा नक्षत्र दिन रात   तक  चलेगा।

    *योग* :- आज *घृति*  है। 

 *करण*  :-आज  *तैतिल* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा भी गंडमूल   है।

*🔥अग्निवास*: आज आकाश में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पूर्व दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 07:40 से 09:14 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:58 बजे से 12:49 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा*: श्री धर्म राज दशमी

*मुहूर्त* :  नामकरण,अन्नप्राशन,यज्ञोपवीत अन्य कोई नहीं 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मीन, चन्द्र-कर्क, मंगल-कर्क बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-मीन, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

*🌞चोघडिया, दिन*

अमृत 06:06 - 07:40 शुभ

काल 07:40 - 09:14 अशुभ

शुभ 09:14 - 10:49 शुभ

रोग 10:49 - 12:23 अशुभ

उद्वेग 12:23 - 13:58 अशुभ

चर 13:58 - 15:32 शुभ

लाभ 15:32 - 17:07 शुभ

अमृत 17:07 - 18:41 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

चर 18:41 - 20:07 शुभ

रोग 20:07 - 21:32 अशुभ

काल 21:32 - 22:57 अशुभ

लाभ 22:57 - 24:23*शुभ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

रविवार, 6 अप्रैल 2025

लंका जीतने की और आगे बढ़ती भाजपा


हमने कांग्रेस को बनते नहीं देखा । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को बनते नहीं देखा । जनसंघ भी हमारे धराधाम पर आने से पहले बन गया था ,लेकिन हमने भाजपा को बनते और युवा होते देखा है ।  हम भाजपा की चाल,चरित्र और चेहरे से भी भलीभांति वाकिफ हैं और अब हम भाजपा को राजनीति की लंका जीतने के  लिए लगातार आगे बढ़ते हुए देख रहे हैं। मजे की बात ये है कि भाजपा ही राम है और भाजपा ही रावण। उसका युद्ध अपने आप से है। 

आइये आपको भाजपा की राम-खानी सुनाता हूँ। देश में 1975  में लगे आपातकाल के हटने के बाद एकजुट हुए विपक्ष में यदि जनसंघ की दोहरी सदस्य्ता का मुद्दा जन्म न लेता तो शायद भाजपा का जन्म होता ही नहीं। लेकिन जो होना होता है ,वो होकर रहता है।मेरे जन्म से आठ साल पहले बने जनसंघ का नया अवतार थी भाजपा। भाजपा हालाँकि जनता पार्टी का प्रतिउत्पाद है लेकिन है जनसंघ ही। जनसंघ के संस्थापक    श्यामाप्रसाद मुखर्जी थे। वे कैसे थे मुझे नहीं पता ,किन्तु मुझे पता है कि   वर्ष 1977  में आपातकाल की समाप्ति के बाद जनसंघ का उस समय गठित  जनता पार्टी  में  विलय हो गया था ।  आपातकाल हटने कि बाद सन 1977  के आम चुनावों में इसी जनता पार्टी ने कांग्रेस को सत्ताच्युत किया था।  जनसंघ के तेज़ाब ने 1980  में जनतापार्टी को जलाकर भस्म कर दिया।  तीन वर्षों तक सरकार चलाने के बाद 1980  में जनता पार्टी विघटित हो गई। 

देश की राजसत्ता में अकेले काबिज होने का सपना देखने वाले पुराने जनसंघियों ने मिलकर 6  अप्रैल 1980  को जनसंघ  के स्थान पर भारतीय जनता पार्टी का गठन कर लिया ।  इसकी नीव में अटलबिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के अलावा उनकी पीढ़ी के तमाम पुराने जनसंघी थे। भाजपा ने  1984 के आम चुनावों में पहली बार हिस्सा लिय। भाजपा को कुल  दो  सीटें मिलीं। मुमकिन था की भाजपा को कुछ ज्यादा सीटें मिल जातीं किन्तु  1984 में  प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के कारण कांग्रेस के पक्ष में जो सहानुभूति की लहर चली उसने सभी राजनीतिक दलों की हवा खराब कर दी थी। 

भाजपा ने सत्ता में आने के लिए पहली बार राम नाम का सहारा लिया और  राम जन्मभूमि आंदोलन को चुनावी मुद्दा बनाया ।  ये मुद्दा भाजपा को फल गया। राम नाम ने भाजपा को संजीवनी दे दी। भाजपा   कुछ राज्यों में चुनाव जीतते हुये और राष्ट्रीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुये 1996 में  संसद में सबसे बड़े दल के रूप में नमूदार हुई । भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया जो 13,लेकिन ये सरकार कुल  दिन चली।आप कह सकते हैं कि  भाजपा की पहली सरकार की भ्रूण हत्या हो गयी। आज की भाषा में भाजपा की प्रथम सत्ता का ' मिसकैरेज' हो गया। भाजपा को बहुत जल्द समझ में आ गया कि  देश की राजसत्ता पर  कब्जा करना उसके अकेले के बूते की बात नहीं है। इसके लिए गठबंधन आवश्यक है। 

देश में 1998 में आम चुनावों के बाद भाजपा ने भानुमति का कुनवा जोड़क्सर जो गठबंधन बनाया उसे  राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नाम दिया गया। गठबंधन का प्रयोग कामयाब हुआ और एक बार फिर श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में  भाजपा की सरकार बनी जो सिर्फ  एक वर्ष  चली। अगले  आम-चुनावों में राजग को पुनः पूर्ण बहुमत मिला और श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार ने अपना कार्यकाल पूर्ण किया। इस प्रकार पूर्ण कार्यकाल करने वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी।लेकिन पंडित अटल बिहारी बाजपेयी का तिलिस्म बहुत जल्द  टूट भी गया और 2004  के आम चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा को पूरे एक दशक तक सत्ता का वनवास भोगना पड़ा । 

भाजपा ने इस एक  दशक तक संसद में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई और 2014  के आम चुनावों में भाजपा ने बाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी को हटाकर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना पोस्टर वाय बनाया। देश की जनता को रामराज  का नहीं अच्छे दिनों का नारा दिया। ये नारा असर कर गया और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा प्रचंड बहुमत से जीतकर सत्ता में वापस आगयी । आगे की रामकहानी आप सब जानते हैं।  भाजपा अपने हिंदुत्व के कार्ड को खेलते हुए आज  भारतीय जनता पार्टी देश के 29 राज्यों में से 19  राज्यों में अकेले या अपने सहयोगियों के साथ सरकार चला रही है। हालाँकि 2025  तक भाजपा की अपनी ताकत संसद में क्षीण हुयी है लेकिन उसके इरादे अभी भी मजबूत हैं। भाजपा अब 2047  तक सत्ता नहीं छोड़ना चाहती। इसके लिए भाजपा कुछभी दांव पर लगाने कि लिए कमर कसे है। 

भाजपा के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री सत्ता की लंका जीतने के लिए भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट समुद्री पुल-नए पंबन रेल पुल का उद्घाटन कर चुके है।  राम ने लंका जीतने के लिए नल-नील द्वारा बनाये पुल का उद्घाटन किया था। इस पुल को पार करने से क्या भाजपा सत्ता की वैतरणी पार करते हुए अपनी कल्पना की सोने की लंका जीत पाएगी या नहीं ये आने वाले दिन बताएँगे,क्योंकि हमारे पुरखे श्री नरेश सक्सेना कहते हैं कि -

'पुल पार करने से

पुल पार होता है

नदी पार नहीं होती

नदी पार नहीं होती नदी में धँसे बिना

नदी में धँसे बिना

पुल का अर्थ भी समझ में नहीं आता

नदी में धँसे बिना

पुल पार करने से

पुल पार नहीं होता

सिर्फ़ लोहा-लंगड़ पार होता है

कुछ भी नहीं होता पार

नदी में धँसे बिना

न पुल पार होता है

न नदी पार होती है।

भाजपा ने नरेश सक्सैना  की ये कविता पढ़ी है या नहीं  मुझे नहीं पता किन्तु लगता है कि  अब भाजपा नदी पार करने के फेर में देश को आकंठ साम्प्रदायिकता  में डुबो देना चाहती है। भाजपा के देवतुल्य कार्यकर्ताओं को स्थापना दिवस पर शुभकामनाएं। 

@ राकेश अचल

6 अप्रैल 2025, रविवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:06 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:40 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2082* शाके-1947 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज चैत्र माह शुक्ल पक्ष *नवमी तिथि*  19:22 बजे  तक फिर दशमी तिथि चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज* पुष्य नक्षत्र 30:24 बजे  तक फिर आश्लेषा नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *सुकर्मा*  है। 

 *करण*  :-आज  *बालव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा, गंडमूल नहीं  है।

*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पश्चिम दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 17:06 से 18:41 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:00 बजे से 12:50 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा*: श्री रामनवमी व्रत,नवरात्रि पूर्ण

*मुहूर्त* :  कोई नहीं 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मीन, चन्द्र-कर्क, मंगल-कर्क बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-मीन, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

[06/04, 06:00] ज्योतिषाचार्य डॉएचसी जैन: *🌞चोघडिया, दिन*

उद्वेग 06:07 - 07:41 अशुभ

चर 07:41 - 09:15 शुभ

लाभ 09:15 - 10:49 शुभ

अमृत 10:49 - 12:24 शुभ

काल 12:24 - 13:58 अशुभ

शुभ 13:58 - 15:32 शुभ

रोग 15:32 - 17:06 अशुभ

उद्वेग 17:06 - 18:41 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

शुभ 18:41 - 20:06 शुभ

अमृत 20:06 - 21:32 शुभ

चर 21:32 - 22:57 शुभ

रोग 22:57 - 24:23*अशुभ

[06/04, 06:00] ज्योतिषाचार्य डॉएचसी जैन: अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

शनिवार, 5 अप्रैल 2025

अप्रैल माह 2025 में पडने वाले योग


ये आग कब बुझेगी मी लार्ड ?

आज मी लार्ड का सम्बोधन किसी न्यायाधीश के लिए नहीं बल्कि कल्कि  अवतार उन नेताओं के लिए है जिन्होंने देश में मजहब के नाम पर साम्प्रदायिकता की आग को और हवा दे दी है।  कितनी बिडम्वना है कि इस देश में जहाँ सरकार ईद की नामज छतों पर और सड़कों पर पढ़ने से रोकती है वहीं दूसरी और बंगाल में राम नवमी का जुलूस प्रतिबंधित किया जाता है। जाहिर है कि हमारे मुल्क में न राम राज आया है और न अंग्रेजी तथा मुगल राज समाप्त हुआ है।  हमारे मुल्क में सभी को कुछ भी करने की आजादी है। हम सचमुच में आजाद हिन्द की फ़ौज हैं। 

इधर संसद के दोनों सदनों  में विवादास्पद वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पारित हुआ और उधर कुछ हिन्दू अतिवादी संगठन सम्भल  में जामा मस्जिद में हवन करने जा धमके। ये हौसला इन संगठनों को कहाँ से मिलता है ,ये बताने की जरूरत नहीं है। 

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक 2024  पारित होने के बाद अब जब क़ानून बनेगा तब पता चलेगा कि मुल्क के कितने लाख या करोड़ मुसलमानों का भला होगा,फिलहाल तो राजनीतिक दलों में इसी मसले पर फूट और उत्तरप्रदेश सरकार की तैयारी देखने लायक है। उसने वक्फ सम्पतियों का सर्वे शुरू करा दिया ह।  नए वक्फ बोर्ड क़ानून के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन शुरू होगये हैं। लेकिन सरकार बेफिक्र है ,क्योंकि उसने जैसा चाहा था वैसा ही हो रहा है। सरकार इस नए कानून के बहाने मुसलमानों की ताकत का आकलन करना चाहती है।ाल इंडिया मुस्लिम परसनल बोर्ड ने राष्ट्रपति जी से तत्काल मुलाक़ात का समय माँगा है। मुस्लिम परसनल ला बोर्ड को पता नहीं क्यों राष्ट्रपति से कोई उम्मीद है ,जबकि सब जानते हैं की हमारे देश में राष्ट्रपति महोदय केवल दही -मिश्री खिलाने के लिए हैं ,न की सरकार की कान-कुच्ची करने के लिए। 

सरकार के फैसले को शिरोधार्य करने के बजाय  मुसलमान सड़क पर उतर गए हैं। देश के कोने-कोने में इस संशोधन विधेयक के खिलाफ मुसलमानों ने आंदोलन करना शुरू कर दिया है। कोलकाता, हैदराबादा, मुंबई समेत देश के अलग-अलग स्थानों पर मुसलमानों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल के पास होने पर इसे जम्हूरियत के लिए काला अध्याय और कलंक बताया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि सत्ताधारी लोग ताकत के नशे में मदहोश होकर आगे बढ़ रहे हैं। सरकार ने मु्स्लिमसंगठनों और मुसलमानों की आवाज को नहीं सुना। इसके खिलाफ मुसलमान शांत नहीं बैठेगा और पूरे देश में प्रदर्शन किए जाएंगे।जबाब में दिल्ली के जामिया इलाके में पुलिस ने आज फ्लैग मार्च निकाला। बता दें कि दिल्ली में इस बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने की संभावना के बीच आरपीएफ ने फ्लैग मार्च निकाली और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है। 

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर सरकार के साथ खड़ी जेडीयू भी अब दो फाड़ होती दिखाई दे रही है ।  जंयन्त चौधरी की रालोद भी मुश्किल में है। मुश्किल में तो पूरा देश है लेकिन इस मुश्किल से सरकार अनजान बनी हुई है। एक तरफ वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का विरोध और दुसरे तरफ बंगाल में रामनवमी जुलूस पर पाबन्दी से तनाव सरकार के ध्रुवीकरण अभियान के लिए शुभ संकेत दे रहा है। भाजपा और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार शायद चाहती ही ये है कि  देश में हिन्दूओं और मुसलमानों के बीच एक विभाजक रेखा खिंच जाये। भाजपा और संघ के अभियान का एक अभिन्न हिस्सा बने मध्यप्रदेश के धीरेन्द्र शास्त्री का हौसला तो देखिये की वे अपने गृहक्षेत्र में एक हिन्दू गांव बसने जा रहे हैं और सरकार कुछ नहीं कह रही। क्या हमारा संविधान इस तरह की मूर्खताओं की इजाजत देता है ?

पश्चिम बंगाल के हावड़ा में रामनवमी  पर जुलूस निकालने को लेकर हिंदू संगठनों और पुलिस प्रशासन के बीच ठन गई थी. पुलिस ने इसकी परमिशन नहीं दी तो संगठन कलकत्ता हाई कोर्ट चले गए. अब कोर्ट ने उन्हें रैली निकालने की सशर्त परमिशन दे दी है. कोर्ट ने इजाजत देते हुए कहा कि रामनवमी पर रैली के दौरान जुलूस के आगे-पीछे पुलिस लगी रहेगी. किसी भी तरह के हथियार ले जाने की परमिशन नहीं होगी. दोपहर 12 बजे तक हर हाल में रैली का समापन कर देना है। बंगाल में न्यायपालिका ठीक वैसे ही काम कर रही है जैसा की उसे करना चाहिए। अदालत ने भी हिन्दू संगठनों को उस तरह से नहीं रोका जिस तरह से उत्तर प्रदेश  की सरकार   ने मुसलमानों को सड़क पर नमाज करने से रोका था। आखिर अदालत में भी तो हम और आप जैसे ही लोग हैं मी लार्ड ! अब जिम्मेदारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है कि वे सौहार्द बिगड़ने न दें। 

देश को साम्प्रदायिकता की आग में झुकने के बाद देश के प्रधानमंत्री निश्चिंत होकर विदेश यात्रा पर है। प्रधानमंत्री जी  थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हो रहे बिम्स्टेक (बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फ़ॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन) के छठे शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद श्रीलंका चले गए। बैंकाक में प्रधानमंत्री जी ने बांग्लादेशके अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफ़ेसर मोहम्मद यूनुस की पहली मुलाक़ात में हिंदुओं की सुरक्षा और शेख़ हसीना के प्रत्यर्पण का मुद्दा हावी रहा। संसद में पारित उम्मीद से देश के मुस्लमानोनो को भले कोई उम्मीद न हो किन्तु मुझे  उम्मीद है की भारत और बांग्लादेश के बीच का अनबोला तो समाप्त किया ही जा सकता है। 

कुलजमा बात ये है कि हमारा देश एक गहन संक्रमण काल से गुजर रहा है। न अंतर्राष्ट्रीय हालात हमारे अनुकूल हैं और न राष्ट्रीय स्थितियां। आने वाले दिनों में क्या होगा ,कहने की नहीं समझने की जरूरत है। अभी भी वक्त है की सरकार हकीकत समझे और उम्मीद क़ानून को वापस ले ले ठीक उसी तरह जैसे की कृषि कानूनों को वापस लिया गया था ।

रविपुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग में 06 अप्रैल को खास संयोग में मनेगी राम नवमी

चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कौशल्या की कोख से पुरुषोत्तम भगवान राम का जन्म हुआ था। भारतीय जीवन में यह दिन पुण्य पर्व माना जाता है। इस दिन पुण्य सलिला सरयू नदी में स्नान करके लोग पुण्य लाभ कमाते हैं। 

ज्योतिषाचार्य  डॉक्टर हुकुमचंद जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि इस साल रामनवमी 6 अप्रैल रविवार को मनाई जाएगी और इस दिन सुकर्मा योग, रवि योग, रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि और पुष्य नक्षत्र का संयोग है। रविवार होने के कारण और रविपुष्य नक्षत्र के कारण इस बार रविपुष्य योग बन रहा है। इस लिए इस बार की राम नवमी खास है साथ ही दान और पूजा का बहुत फल मिलेगा। इस साल अष्टमी तिथि 05 अप्रैल शनिवार शाम को 07.26 मिनट तक रहेगी और इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। इसलिए उदया तिथि को नवमी तिथि होने के कारण 06 अप्रैल राम नवमी मनाई जाएगी।

जैन ने कहा नवमी के इस व्रत को करने से हमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र के आदर्शों को अपनाना चाहिए भगवान की गुरु सेवा जाति, पाति का भेदभाव मिटाना शरणागत की रक्षा करना भाइयों का प्रेम मातृ- पितृ भक्त एक पत्नी व्रत, पवनसुत हनुमान तथा अंगद की स्वामी भक्ति गिद्धराज की कर्तव्यनिष्ठता तथा केवट आदि के चरित्रों की महानता को हमें पढ़ना चाहिए और उसका अनुसरण करना चाहिए।

 रामनवमी पूजन मुहूर्त :- रामनवमी पूजा अनुष्ठान आदि करने हेतु मध्यान्ह का समय सर्वाधिक शुभ होता है मध्यान काल 06 घटी  अर्थात लगभग 02 घंटे 24 मिनट तक रहता है ।

मध्यान के मध्य का समय श्री राम जी के जन्म के क्षण को दर्शाता है तथा मंदिरों में इस क्षण को भगवान श्री राम के जन्म काल के रूप में मनाया जाता है इस दौरान भगवान श्री राम के नाम का जाप और जन्मोत्सव अपने चरम पर होता है पूजन मुहूर्त रामनवमी मध्यान समय में 11:08 बजे से 01:36 बजे तक इसका कुल समय 2 घंटे 28 मिनट।

 रामनवमी मध्याह्न  का क्षण दोपहर 12:22 पर रहेगा।

5 अप्रैल 2025, शनिवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:07 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:40 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2082* शाके-1947 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज चैत्र माह शुक्ल पक्ष *अष्टमी तिथि*  19:36 बजे  तक फिर नवमी तिथि चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज* पुनर्वसु नक्षत्र 29:31 बजे  तक फिर पुष्य नक्षत्र चलेगा।

    *योग* :- आज *अतिगंड*  है। 

 *करण*  :-आज  *विष्टि* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक, गंडमूल नहीं भद्रा 07:44 बजे तक है।

*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पूर्व दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 09:16 से 10:50 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:00 बजे से 12:50 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा*: दुर्गा अष्टमी, अशोकाष्टमी

*मुहूर्त* : वाहन क्रय विक्रय  है अन्य कोई नहीं 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मीन, चन्द्र-मिथुन, मंगल-कर्क बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-मीन, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

*🌞चोघडिया, दिन*

काल 06:08 - 07:42 अशुभ

शुभ 07:42 - 09:16 शुभ

रोग 09:16 - 10:50 अशुभ

उद्वेग 10:50 - 12:24 अशुभ

चर 12:24 - 13:58 शुभ

लाभ 13:58 - 15:32 शुभ

अमृत 15:32 - 17:06 शुभ

काल 17:06 - 18:40 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

लाभ 18:40 - 20:06 शुभ

उद्वेग 20:06 - 21:32 अशुभ

शुभ 21:32 - 22:58 शुभ

अमृत 22:58 - 24:23*शुभ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025

भारत सिंह पर कृपा कीजिये महाराज

आप भारत   सिंह को नहीं  जानते । भारत सिंह कुशवाह ग्वालियर के साँसद हैं। ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं,लेकिन मप्र विधानसभा के सदस्य और मंत्री रह चुके है।  पेशे से किसान हैं और मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर की वजह से राजनीति में अपनी पहचान बना पाए हैं। भारत सिंह कुशवाह की किस्मत देखिये की वे 2023  में विधानसभा का चुनाव हार गए लेकिन 2024  में लोकसभा का चुनाव 70  हजार वोटों से जीत गए ।  भारत सिंह  कुशवाह की तकलीफ ये है कि ग्वालियर के साँसद होते हुए भी उन्हें एक साँसद की तरह न काम करने दिया जा रहा है और न विकास का मसीहा बनने दिया जा रहा। 

आप ये जानकर हैरान होंगे किभारत सिंह कुशवाह के रास्ते में आड़े आ रहे हैं गुना के सांसद केंद्रीय मंत्री  ज्योतिरादित्य सिंधिया। सिंधिया भले ही गुना के साँसद हैं लेकिन वे आधे मध्यप्रदेश को [यानि पुरानी सिंधिया रियासत के भू-भाग को ] अपनी रियासत ही समझते हैं। वे अकेले गुना के लिए नहीं बल्कि भिंड,मुरैना और ग्वालियर  के लिए भी काम करते है।  उन्हें विदिशा,उज्जैन जैसे इलाकों की भी फ़िक्र रहती है। उन्हें लगता है कि वे आज भी पुरानी ग्वालियर रियासत के महाराज हैं, इसलिए उन्हें इस पूरे इलाके की फ़िक्र करना चाहिए। 

इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि भारत सिंह कुशवाह के मुकाबले ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक विरासत सौ गुना ज्यादा है ।  भारत सिंह के पुरखे भी शायद सिंधिया रियासत की रियाया रहे होंगे ,किन्तु भारत सिंह तो आजाद भारत के भारत सिंह हैं और स्वयं सांसद भी हैं ठीक उसी तरह जैसे की ज्योतिरादित्य सिंधिया है। भारत सिंह की मुश्किल ये है कि वे हिम्मत कर ग्वालियर के लिए केंद्र से जिन तमाम योजनाओं के लिए भागदौड़ करते हैं उनके स्वीकृत होते ही वे सब योजनाएं सिंधिया अपने खाते में दर्ज करा देते हैं। जाहिर है कि सिंधिया का आभा मंडल है। उनकी दादी ,पिता ,बुआ तक सांसद रहीं हैं ।  वे किसी भी केंद्रीय मंत्री ही क्या प्रधानमंत्री जी से भी आसानी से मिल सकते हैं और किसी भी  योजना को स्वीकृत भी करा सकते हैं ,लेकिन उन्हें भारत सिंह को भी तो कुछ   करने देना चाहिए। 

ग्वालियर का जिला प्रशासन भी भारत सिंह को एक सांसद की तरह महत्व नहीं देता ,खासतौर पर तब ,जब  महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद मैदान में हों। स्थिति ये बन गयी है कि अक्सर भारत सिंह कुशवाह को सरकारी बैठकों में ,कार्यक्रमों में आमंत्रित  ही नहीं किया जाता। अब खुद भारत सिंह उन कार्यक्रमों से कन्नी काटने लगे हैं जिनमें  केंद्रीय  मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद होते हैं। कायदे से तो सिंधिया को वरिष्ठ होने के नाते भारत सिंह को अपने साथ रखकर उनका रास्ता आसान करना चाहिए था किन्तु वे श्रेय में किसी को भागीदार  नहीं बनाते,बेचारे भारत सिंह कुशवाह की तो  हैसियत ही क्या है ?

आपको बता दें कि सिंधिया ने भारत सिंह से पहले ग्वालियर के साँसद रहे विवेक नारायण शेजवलकर को भी आत्मनिर्भर सांसद नहीं बनने दिया। हालाँकि विवेक नारायण शेजवलकर भारत सिंह के मुकाबले ज्यादा पढ़े लिखे [ इंजीनियर ] साँसद थे ।  उनके पिता भी सांसद रहे। ।  विवेक नारायण शेजवलकर तो महापौर भी रहे ,लेकिन शेजवलकर ने सिंधिया का लिहाज किया ,पर सिंधिया ने शेजवलकर का लिहाज नहीं किया । शेजवलकर से पहले नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर के साँसद थे,लेकिन उनका कद पार्टी में इतना बड़ा था कि सिंधिया तोमर  को अपनी छाया के अधीन नहीं कर पाए। तोमर ने भी सिंधिया को उतने समय ही महाराज माना जितने समय कि दिखाने के लिए जरूरी था। 

अब भारत सिंह कुशवाह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच की बढ़ती खाई का मामला पार्टी हाईकमान के साथ ही आरएसएस तक भी पहुँच चुका है। पर मजा देखिये कि  पार्टी है कमान और संघ परिवार भी भारत सिंह के साथ खड़े होने के लिए राजी नहीं हैं। अब बेचारे भारत सिंह कुशवाह अपनी लड़ाई अकेले कब तक लड़ें ? भारत सिंह कुशवाह के राजीनतिक गुरु विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमार भी खुलकर सिंधिया का विरोध करने की स्थिति में नहीं हैं। सिंधिया आखिर सिंधिया है।  उन्हें विकास का मसीहा बनने से कौन रोक सकता है ?

भारत सिंह कुशवाह और सिंधिया में तनातनी  नई नहीं है।कुछ समय  पहले भी जीवाजी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री सिंधिया, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और राज्यपाल मांगूबाई पटेल ने प्रतिमा का अनावरण किया था। इस दौरान सांसद मौजूद नहीं थे। तब भी यह बात निकलकर आई थी कि उन्हें बुलाया ही नहीं गया था। वहीं, रविवार को भी केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने भी जब बजट को लेकर प्रेसवार्ता की तो उसमें भी सिंधिया समर्थक ऊर्जा मंत्री तोमर और अन्य समर्थक तो नजर आए लेकिन जिलाअध्यक्ष तक नजर नहीं आए। 

भारत सिंह कुशवाह ने जब ज्यादा असंतोष जताया तो कुछ समय  के लिए सिंधिया ने ग्वालियर में अपनी सक्रियता कम की किन्तु वे ज्यादा दिन ग्वालियर से दूर नहीं रह पाये । अब वे फिर सक्रिय हैं और पूरी तरह सक्रिय हैं। सिंधिया की छाया से अकेले भारत सिंह कुशवाह ही परेशान नहीं है अपितु कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य अशोक सिंह भी दुखी है।  वे सिंधिया की वजह से ग्वालियर में अपनी सांसद निधि से ऐसा कोई काम हाथ में नहीं ले पाए जोउन्हें एक साँसद  के तौर पर पहचान दिला दे। अशोक सिंह के पिता स्वर्गीय राजेंद्र सिंह और पितामह डोंगर सिंह कक्का सिंधिया परिवार के विरोधी रहे ,लेकिन बाद में अशोक सिंह ने हथियार डाल दिए और 2007 ,2009 ,2014 और 2019 में ग्वालियर से ॉक्सभा का चुनाव ग्वालियर सीट से लड़ा जरूर किन्तु सिंधिया ने न उन्हें चुनाव जिताया और न जीतने दिया।  अशोक सिंह कांग्रेस में दिग्विजय सिंह खेमे से आते हैं। 

अब देखना ये है कि सिंधिया की छत्र छाया से ग्वालियर के भाजपा साँसद भारत सिंह कुशवाह और कांग्रेस के राज्य सभा सांसद अशोक सिंह कितने दिन तक बचे रह सकते हैं ? इन दोनों में सिंधिया का मुकाबला करने की क्षमता हालांकि  है नहीं। फिर भी समय किसने देखा है। वैसे भी सिंधिया के पास झंडावरदारी के लिए उनकी अपंनी पुरानी कांग्रेसियों की टीम है ही,उसमें  अब कुछ भाजपाई भी शामिल हो गए हैं। 

@ राकेश अचल

आरकेएल गॅलेक्सी स्कूलचा विद्यार्थी ओजासवी गांधी यांनी 2 डी डिझाइन स्पर्धेत राजा रवी वर्माचा पुरस्कार जिंकला

 


देशाच्या मुलींनी हे सिद्ध केले आहे की जर एखादी इच्छा असेल तर कोणतेही काम कठीण नाही आणि जर कोणतेही काम खरे समर्पण आणि कठोर परिश्रम करून केले गेले तर कोणताही अडथळा ध्येय थांबवू शकत नाही. हे सिद्ध झाले आहे की ग्वाल्हेरमध्ये जन्मलेल्या आणि पुण्यात शिकलेला ओजासवी गांधी.

पुणे मेट्रोपॉलिटन नगरपालिका बालगंधर्व रंगमंदिर येथे आयोजित तिसर्‍या राष्ट्रीय स्तरावरील कलाकृती प्रदर्शन, आरकेएल गॅलेक्सी स्कूलचे 7th व्या वर्गातील विद्यार्थी ओजस्वी गांधी यांनी 2 डी डिझाइन स्पर्धेत महान कलाकार राजा रवी वर्मा 2 वेळा पुरस्कार जिंकून हे सिद्ध केले.

ओजासवी गांधी यांनी त्यांची आई निकिता गांधी आणि वडील कमल गांधी यांना हे श्रेय दिले आहे.






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