बुधवार, 23 अप्रैल 2025
धरती के स्वर्ग में नारकीय तांडव
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण नरसंहार की खबर सुनकर सारी रात नींद नहीं आयी। धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले इस भूखंड को खंड-खंड किये जाने के छह साल बाद हुए इस आंतकी कुकृत्य में दो दर्जन से अधिक उन निरीह युवाओं की जान चली गयी जो अपना घर-संसार बसाने से पहले अपने साथ कुछ सुनहरी यादें समेटने यहां आये थे। इस नराधम कार्रवाई से देश ही नहीं पूरी दुनिया स्तब्ध है। इस हादसे की निंदा करने के लिए भी शब्द कम पड़ रहे हैं। पूरी घाटी आने वाले काले दिनों के खौफ से जार-जार हो उठी है।
भारत का ये अभिन्न अंग शुरू से ही गैरकांग्रेसी राजनीति का केंद्र रहा है । आजादी के ठीक पहले गठित राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ और बाद में जनसंघ तथा भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर पूरे 72 साल राजनीति की और 2019 में इस प्रावधान को हटाकर ही चैन लिया। इस प्रावधान को हटाने के साथ ही घाटी को आतांकवाद से निजात दिलाने के लिए सूबे को तीन भागों में विभाजित किया ,पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की ,लेकिन आतंकवाद का खत्मा नहीं हुआ। पहलगाम का नरसंहार एक दुःस्वप्न की तरह हमारे सामने है। पहलगाम आतंकी हमले में कुल 26 लोग मारे गए, जिसमें दो विदेशी और दो स्थानीय शामिल है। मृतकों में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल शहीद हो गए। हाल ही में शादी के बाद वे हनीमून पर पत्नी संग पहलगाम गए थे. हमले में उनकी पत्नी सुरक्षित बचीं। यह हमला पहलगाम के बैसरन घाटी में हुआ, जहां अक्सर पर्यटक आते हैं. इस इलाके में केवल पैदल या घोड़ों से ही पहुंचा जा सकता है. लश्कर-ए-तैयबा के एक संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट '(टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है.
इस अकल्पनीय हत्याकांड के लिए कौन जिम्मेदार है और कौन नहीं इसकी मीमांसा बाद में हो जाएगी ,लेकिन अभी तो ये तय करना है कि क्या घाटी से 370 हटाने की वजह से ये वारदात हुई है या देश में अल्पसंख्यकों के साथ वक्फ बोर्ड कानून के जरिये उनकी भावनाओं से छेड़छाड़ की कोशिश इसकी वजह है ? इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि इस समय देश सबसे बड़े संक्रमण काल से गुजर रहा है । देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की उधेड़बुन ने देश को हर तरफ से साम्प्रदायिकता की आग में झौक दिया है। हिन्दू -मुसलमान अकेला हो तो आप सम्हाल भी लें किन्तु अब तो हिन्दूहै बनाम दलित,हिन्दू बनाम जैन ,हिन्दू बनाम हिन्दू ,हिन्दू बनाम आदिवासी यानि हिन्दू बनाम सब कुछ चल रहा है और हमारे भायविधाता न जम्मू-कश्मीर सम्हाल पा रहे हैं और न बंगाल। मणिपुर वे पहले ही जला चुके हैं। अब कश्मीर घाटी भी एक बार फिर धधक उठी है।
घाटी में अब चुनी हुई सरकार है लेकिन ये सरकार आधी-अधूरी सरकार है । ये राज्य सरकार नहीं बल्कि एक केंद्र शासित क्षेत्र की सरकार है । यहां सीमाओं की सुरक्षा हो या पुलिस सब केंद्र के हाथ में है और केंद्र इस समय साम्प्रदायिक धृवीकरण में व्यस्त है। राहुल गाँधी और उनकी माँ श्रीमती सोनिया गाँधी को जेल भेजने की तैयारियों में व्यस्त है। हमारे भाग्यविधातों को बिहार और बंगाल की सत्ता जीतना है और ईडी,सीबीआई तथा केंचुआ के बाद भारत की न्यायपालिका को भी बंधुआ बनाना है। इसके लिए देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना साहब तक को देश में कथित तौर पर चल रहे तमाम गृह युद्दों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यदि भाजपा का यही पैमाना है तो पहलगाँम के नरसंहार के लिए भी देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ही जिम्मेदार हैं।
. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कहा है कि गुनहगारों को बख्शा नहीं जाएगा। आतंकवादियों की कायराना हरकत का जवाब देने के लिए भारतीय सेना तैयार है। हमारी सेना तो पहले भी आतंकवादियों से लगातार जूझ ही रही थी ,उसके हाथ किसी ने बंधे थोड़े ही थे। फिर भी ये हादसा हुआ इसका अर्थ है की सरकार और सेना की रणनीति में कहीं कोई झोल रह गया। यानि सरकार का और सेना का खुफिया तंत्र नाकाम साबित हुआ। सवाल ये है की जब हमारी सरकार एक बार सर्जिकल स्ट्राइक कर चुकी है फिर ये आतंकी कहाँ से आ गए ? सरकार को पता था कि पहलगाम हत्याकांड का मुख्य मास्टर माइंड ताजा आतंकी हमले से दो महीने पहले ही सैफुल्लाह खालिद पाकिस्तान के पंजाब के कंगनपुर पहुंचा था, जहां पाकिस्तान सेना की एक बड़ी बटालियन रहती है। वहां पाक सेना के एक कर्नल जाहिद जरीन खटक ने उसे जेहादी भाषण देने के लिए बुलाया था। उसके वहां पहुंचने के बाद खुद कर्नल ने उसके उपर फूल बरसाए.गए थे।
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद सरकार सक्रिय हुई है।प्र्धानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह से फोन पर बातचीत की। उन्होंने इस घटना पर कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए।मोदी जी इस समय सऊदी अरब में है । बेहतर होता कि वे इस हत्याकांड के बाद अपना दौरा निरस्त कर स्वदेश लौटते और खुद सारी स्थिति की समीक्षा करते लेकिन उन्होंने ऐसा न कर अपने हनुमान यानी गृहमंत्री अमित शाह को कमान सौंपी है। शाह ने कहा कि इस जघन्य आतंकी हमले में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा और हम अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर पहूंचकर सभी एजेंसियों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक की है । अब नतीजोंका इन्तजार करना होगा।
@ राकेश अचल
23 अप्रैल 2025, बुधवार का पंचांग
*सूर्योदय :-* 05:48 बजे
*सूर्यास्त :-* 18:50 बजे
श्रीविक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947*
*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551*
*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल
*🌧️ऋतु* : ग्रीष्म ऋतु
*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* -
आज वैशाख माह कृष्ण पक्ष *दशमी तिथि* 16:43 बजे तक फिर एकादशी तिथि चलेगी।
💫 *नक्षत्र आज* धनिष्ठा नक्षत्र 12:07 बजे तक फिर शतभिषा नक्षत्र चलेगा।
*योग* :- आज *शुक्ल* है।
*करण* :-आज *विष्टि* हैं।
💫 *पंचक* :- पंचक है भद्रा नहीं गंडमूल 11:55 बजे से है।
*🔥अग्निवास*: आज पाताल में है।
☄️ *दिशाशूल* : आज उत्तर दिशा में।
*🌚राहूकाल* :आज 12:20 बजे से 13:57 बजे तक अशुभ समय है।
*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:55 बजे से 12:47 बजे तक शुभ है।
प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।
*पर्व त्यौहा*:- भगवान मुनिसुव्रत नाथ जी मोक्ष
*मुहूर्त* : - भूमि पूजन/ नींव जीर्ण गृहप्रवेश, देव प्रतिष्ठा, नामकरण, मुंडन, विद्यारंभ, वाहन है अन्य नहीं हैं।
🪐 *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-
सूर्य-मेष, चन्द्र-कुंभ, मंगल-कर्क बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-मीन, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन
हर्षल-मेष में आज है।
*🌞चोघडिया, दिन*
लाभ 05:49 - 07:27 शुभ
अमृत 07:27 - 09:04 शुभ
काल 09:04 - 10:42 अशुभ
शुभ 10:42 - 12:20 शुभ
रोग 12:20 - 13:57 अशुभ
उद्वेग 13:57 - 15:35 अशुभ
चर 15:35 - 17:13 शुभ
लाभ 17:13 - 18:50 शुभ
*🌘चोघडिया, रात*
उद्वेग 18:50 - 20:13 अशुभ
शुभ 20:13 - 21:35 शुभ
अमृत 21:35 - 22:57 शुभ
चर 22:57 - 24:19*शुभ
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)
जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।
मो . 9425187186
मंगलवार, 22 अप्रैल 2025
सिंधिया स्कूल में “वर्ल्ड अर्थ डे” के अवसर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित
रविकांत दुबे जिला प्रमुख
ग्वालियर । सिंधिया स्कूल, ग्वालियर में आज “वर्ल्ड अर्थ डे” के अवसर पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए गए। सर्वप्रथम विद्यालय के 600 से अधिक सदस्यों के द्वारा पर्यावरण संबंधित रीवाइल्डिंग,जल-प्रबंधन, अपशिष्ट-प्रबंधन,ऊर्जा-संरक्षण और जैविक खेती जैसे विषयों पर ध्यान केंद्रित करते हुए ड्राइंग शीट पर ड्राइंग, स्केचिंग या भित्तिचित्र बनाए गए।
इसके बाद विद्यालय के सभी सदस्यों को संबोधित करते हुए प्राचार्य श्रीअजय सिंह ने कहा कि हमें एक विशेष दिन पर अर्थ डे मनाते हैं परंतु हमारे लिए हर दिनअर्थ डे होना चाहिए आपका हर छोटे से छोटा कार्य इस धरती को, इस पर्यावरण को बचाने के लिए होना चाहिए।जब आप कक्षा से बाहर आते हैं और लाइट और पंखे बंद कर देते हैं या अपने आसपास फैले गंदगी को साफ करते हैं या किसी भी प्रकार से पानी को बर्बाद नहीं करते यह सभी छोटी-छोटी आदतें सीधे तौर पर पृथ्वी को बचाने में काम आती हैं इसलिए अपनी इस तरह के किसी भी काम को छोटा मत समझिए। उन्होंने विद्यालय में हर हफ्ते मंगलवार को मनाए जाने वाले “नो व्हीकल डे” की भी चर्चा की।
विद्यालय में आज एक घंटे के लिए सभी लाइट्स बंद कर दिए गए और इस दौरान सभी छात्रों नेअपने-अपने सदन में रहकरअपनी विभिन्न प्रतिभाओं को सभी के समक्ष रखा।इसमें कविता पाठ गायन वादन तथाअर्थ देखकर महत्व पर प्रकाश डाला गया।
इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य श्री अजय सिंह, उप-प्राचार्या सुश्री स्मिता चतुर्वेदी सहशैक्षणिक गतिविधियों के अधिष्ठाता श्री धीरेंद्र शर्मा, कार्यक्रम के संयोजक श्री गोपाल चतुर्वेदी सहित विद्यालय के सभी अध्यापक, छात्र और सिंधिया स्कूल के प्रशाशनिक विभाग के सदस्यों ने भी इसमें भाग लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराई ।
मनोज मिश्रा
मीडिया प्रभारी
सिंधिया स्कूल ,ग्वालियर
पोप फ्रांसिस के लिए झुका तिरंगा
ईसाइयों के जगतगुरु पोप फ्रांसिस के सम्मान में भारत का राष्ट्रिय ध्वज 3 दिन के लिए झुका देखकर मैं भ्रम में पड़ गया हूँ कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए संघर्षरत संगदिल लोगों की सरकार का दिल अचानक दरिया कैसे हो गया कि भारत में पोप फ्रांसिस के निधन पर 3 दिन का राष्ट्रिय शोक घोषित कर दिया गया।भारत में तो इन दिनों ईसाई हों या मुसलमान या जैन सभी कि खिलाफ एक अघोषित शीत युद्ध चल रहा है। पोप फ्रांसिस का का 21 अप्रैल को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उनके लिए भारत ने 22 से 24 अप्रैल तक तीन दिवसीय राजकीय शोक की घोषणा की है। मुमकिन है की ऐसा अमेरिका को खुश करने कि लिए किया गया हो।
पोप फ्रांसिस को न मैंने कभी देखा और न मिला ,लेकिन टेलीविजन के पर्दे पर वे जब भी दिखे एक आकर्षक धार्मिक नेता की तरह ही नजर आये । उनके चेहरे से दया,करुणा ही झलकती दिखाई दी,उन्हें कभी उत्तेजित होते हुए नहीं देखा गया। पोप फ्रांसिस रोमन कैथोलिक ईसाई समाज के सबसे बड़े धार्मिक गुरु थे। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक पोप फ्रांसिस रोमन कैथोलिक समुदाय के 266 वे और सोसाइटी ऑफ जीसस (जेसुइट ऑर्डर) के पहले पोप थे, दक्षिणी अमेरिका से पहले पोप थे, तथा 8वीं शताब्दी के सीरियाई पोप ग्रेगरी तृतीय के बाद यूरोप के बाहर जन्मे या पले-बढ़े दूसरे पोप थे।
अर्जेंटीना के बोनस आइरिस में जन्में पोप फ्रांसिस की भी ईश्वर में आस्था एक बीइमारी की गिरफ्त में आने के बाद बढ़ी । ये बात 1958 की है।वे 1969 में पहली बार पादरी बने और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। पोप फ्रांसिस 2013 में तत्कालीन पोप के इस्तीफे के बाद उनके उत्तराधिकारी बनाये गए। आप जानते ही हैं कि पोप की हैसियत सिर्फ एक धार्मिक नेता की ही नहीं होती बल्कि वे विश्व राजनीति में एक कूटनीतिज्ञ की तरह भी किरदार अदा करते है। पोप फ्रांसिस प्रगतिशील और दक्षिणपंथ विरोधी नेता के रूप में उभरे । उन्होंने अनेक विवादास्पद रिश्तों और प्रवासियों के मुद्दों पर चीन जैसे देशों से मुठभेड़ की। पोप फ्रांसिस हमेशा प्रवासियों के हितों की रक्षा को सभ्य समाज का कर्तव्य मानते थे । उन्होंने इस मुद्दे पर अमरीकी नीतियों का भी विरोध किया।
मुझे लगता है कि पोप फ्रैंसिस फ़्रांसिस का पूरा जीवन लॉर्ड और चर्च की सेवा में समर्पित रहा। पोप फ्रांसिस ने दुनिया को हमेशा साहस, प्यार और हाशिए के लोगों के पक्ष में खड़ा रहने के लिए प्रेरित किया। एक मायने में कहें तो पोप फ़्रांसिस लॉर्ड जीसस के सच्चे शिष्य थे। पोप फ्रांसिस को कैथोलिक चर्चों में सुधार के लिए भी जाना जाता है. इसके बावजूद पोप परंपरावादियों के बीच भी लोकप्रिय थे. फ्रांसिस दक्षिण अमेरिका (अर्जेंटीना) से बनने वाले पहले पोप थे। पोप फ़्रांसिस ईस्टर संडे को ही वेटिकन में सेंट पीटर्स स्क्वेयर पर अपने भक्तों के सामने प्रकट हुए थे। हुए थे।
पोप फ्रांसिस को मैं कोरा धार्मिक नेता नहीं मानता क्योंकि उन्हें चुनाव के दौरान उन्हें रूढ़िवादियों और सुधारकों का जबरदस्त समर्थन मिला। पोप ने आलोचनाओं की परवाह किये बिना यौन मामलों में रूढ़िवादी और सामाजिक मामलों में उदारता दिखाई । पोप को उनके समर्थक उन्हें लोगों से जुड़ने, क्यूरिया (वेटिकन नौकरशाही) में सुधार लाने, वेटिकन बैंक में भ्रष्टाचार को समाप्त करने और चर्च में बाल यौन शोषण रोकने के संकल्प के कारण खासा पसंद करते थे। पोप बनने के चार साल बाद हुए सर्वेक्षणों से पता चला कि पोप की लोकप्रियता कैथोलिक और अन्य धर्मों के बीच बहुत ज़्यादा है. सोशल मीडिया एक्स पर उन्हें डेढ़ करोड़ से भी ज़्यादा लोग फ़ॉलो करते हैं। कई मुद्दों पर सीधा दखल न देने के कारण वेटिकन के अंदर और बाहर उनके विरोधियों की संख्या भी काफी रही।
आप माने या न मानें किन्तु मुझे पोप फ्रांसिस हमेशा गांधीवादी लगे । उनका जीवन सादा और उच्च विचारों का था। एक बार की बात है कि पोप फ्रांसिस वेटिकन लौटते समय इतालवी राजधानी के मध्य में पादरी वर्ग के लिए बने एक होटल में रुके । ये होटल पोप क लिए निशुल्क था किन्तु उन्होंने अपना बिल चुकाने पर ज़ोर दिया, इससे उनकी शैली की छाप पोप पद पर तुरंत पड़ गई। पोप ने उस विशाल पेंटहाउस अपार्टमेंट को त्याग दिया, जिसे पोप कई शताब्दियों से इस्तेमाल कर रहे थे। वह वेटिकन गेस्टहाउस के एक छोटे से सुइट में रहने लगे। पोप फ्रांसिस ने पोप के ग्रीष्मकालीन निवास कासल गंडोल्फो को भी त्याग दिया था।
पोप फ्रांसिस मुझे इसलिए भी आकर्षित करते रहे क्योंकि वे कोरे धार्मिक भाषणों तक ही सीमित नहीं रहे । उन्होंने सामाजिक सरोकारों को भी रेखांकित किया। उन्होंने मुक्त बाजार अर्थशास्त्र पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि चर्च को समलैंगिक लोगों के लिए राय बनाने के बजाय उनसे माफी मांगनी चाहिए.। उन्होंने अन्य बातों के अलावा यूरोपीय प्रवासी हिरासत केंद्रों की तुलना नज़रबंदी शिविरों से की। कभी-कभी पोप फ्रांसिस की झलक मुझे भारत की द्वारिकापीठ के शंकराचार्य रहे स्वामी स्वरूपानद जी और उनके उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानद में भी दिखाई देती है।
पोप फ्रांसिस इस साल 2025 के बाद भारत दौरे पर आने वाले थे। इसके लिए भारत की तरफ से पोप फ्रांसिस को आधिकारिक तौर पर निमंत्रण दिया जा चुका था ,लेकिन भारत यात्रा से पहले ही वे अनंत ायत्रा पर निकल गए।पोप फ्रांसिस भारतीय संत परम्परा से भी खासे प्रभावित थे । उन्होंने पिछले साल संत श्री नारायण गुरुकी खुलकर प्रशंसा की थी। । पोप फ्रांसिस ने तब कहा था कि संत नारायण गुरु का सार्वभौमिक मानव एकता का संदेश आज बहुत प्रासंगिक है ,क्योंकि दुनिया में हर तरफ और हर जगह नफरत बढ़ रही है। पोप ने ये बातें तब कहीं थीं, जब केरल के एर्नाकुलम जिले के अलुवा में श्री नारायण गुरु के सर्व-धर्म सम्मेलन के शताब्दी समारोह के मौके पर धर्मगुरुओं का सम्मेलन हुआ था। पोप ने तब वेटिकन में भी जुटे धर्मगुरुओं और प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए ये बातें कही थीं। मानवता के इस महान प्रहरी को मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि।
@ राकेश अचल
22 अप्रैल 2025, मंगलवार का पंचांग
*सूर्योदय :-* 05:49 बजे
*सूर्यास्त :-* 18:49 बजे
श्रीविक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947*
*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551*
*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल
*🌧️ऋतु* : ग्रीष्म ऋतु
*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* -
आज वैशाख माह कृष्ण पक्ष *नवमी तिथि* 18:12 बजे तक फिर दशमी तिथि चलेगी।
💫 *नक्षत्र आज* श्रवण नक्षत्र 12:43 बजे तक फिर धनिष्ठा नक्षत्र चलेगा।
*योग* :- आज *शुभ* है।
*करण* :-आज *तैतिल* हैं।
💫 *पंचक* :- पंचक, गंडमूल नहीं भद्रा 18:13 बजे से है।
*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।
☄️ *दिशाशूल* : आज उत्तर दिशा में।
*🌚राहूकाल* :आज 15:35 बजे से 17:12 बजे तक अशुभ समय है।
*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:55 बजे से 12:47 बजे तक शुभ है।
प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।
*पर्व त्यौहा*:- भगवान मुनिसुव्रत नाथ जी ज्ञान
*मुहूर्त* : - सगाई है अन्य नहीं हैं।
🪐 *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-
सूर्य-मेष, चन्द्र-मकर, मंगल-कर्क बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-मीन, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन
हर्षल-मेष में आज है।
*🌞चोघडिया, दिन*
रोग 05:50 - 07:27 अशुभ
उद्वेग 07:27 - 09:05 अशुभ
चर 09:05 - 10:42 शुभ
लाभ 10:42 - 12:20 शुभ
अमृत 12:20 - 13:57 शुभ
काल 13:57 - 15:35 अशुभ
शुभ 15:35 - 17:12 शुभ
रोग 17:12 - 18:50 अशुभ
*🌘चोघडिया, रात*
काल 18:50 - 20:12 अशुभ
लाभ 20:12 - 21:35 शुभ
उद्वेग 21:35 - 22:57 अशुभ
शुभ 22:57 - 24:19*शुभ
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)
जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।
मो . 9425187186
सोमवार, 21 अप्रैल 2025
कैट व पुलिस के बीच सौहार्दपूर्ण क्रिकेट मैच 11 मई को
श्रीवैदिक फाउण्डेशन ने बांटे गरीब बस्ती में कपड़े
ग्वालियर। श्री वैदिक फाउंडेशन के द्वारा डीडी नगर गरीब बस्तियों में गर्मियों के कपड़े वितरित किये गये। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता फाउण्डेशन की अध्यक्ष व समाजसेविका नीरू त्रिपाठी के द्वारा की गयी। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सरपंच संघ के अध्यक्ष जीतेन्द्र शर्मा मौजूद रहे उन्होंने बताया कि अनेक परिवार जिनके पास कपड़ों की कमी है वह लगातार परेशान होते रहते हैं तथा उनके पास पहनने व रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं रहती है ऐसे में हम सब का कर्तव्य बन जाता है कि हम उनकी संभव मदद कर उनका सहयोग करे। उन्होंने बताया कि श्री वैदिक फाउंडेशन लगातार नीरू त्रिपाठी की अध्यक्षता में पूरे वर्ष कार्य करता रहता है तथा शहर में अनेक जगहों पर समाज सेवा के कार्य इस संगठन के द्वारा किये जाते हैं इसके लिए मैं सभी को बहुत-बहुत साधुवाद बधाई देता हूॅ।
कार्यक्रम के संयोजक राइटर समाजसेवी कृष्णकान्त तिवारी ने बताया कि फाउंडेशन के द्वारा केवल वस्त्र वितरण ही नहीं बल्कि प्रत्येक समाज सेवा के कार्य में फाउंडेशन के प्रत्येक सदस्य बढ़-कर के हिस्सा लेता है और पूरे शहर वासियों से भी अनुरोध करता हूं कि बच्चे गरीब बेसहारा तथा पीड़ित परिवारों के साथ कंधे से कंधा लगा करके सहयोग प्रदान करें जिससे उनको परिवार की कोई भी कमी महसूस ना हो।
आपको बता दें कि फाउंडेशन की अध्यक्ष समाजसेविका नीरू त्रिपाठी ने बताया कि श्री वैदिक फाउंडेशन के द्वारा यह निश्चित किया गया है कि शहर में जितनी भी जगह गरीब बस्तियां गरीब झोपड़ी या गरीब टपके के निवास रहते हैं उनको यथा संभव जीवन यापन की समस्त सामग्री प्रदान की जाएगी जिसके अन्तर्गत प्रत्येक सदस्य महीने में अपनी बचत के माध्यम से तथा संगठन के द्वारा लोगों की सहायता जरूर करेगा। वस्त्र वितरण कार्यक्रम के मौके पर प्रमुख रूप से कोचिंग संचालक अमित खमरिया, ददरौआ धाम भक्त मण्डल के पूर्व अध्यक्ष सुरेश चन्द्र गोस्वामी, योग शिक्षक मोन्टू गोस्वामी, योगेश बिहारी प्रमुख रूप से मौजूद रहे तथा प्रत्येक सदस्य का पूर्ण रूप से सहयोग प्रदान रहा।
तूतियों की आवाज के पीछे हैं नक्कारे
हमारे दादा कहा करते थे कि तूतियों की आवाज पर कोई ध्यान नहीं देता ,हालांकि देना चाहिए क्योंकि कभी-कभी इन तूतियों की आवाज के पीछे नक्कारों की आवाज भी छिपी होती है। तूती के बारे में आमतौर पर लोग कम ही जानते है। तूती का सीधा रिश्ता सुर और कर्कशता से है । तूती एक वाद्ययंत्र भी है और एक छोटे आकार का तोता भी । दोनों की आवाज पतली लेकिन कर्कश होती है ,लेकिन जब नक्कारखाने में तमाम तरह के वाद्य बजते हैं तो अक्सर तूती की आवाज दब जाती है और यहीं से एक मुहावरा जन्म लेता है -' नक्कारखाने में तूती की आवाज ' का यानि बड़े दरबारों में आम आदमी की बात सुनी नहीं जाती। लेकिन आज कलियुग है । नक्कारख़ानों में तूतियों की आवाजें खूब गूँज रहीं हैं।गूँज ही नहीं रहीं बल्कि उन्हें सुना जा रहा है।
मुद्दे की बात ये है कि आजकल तूतियों हर तरफ पायी जातीं है। राजनीति में भी ,साहित्य में भी और फ़िल्मी दुनिया में भी। मैं इन तूतियों के बारे में लिखना नहीं चाहता था ,लेकिन लिखना पड़ रहा है। देशज भाषा में तूतियों को 'चूतिया' भी कहा जाता है। सभ्य समाज में ये शब्द असंसदीय है लेकिन देशज समाज में ये आम बोल- चाल का शब्द है और इस शब्द का इस्तेमाल ऐसे लोगों के लिए किया जाता है जो अधजल गगरी की तरह अपना ज्ञान छलकाते रहते हैं। ये तूतिया टाइप के लोग कोई धनकड़ भी हो सकता है ,कोई निशिकांत भी हो सकता हैऔर कोई मनोज मुन्तशिर भी।
निशिकांत जाति से ब्राम्हण हैं लेकिन उन्हें केवल दो ही वेद पढ़े हैं। उनका उपनाम दुबे है । उन्होंने देश के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश को निशाने पर लेकर अदालत की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ही कानून बनाएगा, तो संसद को बंद कर देना चाहिए. दुबे ने तो यहां तक कह दिया कि इस देश में जितने भी ‘गृहयुद्ध’ हो रहे हैं, उसके लिए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं। दुबे जी के इस ब्यान से इधर भाजपा ने पल्ला झाड़ा उधर उनके समर्थन में भाजपा के दूसरे सांसद नमूदार होने लगे हैं। भाजपा सांसद अग्निमित्रा पॉल ने निशिकांत दुबे का समर्थन किया. उन्होंने कहा, उन्होंने सही बात कही है. राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते हैं. फिर सीजेआई राष्ट्रपति के आदेश को कैसे नकार सकते हैं? वह देश के सांसदों और नीति निर्माताओं के फैसले को कैसे नकार सकते हैं?जबकि निशिकांत कोटमां गृहयुद्धों के लिए अपने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को जिम्मेदार ठहरना चाहिए था।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने एस. वाई. कुरैशी पर भी निशाना साधा । उन्होंने कहा कि कुरैशी चुनाव आयुक्त नहीं, बल्कि 'मुस्लिम आयुक्त' थे। दुबे ने यह टिप्पणी कुरैशी द्वारा वक्फ संशोधन अधिनियम की आलोचना के बाद की। कुरैशी ने इस अधिनियम को मुसलमानों की जमीन हड़पने की सरकार की योजना बताया था। कुरैशी भारत के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।निशिकांत का इस्तेमाल भाजपा सांसद के भीतर और सांसद के बाहर उन लोगों के खिलाफ करती है जिनसे वो खुद भयभीत रहती है। आप धनकड़ हों या दुबे ,दुबे हों या और कोई। भाजपा के पास ऐसी तूतियों की कमी नहीं है।
पंडित निशिकांत से पहले हमारे देश के विद्वान उप राष्ट्रपति महामहिम जगदीप धनकड़ साहब सुप्रीम कोर्ट पर राशन-पानी लेकर चढ़ चुके हैं। धनकड़ साहब को सुप्रीम कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्तियों पर ऐतराज है । वे इन शक्तियों को न्यूक्लियर मिसाइल कहते हैं। धनकड़ साहब भाजपा के देवतुल्य कार्यकर्ताओं की तरह प्रतिक्रियाएं देने के लिए प्रसिद्ध हैं। धनकड़ साहब चूंकि कानूनविद हैं इसलिए उनकी टिप्पणी पर मुझे भी हंसी आयी और देश के तमाम लोगों को भी हंसी आयी। लेकिन धनकड़ साहब पर इसका कोई असर नहीं हुआ। हो भी नहीं सकता। उन्हें तो तूतियों की तरह बजना है।
हमारी फ़िल्मी दुनिया में भी इस तरह की तूतियाँ हैं जो जब-तब बजाकर अपने आपको देशभक्त,मोदी भक्त साबित करने कि कोशिश करती रहतीं है। फ़िल्मी दुनिया में एक होते हैं अनुराग कश्यप और एक होते हैं मनोज मुन्तशिर।अनुराग कश्यप ने भी देश कि एक बुद्धिमान जाति के बारे में एक अजीब सी टिप्पणी कि तो उस जाति के लोगों से ज्यादा मनोज मुन्शीर बमक उठे। मनोज ने अनुराग कश्यप को औकात में रहने कि नसीहत दे डाली। अनुराग के खिलाफ एक निशिकांत दुबे बोलना भूले तो दूसरे दुबे जी बोल उठे। केंद्रीय मंत्री सतीश चंद्र दुबे ने इस मामले पर कहा है कि -'यह नीच व्यक्ति अनुराग कश्यप सोचता है कि वह पूरे ब्राह्मण समुदाय पर गंदी बातें कहकर बच जाएगा? अगर उसने तुरंत सार्वजनिक माफी नहीं मांगी, तो मैं कसम खाता हूं कि उसे कहीं शांति नहीं मिलेगी. इस गंदे मुंह वाले के नफरत भरे बोल अब और बर्दाश्त नहीं. हम चुप नहीं रहेंगे!"
अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि हमारे देश में नेता और साहित्यकार कितने फुरसत में हैं और किस तरह से अपने नक्कारों [नाकारा नेताओं ]के लिए बेशर्मी के साथ तूती बने हुए हैं। ये तमाम तरह की तूतियाँ दरअसल पैदा ही होतीं है पी-पीं-पीं करने के लिए है। ये सुरीली नहीं होतीं लेकिन कर्कश होने की वजह से लोगों का ध्यान अपनी और खींचती जरूर हैं। कोशिश कीजिये कि आपके आसपास ऐसी तूतियाँ बजे ही नहीं और यदि वे बजती हैं तो सावधान हो जाएँ कि तूतियों की आवाज उनकी अपनी नहीं बल्कि उन नक्कारों की है जो दूर के ढोल की तरह सुहावने जरूर लगते हैं किन्तु होते नहीं हैं। इनके बजने का मतलब कोई न कोई आसन्न संकट होता है।
@ राकेश अचल
21 अप्रैल 2025, सोमवार का पंचांग
*सूर्योदय :-* 05:50 बजे
*सूर्यास्त :-* 18:49 बजे
श्रीविक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947*
*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551*
*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण, उत्तरगोल
*🌧️ऋतु* : ग्रीष्म ऋतु
*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* -
आज वैशाख माह कृष्ण पक्ष *अष्टमी तिथि* 18:58 बजे तक फिर नवमी तिथि चलेगी।
💫 *नक्षत्र आज* उत्तराषाढ़ नक्षत्र 12:36 बजे तक फिर श्रवण नक्षत्र चलेगा।
*योग* :- आज *साध्य* है।
*करण* :-आज *बालब * हैं।
💫 *पंचक* :- पंचक, भद्रा, गंडमूल नहीं है।
*🔥अग्निवास*: आज पाताल में है।
☄️ *दिशाशूल* : आज पूर्व दिशा में।
*🌚राहूकाल* :आज 07:28 बजे से 09:05 बजे तक अशुभ समय है।
*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:55 बजे से 12:47 बजे तक शुभ है।
प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।
*पर्व त्यौहा*:- राष्ट्रीय वैशाख माह प्रारंभ, बूढ़ा बासोडा
*मुहूर्त* : - भूमि पूजन/नींव जीर्ण गृहप्रवेश, नव गृह प्रवेश,दुकान/ऑफिस/व्यापार,देव प्रतिष्ठा वाहन क्रय है अन्य नहीं हैं।
🪐 *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-
सूर्य-मेष, चन्द्र-मकर, मंगल-कर्क बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-मीन, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन
हर्षल-मेष में आज है।
*🌞चोघडिया, दिन*
अमृत 05:51 - 07:28 शुभ
काल 07:28 - 09:05 अशुभ
शुभ 09:05 - 10:43 शुभ
रोग 10:43 - 12:20 अशुभ
उद्वेग 12:20 - 13:57 अशुभ
चर 13:57 - 15:35 शुभ
लाभ 15:35 - 17:12 शुभ
अमृत 17:12 - 18:49 शुभ
*🌘चोघडिया, रात*
चर 18:49 - 20:12 शुभ
रोग 20:12 - 21:34 अशुभ
काल 21:34 - 22:57 अशुभ
लाभ 22:57 - 24:20*शुभ
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)
जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।
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रविवार, 20 अप्रैल 2025
ग्वालियर रेलवे स्टेशन का नाम डॉक्टर भीमराव अंबेडकर रखने को लेकर संयुक्त मोर्चा की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए
ग्वालियर 20 अप्रैल । ग्वालियर रेलवे स्टेशन का नाम डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम करने तथा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर में संविधान निर्माता स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री भारत रत्न दलित शोषित गरीबों महिलाओं के तथा मजदूरों के साथ-साथ सर्वहारा वर्ग के मुक्तिदाता भारत देश को संविधान देने वाले बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा शीघ्र लगाने के की मांग को लेकर ग्वालियर के विभिन्न संगठनों के सामाजिक संगठनों का संयुक्त मोर्चा के साथियों की एक आवश्यक बैठक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार बेजाताल मोती महल में आयोजित की गई।
बैठक में जिन मोर्चा के साथियों के कहने पर बैठक रखी गई वहीं बैठक से नदारत रहे जिसकी सभी उपस्थित सदस्यों ने निंदा की साथ ही पिछली बैठकों में लिए गए निर्णय के अनुसार कार्य नहीं करने की भी निंदा की गई और उक्त दोनों कार्यों के लिए आगामी रुपरेखा के लिए बैठक उपस्थित सभी सदस्यों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किया।
बैठक में डॉ जवर सिंह अग्र महेश मदुरिया दारा सिंह कटारे एडवोकेट श्रीमती कीर्ति माहोर हाकिम सिंह चोकोटिया राहुल बरैया राजेश कुमार पिप्पल नंदकिशोर कदम कोक सिंह राजे केशव माहोर श्रीमती रजनी कुशवाहा श्रीमती कीर्ती मुदगल संदीप सोलंकी आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किया और आगामी रूपरेखा की तैयारी पर चर्चा की गई ।
बैठक में उपस्थित साथियों ने बताया की संयुक्त मोर्चा की है तीसरी बैठक है बैठक में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर ब्रांच में शीघ्र लगाने एवं ग्वालियर रेलवे स्टेशन का नाम डॉ भीमराव अंबेडकर के नाम करने की मांग से संयुक्त मोर्चा पीछे नहीं हटेगा जरूरत पड़ी तो आंदोलन भी होगा ।वही मंत्री सांसद विधायकों को ज्ञापन दिए जाएंगे ।
फिर भी उक्त दोनों मांगों को पूरा नहीं किया गया तो संयुक्त मोर्चा को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी समस्त जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी ।
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