ग्वालियर! अगर जिंदगी को स्वर्ग बनाने की तमन्ना है तो पति और पत्नी, सास और बहू, बाप और बेटे को आपस में यह समझौता करना होगा कि अगर एक आग बने तो दूसरा पानी बन जाएगा। अपने घरों में थोड़े से पानी की व्यवस्था करके रखिए, पता नहीं कब किसके दिल में क्रोध की आग भड़क उठे। क्रोध आग है। अपने घरों में सहनशीलता और शांति का जल तैयार रखिए। पता नहीं कब तुम्हारा घर क्रोध की लपटों से घिर जाए। ध्यान रखो पति कभी क्रोध में आग बने तो पत्नी पानी बन जाए और पत्नी कभी अंगार बने तो पति जलधार हो जाए। यह विचार राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने तानसेन नगर स्थित न्यू कॉलोनी में धर्मचर्चा में व्यक्त किये!
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