बड़ी शाला बद्रीनारायण और गया बनी

 रविकांत दुबे       

 ग्वालियर /  सिद्धपीठ श्री गंगादास जी की बड़ी शाला में पूरन बैराठी पीठाधीश्वर स्वामी श्री राम सेवक दास जी महाराज के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा एवं तर्पण प्रारम्भ हुआ।

भागवत सुनने एवं कराने से मानव सद्गति प्राप्त करता है।

कथा व्यास दीदी सरस्वती पूर्णिमा जी वृंदावन धाम से पधारी हुई ने कहा कि श्रीमद् भागवत में वो बल है जो समस्त ज्ञात अज्ञात पापी दुरात्मा योनि में पड़े हुए पितरों को मोक्ष प्रदान करती है। अजामिल एवं धुंधकारी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।

भागवत जी में कहा गया है कि यह प्रेत पीड़ा विनाशनी है।

कहा जाता है कि सिद्ध स्थान पर किया गया कोई भी कार्य हज़ारों गुना फल देता है, चूंकि यह सिद्धपीठ श्री गंगा दास जी की बड़ी शाला में ७०० वर्षों से अखंड भजन पूजन सेवा चल रही है जिस कारण प्रत्येक तीर्थ के समान फल प्राप्त होता है।

पितृ पक्ष में तर्पण न केवल पितरों के लिए होता है बल्कि देवताओं, ऋषियों, सिद्ध पुरुषों के लिए किया जाता है जो समस्त पुण्यों को देने वाला होता है।

पूर्णिमा से अमावस्या तक आचार्य डॉ विकाश त्रिपाठी द्वारा वैदिक परम्परा से नित्य तर्पण कराया जा रहा है।

विधि विधान से कान्हा शास्त्री जी ने गणपति इत्यादि पीठों का पूजन कराया जो तन्मय कटारे द्वारा हुआ।

प्रथम दिन की आरती में श्रीमती ममता सुशील कटारे, श्रीमती सीमा समाधियां, श्रीमती कृष्णा नागर, श्रीमती प्रीति राधा रमण कटारे, प्रशांत कटारे, शिवम् तिवारी आदि समस्त भक्त आरती में शामिल हुए।।

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