मंगलवार, 15 अप्रैल 2025

मेरी गजल

माना तुम हो बाहुबली रख सकते हो

कितनी नब्जों पर उंगली रख सकते हो 

🌹

फूलों पर मंडराने की जिसकी फितरत

किसके ऊपर तुम तितली रख सकते हो

🌹

आंखों का पानी भी होता है खारा

आंखों में जिंदा मछली रख सकते हो

🌹

 खेल खत्म होने वाला हो ऐसे में

जोखिम लेकर क्या गुगली रख सकते हो

🌹

मीठा खाने की ख्वाहिश है जनता की

क्या उसके आगे इमली रख सकते हो

🌹

मै भूखा हूं, खा लूंगा! लेकर आओ 

बासी रोटी कटी-जली रख सकते हो

🌹

आम आदमी से मत छीनो आम पके

तुम चाहो, कैवल गुठली रख सकते हो

🌹

नहीं झुकेगा मेरा सिर ये तय मानो 

गर्दन पर बेहिचक नली रख सकते हो

🌹. 

@ राकेश अचल

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Featured Post

गांधी का डीएनए भी बदल गया है अब

मैं चूंकि गांधीवादी हूँ इसलिए मुझे ये खबर पढकर सदमा लगा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रपौत्री को उस दक्षिण अफ्रीका में धोखाधडी के मामले ...