शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

कातिल के हाथों में डंडे झंडे हैं


 कातिल के हाथों में डंडे झंडे हैं

और तुम्हारे हाथों में सरकंडे हैं

🌹

गंगा नही नहा पाओगे, शर्त लगी

घाट घाट पर काबिज उनके पंडे हैं

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क्या निर्यात करें हम बोलो दुनिया में

पास हमारे केवल गीले कंडे हैं

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कुरसी पर काबिज है खूनी, व्यापारी 

उनके पास चुनावी सौ हथकंडे हैं

🌹

देंगे  तालीम भला दिल्ली वाले 

उनके हाथों  में ताबीजें गंडे है

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कैसे पार लगेगी नैया, पता नहीं

उनके पास नये ढेरों हथकंडे हैं

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झुग्गी चुभती है उन सबकी आंखों में

जिनके अपने एक नहीं दसखंडे हैं

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@ राकेश अचल

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