मंगलवार, 26 अगस्त 2025

सिंधिया कन्या विद्यालय में पोलैंड के राजनयिक डॉ. पिओत्र ए. स्वितल्स्की का गरिमामयी आगमन

रविकांत दुबे जिला प्रमुख आपके द्वार न्यूज 


 ग्वालियर ।सिंधिया कन्या विद्यालय में 25 अगस्त  को प्रात: काल *एम्बेसी ऑफ़ द रिपब्लिक ऑफ़ पोलैंड डॉ. पियोत्र ए. स्वितल्स्की, सुश्री मार्ता कुशनिएर्स्का, और श्री अरुणांश गोस्वामी का आगमन हुआ। पियोत्र ए. स्वितल्स्की पूर्व में डेप्युटी फॉरेन मिनिस्टर ऑफ़ पोलैंड ,एम्बेसडर ऑफ़ यूरोपियन यूनियन  टू अर्मेनिआ, परमानेंट रिप्रेजेन्टेटिव ऑफ़ पोलैंड टू द कौंसिल ऑफ़ यूरोप , डायरेक्टर फॉर पालिसी प्लानिंग कौंसिल ऑफ़ यूरोप सेक्रेटेरिएट,डायरेक्टर फॉर पालिसी प्लानिंग एट द पोलिश फॉरेन मिनिस्ट्री फॉर एशिया एंड द डायरेक्टर इन द एम.एफ.ए डिप्लोमेटिक एडवाइजर टू द ओ.एस.सी.ई के  सेक्रेटरी* जनरल रह चुके हैं। मीडिया प्रभारी श्रीमती वैशाली श्रीवास्तव ने बताया कि प्रधानाचार्या श्रीमती निशि मिश्रा द्वारा डॉ. स्वितल्स्की, सुश्री मार्ता कुशनिएर्स्का, और श्री अरुणांश गोस्वामी* का पुष्पगुच्छों से हार्दिक स्वागत किया गया तथा स्मृति चिह्न प्रदान किए गए। इस अवसर पर *कोऑर्डिनेटर के रूप में करियर काउंसलर सुश्री उर्वशी पांडे* विशेष रूप से उपस्थित रहीं।

 *डॉ. स्वितल्स्की* को विद्यालय परिसर का भ्रमण किया, जिसके दौरान उन्होंने संस्थान की विविध अभिनव पहलों का अवलोकन किया और उनके सामाजिक प्रभाव की सराहना की। प्रमुख पहलों में ‘ *संकल्प* ’—ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु समर्पित सैनिटरी पैड निर्माण परियोजना को देखा  तथा विद्यालय की छात्राओं के प्रयासों की सरहाना की  इसके उपरांत *डॉ. स्वितल्स्की* ने विद्यालय के *रोबोटिक्स लैब* का भ्रमण किया, जहाँ उन्होंने छात्राओं द्वारा निर्मित रोबोट का अवलोकन किया और उनकी तकनीकी दक्षता व नवाचार क्षमता की सराहना की । इसके बाद उन्होंने वेस्टर्न म्यूज़िक कक्ष  , नृत्य कक्ष ,तबला कक्ष, इंडियन म्यूजिक कक्ष का दौरा किया। *डॉ. स्वितल्स्की* ने छात्राओं की सामूहिक प्रतिभा, रचनात्मकता और सांस्कृतिक समर्पण की सराहना करते हुए विद्यालय की शैक्षिक और सह-पाठ्यक्रमीय उत्कृष्टता की प्रशंसा की। सभी प्रयासों को देखकर *डॉ. स्वितल्स्की ने* विद्यालय की नवाचार, सामाजिक उत्तरदायित्व और स्थिरता की भावना की सराहना की, जो शिक्षार्थियों को न केवल अकादमिक रूप से, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी समृद्ध बना रही हैं।

   डॉ. स्वितल्स्की ने कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं के छात्राओं के साथ इंटरैक्टिव सेशन किया  उन्होंने अपने विशिष्ट करियर के अनुभव से, एक एम्बेसडर के जीवन को परिभाषित करने वाली चुनौतियों और अवसरों के बारे में गहन अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने छात्राओं को उनके अच्छे करियर के लिए प्रेरित किया करियर बनाते समय आने वाली चुनौतियों से आगाह  किया  उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की ।  

 *सत्र का समापन एक रोचक प्रश्नोत्तर सत्र के साथ हुआ,* जहाँ छात्रों ने उनके अनुभवों और दृष्टिकोणों को और गहराई से समझने के लिए विचारोत्तेजक प्रश्न पूछे। पहला सवाल यह था कि उनकी डिप्लोमा डिग्री में सबसे चुनौतीपूर्ण अनुभव क्या था? उन्होंने उत्तर दिया कि जब नए पोलैंड का जन्म 1999 में हुआ था, तब उन्हें पूरे देश को नए सिरे से डिज़ाइन करना पड़ा।

दूसरा प्रश्न यह था कि भारत और पोलैंड के युवा, दोनों देशों के बीच संबंधों को कैसे मज़बूत कर सकते हैं? उन्होंने इसका उत्तर "एक विश्व, एक परिवार और एक भविष्य" का नारा देकर दिया। उन्होंने कहा कि युवा सबसे अच्छे और सबसे मज़बूत एजेंट होते हैं।

 इस आदान-प्रदान ने छात्राओं को प्रेरित किया और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा एक बेहतर विश्व के निर्माण के बारे में उनकी समझ को व्यापक बनाया। डॉ. पिओत्र *ए. स्वितल्स्की* की यात्रा सिंधिया कन्या विद्यालय के लिए सम्मान की बात थी ।


 

खाटू श्याम मंदिर राधा की हवेली का वार्षिकोत्सव 28 से

रविकांत दुबे जिला प्रमुख आपके द्वार न्यूज

ग्वालियर। खाटू श्याम मंदिर राधा की हवेली बाई साहब की परेड पर मंदिर का 14वां वार्षिक महोत्सव विभिन्न आयोजनों के साथ मनेगा। इस मौके पर श्याम बाबा की रथयात्रा भी निकाली जायेगी। महोत्सव में भारी संख्या में श्याम प्रेमियों की उपस्थिति रहेगी। यह जानकारी मंगलवार को खाटू श्याम मंदिर के मुख्य भक्त राजू रैनवाल व श्याम सरकार उत्सव समिति के गोपाल अग्रवाल ने संयुक्त रूप से पत्रकारवार्ता में दी।

पत्रकारों से चर्चा करते हुये राजू रैनवाल और गोपाल अग्रवाल ने बताया कि 28 अगस्त से 4 सितंबर तक वार्षिक महोत्सव मनेगा। इसकी शोभायात्रा 28 अगस्त को प्रातः 9.30 बजे रोकडिया हनुमान मंदिर से शुरू होगी। इसमें बाबा भोलेनाथ की पालकी भी विशेष आकर्षण का केन्द्र होगी। शोभायात्रा सराफा बाजार, पाटनकर बाजार, दौलतगंज, महाराजबाड़ा, माधवगंज, स्काउट से बाड़ा, जनकगंज, हनुमान चैराहा होते हुये लक्ष्मीगंज से मंदिर स्थल पर पहुंचेगी। यात्रा का जगह जगह श्याम प्रेमी स्वागत भी करेंगे। उन्होंने बताया कि महोत्सव में 29 अगस्त से शिवपुराण कथा का वाचन वृंदावन से पंडितसतीश कौशिक महाराज द्वारा किया जायेगा। कथा के लिये सुबह 9 बजे कलथ यात्रा भी निकलेगी। इस दौरान मंदिर परिसर में एक निशुल्क ज्योतिष शिविर नवग्रह कथावाचक एवं ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज कृष्ण शास्त्री द्वारा किया जायेगा।

 3 सितंबर को एकादशी पर मंदिर परिसर में कथा सुनाई जायेगी। वहीं रात्रि को ज्योत कीर्तन स्थानीय कलाकारों द्वारा किया जायेगी। 4 सितंबर को विशाल कीर्तन सायं 7 से सुबह 4 बजे तक होगा। कीर्तन में मुंबई से अधिष्ठा अनुष्का बहनें, वृंदावन से खुशबू राधा एवं जयपुर से आयुष सोमानी के साथ गाजियाबाद से सांवरिया म्यूजिक ग्रुप अपनी प्रस्तुति देंगे। कार्यक्रम की शुरूआत शिरीष गुडडू भैया द्वारा गणेश वंदना के साथ की जायेगी। इसके बाद सबलगढ़ के मंगल बप्पा अपने भजन रखेंगे। पत्रकारवार्ता में श्याम सरकार उत्सव समिति के दिनेश शर्मा, अभिमन्यु चौहान , तरूण बंसल, उमेश गर्ग, संदेश बंसल, शिरीष गुप्ता गुडडू भैया भी उपस्थित थे। 

महाराज को लेकर आचार्य और शंकराचार्य में वाकयुद्ध , ज्ञान को लेकर आपस में उलझे

 



दिग्विजय सिंह का झूठ भी सच और सच भी झूठ है

 

मप्र के पू्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह उर्फ़ दिग्गी राजा को सुर्खियों में रहना खूब आता है. इन दिनों जब कांग्रेस हाईकमान मप्र में नये सिरे से संगठन सृजन में लगा है तब खुद को हासिये पर जाता देख दिग्विजय सिंह ने पांच साल पुराना विवादों का गडा मुर्दा उखाडकर खुद को सियासी सुर्खी बना लिया. मुद्दा है पांच साल पहले कांग्रेस की सरकार गिराकर भाजपा के दत्तक पुत्र बन चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया  और दिग्विजय की भूमिका का.

ग्वालियर के सिंधिया और राघौगढ़ के खीची घराने की अदावत तबकी है जब भारत आजाद नहीं था. तब कांग्रेस भी नहीं थी. राघौगढ में दिग्विजय के पुरखे राज करते थे और ग्वालियर में ज्योतिरादित्य के. चार-पांच पीढी पहले की अदावद मुसलसल जारी है. पुरानी अदावत के दस्तावेजी साक्ष्य हैं लेकिन 1971 से 2025 तक की अदावत का चश्मदीद मैं खुद हूँ. दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया से अदावत निभाई और बाद में उनके असमय निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी अदालत निभा रहे हैं. लेकिन दोनों परिवारों के बीच अदावत के बावजूद गजब की  खानदानी शालीनता है.

आप शायद यकीन न करें और मुमकिन है कि अवसर आने पर खुद दिग्विजय सिंह इसे झूठ और बकवास बता दें लेकिन मैने ज्योतिरादित्य की दादी राजमाता के निधन के बाद माधवराव सिंधिया की पगडी रस्म में और  माधवराव सिंधिया के निधन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की पगडी रस्म में दिग्विजय सिंह को वे सब रीति रिवाज़ निभाते देखा है जो अब धीरे - धीरे दुर्लभ हो रहे हैं. इनमें एक राजा का एक महाराजा के सामने मुजरा करना और नेग देना शामिल है.

मैने ये उल्लेख इसलिए किया क्योंकि जब भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 के लोकसभा चुनाव में घेरकर हरा दिया गया था तब राघोगढ़ में जश्न मना था. ज्योतिरादित्य चाहते थे कि मप्र से उन्हे पहली प्राथमिकता वाली राज्यसभा सीट से प्रत्याशी बनाया जाए लेकिन दिग्विजय सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ से गठजोड कर ये सीट हडप ली. यदि उनके मन में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति रत्ती भर भी प्रेम होता तो वे ये सीट लेते ही नहीं. लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने मिलकर सिंधिया से पुरानी अदावत भुना कर ही दम लिया स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के कांग्रेस में शामिल होने के बाद गांधी परिवार में कमलनाथ की धमक कुछ कम हो गई थी. कमलनाथ संजयगांधी के प्रिय थे और माधवराव राजीव गांधी के प्रिय होने की वजह से नाथ के लिए चुनौती थे.

पिछले दिनों एक निजी समारोह में दर्शक दीर्घा में बैठे दिग्विजय सिंह को हाथ पकडकर मंच तक ले जाने की जो शालीनता केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिखाई वो उतनी ही नकली थी जितना कि दिग्विजय सिंह का महाराज पिता-पुत्र के आगे कोर्निश करना. इसी घटना के बाद दिग्विजय सिंह ने अपने ऊपर लगे खलनायकी के दाग धोने का अभियान शुरू कर दिया. पहले कहा कि ज्योतिरादित्य भले ही भाजपा में हैं लेकिन मेरे पुत्रवत हैं. उनके पिता माधवराव सिंधिया और मैने साथ-साथ काम किया है. दिग्विजय सिंह ने इस घटना के बाद पाडकास्ट और दूसरे संचार माध्यमों के जरिए खुद को सिंधिया की बगावत के लिए जिम्मेदार होने से बचाने के लिए कमलनाथ को भी मोहरा बनाया और ये साबित करने की कोशिश की कि सिंधिया को कांग्रेस छोडने के लिए मजबूर करने के लिए जिम्मेदार वे नही बल्कि कमलनाथ हैं. 

दिग्विजय का कौन सा झूठ सच है और कौन सा सच झूठ है ये पकडना भगवान के बूते की भी बात नहीं है, क्योंकि दिग्गी राजा झूठ को सच और सच को झूठ बनाने में महारत   हासिल राजनीतिज्ञ हैं.

इस पूरे प्रसंग में कमलनाथ ने बहुत संजीदगी का परिचय दिया. उन्होंने दिग्विजय सिंह की बातों का न खंडन किया न समर्थन. उन्होने एक तरह से इस मामले से पल्ला झाड लिया क्योंकि उन्हे पता है कि दिग्विजय सिंह पर आंख बंदकर भरोसा करने से उन्हे कितना नफा, नुक्सान हुआ? छिंदवाड़ा की अजेय लोकसभा सीट भी कमलनाथ को दिग्विजय सिंह का साथ निभाने की वजह से गंवाना पडी, अन्यथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तो उन्हे कोई शिकायत थी ही नहीं.प्रधानमंत्री मोदी से उनका सीधा संपर्क था. 2019 में छिंदवाड़ा लोकसभा से जीते अपने बेटे नकुलननाथ को आशीर्वाद दिलाने कमलनाथ खुद प्रधानमंत्री मोदी के आवास पर गए थे.

लब्बोलुआब ये है कि  नये जमाने की कांग्रेस में न दिग्विजय सिंह का कोई भविष्य है और न कमलनाथ का.ज्योतिरादित्य कांग्रेस छोड ही चुके हैं. फिलहाल उनकी घर वापसी की न कोई जरुरत है और न सूरत फिर भी वे घर वापसी के लिए एक न एक खिडकी खुली रखना चाहते हैं.

बदले मंजर में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया में से कौन नायक है, कौन खलनायक है तथा कौन अधिनायक है ये तय करना टेढी खीर है. भविष्य में कमलनाथ परिवार भले ही कांग्रेस की राजनीति से दूर चला जाए किंतु राघौगढ का खीची राजघराना और ग्वालियर का सिंधिया राजघराना अपनी राजनीतिक अदावत को जारी रखने के लिए कमर कसकर तैयार है. दिग्विजय सिंह का बेटा राजनीति में एक मंत्री बनकर पैर जमा चुका है और ज्योतिरादित्य का बेटा महाआर्यमन क्रिकेट के रास्ते राजनीति में प्रवेश कर चुका है.खानदानी अदावत की नयी कहानियाँ अभी समाप्त होने वाली नहीं हैं.

=अपनी राय से अवगत अवश्य कराएं.)

@ राकेश अचल

सोमवार, 25 अगस्त 2025

देश में जेपीसी की विश्वसनीयता भी अब संदिग्ध

 

मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों और प्रधानमंत्री को 30 दिन की गिरफ्तारी की स्थिति में पद से बर्खास्त करने वाले विधेयकों और संवैधानिक संशोधन पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को विपक्षी दलों ने बड़ा झटका दिया। तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इस जेपीसी का हिस्सा बनने से साफ इनकार कर दिया। टीएमसी का बहिष्कार पहले से तय माना जा रहा था, लेकिन सपा के कदम ने विपक्षी खेमे में हलचल मचा दी है।जेपीसी के बहिष्कार के बाद इन समितियों की विश्वसनीयता पर  प्रश्नचिन्ह लग गया है.

टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने जेपीसी को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “मोदी गठबंधन एक असंवैधानिक बिल की जांच के लिए जेपीसी बना रहा है। यह सब एक नाटक है और हमें इसे नाटक ही कहना था। मुझे खुशी है कि हमने यह कदम उठाया है।”

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी टीएमसी का साथ देते हुए कहा, “विधेयक का विचार ही गलत है। जिसने यह बिल पेश किया (गृह मंत्री अमित शाह) उन्होंने खुद कई बार कहा है कि उन पर झूठे केस लगाए गए थे। अगर कोई भी किसी पर फर्जी केस डाल सकता है तो फिर इस बिल का मतलब क्या है?”अब कांग्रेस पर भी विपक्षी एकजुटता के नाम पर दबाव बढ़ रहा है। कांग्रेस अब तक जेपीसी में शामिल होने के पक्ष में झुकी हुई थी, लेकिन सपा के रुख से पार्टी के भीतर संशय गहरा गया है.

सपा प्रमुख ने विधेयकों को भारत के संघीय ढांचे से टकराने वाला करार दिया। उन्होंने कहा, “जैसे यूपी में हुआ मुख्यमंत्री अपने राज्यों में दर्ज आपराधिक मामले वापस ले सकते हैं। केंद्र का इस पर कोई नियंत्रण नहीं होगा क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है। केंद्र सिर्फ उन्हीं मामलों में दखल दे पाएगा जो केंद्रीय एजेंसियों जैसे सीबीआई, ईडी आदि द्वारा दर्ज हों।”

डेरेक ओ’ब्रायन ने जेपीसी की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले इसे जनहित और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए एक सशक्त तंत्र के रूप में देखा जाता था। उन्होंने कहा, “2014 के बाद से जेपीसी की भूमिका काफी हद तक खोखली हो गई है। सरकारें इसका राजनीतिक इस्तेमाल करने लगी हैं, विपक्ष के संशोधन खारिज किए जाते हैं और बहस महज औपचारिकता बनकर रह गई है।”

विपक्षी दल टीएमसी के बहिष्कार को लेकर पहले से तैयार थे, लेकिन सपा के कदम ने असमंजस पैदा कर दिया है। कई दलों का मानना है कि संसदीय समितियों में हुई बहस अदालत की सुनवाई और जनमत निर्माण में अहम साबित होती है। लेकिन सपा के बहिष्कार ने विपक्ष की सामूहिक आवाज को कमजोर किया है.

उपलब्ध जानकारी के मुताबिक भारत में 2014 से 25 अगस्त 2025 तक  संसद द्वारा गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी)को कुल 10 विधेयक भेजे गए हैं। जेपीसी एक अस्थायी समिति होती है, जो विवादास्पद या जटिल विधेयकों की विस्तृत जांच के लिए दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से सदस्यों के साथ गठित की जाती है। 16वीं लोकसभा (2014-2019) में कुल 133 विधेयक पारित हुए, जिनमें से 25 प्रतिशत को विभिन्न समितियों (जेपीसी सहित) को भेजा गया था। 17वीं लोकसभा (2019-2024) में 16 प्रतिशशत विधेयक समितियों को भेजे गए, जिसमें जेपीसी को 4 विधेयक मिले। 18वीं लोकसभा में अब तक 3 विधेयक जेपीसी को भेजे गए हैं।

विधेयकों की सूची (वर्षानुसार)

भाजपा सरकार बनने के बाद 2014 से 2025 तक जेपीसी को भेजे गए प्रमुख विधेयकों में भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक 2015,नागरिटता संशोधन विधेयक 2016,वित्तीय सुरक्षा हितों को लागू करने और कर्ज वसूली से जुड़ा विधेयक 2016,दिवालिया और दिवालियापन संहिता। जेपीसी ने इसे मजबूत बनाने की सिफारिश की।वित्तीय संकल्प और जमा बीमा विधेयक 2017

व्यक्तिगत डेटा संरक्षणविधेयक 2019। गोपनीयता संबंधी चिंताओं के कारण जेपीसी को भेजा गयाजैव विविधता संशोधन। विधेयक 2021 पर्यावरण विशेषज्ञों की राय लेने के लिए जेपीसी को भेजे गये.

इसके अलावा जन विश्वास संशोधन विधेयक 2022। दंड प्रावधानों को सरल बनाने के लिए बहु-राज्य सहकारी समितियां संशोधन विधेयक  2023। सहकारी क्षेत्र सुधार के लिए।वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023। वन क्षेत्रों के उपयोग पर विवाद के कारणजेपीसी को भेजे गए.

 मौजूदा 18वीं लोकसभा के प्रारंभिक सत्रों में (जून 2024 से अगस्त 2025 तक) तीन और विधेयक जेपीसी को भेजे गए हैं, इनमे- वक्फ संपत्ति सुधार विधेयक 2024 प्रमुख है. इस जेपीसी में जमकर हाथापाई हुई.जेपीसी ने जनवरी 2025 में रिपोर्ट सौंपीऔर सरकार ने कानून भी बना दिया जो अभी सुप्रीम कोर्ट में फैसले का इंतजार कर रहा है. मोदी सरकार ने इसके बावजूद 129 और 130 वां संविधान संशोधन विधेयक, केंद्रीय परिक्षेत्र संशोधन विधेयक 2024भी जेपीसी की झोली में डाल दिया. 'वन नेशन, वन इलेक्शन' विधेयक 2024  जेपीसी  के पास है ही.

 सरकार ने जो ताजा विधेयक जेपीसी को भेजा है वो प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को आपराधिक मामलों में जेल जाने पर हटाने से जुड़ा है.

कुल विधेयक 2014 से अब तक लगभग 300 पारित हुए, लेकिन जेपीसी केवल विवादास्पद मामलों में।विशेषज्ञों कहना है कि मोदी सरकार में यूपीए या उससे पहले की सरकारों के मुकाबले जेपीसी का उपयोग कम हुआ क्योंकि अधिकांश विधेयक सीधे पारित या स्टैंडिंग कमेटी को भेजे गए। उदाहरण के लिए सरोगेसी बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजा गया, न कि जेपीसी।

 जेपीसी को भेजे गए विधेयक आमतौर पर समिति की रिपोर्ट के बाद संशोधनों के साथ संसद में विचार-विमर्श के लिए लाए जाते हैं। अधिकांश मामलों में, विधेयक पास हो जाते हैं, लेकिन कुछ लैप्स हो जाते हैं या वापस ले लिए जाते हैं। 

जैपसे हिंदू विवाह और विच्छेद विधेयक, 1952 दो साल बाद 1954 में जेपीसी को भेजा गया जो बाद में समिति ने रिपोर्ट आने पर कुछ संशोधनों के साथ 1955 में पास हुआ।विशेष विवाह विधेयक 1952  भी 1954 में जेपीसी को भेजा गया और रिपोर्ट के बाद 1954 में पास हुआ।

सवाल ये है कि सरकार जेपीसी को ढाल बनाने के बजाय विधेयकों पर संसद में खुलकर बहस क्यों नहीं करातीं? सरकार ध्वनिमत से या हंगामें के बीच कोई विधेयक क्यों पारित कराना चाहती हे. विगत 21अगस्त 2025को समाप्त हुए संसद के मानसून सत्र में यही हुआ. 130 वें संविधान संशोधन विधेयक को छोड शेष आधा दर्जन विधेयक हंगामें में बिना बहस के पास करा लिए गये और वे राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून भी बन गये.

@ राकेश अचल

रविवार, 24 अगस्त 2025

अमेरिका में रह रहे भारतीयों पर गाज, भारत से डाक सेवा बंद

 

अगर आपके परिवार का कोई सदस्य अमेरिका में रहता है तो ये खबर आपके लिए ही है. क्योंकि भारतीय डाक विभाग 25 अगस्त, 2025 से अमेरिका के लिए ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय डाक सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर देगा।अमेरिकी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय शिपिंग के नियमों में कुछ बड़े बदलाव किए हैं जिसकी वजह से भारतीय डाक विभाग को ये अप्रिय कदम उठाने पर मजबूर होना पडा है.

आपको बता दूं कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 जुलाई, 2025 को विशेष आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार 800 डॉलर तक के सामान पर लगने वाली ड्यूटी (सीमा शुल्क) की छूट खत्म कर दी गई है। पहले, कम कीमत वाले सामान बिना ड्यूटी के अमेरिका में आ जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। आदेश के मुताबिक 29 अगस्त, 2025 से अमेरिका जाने वाले सभी सामानों पर ड्यूटी लगेगी, चाहे उनकी कीमत कुछ भी हो। यह नियम इंटरनेशनल इमर्जेंसी इकोनॉमी पावर एक्ट  के तहत लागू होगा। हालांकि, 100 अमेरिकी डॉलर तक के गिफ्ट आइटम पर यह नियम लागू नहीं होगा।

अमेरिकी सरकार के नए नियम के अनुसार, अब ट्रांसपोर्ट कंपनियों और यूएस कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन द्वारा मान्यता प्राप्त पार्टियों को अंतरराष्ट्रीय डाक शिपमेंट पर ड्यूटी जमा करनी होगी। 

सीबीपी ने 15 अगस्त, 2025 को कुछ शुरुआती नियम जारी किए थे, लेकिन मान्यता प्राप्त पार्टियों को चुनने और ड्यूटी जमा करने के तरीकों के बारे में पूरी जानकारी अभी तक नहीं दी गई है। इन वजहों से, अमेरिका जाने वाली अंतरराष्ट्रीय मेल को संभालने वाली एयरलाइंस ने 25 अगस्त के बाद डाक कंसाइनमेंट स्वीकार करने में असमर्थता जताई है। उनका कहना है कि वे नए नियमों का पालन करने के लिए तकनीकी और परिचालन रूप से तैयार नहीं हैं।

इसलिए, डाक विभाग 25 अगस्त से अमेरिका जाने वाले सभी प्रकार के अंतरराष्ट्रीय डाक की बुकिंग बंद कर देगा। लेकिन, पत्र/दस्तावेज और 100 अमेरिकी डॉलर तक के गिफ्ट आइटम अभी भेजे जा सकते हैं.

 डाक विभाग ने कहा है कि वह सीबीपी और यूनाइटेड पोस्टल सर्विसेस से और जानकारी मिलने के बाद इन चीजों को अमेरिका भेजेगा। डाक विभाग सभी संबंधित लोगों के साथ मिलकर काम कर रहा है और स्थिति पर नजर रख रहा है। विभाग जल्द से जल्द अमेरिका के लिए पूरी डाक सेवा फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहा है।

पीआईबी की  विज्ञप्ति के अनुसार, जिन ग्राहकों ने पहले से ही ऐसे आइटम बुक किए हैं जो अब नए नियमों के अनुसार नहीं भेजे जा सकते, वे डाक शुल्क का रिफंड ले सकते हैं। विभाग ने असुविधा के लिए खेद जताया है और जल्द से जल्द पूरी सेवा बहाल करने की बात कही है.

उल्लेखनीय है कि अमेरिका में कम से कम 30 लाख भारतीय अलग अलग शहरों में रहते हैं. कुछ छात्र हैं तो कुछ नौकर पेशा हैं. अमेरिका में जन्मै भारतीयों को जोड लिया जाए तो ये संख्या 50 लाख से अधिक हो सकती है. इन भारतीयों के लिए भारत से रोजाना लगभग 11हजार डाक अमेरिका के लिए भेजी जाती हैं. डाक विभाग के फैसले से जहाँ अमेरिका में रहनेवाले लाखों भारतीय परेशान होंगे वहीँ विभाग को भी बडा आर्थिक नुक्सान होगा. कुछ निजी कूरियर कंपनियों से भी डाक भेजी जाती हैं लेकिन ये सेवाएं  बहुत मंहगी हैं.

अमेरिका के टैरिफ वार का शिकार भारत के आम नागरिकों पर पडने वाली ये पहली बडी मार है. इस बारे में भारत और अमेरिका के बीच कोई बातचीत हुई या नहीं इसका कोई विवरण अभी नहीं मिला है.

@ राकेश अचल

24अगस्त 2025,रविवार का पंचांग

*🌞सूर्योदय :-* 05:56 बजे  

*🟠सूर्यास्त :-* 18:51 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य दक्षिणायन, उत्तरगोल 

*⛱️ऋतु* :  शरदऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि* 11:48 बजे  तक फिर द्वितीया  तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र 26:05 बजे तक फिर उत्तराफाल्गुनी  नक्षत्र

    *योग* :- आज *शिव* है।

*करण*  :-आज *बव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा ,गंडमूल नहीं  है 

*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर  है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पश्चिम दिशा में है।

*🌚राहूकाल* :आज  17:13 बजे से 18:50

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11: 58बजे से 12:50 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहा* : - कोई नहीं 

*मुहूर्त* : - सगाई,दुकान/ऑफिस /व्यापार है  अन्य नहीं हैं।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-सिंह, चन्द्र - सिंह, मंगल-कन्या, बुध-कर्क, गुरु-मिथुन, शुक्र-मिथुन, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

अब घर बैठे ही परामर्श प्राप्त करें: ज्योतिष,वास्तु , अंक ज्योतिष एवं जन्म कुंडली द्वारा शिक्षा, सर्विस,रोजगार,व्यापार, विवाह,मंगल,कालसर्प और  पितृ दोष शनि साढ़ेसाती मुहूर्त आदि जानकारी परामर्श समाधान

ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन 

(राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त )

विगत 26 वर्षों से लगातार ज्योतिष के क्षेत्र में कार्य रात- अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई।

मो .9425187186, 9302614644

शनिवार, 23 अगस्त 2025

ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जनसुनवाई में किया जनसमस्याओं का निराकरण

 रविकांत दुबे जिला प्रमुख 'आपके द्वार न्यूज



ग्वालियर 23 अगस्त । ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने शनिवार को अपने ग्वालियर रेसकोर्स रोड स्थित सरकारी कार्यालय में जनसुनवाई के दौरान समस्याओं का निराकरण किया। इस अवसर पर उन्होंने सम्बन्धित अधिकारियों को समस्याओं के त्वरित निराकरण के निर्देश देते हुए समस्याओं का निदान निर्धारित समय सीमा में करने की बात कही। ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने जनसुनवाई में आई जरुरतमंद महिलाओं को तत्काल राशन दिलाने के निर्देश के साथ ही वृद्धजनों की वृद्धावस्था पेंशन तथा मुफ्त इलाज हेतु आयुष्मान कार्ड बनवाने के निर्देश भी दिए और ऊर्जा मंत्री ने निशक्तजन को ट्राई साइकल वितरण की।

ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने इस अवसर पर मुलाकात करने आए लोगों को आश्वस्त किया कि यह सेवक किसी भी परिवार के साथ अन्याय नहीं होने देगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचे इसके पुख्ता इंतजाम किए हैं। इस दिशा में सरकार भी सतत प्रयत्नशील है।

इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री श्री तोमर ने क्रमवार एक-एक आवेदक के पास जाकर उनकी समस्याएँ सुनीं और सम्बन्धित अधिकारियों को त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए। इसके अलावा उन्होंने मोबाइल फोन से संबंधित अधिकारियों से चर्चा करते हुए समस्याओं के निराकरण में किसी भी सूरत में लापरवाही बर्दाश्त नहीं करने की हिदायत दी। ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर द्वारा आमजन की बिजली, पानी व राशन से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए  जनसुनवाई की जाती है।

भाजपा की खटाई से सहयोगी दलों में घबडाहट

  

 बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने से पहले ही भाजपा की बैशाखी बने जनता दल यू और दूसरे जेबी संगठनों के दो फांक होने की सुगबुगाहट तेज हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गया दौरा कई सियासी संकेत छोड़ गया है. गया में आयोजित  सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन से पहले मंच पर मौजूद जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह और आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की ओर मुस्कुराते हुए कुछ इशारा किया. मंच पर हुई यह हलचल कैमरों में कैद हो गई और अब इसे लेकर राजनीति के गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.

आपको याद होगा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की स्थापना 1998 तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के समय में हुई थी, जब भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में 13-24 दलों का गठबंधन बना था। तब से लेकर 27 साल में एनडीए से कई दल अलग हो चुके हैं. गठबंधन में नये दलों के जुडने और पुराने दलों के अलग होने का सिलसिला अनंत है. कभी कोई दल  नागरिकता संशोधन बिल (सीएए), अनुच्छेद 370 हटाने, या किसान कानून पर मतभेद के कारण जुडा तो कोई अलग हो गया. अनेक दल  चुनावों में सीटों का बंटवारा  विवाद की वजह से गठबंधन के बाहर गए तो कुछ

क्षेत्रीय मुद्दों को लेकर भाजपा से छिटक गये. मणिपुर हिंसा या बिहार/महाराष्ट्र की राजनीति इसका उदाहरण है.भाजपा की बढ़ती ताकत से भी छोटे दलों को लगता है कि बीजेपी उनका महत्व कम कर रही है।

आज की केंद्र सरकार की बैशाखी बना जनता दल (यूनाइटेड)  2013 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाने के विरोध में अलग हुआ था और यूपीए से जुड गया था. भाजपा की दूसरी बैशाखी तेलुगु देशम पार्टी 2018 में आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जा न मिलने पर एनडीए से अलग हुई लेकिन 2024 में फिर जुड़ गई. इसी तरह शिरोमणि अकाली दल 2020 कृषि कानूनों के विरोध में भाजपा से अलग हो गया.

बिहार से पहले महाराष्ट्र में भाजपा की पुरानी सहयोगी शिवसेना भाजपा की वजह से ही महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद, विभाजित हुई; उद्धव ठाकरे गुट अलग हो गया। एकनाथ शिंदे का गुट आजकल भाजपा के साथ है.स्वाभिमानी पक्षा  भी 2019 में  किसान कानूनों के विरोध में।भाजपा से अलग हो गया था.2021 में अगपा असम में स्थानीय मुद्दों पर  भाजपा से अलग हुई बाद में फिर जुड़ गई.

जम्मू कश्मीर में भाजपा के साथ रही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भाजपा से अलग हो गई.गोरखा जनमुक्ति मोर्चा दार्जिलिंग में क्षेत्रीय मांगें पूरी न होने पर 2020 में भाजपा का गठबंधन छोड गया.राष्ट्रीय लोक समता पार्टी -रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में, सीट शेयरिंग विवाद पर टूटी फिर जुडी.

भाजपा ने प्रायः अपने सहयोगी दलों को या तो तोड दिया या उन्हे तवज्जो नहीं दी.हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेकुलर) 2019 बिहार में सीट न मिलने पर भाजपा से दूर हुआ.नागालेंड का नागा पीपुल्स फ्रंट,कर्नाटक जनता पार्टी - और बाद में भाजपा के बागी बी.एस. येदियुरप्पा की पार्टी, अलग हुई बाद में भाजपा में विलय हो गई।लोक जनशक्ति पार्टी को 2021  में भाजपा ने तोडा, हरियाणा में इंडियन नेशनल लोक दल  गठबंधन  से अलग हुआ.त्रिणमूल कांग्रेस 2009 के बाद स्थायी रूप से मूल एनडीए की सदस्य थी, लेकिन 2009 में अलग हो गई और आज भाजपा की दुश्मन नंबर एक है.

ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी 2022,  में अलग हुई और फिर सौदा पटने पर फिर 2025 में फिर  शामिल हो गई. यूपी में ही अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल  से भाजपा के रिश्ते बनते बिगडते रहे.संजय निषाद की निषाद पार्टी,मिजो नेशनल फ्रंट,कुकी पीपुल्स अलायंस,पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट,गोवा फॉरवर्ड पार्टी,जन्नायक जनता पार्टी पुत्तिया तमिलागम, एडीएमके जैसे तमाम क्षेत्रीय दल भाजपा की अहमन्यता केकेगंभीर शिकार बने.

लौटकर बिहार  आते हैं. बिहार के गयाजी में प्रधानमंत्री मोदी के दौरान जब मंच पर मौजूद एनडीए के सभी नेताओं का हाथ जोड़कर अभिवादन कर रहे थे, उसी दौरान वह मुस्कुराते हुए आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के पास रुके और कुछ बातचीत की. वहीं इसके बाद वह आगे बढ़ते गए, फिर जैसे ही केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के पास पहुंचे उनको भी कुछ कहा, जिसके बाद ललन सिंह ने सिर हिलाते हुए हां कहा. इस दौरान ये दोनों तस्वीरें कैमरें में कैद हो गईं. बिहार चुनाव को देखते हुए ये तस्वीरें काफी कुछ इशारा करती है. सामान्य तौर पर इसे मंचीय औपचारिकता कहा जा सकता है, लेकिन चुनावी साल में इस इशारे को हल्के में नहीं लिया जा सकता. खासकर तब जब ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की बिहार चुनाव में अहम भूमिका मानी जा रही है.

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए खेमे में सीट बंटवारे और सहयोगी दलों की भूमिका को लेकर गहमागहमी जारी है. ऐसे में मोदी का यह इशारा  गठबंधन की मजबूती और एकजुटता का संकेत हो सकता है. इससे जहां जेडीयू में टूट की अटकलें बढी हैं वहीँ  ये भी माना जा रहा है कि भाजपा  उपेंद्र कुशवाहा को भी सम्मानजनक जगह देने का मूड बना चुकी है. 

आपको पता है कि एनडीए की अहम सहयोगी जेडीयू के अंदर नीतिश कुमार के नेतृत्व को लेकर असंतोष है. मोदी ऐसे में लल्लन पर हाथ रखकर शिश सेना की तरह जेडीयू को भी दो फांक करना चाहते हैं. एस आई आर के मुद्दे पर बुरी तरह से घिरी भाजपा बाजी जीतने के लिए किसे छोड दे और किसे साथ ले ले अनुमान लगाना कठिन है.

@ राकेश अचल

23 अगस्त 2025,शनिवार का पंचांग

*🌞सूर्योदय :-* 05:55 बजे  

*🟠सूर्यास्त :-* 18:51 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य दक्षिणायन, उत्तरगोल 

*⛱️ऋतु* :  शरदऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि* 11:35 बजे  तक फिर प्रतिपदा  तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* मघा नक्षत्र 24:54 बजे तक फिर पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र

    *योग* :- आज *परिधि* है।

*करण*  :-आज *नाग* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा नहीं गंडमूल  है 

*🔥अग्निवास*: आज पाताल में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज पूर्व दिशा में है।

*🌚राहूकाल* :आज  09:10 बजे से 10:47

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11: 58बजे से 12:50 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहा* : देवकार्य भाद्रपद शनि अमावस्या

*मुहूर्त* : - सगाई है  अन्य नहीं हैं।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-सिंह, चन्द्र - सिंह, मंगल-कन्या, बुध-कर्क, गुरु-मिथुन, शुक्र-मिथुन, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

अब घर बैठे ही परामर्श प्राप्त करें: ज्योतिष,वास्तु , अंक ज्योतिष एवं जन्म कुंडली द्वारा शिक्षा, सर्विस,रोजगार,व्यापार, विवाह,मंगल,कालसर्प और  पितृ दोष शनि साढ़ेसाती मुहूर्त आदि जानकारी परामर्श समाधान

ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन 

(राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त )

विगत 26 वर्षों से लगातार ज्योतिष के क्षेत्र में कार्य रात- अनेक जटिल मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई।

मो .9425187186, 9302614644

शुक्रवार, 22 अगस्त 2025

आज से मोदी युग नये दौर में प्रवेश करेगा

 

संसद के मानसून सत्र की समाप्ति के साथ ही आज से देश में 2014 से शुरू हुआ मोदी युग एक नये दौर में प्रवेश करने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इस नये दौर में घर के भीतर और घर के बाहर इतनी चुनौतियां सीना ताने खडी दिखाई देंगी जिनकी कल्पना कम से कम मोदी जी ने तो नहीं की होगी. जिस देश की जनता ने तमाम प्रतिबद्धताओं को धता दिखाकर मोदी जी को अपनी पलकों पर बैठाया था, आज वही जनता सडकों पर और जनता के प्रतिनिधि संसद में '  वोट चोर-गद्दी छोड'के नारे लगा रहे हैं और मोदी जी स्थितिप्रज्ञ होकर इन नारों को सुन रहे हैं.

मोदी जी का स्वागत करने वालों की भीड में शायद मै भी रहा होऊं, लेकिन आज मेरी पूरी सहानुभूति मोदीजी के प्रति है, क्योंकि जो जनता कल तक मोदीजी पर लट्टू थी आज उसके तेवर बदले हुए हैं. जनता अब 56' के सीने वाले मोदीजी के सामने अपने तीर-कमान हो चुके सीने तानकर उनपर वोट चोरी का आरोप लगा रही है. वोट चोर, गद्दी छोड का नारा यद्यपि कांग्रेस का नारा था लेकिन अब ये लोक व्यापी हो गया है.

मुझे पूरा यकीन है कि मोदीजी इस नारे से न डरेंगे और न गद्दी छोडेंगे. वे अपने हनुमान गृहमंत्री अमित शाह को साथ लेकर पूरी ताकत से विपक्ष से और देश की जनता से लडेंगे. मोदीजी के पीछे लठसंघियों की लाखों की फौज के साथ ही दुनिया की सबसे ज्यादा सदस्यों वाली भाजपा के कार्यकर्त्ता हैं जो सडकों पर उमड रहे जन सैलाब को टिड्डी दल की तरह समाप्त कर देंगे. मोदीजी संसद के मानसून सत्र के समापन से पहले 130 वां संविधान संशोधन विधेयक ले आए हैं. इस विधेयक से इस बात की भनक तो मिल रही है कि विरोधियों को उसी तरह जेलों में ढूंसने का इंतजाम कर चुके हैं जिस तरह पचास साल पहले देश पर 19महीने का आपातकाल लादकर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था 

आपको याद होगा कि मोदी जी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो नेहरू को गरियाकर जन समर्थन हासिल करते आए हैं. लेकिन उनका ये अस्त्र- शस्त्र अब मोथरा हो चला है. मोदी जी कहने पर अब जनता ताली और थाली बजाने को तैयार नहीं है. मोदी जी की सत्ता जिन दो बैशाखियों पर टिकी है उनमें से एक में अलोकप्रियता की दीमक लग चुकी है.मोदीजी से अब अकेले लोस और रास में विपक्ष के नेता ही सवाल नहीं कर रहे अपितु माननीय सर्वोच्च न्यायालय भी सवाल कर रहा है कि -'यह अदालत संविधान का ही एक अंग है। यदि एक संवैधानिक संस्था बिना किसी वैध कारण के अपना काम नहीं कर रही है तो फिर क्या अदालत को यह कहना चाहिए कि हम शक्तिहीन हैं और हमारे हाथ बंधे हैं। हमें कुछ तो निर्णय करना होगा। लेकिन केंद्र सरकार में सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हर समस्या का समाधान सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही किया जाए, ये जरूरी नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रेसिडेंशियल रेफरेंस पर हो रही सुनवाई के दौरान ये तर्क दिया।केंद्र ने कहा कि कुछ मुद्दों पर मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के साथ बातचीत होनी चाहिए। सरकार ने कहा कि हर मामले में न्यायिक समाधान के बजाय राजनीतिक समाधान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ये सुनवाई सुप्रीम कोर्ट द्वारा अप्रैल में विधेयकों को पारित करने की समयसीमा तय किए जाने के बाद राष्ट्रपति ने रेफरेंस भेजकर कोर्ट से कुछ सवाल पूछे थे.

मोदीजी जिस उग्रता के साथ केंद्रीय राजनीति में आए थे आज वही उग्रता उन्हे विपक्ष की ओर से देखने को मिल रही है. पिछले 11 साल में मोदीजी ने विपक्षी एकता में सेंध लगाकर अपना अश्वमेघ यज्ञ जारी रखा, लेकिन अब बिहार में उनका अश्वमेघ का घोडा वोट चोरी के आरोप में रंगे हाथों पकडा जा चुका है. मोदीजी घोडे पर सवार हैं लेकिन घोडे की रास यानि लगाम लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हाथ में है. ठिठके हुए घोडे को राहुल गांधी के चंगुल से छुडाना बहुत आसान नहीं है.

अब आधे से ज्यादा संसद और आधे से ज्यादा भाजपा मोदीजी के साथ नहीं है. कांस्टीट्यूशनल क्लब के चुनाव में भाजपा की बंद मुठ्ठी खुल गई है. मोदी विरोधी रूढी ने राहुल गांधी से सार्वजनिक रूप से हाथ मिलाकर ये साबित कर दिया है कि वे भाजपा में मोदी द्वारा उपेक्षित लोगों का नेतृत्व रूढी करने जा रहे हैं जैसे मोदीजी ने कांग्रेस के दुर्ग में सेंध लगाने के लिए शशि थरूर को तोडा था उसी तरह कांग्रेस ने भी भाजपा के दुर्ग में रूडी को तोडकर मोदी जी के दुर्ग में सेंध लगाने में कामयाब हो गये.

नये मोदी युग में जो भी होगा वो सब अप्रत्याशित होगा. या तो विपक्ष की कमर टूटेगी या फिर मोदी जी की. फैसला जनता करेगी. जनता अब तक मोदीजी के हर कारनामें पर,, हर फैसले पर मौन थी, किंतु यही मौन अब मुखरता में तब्दील हो गया है. मोदी के साथ आज भी ऐसे समर्थकों की भीड है जो 500₹ लीटर पैट्रोल खरीदने को तैयार है लेकिन उसे मोदी चाहिए. मोदीजी की ब्रांड वेल्यू का पता बिहार में चलेगा. तब तक के लिए मोदीजी और उनके प्रतिद्वंदी राहुल गांधी को शुभकामनायें.

@राकेश अचल 

 

Featured Post

खग्रास चन्द्र ग्रहण के साथ पितृ पक्ष की शुरुवात 7 सितम्बर पूर्णिमा रविवार से

  खग्रास चन्द्र ग्रहण के साथ पितृ पक्ष की  शुरुवात 7 सितम्बर पूर्णिमा रविवार से है । पितृ पक्ष पितरों से आशीर्वाद लेने का विशेष समय रहता हैं...