आज के समय में कौन लक्ष्मी नहीं चाहता लक्ष्मी यानी धन आज पल- पल पर मनुष्य की जरूरतें पूरी करने आवश्यक हो गई है।
हर कोई धन के माध्यम से अपने जीवन को सहज बनाकर रखना चाहता है।
इसी के लिए महालक्ष्मी व्रत हर साल आता है।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि इस साल महालक्ष्मी व्रत का आरंभ भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि 31 अगस्त रविवार से होकर 14 सितंबर रविवार को इसका समापन होगा।
जैन ने कहा यह व्रत 15 या 17 दिनों का तिथियों के क्षय या वृद्धि होने से होता हैं इस बार आश्वनी कृष्ण सप्तमी का क्षय होने से 15 दिनों के व्रत है। इन व्रतों के करने से धन,समृद्धि एवं वैभव प्राप्त करने महालक्ष्मी जी को प्रश्न करने के लिए किया जाता है।इस के करने से मनुष्य की आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और मां लक्ष्मी जी की कृपा से घर में धन धान्य का भंडार भरा रहता हैं।
महालक्ष्मी व्रत के आखिरी दिन विधि विधान से लक्ष्मी जी का पूजन करें सबसे पहले स्नान आदि करके पूजा स्थल की सफाई करें गंगाजल छिड़क कर साफ चौकी पर लाल कपड़े बिछाकर मां लक्ष्मी जी का मूर्ति का या फोटो को स्थापित करके गणेश जी का पहला पूजन करें उसके बाद नवग्रह का पूजन करें फिर मां लक्ष्मी को पंचामृत से स्नान करा कर कलश में हल्दी,अक्षत, कमलगट्टा डालकर उस पर नारियल रखकर ,चुनरी लपेटकर स्थापित करें महालक्ष्मी जी का श्रृंगार करें और पूजा में 16 श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें पूजा में कमल , दुर्वा, अक्षत, रोली, धूप- दीप, फल, मिठाई, दक्षिणा आदि चढ़ाए अंत में लक्ष्मी जी की आरती करें।