कोरोना संकट की वजह से देश के उन राज्यों को ज्यादा झटका लगने वाला है, जो आर्थिक तौर पर अधिक संपन्न हैं. जबकि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा जैसे पिछड़े राज्यों को आर्थिक तौर पर कम नुकसान होने वाला है.कोरोना वायरस महामारी के बाद देश में विभिन्न राज्यों में लोगों की आय का अंतर कम हो जाएगा. इस दौरान धनी राज्यों की आय में गरीब राज्यों के मुकाबले अधिक कमी आने की संभावना है. स्टेट बैंक की रिसर्च रिपोर्ट 'इकोरैप' में यह बातें कही गई हैं.रिसर्च के मुताबिक वित्त वर्ष 2020- 21 के दौरान देश में प्रति व्यक्ति आय 5.4 प्रतिशत घटकर 1.43 लाख रुपये सालाना रह जाएगी. इस दौरान महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे धनी माने जाने वाले शहरों की प्रति व्यक्ति आय में 10 से 12 प्रतिशत तक की गिरावट आने का अनुमान हैवहीं मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा जैसे राज्यों में जहां प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से कम है, वहां प्रति व्यक्ति आय में आठ प्रतिशत से कम की गिरावट आने का अनुमान हैपीटीआई के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति व्यक्ति आय में आने वाली यह गिरावट वर्तमान मूल्यों पर आधारित जीडीपी में आने वाली 3.8 प्रतिशत की गिरावट से ऊंची हैवैश्विक स्तर पर भी 2020 में प्रति व्यक्ति जीडीपी में आने वाली 6.2 फीसदी की गिरावट दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में आने वाले 5.2 फीसदी की गिरावट से ऊंची रहेगी.रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन राज्यों की प्रति व्यक्ति आय अखिल भारतीय स्तर के औसत से ऊंची है, ऐसे धनी राज्य प्रति व्यक्ति आय के मामले में अधिक प्रभावित होंगे.इसके मुताबिक दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय में 15.4 फीसदी की गिरावट और चंडीगढ़ में 13.9 फीसदी की संभावित गिरावट का अनुमान है, जो कि देश की प्रति व्यक्ति आय में आने वाली 5.4 प्रतिशत की गिरावट के मुकाबले करीब तीन गुणा अधिक होगी.कुल मिलाकर आठ राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की प्रति व्यक्ति आय में इस दौरान दहाई अंक में गिरावट आने का अनुमान है, यह सबसे ज्यादा परेशानी वाली बात है. ये राज्य जिनकी प्रति व्यक्ति आय में दहाई अंक की गिरावट आ सकती है वह राज्य देश की जीडीपी में 47 प्रतिशत तक का योगदान रखते हैंरिपोर्ट में कहा गया है इसके पीछे सच्चाई यह है कि ये शहरी इलाके (रेड जोन) हैं जहां लॉकडाउन को पूरी गंभीरता से लागू किया गया. बाजारों को बंद रखा गया, शॉपिंग मॉल और बाजार परिसर बंद रहे जिससे इन क्षेत्रों की आय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. यहां तक कि बाजार खुलने के बाद भी इन बाजारों में ग्राहकों की संख्या अभी भी सामान्य दिनों के मुकाबले 70 से 80 प्रतिशत तक कम है
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