पहलगाम हत्याकांड के बाद भारत ने पाकिस्तान का हुक्का पानी बंद कर दिया, अच्छा किया. पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से खदेड दिया, लेकिन क्या इससे काश्मीर में आतंकी हमले स्थाई रूप से रुक जाएंगे या ये लुक्का छिपी का खेल पहले की तरह जारी रहेगा?
अगर आप गौर से देखें तो भारत ने पहलगाम हत्याकांड के बाद पाकिस्तान के खिलाफ अनेक प्रतिबंधात्मक कदम आनन फानन में उठाए किंतु सीधे हमला नहीं किया. पहले बार्डर सील किए, वीजा बंद किए, सिंधुजल रोका और अब हवाई मार्ग भी बंद कर दिया.
सरकार की इन तमाम कार्रवाइयों से अमन पसंद जनता मुतमईन है. लेकिन वीर, अधीर देवतुल्य कार्यकर्त्ता अधीर हैं. पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामण को उतावले उनके मन विचलित हैं. विचलित वे हिंदू भी हैं जिनके परिजन केवल हिंदू होने की वजह से मारे गये. लेकिन बाकी देश अपने अपने काम में लगा है. देश का काम केवल युद्ध करना ही नहीं उसे टालना भी होता है. युद्ध टलना ही चाहिए. लेकिन सवाल ये है कि असल मुद्दों को भी नहीं टालना चाहिए. हमारी या किसी भी देश की सरकार आपदा में, अवसर तलाश लेती है. चीन और अमेरिका की सरकारों ने पाकिस्तान के डर का फायदा अपने ढंग से उठाया है. ये दोनों महाशक्तियां भारत का आतंकवाद के खिलाफ समर्न कर रहीं हैं लेकिन पाकिस्तान को भी युद्धक सामान देने के लिए तैयार बैठे हैं. दोनों को भारत से आतंकित पाकिस्तान पसंद है. आतंकित, भयभीत पाकिस्तान ही दोनों को मुफीद पडता है.
आने वाले दिनों में भारत और पाकिस्तान की सरकारें युद्धराग मारू गाकर अपनी जनता को असल मुद्दों से भटकाए रख सकती है. सीमा पर और देश के भीतर तनाव सरकारों को हमेशा फायदा पहुंचाता है, सरकार किस दल की है ये महत्वपूर्ण नहीं होता.कांग्रेस ने अतीत में इस तनाव का लाभ उठाया, आज भाजपा की बारी है. इस माहौल में भी सियासत दबे पांव आगे बढ रही है. जातीय जनगणना का मुद्दा अब आम सहमति की ओर बढता नजर आ रहा है. लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पहली बार मोदी सरकार का इस मुद्दे पर सशर्त समर्धन किया है. उन्होने सरकार से जातीय जनगणना की टाइम लाइन बताने को कहा है.
राजनीति और प्रेम में यही फर्क है. राजनीति बिना शर्त नहीं चलती और प्रेम शर्तें मंजूर नहीं करता. दोनों की अपनी तबीयत है. राहुल देश में प्रेम की दूकान खोले बैठे हैं क्योंकि नफरत की तो असंख्य दूकानें पहले से मौजूद हैं. बहरहाल असल मुद्दा पाकिस्तान और आतंकवाद है. इस मुद्दे पर सरकार ने हमेशा की तरह चुप्पी साध रखी है. चुप्पी सरकार का बिना फल का बाण है. चलता भी है और जान भी नहीं लेता. रामजी ने मारीच को बिना बाण का बाण मारा थाऔर सात योजन पीछे धकेल दिया था.सरकार बिना युद्ध लडे पाकिस्तान को सात योजन पीछे करना चाहती है. युद्ध से पाकिस्तान तो बर्बाद हो जाएगा लेकिन भारत की भी कमर टूटेगी ही. भारत पहले से ही अमरीकी टेरिफ वार की मार झेल रहा है.
देश के मौजूदा हालात को देखकर प्रधानमंत्री जी ने 9 मई का अपना रूस दौरा टाल दिया. विक्ट्री डे पर आयोजन समारोह में मोदी जी को शामिल होना था. अब उनके स्थान पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह रूस जाएंगे.विश्व भ्रमण प्रेमी किसी भी आदमी के लिए अपनी यात्रा स्थगित करना आसान बात नहीं है. देश को मोदीजी का आभारी होना चाहिए.
इस संक्रमणकाल में अब सब मौन हैं. न ममता की चर्चा है न मायावती की. न अखिलेश यादव सुर्खियों में हैं न नीतीशकुमार. भाजपा को भी नया अध्यक्ष चुनने से राहत मिली. हालांकि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव का भारत पाक तनाव से कोई सरोकार नहीं है. वैसे भी अब भाजपा के लिए अध्यक्ष का चुनाव अब महत्वपूर्ण कार्य नहीं क्योंकि अब ये तदर्थ पद है. पहले पार्टी अध्यक्ष प्रधान होता था, अब प्रधानमंत्री पद महत्वपूर्ण हो गया है.
@ राकेश अचल
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