शुक्रवार, 8 अगस्त 2025

चोरी की सरकारें या चोरों की सरकारें


मुझे पता है कि 'चोर ' और  ' चोरी 'असंसदीय शब्द नहीं हैं, इसलिए आज इसी विषय पर लिख रहा हूं वो भी बिना हलफनामे के, बिना गंगाजल उठाए. सच बोलने के लिए किसी हलफनामे की जरुरत नहीं होती और जो लोग हलफनामा देकर सच बोलते हैं वे अक्सर झूठ बोलते हैं. फिल्मों में गीता की कसम खाकर आपने कितने लोगों को झूठ, सफेद झूठ और सच बोलते देखा और सुना होगा, लेकिन झूठ हर हाल में झूठ होता है और सच हर हाल में सच.

लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने देश में केंद्रीय चुनाव आयोग की मिलीभगत से होने वाली वोट चोरी की वारदात को सप्रमाण मीडिया और विपक्ष के सामने रखा है. केंद्रीय और कर्नाटक चुनाव आयोग को राहुल गांधी द्वारा किया गया पर्दाफाश झूठ लगता है और केंचुआ ने राहुल गांधी से ये तमाम सबूत हलफनामे के साथ मांगे हैं. सवाल ये है कि केंचुआ किस अधिकार से हलफनामा मांग रहा है?  सीधी सी बात है कि यदि राहुल गांधी झूठे तथ्य देकर देश को भ्रमित कर रहे हैं या उनका इरादा केंचुआ को बदनाम करना है तो केंचुआ को राहुल गांधी से हलफनामे के साथ सबूत मांगने के बजाय उनके खिलाफ सीधे पुलिस या अदालत के पास जाना चाहिए.

राहुल गांधी न हमारी जाति के हैं और न रिश्तेदार इसलिए मेरा कहना है कि पूरा देश यदि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के हर झूठ-सच पर यकीन करता है तो देश को लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल तनय राजीव गांधी के हर झूठ और सच को भी काबिले यकीन मानना चाहिए क्योंकि मोदी और गांधी ने लोकसभा में एक ही संविधान को साक्षी मानकर देश सेवा की शपथ ली है.दोनों जिम्मेदार सांसद हैं, जनप्रतिनिधि हैं. दोनों से हलफनामे नहीं मांगे जाना चाहिए. देश ने कभी मोदी जी से हलफनामा मांगते हुए ये नहीं पूछा कि सीजफायर के बारे में अमेरिका का दावा सही है या गलत? 

लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा किए गये रहस्योदघाटन से एक बात प्रमाणित हो गयी है कि देश की सरकार ही नहीं बल्कि देश के तमाम राज्यों में बनीं डबल इंजिन की सरकारें चोरी के वोट से बनीं हैं. आप इन्हें चोरी की सरकारें या चोरों की सरकारें भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं. खिचडी के पकने का पता डेगची के एक चावल से चल जाता है, ऐसे ही देश में हो रही वोट चोरी का पता एक विधानसभा क्षेत्र के मतदान और मतदाता सूचियों की पडताल से चल चुका है. अब केंचुआ बगलें झांके या राहुल गांधी से हलफनामा मांगे, कुछ होने वाला नहीं है. ये मामला हालांकि किसी भी अदालत में चुनौती देने लायक है, लेकिन इसका निराकरण अदालत से शायद ही हो सके क्योंकि अदालत को भी केंचुआ की तरह पहले हलफनामा मांगेगा. वैसे भी अदालत का एक हिस्सा तो राहुल गांधी को सच्चा भारतीय नहीं मानता.

वोट चोरी ठीक वैसा ही अपराध है जैसे कि आपके घर से जेवर, गैस सिलेंडर या किसी दूसरे माल-मशरूके की चोरी होती है. वोट चोरी रोकने के लिए केंचुआ और सत्तारूढ दल तो खुद कुछ करने से रहा क्योंकि इन दोनों पर ही वोट चोरी का आरोप है. अव वोटर को अपना वोट खुद सम्हालना चाहिए. जो राजनीतिक कार्यकर्ता हैं वे मतदान स्तर पर सतर्क रहें. फर्जीवाडा न होने दें. वोट की चोरी रोकना बहुत कठिन नहीं है. आखिर जो होमवर्क राहुल गांधी की टीम ने एक विधानसभा क्षेत्र मे किया है वो सभी चुनाव क्षेत्रों में किया ज सकता है.

मुझे देश के मुख्य केंचुआ के अलावा राज्यों के केंचुआ से भी न्याय की कोई उम्मीद नही है. देश में वोट चोरी से सरकारें न बनें, वोट चोरों की सरकारें न बनें, ये भारतीय लोकतंत्र के लिए मोदी युग की सबसे बडी चुनौती है.

दर असल वोट बेशकीमती चीज है इसलिए उसकी चोरी होना स्वाभाविक है. यदि किसी दल को जनता अपना कीमती वोट  नहीं देती तो सत्ता लोलुप दल वोट की चोरी से बाज नहीं आता. कांग्रेस से भाजपा ने बहुत कुछ सीखा है लेकिन अब मौका आ गया है कि कांग्रेस भी भाजपा से कुछ सीखे, वोट चोरी के अलावा.कांग्रेस वोट मांगती है, चोरी नहीं करती इसलिए भुगतती है. चोरी मत करो लेकिन चोरी रोको तो सही.

@ राकेश अचल

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