शुक्रवार, 18 जुलाई 2025

पाठ्य पुस्तकों के जरिए ' हिस्ट्री ' बदलने का ' हिस्टीरिया 'I

 आजकल देश के भाग्य विधाताओं को हिस्टीरिया के दौरे फिर पडने लगे हैं. सरकार पाठ्य पुस्तकों के जरिए देश की हिस्ट्री बदलने की कोशिश कर रही है. इस कोशिश का समर्थन से ज्यादा  विरोध हो रहा है, किंतु हमेशा की तरह सरकार बेफिक्र है. ताजा सूचनाओं के मुताबिक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद अर्थात  एनसीईआरटी की आठवीं क्लास की सोशल साइंस की नई किताब में बाबर को बर्बर, हिंसक विजेता और पूरी आबादी का सफ़ाया करने वाला बताया गया है.वहीं अकबर के शासन को क्रूरता और सहिष्णुता का मिला-जुला रूप बताया है. इसके अलावा औरंगज़ेब को मंदिर और गुरुद्वारा तोड़ने वाला बताया गया है.

इतिहास को मनमाफिक और अपने सियासी एजेंडे के अनुरूप ढालने को जायज बताते हुए एनसीईआरटी का कहना है कि इतिहास के कुछ अंधकारमय अवधि को समझाना ज़रूरी है. इसके साथ ही किताब के एक अध्याय में कहा गया है कि अतीत की घटनाओं के लिए अब किसी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.

सरकार एक तीर से दो निशाने साध रही है. एक तरफ सरकार इतिहास का पुनर्लेखन करने के साथ अपनी मुस्लिम विरोधी छवि को भी चमकने की कोशिश कर रही है.आठवीं क्लास की सोशल साइंस की किताब का पार्ट-1 'एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडियन एंड बियॉन्ड' इसी हफ़्ते जारी हुई थी. एनसीईआरटी की नई किताबों में से यह पहली किताब है जो विद्यार्थियों को दिल्ली सल्तनत और मुग़लों से परिचित कराती है.

एनसीईआरटी की नई किताब में 13वीं से 17वीं सदी तक के भारतीय इतिहास को शामिल किया गया है. इस किताब में  मुगलिया सल्तनत के चार सदी के कार्यकाल को लूट-पाट और मंदिरों को तोड़ने के रूप में दिखाया गया है. इसके पहले की किताब में सल्तनत काल को इस रूप में पेश नहीं किया गया है. द हिन्दू के अनुसार, एनसीईआरटी की नई किताब में लिखा गया है कि चित्तौड़ के क़िले पर क़ब्ज़े के दौरान अकबर की उम्र 25 साल थी और उन्होंने 30 हज़ार नागरिकों के जनसंहार के साथ बच्चों और महिलाओं को ग़ुलाम बनाने का फ़रमान जारी किया था.

इस किताब में अकबर के हवाले से कहा गया है, ''हमने काफ़िरों के कई क़िलों और कस्बों पर क़ब्ज़ा कर लिया है और वहाँ इस्लाम की स्थापना की है. ख़ून की प्यासी तलवारों की मदद से हमने उनके मन से काफ़िरों के निशान मिटा दिए हैं. हमने वहाँ के मंदिरों को भी नष्ट कर दिया है.''

किताब में लिखा है कि अकबर अपने बाद के शासन में शांति और सद्भावना की बात करने लगते हैं.

जिन लोगों ने ये किताबें देखीं हैं उनके मुताबिक किताब में यह भी लिखा है कि औरंगज़ेब ने स्कूलों और मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया था. किताब के मुताबिक़ बनारस, मथुरा और सोमनाथ सहित जैनों के मंदिर और सिखों के गुरुद्वारे भी नष्ट किए गए. इसमें पारसियों और सूफ़ियों पर भी मुग़लों के कथित अत्याचार का भी ज़िक्र है.

 दुर्भाग्य से भारत का दक्षिणपंथी खेमा ग़ुलामी की अवधि केवल अंग्रेज़ों के 200 साल के शासन को ही नहीं मानता है बल्कि पूरे मध्यकाल को भी ग़ुलाम भारत के रूप में देखता है.आपको बता दूं कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार 11 जून, 2014 को लोकसभा में अपने पहले ही भाषण में मोदी ने कहा था, ''12 सौ सालों की ग़ुलामी की मानसिकता परेशान कर रही है. बहुत बार हमसे थोड़ा ऊँचा व्यक्ति मिले, तो सर ऊँचा करके बात करने की हमारी ताक़त नहीं होती है.''

प्रधानमंत्री मोदी की इस बात ने कई सवाल एक साथ खड़े किए. क्या भारत 1200 सालों तक ग़ुलाम था? क्या भारत ब्रिटिश शासन के पहले भी ग़ुलाम था?

पीएम मोदी ने जब 1200 साल की ग़ुलामी की बात कही थी, तो उन्होंने आठवीं सदी में सिंध के हिंदू राजा पर हुए मीर क़ासिम के हमले (सन 712) से लेकर 1947 तक के भारत को गुलाम बताया.भारत में अंग्रेज़ों का शासनकाल मोटे तौर पर 1757 से 1947 तक माना जाता है, जो 190 साल है. इस हिसाब से ग़ुलामी के बाक़ी तकरीबन एक हज़ार साल भारत ने मुस्लिम शासकों के अधीन गुज़ारे थे.

मध्यकाल के मुस्लिम शासकों को दक्षिणपंथी खेमा आक्रांता कहता है. आप जानते हैं कि सत्ता के लिए एक दूसरे राज्य पर हमला करना कोई नई बात नहीं थी.हमने जो इतिहास पढा उसके मुताबिक ''मौर्यों का शासन अफ़ग़ानिस्तान तक था, इस तरह तो वे भी आक्रांता हुए. सत्ता विस्तार और सत्ता पाने की चाहत को हम चाहे जिस रूप में देखें. इस चाहत का किसी ख़ास मज़हब से कोई रिश्ता नहीं है.''

इतिहास बताता है कि बाबर और हुमायूँ मध्य एशिया से आए थे. अकबर हिन्दुस्तान से बाहर कभी नहीं गए. अकबर के बाद जितने मुग़ल शासक हुए सबका जन्म भारत में ही हुआ था.इसलिए उन्हे कम या ज्यादा करके नहीं बताया जा सकता, लेकिन भगवा सनातनी सरकार इतिहास से छेडछाड करने से बाज नहीं आ रही.

बहुत पुरानी बात नहीं है जब हमारे यहाँ महाराष्ट्र में स्थित औरंगजेब की कब्र से लेकर अजमेर शरीफ की मजारों तक को उखाड फेंकने का एक अभियान चला था, लेकिन कामयाब नहीं हो पाया. सरकार कब्रें और मजारें तो नहीं हटा सकी किंतु सरकार ने पाठ्य पुस्तकों में मुगलों की तस्वीरें अपने मन माफिक जरूर गढ लीं. गनीमत ये भी है कि सरकार ने मुगल सम्राटों के वजूद को नहीं ठुकराया, अन्यथा सरकार कह सकती थी कि बाबर, अकबर और औरंगजेब जैसे शासकों का कोई वजूद था ही नहीं.

दर असल हिस्ट्री के हिस्टीरिया का इलाज आधुनिक चिकित्सा विज्ञानं में भी कोई पुख्ता इलाज नहीं है. हकीम लुकमान और चरक भी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं कर पाए. इस लाइलाज बीमारी से मुक्ति का एक ही रास्ता है और वो है सत्ता  परिवर्तन. सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ खडा होना भी एक तरह का हिस्टीरिया  ही है.

@ राकेश अचल

18 जुलाई 2025,शुक्रवार का पंचांग


*🌞सूर्योदय :-* 05:36 बजे  
*🟠सूर्यास्त :-* 19:18 बजे 
श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 
*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 
*सूर्य*:- -सूर्य दक्षिणायन, उत्तरगोल 
*⛱️ऋतु* : वर्षा ऋतु  
*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 
आज *श्रवण* माह कृष्ण पक्ष *अष्टमी तिथि* 17:01 बजे  तक फिर नवमी तिथि।
💫 *नक्षत्र आज* अश्वनी नक्षत्र 26:13 बजे रात तक  फिर भरणी नक्षत्र 
    *योग* :- आज  *सुकर्मा* है।
*करण*  :-आज  *बालव* हैं।
 💫 *पंचक* :- पंचक ,भद्रा नहीं है ।गंडमूल  है।
*🔥अग्निवास*: आज पाताल में है।
☄️ *दिशाशूल* : आज                                                पूर्व दिशा में है।
*🌚राहूकाल* :आज  10:44 बजे से 12:27
 बजे  तक  अशुभ समय है।
*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:59 बजे से 12:55 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।
*पर्व त्यौहा* :- 
*मुहूर्त* :- दुकान/ऑफिस वाहन है अन्य कोई  नहीं है। 
🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-
 सूर्य-कर्क, चन्द्र-मेष, मंगल-सिंह, बुध-कर्क, गुरु-मिथुन, शुक्र-वृष, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन
हर्षल-मेष में आज है।
 🌞 *चोघडिया, दिन*
चर 05:36 - 07:19 शुभ
लाभ 07:19 - 09:02 शुभ
अमृत 09:02 - 10:44 शुभ
काल 10:44 - 12:27 अशुभ
शुभ 12:27 - 14:10 शुभ
रोग 14:10 - 15:53 अशुभ
उद्वेग 15:53 - 17:36 अशुभ
चर 17:36 - 19:18 शुभ
*🌖चोघडिया, रात*
रोग 19:18 - 20:36 अशुभ
काल 20:36 - 21:53 अशुभ
लाभ 21:53 - 23:10 शुभ
उद्वेग 23:10 - 24:28*अशुभ
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ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन मो 9425187186,6261330109

गुरुवार, 17 जुलाई 2025

कुत्तों की आवारगी पर सबसे बडी अदालत का रुख

 

इनसानों की आवारगी पर आज तक देश का कोई कुत्ता सर्वोच्च न्यायालय नहीं पहुंचा लेकिन इनसान आवारा कुत्तों के मुद्दे पर देश की सबसे बडी अदालत तक जा पहुंचा. संवेदनशील माननीय अदालत ने आवारा कुत्तों के बारे में याचिका सुनी भी और कुछ निर्देश भी दिए जो देश भर के कुत्ता विररोधियों के लिए एक सबक है.देश के आवारा कुत्तों की ओर से मैं सर्वोच्च न्यायालय का आभार व्यक्त करता हूँ.

मेरे लिए आवारा कुत्तों के खिलाफ दर्ज याचिका की न्यूज वेल्यू केंचुआ के खिलाफ दर्ज याचिकाओं से कम नहीं है. कुत्तों के प्रति मेरा प्रेम, मेरी संवेदना अनुवांशिक है.. मेरी दादी माँ फूलकुंवर देवी निरक्षर थीं लेकिन सांसारिक मुद्दों पर उनका ज्ञान असीमित था. वे आवारा कुत्तों को उसी स्नेह से रोटी खिलाती थीं जितने स्नेह से गाय को. सनातन भारतीयों के लिए आवारा गाय फिर भी पूजनीय है लेकिन आवारा कुत्ता नहीं. मेरी दादी आवारा, बेसहारा कुत्तों को ' बिना झोली का फकीर ' कहती थीं. कमोवेश यही बात माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कही है.

माननीय सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को खाना देने से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से ही सवाल पूछ लिए। अदालत ने नोएडा में आवारा कुत्तों को खाना देने पर परेशान किए जाने का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर मंगलवार को सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा “आप उन्हें अपने घर में खाना क्यों नहीं देते हैं?”

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, “क्या हमें इन बड़े दिल वाले लोगों के लिए हर गली, हर सड़क खुली छोड़ देनी चाहिए? इन जानवरों के लिए तो पूरी जगह है लेकिन इंसानों के लिए कोई जगह नहीं है। आप उन्हें अपने घर में खाना क्यों नहीं देते? आपको कोई नहीं रोक रहा है।” यह याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट के मार्च 2025 के आदेश से संबंधित है.

इस पर वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को परेशान किया जा रहा है और वह पशु जन्म नियंत्रण नियमों के अनुसार सड़कों पर रहने वाले कुत्तों को खाना देने में असमर्थ है। पशु जन्म नियंत्रण नियमावली, 2023 का नियम 20 सड़कों पर रहने वाले पशुओं के भोजन से संबंधित है और यह परिसर या उस क्षेत्र में रहने वाले पशुओं के भोजन के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का दायित्व स्थानीय ‘रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन’ या ‘अपार्टमेंट ऑनर एसोसिएशन’ या स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि पर डालता है।

शीर्ष अदालत ने इस पर कहा, “हम आपको अपने घर में ही एक आश्रय स्थल खोलने का सुझाव देते हैं। गली-मोहल्ले के प्रत्येक कुत्ते को अपने घर में ही खाना दें।” याचिकाकर्ता के वकील ने नियमों के अनुपालन का दावा किया और कहा कि नगर प्राधिकार ग्रेटर नोएडा में तो ऐसे स्थान बना रहा है लेकिन नोएडा में नहीं। उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों पर भोजन केंद्र बनाए जा सकते हैं जहां लोग अक्सर नहीं आते।

पीठ ने इस पर पूछा, “आप सुबह साइकिल चलाने जाते हैं? ऐसा करके देखिए क्या होता है।” जब वकील ने कहा कि वह सुबह की सैर पर जाते हैं और कई कुत्तों को देखते हैं तो पीठ ने कहा, “सुबह की सैर करने वालों को भी खतरा है। साइकिल सवार और दोपहिया वाहन चालकों को ज़्यादा खतरा है।” इसके बाद पीठ ने इस याचिका को इसी तरह के एक अन्य मामले पर लंबित याचिका के साथ संलग्न कर दिया।

इससे पहले उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए नियमों के प्रावधानों को उचित देखभाल और सतर्कता के साथ लागू करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया। न्यायालय ने कहा, “कानून के प्रावधानों के अनुसार गलियों में रहने वाले कुत्तों का संरक्षण आवश्यक है लेकिन साथ ही अधिकारियों को आम आदमी की चिंता को भी ध्यान में रखना होगा ताकि इन आवारा कुत्तों के हमलों से सड़कों पर उनकी आवाजाही बाधित न हो।”

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि भारत में आवारा कुत्तों की आबादी के बारे में अलग-अलग स्रोतों से विभिन्न आँकड़े सामने आते हैं। 2019 की पशुधन गणना के अनुसार, भारत में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 1.53 करोड़ थी, जो 2012 में 1.71 करोड़ थी। हालाँकि, कुछ अन्य स्रोतों और सोशल मीडिया पोस्ट्स के अनुसार, यह संख्या 6.2 करोड़ तक हो सकती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन  और अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में आवारा कुत्तों की संख्या विश्व में सबसे अधिक है, और यह रेबीज जैसी बीमारियों के प्रसार का प्रमुख कारण भी है। सटीक संख्या में अंतर स्रोतों और गणना के समय पर निर्भर करता है, लेकिन अनुमानित तौर पर यह 1.5 करोड़ से 6.5 करोड़ के बीच हो सकती है।

भारत में कुत्तों की आवारगी भले ही एक राष्ट्रीय समस्या है लेकिन ये ही भारतीय कुत्ते को भगवान भैरव की सवारी मानकर उसे पूजते भी हैं. टोटके-टमने वाले लोगों को काले कुत्ते को रोटी खिलाने की सलाह देते हैं. हमारे समाज में कुत्ते की मौत को सबसे घृणित और निकृष्ट मानकर इसे गाली के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. कुत्ते और इनसान का संबंध सनातन है. द्वापर में तो धर्मराज युधिष्ठिर का कुत्ता तो स्वर्ग के दरवाजे तक पहुंचा.

दुर्भाग्य ये है कि देश में आवारा इनसानों के लिए हवालातें, और मर्सी होम्स हैं. आवारा गायों के लिए गौशालाएं हैं लेकिन कुत्तों के लिए कोई माकूल इंतजाम नहीं है. कुत्ते आये दिन इनसानों की क्रूरता और नृशंसता के शिकार होते हैं वाहनों से कुचले भी जाते हैं. विदेशों में कुत्ते इनसानों की तरह सम्मानित जीवन जीते हैं.

@ राकेश अचल

ग्रहों के राजा सूर्य ने किया कर्क राशि में प्रवेश

चमकेगी कुछ राशि वाले की किस्मत

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है। सूर्य पिता, आत्मा, मान-सम्मान व साहस के कारक माने गए हैं। 16 जुलाई को शाम 17:30 बजे सूर्य मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में गोचर करेंगे। 

कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा हैं यह जल तत्व राशि है सूर्य अग्नि तत्व है। सूर्य का कर्क गोचर मानव जीवन के साथ सभी 12 राशियों को प्रभावित करेंगे। सूर्य राशि परिवर्तन से कर्क, सिंह समेत पांच राशियों वाले की किस्मत चमकेगी।

वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि सूर्य यू तो हर माह एक राशि में प्रवेश करता ही है। इस राशि प्रवेश को सूर्य की संक्रांति कहते हैं।

हालांकि सूर्य की मकर संक्रांति को लोक में सभी जानते हैं क्योंकि यह संक्रांति धार्मिक मान्यता ,स्नान,दान के रूप में प्रसिद्ध हैं साथ ही इस समय से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो कर बड़े होने लगते हैं।

सूर्य की कर्क संक्रांति का भी महत्व है ।इस समय सूर्य दक्षिणायन की तरफ गति करता है। दिन छोटे राते बड़ी होने लगती है।

साथ ही कर्क चल तत्व,चार, और  स्त्री संज्ञक राशि में रहने सर्वत्र वर्षा विशेष रूप से होती रहती हैं। जैन ने कहा सूर्य एक माह चंद्रमा की राशि कर्क में रहेगा और कुछ राशियों की किस्मत पर बहुत अच्छा प्रभाव तो कुछ पर विपरीत असर के साथ व्यापारिक वस्तुओं की तेजी मंदी  को प्रभावित  करेगा।

*राशियों पर इसका असर*

मेष -मेष राशि वालों के लिए चौथा सूर्य चलने से इन्हें हर कार्य में सावधानी रखनी होगी परिवार में संघर्ष बढ़ सकता है इससे बचने का प्रयास करें।

वृष -वृष राशि वालों के लिए तीसरे भाव में सूर्य का चलना उनके पराक्रम को बढ़ाया अपने रुके कार्यो  को पूरा कराएगी और प्रतियोगिता में सफलता प्राप्त होगी। 

मिथुन - मिथुन राशि में दूसरे भाव में प्रवेश से आर्थिक लाभ पारिवारिक उन्नति होगी।

कर्क -प्रथम चलने से ऊर्जावान और आत्म विश्वास बढ़ेगा नया कार्य प्रारंभ होगा।

सिंह - सिंह राशि में 12 वे भाव में प्रवेश करने से खर्चा अधिक होगा । वे वजह विवाद हो सकते हैं।

कन्या राशि - किसी की बातों में न आए समाज में दायरा बढ़ेगा।

तुला - दशवे भाव में सूर्य पद,प्रतिष्ठा,नया कार्य जिम्मेदारी मिलेगी।

वृश्चिक - धार्मिक ज्ञान गुरुजनों का साथ मिलेगा तीर्थ स्थल की यात्रा हो सकती है।

धनु राशि - आठवें सूर्य चलने से श्रम ,साधना ,समझदारी से फैसले करे तो सफल रहेंगे।

मकर - जीवन साथी यानी पत्नी को सफलता ,लाभ ,विवाह की बात शुरू हो सकती हैं।

कुंभ - स्वास्थ्य उत्तम रहेगा,रुके कार्यों को गति देंगे और कार्यों में बदलाब ला सकते है।

मीन - संतान को प्रतियोगिता,परीक्षा में सफलता,उन्नति रुका धन प्राप्ति हो सकती है। उत्साह बढ़ेगा।

जैन के अनुसार कर्क राशि में सूर्य के प्रवेश से गेहूं, चना, चावल,जो,मूंग, मोठ,उड़द,सोना, चांदी,बादाम,सुपारी में तेजी आ सकती हैं।

वायु प्रबलता से अति वर्षा  बाढ़ से फसलों  एवं जन धन की कई स्थानों पर  बड़ी मात्रा में हानि देखने मिल सकती हैं।

17 जुलाई 2025,गुरुवार का पंचांग

*🌞सूर्योदय :-* 05:35 बजे  

*🟠सूर्यास्त :-* 19:18 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य दक्षिणायन, उत्तरगोल 

*⛱️ऋतु* : वर्षा ऋतु  

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *श्रवण* माह कृष्ण पक्ष *सप्तमी तिथि* 19:08 बजे  तक फिर अष्टमी तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* रेवती नक्षत्र 27:38 बजे रात तक  फिर अश्वनी नक्षत्र 

    *योग* :- आज  *अतिगंड* है।

*करण*  :-आज  *विष्टि* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक है।भद्रा 08:07 तक है ।गंडमूल  है।

*🔥अग्निवास*: आज   पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज                                                दक्षिण दिशा में है।

*🌚राहूकाल* :आज  14:10 बजे से 15:53

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:59 बजे से 12:55 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहा* :- कालाष्टमी

*मुहूर्त* :- कोई  नहीं है। 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मिथुन, चन्द्र-मीन, मंगल-सिंह, बुध-कर्क, गुरु-मिथुन, शुक्र-वृष, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 पुलक सागरम हस्तरेखा ज्योतिष वास्तु परा: *🌞चोघडिया, दिन*

शुभ 05:36 - 07:18 शुभ

रोग 07:18 - 09:01 अशुभ

उद्वेग 09:01 - 10:44 अशुभ

चर 10:44 - 12:27 शुभ

लाभ 12:27 - 14:10 शुभ

अमृत 14:10 - 15:53 शुभ

काल 15:53 - 17:36 अशुभ

शुभ 17:36 - 19:19 शुभ

*🌖चोघडिया, रात*

अमृत 19:19 - 20:36 शुभ

चर 20:36 - 21:53 शुभ

रोग 21:53 - 23:10 अशुभ

काल 23:10 - 24:27*अशुभ

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बुधवार, 16 जुलाई 2025

नेताओं से बेहतर फैसले करते हैं अफसर

 

मप्र में 355 फ्लाईओवर और रेलवे ओव्हर ब्रिज की डिजाइन रद्द करने का फैसला कर लोक निर्माण विभाग के सेतु शाखा के ईएनसी शाखा के ईएनसी ने एक नया कीर्तिमान रच दिया है. भोपाल और इंदौर में 90डिग्री मोड वाले पुलों के विवाद के बाद आए इस फैसले से न जाने कितने इंजीनियरों और ठेकेदारों की नींद उड गई है.

ईएनसी (सेतु)पीसी वर्मा ने ये फैसला निश्चित ही सरकार को लोकनिंदा और जनता को भावी दुर्घटनाओं से बचाने के लिए किया है. ये भी तय है कि वर्मा ने इस फैसले से पहले विभाग के मंत्री के अलावा दीगर निर्णायक मंचों को भी अवगत कराया होगा और सभी जगह उन्हे समर्थन भी मिला होगा.

आपको बता दूं कि इस फैसले के बाद मध्यप्रदेश के 1200 करोड़ रुपए लागत के करीब 140 निर्माणाधीन फ्लाईओवर, आरओबी और एलिवेटेड कॉरिडोर समेत कुल 355 प्रोजेक्ट फिलहाल पूरी तरह रुक गए हैं। इनमें 250 बड़े पुल, करीब 100 रेलवे ओवरब्रिज और शहरों के बीच 5 एलिवेटेड कॉरिडोर शामिल हैं। जो प्रोजेक्ट पहले से निर्माणाधीन हैं, उनका काम भी अब जीएडी के रिव्यू और अनुमति तक स्थगित रहेगा। विभाग ने साफ किया है कि अब बिना उच्च स्तरीय तकनीकी जांच के कोई काम शुरू नहीं होगा।

यह फैसला लेना आसान नहीं था लेकिन विवाद बढने के बाद सरकार को भोपाल के ऐशबाग और इंदौर के एक आरओबी में डिज़ाइन की गंभीर खामियों के चलते काम रोकना पड़ा इन दोनों पुलों की गडबड डिजाइन ने विभाग की भी खूब किरकिरी कराई.। इसके बाद विभाग ने राज्यभर के सभी प्रोजेक्ट की जीएडी की रेंडम जांच कराई, जिसमें तकनीकी त्रुटियां सामने आईं। अब लोक निर्माण विभाग ने जीएडी की दोबारा जांच के लिए एक हाईलेवल कमेटी बनाई है, जिसमें ईएनसी चेयरमैन होंगे।

उनके साथ चीफ इंजीनियर ब्रिज पीडब्ल्यूडी, सीई आरडीसी भोपाल, रेलवे ज़ोन के ब्रिज इंजीनियर और संबंधित नगरीय निकाय के अधिकारी सदस्य होंगे। यह कमेटी अब हर प्रोजेक्ट की डिजाइन, अलाइनमेंट, जियोमैट्रिक स्ट्रक्चर और स्पीड कैलकुलेशन की जांच करेगी।

निर्माण  विशेषज्ञों का मानना है कि जिन प्रोजेक्ट्स की जीएडी में खामी निकलेगी, उनका काम कम से कम 15 दिन से 6 माह तक रुक सकता है। इससे न सिर्फ देरी बढ़ेगी, बल्कि ठेकेदार विभाग पर क्लेम भी ठोक सकते हैं। परियोजनाओं की लागत बढ़ेगी और सरकार पर वित्तीय भार आएगा।लेकिन ये मंहगा सौदा नही है.

ईएनसी पीडब्ल्यूडी रोड और ब्रिज तथा एमडी आरडीसी को निर्देश दिए गए हैं कि इंडियन रोड कांग्रेस के मानकों के अनुसार काम हो रहा है या नहीं, इसकी जांच की जाए। साथ ही रेलवे और स्थानीय निकायों से समन्वय कर यातायात भार, तकनीकी खामियों और भविष्य की जरूरतों के आधार पर नई जीएडी मंजूरी दी जाए।

आपको याद होगा कि भोपाल के ऐशबाग में 90 डिग्री मोड पर आरओबी बनाने का खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसके उद्घाटन से इनकार कर दिया। इसके बाद 8 इंजीनियरों पर कार्रवाई की गई। इसके बाद प्रदेशभर में कई ऐसे आरओबी का खुलासा हुआ, जिनके िडजाइन में गड़बड़ी है।लोनिवि के इस फैसले से हालांकि ठेकेदारों का कुछ ज्यादा बिगडने वाला नहीं है, वे इस  फैसले की वजह से होने वाले नुकसान और लागत वृद्धि को लेकर दावे कर सकते हैं, किंतु इस फैसले से सरकार की न सिर्फ साख बढेगी बल्कि लोनिवि समेत दूसरे निर्माण विभागों में हो रही इसी तरह की लापरवाही पर भी लगाम लगेगी. 

जाहिर है कि ईएनसी वर्मा के लिए इतना कठोर फैसला करना आसान नहीं रहा होगा. मुमकिन है कि इस फैसले के बाद वे अपने ही साथ के अभियंताओं और ठेकेदारों के निशाने पर आ जाएं लेकिन उनके इस फैसले की सराहना विरोधियों को भी मन मारकर करना ही पडेगी. ये फैसला जनहित से जुडा एक यादगार फैसला है और निश्चित ही आने वाले दिनों में इस फैसले के दूरगामी परिणाम होंगे.तकनीकी पदों पर बैठे शीर्ष अधिकारी यदि वर्मा की तरह निर्मम ईमानदारी दिखाने लगें तो सरकार तथा लोनिवि बदनामी से बच सकती है.

मप्र में ये अनूठा फैसला तब आया है जब मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव विदेश यात्रा पर हैं. तय है कि इस फैसले पर मुख्यमंत्री ने अपनी मोहर अवश्य लगाई होगी अन्यथा इतना बडा फैसला आसानी से नहीं लिया जाता.अब इस फैसले पर पूरे प्रदेश की नजर रहने वाली है.ये फैसला 90डिग्री की गलतियों को सुधारने के लिए लिया गया 360 डिग्री वाला फैसला साबित होगा.

@ राकेश अचल

कांवड यात्रा से धार्मिक तत्व गायब


 

16 जुलाई 2025,बुधवार का पंचांग

*🌞सूर्योदय :-* 05:35 बजे  

*🟠सूर्यास्त :-* 19:19 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य दक्षिणायन, उत्तरगोल 

*⛱️ऋतु* : वर्षा ऋतु  

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *श्रवण* माह कृष्ण पक्ष *षष्ठी तिथि* 21:01 बजे रात तक फिर सप्तमी तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* उत्तराभाद्रपद नक्षत्र 28:49 बजे रात तक  फिर रेवती नक्षत्र 

    *योग* :- आज  *शोभन* है।

*करण*  :-आज  *गर* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक है।भद्रा 21:02 बजे रात से, गंडमूल नहीं है।

*🔥अग्निवास*: आज  पाताल में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज                                               उत्तर दिशा में है।

*🌚राहूकाल* :आज  12:27 बजे से 14:10

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:57 बजे से 12:53 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहार :- कर्क राशि में सूर्य प्रवेश 17:30 बजे शाम, सौर श्रवण माह प्रारंभ 

*मुहूर्त* :नाम करण है अन्य कोई  नहीं है। 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मिथुन, चन्द्र-मीन, मंगल-सिंह, बुध-कर्क, गुरु-मिथुन, शुक्र-वृष, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

लाभ 05:35 - 07:18 शुभ

अमृत 07:18 - 09:01 शुभ

काल 09:01 - 10:44 अशुभ

शुभ 10:44 - 12:27 शुभ

रोग 12:27 - 14:10 अशुभ

उद्वेग 14:10 - 15:53 अशुभ

चर 15:53 - 17:36 शुभ

लाभ 17:36 - 19:19 शुभ

*🌗चोघडिया, रात*

उद्वेग 19:19 - 20:36 अशुभ

शुभ 20:36 - 21:53 शुभ

अमृत 21:53 - 23:10 शुभ

चर 23:10 - 24:27*शुभ

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मंगलवार, 15 जुलाई 2025

कांवड यात्रा का अब राजनीतिक कनेक्शन

 

सावन का महीना शुरू होते ही उत्तर भारत की प्रमुख धार्मिक यात्राओं में एक 'कांवड़ यात्रा' 11 जुलाई से शुरू हो चुकी है. कांवड़ यात्रा की शुरुआत होती ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सियासत भी गरमा गई है. दरअसल, बीते तीन से चार दिनों में कांवड़ यात्रा के दौरान कई ऐसी घटनाएं हुईं, जब कांवड़ियों ने यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले होटल-ढाबों पर तोड़फोड़ की. इस दौरान कांवड़ियों ने ढाबा मालिकों पर मुस्लिम व्यवसायियों पर पहचान छिपाकर ढाबा संचालित करने का आरोप लगाया.

कांवड़ यात्रा का इतिहास भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं में गहराई से निहित है। यह मुख्य रूप से भगवान शिव के भक्तों द्वारा की जाने वाली एक वार्षिक तीर्थयात्रा है, जो सावन मास (जुलाई-अगस्त) में होती है। इसका इतिहास पौराणिक कथाओं, धार्मिक मान्यताओं और सामाजिक परंपराओं से जुड़ा है।लेकिन कोई एक प्रामाणिक कथा कांवड की नहीं है.

कांवड़ यात्रा की उत्पत्ति समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से जोड़ी जाती है। जब देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, तो उसमें से विष (हलाहल) निकला। भगवान शिव ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ कहा गया। विष के प्रभाव को कम करने के लिए देवताओं ने शिव पर गंगा जल चढ़ाया। माना जाता है कि कांवड़ यात्रा इस घटना का प्रतीक है, जिसमें भक्त गंगा जल लेकर शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं।

कुछ कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने अपने आराध्य शिव की पूजा के लिए गंगा जल लाने की परंपरा शुरू की थी। उन्होंने कांवड़ (एक बांस के डंडे पर दो बर्तनों में जल) के साथ गंगा जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाया, जिससे यह परंपरा प्रचलित हुई।वैसे त्रेता युग की कथाओं में श्रवण कुमार द्वारा अपने माता पिता कोयात्रा कांवड यात्रा देश के दूसरे हिस्से में प्रचलित नहीं है.द्वारा तीर्थ यात्रा कराने का जिक्र है.

कांवड़ यात्रा का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में स्पष्ट रूप से नहीं मिलता, लेकिन यह माना जाता है कि यह परंपरा मध्यकाल से प्रचलित है। सावन मास में शिव भक्ति और गंगा जल के महत्व को देखते हुए यह यात्रा धीरे-धीरे लोकप्रिय हुई। कांवड़ यात्रा ने विभिन्न समुदायों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह भक्ति, समर्पण और तप का प्रतीक बन गई, जिसमें सभी वर्गों के लोग हिस्सा लेते हैं।

कांवड यात्रा में भक्त हरिद्वार, गंगोत्री, ऋषिकेश, या अन्य पवित्र स्थानों से गंगा जल लेकर पैदल चलकर प्रमुख शिव मंदिरों जैसे नीलकंठ, काशी विश्वनाथ, या बैद्यनाथ धाम जाते हैं।कांवड बांस  से बनाई जाती है. बांस के डंडे के  दोनों सिरों पर जल से भरे बर्तन लटकाए जाते हैं। इसे कंधे पर रखकर भक्त यात्रा करते हैं।

 कांवड़िए कठोर नियमों का पालन करते हैं, जमीन पर न सोना, शुद्ध भोजन करना और गंगा जल को भूमि पर न रखना शामिल है.

 कांवड़ यात्रा उत्तर भारत, खासकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और बिहार में बड़े पैमाने पर आयोजित होती है। लाखों भक्त इसमें हिस्सा लेते हैं, और यह एक विशाल सामाजिक-धार्मिक आयोजन बन गया है। आधुनिक समय में, कांवड़ यात्रा में ट्रैक्टर, बाइक और अन्य वाहनों का उपयोग भी होने लगा है, हालांकि पारंपरिक पैदल यात्रा अभी भी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।पिछले कुछ वर्षों से कांवड यात्रा एक राजनीतिक आयोजन हो गया है. सरकार कांवडियों पर हैलीकाप्टर से पुष्प वर्षा करने लगी है. इस यात्रा का इस्तेमाल धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए भी होने लगा है.

मजे की बात ये है कि जिस कांवड यात्रा को राजनीतिक इवेंट बना दिया गया है उसमें सत्ताधारी दल का एक भी छोटा, बडा नेता या उनके बच्चे शामिल नहीं होते. यह श्रमसाध्य कार्य केवल समाज के पिछडे, अशिक्षित, आर्थिक रूप से कमजोर तबके के युवा करते है. अब कांवडिये जरा जरा सी बात पर सरकारी संरक्षण में जिस तरह का उपद्रव करते हैं उसे देखकर आशंका होती है कि एक सात्विक परंपरा का सत्यानाश हो रहा है. इस यात्रा को भाजपा ने एक तरह से अपने एजेंडे में शामिल कर लिया है.

यह पहली बार नहीं है जब कांवड़ यात्रा के दौरान इस तरह का विवाद सामने आया है. इससे पहले भी मुस्लिम ढाबा संचालकों पर हिंदू नाम से व्यवसाय करने के आरोप लगाए गए हैं. कुछ मामले साबित भी हुए हैं तो कुछ फर्जी भी निकले. ऐसे में सवाल यह है कि क्या मुस्लिम होकर हिंदू नाम से ढाबा चलाना क्या गैरकानूनी है? और इस मामले में कानून क्या कहता है? भारत संविधान के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह का व्यवसाय करने का अधिकार है. जहां तक होटल या ढाबों की बात है तो इसके लिए खाद विभाग की ओर से लाइसेंस जारी किया जाता है, जिसमें होटल या ढाबा संचालक का नाम लिखा होता है. सभी होटल या ढाबा संचालकों को यह लाइसेंस रखना अनिवार्य होता है, जिससे जरूरत पड़ने पर उसकी जांच की जा सके.

भारतीय कानून के मुताबिक, किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य नाम से व्यवसाय संचालित करना अपराध नहीं है. हालांकि, अगर ऐसा समाज में भ्रम फैलाने या किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करने के लिए जानबूझकर किया जा रहा है तो इसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है. ऐसा करने पर भारतीय न्याय संहिता के तहत होटल या ढाबा संचालकों पर कार्रवाई की जा सकती है. 

बीते साल कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार की ओर से आदेश जारी किया गया था, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले सभी होटल या ढाबा संचालकों को अपना नाम व होटल पर काम करने वाले कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया था. सरकार का कहना था कि यह आदेश इस बात को सुनिश्चित करने के लिए जारी किया गया, जिससे कांवड़ यात्रियों के बीच भ्रम की स्थिति न हो और विवाद से बचा जा सके. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए आदेश पर रोक लगा दी थी कि सरकार किसी होटल या ढाबा संचालकों को नाम प्रदर्शित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है, अगर वे स्वेच्छा से ऐसा करना चाहते हैं तो कर सकते हैं. 

@ राकेश अचल

15 जुलाई 2025,मंगलवार का पंचांग

*🌞सूर्योदय :-* 05:34 बजे  

*🟠सूर्यास्त :-* 19:19 बजे 

श्री विक्रमसंवत्- *2082* शाके- *1947* 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य दक्षिणायन, उत्तरगोल 

*⛱️ऋतु* : वर्षा ऋतु  

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज *श्रवण* माह कृष्ण पक्ष *पंचमी तिथि* 22:38 बजे रात तक फिर षष्ठी तिथि।

💫 *नक्षत्र आज* शतभिषा नक्षत्र 06:25 बजे प्रातः तक  फिर पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र 

    *योग* :- आज  *सौभाग्य* है।

*करण*  :-आज  *कौलब* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक है।भद्रा, गंडमूल नहीं है।

*🔥अग्निवास*: आज  पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज                                               उत्तर दिशा में है।

*🌚राहूकाल* :आज  15:53 बजे से 17:36

 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 11:57 बजे से 12:53 बजे तक प्रत्येक बुधवार अशुभ होता हैं।

*पर्व त्यौहा* :- नागपंचमी (मरूस्थले)

*मुहूर्त* :- कोई  नहीं है। 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-मिथुन, चन्द्र-कुंभ, मंगल-सिंह, बुध-कर्क, गुरु-मिथुन, शुक्र-वृष, शनि-मीन, राहू- कुंभ,केतु-सिंह, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

रोग 05:34 - 07:18 अशुभ

उद्वेग 07:18 - 09:01 अशुभ

चर 09:01 - 10:44 शुभ

लाभ 10:44 - 12:27 शुभ

अमृत 12:27 - 14:10 शुभ

काल 14:10 - 15:53 अशुभ

शुभ 15:53 - 17:36 शुभ

रोग 17:36 - 19:19 अशुभ

*🌗चोघडिया, रात*

काल 19:19 - 20:36 अशुभ

लाभ 20:36 - 21:53 शुभ

उद्वेग 21:53 - 23:10 अशुभ

शुभ 23:10 - 24:27*शुभ

 हमारा वॉट्सएप मो नम्बर चेंज हो गया है।

अभी 9425187186 था इस की जगह पर अब 6261330109 हो गया है।अब घर बैठे ही परामर्श प्राप्त करें: जन्म कुंडली,शिक्षा,विवाह,रोजगार,व्यापार,पद, प्रतिष्ठा,मंगल,कालसर्प, शनि साढ़ेसाती सहित ज्योतिष,वास्तु,मुहूर्त आदि परामर्श

सोमवार, 14 जुलाई 2025

नगर निगम आयुक्त ने किया जल भराव वाले स्थानों का निरीक्षण

       अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए

ग्वालियर  14 जुलाई । नगर निगम आयुक्त श्री संघ प्रिय ने साफ सफाई व्यवस्था एवं जल भराव वाले स्थानों का निरीक्षण किया तथा संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। निरीक्षण के दौरान कार्यपालन यंत्री श्री सुशील कटारे, सहायक यंत्री श्री अशोक गुप्ता, श्री रामसेवक शाक्य सहित अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे। 

नगर निगम आयुक्त श्री संघ प्रिय ने वार्ड 8 नरसिंह नगर में जल भराव वाले स्थान को देखा तथा संबंधित अधिकारियों को जल निकासी के लिए आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश दिए। साथ ही वार्ड 12 में सफाई कर्मचारियों के बारे मंे जानकारी ली। जिसमें 59 कर्मचारी पदस्थ होना पाये गए,

निगमायुक्त श्री संघ प्रिय ने तानसेन नगर औद्योगिक क्षेत्र का निरीक्षण किया, इस दौरान जल भराव वाले स्थानों को देखा तथा संबंधित अधिकारियों को बरसात के तत्काल बाद जल भराव वाले स्थानों से जल निकासी के लिए निर्देशित किया। इसके साथ ही वार्ड 5 में निरीक्षण के दौरान जल भराव वाले स्थानों को देखा तथा संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए।


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