रविवार, 9 मार्च 2025

9 मार्च 2025, रविवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:39 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:24 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2081* शाके-1946 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण,दक्षिणगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष *दशमी तिथि*  07:45 बजे  तक फिर एकादशी चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज पुनर्वसु नक्षत्र* 23:54 बजे तक पश्चात पुष्य नक्षत्र।

    *योग* :- आज *सौभाग्य*  है। 

 *करण*  :-आज  *गर* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,गंडमूल नहीं है भद्रा 19:41 बजे से  ।

*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज  पश्चिम दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 16:56 से 18:25 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:11 बजे से 12:57 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा* : नंदगांव होली

*मुहूर्त* :

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-कुंभ, चन्द्र-मिथुन, मंगल-मिथुन, बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

*🌞चौघड़िया, दिन*

उद्वेग 06:39 - 08:07 अशुभ

चर 08:07 - 09:35 शुभ

लाभ 09:35 - 11:04 शुभ

अमृत 11:04 - 12:32 शुभ

काल 12:32 - 14:00 अशुभ

शुभ 14:00 - 15:28 शुभ

रोग 15:28 - 16:56 अशुभ

उद्वेग 16:56 - 18:25 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

शुभ 18:25 - 19:56 शुभ

अमृत 19:56 - 21:28 शुभ

चर 21:28 - 22:59 शुभ

रोग 22:59 - 24:31*अशुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

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शनिवार, 8 मार्च 2025

जतारा वन विभाग ने आधी रात्रि में जप्त किया मय ट्रॉली रेत भरा ट्रैक्टर

 टीकमगढ़ जिला ब्यूरो प्रमोद अहिरवार 

नवागत डीएफओ राजाराम परमार के सख्त प्रशासन से अलर्ट हुआ जतारा वन विभाग

टीकमगढ़:- विदित हो कि वन विभाग अंतर्गत खासतौर पर जतारा में वन अमला सुस्त होकर अपने घरों में सो रहा है लेकिन वन परिक्षेत्र अधिकारी जतारा शिशुपाल अहिरवार के आने के बाद हर एक दो दिन में कोई न कोई कार्यवाही वन परिक्षेत्र जतारा का वन अमला मजबूरी या कड़क प्रशासन के कारण करता ही रहता है, चाहे वो अतिक्रमण  बेदखली की कार्यवाही हो या फिर निरीह वन्य प्राणियों के शिकार की या फिर अवैध आरा मशीनों की या फिर अवैध वनोपज की कटाई या परिवहन की कार्यवाही हो।

हर समय वन परिक्षेत्र जतारा में ऐसी कार्यवाही देखने और सुनने को मिलती रहती है।

लेकिन जब से टीकमगढ़ के नवागत डीएफओ राजाराम परमार ने टीकमगढ़ की कमान संभाली है तब से पूरे वन मंडल टीकमगढ़ का वन अमला सकते में है, और कई कर्मचारी जो अपने घरों में सोते रहते थे आज वो रात भर जागकर वन भ्रमण कर रहे हैं।

इसी के तारतम्य में वन परिक्षेत्र अधिकारी जतारा शिशुपाल अहिरवार ने वन संरक्षक छतरपुर और वन मंडल अधिकारी टीकमगढ़ के दिशा निर्देशन और मार्गदर्शन में दिनांक 07/03/2025 की शाम को विशेष गस्ती दल के गठन उपरांत अवैध वनोपज की धड़-पकड़ के तहत वन परिक्षेत्र जतारा की बीट चंदेरा के कक्ष क्रमांक पी-242 के वन क्षेत्र में एक वाहन ट्रेक्टर क्रमांक MP36A4350 मय ट्रॉली में लोड रेत के साथ वन क्षेत्र से अवैध रेत उत्खनन और परिवहन में जप्त किया गया। और मौके से वाहन चालक सोनू यादव एवं वाहन मालिक राममिलन यादव निवासी जरूआ के विरुद्ध नामजद वन अपराध प्रकरण क्रमांक 243/22 दिनांक 07/03/2025 दर्ज करते हुए जप्त वाहन को सुरक्षित वन परिक्षेत्र कार्यालय परिसर जतारा में सुरक्षित खड़ा कराया गया।

उक्त कार्यवाही वन परिक्षेत्र अधिकारी जतारा शिशुपाल अहिरवार के कुशल नेतृत्व में की गई जिसमे वन परिक्षेत्र जतारा के वन अमले के रूप में ओमप्रकाश रैकवार कार्यवाहक उपवन क्षेत्रपाल, शुभम पटेल, विवेक वंशकार, प्रमोद अहिरवार, अशोक वर्मा, अजय सैनी, अमन प्रजापति समस्त वनरक्षक मौजूद रहे।।

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👉🏻 वाहन  खरीदना,ग्रह प्रवेश,भूमि पूजन, गृह प्रवेश,देव प्रतिष्ठा,सगाई,दुकान,व्यापार आदि सभी प्रकार के  मुहूर्त व उनका समय।

👉🏻 सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि,रवि योग,द्विपुष्कर, त्रिपुष्कर,रवि पुष्य,गुरु पुष्य आदि पूरे वर्ष भर के योग व उनका समय।

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8 मार्च 2025, शनिवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:39 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:24 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2081* शाके-1946 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण,दक्षिणगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष *नवमी तिथि*  08:16 बजे  तक फिर नवमी चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज आद्रा नक्षत्र* 23:38 बजे तक पश्चात पुनर्वसु नक्षत्र।

    *योग* :- आज *आयुष्मान*  है। 

 *करण*  :-आज  *कौलव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा,गंडमूल नहीं है ।

*🔥अग्निवास*: आज आकाश में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज  पूर्व दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 09:36 से 11:04 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:11 बजे से 12:57 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा* : भगवान संभव नाथ जी गर्भ 

*मुहूर्त* :भगवान अभिनंदन नाथ जी जन्म तप ,बरसाना होली विश्व महिला दिवस, 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-कुंभ, चन्द्र-वृष, मंगल-मिथुन, बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

*🌞चोघडिया, दिन*

काल 06:40 - 08:08 अशुभ

शुभ 08:08 - 09:36 शुभ

रोग 09:36 - 11:04 अशुभ

उद्वेग 11:04 - 12:32 अशुभ

चर 12:32 - 14:00 शुभ

लाभ 14:00 - 15:28 शुभ

अमृत 15:28 - 16:56 शुभ

काल 16:56 - 18:24 अशुभ

*🌘चोघडिया, रात*

लाभ 18:24 - 19:56 शुभ

उद्वेग 19:56 - 21:28 अशुभ

शुभ 21:28 - 22:59 शुभ

अमृत 22:59 - 24:31*शुभ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

शुक्रवार, 7 मार्च 2025

सन्यास लेने से क्यों डरते हैं हमारे नेता ?

 

ऑस्ट्रेलिया के धाकड़ बल्लेबाज स्टीव स्मिथ ने वनडे क्रिकेट से संन्यास लेकर सभी को चौंका दिया। दुनिया के तमाम क्रिकेटर स्मिथ की तरह ही क्रिकेट से एक तय समय के बाद खुद सन्यास लेने का सार्वजनिक ऐलान करते हैं ,लेकिन दुनिया में खासतौर पर  भारत में ऐसे बहुत कम नेता हैं जो स्वेच्छा से राजनीति से सन्यास लेने का ऐलान करते हों। भारतीय परम्परा  में तो सन्यास जीवन  की सर्वोत्कृष्ट अवस्था है। सन्यास की सनातन  परम्परा सामंतकाल में भी थी लेकिन लोकतंत्र में इसका परित्याग कर दिया। अकेली राजनीति ऐसी है जिसमें  आश्रम व्यवस्था लागू नहीं होती । यानि न नेता ब्रम्हचर्य का पालन करता है ,न गृहस्थ रहना चाहता है और न वानप्रस्थ में जाना चाहता है ,सन्यास लेना तो बहुत दूर की बात है। राजनीति में जब कोई सन्यास नहीं लेता तो उसे मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया जाता है। 

मैंने जब से होश सम्हाला है तभी से राजनीति में सक्रिय बहुत कम लोगों को राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा करते देखा है ,उलटे सन्यास ले चुके लोग राजनीति  में घुसपैठ करते जरूर देखे हैं और इस समय तो राजनीति में सन्यासियों की पौ -बारह है।वे केंद्र में भी मंत्री हैं और मुख्यमंत्री भी।  खिलाडियों में सन्यास लेना आम बात  है लेकिन राजनीति में सन्यास लेना ख़ास घटना मानी जाती है। नेताओं को उनकी अपनी पार्टियां जबरन हाशिये पर डाल देतीं हैं क्योंकि वे खिलाड़ियों की तरह खेल भावना से राजनीयति से सन्यास नहीं  लेते। किसी भी दल में सन्यासी न हों ऐसी बात नहीं है ,लेकिन उनकी संख्या न के बराबर है। नानाजी देशमुख या कामराज या ज्योति बसु जैसे बहुत कम नेता हुए हैं जिन्होंने स्वेच्छा से सन्यास लिया हो । सवाल ये है कि आखिर राजनीति में ऐसा क्या है जो नेता उससे सन्यास नहीं लेना नहीं चाहते ? इस विषय पर न किसी ने शोध किया है और न पीएचडी की उपाधि  हासिल की है ,क्योंकि इस विषय पर शोध करने की न फुरसत है और न इजाजत। मान लीजिये इजाजत मिल भी जाए तो गाइड नहीं मिलेगा। क्योंकि विषय ही अछूत है। 

राजनीति से सन्यास लेने वाले भारत के प्रमुख नेताओं पर यदि आपको निबंध लिखने के लिए कह दिया जाये तो आप मुश्किल से एक-दो पृष्ठ ही लिख पाएंगे,क्योंकि राजनीति से ससम्मान सन्यास लेने वाले हैं  ही गिने चुने। देश के पहले प्रधानमंत्री से लेकर आज के प्रधानमंत्री तक किसी ने राजनीति से सन्यास लेने के बारे में कार्ययोजना बनाना तो दूर, कभी सोचा तक नहीं। इस मामले में हर विचारधारा के नेता एक जैसा सोचते है।  राजनीति में व्यक्ति जीवन पर्यन्त सक्रिय रहना चाहता है। कुर्सी के बिना जीवित रहना किसी भी नेता के लिए असम्भव काम है। भारतीय राजनीति में कोई सन्यास नहीं लेता लेकिन शारीरिक अस्वस्थता की वजह से उसे घर बैठना पड़े तो अलग बात है। मिसाल के तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी। 

दुनिया में राजनीति ही एक मात्र ऐसा क्षेत्र है जहाँ  सन्यास का न कोई लिखित विधान है और न कोई विवादास्पद इतिहास। राजनीति में कोई औरंगजेब भी तो नहीं है जिसने कम से कम पचास साल शासन किया हो।हमारे सनातन में तो राजा- महाराजा  अपने जीते जी अपने उत्तराधिकारी की न सिर्फ घोषणा कर देते थे बल्कि उनका राज्याभिषेक भी करा देते थे। राजनीति में नेता अपना उत्तर्राधिकारी तो घोषत करते हैं लेकिन खुद सन्यास नहीं लेते। हमारी संसद और विधानसभाओं  में पिता-पुत्र ,पति-पत्नी,भाई-भाई साथ -साथ मिल जायेंगे। राजनीति  से नेताओं को सन्यास केवल मृत्यु ही दिलाती है। मुमकिन है कि मै गलत होऊं ,लेकिन मैंने तो अपनी स्मृति में अपवादों को छोड़ किसी को औपचारिक रूप से सन्यास लेते नहीं देखा। आपने देखा हो तो जरूर बताएं। 

मौजूदा राजनीति  में हमारे तमाम नेता  80  पार कर चुके हैं लेकिन राजनीति छोड़ने को तैयार नहीं हैं ,ये भी पता नहीं चल पता कि राजीति ने नेताओं को पकड़ रखा है या नेताओं ने राजनीति को ? अब कांग्रेस से ही शुरू कीजिये। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हो या ,श्रीमती सोनिया गाँधी सन्यास के बारे में कोई योजना अभी तक नहीं बना पायीं हैं। भाजपा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का भी राजनीति से सन्यास से कोई इरादा नहीं है।  एनसीपी  के शरद पंवार हर बार, आखरी बार कहते हैं और हर बार राजनीति से चिपके दिखाई देते हैं।  राजद के लालू प्रसाद जी ने अपनी पत्नी और बेटे -बेटियों को भी स्थापित कर दिया लेकिन सन्यास की घोषणा नहीं की।

 बहन मायावती तो किसी आश्रम में रहीं ही नहीं  इसलिए  उनके सन्यास  आश्रम में जाने का सवाल ही नहीं उठता। सन्यास की उम्र तो बहन ममता बनर्जी की भी हो गयी है लेकिन वे भी इस बारे में शायद सोच नहीं पायी हैं। नीतीश कुमार भी सन्यासी नहीं बनना चाहते। समाजवादियों में भी कोई सन्यासी हो तो आप बताइये ?  वाम पंथियों में एक ज्योति बासु अपवाद रहे,उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से राजनीति से सन्यास लेकर बुद्धदेव भट्टाचार्य को अपना उत्तराधिकारी बना दिया था ,अन्यथा वामपंथी भी आजन्म नेता होते हैं  और मरते समय तक पोलित ब्यूरो सम्हालने का हौसला रखते हैं। 

मुझे लगता है कि राजनीति में सन्यास शब्द से चिढ़ने वाले ,सन्यास को फालतू की चीज मानने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। किसी दल में कोई ऐसा नेता नहीं  है जो   स्मिथ  की तरह ,सचिन तेंदुलकर ,कपिल देव् की तरह अपने सक्रिय जीवन से सन्यास लेने की घोषणा कर अपने चाहने वालों को चौंकाए। अमेरिका में जो वाइडन साहब 80  पार कर भी सन्यासी नहीं बने ,वे तो ईसाई हैं ,उनके यहां शायद सन्यास की व्यवस्था नहीं है। वहां शायद रिटायरमेंट चलता हो लेकिन हम भारतियों की जीवन  शैली में सन्यास एक खास व्यवस्था है लेकिन हमारे नेता सन्यास के नाम से ही बिदक जाते हैं। आपको यकीन न हो तो अपने क्षेत्र के किसी विधायक,संसद,मंत्री या प्रधानमंत्री से राजनीति से सन्यास लेने के बारे में प्रश्न करके देख लीजिये ? हकीकत समझ जायेंगे। 

@ राकेश अचल

7 मार्च 2025, शुक्रवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:41 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:23 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2081* शाके-1946 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण,दक्षिणगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष *अष्टमी तिथि*  09:18 बजे  तक फिर नवमी चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज मृगशिरा नक्षत्र* 23:31 बजे तक पश्चात आद्रा नक्षत्र।

    *योग* :- आज *प्रीति*  है। 

 *करण*  :-आज *बव* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,भद्रा,गंडमूल नहीं है ।

*🔥अग्निवास*: आज पृथ्वी पर है।

☄️ *दिशाशूल* : आज  पश्चिम दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 11:04 से 12:32 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:11 बजे से 12:57 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा* : भगवान संभव नाथ जी गर्भ 

*मुहूर्त* : कोई नहीं 

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-कुंभ, चन्द्र-वृष, मंगल-मिथुन, बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

चर 06:41 - 08:09 शुभ

लाभ 08:09 - 09:37 शुभ

अमृत 09:37 - 11:04 शुभ

काल 11:04 - 12:32 अशुभ

शुभ 12:32 - 14:00 शुभ

रोग 14:00 - 15:28 अशुभ

उद्वेग 15:28 - 16:56 अशुभ

चर 16:56 - 18:24 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

रोग 18:24 - 19:56 अशुभ

काल 19:56 - 21:28 अशुभ

लाभ 21:28 - 22:59 शुभ

उद्वेग 22:59 - 24:32*अशुभ

 अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

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गुरुवार, 6 मार्च 2025

वैधराज देशराज अहिरवार प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति से कर रहे जटिल रोगों का इलाज

छतरपुर । मीडिया रिपोर्ट मे वैधराज देशराज अहिरवार ने अवगत कराया कि बे मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बिजावर तहसील के रैदासपुरा गाँव में रहते हैं। वे आयुर्वेद के माध्यम से विभिन्न प्रकार की बीमारियों का ईलाज करते हैं, जिनमें अंधापन, बहरापन, गूंगापन, जन्मजात अपाहिजता, जोड़ों का दर्द, गंजापन, पथरी, पुरानी से पुरानी सर्दी जुखाम, पेट से संबंधित समस्याएं, लकवा, खाज खुजली, सफेद दाग, पीलिया, सुन्नपन आदि शामिल हैं।

वैधराज देशराज अहिरवार का मानना है, कि आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है जो भारत में लगभग 5,000 वर्षों से प्रचलित है। आयुर्वेद का अर्थ है "जीवन का ज्ञान" और यह प्राकृतिक तरीकों से स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती को बनाए रखने पर केंद्रित है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के मूल सिद्धांतों में से एक यह है कि शरीर में तीन दोष - वात, पित्त, और कफ - होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती को नियंत्रित करते हैं।


वैधराज देशराज अहिरवार ने अपने पूर्वजों के ज्ञान और अनुभव का उपयोग करते हुए आयुर्वेदिक ईलाज पद्धति को विकसित किया है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा ठीक किए गए मरीजों की संपूर्ण जानकारी उनके यूट्यूब चैनल वैधराज देशराज अहिरवार पर उपलब्ध है,जिससे सभी लोग देख सकते हैं, उन्होंने कहा कि वे छोटे से गाँव से संबंध रखते हैं, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को ईलाज मिले, उनके पास सोशल मीडिया ही एक रास्ता है, जो उनके ज्ञान अनुभव और ईलाज पद्धति को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने का प्रमुख साधन है,

गड़े मुर्दों पर बवाल ,बुरा है देश का हाल

देश में इन दिनों कोई समस्या नहीं है।  ' मोदी राज बैठे त्रेलोका ,हर्षित भये,गए सब शोका ' वाली स्थिति  है। देश में अगर कोई मसला है तो वो है गड़े हुए मुर्दे ,को अचानक बाहर निकल आये हैं। कुछ मुर्दे हंगामा मचाये  हुए हैं और कुछ पंचभूत में विलीन होने के बाद भी जेरे बहस हैं।  इन गड़े मुर्दों पर अभी डबल इंजन की सरकारों वाले सूबों की विधानसभाओं में बहस  हो रही है और कुछ के बारे में विधानसभाओं के बाहर बहस जारी है।  मुर्दे खुश हैं ,लेकिन हम जैसे अमन पसंद लोगों की नींद हराम है। 

भाजपा के अखंड भारत के सपने को 1658  में ही अमली जामा पहनाने वाले मुगल सम्राट  औरंगजेब का मुर्दा कब्र से बाहर निकलकर महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश विधानसभा में बहस करा रहा है।  समाजवादी पार्टी  के विधायक अबू आजमी ने औरंगजेब के राज की तारीफ़ की तो भाजपा के तमाम छावा अचानक दहाड़ने लगे।  सबने मिलकर अबू आजमी को विधानसभा के मौजूदा सत्र से निलंबन की मांग कर डाली और विधानसभा अध्यक्ष ने अबू आजमी को निलंबित भी कर दिया,लेकिन अबू आजमी  के साथ महाराष्ट्र विकास अगाडी   वाले शिवसेना [उद्धव ठाकरे का जी इससे भी नहीं जुडाया । उन्होंने आजमी की सदस्य्ता ही समाप्त करने की मान कर डाली। और तो और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी  आदित्यनाथ ने तो विधानसभा में ही समाजवादी पार्टी से अबू को पार्टी से निकलने की मांग करते हुए कहा की उस कमबख्त को यूपी भेज दो हम उसका इलाज कर देंगे। 

देश की दो विधानसभाओं में कभी चुनाव न लड़ने वाले औरंगजेब पर गर्मागर्म बहस देख-सुनकर मजा भी आया और क्षोभ भी हुआ। मजा इसलिए आया कि हमारी विधानसभाएं असल काम छोड़कर छाया युद्ध करती नजर आ रहीं हैं और क्षोभ इसलिए हुआ कि  औरंगजेब के नाम और उनके काम का जिक्र करना भी इस देश में बिना क़ानून बनाये जुर्म मान लिया गया। इस मामले में भाजपा के छावाओं से सवाल किया जा सकता है कि  क्या वे पिछले दस साल से सो रहे थे ? क्या वे इससे पहले औरंगजेब को नहीं जानते थे ? और वे अब तीन सौ साल पहले जमीदोज किये जा चुके औरंगजेब का क्या बिगाड़ लेंगे ?

औरंगजेब की क्रूरता इतिहास के पन्नो में दफन हो चुकी है ।  हम में से किसी ने उसे देखा नहीं है, सिर्फ पढ़ा है। आने वाली  पीढ़ी भी इसी तरह आज के औरंगजेबी संस्करणों के आचरण के बारे में पढ़ेगी। औरंगजेब ने जो किया उसकी सजा पायी होगी। मरे  हुए आदमी को सजा नहीं दी जा सकती ।  और भाजपा को ये अधिकार किसने दिया है, ये भी जानना जरूरी है।  औरंगजेब की करतूतों की सजा तबके सनातनी सम्राट उसे नहीं दे पाए तो आज के हिन्दू सम्राट उसे सजा देने निकल पड़े हैं।  वे औरंगजेब की कब्र खोदकर फेंक देना चाहते हैं। कहाँ ले जायेंगे उसकी मिटटी को ? समंदर में फकेंगे या हवा में उड़ाएंगे ? 

भाजपाई हमारे अपने भाई हैं लेकिन वे हकीकत को तस्लीम नहीं करना चाहते। उन्हें तो एक ही धुन सवार है कि  भारत को कांग्रेस विहीन और मुसलमान विहीन करो।  ये तब तक मुमकिन नहीं है जब तक कि  इस देश का संविधान न बदला जाये और इस देश के दो टुकड़े फिर से न किये जाएँ। आखिर 20  करोड़ से ज्यादा मुसलमानों को आप कहाँ ले जाइएगा ? हालाँकि ये सबके सब औरंगजेब नहीं हैं ।  उसके खानदान के भी नहीं हैं। ये औरंगजेब का दिया हुआ भी नहीं खाते। ये खुद मेहनत -मजदूरी करते हैं तब खाते हैं। 

मेरी फ़िक्र में अबू-आजमी नहीं है।  उनकी जान तो खतरे में है ही ,लेकिन उन बच्चों का क्या होगा जिन्हें आज भी इतिहास में औरंगजेब पढ़ाया जाता है। क्या भाजपा सरकार ने इतिहास की किताबों से औरंगजेब का नामो-निशान मिटा दिया है।  क्या सरकार ने औरंगजेब का और उसके राज का जिक्र करना राष्ट्रद्रोह का अपराध बना दिया है ? शायद नहीं किया है ऐसा।  हाँ ऐसा करने की कोशिश जरूर की जा सकती है।  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरीके से विधानसभा  में दुसरे सूबे कि एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि का इलाज करने की बात कहते दिखाई देते हैं उसे देखकर जरूर लगता है कि  अब इस देश में क़ानून का नहीं बल्कि नए औरंगजेबों का राज आ गया है। 

सवाल फिर भी टेसू की तरह अपनी जगह अड़ा, खड़ा हुआ है।  क्या औरंगजेब ,क्रूर औरंगजेब ,सनातन विरोधी औरंगजेब इस देश से सनातन को खत्म कर पाया? क्या संभाजी राव के साथ पाश्विकता का व्यवहार करने के बाद भी देश में  औरंगजेब की प्रतिमाएं  लगाईं गयीं ? नहीं लगाई गयीं ,क्योंकि औरंगजेब आज के युग का न नायक है और न खलनायक। वो इतिहास बन चुका है और इतिहास को गरियाकर आज की सियासत नहीं की जा सकती। लेकिन दुर्भाग्य ये है कि  ऐसा ही हो रहा है। मैंने तो सुझाव दिया था कि  औरंगजेब से छुटकारा पाना है तो उसकी कब्र को खुदवाकर पाकिस्तान को उपहार में दे देना चाहिए ।  मुसलमानों से मुक्ति चाहिए तो सबको सरकारी खर्चे पर अमेरिका की नागरिकता दिला देना चाहिए , न रहेगा बांस और न बजेगी बांसुरी।  औरंगजेब ही क्यों रसखान को और उन अमीर खुसरो को भी प्रतिबंधित कर देना चाहिए जहाँ पिछले दिनों माननीय प्रधानमंत्री जी गए थे। 

मुझे लगता है कि  संतन संग बैठ -बैठ लोक-लाज तो खो ही चुकी है ,अब विष बेल भी फ़ैल चुकी है। ये विष बेल अब ज़िंदा के साथ मुर्दों को भी समूल नष्ट कर देना चाहती है। अरे भाई समझो औरंगजेब कोई  ओसामा बिन लादेन नहीं था। औरंगजेब  इसी मुल्क का बादशाह था जिसने पचास साल इस मुल्क पर राज किया।तब  किया जब योगी आदित्यनाथ कि पुरखे इस देश में माला जपा करते थे लेकिन वे औरंगजेब से छावा की तरह टकराये नहीं। भैंसे ही चराते रहे।  आज भी बहुत से लोगों का सपना मुल्क पर पचास साल राज करने का है ,लेकिन वे ऐसा कर नहीं पा रहे। न जवाहरलाल नेहरू कर पाए, न इंदिरा गाँधी कर पायीं और न नरेंद्र मोदी ही कर पाएंगे। ऊपर वाला सबको औरंगजेब नहीं बना सकता। एक तो गलती से बना था जो अपनी मौत के तीन सौ साल बाद भी हंगामा मचाये हुए है।

एक गड़ा मुर्दा पूर्व कांग्रेसी   मणिशंकर ने उखाड़ा है।  वे कहते हैं कि  कांग्रेस ने दो बार केम्ब्रिज में फेल हुए राजीव गाँधी को देश का प्रधानमंत्री बना दिया। ये हकीकत भी हो सकती है ,लेकिन सवाल ये है कि  मणिशंकर को ये राज उजागर करने का साहस तब क्यों नहीं हुआ जब राजीव गाँधी जीवित थे। ! मरे हुए आदमी की निंदा करना भी ठीक वैसा ही है जैसा मरे हुए औरंगजेब को गालियां देना। लेकिन क्या करें रोग तो रोग है। याद कीजिये की ये वही मणिशंकर हैं जो हमारे प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी जी को नीच कह चुके है।  मुझे उनकी जबान भू उतनी ही  काली लगती   है जितनी की योगी आदित्यनाथ की। आपकी आप जानें।  

@ राकेश अचल

होलाष्टक आज 6 मार्च से चालीस दिनों तक नहीं होंगे विवाह, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य

कहते हैं किसी शुभ कार्य की शुरुआत शुभ मुहूर्त में करना चाहिए क्योंकि किसी बड़े कार्य जैसे गृह प्रवेश और विवाह करने में जीवन की पूरी पूंजी लग जाती है और पूरे जीवन भर इन दो चीजों का असर बना रहता है इसलिए शुभ मुहूर्त का कार्य करने से पहले इंतजार रहता है।

 शहर के वरिष्ठ  ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी में बताया कि 6 मार्च गुरुवार  10:50 बजे से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएंगे जो होली का दहन  के साथ समाप्त हो जाएंगे इसके साथ ही 14 मार्च शुक्रवार को मीन राशि में सूर्य शाम 06:49 बजे  प्रवेश करेंगे जो 14 अप्रैल रात्रि 03 :20 बजे तक रहेंगे। 

जैन ने कहा इन दिनों में,सगाई, विवाह, गृह निर्माण/ भूमि पूजन ,नए घर में प्रवेश,देवप्रतिष्ठा,मुण्डन, आदि कार्यों को नहीं करना चाहिए।

होलाष्टक की आठ रात्रियों में तंत्र,मंत्र,यंत्र की साधना का महत्व माना जाता है।

सिद्ध रात्रि, काल रात्रि और मोह रात्रि जैसी रात्रियां अधिक प्रभावशाली होती है।

होलिका दहन के साथ फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलाष्टक तो समाप्त हो जाएंगे परंतु इस के साथ ही मीन राशिस्थ सूर्य संज्ञक सौर  चैत्र मलमास के 30 दिन भी शुभ कार्य में वर्जित होते हैं।

शास्त्रों के अनुसार सूर्य जब तक मीन राशि में होता है तो शुभ मांगलिक कार्यों को स्थाई सफल वा आनंद दायक नहीं होने देता।

क्योंकि सूर्य का तेज इस समय मलीन  होजता है यानी मीन राशि में सूर्य के रहते समय तक सूर्य का शुभ प्रभाव कमजोर पड़ जाता हैं। इसलिए इस समय ज्योतिष शास्त्र में शुभ कार्यों को करने के कोई विशेष मुहूर्त नहीं होते।

6 मार्च 2025, गुरुवार का पंचांग

*सूर्योदय :-* 06:43 बजे  

*सूर्यास्त :-* 18:22 बजे 

*श्रीविक्रमसंवत्-2081* शाके-1946 

*श्री वीरनिर्वाण संवत्- 2551* 

*सूर्य*:- -सूर्य उत्तरायण,दक्षिणगोल 

*🌧️ऋतु* : बसंत ऋतु 

*सूर्योदय के समय तिथि,नक्षत्र,योग, करण का समय* - 

आज फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष *सप्तमी तिथि*  10:50 बजे  तक फिर अष्टमी चलेगी।

💫 *नक्षत्र आज रोहिणी नक्षत्र* 24:05 बजे तक पश्चात मृगशिरा नक्षत्र।

    *योग* :- आज *विशकुम्भ*  है। 

 *करण*  :-आज *वणिज* हैं।

 💫 *पंचक* :- पंचक,गंडमूल नहीं भद्रा 10:50 बजे से 22:01 बजे तक है होलाष्टक 10:50 बजे से होलिका दहन तक । शुभ कार्यों पर रोक रहेगी।

*🔥अग्निवास*: आज आकाश में है।

☄️ *दिशाशूल* : आज  दक्षिण दिशा में।

*🌚राहूकाल* :आज 14:00 से 15:28 बजे  तक  अशुभ समय है।

*🌼अभिजित मुहूर्त* :- आज 12:11 बजे से 12:57 बजे तक  शुभ है।

प्रत्येक बुधवार को अशुभ होता है ।

*पर्व त्यौहा* : भगवान चंद्रप्रभु जी मोक्ष 

*मुहूर्त* : सगाई, विवाह, जीर्ण गृहप्रवेश,मंदिर निर्माण,देव प्रतिष्ठा, अन्न  प्रसन्न व्यापार गोलाष्टक प्रारंभ होने से पहले 10:50 बजे से पहले है ।

🪐  *सूर्योदय समय ग्रह राशि विचार* :-

 सूर्य-कुंभ, चन्द्र-वृष, मंगल-मिथुन, बुध-मीन, गुरु-वृष, शुक्र-मीन, शनि-कुंभ, राहू- मीन,केतु-कन्या, प्लूटो-मकर ,नेप्च्यून-मीन

हर्षल-मेष में आज है।

 *🌞चोघडिया, दिन*

शुभ 06:42 - 08:10 शुभ

रोग 08:10 - 09:37 अशुभ

उद्वेग 09:37 - 11:05 अशुभ

चर 11:05 - 12:33 शुभ

लाभ 12:33 - 14:00 शुभ

अमृत 14:00 - 15:28 शुभ

काल 15:28 - 16:55 अशुभ

शुभ 16:55 - 18:23 शुभ

*🌘चोघडिया, रात*

अमृत 18:23 - 19:55 शुभ

चर 19:55 - 21:27 शुभ

रोग 21:27 - 22:59 अशुभ

काल 22:59 - 24:32*अशुभ

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें - ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन (राष्ट्रीय गौरव अवॉर्ड प्राप्त)

जिनकी दर्जनों जटील मुद्दों पर भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हुई हैं।

मो . 9425187186

बुधवार, 5 मार्च 2025

वनतारा के शेर और राजनीति के छावा

 

आज आप फिर कहेंगे  कि मै घूम-फिरकर शेरों और छावा पर आ गया ,सवाल ये है कि  मै करूँ  तो करूँ क्या ? मै डोनाल्ड ट्रम्प से चीन के राष्ट्रपति शी  जिन पिंग की तरह पंगा ले नहीं सकत।  नहीं कह सकता की ' टैरिफ वार हो या असली वार हम अंत तक लड़ने को तैयार हैं। शी जिन पिंग ने जो कहा यदि यही बात हमारे विश्वगुरु कहते तो मै उन्हें घी-शक्कर खिलाता,लेकिन उन्होंने तो कुछ कहने के बजाय वनतारा जाना पसंद किया। ये उनका निजी मामला है इसलिए मै कुछ कहना नहीं चाहता। आजकल राजनीति में इतिहास के छावा तलाशे जा रहे हैं।  पहले डोनाल्ड ट्रम्प से टकराने वाले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की मुझे राजनीति के छावा लगे  लेकिन अब इस फेहरिश्त में चीन के राष्ट्रपति शी जिन पिंग का नाम भी जुड़ गया है। 

मामला राष्ट्रीय होकर भी अंतर्राष्ट्रीय हो गया है।  हमारे छावा आजकल ट्रम्प से भिड़ने का साहस जुटाने या दिखने के बजाय अपने गृहराज्य गुजरात में वनतारा के प्रवास पर हैं।  सिंहों की तस्वीरें उतार रहे हैं, सिंह शावकों यानि छावाओं को बोतल से दूध पिला रहे हैं। उनका दिल करुणा से सराबोर है।  वे किसानों से ज्यादा वन्य प्राणियों का ख्याल रखते हैं ,इसीलिए मै उनका हृदयतल से सम्मान करता हूँ। लेकिन ट्रम्प के समाने मुझे अपने नेता का भीगी बिल्ली बनना बिलकुल रास नहीं आता। आपको आता है तो मुझे कुछ नहीं कहना,किन्तु मै तो अपनी बात कर रहा हूँ। मेरी बात सबके मन की बात हो ये जरूरी नहीं। मन की बात ,मन की होती है जन-जन के मन की नहीं होती,ये हम मन की बात के 100  से ज्यादा एपिसोड देखकर जान गए हैं। 

आपको पता है कि  इस समय अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प  साहब ने सहित युद्ध के बजाय दुनिया को टैरिफ युद्ध की सौगात दी है। ट्रंप  ने कनाडा और मैक्सिको के साथ ही चीन पर ही नहीं हमारे भारत पर  भी अतिरिक्‍त टैरिफ लगाया है. अमेरिका  के इस कदम से चीन आगबबूला हो गया है।  लेकिन हमने अपने आपको आग-बबूला नहीं होने दिया। इधर जैसे ही अमेरिका ने चीन से निर्यात  होने वाले माल  पर  टैरिफ लगाने का ऐलान किया ,उधर बीजिंग की तरफ से भी जवाबी कार्रवाई की गई।  चीन भी अब अमेरिका से आने वाले  होने वाले सामान  पर 10 से 15 फीसद तक का टैरिफ लगाने जा रहा है।  इससे अब दुनिया की दो महाशक्तियों के बीच ऐलान -ऐ- ट्रेड वॉर शुरू हो गया है।  चीन  ने ट्रंप सरकार को खुले तौर पर युद्ध की भी धमकी दे डाली है।  चीन का कहना है कि अगर अमेरिका युद्ध चाहता है (चाहे वह टैरिफ युद्ध हो, व्यापार युद्ध हो या कोई और युद्ध) तो हम अंत तक लड़ने के लिए तैयार हैं। 

दरअसल भारत और चीन में यही फर्क है। चीन का राष्ट्रवाद भारत और अमेरिका के राष्ट्रवाद से अलग है। हम संकट के समय में वनतारा में मन की शांति तलाश करते हैं लेकिन चीन मोर्चाबंदी करता है। हम या तो झूला झूलने में सिद्धहस्त हैं या सिंह शावकों को दूध पिलाने में।  हमें आँखें तरेरना आता ही नहीं। हम आँखें  तरेरते   भी हैं तो ले-देकर नेहरू,इंदिरा,राजीव और राहुल गाँधी पर। क्योंकि हमें पता है कि  हम ट्रम्प  साहब हों या शी जिन  पिंग साहब को आँखें नहीं दिखा सकते ।  उनसे ऑंखें नहीं मिला सकते  ,भले ही दोनों हमें आँखें दिखाएँ, हमारी बांह मरोड़ें या हमारी जमीन पर कब्जा कर लें। 

आप हमारे छावा से तो सवाल नहीं कर सकते लेकिन अपने आपसे तो सवाल कर सकते हैं कि  जिस टोन में चीन अमेरिका को जबाब दे रहा है ,हम क्यों नहीं दे पा रहे ? क्या हमने माँ का दूध नहीं पिया ? क्या हम अमेरिका को छठी का दूध याद नहीं दिला सकते ? हमारी आबादी चीन से ज्यादा है। हम चीन  से बड़ा बाजार हैं।  अमेरिका की अर्थव्यवस्था का मेरुदंड हम भारतीय हैं। फिर भी हम शतुरमुर्ग   बने खड़े हैं। आप सवाल कर  सकते  हैं कि  हमने आपको देश का निगेहबान   कहें ,चौकीदार कहें या सेवक कहें इसलिए नहीं चुना कि  आप देश के स्वाभिमान की रक्षा करने के वजाय मोरों के साथ ,सिंह  शावकों के साथ या गाय-बछड़ों के साथ फोटो खिंचवाने में व्यस्त रहें ।  आपको जेलेंस्की और शी जिन पिंग की तरह काम करना चाहिए था। 

जो काम हमारे आज के नेता कर रहे हैं वो तो आज के नेताओं की आँख की किरकिरी रहे  नेहरू,गाँधी भी कर चुके हैं। इसीलिए   आपको ऐसा करने से रोका जाना पूर्वाग्रह माना जाएगा ,इसलिए आप शौक से सिंह शावकों को बोतल से दूध पिलाइये ,लेकिन देख लीजिये कि देश की अर्थ व्यवस्था भी अब घोर कुपोषण का शिकार  है।  शेयर बाजार औंधे   मुंह पड़ा हुआ है।  इन्हें भी दूध से बोतल पिलाये जाने की जरूरत है अन्यथा ये दोनों ही दम तोड़  देंगे। जो बात मै अपने आज के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता के लिए कह रहा हूँ वो ही बात मै गांधियों से भी कहता बाशर्त कि  वे सत्ता प्रतिष्ठान में होते। वे तो विपक्ष में है।  वे तो बिखरे हुए हैं। असहाय हैं। अमेरका से पंगा नहीं ले सकते। वे तो आपसे ही पंगा लेकर हलाकान हैं। 

बहरहाल चूंकि हमारे राष्ट्र नायक ने वनतारा  का प्रमोशन किया है तो मै भी निकट भविष्य में वनतारा  जाकर कुछ दिन वहां बिताऊंगा । अनंत अम्बानी साहब को भी बधाई दूंगा। लेकिन अभी तो मेरी नींद उडी हुई है। सपने में कभी ट्रम्प साहब आते हैं तो कभी जेलेंसिकी। अब तो शी जिन पिंग   साहब भी आने लगे हैं। कल रात ही मेरे सपने में मोदी जी अपने सिंह शावकों को दूध पिलाते नजर आये। 

@ राकेश अचल

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था बहुत शोर कि ग़ालिब के उड़ेंगे पुर्जे

  और मुल्क में होली भी हो गयी और जुमे की नमाज  भी लेकिन ग़ालिब के पुर्जे नहीं उड़े। ग़ालिब ने खुद लिखा था -  था बहुत शोर कि ग़ालिब के उड़ेंगे पुर...