शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

पंचमी ,नवमी,त्रियोदशी, चतुर्दशी की तिथि  विशेष श्राद्ध तिथि क्यों:-


ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने जानकारी देते हुए कहा कि श्राद्ध पक्ष में पंचमी तिथि नवमी तिथि,त्रियोदशी एवं चतुर्दशी खाश तिथियां मानी गई है।
जैन ने कहा  श्राद्ध पक्ष भाद्रमास की पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में पितरों को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। कहते हैं कि श्राद्ध के इन दिनों में पितृ अपने घर आते हैं। इसलिए उनकी परिजनों को उनका तर्पण इनकी मृत्यु की तिथि के दिन चाहे शुक्लपक्ष या कृष्ण पक्ष की मृत्यु तिथि हो श्राद्ध पक्ष में  करना चाहिए। 
पितृों के समर्पित इन दिनों में हर दिन उनके लिए खाना निकाला जाता है
07 सितम्बर:- पंचमी का श्राद्ध इस दिन इस बार भरणी नक्षत्र रहेगा इसे महाभरणी श्राद्ध नाम से जाना जाता है नक्षत्र भरणी के स्वमी यम है जो मृत्यु के देवता है इसलिए पितृ पक्ष में भरणी नक्षत्र को अति महत्वपूर्ण माना है।
11 सितम्बर:- नवमी के श्राद्ध- नवमी तिथि को मातृनवमी  के रूप में भी जाना जाता है यह तिथि माता का श्राद्ध करने उपयुक्त है इस दिन के श्राद्ध से परिवार की सभी मृतक  महिलाओं सदस्यों की आत्मा प्रसन्न होती है। इस लिए जिन महिलाओं की मृत्यु तिथि मालूम न हो भी हो उन सब का श्राद्ध नवमी के दिन करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
15 सितम्बर:- त्रियोदशी का श्राद्ध- इस दिन त्रियोदशी में मृतिको के अलावा इस तिथि को बच्चों के लिए भी श्राद्ध उपयुक्त है। जिन बच्चों की मृत्यु तिथि मालूम न हो उन सब का श्राद्ध इस तिथि को करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
16सितम्बर :- चतुर्दशी का श्राद्ध- उन मृतिको के लिए जो किसी विशेष कारण से मृत्यु को प्राप्त हुए हो। चाहे अग्नि से,दुर्घटना में,जल में डूब कर,जहर आदि किसी घटना,दुर्घटना में मृत्यु को प्राप्त आत्मा की शांति के लिए।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Featured Post

दीवारों के कान हैं गुरू

  दीवारों के कान हैं गुरू दीवारें भगवान हैं गुरु 🙏 बिलकुल हम जैसी लगतीं हैं दीवारें इनसान हैं गुरु 🙏 भीडभाड में अलग थलग सी दीवारें पहचान ह...