रवि कांत दुबे सिटी रिपोर्टर
सिद्धपीठ श्री गंगा दास जी की शाला में श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव के अवसर पर पूरन बैराठी पीठाधीश्वर स्वामी राम सेवक दास जी महाराज के पावन सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा में पूज्या लाड़ली सरकार ने कहा की प्रभु हमेशा अपने भक्तों के वश में रहते है प्रभु का एक नाम दीन बंधू भी कहा गया है प्रभु के दीन बंधू नाम को सिद्ध करने के लिए सुदामा जी के सुन्दर चरित का वर्णन किया । उन्होंने बताया कि श्री शुकदेव जी ने जितने सम्मान ओर विश्लेषण के साथ उनका नाम लिया उतना किसी और के लिए नहीं लिया ।
वह यह कहते हैं की प्रभु ने सुदामा जी का बहुत सम्मान किया पर यह सोचना चाहिए कि प्रभु ने सुदामा जी के त्याग ओर समर्पण का सम्मान किया है आज के जीव के पास सब कुछ होने पर भी उस के अंदर संतुष्टि नहीं है पर सुदामा जी के घर में खाने को अन्न नहीं पहनने को वस्त्र नहीं रहने को छत नहीं फिर भी उन के भीतर परम संतोष है पर आज के जीव के भीतर संतोष नहीं है इसलिए सब कुछ होने पर भी शांति का अनुभव नहीं कर पाता । हमें कथा से यह सीखना है की जीवन में संतोष होना जरुरी है तभी प्रभु की कृपा होगी । कथा में लाड़ली सरकार ने कहा की हमारा मन बड़ा चंचल है इस चंचल मन को प्रभु के चरणों में समर्पित कर देना चाहिए मन को प्रभु चरणों में लगाने के तीन साधन बताये विश्वास सम्बन्ध ओर समर्पण प्रभु के प्रति हमारा सम्पूर्ण समर्पण होना चाहिए यही सच्ची भक्ति है एवं कथा के विश्राम में गुरु की महिमा का वर्णन किया जीवन में गुरु बहुत ही जरुरी हैं गुरु ऐसा होना चाहिए की जो हमें संसार चक्र से निकाल कर परमात्मा से मिला दे कथा के विश्राम में शुकदेव जी का पूजन किया गया ओर सुंदर भजनों की प्रस्तुति ने भक्तों को झूमने पर विवश कर दिया ओर कथा में कृष्ण सुदामा जी की सुन्दर झांकी का दर्शन कराया गया। सभी भक्त बड़ी संख्या में उपस्थित थे । श्रीमद भागवत कथा की आरती हुई। सिद्धपीठ में कार्यक्रम के आचार्य जी ने पूरे विधि विधान से वेद मंत्रो का उच्चारण करते हुए हवन कराया हवन की पूर्ण आहुति पश्चात संतों एवं भक्तों का विशाल भंडारा हुआ । समस्त भक्तगण उपस्थित रहे। । साथ ही श्रीमद् भागवत कथा का विराम हुआ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें