मानव का प्रत्येक गुण उसकी कला को दर्शाता हैं और सोलह विभिन्न कलाओं का संयोजन एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करता है।
इसे श्री कृष्ण जी को सोलह कलाओं से परिपूर्ण माना जाता है।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा को महत्व पूर्ण माना जाता है क्योंकि चंद्रमा न केवल सोलह कलाओं के साथ चमकता है बल्कि शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा की किरणों में औषधीय गुण पाए जाते है जो शरीर और आत्मा को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं इस दिन की चंद्रमा की किरणे अमृत मई होती है इसलिए तो इस रात्रि को गाय के दूध से बनी हुई खीर को पूरी रात छत पर चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि खीर में चंद्रमा की अमृत वाली किरणों से औषधि बनाकर शरीर को निरोगी ,आयुवृद्धि करती हैं इस खीर को व्रत रखकर परिवार जनों को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए।
जैन ने बताया पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय शाम 05:27 बजे हो जाएगा यह पूर्णिमा सभी पूर्णिमाओं में अपना विशेष महत्व रखती हैं
जिनकी कुंडली में चन्द्र दोष है उन्हें अवश्य ही इस दिन का व्रत रखकर चंद्रमा को निहारना चाहिए और खीर का सेवन श्रद्धा पूर्वक प्रसाद के रूप ने ग्रहण करने से चन्द्र दोष समाप्त होकर व्यक्ति दीर्घायु , निरोगी जीवन जीता है।
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